नशे की सज़ा compleet

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007
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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:53



बॉब्बी ने भी घबराहट मे पहले तो अपने कपड़े संभाले,फिर रंजन से बोला-“ डीआरआइ की रेड किस चक्कर मे पड़ रही है ? “

इस अफ़रा तफ़री का फ़ायदा उठाकर मैने और सलोनी भी अपने अपने कपड़े उठाकर उन्हे पहनने लगी.नेहा ने भी अपने आपको संभाला और घबराकर रंजन से बोली-“ यार.यह डीआरआइ की रेड का क्या चक्कर है ?”

रंजन के चेहरे पर घबराहट बढ़ती जा रही थी-“ यह वक़्त बातों मे पड़कर समय बर्बाद करने का नही है-हमारे चॅनेल के उपर कुछ फॉरिन एक्सचेंज वाइयोलेशन के सीरीयस चार्जस की डीटेल डीआरई वालों के हाथ लग गयी है-मैने सारा इंटेज़ाम कर रखा है-फटाफट यहाँ से सिंगापोर निकल लेते हैं-आज किसी भी समय यह रेड हो सकती है…….”

यह सब बातचीत अभी चल ही रही थी कि उसी वक़्त 6 लोगों की टीम वहाँ पर यकायक पहुँच गयी और उन लोगों मे उनका टीम लीडर टाइप आदमी कड़क आवाज़ मे बोला-“कोई होशियारी दिखाने की जुर्रत ना करे……..तुम सब लोग डीआरआइ की टीम की कस्टडी मे हो और जब तक हम लोगों की तसल्ली नही हो जाती, कोई भी यहाँ से हिलेगा भी नही.” मैने देखा की उन 6 लोगों की टीम मे 2 पोलीस ऑफीसर भी थे और उनमे एसीपी अमित भी था- अमित एसीपीराज शर्मा का दोस्त था अमित को देखकर मेरी जान मे जान वापस आई. मैने और सलोनी ने एक दूसरे की तरफ देखा और हमारे चेहरे खुशी से खिल उठे. नेहा ,बॉब्बी और रंजन के चेहरे पर घबराहट सॉफ दिख रही थी-सलीम और परवेज़ सारा मज़रा समझकर, टीम के वहाँ पहुँचने से पहले ही काट लिए थे.

एसीपी अमित ने मेरी और सलोनी की तरफ देखते हुए अपनी टीम के बाकी लोगों से कहा-“यह दोनो लड़कियाँ हमारे साथ हैं-बाकी के तीन लोगों से पूछताछ की जाएगी.”

नेहा कुछ बोलना चाहती थी,लेकिन इससे पहले की वो कुछ बोल पाए,अमित के साथ आए दूसरे पोलीस ऑफीसर इनस्पेक्टर विवेक ने उसके दोनो हाथ पीछे की तरफ बँधकर हथकड़ी लगा दी और बोला-“जब तक बोलने के लिए नही कहा जाए कोई नही बोलेगा.”

अमित मुझे बता चुक्का था कि पोलीस वाले इस तरह की बातें सिर्फ़ अपना रौब जमाने और ख़ौफ़ पैदा करने के लिए करते हैं-इनका कोई और मतलब नही होता.
क्रमशः.......

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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:53

raj sharma stories

नशे की सज़ा पार्ट--13

गतान्क से आगे......

नेहा को हथकड़ी लगते देख रंजन बोल उठा-“इनस्पेक्टर साहिब,हम लोग को-ऑपरेट करने को तैइय्यार हैं,फिर हथकड़ी वग़ैरा की क्या ज़रूरत है.”

यह सुनते ही इनस्पेक्टर विवेक ने एक थप्पड़ कस्के रंजन के मूह पे लगाया और बोला-“अब तू हमे बताएगा कि हम अपना काम कैसे करें ?” कहने के साथ ही उसने रंजन और बॉब्बी दोनो के हथकड़ी लगा दी.
ड्री टीम के चार लोगों मे टीम लीडर लखटकिया के अलावा उनके डिपार्टमेंट के तीन और जूनियर ऑफीसर रोहित,नवीन और विशाल थे.


जब नेहा,बॉब्बी और रंजन तीनो को हथकड़ी लग गयी,तो अमित ने ड्री टीम के बाकी के चार लोगों की तरफ देखा और बोला-“लीजिए लखटकिया साहिब,आपके तीनो मुजरिम आपके हवाले कर दिए गये हैं-आप इनकी खूब इनटेरगेशन कीजिए.” यह कहने के बाद, अमित मुझे और सलोनी को लेकर दूसरे कमरे मे आ गया.

