खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:52

मन ही मन रीमा उसकी इन झूठी बातो पे हँसी पर उपर से परेशान सी सूरत बना कर बोली,"आप मर्द है,आपकी बात और है,पर मैं तो 1 औरत हू.कही किसी को पता चल गया तो.."

"किसी को कुच्छ पता तब चलेगा जब हम चलने देंगे ना."1 बार फिर उसने उसे अपनी बाँहो मे भरा तो रीमा ने उसे रोकने की कोई कोशिश नही की.धीरे-2 वेर्मा ने उसे अपने आगोश मे ले लिया.उसका चेहरा उठा उसने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो रीमा छितकने लगी.वेर्मा ने उसे फिर थाम लिया.कोई दसेक मिनिट की मान-मनुहार के बाद रीमा ने उसे अपने होटो का रस पीने दिया.

इसके बाद तो वेर्मा उतावला हो उठा.जैसे ही उसने उसके सीने पे हाथ रखा रीमा ने उसे परे धकेल दिया,"आप को बस अपनी पड़ी है.मैं समझ गयी आप मुझ से अपना मतलब निकालेंगे पर मेरा काम नही करेंगे."

"ओफ्फो,रीमा!कैसी बातें कर रही हो!आओ,अभी निकालता हू तुम्हारे पति के फोन के रेकॉर्ड्स.",उसका हाथ थाम वो अपने डेस्क के पीछे अपनी चेर पे बैठ गया & कंप्यूटर ऑन कर काम करने लगा.

"अब मैं बैठा हू & तुम खड़ी,ये अच्छा नही लगता!चलो यहा बैठ जाओ.",उसने अपना हाथ था उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.रीमा ने उसकी ये हरकत तो नही भाँपी थी पर बैठते वक़्त जानकार उसने अपनी भारी गंद से उसके लंड को बहुत ज़ोर से दबा दिया.

"आहह!",वेर्मा कराहा.

"क्या हुआ?उठ जाऊं?",रीमा के चेहरे पे बस मासूमियत थी.

"नही,नही!बैठी रहो."

रीमा अपनी गंद से हौले-2 उसके लंड को मसल्ने लगी.वेर्मा तो आसमान मे उड़ रहा था पर बड़ी मुश्किल से मॉनिटर पे नज़र रख पा रहा था.रवि के मोबाइल नंबर. की डीटेल्स खोजने मे वो जानबूझ कर ज़्यादा देर लगा रहा था.रीमा ये जानती थी कि वो ज़्यादा से ज़्यादा देर तक उसे अपने लंड पे बिठाए रखेगा,सो उसने भी अपनी गंद का पूरा भर उसके लंड पे रख बहुत धीरे-2 उसकी गोद मे आगे-पीछे होना शुरू कर दिया.

"ये लो..ये हैं सारी डीटेल्स.2 महीने से नंबर. आक्टिव नही है & उसके पहले की सारी डीटेल्स ये रही.",रीमा मॉनिटर देखने के बहाने थोडा आगे को झुकी & उसके लंड को अपनी गंद तले बेदर्दी से मसल दिया.

वेर्मा का हाल बुरा था.उसका लंड बर्दाश्त नही कर पा रहा था,"ये डीटेल्स मैं लिख लू?",रीमा ऐसे दिखा रही थी जैसे उसे कुच्छ पता ही नही की नीचे क्या हो रहा है.

"अरे नही.अभी प्रिंट आउट्स निकाल देता हू.",वेर्मा ने कमॅंड दी तो रीमा घूम कर उस का चेहरा पकड़ कर उसके गाल को चूम लिया & ऐसा करते हुए उसने उसके लंड को और ज़ोर से दबाया,"थॅंक यू सो मच!"

वेर्मा के बदन ने अचानक झटका खाया,रीमा समझ गयी कि वो पॅंट मे ही झाड़ गया है.रीमा ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी पे काबू रखा,"क्या हुआ?आपकी तबीयत तो ठीक है?"

