बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

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rajaarkey
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Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:41


जब वरुण के लंड ने पानी फैंकना बंद किया तो महक उसके वीर्या को
अपनी चुचियों पर आक्ची तरह मलने लगी... और साथ ही अपनी
उनबगलियों मे ले उसे चाटने लगी.

विनय ने जब महक को इस तरह वरुण से कहते सुना तो उसके मान भी
एक ख़याल आ गया, उसने महक को खड़े होने कहा और फिर कहा की वो
ज़मीन पर लेट जाए.

"तुम्हे ये लंड का पानी बड़ा अक्चा लगता है ना...?" विनय ने पूछा.

"हां बहोत अक्चा लगता है की इसी पानी से नहाती रहूं." महक ने
वरुण के वीर्या को अपनी चुचियों पर मलते हुए कहा.

महक के ज़मीन पर लेटते ही विनय उसके उपर चढ़ गया और उसकी
चूत पर बैठते हुए अपने लंड को उसकी चकुहियों की घाटी के बीच
रख दिया.. फिर दोनो हहतों से उसकी चुचियों को अपने लंड पर
दबा धक्के लगाने लगा जैसे की चूत चोद रहा हो.... महक की
चुचियों पर वरुण का वीर्या होने से उसका लंड पूरी तरह गीला हो
गया और बड़ी आसानी से उसकी चुहियों के बीच आगे पीछे हो रहा
था.

महक के लिए ये सब कुछ नया था.. विनय का लंड ठीक उसके मुँह
तक आता और पीछे हो जाता.... उसने अपनी जीब बाहर निकाल ली और
जब भी उसका लंड उसके मुँह तक आता तो वो उसे पानी जीब से चाट
लेती.... विनय को मज़ा आने लगा और उसका लंड पानी छोड़ने को तयार
था....
महक ने देखा की विनय अपना पानी छोड़ने लगा है तो वो वरुण की
तरह उसे भी उकसाने लगी.

"हां छोड दो अपना पानी मेरी चुचियों पर ऑश हाः और ज़ोर से
रागडो मेरी चुचियों को. ओ हां चूओडू."

विनय महक पर से उठा और खड़ा होकर अपने लंड को मसालने लगा.
थोड़ी ही देर मे उसका लंड पिचकारी छोड़ने लगा. वीर्या की धार महक
के चेहरे, उसके बावन पर उसकी चुचियों पर गीर रही थी.

महक थी की उसे और उकसाए जा रही थी, 'हाआँ छोड़ो पानी मेरे
चेहरे पर.... नहला दो मुझे अपने इस अमृत रस से... ओ हां और
छोड़ो.... ओ मज़ा अरहा है.. मुझे अपनी रंडी बना लो..
हां."

विनय के लंड से जब आखरी बूँद भी महक के जिस्म पर गिर चुकी तो
वो नीचे झुका और अपना लंड उसने उसके मुँह पर रख दिया, "मेरी
छीनाल रानी अब ज़रा इसे चाट कर सॉफ भी कर दो...."

महक ने खुशी खुशी अपनी जीब बाहर निकली और उसके लंड को चाट
कर सॉफ करने लगी. जब उसका लंड अची तरफ साफ हो गया तो विनय
खड़ा हुआ और उसने अपने कपड़े पहन लिए. वरुण ने भी वैसे ही किया
और तीनो उसे अपनी अपनी जगह पर बैठ गये और महक को वहीं
ज़मीन पर छोड़ दिया.

थोड़ी देर बाद राज ने कहा की मॅच मे मज़ा नही आ रहा इसलिए उसने
अपने दोस्तों से किसी बार मे जाकर एक दो ड्रिंक पीने के लिए कहा.
उसके दोनो दोस्त उठे और वहाँ से चले गये. राज महक की और देखने
लगा जो अभी भी ज़मीन पर ही लेती हुई थी.

"अब उठो यहाँ से और नहा धो कर तय्यार हो जाओ... शायद मुझे
फिर तुम्हारी ज़रूरत पड़े." राज ने महक से कहा.