मैने और सलोनी ने अमित को अपनी आपबीती बताई और यह भी बताया-“ सर, इन लोगों के पास वो सारी ड्व्ड्स भी हैं जिन मे आप और कमिशनर साहब भी हैं.”

अमित ने यह सुनकर कहा-“अब तक ड्री की टीम ने इनका सारा समान अपनी कस्टडी मे ले लिया होगा.” इसके बाद अमित ने फोन करके इनस्पेक्टर विवेक से कह भी दिया-“इन लोगों के पास कुछ ड्व्ड्स भी हैं जिन में कुछ सेन्सिटिव डीटेल्स हैं-उन्हे इनके लोगों से लेकर तुरंत मेरे पास भेजो.”

कुछ ही देर मे इनस्पेक्टर विवेक सारी ड्व्ड्स वहाँ लेकर हाजिर हो गया-“ सर यह रहीं आपकी ड्व्ड्स.लखटकिया साहिब पूछ रहे हैं कि इन लोगों का इनटेरगेशन यहा पर ही करना है या फिर इनको ड्री हेडक्वॉर्टर ले चलें ?”

“मैं अभी लखटकिया साहिब से बात कर लेता हूँ-तुम तब तक ऐसा करो कि निशा और सलोनी को पोलीस गेस्ट हाउस मे पोलीस की जीप से ड्रॉप करवा दो. वहाँ यह कुछ देर आराम कर लेंगी.”

इनस्पेक्टर विवेक ने पहले तो कहा-“ यस सर…….”, फिर कुछ रुककर बोला-“ सर मैं इन दोनो को खुद ही ड्रॉप कर देता हूँ और अगर आप पर्मिशन दें तो उस लौंडिया को थाने ले जाकर उसका इनटेरगेशन कर लूँ ? “

अमित के चेहरे पर मुस्कान आ गयी-“हां, उस लौंडिया नेहा का वैसे भी इस ड्री के केस से सीधे तौर पर कोई लेना देना नही है-लेकिन उसे थाने मत ले जाओ-उसका जो भी करना है पोलीस गेस्ट हाउस मे ही करो.निशा और सलोनी भी तुम्हारी मदद कर सकती हैं इनटेरगेशन करने मे-तुम्हारा काम कुछ आसान हो जाएगा.”

विवेक को तो मानो मूह माँगी मुराद मिल गयी.वो “ठीक है सर,जैसा आपका हुक्म” कहकर, मुझे और सलोनी को लेकर फटाफट वहाँ से निकल आया और पोलीस जीप मे बैठकर,ड्राइवर से बोला-“अपने गेस्ट हाउस चलो”.

विवेक की जल्दबाज़ी देखकर मुझे हँसी आ गयी-“ सर आप जल्दबाज़ी मे कुछ भूल रहे हैं …”

“वो क्या…?” विवेक के मूह से निकला

“आपकी मुजरिम नेहा…..उसे तो आपने यहीं छोड़ दिया…इनटेरगेशन किसका करेंगे?”

“ओह सॉरी आंड थॅंक्स !” कहता हुआ विवेक अंदर की तरफ तेज कदमो से गया और अगले ही पल वो नेहा को लेकर वापस आ गया. नेहा के हाथ अभी भी पीछे की तरफ बँधे हुए थे और हथकड़ी लगी हुई थी.

हम सब जीप मे पीछे की सीट्स पर बैठ गये.जीप मे कपड़े के पर्दे का पेर्षन होने की वजह से पीछे क्या कुछ हो राहा है, इसका ड्राइवर को कुछ भी अंदाज़ा नही हो सकता था.

जब हम सब बैठ गये तो विवेक ने जीप का पिछला दरवाज़ा भी बंद कर दिया और जीप चल पड़ी.

मैं और सलोनी जीप मे एक तरफ की सीट पर बैठे हुए थे.दूसरी तरफ की सीट पर विवेक बैठा हुआ था और उसने नेहा को भी अपने साथ ही बिठाया हुआ था.

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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 06 Nov 2014 09:54


मेरे और सलोनी के मन मे उत्सुकता हो रही थी कि अब विवेक नेहा के साथ क्या करने वाला है और वो शुरुआत यहीं से करेगा या फिर गेस्ट हाउस पहुँचने के बाद करेगा-नेहा के मन मे भी यह सब ख़याल उमड़ रहे होंगे. इसी बीच ड्राइवर ने बहुत ज़ोर से ब्रेक लगाया जिसकी वजह से और उसके हाथ बँधे होने की वजह से नेहा एकदम अपनी सीट से नीचे की तरफ खिसक गयी-विवेक ने इसी बहाने से अपनी झिझक छोड़ दी और नेहा को उठाकर सीट पर बिठाने के वजाय उसे अपनी गोद मे बिठा लिया-क्यूंकी नेहा के हाथ पीछे की तरफ बँधे हुए थे, इसलिए विवेक ने नेहा का चेहरा अपनी तरफ करके उसे अपनी गोद मे बिठाया. नेहा ने ब्लू कलर की जीन्स और रेड कलर का टॉप पहन रखा था-कपड़े उसने जल्दबाज़ी मे पहने थे-इसकी वजह से उसने अंदर के कपड़े पॅंटी और ब्रा दोनो ही नही पहने थे-यह बात अभी तक विवेक को नही मालूम थी.

