बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

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rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:43

बुझाए ना बुझे ये प्यास--16

उस बात को तीन चार दिन बीत गये जब राज ने पहली बार महक की
गॅंड मारी थी. महक का पति अभी भी शहर से बाहर टूर पर था.
महक अपना समय घर के काम काज मे या फिर शाम को किसी क्लब मे
जाकर व्यतीत कर रही थी. अपने आपको लाख व्यस्त रखने के बावजूद
महक राज को बहोत मिस कर रही थी... बार बार उसकी आँखों के
सामने वो सब कुछ आ जाता जो राज ने उसके साथ किया था. क्लब मे वो
दूसरे मेंबर्ज़ के साथ काम मे हाथ बँटाती जैसे की कोई शो
ऑर्गनाइज़ करना हो या फिर कोई पार्टी वग़ैरह.... .

ऐसे ही क्लब मे बैठी वो राज के ख़यालों मे खोई हुई थी... की
किसी ने उसे पुकारा... "हा महक ....कहाँ खोई हुई हो?"

"ह्म" महक ने जवाब दिया.

"क्या सोच रही हो?" किसी ने फिर कहा.

"महक ने पलट कर देखा.... वो रजनी शर्मा उसकी साथी मेंबर थी.

"मुझे वो हिसाब चाहिए जो कल रात की डिन्नर पार्टी का तुम लीख
रही थी.... क्या बात है... बहोत खोई खोई हो?" रजनी ने पूछा.

"नही ऐसा कुछ नही है." महक ने जवाब दिया... साथ ही अपने
ख़याल पर वो शर्मा गयी... वो ख़यालों मे विनय और वरुण से
चुद्वा रही थी.

"पर तुम्हारे चेहरे से तो लगता है की ज़रूर कोई बात है." रजनी
ने फिर कहा.

रजनी क्लब ऑर्गनाइज़ेशन हेड थी. कुछ साल पहले उसके पति का
देहांत हो गया था.... रजनी अकेली रहती थी.. लेकिन उसने अपनी एक
अलग पहचान बना ली थी.. वो दीखने मे काफ़ी सनडर भी थी.. उसकी
और महक की उमरा एक जैसी ही थी.. लेकिन शरीर से वो महक से 15
साल छोटी लगती थी. रजनी काफ़ी लंबी थी.. करीब 5'8 की हाइट...
काले लंबे बॉल जो उसके कंधों तक आते थे.. गोल चेहरा... भारी
हुई चुचियाँ जो किसे भी आकर्षित कर सकती थी... अपने बदन के
दम पर जो वो चाहती वो हासिल कर लेती थी... वो विधवा थी और
मर्दों का साथ उसे पसंद था.. और इस खेल की वो एक माहिर खिलाड़ी
थी.. इसलिए जब महक ने "कुछ नही" कहा वो तुरंत समझ गयी.

"ऐसा कुछ ख़ास नही बस मुझे अपने पति की बहोत याद आ रही
थी." महक ने थोड़ा सोच कर कहा.

"ठीक है अगर कुछ नही है तो कोई बात नही," रजनी ने कुछ
शंकित स्वर मे कहा, "तो फिर तुम मुझे वो हिसाब दे रही हो ना?"

"अभी नही थोड़ी देर बाद मे देती हून." महक ने कहा.

महक ऑफीस मे गयी और हिसाब टायर करके उसे रजनी के दे दिया.
फिर वो वॉश रूम मे गयी और अपने पर्स से अपना सेल फोन निकाल
कर राज का नंबर मिलाने लगी. जब राज ने कोई जवाब नही दिया तो
उसने उसे स्मस कर के बता दिया की वो उससे मिलना चाहती है.

महक का जब फोन आया तो राज उस समय समुद्रा के कीनरे अपने कुछ
दोस्तों के साथ मज़े ले रहा था. हर बार की तरह राज ने फोन नही
उठाया..... उसे महक को तरसाने मे माज़ा आने लगा था.... जब उसकी
एक दोस्त प्राची ने देखा की राज फोन का उत्तर नही दे रहा है तो
उसने उससे पूछा की कौन है.

