जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:36

हम दोनो ही प्यार और चुदाई का खेल जल्दी ही ख़तम कर के सोना चाहते थे क्यों कि सुबह हम को जल्दी उठना था, अपना सामान पॅक करना था. शाम को हमारी फ्लाइट गोआ से मुंबई की थी जहाँ से हम अपनी आगे की ज़ूरिच ( स्विट्ज़र्लॅंड) की फ्लाइट हमारे हनी मून के लिए पकड़ने वाले थे.

मैं उनके उपर थी और वो अपनी पीठ के बल लेटे हुए थे. मैं उनके उपर, उनका लंबा और गरम चोद्ने का हथियार लंड अपनी रसीली चूत मे ले कर बैठी थी. मैं उनके उपर बैठी होने के कारण उनका लॉडा मेरी चूत मे आख़िर तक घुस गया था. माने अपना वजन अपने घुटनों पर डाला तो मेरी गंद उन से ज़रा सी उपर हो गई ताकि वो नीचे से अपने लंड से मेरी चूत को चोद सके और मैं उपर बैठ कर चुद्वा सकूँ.

मैं हमेशा की तरह गरम और मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. मेरी चूत का काफ़ी गीला होना हमेशा उन का लंबा और मोटा लंड मेरी चूत मे दो तीन झटकों मे लेने मे बहुत मददगार होता है.

मैं उन के लंड पर बैठी, उनके लंड को अपनी चूत मे डाले, अपनी गंद को गोल गोल घुमाने लगी. उन का मोटा तगड़ा लंबा लंड मेरी चूत की अन्द्रुनि दीवारों पर रगड़ खा रहा था.

कुछ देर अपनी गंद उनका लंड अपनी चूत मे लिए घुमाने के बाद मैं रुक गई. मैने अपनी दोनो हथेलिया उन की चौड़ी छाती पर रख कर उनको चोद्ने का सिग्नल दिया. मेरी झूलती हुई चुचियों को मसल्ते हुए, दबाते हुए उन्होने नीचे से मुझे चोद्ना शुरू किया. उनका लंबा लॉडा मेरी फुददी मे अंदर बाहर होना शुरू हुआ और मैं चुद्वाते हुए स्वर्ग की सैर करने लगी.

उनकी चोद्ने की रफ़्तार बढ़ती गई और उनका लंड जल्दी जल्दी, ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा और साथ ही साथ वो मेरी चुचियों को भी ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगे जिस से मेरा चुद्वाने का आनंद बढ़ता गया .

मेरे मूह से आनंद और मज़े के मारे आवाज़ें निकलने लगी और मैं तो जैसे उनकी क़ाबलियत भरी चुदाई से सातवें आसमान की सैर करने लगी.

मैं मस्ती मे बोलती जा रही थी “ओह डियर…….. हां डार्लिंग………. लव यू जान….. हां …… हां… आ…… आ….. ओह………. ओह……… हां………. चोदो…….. चोदो……..और………. हां……”

उन को भी अपनी पसदीदा प्यारी चूत चोद्ने मे बहुत मज़ा आ रहा था. आप तो जानते ही है कि मैं बहुत जल्दी गरम हो जाती हूँ. यहाँ तक कि चुदाई की बात भी मुझे सेक्सी बना देती है. और इसीलिए मैं हमेशा ही बहुत जल्दी झाड़ जाती हूँ, अपने चोद्ने वाले से बहुत पहले, चोदते हुए लंड का पानी निकलने से बहुत पहले ही मैं अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच जाती हूँ. एक तरह से ये अच्छा भी है. मेरे चोद्ने वाले की एक चुदाई मे मैं दो बार चुद्वाने का मज़ा ले लेती हूँ. वैसे भी मेरे चाचा और मेरे पति, दोनो ही चुदाई के मामले मे बहुत मज़बूत है, उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगता है जो एक अच्छे चुड़दकड़ होने का सबूत है. किसी भाग्यशाली लड़की का ही ऐसा नसीब होता है जिसे कोई मज़बूत और बहुत देर तक चोदने वाला पति मिलता है.

