रेनू की कमसिन चूत
मेरे पड़ोस में रेनू रहती थी / वो 12 मैं पढ़ रही थी / उसकी उमर 18 साल थी, रेनू बहुत सेक्सी थी / उसके बूब्स मुझे बहुत अच्छे लगते थे / भरे भरे मुममे थे उसके, जब वो चलती थी तो उसके कमर की लचक के साथ साथ हिलते थे / वो एकदम हरी-भरी थी / मेरी उसके घरवालों के साथ और उसके साथ अच्छी अक्सर बातें होती रहती थी, क्योंकि उसकी और हमारी छत एक ही थी, बीच में सिर्फ़ 3’ की एक दीवार थी / वो पढ़ाई में कमजोर थी / उसके एग्जाम आने वाले थे, उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- रवि , रेनू के एग्जाम शुरू होने वाले हैं, वो पढ़ाई में कमजोर हैं, उसे थोड़ा समय निकाल कर पढ़ा दिया करो / मैंने हां कर दी /
मैं रोज रात को 9 बजे उसके घर उसे पढ़ाने जाता / मेरा कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, उसका भी एक कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, वो बन्द रहता था क्योंकि उसके मम्मी, पापा और उसका छोटा भाई जो 12 साल का था सब ग्राउंड फ़्लोर पर ही रहते थे / दो दिन के बाद मैंने उसकी मम्मी से कहा, “भाभी नीचे हम डिस्टर्ब होते हैं, क्या हम आपके ऊपर वाले कमरे में पढ़ाई कर सकते हैं?”
उन्होंने तुरन्त हां कर दी / मैं रोज़ रात को 9 बजे जाता और रात के 11-12 बजे तक वहाँ पर रुकता था / वो पढ़ाई में बहुत कमजोर थी / उसे अच्छे से कुछ भी याद नहीं होता था, मैंने उसकी मम्मी से कहा तो उन्होने बोला कि अगर नहीं पढ़ती है तो पिटाई कर दिया करो, तो मैंने एक दिन उसे उसकी मम्मी के सामने ही हलका सा एक थप्पड़ मारा, उस दिन मैंने उसे पहली बार छुआ था, उसका गाल एकदम गरम था, थप्पड़ खा कर वो मुस्कराने लगी /
अगले दिन उसने जींस और शर्ट जिसके बटन सामने खुलते थे पहने हुए थी, मैं उसके सामने बैठा कर उसे मैथ्स समझा रहा था, उसके शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था, उसका ध्यान पढ़ाई में था और मेरा ध्यान उसके टूटे हुए बटन के पीछे उसके बूब्स पर था, उसकी काली ब्रा और गोरे बूब्स मेरे सामने दिख रहे थे / अचानक उसका ध्यान अपने टूटे हुए बटन पर गया तो वो शरमाई और नीचे जा कर शर्ट बदल कर आई /
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बोला- आप मुझे अच्छे से पढ़ा नहीं पा रहे थे /
अगले दिन उसने टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें उसके बूब्स का उभार गजब ढा रहा था / मेरा ध्यान वहीं पर था /
उसने पूछा, “ क्या हुआ रवि? तुम्हारा ध्यान कहाँ है?”
मैंने कहा, “मेरा ध्यान तुझमें है / ”
वो शरमाई और बोली- धत /
मेरी हिम्मत बढ़ गई / मैंने हलके से उसके गाल पर चपत लगाया और प्यार से मुस्कराया / जवाब में वो भी मुस्कराई /
मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैंने उसके दोनो गालों को पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया, उसने दूर हटाते हुए कहा- रवि. मम्मी आ जायेगी /
और हम वापस पढ़ाई में लग गये /
अगले दिन उसके मम्मी, पापा और उसका भाई किसी काम से बाहर गये थे, जाते समय उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- रवि , रेनू घर पर अकेली है, तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना / मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई /
रात को 9 बजे मैं उसके घर गया / वो ग्राउन्ड फ़्लोर पर थी / आज उसने सुन्दर सी काले रंग की नाइटी पहन रखी थी / हम दो घण्टे तक पढ़ते रहे / बाद में वो अपने कमरे में जाकर सो गई, मैं बाहर हाल में सो गया / अचानक वहाँ लाइट चली गई / वो कमरे से बाहर आई और मेरे पास हाल में बेड पर बैठ गई और हम बातें करने लगे /
उसने मुझसे कहा,“रवि , आइ लव यू / ”
मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपनी बाहों में ले लिया / वो चुप रही, उसने कुछ भी नहीं बोला / मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया, वो हल्का सा विरोध करती रही, इतने में लाइट आ गई तो मैंने देख उसका चेहरा एकदम लाल हो रहा है और आँखे अपने आप बन्द हो रही हैं /
मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फिराया तो वो एक दम से मुझसे चिपक गई / मैं उसके रसीले होठों को चूमता रहा और हाथों से धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाता रहा, वो मदहोश हो गई /
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और मैंने उसकी नाइटी धीरे से उतार दी / अब वो मेरे सामने लेमन रंग की ब्रा और पैन्टी में थी, उसकी फ़िगर देख कर मैं अपने होश खो बैठा / मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया / वो भी मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी / अब मैं भी सिर्फ़ अन्डरविअर में था / मैं उसे चूमता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ घुमाता रहा /
उसके स्तन क्या पत्थर की तरह कड़क थे / मैंने अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, एक झटके से ब्रा उसके हाथ में आ गई और उसके बूब्स आज़ाद हो गये, इससे पहले भी मैंने 3-4 बार सेक्स किया था लेकिन उसका हुस्न देख कर मैं अपने होश खो गया और धीरे से मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी / बदले में उसने भी मेरी चड्डी उतार दी /
अब हम दोनों नंगे थे / हम दोनों एक दूसरे को चाटते रहे / मैंने अपना मुँह उसके निप्पल पर लगाया और उसको चूसने लगा उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी / मेरा लण्ड लोहे की तरह एक दम कड़क हो गया / मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसके मुँह के पास किया तो वो उसे चूमने लगी / मैंने उसे मुँह में लेने को कहा तो वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी /
मेरा बड़ा बुरा हाल हो रहा था, मैंने अपनी उँगली धीरे से उसकी चूत मे डाल दी / उसकी चूत गरम तवे की तरह तप रही थी / मेरी उँगलियां उसकी चूत की गरमी महसूस कर रही थी /
वो मेरे लण्ड को चूसती रही और मेरी उँगलियां उसकी चूत के साथ खेलती रही / अब वो चुदवाने के लिये एकदम तैयार थी / उसकी चूत मेरी उँगलियों की हरकत से पानी से भर गई और गीली हो गई / मैं अपना मुँह उसकी चूत पर ले गया और उसकी जाँघों और उसकी चूत को चूमने लगा / वो जोर जोर से पाँव हिलाने लगी / आअहह . रवि, मेरे राजा, मज़ा आ रहा है / मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसके पानी को पीने लगा / वो एक दम मदहोश हो गई और मेरे लण्ड को दाँत चुभाते हुये और जोर से चूसने लगी /
थोड़ी देर में उसकी चूत ने और पानी छोड़ दिया / मैं उसे पीता रहा / कुँवारी चूत का पानी पीने का मेरा यह पहला मौका था और उसके मुँह में मेरे लण्ड ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया जो सीधे उसके गले मे गया / उसने बड़े प्यार से मेरा पूरा पानी पी लिया और एक भी बून्द बाहर नहीं गिरने दी, और मेरे लण्ड को चूसना जारी रखा / 3-4 मिनट में मेरा लण्ड वापस तन गया / उसकी हरकतों से मुझे लगने लगा कि वो चुदाई के लिये बहुत आतुर है /
मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और उसकी गाँड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे उसकी चूत ऊपर आ गई / मैं अपने लण्ड को उसकी चूत पर फिराने लगा / उसकी चूत तन्दूर की तरह गरम थी /
उसने कहा कि उसने कभी चुदवाया नहीं है / वो बोली, रवि इतना मोटा लंड मेरी चूत में कैसे जाएगा / मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, लेकिन बाद मे मज़ा आयेगा /
मैंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर क्रीम लगाई और अपना लण्ड धीरे से उसकी चूत में घुसाने लगा / उसकी चूत बहुत टाइट थी /
