मस्त मेनका compleet

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rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 10:02

मस्त मेनका पार्ट--12

गतान्क से आगे......................

रात 9 बजे राजा साहब मेनका & उसके माता-पिता के साथ उनके महल मे बैठे खाना खा रहे थे.उनलोगो ने ज़िद करके राजा साहब को आज रात महल मे रुक कल सुबह राजपुरा जाने के लिए तैय्यार कर लिया था.

खाने के बाद राजा साहब को 1 नौकर उनके लिए तैय्यर किए गये कमरे मे ले आया.थोड़ी ही देर बाद मेनका भी वाहा 1 नौकर के साथ आई,"लाओ ग्लास हमे दो,शंभू.",ग्लास थामा वो नौकर कमरे से बाहर चला गया.

"ये लीजिए दूध पीकर सो जाइए."

राजा साहब ने 1 हाथ बढ़ा ग्लास लिया & दूसरा उसकी कमर मे डाल उसे अपने पास खींच लिया,"हमे ये नही वो दूध चाहिए.",उनका इशारा उसकी छातियो की तरफ था.

"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा...छ्चोड़ो ना!",मेनका घबरा के उनकी गिरफ़्त से छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी.

"कोई नही आएगा.चलो हमे अपना दूध पिलाओ.",उन्होने उसके 1 गाल पे चूम लिया.

"प्लीज़..यश...!कोई देख लेगा ना!"

"जब तक नही पिलाओगी,नही छ्चोड़ेंगे.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए.

"अच्छा बाबा..पहले ये ग्लास ख़तम करो..जल्दी!",उसने उनके हाथ से ग्लास ले उनके मुँह से लगा दिया.राजा साहब ने 1 घूँट मे ही उसे ख़तम कर दिया.,"चलो अब अपना दूध पिलाओ."

"शंभू!",मेनका ने नौकर को पुकारा.

"जी!राजकुमारी.",नौकर की आवाज़ सुनते ही राजा साहब अपनी बहू से अलग हो गये.

"ये ग्लास ले जाओ.",और उसके पीछे-2 वो भी कमरे से बाहर जाने लगी,दरवाज़े पे रुक के मूड के उसने शरारत से राजा साहब की तरफ देखा & जीभ निकाल कर चिढ़ते हुए अंगूठा दिखाया & चली गयी.राजा साहब मन मसोस कर रह गये.उनका खड़ा लंड उन्हे बहुत परेशान कर रहा था.उसे शांत करने की गाराज़ से वो कमरे से बाहर आ टहलने लगे.तभी उन्हे रानी साहिबा,मेनका की मा आती दिखाई दी.

"क्या हुआ राजा साहब?कोई तकलीफ़ तो नही?"

"जी बिल्कुल नही.सोने के पहले थोड़ा टहलने की आदत है बस इसीलिए यहा घूम रहे हैं....बुरा मत मानीएगा पर ये दावा किसी की तबीयत खराब है क्या?",उन्होने उनके हाथों की तरफ इशारा किया.

"अरे नही,राजा साहब बुरा क्यू मानेंगे.हुमारी नींद की गोलिया हैं,कभी-कभार लेनी पड़ जाती हैं."

इसके बाद थोड़ी सी और बातें हुई & फिर दोनो अपने-2 कमरो मे चले गये पर राजा साहब के आँखों मे नींद कहा थी.जब तक अपनी बहू के अंदर वो 2-3 बार अपना पानी नही गिरा देते थे,उन्हे नींद कहा आती थी.मेनका के जिस्म की चाह कुच्छ ज़्यादा भड़कने लगी तो उन्होने उस पे से ध्यान हटाने के लिए दूसरी बातें सोचना शुरू किया.

वो जब्बार से बदला लेने के बारे मे सोचने लगे.उनका दिल तो कर रहा था की उस नीच इंसान को अपने हाथो से चीर के रख दे पर ऐसा करने से वो क़ानून की नज़रो मे गुनेहगार बन जाते.अगर वो क़ानून का सहारा लेते तो जब्बार शर्तिया बच जाता क्यूकी कोई भी सबूत नही था जोकि उसे विश्वा का कातिल साबित करता.उसे सज़ा देने के लिए उन्हे उसी के जैसी चालाकी से काम लेना होगा,ये उन्हे अच्छी तरह से समझ मे आ गया था.मगर कैसे....वो ऐसी चाल चलना चाहते थे जिस से साँप भी मार जाए & लाठी भी ना टूटे.पहले की बात होती तब शायद वो इतना नही सोचते & अभी तक जब्बार उनके हाथो मर भी चुका होता पर अब मेनका की ज़िंदगी भी उनके साथ जुड़ी थी & वो कोई ऐसा कदम नही उठना चाहते थे जिस से उसे कोई परेशानी उतनी पड़े.उसका ख़याल आते ही उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा.