"अरे एक रंडी है जिसे आज कल में चोद रहा हूँ," राज ने सच सच
कहा... "और वो चाहती है की इस समय भी में जाकर उसकी चूत
बजाऊँ."

"हां ऐसी कई औरतें हैं आज कल." प्राची ने खिलखिलते हुए कहा.

"और तुम भी उनमे से एक हो." राज ने जवाबद दिया.

"हां वो तो हूँ... तुम्हारा लंड ही इतना प्यारा है की जो एक बार इसका
स्वाद चख लेता है दीवाना हो जाता है." प्राची ने कहा.

शाम तक महक राज को तीन चार फोन कर चुकी... लेकिन फिर भी
उसने जवाब नही दिया..... तब उसने सोच लिया की वो एक ऐसा मेसेज
छोड़ेगी की वो तुरंत फोन करेगा.

"में तुम्हारी छीनाल रंडी महक हूँ.... जल्दी आओ.... मेरी चूत
और गॅंड तुम्हारे मोटे लंबे लंड के लिए तड़प रही है." कहकर
उसने फोन रख दिया.... उसे विश्वास था की वो जल्दी उसे पलट कर
फोन करेगा.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:44


प्राची ने देख की राज का फोन चार बार बजा और चारों बार उसने कोई
जवाब नही दिया. जब आखरी बार फोन बजा उस समय राज पानी मे था
और उसने फोन टवल पर छ्चोड़ दिया था... प्राची के दिल मे आया की
वो उठा ले लेकिन उसने उठाया नही... ज़रूर वो औरत कुछ ज़्यादा ही
उतावली हो रही है.. उसने सोचा.. दोपहर से चौथा फोन है....
जब घंटी बजनी बंद हो गयी तो उसने उत्सुकता वश फोन उठा लिया
की शायद उसपर उसका नाम लिखा हो की तभी राज आ गया.

"राज तुम्हारा फोन फिर बाज रहा था.." कहकर उसने फोन राज को
पकड़ा दिया.

राज ने फोन पर नंबर देखा और मुस्कुरा पड़ा.

"क्या उसी औरत का फोन था?" प्राची ने पूछा.

"हां" उसने जवाब दिया.

"लगता है की वो तुम्हारे लिए पागल हो गयी है... कौन है वो?"

वो दोनो अकेले थे और राज को विश्वास था की उनकी बात कोई नही सुन
रहा है... "वो म्र्स सहगल है." राज ने कहा.

"तुम्हारा मतलब है सोनू की मम्मी." उसने चौंकते हुए कहा.

"हन वही"

"में विश्वास नही करती." प्राची ने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.

"में सच कह रहा हूँ... तुम चाहो तो नंबर देख सकती हो."
कहकर राज ने फोन प्राची के सामने कर दिया जिसपर म्र्स सहगल और
उसका नंबर छापा था.

"में तुम पर विश्वास नही करती... शायद उसने घर पर सोनू के
लिए कोई पार्टी रखी होगी और इसीलिए तुम्हे याद कर रही होगी... या
फिर उन्हे तुमसे कोई काम होगा." प्राची ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए
कहा.
अपनी बात को साबित करने के लिए राज ने अपने फोन की वाय्स मैल को
ओं किया और फोन प्राची को पकड़ा दिया.

प्राची फोन को कन से लगाए उसमे से आती आवाज़ को सुनने
लगी, "हे... में बोल रही हून... में तुमसे तुरंत मिलना चाहती
हून.... " मेसेज को सुन प्राची का मुँह खुला का खुला रह गया...
उसने फोन वापस राज को पकड़ा दिया.

"अब तो तुमने अपने कानो से सुन लिया ना... में सच कह रहा था ना."

