जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:29

हम ने अपनी पोज़िशन बदली और वो अपनी पीठ के बल लेट गये. मैं उनके उपर 69 पोज़िशन मे आ गई और उनका नरम लंड मेरे मूह मे आ चुका था. मैं उनके नरम लंड को चूसने का मज़ा ले रही थी और साथ मे अपनी चूत के आस और उनके रस का मिला जुला स्वाद भी ले रही थी. उनका लंड नरम होने की वजह से छ्होटा भी हो गया था और पूरे का पूरा मेरे मूह मे था. जल्दी ही मैने उनके लंड को चूस चूस कर सॉफ कर दिया. उधर मेरी चूत के होंठ उनके होठों के बीच मे थे और वो मेरी चूत को ऐसे चूम रहे थे जैसे मेरे होठों को चूमते है. मैं अपनी गंद उपर कर के अपने घुटनों पर थी और अपनी चूत को उन के मूह पर दबा रही थी. मेरे चूसने की वजह से उन का लंड फिर से बड़ा होने लगा जैसे गुब्बारे मे हवा भर रही हो. जैसे जैसे उनका लंड बड़ा होता गया, मेरे मूह से बाहर आता गया. उनका लंड बड़ा….. और बड़ा होने लगा, कड़क……. और कड़क होने लगा, मज़बूत और मज़बूत, मोटा और मोटा, गरम और गरम होने लगा. मैं उनके सुपाडे पर से चॅम्डी नीचे करके उनके लंड का सूपड़ा चूस रही थी. मैं उनका लंड चूसने का मज़ा ले रही थी और उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत मे डाल दी. हे भगवान… …. फिर से एक बार उनकी जीभ मेरी चूत को चोद रही थी. मैं जानती थी कि मैं तो जीभ की चूत चुदाई से जल्दी ही झाड़ जाने वाली थी पर उनके लंड का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगता है. मैं अपना पूरा अनुभव इस्तेमाल कर रही थी ताकि उन के लंड रस को जल्दी ही पी सकूँ.

हमारा मुख चोदन पूरी बुलंदियों और ऊफान पर था और मैने अपनी चूत उन की जीभ से चोद्ते हुए मूह पर दबाई क्यों कि मैं फिर से पहुँच चुकी थी, मेरा हो गया था, मैं झाड़ गई थी.

मेरी चूत उनके मूह पर होने की वजह से उनका साँस लेना मुश्किल हो रहा था इस लिए मैं उठ कर उनके पास बैठ गई और उनका तना हुआ लंड कस कर पकड़ कर उपर नीचे करते हुए मूठ मारने लगी. उनका लंड पानी बरसने से बहुत दूर था फिर भी मैं उनके लंड से जल्दी से जल्दी पानी पानी निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी.

मैने मूठ मारते हुए फिर से उनके लंड का सूपड़ा अपने मूह मे ले लिया ताकि उनके लंड का पानी निकालने मे आसानी हो. मैने उनके लंड पर अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी. मेरे हाथ किसी मशीन की तरह जल्दी जल्दी चलने लगे. थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि उनके लंड का पानी निकलने वाला है तो मैने जितना हो सका, उतना लंड अपने मूह मे ले लिया. मैने अपने मूह मे उनके लंड का सुपाडा फूलता महसूस किया और अचानक ही उन्होने अपनी गंद उठा कर अपने लंड का पानी मेरे मूह मे छ्चोड़ दिया. उनके लंड से निकला ज़्यादातर पानी तो मैं पी गई और उनके लंड के आस पास, उनके पेट पर गिरा लंड रस भी चाट कर, उनके लंड को चाट कर सॉफ कर दिया.

हम दोनो ही जोरदार और लगातार चुदाई के कारण कुछ थक गये थे और एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी बाहों मे भर कर प्यार की बातें करने लगे. हमे पता ही नही चला कि कब हम बातें करते करते नंगे सो गये.

सुबह घर मे होती कुछ आवाज़ों के कारण मेरी आँख खुली तो मैने घड़ी मे देखा. सुबह के 6.45 हो चुके थे. मेरे पति अभी भी गहरी नींद मे थे और मुश्करा रहे थे. शायद कोई सुहाना सपना देख रहे थे. उनका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा था और मैं अपने आप को उनके खड़े लंड को चूमने से नही रोक सकी. मैने उनके लंड को चूमा और उनके होंठो को भी चूमा. उन्होने अपनी आँखें खोली और मुझे गुड मॉर्निंग चुंबन वापस दिया.

मैं बिस्तर से कूद कर बाथरूम मे घुसी क्यों कि मुझे जल्दी तय्यार हो कर अपनी ससुराल मे पहली सुबह सब को मिलना था. मेरी गंद अभी भी थोड़ी सूजी हुई थी पर ज़्यादा दर्द नही हो रहा था. सुबह करने मे थोड़ी तकलीफ़ हुई पर कुछ खास नही.

मैं नहा कर आई तो देखा मेरे पति फिर से सो गये थे. मैं जल्दी जल्दी तय्यार हुई और उन को उठा कर बाथरूम मे भेजा.