मेरी हलचल से वो समझ गये कि मैं चुदाई की मंज़िल के बहुत पास हूँ तो उन्होने मुझे चोद्ने की रफ़्तार और बढ़ा दी और उनका लंड किसी मशीन की तरह मेरी चूत मे जल्दी जल्दी अंदर बाहर हो रहा था. अब उन्होने मेरी चुचिया छ्चोड़ कर मेरी गोल गोल गंद को पकड़ रखा था और मेरी गीली चूत मे अपने लंड के धक्कों के साथ मेरी गंद को उपर नीचे करने मे मेरी मदद करने लगे. मेरी चूत अपने ही रस से बहुत ही गीली हो गई थी और इसी वजह से हमारा चहेता चुदाई का संगीत, “फ़चा फॅक ……….. फ़चा फॅक ……फ़चा फॅक” हमारे कानों मे गूंजने लगा. चुदाई का संगीत दुनिया मे सबसे पसंदीदा संगीत है. हर चुदाई करने वाला जोड़ा चुदाई मे ये संगीत सुन ना पसंद करता है.

वो नीचे से अपनी गंद उठा उठा कर मेरी चूत को चोद्ने का मज़ा ले रहे थे और मुझे चूत चुद्वाने का मज़ा दे रहे थे. मैं तो जैसे पहुँचने ही वाली थी. मेरा नंगा बदन अकड़ने लगा, नसें खींचने लगी और मेरे मूह से निकला ” ओह डियर…….. हां डियर………… हां…… हां……. आअह…. मैं गई जानुउऊउउ….. आ…… ओह…………ऑश.. आआआअहह………. ऊऊऊ हह…………..”

और मैने उन के तनटनाते हुए खड़े लंड को अपनी रसीली चूत मे जाकड़ लिया. मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच चुकी थी…….. मेरा हो गया था और मैं बहुत ज़ोर से झाड़ गयी.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:36

मेरी चूत से रस निकलता जा रहा था, मेरी आँखें बंद हो गई थी और मैं झड़ने का मज़ा उनके लंबे और तने हुए लंड को अपनी चूत मे लिए ले रही थी.

मैं उनके लंड को अपनी चूत मे जकड़े उनके उपर अपनी टाँगों को सीधा कर के लेट गई.

हम कुछ देर ऐसे ही रहे. मैं तो चुद्वा कर, झाड़ कर अपना मज़ा ले चुकी थी पर वो अभी बीच मे ही थे. उन का लंबा और मोटा चुदाई का औज़ार लॉडा मेरी चूत मे नाच रहा था और अपना लंड रस बरसाने को बेकरार था. उनका लंड जैसे मेरी चूत से बोल रहा था ” तुम्हारा हो गया डार्लिंग? मेरा होना तो अभी बाकी है. मैने तो तुम्हारा रस चख लिया है पर तुम भी तो मेरा रस निकालो और चखो.”

मैने अपना मूह उपर कर के उनके होठों को चूमा.

मैं बोली – आओ डार्लिंग! मैं तो स्वर्ग मे हूँ. तुम भी मेरे साथ आओ.

वो बोले – अभी आता हूँ. मुझे शुरू करने दो.

और मैं नीचे लेट कर चुद्वाने को तय्यार हो गई. मैने देखा कि उनका लंबा और मोटा लंड किसी लोहे के डंडे की तरह तना हुआ कड़क है. वो मेरी चूत के रस से गीला, पर गरम था. मैने उन के लंड को छुआ तो वो सचमुच काफ़ी गरम था.

वो बोले – जूली……….. मैं तुम्हारे प्यार के रास्ते को अपने लंड के प्रेम रस से भरना चाहता हूँ, घूम जाओ और मुझे पीछे से चोद्ने दो.