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसके अन्दर जाते ही वो जोर से बोली,“ र वि , बहुत दर्द हो रहा है / ” मैं वहीं पर रूक गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा और उसके होठों को चूमने लगा / थोड़ी देर मे रेनू जोश में आ गई और अपने चूतड़ उठाने लगी / मैंने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया, मेरा लण्ड उसकी चूत में ३ इन्च घुस गया / वो जोर से चिल्लाने लगी और पसीने में नहा गई, मुझसे कहने लगी,“ र वि, प्लीज / बाहर निकालो / ”
मैंने उससे बोला- पहली बार में थोड़ा दर्द होता है / और उसे चूमने लगा /
कुछ देर बाद वो शान्त हो गई /
मैंने उससे बोला- अपना मुँह बन्द रखना, मेरी जान / मैं अभी अपना पूरा लण्ड तेरी चूत में डालूंगा /
उसने जोश मे आकर कहा- अगर मैं चीखूं भी तो भी तुम नहीं रुकना /
मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में 3-4 इन्च में अन्दर बाहर करने लगा / उसे भी मज़ा आने लगा और वो मुझसे ज्यादा चिपकने लगी / अचानक मैंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा 8 इन्च का लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया / वो बहुत जोर से चीखी और जोर से तड़पने लगी / आअहह, रवि, मार गयी, लगता है मेरी चूत फट गयी है /
मैं वहीं पर रूक गया / उसकी चूत में से खून निकलने लगा था / वो जोर जोर से रोने लगी, मैंने उसे प्यार से समझाया कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चल गया है / रेनू, अभी थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे जो मज़ा आयेगा वो पूरा दर्द भुला देगा /
मैंने उसके लाख कहने पर भी अपना लण्ड उसकी चूत से नहीं निकाला /
पाँच मिनट तक मैं सिर्फ़ उसके बूब्स को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फ़िराता रहा / धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और उसे जोश आने लगा / वो मुझसे चिपक गई और अपने चूतड़ उठाने लगी / उसकी चूत मेरे लण्ड को कभी जकड़ती और कभी ढीला छोड़ती / मैं इशारा समझ गया और मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया /
थोड़ी देर मैं उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी हिल हिल कर चुदाइ का मज़ा लेने लगी / 15 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा / इतनी देर मे उसकी चूत गीली हो गई और उसका दर्द कम हो गया, और वो बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी /
करीब 15 मिनट के बाद मैंने उसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ /
मैंने उसे कस के पकड़ा, जिससे उसके मुंह से आवाज न निकले उसके होंठ अपने होठों में मजबूती से दबा लिये और सरपट घोड़ा दौड़ा दिया / मैं पूरे जोश में आ चुका था और मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर एक धक्के से पूरा घुसा देता, पूरी फूर्ती से / मेरा लंड रेनू की चूत में धच-धच-धच अंदर बाहर हो रहा था /
अब वो बुरी तरह छूटने के लिये दम लगा रही थी और मैं उसे उतना ही मजबूती से पकड़ रहा था / झटके पर झटके / धक्के पर धक्के /
एक दो मिनट में उसकी चूत बुरी तरह से मेरे लण्ड को रोकने की कोशिश कर रही थी / और मुझे साफ़ पता चला जैसे कि उसकी चूत ने एक जोर से पिचकारी मेरे लण्ड पर छोड़ दी / अब मैंने रफ़्तार और धक्के की ताकत बढ़ा दी और बड़े दम लगाने पर मैं भी चरम आनन्द पर पहुँच गया / ऐसा लगा जैसे मेरे लण्ड से कोई टँकी खुल गई हो और मैंने बहुत सारा पानी उसकी चूत में भर दिया /
करीब 10 मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा / हम दोनों की सांस की आवाज से पूरा कमरा गूँज रहा था / उसके बाद हम दोनो उठे और बाथरूम में जाकर उसकी चूत और अपने लण्ड को धो कर साफ़ किया और वापस आकर बेड पर बैठ गये /
मेरा लण्ड इतनी देर में वापस तन कर खड़ा हो गया / उसे तना देखकर वो बोली- अब नहीं रवि , अभी दो घण्टे सो लेते हैं, उसके बाद करेंगे /
मैंने कहा- ठीक है /
हमने अपने कपड़े पहन लिये और सोने लगे / लेकिन आंखो में नींद कहाँ /
करीब एक घण्टे बाद मैंने उसके और अपने कपड़े फिर उतार दिये / उसने कहा कि प्यार से करना क्योंकि अभी थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा है / मैंने उसके बदन को दबाना शुरू कर दिया, बच्चों की तरह उसका दूध पीने लगा तो वह कसमसा उठी / और उसने भी मुझे चूमना शूरू कर दिया और खुद-ब-खुद 69 की पोजीशन में आ गये / वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को / फिर मैं काम शास्त्र में बताये एक एक आसन से उसे चोदने लगा और एक ही रात में कली को खिला कर फ़ूल बना दिया था /
फिर तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता वो मुझसे चुदवाती थी / करीब एक साल तक मैं उसे चोदता रहा, उसके बाद उसके पापा की बदली हो गई / उसके बाद से आज तक उससे मेरी मुलाकात नहीं हुई है / वो मेरे जीवन सबसे हसीन कली थी जिसे फूल बनाने का जिम्मा खुदा ने मुझे इनाम में दिया था / उस से मोबाइल पर बातचूट हो जाती है / वो आज भी मेरे लंबे तगड़े 8" लंड को याद कर के अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत की आग शांत करती है.. काश उसका साथ एक बार फिर से मिल जाए, बस इसी मौके की तलाश में हूँ /
हिन्दी में मस्त कहानियाँ
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
राजस्थान की कमली
हाए दोस्तो, मेरा नाम रवि है, जब जवान हुआ तो मेरा लण्ड कुलांचे भरने लगा था। पर बस यदि लण्ड ने ज्यादा जोश मारा तो मुठ मार लिया। कभी कभी तो मैं दो पलंगो के बीच में जगह करके उसमें लण्ड फ़ंसा कर चोदता था ... मजा तो खास नहीं आता था। पर हाँ ! एक दिन मेरा लण्ड छिल गया था ... मेरे लण्ड की त्वचा भी फ़ट गई थी और अब सुपाड़ा खुल कर पूरा इठला सकता था। रोज रोज तेल लगा कर मूठ मरने की वजह से मेरे लंड की लंबाई और चौड़ाई बहुत बड़ी हो गयी थी.. अब मेरा लंड नौ इंच का आरू चौड़ाई ३.६ इंच हो गयी है।
मैंने धीरे धीरे अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली। 23 वर्ष का हो गया पर मेरे लंड पर चूत का पानी नही बरसा था मेरा मन कुछ भी करने को तरसता रहता था, चाहे गाण्ड भी मार लूँ या मरा लूँ ... या कोई चूत ही मिल जाये।
मैंने एक कहावत सुनी थी कि हर रात के बाद सवेरा भी आता है ... पर रात इतनी लम्बी होगी इसका अनुमान नहीं था। कहते हैं ना धीरज का फ़ल मीठा होता है ... जी हां सच कह रहा हूँ ... रात के बाद सवेरा भी आता है और बहुत ही सुहाना सवेरा आता है ... फ़ल इतना मीठा होता है कि आप यकीन नहीं करेंगे।
मैं नया नया उदयपुर में पोस्टिंग पर आया था। मैं यहाँ ऑफ़िस के आस पास ही मकान ढूंढ रहा था। बहुत सी जगह पूछताछ की और 4-5 दिनो में मुझे मकान मिल गया। हुआ यूं कि मैं बाज़ार में किसी दुकान पर खड़ा था। तभी मेरी नजर एक महिला पर पड़ी जो कि अपने घूंघट में से मुझे ही देख रही थी। जैसे ही मेरी नजरें उससे मिली उसने हाथ से मुझे अपनी तरफ़ बुलाया। पहले तो मैं झिझका ... पर हिम्मत करके उसके पास गया।
"जी ... आपने मुझे बुलाया ... ?"
"हां ... आपणे मकान चाही जे ... ।"
"ज़ी हाँ ... कठे कोई मिलिओ आपणे"
"मारा ही मकाण खाली होयो है आज ... हुकुम (आप) पधारो तो बताई दूं"
"तो आप आगे चालो ... मूं अबार हाजिर हो जाऊ"
"हाते ही चालां ... तो देख लिओ ... "
"आपरी मरजी सा ... चालो "
मैंने अपनी मोटर साईकल पर उसे बैठाया और पास ही मुहल्ले में आ गये। मुझे तुरन्त याद आ गया ... यह एक बड़ी बिल्डिंग है ... उसमें कई कमरे हैं। पर वो किराये पर नहीं देते थे ... इनकी मेहरबानी मुझ पर कैसे हो गई। मैंने कमरा देखा, मैंने तुरन्त हां कह दी।
सामान के नाम पर मेरे पास बस एक बेडिंग था और एक बड़ा सूटकेस था। मैं तुरन्त अपनी मोटर साईकल पर गया और ऑफ़िस के रेस्ट हाऊस से अपना सामान लेकर आ गया। मैं जी भर कर नहाया। फ़्रेश होकर कमरे में आकर आराम करने लगा। इतने में एक पतली दुबली लड़की मुस्कराती हुई आई। जीन्स और टॉप पहने हुए थी। मैं इतनी सुन्दर लड़की को आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखने लगा, उठ कर बैठ गया।
"जी ... आप कौन हैं ... किससे मिलना है?"