प्राची को अब भी अपनी कानो से सुनी आवाज़ पर विश्वास नही हो रहा
था.... वो खुद काफ़ी सेक्सी और चुदसी लकड़ी थी... उसके चेहरे पर
एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी... उसने राज से कहा, "में तुम दोनो
को साथ साथ देखना चाहती हून."

"ख्य....तुम क्या चाहती हो?" राज ने चौंकते हुए कहा.

"में तुम्हे उस औरत को चोद्ते हुए देखना चाहती हून. आवाज़ से तो
वो काफ़ी सेक्सी और चुदसी लगती है.. लगता है की उसे तुम्हारा मोटा
लंड काफ़ी पसंद आ गया है." प्राची ने कहा.

प्राची की बात सुनकर राज का चेहरा खुशी से खिल उठा.. उसे महसूस
हुआ की वो महक को इस खेल मे और आगे बढ़ा सकता है.. "मेरे पास
इससे भी बेहतर तरीका है.. तुम हमारे साथ शामिल हो सकती हो...
हम तीनो साथ साथ चुदाई करेंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा."

प्राची भी खुश हो गयी, "हन ये ज़्यादा अक्चा रहेगा... चलो अभी
चलते है."

"ठीक है." राज ने जवाब दिया.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:44


दोनो ने अपने बाकी के दोस्तों को अलविदा कहा और राज की गाड़ी की और
बढ़ गये. रास्ते मे राज प्राची को चिढ़ा रहा था और उससे कह रहा
था की वो म्र्स सहगल को उसकी चूत चूसने के लिए कहेगा. प्राची ने
उससे कहा की उसे नही लगता की म्र्स सहगल उसकी चूत चूसेगी.

"शर्त लगावगी... में जैसा कहूँगा वो वैसे ही करेगी." राज ने
कहा, "सिर्फ़ तुम मुझे उससे बात करते सुनती रहना."

राज ने प्राची से महक का नंबर लगाने को कहा, प्राची ने नंबर
लगाकर फोन राज को पकड़ा दिया.

"कैसी हो मेरी छीनाल रॅंड..... बहोत ही अछा मेसेज भेजा था
मज़्ज़ा आ गया सुनकर.... वियसे तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ है... में
अपने एक दोस्त को साथ मे ला रहा हूँ... हन.. तुम्हे बहोत मज़ा
आएगा... हम वहाँ 20 मिनिट मे पहुँच जाएँगे... तब तक तुम
तय्यार हो जाओ... में चाहता हूँ की तुम मैं दरवाज़ा खुला रखो और
जब हम वहाँ पहुँचे तो तुम पूरी तरह नंगी होकर हमारा इंतेज़ार
करो.. " कहकर राज ने फोन बंद कर दिया.

"वाउ वो तुम्हे इस तरह की बातें करने देती है... कुछ बोलती
नही." प्राची ने चौंकते हुए पूछा.

"अरे बातें करने देती है.. वो खुद भी ऐसे ही बोलती है.. उसे
बहोत मज़ा आता है और वो बहोत उत्तेजित और गरम हो जाती है."
राज ने जवाब दिया.

"लगता है की बहोत ही चुदसी और गरम औरत है." प्राची ने कहा.

जब दोनो महक के घर का दरवाज़ा खोल अंदर दाखिल हुए तो महक
राज के कहे अनुसार दीवान पर नंगी लेती हुई थी. वो सिर्फ़ लेती ही
नही थी बल्कि उसने अपनी टाँगे पूरी तरह फैला रखी थी और अपनी
तीन उंगली अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.

जब महक को उनके आने की आहत सुनाई पड़ी तो वो बिना उनकी और देखे
बोली, "तो लड़कों तुम लोग तय्यार हो इस गरम और शानदार चूत को
चोदने के लिए."

तभी उसकी नज़र प्राची पर पड़ी तो वो चौंक पड़ी.. उसे तो किसी
लड़के की उमीद थी..... उसने तुरंत अपनी चूत से अपनी उंगलियाँ
बाहर निकाल लि....तभि उसे याद आया की ये लड़की तो उस दिन शाम को
उसके घर पार्टी मे भी आई थी..... वो डर गयी.