"हा-हाँ..मैं बस अभी आया..",वेर्मा उसे गोद से उतार बाथरूम को भागा.रीमा ने हंसते हुए प्रिनटाउट्स उठाए & रूम से निकल गयी.बाथरूम से बाहर आनेपर वेर्मा खाली कॅबिन देख कर बस मन मसोस कर रह गया.वासना के नशे मे उसने रीमा का नंबर.लिया था ना पता...वैसे भी उसे बड़ी शर्म आ रही थी अपने उपर-उस लड़की ने उसे हाथ भी नही लगाया था & वो झाड़ गया..क्या सोचती होगी वो उसके बारे मे की बस यही था उसका अपने मर्दानगी पे काबू!

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:52

कॉल डीटेल्स मे बस नंबर्स थे उनके मालिको का नाम नही.इस मुश्किल को आसान करने के लिए रीमा ने रवि की टेलिफोन डाइयरीस का सहारा लिया जो वो बॅंगलुर से उसके समान मे लाई थी,पर ऐसा करने का वक़्त उसे दूसरे दिन ही मिला.उस दिन फोन कंपनी.के ऑफीस से वापस आकर वो घर के कामो मे उलझ गयी & रात को फिर पहले जेठ के बिस्तर मे & फिर ससुर के बिस्तर मे उनके & अपनी जिस्म की आग बुझाने के बाद अपने कमरे मे आकर निढाल हो सो गयी थी.

डीटेल्स मे रीमा ने देखा की मौत के दिन रवि ने उसे पहला कॉल करने के 20 मिनिट बाद 1 नंबर से आया कॉल रिसीव किए था & बाद मे उसपे 2 बार कॉल किया था यानी ये आख़िरी नंबर.था जिसपे रवि ने आक्सिडेंट से पहले बात की थी.

रीमा ने रवि की टेलिफोन डाइयरीस खोली,रवि ने बड़े करीने से सारे नंबर. को रिलेटिव्स,फ्रेंड्स & ऑफीस कॉंटॅक्ट्स की केटेगरी मे बाँट के लिखा था.कोई 2 घंटे तक वो उनमे सर खपाती रही पर वो नंबर उसे डाइयरी मे नही मिला.कल इतनी मुश्किल से झूठ बोल कर & अपने जिस्म का इस्तेमाल कर जो ये डीटेल्स उसने हासिल की थी वो बेकार थी.वो अभी भी वही खड़ी थी जहा पहले थी.

1 ठंडी आ बिस्तर पर लेट वो यूही डायरी उलटने-पलटने लगी तो उसने देखा की डाइयरी का आख़िरी पन्ना डाइयरी के लेदर कवर के अंदर घुसा हुआ है & ध्यान ना दो तो ऐसा लगता है जैसे की वो गटते के बॅक कवर का ही हिस्सा हो.उसने उस पन्ने को निकाला तो उसके पीछे बस इतना लिखा था:

शंतु-98क्षकशकशकशकशकश12

रीमा खुशी से उच्छल पड़ी,ये वही नंबर था जिसके मलिक से रवि ने आख़िरी बार बात की थी.पर ये शंतु कौन था?उसने अपना मोबाइल उठाया & वो नंबर.मिलाया पर उसे ये मेसेज सुनने को मिला कि ये नंबर अब मुजूद नही है.वो अपना दिमाग़ दौड़ाने लगी पर उसने रवि के मुँह से ये नाम कभी नही सुना था.

तभी ड्रॉयिंग रूम मे फोने की घनी बजी,उसका दिल धड़क उठा..हो ना हो ये वोही ब्लॅंक कॉल था.वाहा जा उसने रिसीवर उठाया,"हेलो."

कोई जवाब नही आया,"हेलो..हेलो..",तभी दरवाज़े की घंटी बजी जिसे शायद उस ब्लॅंक कॉलर ने भी सुन लिया & फोन काट दिया.दरवाज़े पे गणेश था.वो अंदर आकर किचन मे काम करने लगा.

"दीदी,कल हम दोपहर मे नही आ पाएँगे.",गणेश सब्ज़ी काट रहा था.

"क्यू,गणेश?"