वो मेरी बौखलाहट पर हंस पडी ... "हुकुम ... मैं कमली हूँ ... "
आवाज से मैंने पहचान लिया ... यह तो वही महिला थी। मैं भी हंस पड़ा।
"आप ... तो बिल्कुल अलग लग रही हैं ... कोई छोटी सी लड़की !"
"खावा रा टेम तो हो गयो ... रोटी बीजा लाऊं कई ... "(खाने का टाइम तो हो गया है, रोटी ले आउ क्या?)
मेरे मना करने पर भी वो मेरे लिये खाना ले आई। मेवाड़ी खाना था ... बहुत ही अच्छा लगा।
बातचीत में पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है और उसका पति मुम्बई में अच्छा बिजनेस करता था। उसके सास और ससुर सरकारी नौकरी में थे।
"आपणे तो भाई साहब ! मेरे खाने की तारीफ़ ही नहीं की !"
"खाना बहुत अच्छा था ... और आप भी बहुत अच्छी हो ... !"
"वाह जी वाह ... यह क्या बात हुई ... खैर जी ... आप तो मने भा गये हो !" कह कर मेरे गाल पर उसने प्यार कर लिया।
मैं पहले तो सकपका गया। फिर मैंने भी कहा,"प्यार यूँ नहीं ... आपको मैं भी करूँ !"
उसने अपना गाल आगे कर दिया ... मैंने हल्के से गाल चूम लिया। जीवन में मेरा यह प्रथम स्त्री स्पर्श था। वो बरतन लेकर इठलाती हुई चली गई। मुझे समझ में नहीं आया कि यह क्या भाई बहन वाला प्यार था ... शायद ... !!!
शाम को फिर वो एक नई ड्रेस में आई ... घाघरा और चोली में ... वास्तव में कमली एक बहुत सुन्दर लड़की थी। चाय लेकर आई थी।
"भैया ... अब बोलो कशी लागू हूँ ...?" (अब बोलो कैसी लग रही हूँ?)
"परी ... जैसी लग रही हो ...!"
"तो मने चुम्मा दो ... !" वो पास आ गई ...
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर अपने से सटा लिया और गाल पर जोर से किस कर लिया। उधर मेरे लण्ड ने भी सलामी दे डाली ... वो खड़ा हो गया। उसने खुशबू लगा रखी थी। जोर से किस किया तो बोली,"भैया ... ठीक से करो ना ... !"
मैंने उसे अपने से और चिपका लिया और कहा,"ये लो ... !" उसके गाल धीरे से चूम लिये ... फिर धीरे से होंठ चूम लिये ... उसने आंखें बंद कर ली ... मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और उसकी चूत पर ठोकर मारने लगा। शायद उसे अच्छा लग रहा था ... मैंने उसके होंठ को फिर से चूमा तो उसके होंठ खुलने लगे ... मेरे हाथ धीरे से उसके चूतड़ों पर आ गये ... हाय ... इतने नरम ... और लचीले ...
अचानक वो मुझसे अलग हो गई,"ये क्या करते हो भैया ... !"
"ओह ... माफ़ करना कमली ... पर आप भी तो ना ... " मैंने उसे ही इस हरकत के लिये जिम्मेदार ठहराया।
वो शरमा कर भाग गई।
क्या ... मेरी किस्मत में सवेरा आ गया था ... उसकी अदाओं से मैं घायल हो चुक था ... वो एक ही बार में मेरे दिल पर कई तीर चला चुकी थी। मेरा भारी लण्ड उसका आशिक हो गया।
उसके सास और ससुर आ चुके थे ... कमली रात का खाना बना रही थी। उसके सास ससुर मुझसे मिलने आये ... और खुश हो कर चले गये। रात को खाना खाने के बाद वो मेरे लिये खाना लेकर आई। अब उसका नया रूप था। छोटी सी स्कर्ट और रात में पहनने वाला टॉप ... । उसकी टांगें गोरी थी ... उसके तीखे नक्श नयन बड़े लुभावने लग रहे थे ... मुझे उसने खाना खिलाया ... फिर बोली,"भैया ... आप तो म्हारी खाने की तारीफ़ ही ना करो ...!! "
"अरे कमली किस किस की तारीफ़ करू ... थारा खाणा ... थारी खूबसूरती ... और काई काई रे ...! "
"हाय भैया ... मने एक बार और प्यार कर लो ... ! " उसकी तारीफ़ करते ही जैसे वो पिघल गई।
मैंने उसको फिर से अपनी बाहों में ले लिया ... मुझे यह समझ में आ गया था कि वो मेरे अंग-प्रत्यंग को छूना चाहती है ... ।
इस बार मैं एक कदम और आगे बढ़ गया और जैसे मेरी किस्मत का सवेरा हो गया। मैं उसके होंठ अपने होंठो में लकर पीने लगा। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे खिंचने लगे। मेरा लण्ड कड़ा हो कर तन गया और उसकी चूत में गड़ने लगा। वो जैसे मेरी बाहों में झूम गई। मैंने हिम्मत करके उसकी छोटी छोटी चूंचियाँ सहला दी। वो शरमा उठी। पर जवाब गजब का था। उसके हाथ मेरे लण्ड की ओर बढ़ गये और लजाते हुए उसने मेरा लण्ड थाम लिया।
मेरा सारा जिस्म जैसे लहरा उठा। मैंने उसकी मस्तानी चूंचियाँ और दबा डाली और मसलने लगा।
"भैया ... मजा आवण लाग्यो है ... (मज़ा आ रहा है)! हाय !"
मैंने उसे चूतड़ों के सहारे उठा लिया ... फ़ूलो जैसी हल्की ... मैंने उसे जैसे ही बिस्तर पर लेटाया तो वो जैसे होश में आ गई।
"भैया ... यो कई (ये क्या )... आप तो म्हारे भैया हो ... !"
"सुनो ऐसे ही कहना ... वरना सबको शक हो जायेगा ...!! "
मैंने उसे फिर से दबोच लिया ... वो फिर कराह उठी ...
"म्हारी बात सुणो तो ... अभी नाही जी ... " फिर वो खड़ी हो गई ... मुझे उसने बडी नशीली निगाहों से देखा और मुँह छुपा कर भाग गई।
दो तीन दिन दिन तक वो मेरे पास नहीं आई। मुझे लगा कि सब गड़बड़ हो गया है। मुझे खाना खाना के लिये अपने वहीं बुला लेते थे। कमली निगाहें झुका कर खाना खा लेती थी।
मैं बहुत ही निराश हो गया।
एक दिन अपने कमरे में मैं नंगा हो कर अपने बिस्तर पर अपने लण्ड से खेल रहा था। अचानक से मेरा दरवाजा खुला और कमली धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ी। मैं एकदम से विचलित हो उठा क्योंकि मैं नंगा था। मैंने जल्दी से पास पड़ी चादर को खींचा पर कमली ने उसे पकड़ कर नीचे फ़ेंक दिया। उसने अपना नाईट गाऊन आगे से खोल लिया और मेरे पास आकर बैठ गई।
" अब सहन को नी होवै ... !" और मेरे ऊपर झुक गई।
उसने मेरी छाती पर हाथ फ़ेरा और सामने से उसका नंगा बदन मेरे नंगे बदन से सट गया। उसका मुलायम शरीर मेरे अंगो में आग भर रहा था, लगा मेरे दिन अब फिर गये थे, मुझे इतनी जल्दी एक नाजुक सी, कोमल सी, प्यारी सी लड़की चोदने के लिये मिल रही थी। वो खुद ही इतनी आतुर हो चुकी थी कि अपनी सीमा लांघ कर मेरे द्वार पर खड़ी थी। उसने अपने शरीर का बोझ मेरे ऊपर डाल दिया और अपना गाऊन उतार दिया।
"कमली, तुम क्या सच में मेरे साथ ... ?"
उसने मेरे मुख पर हाथ रख दिया। तड़पती सी बोली,"भाईजी ... म्हारे तन में भी तो आग लागे ... मने भी तो लागे कि मने जी भर के कोई चोद डाले !"