राज ने महक के चेहरे से उड़ते रंग को देख लिया... वो तुरंत
बोला... "घबराईए मत म्र्स सहगल... प्राची किसी से कुछ नही
कहेगी.. बस ये भी हमारे साथ इस खेल मे शामिल हो हमारे साथ
खेलना चाहती है."

खेलना चाहती है? महक की कुछ समझ मे नही आया... उसने सुना
और पढ़ा तो था की दो औरतें आपस मे सेक्स करते है.. सामूहिक
चुदाई भी होती है.. लेकिन ये सब उसके लिए नया था.. क्या वो इन
दोनो को साथ ये सब कर पाएगी... उसकी कुछ समझ मे नही आ रहा
था वो वैसे ही अपनी टाँगे फैलाए दीवान पर लेती रही.

प्राची भी महक को इस तरह देख डांग रह गई थी.. ये सही था की
उसने अपने कॉलेज की कुछ लड़कियों के साथ सेक्स किया था लेकिन महक
एक शादी शुदा औरत थी और उससे उमर मे भी काफ़ी बड़ी थी.. वो
महक के नज़दीक खड़ी हो कर उसे घूर्ने लगी. महक के नंगे बदन
को देख उसके बदन मे भी गर्मी बढ़ रही थी.

प्राची आगे बढ़ कर महक के नज़दीक आई और उसके सामने ज़मीन पर
घुटनो के बाल बैठ गयी.... वो महक की गुलाबी चूत को देखने
लगी.. चूत के बॉल अची तरह से तराशे हुए थे और उत्तेजना से वो
फूली हुई भी थी.. वो अपनी उंगलियाँ उसपर फिरने लगी. चूत से
बहते रस की वजह से चूत चमक रही थी.. प्राची अपने आपको रोक
ना पाए और उसने झुक कर उसे चूम लिया.

"तुम्हारी चूत बहोत सनडर है." वो बस इतना ही कह पाई. इससे
पहले की महक कुछ कह पति प्राची उसकी चूत पर अपनी जीब रख
चाटने लगी.

महक की समझ मे नही आया की वो क्या कहे और करे... वो उसे रोकना
चाहती थी... लेकिन प्राची की जीब उसकी चूत पर उसे इतनी आक्ची लग
रही थी.. साथ ही उसे मज़ा भी बहोत आ रहा था....

प्राची को पता था की वो क्या कर रही है... वो अपनी जीब को उसकी
चूत पर फिरणते फिरते उसकी पंखुड़ियों को अपने मुँह मे भर
चूसने लगी.. फिर उसकी चूत को उसने अपनी उंगलियों से फैलाया और
अपनी जीब को त्रिकोण का आकर दे अंदर फिरने लगी...

महक को इतना मज़ा आ रहा था की उसने अपनी टाँगे और फैला दी.....
प्राची भी उसका इशारा समझ जोरों से उसकी चूत चूसने लगी और
साथ ही अपनी उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगी...

महक तो प्राची के सिर को पकड़ अपनी चूत पर दबाना चाहती थी
लेकिन वो डर गयी की कहीं प्राची अपना मुँह ना हटा ले.. इसलिए उसने
सोफे पर पड़े कुशन को उठा अपने सीने से भींच लिया.
"ऑश ओ हां चूसो तुम कितनी आछी हो हां और चूसो मेरा
छूटने वाला हाई.. खा जाओ मेरी चूत को" महक जोरों से सिसकने
लगि..ऽउर उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

महक और प्राची की रास लीला देख कर राज पूरी तरह गरमा चुका
था.. उसका लंड तन कर खड़ा हो गया.... उसने अपनी पॅंट और
अंडरवेर उत्तर दी.. और अपने लंड को महक के मुँह के सामने कर
दिया.

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