हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

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raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 15:56


वीरानी की चूत तेल लगाकर चोदी

मैं वैसे इतना कमीना तो नहीं हूँ पर दोस्तों आपको बता दूँ की मैंने वीरानी के साथ कुछ हद्द से ज्यादा ही कमीनापन धिक्लाया जोकि शायद मुझे नहीं दिखलाना चाहिए था पर क्या चूत का भुत तो वोही जानता है जिसे अरसों तक किसी भी चूत का स्वाद नहीं आया होगा | मैंने कई बार अपने घर के सामने २१ वर्षीय पकड़म – पकडाई खेलने वाली लौंडिया को रिझाते हुए अपने खाली कमरे में बुलाने की कोशिस की पर वो कभी भी मेरे घर नहीं आती और दूर से से ही खेलते हुए मुझे मौक मुस्कान दे देती और जानबूझ कर अपने मोटे चुचों को हिलाती हुई मुझे अपना दीवाना बनाने की कोशिश करती | मैं जब भी उसम अपने घर के बहार घूमते हुए देखता तो मेरा हमेशा एक हाथ मेरे लंड के सुपाडे को मसल रहा होता था |

मैंने कई बार तो उसकी चूत के ख्याल को दिमाक में लाते हुए अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर हस्तमैथुन किया था | एक रोज जब मैं भरी दोपहर को अपने टी.वि पर कुछ मनोरंजन देख रह आता तो अचानक मेरे घर पर वीरानी आई जिसे देख मैं चौंक गया | उसने आती ही कहा की क्यूँ .. आज क्या बात है मुझे निहारने नहीं आये हाँ .. ?? जिसपर मैंने इतराते हुए कहा की क्या करें जब किसी को हमारा घर ही नहीं पसंद तो . . ! ! वो मेरे कामुक इरादों को समझती हुई कहने लगी लो . .अब अब आ गए . . अब बताओ ऐसी क्या बात करनी है आपको . . मैंने भी उसका हाथ पकड़ अंदर को खींच लिया और खेने लगा बस ज़रा सा सबर करो सब पता चल जाएगा . .! !

अब वो बैठ चुकी थी मेरे घर के अंदर तभी मैं फिर अंदर को जाकर अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर नंगा ही सुके सामने आया और उससे कहने लगा की यह जो लंड है . . तुम्हारी याद में बुरी तड़पा जा रहा और उसने कहा यह लो इसे तो अं संवारा देती हूँ . . वीरानी ने तभी मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया जिसपर मुझे अरसों पुराना सुख मिल रहा था और मैं अपने हाथ से उसके बालों को खोल सहला रहा था | मैं भी भी अब उसके कपड़ों को खोल कतई नंगी कर उसे चूमना फिर उसके होंठों को दबोचते हुए चूचकों को मसलकर गरम करना शुरू कर दिया | अब मैंने नीचे को झुका और उसकी चूत को सूंघते उसमें हलके – हलके से अपनी ऊँगली से मसलने लगा जिसपर वो अपने दाँतों को आपस में घिसने लगी | मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए अपने गीले लंड को निकाला और उसकी चूत के उप्पर टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरे लंड एक बार में ही उसकी चूत में आगे – पीछे होने लगा |

हम दोनों एक बार में इसी तरह अनंत मज़े का एहसास करने लगे थे | कुछ पल में मैंने अपने लंड को रौधाते हुए उसे जमकर चोदना शुर कर दिया जिसपर वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी और साथ ही वीरानी की चूत का पानी भी निकला | अब मेरा लंड तो ओर ही आराम से उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर – बहार हो रहा था जिससे मैं उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने लंड के धक्के उसकी मस्तानी चूत में दिए जा रहा था | चुदाई के इस सिलसिले को मैंने उसी मुद्रा में शाम तक चलाया जिससे आखिरकार उसकी चूत के उप्पर ही गाढ़ा पीला वीर्य निकल पड़ा और वीरानी ने थक – हार कर मुझे बहुत “कमीना” बन्दा कहते हुए आखिरी चैन भरी साँस ली |




raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 15:57



दोस्त सब कुछ शेयर करते हैं

मैं बी एस सी के दूसरे साल में था. मेरे मौसी के लड़के की नई नई शादी हुई थी. वो मेरे से पांच साल बड़ा था. बैंक में नौकरी करता था. मैं अक्सर ही कॉलेज से आते वक्त मौसी से रोज मिलने जाता था. ये सिलसिला स्कुल के दिनों से चलता आ रहा था. भैया की शादी के बाद भी मैंने यह सिलसिला शुरू रखा. सुमित्रा भाभी मुझसे जल्दी ही घुलमिल गई. आखिर मेरी हमउम्र थी. सुमित्रा दिखने में बहुत ही खुबसूरत थी और उसका कद भी काफी छोटा था. ऐसा लगता था जैसे कोई दसवीं क्लास की लड़की खड़ी हो. एकदम गोरा रंग और तीखे नाक-नख्श. हम दोनों मौसी के साथ खूब बातें करते और मजाकें भी.