उसकी तड़प उसके हाव-भाव से आरम्भ से ही नजर आ रही थी, पर आज तो स्वयं नँगी हो कर मेरा जिस्म भोगना चाहती थी। हमारे तन आपस में रगड़ खाने लगे। मेरे लण्ड ने फ़ुफ़कार भरी और तन्ना कर खड़ा हो गया। वो अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी और जोर जोर सिसकारी भरने लगी।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से मिला कर अधर-पान करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुख के अन्दर जैसे कुछ ढूंढ रही थी। जाने कब मेरा लण्ड उसकी चूत के द्वार पर आ गया। उसकी कमर ने दबाव डाला और लण्ड का सुपाड़ा फ़च से चूत में समा गया। उसके मुख से एक सीत्कार निकाल गई।
"भाई जी ... दैया रे ... थारो लौडो तो भारी है रे (तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है)... !!" उसकी आह निकल गई।
अधरपान करते हुए मैंने अपनी कमर अब ऊपर की ओर दबाई और लण्ड को भीतर सरकाने लगा। सारा जिस्म वासना की मीठी मीठी आग में जलने लगा। कुछ ही धक्के देने के बाद वो मेरे लण्ड पर बैठ गई और उसने अपने हाथ से धीरे से लण्ड को बाहर निकाला और अपनी गाण्ड के छेद पर रख दिया और थोड़ा सा जोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा अन्दर घुस गया। उसने कोशिश करके मेरा लण्ड अन्दर पूरा घुसेड़ लिया। उसकी मीठी आहें मुझे मदहोश कर रही थी।
"आह ... यो जवानी री आग काई नजारे दिखावे ... मारी गाण्ड तक मस्ताने लागी है ... ।"
"कमली, थारी तो चूत भोसड़े से कम नहीं लागे रे ... इस छोटी सी उमर में थारी फ़ुद्दी तो खुली हुई है !"
"साला मरद तो एक इन्च से ज्यादा चूत में नाहीं डाले ... और मने तो प्यासी राखे ... !" उसकी वासना से भरी भाषा ज्यादा साफ़ नहीं थी।
"तो कमली चुद ले मन भर के आज ... मैं तो अठै ही हूँ अब तो ... " वो लगभग मेरे ऊपर उछलती सी और धक्के पर धक्के लगाती हुई हांफ़ने लगी थी। शरीर पसीने से भर गया था। मुझे भी लण्ड पर अब गाण्ड चुदाई से लगने लगी थी ... हालांकि मजा बहुत आ रहा था।
मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा और अपने से चिपका कर पल्टी मारी। लण्ड गाण्ड से निकल गया। अब मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया। उसने तुरन्त ही मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत में घुसेड़ लिया। हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर दबा लिया और दोनों के मुख से खुशी की सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी दोनों टांगे ऊपर उठती गई और मेरी कमर से लिपट गई। मुझे लगा उसकी चूत और गाण्ड लण्ड खाने का अच्छा अनुभव रखती हैं। दोनों ही छेद खुले हुए थे और लण्ड दोनों ही छेद में सटासट चल रहा था। पर हां यह मेरा भी पहला अनुभव था।
अब मैंने धक्के देना चालू कर दिये थे। उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी, लण्ड चूत पर मारने से भच भच की आवाजें आने लगी थी। जवान चूत थी ... भरपूर पानी था उसकी चूत में ।
हम दोनों अब एक दूसरे को प्यार से निहारते हुए एक सी लय में चुदाई कर रहे थे। मेरा लंबा लंड चूत में पूरा अंदर तक आ जा रहा था, लण्ड और चूत एक साथ टकरा रहे थे। उसका कोमल अंग खिलता जा रहा था। चूत खुलती जा रही थी। उसकी आंखें बंद हो रही थी। अपने आप में वो आनन्द में तैर रही थी। सी सी करके अपने आनन्द का इजहार कर रही थी।
अचानक ही उसके मुख से खुशी की चीखें निकलने लगी,"चोद मारो भाई जी ... लौडा मारो ... बाई रे ... मने मारी नाको रे ... चोदो साऽऽऽऽऽ !"
मुझे पता चल गया कि कोमल अब पानी छोड़ने वाली है ... मैंने भी कस कर चोदा मारना आरम्भ कर दिया। मैं पसीने से भर गया था, पंखा भी असर नहीं कर रहा था।
अचानक कमली ने मुझे भींच लिया,"हाय रे ... भोसड़ा निकल गयो रे ... बाई जी ... मारी नाकियो रे ... आह्ह्ह् ... " उसकी चूत की लहर को मैं मह्सूस कर रहा था। वो झड़ रही थी। चूत में पानी भरा जा रहा था, वो और ढीली हो रही थी। मैं भी भरपूर कोशिश करके अपना विसर्जन रोक रहा था कि और ज्यादा मजा ले सकूँ पर रोकते रोकते भी लण्ड धराशाई हो गया और चूत से बाहर निकल कर पिचकारी छोड़ने लगा। इतना वीर्य मेरे लण्ड से निकलेगा मुझे तो आश्चर्य होने लगा ... बार बार लण्ड सलामी देकर वीर्य उछाल रहा था।
कमली मुझे प्यार से अपने ऊपर खींच कर मेरे बाल सहलाने लगी,"मेरे वीरां ... आपरा लौडा ही खूब ही चोखा है ... मारी तबियत हरी कर दी ... म्हारा दिल जीत लिया ... म्हारी चूत तो धान्या हो गयी सा !"
"थाने खुश राखूं ... मारा भाग है रे ... आप जद भी हुकुम करो बस इशारो दे दियो ... लौडा हाजिर है !"
कमली खुशी से हंस पड़ी ... मुझे उसने चिपका कर बहुत चूमा चाटा।
मेरी किस्मत की धूप खिल चुकी थी ... मिली भी तो एक खूबसूरती की मिसाल मिली ... तराशी हुई,, तीखे नयन नक्श वाली ... सुन्दर सी ... पर हां पहले से ही चुदी-चुदाई थी वो ...
~~~ समाप्त ~~~
हाए दोस्तो, मेरा नाम रवि है, जब जवान हुआ तो मेरा लण्ड कुलांचे भरने लगा था। पर बस यदि लण्ड ने ज्यादा जोश मारा तो मुठ मार लिया। कभी कभी तो मैं दो पलंगो के बीच में जगह करके उसमें लण्ड फ़ंसा कर चोदता था ... मजा तो खास नहीं आता था। पर हाँ ! एक दिन मेरा लण्ड छिल गया था ... मेरे लण्ड की त्वचा भी फ़ट गई थी और अब सुपाड़ा खुल कर पूरा इठला सकता था। रोज रोज तेल लगा कर मूठ मरने की वजह से मेरे लंड की लंबाई और चौड़ाई बहुत बड़ी हो गयी थी.. अब मेरा लंड नौ इंच का आरू चौड़ाई ३.६ इंच हो गयी है।
मैंने धीरे धीरे अपनी पढ़ाई भी पूरी कर ली। 23 वर्ष का हो गया पर मेरे लंड पर चूत का पानी नही बरसा था मेरा मन कुछ भी करने को तरसता रहता था, चाहे गाण्ड भी मार लूँ या मरा लूँ ... या कोई चूत ही मिल जाये।
मैंने एक कहावत सुनी थी कि हर रात के बाद सवेरा भी आता है ... पर रात इतनी लम्बी होगी इसका अनुमान नहीं था। कहते हैं ना धीरज का फ़ल मीठा होता है ... जी हां सच कह रहा हूँ ... रात के बाद सवेरा भी आता है और बहुत ही सुहाना सवेरा आता है ... फ़ल इतना मीठा होता है कि आप यकीन नहीं करेंगे।
मैं नया नया उदयपुर में पोस्टिंग पर आया था। मैं यहाँ ऑफ़िस के आस पास ही मकान ढूंढ रहा था। बहुत सी जगह पूछताछ की और 4-5 दिनो में मुझे मकान मिल गया। हुआ यूं कि मैं बाज़ार में किसी दुकान पर खड़ा था। तभी मेरी नजर एक महिला पर पड़ी जो कि अपने घूंघट में से मुझे ही देख रही थी। जैसे ही मेरी नजरें उससे मिली उसने हाथ से मुझे अपनी तरफ़ बुलाया। पहले तो मैं झिझका ... पर हिम्मत करके उसके पास गया।
"जी ... आपने मुझे बुलाया ... ?"
"हां ... आपणे मकान चाही जे ... ।"
"ज़ी हाँ ... कठे कोई मिलिओ आपणे"
"मारा ही मकाण खाली होयो है आज ... हुकुम (आप) पधारो तो बताई दूं"
"तो आप आगे चालो ... मूं अबार हाजिर हो जाऊ"
"हाते ही चालां ... तो देख लिओ ... "
"आपरी मरजी सा ... चालो "
मैंने अपनी मोटर साईकल पर उसे बैठाया और पास ही मुहल्ले में आ गये। मुझे तुरन्त याद आ गया ... यह एक बड़ी बिल्डिंग है ... उसमें कई कमरे हैं। पर वो किराये पर नहीं देते थे ... इनकी मेहरबानी मुझ पर कैसे हो गई। मैंने कमरा देखा, मैंने तुरन्त हां कह दी।
सामान के नाम पर मेरे पास बस एक बेडिंग था और एक बड़ा सूटकेस था। मैं तुरन्त अपनी मोटर साईकल पर गया और ऑफ़िस के रेस्ट हाऊस से अपना सामान लेकर आ गया। मैं जी भर कर नहाया। फ़्रेश होकर कमरे में आकर आराम करने लगा। इतने में एक पतली दुबली लड़की मुस्कराती हुई आई। जीन्स और टॉप पहने हुए थी। मैं इतनी सुन्दर लड़की को आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखने लगा, उठ कर बैठ गया।
"जी ... आप कौन हैं ... किससे मिलना है?"