एक बार तो मैने सोचा कि वो मेरी गंद मारने वाले है. मैं तो उस के लिए भी तय्यार थी. मैं अपनी पीठ उनकी तरफ करके घूम गई और अपने बदन को थोड़ा मोड़ कर अपनी गंद उनके लंड की तरफ की. उन्होने अपने हाथ मेरी नंगी पीठ पर, मेरी गंद की दरार मे, मेरी गंद के मूह पर फिराए और मुझे मज़ा आने लगा. जल्दी ही ये सॉफ हो गया कि वो मेरी गंद नही मारने वाले थे, मेरी चूत मे पीछे से अपना लंड डाल कर मुझे चोद्ने वाले थे.

मैं बिस्तर पर अपनी करवट मे, अपनी गंद उनकी तरफ करके लेटी थी. उन्होने मेरा उपर का पैर ज़रा उठाया ताकि वो पीछे से अपना गरम लंड मेरी गीली चूत मे डाल कर मुझे चोद सके. हम थोड़ा आगे पीछे हुए और अब उनका तना हुआ लंड मेरी चूत के दरवाजे पर था. उन्होने अपना लंड हाथ से पकड़ कर सही जगह लगाया और ज़ोर लगाया तो उनका लंड मेरी चूत मे घुसने लगा.

उन्होने फिर ज़ोर लगाया तो उनका आधा लंड मेरी चूत मे पहुँच गया . वो मेरी पीठ पर चुंबन लेते हुए अपना लंड मेरी चूत मे घुसा रहे थे और मुझे मज़ा आ रहा था. उन्होने अपना नंगा बदन मेरे नंगे बदन से थोड़ा दूर किया. अब हम दोनो का उपरी नंगा बदन एक दूसरे से थोड़ी दूर था पर हमारे नंगे बदन का नीचला हिस्सा जुड़ा हुआ था. उन्होने अपने पैर अपने घुटनों से मोड और मैने भी अपना एक पैर थोड़ा उठा कर, अपनी गंद को ज़रा पीछे करके चुद्वाने के लिए तय्यार हो गई. हमारे पैर एक दूसरे के परों मे फँसे थे और मेरी गंद का एक भाग बिस्तर पर था तो दूसरा भाग ज़रा सा उनके उपर था. चोदने और चुद्वाने के लिए ये बिल्कुल मस्त पोज़िशन थी. अब पीछे से वो मुझे आराम से चोद सकते थे. जब उन्होने थोड़ा ज़ोर लगाया तो उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों तक घुस गया . वो अपना लंड मेरी चूत मे घुमाना और अंदर बाहर करना शुरू कर चुके थे और मैं भी अपनी गंद आगे पीछे कर के उनका साथ देने लगी.

मैं अपनी दूसरी पारी खेल रही थी पर वो तो अभी तक अपनी पहली पारी मे ही नोट आउट खेल रहे थे. जब भी मेरी गंद उनके धक्के मारते बदन से टकराती तो वोही प्यार का. चुदाई का संगीत पैदा होने लगा. दूसरा संगीत उन के लंड के मेरे चूत मे आने जाने से बज रहा था क्यों कि मेरी चूत काफ़ी गीली थी. वो पीछे से मेरे कंधे पकड़ कर मुझे चोद रहे थे, मेरी आँखें बंद थी और मैं चुद्वाने का आनंद ले रही थी.

मैं इतनी नसीब वाली हूँ कि मैने हमेशा ही चुद्वाने का पूरा मज़ा लिया है. मैं जानती हूँ कि कई मर्द होते है जो चुदाई मे ज़्यादा देर तक नही टिक पाते और जल्दी ही उनके लंड का पानी निकल जाता है और बेचारी लड़की प्यासी ही रह जाती है. शुक्र है भगवान का कि मेरे साथ ऐसा नही है. मैं इतनी सेक्सी हूँ कि मैं चुद्वाने के लिए कभी ना नही करती. कभी भी, कहीं भी चुद्वाने के लिए तय्यार रहती हूँ, बस मौका मिलना चाहिए. मैं अपनी जिंदगी मे ज़्यादा से ज़्यादा चुद्वाना चाहती हूँ. और शायद इसी लिए मुझे चुदाई का मज़बूत साथी मिला है.

