दो भाई दो बहन compleet

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raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:37

"राज पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि रोमा को हमारा साथ

साथ बाहर जाना अछा नही लगा." रिया ने राज का हाथ पकड़े गाड़ी की

और बढ़ते हुए कहा.

"गाड़ी तुम चलाओगी या में चलूं?" राज ने पूछा.

रिया राज को पकड़ गाड़ी के पास आगाई और ड्राइवर साइड के दरवाज़े पर

उसे हल्का सा धक्का देते हुए अपने होंठ उसके होठों पर रख चूसने

लगी.... उसके होठों को चूसने के बाद वो धीरे से उसके कान मे

फुस्फुसाइ, "मेरी गाड़ी की पीछले सीट काफ़ी चौड़ी है अगर तुम

चाहो तो....."

"फिलहाल मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा."राज ने धीरे से कहा...

उसके ख़यालों मे अब भी रोमा का चेहरा बसा था जहाँ उसके चेहरे

पर जलन की भावना उसे सॉफ दिखाई डी थी.

"राज उस दिन तुम हमारे साथ नही थे..... मेने कसम खा कर कहती

हूँ कि उसने खुद कहा था कि अगर में उस रात वाली हरकत वापस ना

दोहराऊ तो वो तुम्हे मेरे साथ बाँटने के लिए तैयार है...." रिया ने

उसे गालों पर हाथ फिराते हुए कहा, "फिर भी मेने एक महीने तक

इस बात का इंतेज़ार किया कि शायद मुझे तुम्हारे साथ कुछ समय

बिताने का मौका मिल जाए."

"हां तुमने बाद मे बताया था और में खुश हूँ कि तुम्हारे सभी

टेस्ट सही गये.. उस रात की वजह से तुम्हे कोई बीमारी नही हुई."

राज ने उसके होठों को हल्के से चूमते हुए कहा, "वैसे क्या हुआ था

उस रात?.... कितना डर गये थे हम दोनो."

रिया एक गहरी साँस ले कर रह गयी.... उस भयानक रात की काली

परछाईयाँ आज भी उसे नींद मे सताती थी........और दर्द की टीस

उसके पूरे बदन मे दौड़ जाती थी.

"प्लीज़ राज आज की रात उस हादसे की बात मत करो.. वो रात मेरी

जिंदगी की एक भयानक हादसा था जिसे में भुला देना चाहती हूँ"

रिया ने रोते हुए कहा, "आज की रात में तुम्हारे साथ हंसते हुए

गुज़ारना चाहती हूँ... तुम नही जानते एक महीना मेने आज के लिए

इंतेज़ार किया है.. कितनी अकेली थी में गुज़रे एक महीने तक."

"फिर भी में जानना चाहता हूँ कि उस रात तुम्हारे साथ क्या हुआ?

रोमा भी मुझे कुछ बताने को तैयार नही है." राज ने कहा.

राज की ज़िद ने रिया के मन मे दबे गुस्से और झल्लाहट को जैसे हवा

दे दी, "क्या तुम ये चाहते हो कि में तुम्हे बताऊ की में तुमसे

कितना प्यार करती हूँ.... में कितनी अकेली थी तुम्हारे बिना....

मेने अपनी सेहत अपनी जान इस लिए जोखम मे डाली कियों कि में

तुम्हे पा नही सकती थी... में सारी सारी रात बिस्तर पर करवट

बदलते हुए तुम्हारे सपने देखा करती थी और तुम रोमा की बाहों मे

चैन की नींद सोते थे... और क्या करती में... मुझे तुम पर गुस्सा

आ रहा था... मेने सोचा था कि हम दोनो का वक्त साथ साथ अछा

गुज़रेगा लेकिन ऐसा नही हुआ...." रिया ने रोते रोते कहा.

"हां में तुम्हारे मुँह से यही सुनना चाहता था" राज ने मुस्कुराते

हुए कहा.

राज को मुस्कुराते देख रिया का गुस्सा काफूर हो गया और उसके होठों

पर एक मधुर मुस्कान आ गयी, "बड़े हरामी हो तुम?" रिया ने उसके

छाती पर हल्के मुक्के मारते हुए कहा.

"अब चलॉगी या फिर यहीं खड़े रहने का इरादा है" राज ने रिया को

अपने गले लगाते हुए कहा.

रिया ने राज को गाड़ी की चाभी पकड़ी....राज ने ड्राइवर सीट का दरवाज़ा

खोला और अंदर बैठ गयी.. रिया भी दूसरी तरफ से घूम कर आई

और उसके बगल मे बैठ गयी.... राज ने जैसे ही गाड़ी पार्किंग से

बाहर निकाली रिया उससे और चिपक कर बैठ गयी.... उस रात के

ख़याल से अभी भी उसका बदन कांप रहा था और दिल मे हल्का सा डर

समाया हुआ था.

"राज क्यों ना हम आज किसी पब या बार मे जाने की बजाई ड्राइव पर

जाएँ." रिया ने राज से चिपकते हुए कहा.

राज ने उसकी बात मानते हुए गाड़ी सहर के बाहर के रास्ते पर बढ़ा

दी. राज ने महसूस किया कि रिया के शब्दों मे कुछ अजीब सा था...

उसे अफ़सोस होने लगा कि उसने उस रात वाला विषय छेड़ा ही क्यों.