भैया और भाभी हनीमून मनाकर लौट आये थे. मैं भाभी को अक्सर हनीमून को लेकर छेड़ने लगा. लेकिन भाभी मुस्कुराकर रह जाती. कुछ महीने बीत गए. मुझे अचानक ही यह लगने लगा कि इन दिनों भाभी मुझसे कुछ ज्यादा ही मुस्कुराकर मिलती है और मेरे करीब बैठने की कोशिश करती है. कॉलेज में होने के कारण यूँ तो ज्यादातर लड़के सब कुछ जान जाते हैं लेकिन मेरा स्वभाव ऐसा नहीं था और मैं केवल मजाक तक ही सिमित था.
एक दिन मैं मौसी के घर बड़े सवेरे मेरे जन्मदिन का न्यौता देने के लिए गया. मौसी घर पर नहीं थी. भैय्या और मौसाजी अपने अपने काम के लिए निकल चुके थे. जब मैं भाभी के कमरे में पहुंचा तो भाभी नहाकर बाथरूम से निकल रही थी. मुझे यह पता नहीं था और ना ही भाभी को. भाभी ने उस वक्त अपने बदन पर केवल एक तौलिया लपेट रखा था. मेरी और भाभी की नजरें आपस में मिल गई और मैं "सॉरी" बोलकर तुरंत बाहर निकलकर आ गया. भाभी ने कुछ ही देर के बाद मुझे अन्दर बुला लिया. भाभी के बाल खुले हुए थे और जल्दी जल्दी में उन्होंने जो साड़ी पहनी थी उसका पल्लू नीचे ही था. उनका नीला ब्लाउज साफ़ नजर आ रहा था और साथ ही ब्लाउज के अन्दर आ खजाना भी. मैंने पहली बार किसी औरत को इस तरह से इतने नजदीक से देखा था. मैं उन्हें देखने लगा. भाभी भी मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगी. हम दोनों की नजरें मिली. मैं शरमाया और अपनी नजरें झुका ली . लेकिन भाभी मुझे उसी तरह से मुस्कुराते हुए देखती रही.
मैंने जब उन्हें अपने जन्मदिन की दावत के लिए शाम को घर आने की बात कही तो अचानक भाभी ने कहा " आप का जन्मदिन है!!! मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ़ दी डे. मुझे पता ही नहीं था." भाभी आगे बढ़ी और मेरे गालों पर अपने होंठों से एक बहुत ही हल्का सा चुम्बन दिया. मैं भीतर तक सिहर गया. किसी महिला का ये मेरे जिस्म पर पहला स्पर्श था. मेरे डरे हुए चेहरे को देखकर भाभी ने कहा " ये क्या! आप इतना डर गए! " मैं सर झुकाए खड़ा रहा. अब भाभी मेरे और भी करीब आ गई. उनके बदन से चन्दन के साबुन की महक आ रही थी. भाभी ने एक बार फिर मेरे गालों को चूमा और बोली " जन्मदिन बहुत मुबारक. मैंने आपको विश किया. मुझे थैंक्स तो दो." मैं बहुत धीरे से बोला " थैंक्स भाभी" भाभी ने कहा " ये क्या भाभी भाभी लगा रखा है. हम दोनों एक ही उमर के हैं और दोस्त हैं. तुम मुझे सुमी कहोगे. मुझसे बिलकुल भी नहीं शरमाओगे. दोस्तों में शर्म कुछ नहीं होनी चाहिये. दोस्त लोग तो आपस में सब कुछ बांटते हैं. मुझे तुम्हारा शर्माना दूर करना पडेगा. ऐसे थोड़े हो कोई काम चलता है." अब भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया. फिर डरे हाथ से मेरे हाथ को जोर से दबा दिया और मुझे हंसकर देखने लगी.