राज के दोस्तों के जाने के बाद भी महक वैसे ही लेती रही.. उसे
अपने आप पर शरम नही आ रही थी बल्कि वो अपनी मौजूदा हालात
पर खुश हो रही थी. उसे गर्व था अपने आप पर की 45 साल की होने
के बावजूद वो जवान लकों को रिझा पाने मे कामयाब थी... आज वो हर
वो सब अनुभव कर रही थी जो उसे आज सई कई साल पहले कर लेने
चाहिए थे.... आज जितनी उसकी आत्मा और जिस्म तृप्त हुए थे उतना
कभी नही हुए और वो चाहा रही थी की ये सिलसिला यूँ ही चलता
रहे और कभी ख़तम ना हो.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:41


राज ने उसे जिंदगी की उस सचाई से परिचय कराया था जो की एक
इंसान के लिए निहायत ही ज़रूरी है... उसे अपना ये नया जीवन और
संसार अक्चा लग रहा था.

महक वहाँ से उठी और अपने कपड़े ठीक कर अपने घर की और चल
पड़ी. उसे घर पहुँच कर राज के लिए तय्यार होना था या फिर राज
के किसी दोस्त के लिए......

घर पहुँच कर महक ठंडे पानी का शवर बात लिया और एक सेक्सी
ब्रा और पनटी का सेट पहन लिया और उसके उपर सिर्फ़ एक टवल का रोब
डाल राज का इंतेज़ार करने लगी.

राज हर बार की तरह उसे काफ़ी इंतेज़ार करने के बाद पहुँचा. जब
उसने दरवाज़े पर दस्तक दी तो महक ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला.
महक को ये देख कर असचर्या हुआ की राज एकद्ूम अकेला था वरना उसे
उमीद थी की उसके साथ ज़रूर कोई आएगा.... थोड़ा निराश होते हुए
महक ने उसे अंदर आने को कहा. राज के पीछे पीछे हॉल मे आते
आते उसने अपना रोब उत्तर दिया.

राज घूम कर महक को देखने लगा, ब्रा और पनटी मे वो किसी 20 साल
की नौजवान लड़की से कम नही लग रही थी.. उसकी खड़ी चुचियाँ
ब्रा मे क़ैद थी और निपल पूरी तरह टन कर खड़े थे. राज ने अपनी
पॅंट उतार दी और उससे अपना लंड चूसने को कहा.

महक तुरंत राज के पास आई और घुटनो के बाल बथ्ते हुए उसके
लंड को मुँह मे लिया... उसे अब लंड का स्वाद आछा लगने लगा था और
उसे लंड चूसने मे मज़ा आता था. उसे समझ मे आ गया था की
मर्दों को कैसे खुश किया जा सकता है.

"हां मेरी छीनाअल इसी तरह चूस कर मेरे लंड को और खड़ा
करो... ऑश हाआँ आज की रात मेने तुम्हारे लिए खास प्रोग्राम
बनाया है." राज ने उसके मुँह मे धक्के मारते हुए कहा.

महक की समझ मे नही आया की किस तरह का प्रोग्राम उसने बनाया
है.... लेकिन उसे लगा की आज की रात मस्ती मे गुज़रने वाली है..
यही सोच कर वो ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह को उपर नीचे कर उसके लंड
को चूसने लगी. पीछले कुछ दीनो मे राज ने जो कुछ उसे सीखया या
उसके साथ किया था वो सब महक के लिए नया और उत्तेजञात्मक था.

जब राज का लंड पूरी तरह टन कर खड़ा हो गया तो उसने महक को
रुक जाने के लिए. वो ज़मीन पर लेट गया और महक से बोला, "अब तुम
मुझ पर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत मे ले लो और उछाल उछाल
कर धक्के मरो... मेने तुम्हारी चुचियों को उछलते और झूलते
देखना चाहता हूँ."
महक के लिए ये आसान भी नया था.. उसने अपनी पेंटी निकाली और राज
के उपर चढ़ गयी... फिर उसके खड़े लंड को अपनी चूत के मुँह से
लगाया और उस पर बैठती चली गयी. फिर वो धीरे धीरे उछाल
कर उपर नीचे होने लगी. राज ने अपने हाथ बढ़ा कर उसकी
चुचियों को अपनी मुति मे भरा और भींचने लगा.