"दीदी,वो क्लाइव रोड पे आहूजा साहब रहते है ना,उनके यहा दिन मे कोई दावत है तो हमारा बापू जो वाहा काम करता है उसने हमे वाहा मदद के लिए बुलाया है."

"ठीक है गणेश,कल दोपहर की छुट्टी कर लो.वैसे ये आहूजा साहब कौन हैं?"

"अरे दीदी,ये बहुत बड़े आदमी हैं,और आपको नही पता है ना..पर ये जो भाय्या है ना.."

"कौन शेखर भाय्या?"

"हा,वही..आहूजा साहब की लड़की से ही तो शादी किए थे.."

"अच्छा..तो दोनो अलग क्यू हो गये?"

"पता नही,दीदी.ये बड़े लोग की बात वही जाने,अभी ब्याह किए अभी छ्चोड़ दिए.."

"क्लाइव रोड पे कहा पे है उनका घर?",रीमा के दिमाग़ मे 1 ख़याल पनप रहा था.

"जब नेहरू पार्क के तरफ से क्लाइव रोड मे घुसते है ना दीदी,तो 1 बहुत ही बड़ा,महल जैसा बांग्ला है..55 नंबर. का वही है आहूजा साहब का घर."

"तो कल तुम महल मे दावत उदाओगे?"

"क्या दीदी आप तो हमारा मज़ाक उड़ती हैं!"

रीमा हँसने लगी तो गणेश भी हंसता हुआ कटी हुई सब्ज़िया कड़ाही मे डाल चूल्‍हे पे चढ़ने लगा.

रीमा के दिमाग़ ने शेखर की तलाक़शुदा बीवी मीना से मिलकर अपने जेठ के बारे मे कुच्छ जानने का फ़ैसला कर लिया था.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:53

खिलोना पार्ट--13

साथ ही साथ रीमा ने ये भी सोच लिया कि आज रात बिस्तर मे वो दोनो से इस शंतु के बारे मे ज़रूर पुछेगि..शायद दोनो मे से कोई उसके बारे मे कुच्छ जानता हो.रीमा ने रवि की पूरी डाइयरी छान मारी थी,पर कही भी शंतु का नाम नही था सिवाय उस आखरी पन्ने के इस कारण रीमा को ये पता नही था कि ये शंतु रवि का कोई दोस्त,रिश्तेदार या फिर कोई ऐसे ही जान-पहचान वाला था...लेकिन उसे इतना यकीन क्यू था कि शंतु से उसे रवि की मौत के बारे मे कुच्छ अहम बात पता चल सकती है?...ऐसा भी तो हो सकता है कि दोनो ने किसी अफीशियल काम के बारे मे 1 दूसरे से बात की हो..ये बस 1 इत्तेफ़ाक़ हो कि शंतु की कॉल आखरी कॉल थी रवि के मोबाइल पे...हो सकता है जैसा वीरेंद्र जी & शेखर मानते थे,सच मे रवि की मौत 1 आक्सिडेंट थी & वो खमखा अपने मन मे शक़ लिए बैठी थी.

उसने अपना सर झटका..जो भी हो,अगर मन मे शक़ है तो उसे दूर करना ही होगा..वो आज रात दोनो से शंतु के बारे मे ज़रूर पुछेगि मगर इस से पहले दोनो को दोपहर मे आने वाली ब्लॅंक कॉल्स के बारे मे बताएगी.

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"क्या???!",शेखर चौंक गया,"..& तुम आज बता रही हो!"

"मुझे लगा कि कोई शरारत कर रहा होगा,उस दिन डाँटने के बाद दोबारा नही करेगा..मगर उसने जब आज फिर से कॉल किया तो मैने सोचा कि आप लोगो को बता दू."

तीनो ड्रॉयिंग रूम मे बैठे चाइ पी रहे थे.विरेन्द्र जी खामोशी से चाइ के घूँट भरते रहे.शेखर ने कहा कि वो इस बारे मे कुच्छ ज़रूर करेगा.उसे कल फिर दिल्ली जाना था & उसी सिलसिले मे वो किसी काम से बाहर चला गया & कह गया कि खाने के वक़्त तक वापस आएगा.