मुझे लगा कि इससे पहले कोई अनहोनी हो जाए यहाँ से खिसक लेना ही बेहतर होगा क्यूंकि भाभी की नजरें कुछ और ही कह रही थी. मैं जैसे ही जाने के लिए पलता भाभी ने मुझे पीठ पीछे से बाहों में भर लिया. उनके सीने का दबाव मुझे महसूस होने लगा. हभी लगातार मुझे दबाये जा रही थी. मुझे भी ना जाने क्यूँ यह अब कुछ कुछ अच्छा लगने लगा. सुमी अब घूमकर मेरे सामने आ गई. वो अभी भी मुस्कुरा रही थी..अभी भी उनका पल्लू नीचे था. अब सुमी ने मुझे फिर अपनी बाहों में भर लिया. उसका गोरा मुख मेरे सामने था. एकदम से किसी कच्ची कली से कम नजर नहीं आ रही थी सुमी भाभी. एक बार फिर सुमी ने मुझे गालों पर चूमा. इसके बाद उसने मेरे गरदन के नीचे के हिस्से को चूमा. फिर उन्होंने मेरे सीने पर चूमा और बनावटी गुस्से से बोली " ये क्या बात है यार! जन्मदिन है इसका मतलब ये तो नहीं कि तुम चुपचाप खड़े रहो. मुझे रिटर्न गिफ्ट कौन देगा हाँ.? चलो मेरी गिफ्ट वापस करो." मेरे सामने अब कोई चारा नहीं था. मैंने सुमी के दोनों गालों पर बारी बारी से चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे ढेर सारी शक्कर मेरे मुंह में घुल गई हो. अब सुमी और मैंने एक दूसरे को धीरे धीरे गालों पर ; गरदन पर ; सीने के उपरी हिस्सों पर चूमना शुरू किया. सुमी ने अपने हाथों से अब मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. मैंने इसका विरोध किया. सुमी ने कहा " मैंने कहा ना दोस्त सब कुछ बांटते हैं." अब मैं मूर्ति जैसे खडा था. सुमी ने मेरा शर्ट और बनियान खोल दिए. फिर उसने मुझे कहा " अब मेरे कपडे क्या मैं खुद उतारूंगी! " मैं आश्चर्य में पड़ गया. ये कौनसी दोस्ती हुई. ये कैसा बांटना हुआ. लेकिन क्या करता अब मेरा मन भी डोल उठा था.
मैंने सुमी के ब्लाउज को खोला. फिर सुमी ने मेरे हाथ को अपनी पीठ के पीछे लेजाकर अपनी ब्रा का हुक पकडवा दिया. मैंने वो हुक भी खोल दिए. सुमी ने जैसे ही ब्रा को हटाकर दूर फेंका मैं सुमी की नंगी छाती को देखने लगा. एकदम चिकनी चमड़ी और मध्यम उंचाई में उभरे हुए स्तन. सुमी ने अब मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरी धड़कने अब काबू के बाहर हो रही थी. सुमी ने अपने हाथ नीचे किये और मेरी जींस के बटन खोले और उसे नीचे खींच दिया.मेरे हाथ खुद-बा-खुद सुमी की कमर के नीचे चले गए. उसके पेटीकोट का नाडा खुल गया. अब हम दोनों केवल अपने अंतर वस्त्रों में रह गए थे. सुमी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों पलंग पर आ आगये. सुमी ने पलंग के पास के स्टूल पर रखी प्लेट में से अंगूर का गुच्छा उठाया. सुमी ने वो गुछ्छा हम दोनों के मुंह के बीच ले लिया. हम दोनों ने एक एक दाना मुंह में रखा. सुमी ने गुच्छा हटा दिया और अपना मुंह मेरे सामने कर दिया. सुमी ने अंगूर के दाने को अपने होंठों के बीच दबा लिया और मेरे होंठों की तरफ बढ़ा दिया मैंने भी ऐसा ही किया. अब हमने अपने अंगूर के दाने को आपस में मुंह ही मुंह में बदल लिया. दोनों ने अंगूर को चबाया और फिर अपने अपने होंठ आमने सामने किये और एक दूजे के होंठ चूम लिए. अंगूर का रस हमारे मुंह की लार ,में घुलकर हमारे मुंह में गया और हम दोनों को नशा सा आ गया.