शायद रिया ने राज के मन की बात पढ़ ली थी, "में ठीक हूँ राज

तुम चिंता मत करो.... मुझे तो खुद पर गुस्सा आ रहा है कि उस

रात मेने ऐसा क्यों किया... पर कहते है ना कि प्यार मे लोग पागल

हो जाते है... और अक्सर कुछ पागलों वाली हरकत कर बैठते है..

शायद मेने भी कुछ ऐसा ही किया था.... कितनी बेवकूफ़ हूँ में

मुझे समझ लेना चाहिए था कि में तुम्हे नही पा सकती.... पर

क्या करूँ ये दिल है कि ये बात मानने को तैयार ही नही है."

राज ने कोई जवाब नही दिया उसके दीमाग मे एक तूफान सा उठा हुआ

था... वो रिया को प्यार करता था पर साथ ही वो अपनी प्यारी बेहन

रोमा को भी बहोत प्यार करता था.... साथ ही रोमा की इज़्ज़त भी

बहोत करता था .. कितनी मेहनत कर रही थी वो अपना एक अच्छा

भविश्य बनाने के लिए.... उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो

क्या करे... वो एक ऐसे दो राहे पर खड़ा था कि उसकी कुछ समझ मे

नही आ रहा था.

"राज आगे एक पार्किंग एरिया है और इस समय सुनसान होगा गाड़ी वहाँ ले

लेना" रिया ने राज से कहा.

राज ने रिया के कहे अनुसार गाड़ी पार्किंग एरिया मे रोक दी.. उसने देखा

की जगह वाकई मे सुनसान पड़ी थी.

गाड़ी के रुकते ही रिया राज की तरफ चेहरा किया उसकी गोद मे बैठ

गयी. राज ने उक्सी गर्दन मे हाथ डाला और उसके घने बालों मे अपनी

उंगलियाँ फिराने लगा, "मुझे तुम्हारे ये घने बाल बहोत अच्छे लगते

है."

raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:39

Jemsbond wrote:Maza aa gaya bhai bahen dono ki conversation dono me se kon jitega dekhne wali baat hogi

Tharki bhai ya tharki bahen

धन्यवाद दोस्त आप जैसे दोस्तो को हमेशा स्वागत है

raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:40

रिया के चेहरे पर थोड़ी शैतानी आ गयी...."और वो क्यों?" उसने

पूछा.

राज थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला, "क्यों कि ये इतने लंबे और

घने है और एकदम रेशम की तरह मुलायम है... ठीक जैसे किसी

शॅमपू की आड़ मे देखाए जाते है."

रिया राज की बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसके गालों पर अपने गुलाबी

होठ रगड़ने लगी.... "क्या तुम्हे ये भी अच्छे लगते है?"

राज की उत्तेजना बढ़ने लगी... उसका लंड पॅंट के अंदर उछलने लगा

था.... "मुझे तुम्हारे होंठ भी बहोत पसंद है."

"ओह्ह्ह अच्छा.... तो फिर बताओ तुम्हे मेरे होठ क्यों पसंद है?"

"इसलिए कि ये जो भी करते है बहोत अच्छा करते है..." राज ने उसके

होठों पर हल्के से उंगली फिराते हुए कहा.

रिया अंधेरे मे मुस्कुरा दी...."और तुम क्या चाहते हो... कि ये क्या

करें?"

इस ख़याल से ही रिया के होठ उसके लंड पर क्या क्या कर सकते है

उसका लंड पॅंट के अंदर पूरी तरह तन गया... उसे पता था कि उसके

कहने की देर है रिया उसके लंड को चूसने और चूमने लगेगी..

रिया ने जब देख की राज ने कोई जवाब नही दिया तो उसने उसके सूखे

होठों को चूमते हुए कहा... "राज बताओ ना तुम क्या चाहते हो कि मेरे

होठ वो सब करें...."

राज ने अपने हाथों से उसके चेहरे को अपने नज़दीक खींचा और उसके

होठों पर अपने होठ रख दिए... दोनो की जीब एक दूसरे से खिलवाड़

करने लगी.. दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.

"पीछले एक महीने मेने तुम्हे कितना मिस किया है पता है तुम्हे?"

रिया ने उसके होठों को जोरों से चूमते हुए कहा. "में जब भी

तुम्हे उसके साथ देखती तो मुझे ऐसा लगता कि मेरी जान ही निकली

जा रही है."

"पर में तुम दोनो से बहोत प्यार करता हूँ.... रिया." राज ने उसके

गालों पर हाथ फिराते हुए कहा.

"पर आज की रात तुम मेरे हो.... सिर्फ़ मेरे...." रिया ने राज से

कहा, "कहो कि तुम मुझे प्यार करते हो"

"में तुम्हे अपने दिल की गहराइयों से चाहता हूँ... सच..." राज ने

कहा...."मेरी गुड़िया में तुम्हे प्यार करना चाहता हूँ."

"में भी तुम्हे मेरी जान.... बहोत प्यार करना चाहती हू," कहकर

रिया ने राज को जोरों से बाहों मे भींच लिया और अपनी चुचियों को

उसकी छाती पर रगड़ने लगी.

रात के अंधेरे मे पार्किंग लॉट मे गाड़ी के अंदर दोनो की साँसे तेज

होने लगी... मुँह से हल्की उन्माद भारी सिसकियाँ फूटने लगी....

"पता है मुझे वो तालाब का किनारा बहोत याद आ रहा है... उस

चाँदनी रात मे तुम्हारा मुझे प्यार करना... सच मे बहोत अछा लगा

था उस दिन..." रिया ने उसे चूमते हुए कहा.

क्रमशः..................


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