जब मैने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरे पति की दो चचेरी बहने मेरे कमरे के बाहर खड़ी थी. वो कमरे मे आई और बारी बारी से मुझे गले लगाया.. मैं उनका प्यार पा कर बहुत खुशी महसूस कर रही थी.

अचानक एक ने मुझे फिर से अपनी बाहों मे भर लिया और बोली – ” भाभी ! मुझे विश्वास नही होता. इतने सालों तक भैया से प्यार का संभंध होने के बावजूद तुम अपनी शादी तक कुँवारी थी?”

मुझे समझ मे नही आया कि वो क्या और क्यों कह रही है. मैने उसकी तरफ आस्चर्य से देखा तो उसने पलंग पर सफेद तकिये और सफेद चादर पर खून के निशानों की तरफ इशारा किया.

अब उसे क्या पता था कि वो खून मेरी चूत से नही, कुँवारी गंद से निकला था.

वो दोनो मुश्करा रही थी और मैं भी ज़मीन की तरफ देखती हुई मुश्करा रही थी.

क्रमशः...............................

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:30

जुली को मिल गई मूली--14

गतान्क से आगे...................

मैं शाम को अपने बिस्तर पर बैठी अपने पति का इंतज़ार कर रही थी जो की बाज़ार गये थे. मैने ही उन को सब के लिए क्रिस्मस के तोहफे खरीदने के लिए बाज़ार भेजा था.

अगले दिन हम को हमारे हनी मून के लिए युरोप जाना था. मेरे ससुराल मे ये मेरा पहला क्रिस्मस था, और मेरे सास ससुर दोनो ही मेरे लिए क्रिस्मस की तय्यारी कर रहे थे. मेरे ससुराल मे सब लोग मेरे व्यवहार से और सब को इज़्ज़त देने की वजह से बहुत खुश थे. मैने पहले ही लिखा है कि मेरे सास ससुर मुझ से इतना प्यार करतें है कि मुझे उनको सास ससुर कहना अच्छा नही लगता. मैं उन को मा और पिताजी कहना पसंद करती हूँ. मुझे इस घर मे कभी भी मेरे मा बाप की याद नही आई क्यों कि मुझे प्यार ही इतना मिला है इस घर मे. भगवान करे ऐसा सास ससुर हर लड़की को मिले.

मेरे पति बाज़ार से लौटे तो उनके हाथों मे बहुत से पॅकेट्स और थैलियाँ थी. वो सब की पसंद के तोहफे लाए थे. उन्होने हाथ का सामान पलंग पर फेंक कर मुझे बाहों मे ले लिया. मैने भी उन को कस कर पकड़ा. उन्होने मेरे होठों का चुंबन लिया और मैने उनको प्यार से हल्का सा धक्का दिया और बोली – सबर करो डियर. दरवाजा खुला है.

वो बोले – तो क्या हुआ? अब तुम मेरी पत्नी हो मैं दरवाजा खुला रख कर भी तुम से प्यार कर सकता हूँ.

मैने जवाब दिया – हां! मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, पर ये मत भूलो कि मैं इस घर की बहू हूँ. मेरी मर्यादा मुझे निभानी है.

वो – मुझे तुम्हारे मूह से ये सुन कर आस्चर्य हो रहा है. तुम पहले वाली जूली नही हो. तुम बदल गयी हो पर तुम्हारा ये बदलाव मुझे पसंद है. मैं अब समझा कि मेरे मा बाप क्यों तुम्हे इतना पसंद करतें है.

मैं – वो मुझे पसंद करतें है क्यों कि उनका दिल बहुत बड़ा है. वो मुझे बेटी की तरह प्यार करतें है और मेरा भी फ़र्ज़ है कि मैं भी वैसा ही व्यवहार और उनकी इज़्ज़त करूँ.

वो – ठीक है बाबा. ये रहे सबके लिए तोहफे और अब तुम तय्यार हो जाओ.

इतना कह के वो बाथरूम मे नहाने को घुस गये और मैने एक सुंदर सी साड़ी पहन ने के लिए निकाली.

जब वो बाथरूम से बाहर आए तो मैं साड़ी पहन रही थी. मैने उन को हल्के रंग का सूट और गहरे रंग की शर्ट पहन ने को दी. हमेशा की तरह वो बहुत सुंदर लग रहे थे. मैने अपने आप को शीशे मे देखा और मन ही मन मुश्कराई क्यों कि मैं जानती हूँ कि मैं खूबसूरत हूँ.

हमारे घर मे क्रिस्मस पार्टी हो रही थी. मेरे माता पिता भी आमंत्रित थे हम से मिलने के लिए क्यों कि अगले दिन हम हमारे हनी मून के लिए विदेश जा रहे थे.

मैं पार्टी का पूरा वर्णन ना कर के सिर्फ़ इतना बता दूं कि पार्टी आधी रात तक चली थी. मैं अपने मा बाप और मेरे पति के मा बाप की खुशी देख कर खुश थी. दोनो ही परिवार हमारी शादी से खुश थे.

हम अपने बेडरूम मे आए और थोड़ी सी थकान फील कर रहे थे.