अब हम दोनों पलंग पर लेट गए और एक दूजे से लिपट कर चिपट गए. अब हम दोनों आपस में लगातार जल्दी जल्दी यहाँ वहाँ चूमने लगे. सुमी ने अब जल्दी जल्दी अपनी पैंटी और मेरी अंडर वेअर खोल दी. मैंने उसे बहुत मना किया लेकिन सुमी नहीं मानी. सुमी ने मेरे बड़े और कड़क होकर लम्बे हो गए मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और उसे सीधे अपने जननांग में जोर लगाकर घुसा दिया. मेरे लिंग पर कंडोम भी नहीं था. करीब पांच मिनट के अन्दर ही मुझे सुमी के जननांग के भीतर गीलापन लगने लगा. सुमी ने तुरंत मेरे लिंग को खींच कर बाहर कर दिया..उसने मेरे लिंग को अपने दोनों हाथों से धीरे से दबा दबाकर सहलाना शुरू किया. दो मिनट के अन्दर ही मेरे लिंग ने एक सफ़ेद रंग का गाढा रस छोड़ना शुरू कर दिया. सुमी ने उस रस को अपने गुप्तांग पर लगाया और मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. अब मैंने अपने हाथ से उस रस को उसके गुप्तांग पर फैला कर धीरे धीरे मसाज करना शुरू किया. दो-तीन मिनट के बाद सुमी के जननांग के अन्दर से भी वैसा ही सफ़ेद गाढा रस बहने लगा. मैंने उस रस को अपने हाथ में लिया और अपने लिंग पर लगा दिया. अब हम दोनों उस रस से गीले हो चुके गुप्तांग और जननांग की लगातार मसाज एक दूसरे के हाथों से करने लगे. सुमी ने मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़कर चूसना शुरू कर दिया था.
अब हम दोनों एक बार फिर आपस में लिपट गए . मैंने इस बार अपना लिंग सुमी की टांगों के बीच में फंसा दिया. सुमी अपनी जाँघों के दबाव से मेरे लिंग का मसाज करने लगी. सुमी के गुप्तांग और जननांग के बीच का हिस्सा हम दोनों के गाढे रस से पूरी तरह से गीला हो चुका था. मैं जैसे जैसे अपने लिंग को सुमी के गुप्तांग और जननांग से टच कराकर जोर से दबाता सुमी मेरे होंठों को जोर से चूस लेती. हम दोनों इसी तरह से करीब आधे घंटे तक लेते रहे. आखिर में सुमी ने मुझे फ्रेंच किस सिखाया. वो अपनी जीभ मेरे मुंह के अन्दर ले गई और मेरे मुंह की लार को अपनी जीभ से पी गई. मैंने भी ऐसे ही किया. पूरे दस मिनट तक हम दोनों ने फ्रेंच किस किया. इसके बाद सुमी ने कहा " तुम्हारी मौसी के आने का समय हो गया है." सुमी और मैं बाथरूम में आये. पानी से पूरी सफाई की और एक दूसरे को एक लंबा फ्रेंच किस दिया और मैं कपडे पहन कर रवाना होने लगा. सुमी ने कहा " दोस्ती की शुरुवात है. इसलिए हमने ये शेयर किया है. तुम इसका मतलब ये मत निकालना कि तुम्हें ऐसा मौका बार बार मिलता रहेगा." मैंने सुमी के होंठों को एक बार फिर जोर से चूमा और बोला " जब तक दोस्ती रहेगी तब तक हम दोनों सब कुछ शेयर करते रहेंगे..मैं ये भी जनता हूँ कि तुम मना भी नहीं कर पाओगी." सुमी मुस्कुराई . मेरे होंठों को एक बार फिर जोर से खींचा और बोली " अगर ऐसी बात है तो हम लगातार शेयर करते रहेंगे." मैंने फिर एक बार सुमी के होंठों को जोर से चूमा और बाहर निकलकर घर लौट आया.