पोलीस गेस्ट हाउस यहाँ से लगभग 30 किलोमेटेर दूर था और ट्रॅफिक की वजह से वहाँ पहुँचने मे कम से कम एक घंटे का समय ज़रूर लगना था-विवेक ने भी शायद यही सब सोचकर नेहा को अपनी गोद मे बिठाया था कि 1 घंटे का वक़्त भी बर्बाद क्यूँ किया जाए और रास्ते मे भी जीतने हो सकते हैं मज़े ले लिए जाएँ.

हम दोनो भी इस इंतेज़ार मे थे कि कब कुछ मज़ेदार हरकत विवेक और नेहा के बीच मे शुरू हो ताकि मेरा और सलोनी का समय भी उसे देखकर कट जाए-इसके लिए हमे ज़्यादा इंतेज़ार नही करना पड़ा.

हमने देखा की विवेक ने नेहा के गाल पर हल्की सी चपत लगाई और बोला-“तेरा क्या चक्कर है इस चॅनेल से ?”

नेहा को इस पहले पहले लगने वाले थप्पड़ की ज़रा भी उम्मीद नही थी.वो एकदम सकपकाकर बोली-“सर, मेरा कोई चक्कर वॅकर नही है.”

विवेक ने इस बार नेहा के दूसरे गाल पर हल्के से चपत लगाया और बोला-“ फिर तू यहाँ क्या कर रही थी ?”

“सर कुछ नही..मैं तो बस रंजन से मिलने आई थी.” नेहा ने झूठ बोल कर अपनी जान छुड़ाने की कोशिश की.

“कौन रंजन ?” विवेक ने फिर एक हल्का सा चपत नेहा के गाल पर लगाते हुए पूछा.

मुझे लग रहा था कि विवेक सिर्फ़ टाइम पास करने के लिए ही नेहा का इनटेरगेशन कर रहा था और जान बूझकर सवाल करने के बहाने नेहा के गालों पर हल्के हल्के चपत लगाकर मज़े ले रहा था.

“सर रंजन और बॉब्बी ही इस चॅनेल का सारा काम काज देखते हैं.” नेहा ने विवेक के सवाल का जबाब देने की कोशिश की.

“ कौन बॉब्बी ?” विवेक ने नेहा के दूसरे गाल पर फिर से हल्का सा चपत लगाया.

ऐसा लग रहा था कि ज़्यादा से ज़्यादा चपत लगाने के लिए विवेक छोटे छोटे सवाल कर रहा था-उसका मकसद सवाल पूछना कम,नेहा के मखमली गालो पर चपत लगाना ज़्यादा लग रहा था.

“सर, बॉब्बी मेरा दोस्त है.” नेहा का चेहरा इस अजीब तरह के ह्युमाइलियेशन से एकदम लाल हो गया था.

“बॉब्बी तेरा दोस्त है यह पहले ही बता देती तो इतने थप्पड़ तो नही खाने पड़ते-पोलीस से बात छिपाने की कोशिश करती है ?” कहकर विवेक ने फिर एक हल्का सा चपत नेहा के गाल पर लगाया.

विवेक जिस अंदाज़ से नेहा के गालों पर अपने हाथ सॉफ कर रहा था, उसे इस बात का अंदाज़ा तो सॉफ हो गया था कि गेस्ट हाउस मे पहुँचने के बाद यह सेक्सप्लाय्टेशन का खेल और भी अधिक रोचक होने वाला था.

नेहा इस बीच चुप हो गयी थी-उसे लग रहा था की बात फिलहाल ख़तम हो गयी है.लेकिन विवेक को तो शायद अपना वक़्त मज़े लेते हुए बिताना था सो उसने फिर से नेहा के गालों पर एक हल्का सा चपत रसीद किया और बोला-“चुप कैसे हो गयी ? मैने क्या पूछा था ?”

‘सर मुझे कुछ याद नही कि अपने क्या पूछा था.” नेहा को शायद समझ मे नही आया कि विवेक को क्या जबाब दे.

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