मैं बोली – हम जल्दी सो जातें है ताकि सुबह समय पर उठ कर समान बाँध सकें.

वो बोले – ठीक है डार्लिंग! जैसा तुम कहो. अब जल्दी से, बिना कपड़ों के मुझे गुड नाइट किस दो ताकि मैं जल्दी सो सकूँ.


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:31

मैने मुश्कराते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू किए. उन्होने भी अपने कपड़े उतार दिए. मैने उनका सूट हॅंगर मे लगा कर अच्छी तरह से रख दिया.

वो बिना कुछ पहने, नंगे बिस्तर मे सोए थे. उनका प्यारा लॉडा पूरी तरह से नही खड़ा था, आधा तना हुआ था, पर मैं जानती थी कि वो जल्दी ही, मेरे बिस्तर मे पहुँचने से पहले ही, तन कर लंबा, कड़क और तय्यार हो जाने वाला था.

मुझे ये भी पता था कि उन्होने बात तो गुड नाइट किस की कही है मगर वो मुझे चोद्ने से पहले, अपने लंड से पानी निकालने से पहले सोने वाले नही थे. सच कहूँ तो मैं भी केवल गुड नाइट किस नही, उस से थोड़ा ज़्यादा चाहती थी.

मैने आख़िर मे अपनी चड्डी उतार कर उन के पास बिस्तर मे पहुँची. और हमेशा की तरह कमरे की लाइट ऑन थी.

हम ने एक दूसरे को कस कर बाहों मे लिया और हमारे होंठ आपस मे एक लंबे समय के लिए जुड़ गये. हम आमने सामने लेटे हुए थे. उनका बड़ा और गरम लॉडा, चुदाई का हथियार मेरे पेट पर हिल डुल रहा था और चुभ रहा था. मैं उनके गरमा गरम और लंबे चुंबन और उनके मेरे पेट पर नाचते हुए खड़े लंड की वजह से गरम होने लगी थी. मेरी सफाचत फुददी जल्दी ही अपने रस से गीली होने लगी.

चुंबन काफ़ी लंबा था. उन्होने चुंबन पूरा कर के मुझे अपने उपर खींच लिया.

उनका खड़ा लंड मेरी टाँगों के बीच था, बिल्कुल मेरी गोल गोल गंद की दरार पर, मेरी रसीली चूत से ज़रा ही नीचे. अपनी लंबाई के कारण उन का लंड मेरी गंद के उपर तक पहुँच रहा था. मैने उनके तने हुए लॅंड को पकड़ कर अपनी जाँघो के नीचे दबाया तो उन्होने मुझे अपने उपर, मेरी चुचियाँ चूसने के लिए खेंचा तो उनका लंड मेरे पैरों की पकड़ से निकल गया मगर अभी भी मेरी टाँगों के बीच मे था.

वो मेरी, उनके मूह के पास झूलती हुई चुचियों की तनी हुई निपल चूसने लगे जो गुलाबी गुलाबी होने लगी थी. चुदवाने की आग मेरे जिस्म मे भड़क चुकी थी. जिस तरह से वो मेरी चुचियाँ चूस्ते है, मेरा मन करता है कि वो कभी भी उनको अपने मूह से बाहर ना निकाले, हमेशा चूस्ते ही रहें.

उन की मेरी चुचियों की सेक्स से भरी चुसाइ मेरी निपल्स को और भी कड़क बनाती गई और मैं जल्दी से जल्दी चुद्वाने की ज़रूरत महसूस करने लगी.

मैने अपना सेक्सी और नंगा बदन उन के मज़बूत बदन से रगड़ना सुरू किया जब कि मेरी चुचियों की, मेरी निपल्स की चूसा लगातार जारी थी. मैने उनका सिर अपनी दोनो नंगी चुचियों के बीच दबा लिया जो शायद उन को भी अच्छा लगा.

कुछ देर बाद जब मेरी चुचियों की चुसाइ पूरी हुई तो मैं उन की चौड़ी और बालों भारी छाती पर अपना सिर रख कर लेटी हुई उन की चौड़ी छाती के बालों के बीच अपने हाथ घुमाती रही. मेरे हाथ मे उनकी छ्होटी छ्होटी निपल्स आई जो कि मेरे छुने से कड़क हो गई थी.

मैने उनकी एक छ्होटी सी निपल अपनी उंगलियो के बीच ले कर मसली. वो और भी ज़्यादा कड़क हो गई. मैने उनकी निपल्स के आस पास के बालों को हटाया ताकि मैं उनकी छ्होटी छ्होटी निपल्स को सॉफ देख सकूँ. वो बहुत ही छ्होटी मगर प्यारी प्यारी निपल्स थी और मैं अपने आप को उनकी निपल मेरे मूह मे ले कर चूसने से नही रोक सकी. मेरा उनकी निपल को चूसना उनको भी बहुत पसंद आया. मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ उनकी निपल को काफ़ी देर तक चूसा और इस दौरान उन का खड़ा हुआ लंड अपनी मौजूदगी मेरे पेट के नीचले हिस्से पर जता रहा था.

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