वो मेरी बौखलाहट पर हंस पडी ... "हुकुम ... मैं कमली हूँ ... "
आवाज से मैंने पहचान लिया ... यह तो वही महिला थी। मैं भी हंस पड़ा।
"आप ... तो बिल्कुल अलग लग रही हैं ... कोई छोटी सी लड़की !"
"खावा रा टेम तो हो गयो ... रोटी बीजा लाऊं कई ... "(खाने का टाइम तो हो गया है, रोटी ले आउ क्या?)
मेरे मना करने पर भी वो मेरे लिये खाना ले आई। मेवाड़ी खाना था ... बहुत ही अच्छा लगा।
बातचीत में पता चला कि उसकी शादी हो चुकी है और उसका पति मुम्बई में अच्छा बिजनेस करता था। उसके सास और ससुर सरकारी नौकरी में थे।
"आपणे तो भाई साहब ! मेरे खाने की तारीफ़ ही नहीं की !"
"खाना बहुत अच्छा था ... और आप भी बहुत अच्छी हो ... !"
"वाह जी वाह ... यह क्या बात हुई ... खैर जी ... आप तो मने भा गये हो !" कह कर मेरे गाल पर उसने प्यार कर लिया।
मैं पहले तो सकपका गया। फिर मैंने भी कहा,"प्यार यूँ नहीं ... आपको मैं भी करूँ !"
उसने अपना गाल आगे कर दिया ... मैंने हल्के से गाल चूम लिया। जीवन में मेरा यह प्रथम स्त्री स्पर्श था। वो बरतन लेकर इठलाती हुई चली गई। मुझे समझ में नहीं आया कि यह क्या भाई बहन वाला प्यार था ... शायद ... !!!
शाम को फिर वो एक नई ड्रेस में आई ... घाघरा और चोली में ... वास्तव में कमली एक बहुत सुन्दर लड़की थी। चाय लेकर आई थी।
"भैया ... अब बोलो कशी लागू हूँ ...?" (अब बोलो कैसी लग रही हूँ?)
"परी ... जैसी लग रही हो ...!"
"तो मने चुम्मा दो ... !" वो पास आ गई ...
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर अपने से सटा लिया और गाल पर जोर से किस कर लिया। उधर मेरे लण्ड ने भी सलामी दे डाली ... वो खड़ा हो गया। उसने खुशबू लगा रखी थी। जोर से किस किया तो बोली,"भैया ... ठीक से करो ना ... !"
मैंने उसे अपने से और चिपका लिया और कहा,"ये लो ... !" उसके गाल धीरे से चूम लिये ... फिर धीरे से होंठ चूम लिये ... उसने आंखें बंद कर ली ... मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और उसकी चूत पर ठोकर मारने लगा। शायद उसे अच्छा लग रहा था ... मैंने उसके होंठ को फिर से चूमा तो उसके होंठ खुलने लगे ... मेरे हाथ धीरे से उसके चूतड़ों पर आ गये ... हाय ... इतने नरम ... और लचीले ...
अचानक वो मुझसे अलग हो गई,"ये क्या करते हो भैया ... !"
"ओह ... माफ़ करना कमली ... पर आप भी तो ना ... " मैंने उसे ही इस हरकत के लिये जिम्मेदार ठहराया।
वो शरमा कर भाग गई।
क्या ... मेरी किस्मत में सवेरा आ गया था ... उसकी अदाओं से मैं घायल हो चुक था ... वो एक ही बार में मेरे दिल पर कई तीर चला चुकी थी। मेरा भारी लण्ड उसका आशिक हो गया।
उसके सास और ससुर आ चुके थे ... कमली रात का खाना बना रही थी। उसके सास ससुर मुझसे मिलने आये ... और खुश हो कर चले गये। रात को खाना खाने के बाद वो मेरे लिये खाना लेकर आई। अब उसका नया रूप था। छोटी सी स्कर्ट और रात में पहनने वाला टॉप ... । उसकी टांगें गोरी थी ... उसके तीखे नक्श नयन बड़े लुभावने लग रहे थे ... मुझे उसने खाना खिलाया ... फिर बोली,"भैया ... आप तो म्हारी खाने की तारीफ़ ही ना करो ...!! "
"अरे कमली किस किस की तारीफ़ करू ... थारा खाणा ... थारी खूबसूरती ... और काई काई रे ...! "
"हाय भैया ... मने एक बार और प्यार कर लो ... ! " उसकी तारीफ़ करते ही जैसे वो पिघल गई।
मैंने उसको फिर से अपनी बाहों में ले लिया ... मुझे यह समझ में आ गया था कि वो मेरे अंग-प्रत्यंग को छूना चाहती है ... ।
इस बार मैं एक कदम और आगे बढ़ गया और जैसे मेरी किस्मत का सवेरा हो गया। मैं उसके होंठ अपने होंठो में लकर पीने लगा। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे खिंचने लगे। मेरा लण्ड कड़ा हो कर तन गया और उसकी चूत में गड़ने लगा। वो जैसे मेरी बाहों में झूम गई। मैंने हिम्मत करके उसकी छोटी छोटी चूंचियाँ सहला दी। वो शरमा उठी। पर जवाब गजब का था। उसके हाथ मेरे लण्ड की ओर बढ़ गये और लजाते हुए उसने मेरा लण्ड थाम लिया।
मेरा सारा जिस्म जैसे लहरा उठा। मैंने उसकी मस्तानी चूंचियाँ और दबा डाली और मसलने लगा।
"भैया ... मजा आवण लाग्यो है ... (मज़ा आ रहा है)! हाय !"
मैंने उसे चूतड़ों के सहारे उठा लिया ... फ़ूलो जैसी हल्की ... मैंने उसे जैसे ही बिस्तर पर लेटाया तो वो जैसे होश में आ गई।
"भैया ... यो कई (ये क्या )... आप तो म्हारे भैया हो ... !"
"सुनो ऐसे ही कहना ... वरना सबको शक हो जायेगा ...!! "
मैंने उसे फिर से दबोच लिया ... वो फिर कराह उठी ...
"म्हारी बात सुणो तो ... अभी नाही जी ... " फिर वो खड़ी हो गई ... मुझे उसने बडी नशीली निगाहों से देखा और मुँह छुपा कर भाग गई।
दो तीन दिन दिन तक वो मेरे पास नहीं आई। मुझे लगा कि सब गड़बड़ हो गया है। मुझे खाना खाना के लिये अपने वहीं बुला लेते थे। कमली निगाहें झुका कर खाना खा लेती थी।
मैं बहुत ही निराश हो गया।
एक दिन अपने कमरे में मैं नंगा हो कर अपने बिस्तर पर अपने लण्ड से खेल रहा था। अचानक से मेरा दरवाजा खुला और कमली धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ी। मैं एकदम से विचलित हो उठा क्योंकि मैं नंगा था। मैंने जल्दी से पास पड़ी चादर को खींचा पर कमली ने उसे पकड़ कर नीचे फ़ेंक दिया। उसने अपना नाईट गाऊन आगे से खोल लिया और मेरे पास आकर बैठ गई।
" अब सहन को नी होवै ... !" और मेरे ऊपर झुक गई।
उसने मेरी छाती पर हाथ फ़ेरा और सामने से उसका नंगा बदन मेरे नंगे बदन से सट गया। उसका मुलायम शरीर मेरे अंगो में आग भर रहा था, लगा मेरे दिन अब फिर गये थे, मुझे इतनी जल्दी एक नाजुक सी, कोमल सी, प्यारी सी लड़की चोदने के लिये मिल रही थी। वो खुद ही इतनी आतुर हो चुकी थी कि अपनी सीमा लांघ कर मेरे द्वार पर खड़ी थी। उसने अपने शरीर का बोझ मेरे ऊपर डाल दिया और अपना गाऊन उतार दिया।
"कमली, तुम क्या सच में मेरे साथ ... ?"
उसने मेरे मुख पर हाथ रख दिया। तड़पती सी बोली,"भाईजी ... म्हारे तन में भी तो आग लागे ... मने भी तो लागे कि मने जी भर के कोई चोद डाले !"