मेरे पति भी मेरे जैसी पत्नी पा कर भाग्यशाली है क्यों कि मैं चुदाई मे बराबर उनका साथ देती हूँ.

मैं कई औरतों को जानती हूँ जो ज़्यादा चुद्वाना पसंद नही करती, शायद अपने साथी की कमजोर चुदाई की वजह से या किसी दूसरी वजह से. लेकिन मैं तो ऐसी लड़की हूँ जो चुदाई से प्यार करती है, जब भी साथी चोद्ना चाहे चुद्वाती हूँ और जब भी चुद्वाना चाहती हूँ, साथी चोद्ता है.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:37

हम दोनो पति पत्नी बहुत किस्मत वाले है और जब भी मन करता है, हम अपना पसंदीदा चुदाई का खेल खेलतें है. खैर……………….

वो अपने लंड के मेरी फुददी मे जोरदार धक्कों के साथ मेरी चुदाई मे व्यस्त थे और हम आनंद लूट रहे थे. उनको धक्के लगाने मे मेरी गीली चूत का पूरा साथ मिल रहा था और उनका लंड बिना किसी तकलीफ़ के मेरी चूत मे अपना सफ़र कर रहा था.

हम दोनो ही जल्दी सोना चाहते थे पर जब एक बार हम ने चुदाई शुरू करदी तो हम ने समय के बारे मे कभी नही सोचा. बिना किसी बात की चिंता किए हम अपना चुदाई का खेल खेल रहे थे.

अब तक कि उनकी जोरदार चुदाई की वजह से मैं और भी गरम और सेक्सी हो गई. मेरे अंदर फिर एक बार झड़ने का मज़ा पनपने लगा. मैं दोबारा झड़ने के लिए तय्यार थी और वो मुझे तेज़ी से चोदे जा रहे थे…… चोदे जा रहे थे……… मैं चुद्वा रही थी……… चुद्वा रही थी…….. ,

बस अब तो इंतज़ार था उनके लंड से होने वाली प्यार के पानी की, आज रात की पहली बरसात का.

मैं उनका पूरा साथ दे रही थी चुदाई मे और मेरा नंगा बदन फिर एक बार अकड़ने लगा जो कि झड़ने के पहले होता है. उन के कड़क और तने हुए मोटे लौडे के मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मैं आसमान मे उड़ने लगी, मेरे मूह से निकलने लगा ” हां जानू……….. मेरी जान……. तेज…. और तेज……. और ज़ोर से………. ऑश……… आआअहह…. चोदो जान…… हाआँ.”

वो बोले ” रूको डार्लिंग! मैं भी आ रहा हूँ……. रूको…. रूको….. ऑश आआहहाा………………”

मैं पूरी कोशिश कर रही थी कि उनके साथ ही झाड़ू. पर……… पर….. अचानक ही मैं अपने आप को रोक नही सकी और मेरी चूत ने बहुत सा रस झाड़ते हुए छ्चोड़ दिया. मैं फिर एक बार झाड़ चुकी थी, पर वो भी ज़्यादा दूर नही थे. मैं तो झाड़ चुकी थी और 4 – 5 जोरदार लंड के धक्कों के बाद

वो भी अपनी मंज़िल पर पहुँच गये. उन्होने मुझे पीछे से कस कर पकड़ लिया और उनके लंड के मूह से प्यार के पानी की बरसात मेरी गीली चूत के अंदर होने लगी.