"म्र्स सहगल तुम सही में बहोत अची रॅंड बनोगी.... अपने आपको
देखो मेरे लिए तुम किस तरह से तय्यार हुई थी... तुम्हे मर्दों को
रिझाने मे मज़ा आने लगा है ना?" राज ने उसकी चुचियों को जोरों
से भींचते हुए कहा.

"हां" उसने हवाब दिया.

"ये सब कर के तुम बहोत गरम हो जाती हो ना?" राज ने पूछा.

"हां बहोत ज़्यादा." महक ने जवाब दिया.

"तुम्हारी चूत गेली हो जाती है... उसमे चिंतियाँ रेंगने लगती
है.. है ना... बतो मुझे तुम किसकी रॅंड हो.....?" राज ने उसके
निपल पर चिकोटी काटते हुए कहा.

मैं तुम्हारी रांड़ हू.. ओ जो तुम क़होगे में करूँगी..." महक
भी उत्तेजना मे बोली.. उसकी चूत मे ुआबल शुरू हो गया था और वो
झड़ने के करीब थी.

"तुम मेरी शादी शुदा रांड़ हो?"

"हां में तुम्हारी शादीशुदा रांड़ हुन...ओह्ह्ह्ह हाआँ "

"तुम्हारा पति तुम्हारी आचे से चुदाई नही करता... है नाअ. तुम्हारी
चूत की प्यास नई बुझता?" राज ने पूछा.

"हाआँ वो मुझे नही चोद्ता जिस तरह से तुम मुझे चोद्ते हो.. हाआँ
ऐसे ही अपनी रॅंड बनाकर रखना मुझे ऑश चोदो मुझे ऑश....
मुझे तुम्हारी रॅंड बनने मे मज़ाअ आता है.. तुमने मेरी चूत की
बरसों की प्यास बुझा दी..." सिसकते हुए वो ज़ोर ज़ोर से उछालने लगी
और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:42


महक जब शांत होकर तोड़ा ढीली पद गयी तो राज ने उसे उसपर से
उठने को कहा, "आज में तुम्हे एक नई चीज़ सिखाता हून," उसने
कहा, "ज़रा सोफे का सहारा लेकर झुक जाओ."

महक ने अपने दोनो हाथ सोफे की पुष्ट पर रखे और नीचे झुक
गयी... उसके चूतड़ हवा मे उठ गये थे. राज उसके पीछे आया और
उसने अपनी दो उंगलियाँ उसकी गीली चूत मे डाल दी. अपनी उंगलियों को
आक्ची तरह उसकी चूत मे घूमा घूमा कर उसने गीली कर ली....
फिर उसने बिना कुछ उससे कहे अपनी उंगली उसकी सुखी गॅंड मे घुसा
दी. महक उसकी इस हरकत से चौंक पड़ी... उसे राज की उंगलियाँ अपनी
गॅंड के अंदर तक महसूस हो रही थी..... राज अब अपनी उंगलियों को
उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने लगा.

महक झुके हुए उसकी उंगलियों का मज़ा अपनी गॅंड मे लेने लगी. ये भी
उसके लिए एक नई चीज़ थी... उसने ना तो सुना था ना ही कहीं पढ़ा
था.... धीरे धीरे उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकालने
लगी.... राज की उंगलियाँ अपनी गॅंड मे उसे आक्ची लगने लगी थी.

राज ने अपनी उंगलियाँ उसकी गॅंड से निकली और एक बार फिर उसकी चूत
मे दल कर अपनी उंगलियों को गीला करने लगा.... अपनी उंगलियों को
उसकी चूत से निकाल इस बार उसने दो की बजाए टीन उंगलियाँ उसकी गॅंड
मे घुसा दी.... महक को तोड़ा दर्द हुआ लेकिन एक अजीब सा एहसास भी
महसूस हुआ.... थोड़ी देर अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने के बाद
उसने अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली..... उसने अपने खड़े लंड को पकड़ा
और उसकी चूत मे पेल दिया..... थोड़ी देर लंड को अंदर बाहर करने
के बाद जब उसका लंड पूरी तरह उसकी चूत से बहते रस से चिकना हो
गया तो उसने लंड को उसकी चूत से निकाला और उसकी गॅंड के छेड़ पर
रख अंदर घुसा दिया.