"तुम्हे लगा रहा है कि ये ब्लॅंक कॉलर कही रवि की मौत से जुड़ा हुआ है,है ना?"

"जी!",रीमा ने कप नीचे किया,"जी.हां."

"ह्म्म.",विरेन्द्र जी ने कप खाली कर टेबल पे रखा,"बिल्कुल मत घबराना.इस कॉलर का भी पता लगा लेंगे & तुम्हारे मन के बाकी शुबहे भी दूर कर देंगे."

जवाब मे रीमा बस मुस्कुरा दी.

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रीमा नहा कर बाथरूम से बाहर आई & 1 छ्होटी स्लिप स्टाइल की नाइटी पहन ली जो बस उसकी गंद के नीचे तक आ रही थी,इसके उपर उसने 1 ड्रेसिंग गाउन डाल लिया & किचन से पानी लेने चली गयी.हर रात की तरह ही आज रात भी उसने अपने ससुर को कह दिया था कि वो सो जाएँ,वो देर से उनके पास आयेगी.

पानी पीते वक़्त उसे शेखर ने पीछे से अपने आगोश भर लिया,"आप भी ना मरवाएँगे मुझे!आप ही के पास तो आ रही थी,थोड़ा इंतेज़ार नही कर सकते थे?",रीमा घूम कर उसके सामने आ गयी.

शेखर ने उसे किचन के काउंटर से टिका दिया & चूमने लगा,"..उम्म्म्म....यहा नही..कही पिता जी ना आ जाएँ.",शेखर ने उसकी जंघे पकड़ उसे गोद मे उठा लिया तो रीमा ने भी अपने बाहे उसकी गर्दन मे डाल दी & उस से लिपट उसके सर को चूमने लगी.

अपने कमरे मे आ शेखर बिस्तर पे बैठ गया & गोद मे बैठी रीमा को चूमने लगा.रीमा भी उसके बालो मे हाथ फिराती उसकी किस का जबाब देने लगी.हाथ आगे ला शेखर ने गाउन के सॅश को खोला & फिर उसे उसके कंधो से सरका दिया,रीमा ने भी अपने हाथ अपने जेठ के सर से हटा नीचे ले जा के गाउन को गिरने दिया.

"वाउ..!आज तो कहर ढा रही हो.",शेखर उसकी मक्खनी जंघे सहलाता हुए उसकी गर्दन चूमते हुए उसके क्लीवेज तक पहुँच गया.

"ओह्ह्ह्ह...!",उसने रीमा के सीने पे हल्के से काट लिया.रीमा ने उसके सर को अपने सीने से उठाया & फिर उसकी टी शर्ट उतार दी,फिर नीचे झुकी & उसके चिकने सीने पे काट लिया,"..आहह..!",शेखर उसकी ओर देख मुस्कुराया.

दोनो फिर से 1 दूसरे से लिपट कर चूमने लगे,रीमा चूमते हुए अपनी चूत से अपने जेठ के खड़े लंड को रगडे जा रही थी.शेखर के हाथ उसकी स्लिप के अंदर घुस उसकी पीठ पे फिसल रहे थे.उसने ब्रा नही पहनी थी & जब भी शेखर के हाथ उसकी पीठ पे घूमते हुए उसकी बगलो मे आ कर उसकी चूचियो को छु जाते तो उसे गुदगुदी सी होती.

शेखर पूरे जोश मे आ चुका था & अब उसकी गर्दन चूमता हुआ,उसकी नाइटी मे घुसे हाथ से उसकी चूचिया मसल रहा था.रीमा भी अपने जेठ की हर्कतो का पूरा मज़ा लूट रही थी,उसके नाख़ून उसकी पीठ पे खरोंच रहे थे.शेखर के होंठ उसके गले से नीचे उसके क्लीवेज पे पहुँचे तो उसके दिल मे चाह उठी की अब वो इन मस्त गोलैईयों को अपने मुँह मे भर ले.

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