उसकी तड़प उसके हाव-भाव से आरम्भ से ही नजर आ रही थी, पर आज तो स्वयं नँगी हो कर मेरा जिस्म भोगना चाहती थी। हमारे तन आपस में रगड़ खाने लगे। मेरे लण्ड ने फ़ुफ़कार भरी और तन्ना कर खड़ा हो गया। वो अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी और जोर जोर सिसकारी भरने लगी।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से मिला कर अधर-पान करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुख के अन्दर जैसे कुछ ढूंढ रही थी। जाने कब मेरा लण्ड उसकी चूत के द्वार पर आ गया। उसकी कमर ने दबाव डाला और लण्ड का सुपाड़ा फ़च से चूत में समा गया। उसके मुख से एक सीत्कार निकाल गई।
"भाई जी ... दैया रे ... थारो लौडो तो भारी है रे (तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है)... !!" उसकी आह निकल गई।
अधरपान करते हुए मैंने अपनी कमर अब ऊपर की ओर दबाई और लण्ड को भीतर सरकाने लगा। सारा जिस्म वासना की मीठी मीठी आग में जलने लगा। कुछ ही धक्के देने के बाद वो मेरे लण्ड पर बैठ गई और उसने अपने हाथ से धीरे से लण्ड को बाहर निकाला और अपनी गाण्ड के छेद पर रख दिया और थोड़ा सा जोर लगाया। मेरे लण्ड का सुपाड़ा अन्दर घुस गया। उसने कोशिश करके मेरा लण्ड अन्दर पूरा घुसेड़ लिया। उसकी मीठी आहें मुझे मदहोश कर रही थी।
"आह ... यो जवानी री आग काई नजारे दिखावे ... मारी गाण्ड तक मस्ताने लागी है ... ।"
"कमली, थारी तो चूत भोसड़े से कम नहीं लागे रे ... इस छोटी सी उमर में थारी फ़ुद्दी तो खुली हुई है !"
"साला मरद तो एक इन्च से ज्यादा चूत में नाहीं डाले ... और मने तो प्यासी राखे ... !" उसकी वासना से भरी भाषा ज्यादा साफ़ नहीं थी।
"तो कमली चुद ले मन भर के आज ... मैं तो अठै ही हूँ अब तो ... " वो लगभग मेरे ऊपर उछलती सी और धक्के पर धक्के लगाती हुई हांफ़ने लगी थी। शरीर पसीने से भर गया था। मुझे भी लण्ड पर अब गाण्ड चुदाई से लगने लगी थी ... हालांकि मजा बहुत आ रहा था।
मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा और अपने से चिपका कर पल्टी मारी। लण्ड गाण्ड से निकल गया। अब मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया। उसने तुरन्त ही मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत में घुसेड़ लिया। हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर दबा लिया और दोनों के मुख से खुशी की सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी दोनों टांगे ऊपर उठती गई और मेरी कमर से लिपट गई। मुझे लगा उसकी चूत और गाण्ड लण्ड खाने का अच्छा अनुभव रखती हैं। दोनों ही छेद खुले हुए थे और लण्ड दोनों ही छेद में सटासट चल रहा था। पर हां यह मेरा भी पहला अनुभव था।
अब मैंने धक्के देना चालू कर दिये थे। उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी, लण्ड चूत पर मारने से भच भच की आवाजें आने लगी थी। जवान चूत थी ... भरपूर पानी था उसकी चूत में ।
हम दोनों अब एक दूसरे को प्यार से निहारते हुए एक सी लय में चुदाई कर रहे थे। मेरा लंबा लंड चूत में पूरा अंदर तक आ जा रहा था, लण्ड और चूत एक साथ टकरा रहे थे। उसका कोमल अंग खिलता जा रहा था। चूत खुलती जा रही थी। उसकी आंखें बंद हो रही थी। अपने आप में वो आनन्द में तैर रही थी। सी सी करके अपने आनन्द का इजहार कर रही थी।
अचानक ही उसके मुख से खुशी की चीखें निकलने लगी,"चोद मारो भाई जी ... लौडा मारो ... बाई रे ... मने मारी नाको रे ... चोदो साऽऽऽऽऽ !"
मुझे पता चल गया कि कोमल अब पानी छोड़ने वाली है ... मैंने भी कस कर चोदा मारना आरम्भ कर दिया। मैं पसीने से भर गया था, पंखा भी असर नहीं कर रहा था।
अचानक कमली ने मुझे भींच लिया,"हाय रे ... भोसड़ा निकल गयो रे ... बाई जी ... मारी नाकियो रे ... आह्ह्ह् ... " उसकी चूत की लहर को मैं मह्सूस कर रहा था। वो झड़ रही थी। चूत में पानी भरा जा रहा था, वो और ढीली हो रही थी। मैं भी भरपूर कोशिश करके अपना विसर्जन रोक रहा था कि और ज्यादा मजा ले सकूँ पर रोकते रोकते भी लण्ड धराशाई हो गया और चूत से बाहर निकल कर पिचकारी छोड़ने लगा। इतना वीर्य मेरे लण्ड से निकलेगा मुझे तो आश्चर्य होने लगा ... बार बार लण्ड सलामी देकर वीर्य उछाल रहा था।
कमली मुझे प्यार से अपने ऊपर खींच कर मेरे बाल सहलाने लगी,"मेरे वीरां ... आपरा लौडा ही खूब ही चोखा है ... मारी तबियत हरी कर दी ... म्हारा दिल जीत लिया ... म्हारी चूत तो धान्या हो गयी सा !"
"थाने खुश राखूं ... मारा भाग है रे ... आप जद भी हुकुम करो बस इशारो दे दियो ... लौडा हाजिर है !"
कमली खुशी से हंस पड़ी ... मुझे उसने चिपका कर बहुत चूमा चाटा।
मेरी किस्मत की धूप खिल चुकी थी ... मिली भी तो एक खूबसूरती की मिसाल मिली ... तराशी हुई,, तीखे नयन नक्श वाली ... सुन्दर सी ... पर हां पहले से ही चुदी-चुदाई थी वो ...
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
आज मेरी फाड़ दो
दोस्तो, मेरा नाम रवि है, मैं पंजाब का रहने वाला पंजाबी मुंडा हूँ और मेरी उम्र 34 साल की है / अब मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ /
फ़्लैश-बॅक
======== ======== ========
बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं में था / मेरे एक्साम होने वाले थे और मैं अंग्रेजी में बेहद कमजोर था / अच्छे नंबर लेने के लिए मैंने अपनी इंग्लिश वाली मैडम से मुझे एक महीने पढ़ाने को कहा तो वो माँ गई /
उनका नाम माधुरी सिंह था, वो 30 साल की थी, उनका कद 5 फ़ुट 5 इंच, उनका फिगर 38DD-30-38 का होगा / बड़ी सेक्सी थी वोह ! उनके मुममे बड़े सेक्सी थे, बिल्कुल पक्के आम की तरह से / माधुरी की गाँड ऐसी थी जैसे दो बड़े तरबूज पीछे से फिट कर दिए गये हों, जब वो चलती थी तो दिल करता था की बस अपना लंबा चौड़ा लंड उसकी गाँड के अंदर डाल कर बस धक्कम पेल करता रहूं /
पूरे साल मैं बस उनको ही देखता था और इसलिए मैं अंग्रेजी में कमजोर हो गया था / वो इतनी सेक्सी थी कि जब भी मैं उन्हें देखता था, बस मेरा लंबा चौड़ा लण्ड खड़ा हो जाता था / बस मैं यही कहता था कि कब उनके बूब्स को दबाऊं ! मैं रात को मुट्ठ मारा करता था /
अब मैं कहानी पर आता हूँ / मैडम ने मुझे टयूशन पढ़ने के लिए हाँ कर दिया था और मुझे शाम को ६ से ७ का टाइम दिया था / उनके घर में सिर्फ उनका एक बेटा जो कि ७ साल का था, रहता था / उनका तलाक हो चुका था / शाम को उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकल जाता था और मैडम के घर में सिर्फ हम दोनों ही होते थे / मैडम घर में तो और भी माल लगती थी / जब वो मुझे पढ़ाती थी, मैं बस उनके बूब्स को ही देखता रहता था पर मैंडम को शक नहीं होता था / फिर मैं घर जाकर मुट्ठ मारा करता था, मैं तो सपने में बस मैडम को ही देखता था पर मैं कर भी क्या सकता था /
पर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया / अगले दिन से मैं मैडम के घर जब भी जाता तो एकदम बन-ठन के जाता, परफ्यूम लगा कर जाता / जब मैं पहले दिन बन-ठन के गया तो मैडम ने मुझसे कहा- क्या बात है बड़े स्मार्ट लग रहे हो ! किसी गर्ल-फ्रेंड से मिलने जा रहे हो क्या?
तो मैंने मजाक में ही कहा- मैडम ! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ कि कोई मेरी गर्ल-फ्रेंड हो !
तो मैडम ने कहा- क्यों ! तुम तो काफी सेक्सी हो !
उस दिन मैंने बाद में मैडम से मजाक में कह दिया की मैडम क्या आप मेरी गर्ल-फ्रेंड बनोगी?