वो फिर से बेचैन हो उठे.1 बार तो उन्होने सोचा कि लंड को हाथ से ही शांत कर दे पर फिर उनके दिल ने कहा कि लानत है राजा यशवीर सिंग!तुम्हारी दिलरुबा बस चंद कदमो के फ़ासले पे है & तुम खुद को मूठ मार कर शांत करोगे!वो तुरंत उठ खड़े हुए & कमरे से निकल गये.बाहर अंधेरा था,वो दबे पाँव मेनका के कमरे की ओर गये & धीरे से दरवाज़े पे हाथ रखा.

मेनका को भी कहा नींद आ रही थी.उसे अपने ससुर के लंड की ऐसी लत लगी थी की रात होते ही बस वो उनकी मज़बूत बाहों मे क़ैद हो उनसे जम कर चुदवाना चाहती थी.वो बिस्तर पे कर वते बदल रही थी & उसकी बगल मे उसकी मा गहरी नींद मे सो रही थी.उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बावली होने लगी तो वो नाइटी के उपर से ही उसे दबाने लगी.तभी उसकी नज़र दरवाज़े पे गयी जोकि आहिस्ते से खुला & उसे उसमे उसके ससुर नज़र आए.

वो जल्दी से उठ दबे पाँव भागते हुई दरवाज़े पे आई,"क्या कर रहे हो?तुम बिल्कुल पागल हो.जाओ यहा से!मा सो रही हैं यहा.",वो फुसफुसा.

"चले जाएँगे पर तुम भी साथ चलो."

"ऑफ..ओह!तुम सच मे पागल हो गये हो रात मे मा उठ गयी तो क्या होगा?!"

"ठीक है तो हम ही यहा आ जाते हैं.",राजा साहब अंदर आए & दरवाज़ा बंद कर दिया.

"यश..यहा...जाओ ना..मा उठ जाएँगी!"

"नही उठेंगी.नींद की गोलिया उन्हे उठने नही देंगी.",उन्होने उसे बाहों मे भर के चूम लिया.

"नही...प्लीज़..",मेनका कसमसाई पर राजा साहब ने उसे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया था.चाहिए तो उसे भी यही था पर उसकी मा के कमरे मे होने की वजह से उसे बहुत डर लग रहा था.राजा साहब भी जानते थे कि सब कुच्छ जल्दी करना होगा.उन्होने उसकी नाइटी नीचे से उठा अपने हाथ अंदर घुसा दिए.मेनका ने नाइटी के नीचे कुच्छ भी नही पहना था & अब राजा साहब के हाथों मे उसकी भरी-2 गंद मसली जा रही थी.

उसकी आँखे बंद हो गयी,"..ना..ही..यश..मा...जाग जा..एँ...गी.."

राजा साहब उसे चूमते हुए दीवार से लगे 1 छ्होटे शेल्फ के पास ले गये & उसे उसपे बिठा दिया.उनका 1 हाथ उसकी छातिया दबा रहा था & दूसरा चूत मे घुस गे था.मेनका हवा मे उड़ने लगी.उसने अपनी आँखें खोल अपनी मा की तरफ देखा,वो बेख़बर सो रही थी,उसे बहुत डर लग रहा था पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था.पकड़े जाने का डर उसे 1 अलग तरह का मज़ा दे रहा था.

राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को छेड़ने लगी तो उसकी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़ने लगी.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आहों पे काबू रखा था.उसने भी अपने हाथ राजा साहब के कुर्ते मे घुसा उनकी पीठ नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब ने जैसे ही महसूस किया कि मेनका उनके चूत रगड़ने से झाड़ कर पूरी तारह गीली हो चुकी है,उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोल उसे नीचे कर दिया.अब नाइटी उसकी कमर पे थी & उसकी चुचियाँ & चूत नंगे थे.

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 10:02



राजा साहब झुके & उसकी छातिया चूसने लगे,उनका 1 हाथ अभी भी उसकी चूत पे लगा हुआ था.मेनका ने दीवार से टिकाते हुए अपना बदन कमान की तरह मोड़ अपनी छातिया अपने ससुर की तरफ & उभार दी & उनके सर को पकड़ उनपे दबा दिया.उसकी कमर भी हिलने लगी & वो उनके हाथ को चोदने लगी.

तभी उसकी मा ने करवट ली तो मेनका & राजा साहब जहा थे वही रुक गये.मेनका का कलेजा तो उसके मुँह को आ गया & सारा नशा हवा हो गया.दोनो सांस रोके उसकी मा को देख रहे थे.उन्होने फिर करवट ली & इस बार उनकी पीठ उन दोनो की तरफ थी.राजा साहब ने फिर से धीरे-2 अपनी बहू की चूत कुरेदना शुरू कर दिया.मेनका तो शेल्फ से उतर कर वापस सोने की सोच रही थी पर उसके ससुर की इस हरकत ने उसकी चूत की प्यास को फिर से जगा दिया.1 बार फिर राजा साहब उसकी छत पे झुक उसके निपल्स चूसने लगे.