उस दिन के बाद मैं सुमी से एक बार और अकेले में मिला. सुमी ने उस दिन कंडोम के साथ सेक्स किया. अब जब भी मौक़ा मिलता है हम दोनों घंटों सेक्स करते हैं. आखिर दोस्त सब शेयर करते है ना.





raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 15:58


भाभीयों ने मुझे बर्बाद और फिर आबाद भी किया


मैं अपने तायाजी के यहाँ मुंबई में पढने के लिए आया था आज से दो साल पहले. मेरे तायाजी के दो लड़के हैं. दोनों शादी शुदा. बड़े भैया की बीवी है रजनी और छोटे भैया की रीता. मैं रीता की उमर काहूँ. रजनी मुझसे कल दो साल बड़ी है. मेरे तायाजी का ट्रेडिंग का बहुत बड़ा व्यवसाय है. दोनों भैय्या तायाजी के साथ ही काम करते हैं.ताईजी का देहांत हो चुका है. तीनों जाने केवल रुपया कमाने में लगे रहते हैं. बड़े भैया की तीन साल पहले और छोटे भैया की दो साल पहले शादी हो चुकी है लेकिअभी तक दोनों के कोई बच्चा नहीं है. मैं बहुत खुबसूरत हूँ. बहत जल्द रजनी भाभी और रीता भाभी दोनों मेरे से बहुत हिलमिल गई.
वे दोनों मुझे बहत मज़ाक करती. धीरे धीरे मैंने नोट करना शुरू किया कि वे दोनों मुझे कई बार छूने की कोशिश भी करती. कभी मुझे गुदगुदी कर देती. माभी मेरे गालों पर चिकोटी काट लेती. मैंने ध्यान नहीं दिया. मैंने यह भी नोट किया कि दोनों के पति अपनी से बिलकुल भी दोस्ताना नहीं थे. रजनी और रीता दोनों अपने पतियों के जाने के बाद खिल जाती और मेरे साथ खूब बातें करती. मेरी कॉलेज सवेरे सात बजे से बारह बजे तक थी. मैं दस मिनट में घर आ जाता. उसी वक्त तायाजी और दोनों भैया काम पर निकल जाते. रात को करीब दस बजे तक लौटते.
एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. तभी मैं पानी पीने के लिए किचन में गया. जब मैं पानी पीकर वापस अपने कमरे में लौटने लगा तो मैंने देखा कि रजनी अपने कमरे में कांच के सामने केवल ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. वो अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलती और फिर एक आह निकालती. मैं वहीँ खडा होकर देखने लगा. मैं तुरंत समझ गया कि यह सब सेक्स की कमी के कारण है. तभी रजनी की नजर मुझ पर पड़ गई. उसने तुरंत एक तकिया अपने सीने पर रखा और मुझे अन्दर आने का इशारा किया. मैं अन्दर आ गया. रजनी मेरे सामने उसी तह बैठ गई. उसने तकिये से सीना छुपा रखा था. वो बोली " वे मेरी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते. महीने में एकाध बार ही मेरे साथ सोते हैं. मैं इसी तरह से तड़पती रहती हूँ. अब तुम ही बताओ एक औरत इस तरह से कैसे रह सकती है. रीता की भी यही हालत है." मैं सोच में पड़ गया. मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और अपने कमरे में आ गया.