तो मैडम ने समझा कि मैं मजाक कर रहा हूँ और मुस्कुरा दी /
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया / अब मैं मैडम से खुल के बाते करने लगा / मैंने मैडम से पूछा- मैडम आप अकेले रहती हो ! आपको अजीब नहीं लगता?
मैडम ने कहा- मैं कर भी क्या सकती हूँ?
तो मैंने जल्दी से बोला- आप कोई दोस्त क्यूँ नहीं बना लेती?
उन्होंने मुझे घूरा, फिर मुस्कुरा दी और बोली कि मेरा दोस्त कौन बनेगा?
मैंने बोला- मैं बन जाता हूँ !
और इतना कहते ही मैंने मैडम का हाथ पकड़ लिया /
फिर मैडम ने कहा- ठीक है !
उस दिन से मैं मैडम के घर आने जाने लगा / रात के ९ बजे तक भी मैं उनके घर चला जाता था, वो भी मुझसे दिल खोल कर बातें करने लगी / मैं मैडम के घर का काम भी कर देता था जैसे मार्केट से कुछ लाना हो आदि /
एक दिन मैंने मैडम से पूछ ही लिया- आपको अकेले रात बितानी पड़ती है, आप को डर नहीं लगता?
मैडम मुस्कुरा दी /
फिर मैंने कहा- अगर आप को डर लगे तो मुझे बुला लेना /
तो उन्होंने कहा- ठीक है /
अब मैडम और मुझमे एक रिश्ता सा बन गया था /
एक दिन जब मैं उनके घर पढ़ रहा था तभी बल्ब ख़राब हो गया / मैडम ने मुझे कहा कि मैं दूसरा बल्ब लगा दूँ ! और मुझे एक दूसरा बल्ब दिया / बल्ब काफी ऊपर था और मैं पहुंच नहीं पा रहा था और मैंडम के घर में कुछ था भी नहीं कि जिसके सहारे वहाँ तक पंहुचा जा सके / उसी समय मैंने मैडम को मजाक में कहा- मैडम मैं आपको उठाता हूँ और आप बल्ब लगा दो /
मैं हैरान हो गया जब मैडम ने कहा- हाँ, ठीक है /
मैंने ख़ुशी से उनको अपने गोद में उठा लिया / वाह कितना कोमल शरीर था उनका ! मैंने उनको गोद में उठा लिया, उनकी गांड मेरी छाती से मिल रही थी और पीठ मुँह से / मुझे इतना मजा आया कि मैं सब कुछ भूल कर मैडम की पीठ सूंघने लगा / मैडम काफी भारी थी, धीरे धीरे वो नीचे आ रही थी / अब मेरे हाथ मैडम के पेट तक पहुँच गए लेकिन मैडम ने कुछ भी नहीं कहा / तब मुझमें हिम्मत आई और मैंने जान बूझझ कर मैडम को और नीचे कर दिया / अब उनकी गांड मेरे लण्ड तक पहुँच गई और उनके बूब्स मेरे हाथों में ! लेकिन मैडम वैसे ही खड़ी रही / तब मैंने उनके बूब्स को धीरे से दबा दिया और उन्होंने आह कर दिया /
अब मैं अपने हाथों से उनके बूब्स मसलने लगा और थोड़ी देर बाद वो गरम हो गई / मैं भी गरम हो गया था, मेरे लण्ड एकदम टाइट था / मैंने मैडम को दोनों हाथों से उठाया और बेड पर पटक दिया / फिर मैंने मैडम से बोला- मैडम, आज मुझे मत रोकना !
वो बोली- ठीक है !
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मेरा लण्ड देखकर मैडम उछल पड़ी / मेरा लण्ड 8 इंच लम्बा और 3.2 इंच मोटा है / मैडम मुझ पर कूद पड़ी और मेरे लण्ड को चूसने लगी / मैं भी उनके कपड़े उतारने लगा / वाह क्या चुच्चियाँ थी उनकी ! मैं उनके बूब्स दबाने लगा /
अब वो इतनी गरम हो चुकी थी कि बोलने लगी- रवि ५ सालों से मैंने किसी से नहीं चुदाया, तुम आज मेरी फाड़ दो !
फिर मैंने मैडम को सीधा बेड पर लेटाया और उनकी बुर को चाटने लगा / उनकी बुर पर एक भी बाल नहीं था / मुझे काफी मजा आ रहा था, वो भी आह आह कर रही थी / थोड़ी देर बाद उनकी बुर से पानी सा निकल गया /
अब उनसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, उन्होंने कहा- अब अपने लण्ड को मेरी बुर में डाल भी दो !
मैं अपना लण्ड जो कि एकदम टाइट था उनकी बुर में डालने लगा, पर मैंने इससे पहले कभी चुदाई नहीं की थी इसलिए मैं ठीक से उनकी बुर में डाल नहीं पा रहा था / फिर उन्होंने अपने हाथों से अपनी बुर को खोला और फिर मैंने अपना लण्ड उनकी बुर में डाल दिया / मेरा पूरा लण्ड जाते ही वो चिल्लाने लगी- आह ! आहऽऽऽआह आह चोदो, चोदो मुझे ! फाड़ दो मेरी बुर को !
मैं उन्हें जोर से चोदने लगा / वो आह आह करती रही / अब मैं उनको चोदता रहा, चोदता रहा, लगभग ३० मिनट तक चोदा और वो दो बार झड़ चुकी थी / मैं भी उनकी बुर में ही झड़ गया / अब वो शांत हो चुकी थी पर मैंने पहली बार चुदाई की थी इसलिए मैं फिर उन्हें चोदना चाहता था / १५ मिनट तक मैं उनके बूब्स दबाता रहा /
फिर उन्होंने कहा- अब बस करो !
मैंने उनसे कहा- नहीं मैडम ! अब मुझे आपकी गांड मारनी है !
वो मना करने लगी पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उनको बेड पर उल्टा लिटा दिया / अब मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था, मैं उनकी गांड में अपने लण्ड डालने लगा / पर वो डर रही थी कि कहीं चिंटू आ न जाये /
मैं उन पर चढ़ चुका था, अब वो जा भी नहीं सकती थी / मैं उनकी बुर में अपनी ऊँगली डाल कर अंदर बाहर कर रहा था / २ मिनट बाद वो फिर से गरम हो गई और मुझे सहयोग करने लगी और अपने हाथों से अपनी गांड को खोल दिया, मैंने जोर से अपने लण्ड को उनकी गांड में डाल दिया / जैसे ही मेरा लण्ड उनकी गांड में घुसा, वो ऐसे चिल्लाने लगी जैसे अभी मर जायगी / वोह बोलने लगी- रवि , प्लीज़ इसे बाहर निकालो !
पर मैं और जोर से चुदाई करने लगा, वोह जोर जोर से चिल्लाती रही, पर मैं नहीं रुका / 20 मिनट तक मैं उनके ऊपर चढ़ कर उनको चोदता रहा /
अब वो बोलने लगी- रवि अब बाहर निकालो ! बाहर निकलो प्लीज़ !
पर मैं जोर जोर से मारता रहा, मारता रहा और 30 मिनट बाद मैं उनके गांड में झड़ गया /
मैडम ने कहा- अब तुम अपने घर जाओ !
फिर मैं अपने घर चला आया /
उसके बाद मैं मैडम को 15-20 बार चोद चुका हूँ /
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...
दोस्तो, मेरा नाम रवि है, मैं पंजाब का रहने वाला पंजाबी मुंडा हूँ और मेरी उम्र 34 साल की है / अब मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ /
फ़्लैश-बॅक
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बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं में था / मेरे एक्साम होने वाले थे और मैं अंग्रेजी में बेहद कमजोर था / अच्छे नंबर लेने के लिए मैंने अपनी इंग्लिश वाली मैडम से मुझे एक महीने पढ़ाने को कहा तो वो माँ गई /
उनका नाम माधुरी सिंह था, वो 30 साल की थी, उनका कद 5 फ़ुट 5 इंच, उनका फिगर 38DD-30-38 का होगा / बड़ी सेक्सी थी वोह ! उनके मुममे बड़े सेक्सी थे, बिल्कुल पक्के आम की तरह से / माधुरी की गाँड ऐसी थी जैसे दो बड़े तरबूज पीछे से फिट कर दिए गये हों, जब वो चलती थी तो दिल करता था की बस अपना लंबा चौड़ा लंड उसकी गाँड के अंदर डाल कर बस धक्कम पेल करता रहूं /
पूरे साल मैं बस उनको ही देखता था और इसलिए मैं अंग्रेजी में कमजोर हो गया था / वो इतनी सेक्सी थी कि जब भी मैं उन्हें देखता था, बस मेरा लंबा चौड़ा लण्ड खड़ा हो जाता था / बस मैं यही कहता था कि कब उनके बूब्स को दबाऊं ! मैं रात को मुट्ठ मारा करता था /
अब मैं कहानी पर आता हूँ / मैडम ने मुझे टयूशन पढ़ने के लिए हाँ कर दिया था और मुझे शाम को ६ से ७ का टाइम दिया था / उनके घर में सिर्फ उनका एक बेटा जो कि ७ साल का था, रहता था / उनका तलाक हो चुका था / शाम को उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकल जाता था और मैडम के घर में सिर्फ हम दोनों ही होते थे / मैडम घर में तो और भी माल लगती थी / जब वो मुझे पढ़ाती थी, मैं बस उनके बूब्स को ही देखता रहता था पर मैंडम को शक नहीं होता था / फिर मैं घर जाकर मुट्ठ मारा करता था, मैं तो सपने में बस मैडम को ही देखता था पर मैं कर भी क्या सकता था /
पर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया / अगले दिन से मैं मैडम के घर जब भी जाता तो एकदम बन-ठन के जाता, परफ्यूम लगा कर जाता / जब मैं पहले दिन बन-ठन के गया तो मैडम ने मुझसे कहा- क्या बात है बड़े स्मार्ट लग रहे हो ! किसी गर्ल-फ्रेंड से मिलने जा रहे हो क्या?