ऊऊईईईईई माआअ...... ..मर गयी रे...." महक दर्द से कराह उठी.

राज का लंड जब उसकी गॅंड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुसा तो
महक दर्द के मारे छटपटा उठी.... अपने होठों को भींचते हुए
उसने अपनी चीख को दबा लिया... राज ने अपने लंड को तोड़ा बाहर
खींचा और एक ज़ोर का धक्का मारते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी गॅंड
मे पेल दिया. राज अब अपने लंड को उसकी गॅंड के अंदर बाहर करने
लगा. थोड़ी ही देर मे महक का दर्द कम होने लगा और उसके चूतड़
खुद बा खुद राज के धक्कों का साथ देने लगे.

महक को अपनी गॅंड की पहली चुदाई मे मज़ा आने लगा और वो अपना
हाथ नीचे की और लेजकर राज के लींद की गोलियों से खेलने
लगी.... फिर अपने हाथ को अपनी चूत पर रख वो जोरों से उसे
मसालने लगी....

राज ने देखा की महक अब अपने चूतड़ पीछे की और कर उसके लंड का
मज़ा लेने लगी है तो वो फिर उससे गंदी गंदी बातें करने
लगा.....

"मज़ा आ रहा है ना तुम्हे?..... अपनी गॅंड मे मेरा लंड अक्चा लग
रहा है ना...?"

"ह्म्‍म्म्म" वो इतना ही कह पाई.

"मेने सुना नही ज़रा ज़ोर से बोलो ना?"

"हाआँ...." उसने जवाब दिया.

"मुझे बताओ तुम्हे मेरा लंड कैसा लग रहा है..?"

"ऑश ऱाज़ बहोट आछा लग रहा है.... ओ हां चोडो इसी तरह मेरी
गॅंड को फाड़ दो.... तुम्हारा लंड बहोट अक्चा है...." महक सिसकते
हुए बोली.

राज जोरों से उसकी गॅंड मारने लगा. उसके छूतदों को पकड़ वो ज़ोर के
धक्के मारते हुए अपने लंड को अंदर तक पेल रहा था.

"ऑश हां इसी तरह चोडो मुझे ऑश हां गॅंड मारो मेरी.....
ज़ोर से मारो ऑश हां और जोरों से मेरा छूटने वाला है.." महक
अपनी चूत को रगड़ते हुए सिसक रही थी.

अपनी चूत को मसल मसल कर महक झाड़ गयी... राज का लंड भी
पानी छोड़ने को लिए तय्यार था... उसने अपना लंड बाहर निकाला और
महक को घूमा कर घुटनो कल बीता दिया.. वो अपना पानी महक की
चुचियों पर छोड़ना चाहता था.. जैसे ही वो घूमकर बैठी राज
अपने लंड को मसालने लगा और एक हुंकार भरते हुए उसे वीर्या की
पिचकारी महक की चुचियों पर छोड़ दि..ऽउर उसका वीर्या उछालता
हुआ महक की चेहरे उसकी बलों और चुचियों पर गीर्ने लगा.

"ऑश ऱाज़ हाआँ आअज नहला दो अपनी ईश रंडी को अपने पानी से...
हाआँ छोडो और छोड़ू..." महक उसके वीर्या को अपनी छाती पर
मसालते हुए बोली.

अपना पानी छोड़ने के बाद राज ने अपने कपड़े पहने और कहा, "फिर
जल्दी ही मिलते है मेरी जाआं." ईटन कहकर वो चला गया.

महक वही बैठी राज के वीर्या को अपने शरीर पर मसालते हुए अपने
इस नये आनंद को एहसास करने लगी.... उसे ये रणदीपन मे मज़ा आ
रहा था... अब उसे अपने पति की कोई परवाह नही थी... वो इस नई
सुख का पूरा आनंद लेना चाहती थी.... उसे अपने पति पर गुस्सा आ
रहा था की आज तक इतने सालों से उसने उसे इस चरम सुख से
वंचित रखा था... और वो जानती थी राज अब उसे हर वो सुख से
परिचय कराएगा जिसे वो आज तक ना पा सकी थी... यही सोचते हुए
वो बातरूम मे घूस गयी.


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