मुझे रजनी का इस तरह से देखना अच्छा लगा था. अब मैं उसे इस तरह से देखने की कोशिश करता. वो अक्सर इस तरह से मुझे खड़ी मिल जाती. कभी कभी रजनी की मुझसे नजर मिल जाती तो वो बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. एक दिन रजनी मेरे कमरे में आ गई. मैं बैठा हुआ पढ़ रहा था. उस वक्त घर में कोई नहीं था. रीता भी कहीं बाहर गई हुई थी. रजनी मेरे पास बैठ गई. हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे. ताहि रजनी बोली " अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं कुछ कहना चाहती हूँ." मैं कुछ नहीं बोला. रजनी ने कहा " तुम मेरा साथ दो. मैं अब इस तरह से नहीं रह सकती.मैं पागल हो जाउंगी. मेरा सीना धडकता है. दिल घबराता रहता है. मैं सारी सारी रात तड़पती हूँ." मैं रजनी की तरफ देखने लगा. ये क्या कह रही है रजनी भाभी! ऐसा कभी होता है क्या? अचानक रजनी का जिस्म थर थर कांपने लगा. उसने मुझे पकड़ लिया. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने भी उसे अपनी बाँहों में लिया. अब रजनी ने मेरे गालों पर अपने हाथ फिराए और आँखों में आंसू लाते हुए बोली " मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी" रजनी ने मेरे गाल चूम लिए. मैंने भी उसके गालों को चूम लिया. बस इसी चुम्बन ने मेरी जिंदगी बदल डाली. रजनी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. उसने अपने सारे कपडे उतार डाले. फिर मेरे पास आकर मेरी भी सभी कपडे खोल दिए. मुझे अपनी बाहों में लिया और पलंग की तरफ बढ़ने लगी. उसकी गर्म गर्म साँसें मुझे मदहोश करने लगी थी.दो मिनट बाद हम दोनों पलंग पर लेते हुए थे. रजनी मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. धीरे धीरे हम दोनों पर नशा इतना छा गया कि रजनी ने मुझे वश में कर लिया. रजनी ने मेरे गुप्तांग को इतना सहलाया कि वो एकदम कड़क हो गया. अब उसने अपनी टांगें फैलाकर मुझे अपना जननांग दिखलाया. मैंने उसके जननांग को हाथों से सहलाया और फिर चूमा. रजनी मीठी मीठी आहें भरने लगी. अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने रजनी के जननांग को अपने गुप्तांग से पाट दिया. अब उसके जननांग में मेरा गुप्तांग ऐसे घुसा हुआ था जैसे बोल्ट में कोई नट घुसा दिया गया हो. रजनी ने मुझसे कहा " जल्दी कोई आनेवाला नहीं है. तुम लगे रहो." रजनी ने पहले ही दिन पूरे एक घन्टे अपने जननांग की प्यास बुझाई. उसने मुझे इसके बाद मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमा. वो बहुत ही खुश नजर आ रही थी. उसने आखिर में अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए.
मुझे पता नहीं था कि रजनी रीता को सब कुछ बता देगी. रात को जब मैं सो गया तो ना जाने कब रीता मेरे कमरे में आ गई. वो मेरे पास लेट गई और मुझे चूमने लगी. मेरी आँख खुल गई. मैं रीता को देख हिरन हो गया.रीता ने कहा कि रजनी ने उसे सब कुछ बता दिया है. अब मैं पूरी तरह से मुसीबत में फंस चुका था. रीता थोड़ी देर ही मेरे साथ रही लेकिन उसने मुझे गालोपर चूम चूमकर मेरा सारा मुंह गीला कर दिया था. उसने मुझसे कहा " आधी रात बाद मैं लौट कर आउंगी. तुम तैयार रहना. आज से तुम मेरे और रजनी दीदी के हो."
करीब दो बजे रजनी फिर आई. इस बार वो एक नाईटी में थी. उसने आते ही कमरे की लाईट लगा दी. मैंने देखा उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी हुई थी. उसका हर अंग उससे बाहर झाँक रहा था. उसका सांवला रंग गज़ब ढा रहा था. उसने एक कंडोम मेरी तरफ उछाला और एक ही झटके में नाईटी को खोल कर फेंक दिया. उसने लाईट बंद नहीं की और पलंग पर कूद गई. मैंने रीता को अपि बाहों में कसकर भींच लिया. कुछ देर तक हम एकदूसरे के जिस्म से खेलते रहे. फिर रीता ने मुझे लिटाकर कंडोम खोला और मेरे कड़क हो चुके गुप्तांग पर लगा दिया. रीता ने अब अपने जननांग को मेरे मुंह के करीब ले आई. उसका चिकना जननांग बहुत खुबसूरत लग रहा था. मैंने उसे जोर से चूम लिया.रीता तड़पकर एक सिसकी के साथ दबी आवाज में चीख उठी. मैंने रीता को नीचे लिटाया और उस खुबसूरत गुफा में अपने गुप्तांग को अन्दर तक घूमने के लिए घुसेड दिया. रीता को अब आनंद आए लगा था. मुझे भी रीता का जननांग बहुत गीला और गुदगुदा लग रहा था. मैंने रीता ओ भी रजनी की तरह एक घंटे तक प्यास बुझाने के बाद ही छोड़ा.