उनके मूह से निकला ” ओह जुलीईई….. आअहह”

उनका लोहे जैसा मज़बूत चुदाई का औज़ार लॉडा मेरी चूत मे नाच नाच कर अपना रस तेज़ी से फेंक रहा था और हम एक दूसरे से चिपके हुए सोए रहे. वो पीछे से मुझे चिपके हुए मेरी चुचियों से खेलने लगे. हम दोनो को ही चुदाई का भरपूर मज़ा आया, मुझे दो बार और उनको एक बार. उनका कड़क लंड अभी भी मेरी चूत मे था.

थोड़ी देर बाद जब उनका लॉडा नरम होना शुरू हुआ तो उन्होने मेरी चूत से अपना लंड मेरी गीली चूत से बाहर निकाल लिया.

मैं खड़ी हो कर बाथरूम मे अपनी चूत सॉफ करने गई. वहाँ बैठ कर मैने अपने मूत के साथ ही उनका लंड रस बहा दिया और अपनी प्यारी सी, सफाचट चूत को पानी से धोया और जब मैं वापस आई तो उन्हे अपना इंतज़ार करते पाया. वो भी मूतने के लिए बाथरूम जाना चाहते थे.

उनके वापस आने के बाद हमने बत्ती बुझाई और एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे लिए, एक जोरदार चुदाई के बाद गहरी नींद मे पहुँच गये.

अगले दिन, हम पूरे दिन अपना समान बाँधने मे और अपने हनी मून पर शाम को रवाना होने से पहले परिवार के लोगों से मिलने मे व्यस्त थे.

हम ने गोआ से मुंबई के लिए हवाई जहाज़ पकड़ा और मुंबई पहुँचे. मुंबई से हम को स्विस के ज़ूरिच ( स्विट्ज़र्लॅंड ) जाने वाले हवाई जहाज़ मे सफ़र करना था.

सब कुछ अच्छा रहा और हम अपने हनी मून पर जाने के लिए जहाज़ मे सवार हो गये. जब हमारा हवाई जहाज़ उड़ा तो उस समय रात के या सुबह के 1.50 हुए थे. मैं खिड़की वाली सीट पर बैठी थी और मेरे पति मेरी बगल मे बैठे थे. हम ने थोड़ी से वाइन पी जिस से हम फिर से गरम और सेक्सी होने लगे. हमारी पिछली रात की चुदाई को 24 घंटे से ज़्यादा हो चुके थे.

हम दोनो कंबल ओढ़े बैठे थे और हवाई जहाज़ की अंदर की बत्तियाँ बंद हो चुकी थी. सब लोग सोने की कोशिश करने लगे पर हम दोनो का सेक्सी जोड़ा कंबल के अंदर अपनी पसंद का खेल खेलने लगा.

मैं उनके लंड पर और वो मेरी चूत पर, सोने से पहले, अपने हाथों का कमाल दिखा रहे थे. हमेशा की तरह मैं तो उनसे कहीं पहले ही झाड़ चुकी थी और मैं पूरी कोशिश कर रही थी उनके लंड का पानी निकालने की. मैं उनका लंड टाइट पकड़ कर हिला रही थी…….. उपर नीचे कर रही थी….. कर रही थी…….. ज़ोर ज़ोर से…….. तेज़ी से….. ताकि उनके लंड का पानी निकल जाए. थोड़ी देर बाद उन्होने मेरा हाथ रोक दिया. मैं समझी नही क्यों कि वो अभी भी बीच मे थे और उनके लंड का पानी निकला नही था. उन्होने अपना खड़ा हुआ लंड फिर से अपनी पॅंट मे डाला और बाथरूम मे गये. मैं अब समझी की उन्होने मेरा हाथ क्यों रोक दिया था. वो अपने लंड का पानी कंबल मे निकालने की बजाय बाथरूम मे निकालना चाहते थे. मैने भी अपनी गीली चूत टिश्यू पेपर से सॉफ की और टिश्यू पेपर को सामने की सीट मे बनी कचरे की थैली मे डाल दिया.

वो अपने लंड पर खुद ही मूठ मार कर, लंड का पानी निकाल कर बाथरूम से वापस आए तो मैने उन के चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखे.

क्रमशः.................................


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