तो मैंने मजाक में ही कहा- मैडम ! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ कि कोई मेरी गर्ल-फ्रेंड हो !
तो मैडम ने कहा- क्यों ! तुम तो काफी सेक्सी हो !
उस दिन मैंने बाद में मैडम से मजाक में कह दिया की मैडम क्या आप मेरी गर्ल-फ्रेंड बनोगी?
तो मैडम ने समझा कि मैं मजाक कर रहा हूँ और मुस्कुरा दी /
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया / अब मैं मैडम से खुल के बाते करने लगा / मैंने मैडम से पूछा- मैडम आप अकेले रहती हो ! आपको अजीब नहीं लगता?
मैडम ने कहा- मैं कर भी क्या सकती हूँ?
तो मैंने जल्दी से बोला- आप कोई दोस्त क्यूँ नहीं बना लेती?
उन्होंने मुझे घूरा, फिर मुस्कुरा दी और बोली कि मेरा दोस्त कौन बनेगा?
मैंने बोला- मैं बन जाता हूँ !
और इतना कहते ही मैंने मैडम का हाथ पकड़ लिया /
फिर मैडम ने कहा- ठीक है !
उस दिन से मैं मैडम के घर आने जाने लगा / रात के ९ बजे तक भी मैं उनके घर चला जाता था, वो भी मुझसे दिल खोल कर बातें करने लगी / मैं मैडम के घर का काम भी कर देता था जैसे मार्केट से कुछ लाना हो आदि /
एक दिन मैंने मैडम से पूछ ही लिया- आपको अकेले रात बितानी पड़ती है, आप को डर नहीं लगता?
मैडम मुस्कुरा दी /
फिर मैंने कहा- अगर आप को डर लगे तो मुझे बुला लेना /
तो उन्होंने कहा- ठीक है /
अब मैडम और मुझमे एक रिश्ता सा बन गया था /
एक दिन जब मैं उनके घर पढ़ रहा था तभी बल्ब ख़राब हो गया / मैडम ने मुझे कहा कि मैं दूसरा बल्ब लगा दूँ ! और मुझे एक दूसरा बल्ब दिया / बल्ब काफी ऊपर था और मैं पहुंच नहीं पा रहा था और मैंडम के घर में कुछ था भी नहीं कि जिसके सहारे वहाँ तक पंहुचा जा सके / उसी समय मैंने मैडम को मजाक में कहा- मैडम मैं आपको उठाता हूँ और आप बल्ब लगा दो /
मैं हैरान हो गया जब मैडम ने कहा- हाँ, ठीक है /
मैंने ख़ुशी से उनको अपने गोद में उठा लिया / वाह कितना कोमल शरीर था उनका ! मैंने उनको गोद में उठा लिया, उनकी गांड मेरी छाती से मिल रही थी और पीठ मुँह से / मुझे इतना मजा आया कि मैं सब कुछ भूल कर मैडम की पीठ सूंघने लगा / मैडम काफी भारी थी, धीरे धीरे वो नीचे आ रही थी / अब मेरे हाथ मैडम के पेट तक पहुँच गए लेकिन मैडम ने कुछ भी नहीं कहा / तब मुझमें हिम्मत आई और मैंने जान बूझझ कर मैडम को और नीचे कर दिया / अब उनकी गांड मेरे लण्ड तक पहुँच गई और उनके बूब्स मेरे हाथों में ! लेकिन मैडम वैसे ही खड़ी रही / तब मैंने उनके बूब्स को धीरे से दबा दिया और उन्होंने आह कर दिया /
अब मैं अपने हाथों से उनके बूब्स मसलने लगा और थोड़ी देर बाद वो गरम हो गई / मैं भी गरम हो गया था, मेरे लण्ड एकदम टाइट था / मैंने मैडम को दोनों हाथों से उठाया और बेड पर पटक दिया / फिर मैंने मैडम से बोला- मैडम, आज मुझे मत रोकना !
वो बोली- ठीक है !
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मेरा लण्ड देखकर मैडम उछल पड़ी / मेरा लण्ड 8 इंच लम्बा और 3.2 इंच मोटा है / मैडम मुझ पर कूद पड़ी और मेरे लण्ड को चूसने लगी / मैं भी उनके कपड़े उतारने लगा / वाह क्या चुच्चियाँ थी उनकी ! मैं उनके बूब्स दबाने लगा /
अब वो इतनी गरम हो चुकी थी कि बोलने लगी- रवि ५ सालों से मैंने किसी से नहीं चुदाया, तुम आज मेरी फाड़ दो !
फिर मैंने मैडम को सीधा बेड पर लेटाया और उनकी बुर को चाटने लगा / उनकी बुर पर एक भी बाल नहीं था / मुझे काफी मजा आ रहा था, वो भी आह आह कर रही थी / थोड़ी देर बाद उनकी बुर से पानी सा निकल गया /
अब उनसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, उन्होंने कहा- अब अपने लण्ड को मेरी बुर में डाल भी दो !
मैं अपना लण्ड जो कि एकदम टाइट था उनकी बुर में डालने लगा, पर मैंने इससे पहले कभी चुदाई नहीं की थी इसलिए मैं ठीक से उनकी बुर में डाल नहीं पा रहा था / फिर उन्होंने अपने हाथों से अपनी बुर को खोला और फिर मैंने अपना लण्ड उनकी बुर में डाल दिया / मेरा पूरा लण्ड जाते ही वो चिल्लाने लगी- आह ! आहऽऽऽआह आह चोदो, चोदो मुझे ! फाड़ दो मेरी बुर को !
मैं उन्हें जोर से चोदने लगा / वो आह आह करती रही / अब मैं उनको चोदता रहा, चोदता रहा, लगभग ३० मिनट तक चोदा और वो दो बार झड़ चुकी थी / मैं भी उनकी बुर में ही झड़ गया / अब वो शांत हो चुकी थी पर मैंने पहली बार चुदाई की थी इसलिए मैं फिर उन्हें चोदना चाहता था / १५ मिनट तक मैं उनके बूब्स दबाता रहा /
फिर उन्होंने कहा- अब बस करो !
मैंने उनसे कहा- नहीं मैडम ! अब मुझे आपकी गांड मारनी है !
वो मना करने लगी पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उनको बेड पर उल्टा लिटा दिया / अब मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था, मैं उनकी गांड में अपने लण्ड डालने लगा / पर वो डर रही थी कि कहीं चिंटू आ न जाये /
मैं उन पर चढ़ चुका था, अब वो जा भी नहीं सकती थी / मैं उनकी बुर में अपनी ऊँगली डाल कर अंदर बाहर कर रहा था / २ मिनट बाद वो फिर से गरम हो गई और मुझे सहयोग करने लगी और अपने हाथों से अपनी गांड को खोल दिया, मैंने जोर से अपने लण्ड को उनकी गांड में डाल दिया / जैसे ही मेरा लण्ड उनकी गांड में घुसा, वो ऐसे चिल्लाने लगी जैसे अभी मर जायगी / वोह बोलने लगी- रवि , प्लीज़ इसे बाहर निकालो !
पर मैं और जोर से चुदाई करने लगा, वोह जोर जोर से चिल्लाती रही, पर मैं नहीं रुका / 20 मिनट तक मैं उनके ऊपर चढ़ कर उनको चोदता रहा /
अब वो बोलने लगी- रवि अब बाहर निकालो ! बाहर निकलो प्लीज़ !
पर मैं जोर जोर से मारता रहा, मारता रहा और 30 मिनट बाद मैं उनके गांड में झड़ गया /
मैडम ने कहा- अब तुम अपने घर जाओ !
फिर मैं अपने घर चला आया /
उसके बाद मैं मैडम को 15-20 बार चोद चुका हूँ /
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
आपके जवाब के इंतेज़ार में ...