सवेरे मैं कॉलेज चला गया. लेकिन कॉलेज में भी रजनी और रीता के साथ किये गए संभोग याद आते रहे. दोपहर को मैं लौट कर घर आ गया. आते ही रजनी ने मुझे पकड़ लिया. रीता भी घर पर थी. रजनी मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई. एक बार फिर मैं रजनी के साथ बिस्तर में था. मैंने रजनी की प्यास को आज लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक बुझाया. इसके बाद रीता मेरे कमरे में आ गई. रीता ने भी रजनी की तरह अपनी प्यास दो घंटों से कुछ ज्यादा ही देर तक बुझ्वाई.
अब यह सिलसिला लगातार होने लगा. मेरी पढ़ाई अब पूरी तरह से छूटने लगी थी. जब भी समय मिलता मैं इन दोनों में से किसी के भी साथ संभोग करने लग जाता. मैं पूरी तरह से भटक चुका था. रजनी और रीता जहाँ खुश थी वहीँ मेरी बिगडती पढ़ाई के कारण मैं परेशान और तनाव में रहने लगा था.
रजनी और रीता को मैंने सारी बात बताई. वे दोनों भी इस बात से चिंतित हो गई. उनकी चिंता अलग थी. उन्होंने ओछा कि अगर मैं फेल हो गया तो मुझे वापस घर लौट जाना पडेगा. फिर उन दोनों का क्या होगा. उन द्नोंने आपस में ना जाने क्या सोचा.
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने देखा कि रजनी और रीता दोनों मेरे कमरे में थी. उन दोनों ने मुझे अपने बीच में बिठाया और दोनों ही मेरे गालों और गरदन के आसपास चूमने लगी. अब एक और नयी मुसीबत पैदा हो रही थी. रजनी और रीता ने मेरे सभी कपडे उतार दिए.इसके बाद वे दोनों मेरे सामने खड़ी हो गई. उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतारकर इधर उधर फेंकना शुरू किया. जब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई तो उन दोनों ने अब एक दूसरे को बाहों में भरा और मुझे ललचाने के लिए अपने स्तनों को आपस में रगड़कर उन्हें दबाने लगी. कब्जी वे दुए को चूमती तो कभी आपस में एक मर्द और एक औरत की तरह से अलग अलग सेक्स पोझिशन बनाकर मुझे दिखाती. मेरे ऊपर ऐसा नशा छाया जैसे मैंने बेहिसाब शराब पी ली हो.