मेनका फिर से गरम हो गयी तो उसने उनके पाजामे मे हाथ डाला तो पाया की राजा साहब ने अपनी झांते साफ कर ली थी.उसे उनपे बहुत प्यार आया & वो लंड को मुट्ठी मे भर हिलाने लगी.राजा साहब के लिए ये इशारा काफ़ी था,उन्होने अपना पाजामा उतार दिया & शेल्फ पे बैठी मेनका की जांघे खोल उनके बीच आए & अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मेनका ने अपनी आ उनके कंधे मे दाँत गाड़ा के ज़ब्त की & अपनी टांगे & बाँहे उनके बदन से लिपटा कर अपनी कमर हिला कर उनके साथ चुदाई करने लगी.राजा साहब उसके उरज़ो को दबाते हुए उसके निपल्स अपनी उंगलियो के बीच ले मसल्ते हुए उसे चूमने लगे.

उनका हर धक्का उनके लेंड़ को मेनका की कोख पे मार रहा था & वो बस झाडे चले जा रही थी.राजा साहब का जोश भी अब बहुत बढ़ गया था,वो अब बहुत ज़ोर के धक्के मार रहे थे.चोद्ते-2 उन्होने अपने हाथ नीचे ले जा उसकी गंद को थामा & उसे शेल्फ से उठा लिया.अब मेनका शेल्फ से कुच्छ इंच उपर हवा मे अपने ससुर से चिपकी उनसे चुद रही थी.राजा साहब का लंड उसकी चूत के दाने को रगड़ता हुआ सीधा उसकी कोख पे ऐसे वार कर रहा थी की थोड़ी ही देर मे मेनका झाड़ गयी & अपने ससुर की गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.राजा साहब ने उसे उठाए हुए ही अपनी कमर हिला उसकी चूत को अपने विर्य से भर दिया.

उन्होने उसे वापस शेल्फ पे बिताया & उसके बालों को सहलाते हुए उसके सर को हौले- चूमने लगे.जब मेनका थोडा सायंत हुई तो उसने भी उनके सीने पे हल्के से चूम लिया.राजा साहब ने 1 नज़र उसकी सोई हुई मा पे डाली & फिर उसे बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूम लिया.धीरे से अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाला & फिर उसकी नाइटी उसे वापस पहना दी,फिर अपना पाजामा बाँध लिया & उसे गोद मे उठा कर उसे उसकी मा की बगल मे लिटा दिया.

जैसे ही वो जाने लगे मेनका ने उनके गले मे बाहें डाला अपने उपर खींच कर चूमा & फिर कान मे फुसफुसा,"आइ लव यू."

"आइ लव यू टू.",राजा साहब ने उसके होठों को चूमा & कमरे से बाहर चले गये.

मलिका कमरे मे लेटी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी,जब्बार 2 दीनो से बाहर गया हुआ था & वो 2 दीनो से चूड़ी नही थी.तभी उसका फोन बजा,"हेलो."

"हा,मैं देल्ही मे हू.कल सवेरे 10 बजे तक वापस आऊंगा.",ये जब्बार था.

थोड़ी देर तक बात करने के बाद मलिका ने फोन किनारे रखा & फिर से चूत रगड़ने लगी.वो लंड के लिए पागल हो रही थी.तभी उसे कल्लन का ख़याल आया तो उसने फोन उठा कर उसका नंबर. डाइयल किया.

"हेलो.",कल्लन ने फोन उठाया.

"क्या कर रहा है,ज़ालिम?"

"बस यहा से जाने की तैय्यरी मे हू.",जब्बार ने कल ही कल्लन के अकाउंट मे उसके हिस्से के बाकी पैसे जमा कराए थे.कल्लन का काम हो गया था & अब वो किसी और चक्कर मे 2-3 महीनो के लिए बाहर जा रहा था.

"मुझे यहा तड़प्ता छ्चोड़ कहा जा रहा है?जब्बार देल्ही मे है.यहा आ के मेरी आग बुझा दे ना."

"मैं वाहा आने का चान्स नही ले सकता.अगर किसी ने देख लिया तो सारा भंडा फूटने मे देर नही लगेगी....वैसे तू चाहती है तो तू यहा आ जा.मैं कल चला जाऊँगा.",कल्लन भी मलिका को चोदने का लालच हो आया था.

"अच्छा ठीक है.मैं ही आती हू.वो कमीना तो कल सुबह आएगा.मैं आती हू पर कहा आना है?"

"शहर के चोवोक बाज़ार मे वो 'फियेस्टा' केफे है ना,वही पहुँच जाना.मैं वाहा से तुम्हे अपने घर ले चलूँगा.कितने बजे आओगी?"

"मैं 3 बजे तक 'फियेस्टा' पहुँच जाऊंगी.",उसने दीवार-घड़ी की तरफ देखा.

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 11 Nov 2014 10:03



"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"

"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.

क्रमशः..................

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