अब रजनी और रीता दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. दोनों ने मेरे लिंग को अपने होंठों से चूमना शुरू किया. जब वो एकदम कड़क और बड़ा हो गया तो उन्होंने उस पर कंडोम लगा दिया. अब वे दोनों पलंग पर साथ साथ सीधी लेट गई और अपनी अपनी टांगें फैला दी. मैंने उन दोनों के जननांगों को देखा. मेरे मुंह में पानी भर आया. मैं झुक गया. मैंने दोनों के जननांगों को चूमना शुरू किया. फिर मैंने उनके गुप्तांगों को भी चूमा. इसके बाद मैंने उनके गुप्तांगों जननांगों का एक पूरी बोतल क्रीम लगाकर मसाज किया. अब दोनों के वो हिस्से बहुत ही मुलायम और गीले गीले हो चुके थे. सारा कीम उन्क्गुप्तान्गों ; जननांगों और आस पास के हिस्से पर फ़ैल गया था. मैं एक बार फिर उस क्रीम से अपने हाटों से मालिश करने लगा. रीता ने मुझे एक और बड़ी बोतल थमा दी. मैंने वो सारी बोतल रजनी और रीता के स्तनों पर उंडेल दी. मैंने उस सारे क्रीम से उनके स्तनों की खूब मालिश की. अब उन दोनों के पूरे जिस्म पर क्रीम फ़ैल गया था. मैंने उन दोनों को एक बार फिर आपस में अपने स्तनों को मिलाकर आपस में ही मसाज करने को कहा. उनकी चतीयाँ जब आपस में मिली तो क्रीम दूं के स्तनों के बीच में से बूंद बूंद रिसने ;लगा. मैंने वो क्रीम हाथ में लिया ऊँके गालों पर लगा दिया. अब तो रजनी और रीता दोनों मारे उत्तेजना के पागल हो उठी थी. मैंने भी अपनी उत्तेजना चरम पर पहुंची देखा उन दोनों को साथ साथ सीधा लिटाया. दोनों ने अपनी अपनी टांगें फिर फैला दी. मैंने एक एक को लिया और उनके जननांगों को अपने कड़क और लम्बे हो गए लिंग से बारे बारी से भेदने लगा. क्रीम के कारण चिकनाई हो गई थी और हमें बहुत मजा आ रहा था. दोपहर को एक बजे से हम तीनों शुरू हुए थे और अब शाम के सात बजे थे. तब से लगातार मैं कभी रजनी तो कभी रीता के जननांग को लिंग से भेदे जा रहा था. साढे सात के करीब दोनों पूरी तरह से चित्त हो गई. मैंने घडी देखी. आठ बज चुके थे. अभी भी करीब दो घन्टे बाकी थे सभी के लौट कर आने में.
मैंने उन दोनों के होंठों को खूब चूमा और फिर जोर जोर से चूसा. उन दोनों के ढीले पड़ गए जिस्मों में इससे एक बार फिर हलचल होने लगी. मैंने उन दोनों को एक बार फिर अपने पास ले लिया. इस बार मैंने बाथरूम से शम्पू लिया और एक स्पोंज पर लगाकर उनके जिस्म पर पानी कि थोड़ी बूंदों के साथ रगडा. थोड़ी ही देर में उन दोनों के जिस्म पर ढेर सारा झाग बन गया. हम तीनों जमीन पर चटाई पर लेट गए. अब हम तीनों उस झाग से एक दूसरे के बदन पर मलने और खेलने लगे. झाग से खेलते खेलत एक बार फिर मैंने रजनी और रीता के साथ संभोग किया. हमने घडी देखी साढे नौ बज चुके थे. हम तीनों बड़ी मुश्किल से अलग अलग हुए. सारी रात मैं भी अपने कमरे में तडपता रहा और दूसरी तरफ रजनी और रीता दोनों भी तड़पती रही. मैं अब दलदल में फंस गया था. मुझे अपनी बर्बादी साफ साफ़ नजर आने लगी थी.
मैंने अब रजनी और रीता को अपनी परेशानी खुलकर बता दी. रजनी और रीता ने अपना दिमाग दौड़ाया. रजनी के पिता का भी अपना कारोबार था. रजनी अपने पिता की अकेली संतान थी. रजनी के पति को अपने ससुर के कारोबार में कोई रूचि नहीं थी. रजनी और रीता ने अपने जिस्म का स्वार्थ देखा और दोनोंने रजनी के पिता से मुझे मिलवाया. उन्होंने मुझे अपने साथ तुरंत शामिल कर लिया अब मेरे और रजनी-रीता के लिए रास्ता सा हो चुका था. मेरे घरवाले भी खुश हो गए. उन्होंने भी मुझे पढ़ाई छोड़ कर इसी कारोबार में शामिल होने की मंज़ूर दे दी.
आज उस बात को पूरा एक साल बीत चुका है. पिछले एक साल से रजनी और रीता मुझसे सेक्स सम्बन्ध रखे हुए हैं. मैं कई बार उन्हें अब होटल में भी ले जाता हूँ. वहां भी हमारे बीच संभोग होता रहता है. सबसे आखिर में एक बात बता रहा हूँ. रजनी चार माह से और रीता तीन माह से गर्भवती है. दोनों के पति और तायाजी बहुत खुश है. लेकिन राज की बात यह है कि दोनों के होनेवाले बच्चे मेरी ही देन है.








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