कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:32

“ विकी मेरी चूत बहुत प्यासी है, इसे अपना वीर्य पिला के इसकी प्यास बुझा दे प्लीज़ . उंड़ेल दे सारा वीर्य मेरी चूत में. भर दे इसे अपने वीर्य से. तू चाहे तो इसे चोद चोद के फाड़ डाल. लेकिन अब और तंग मत कर. ” मैं पूरी ताक़त से चूतेर पीछे की ओर उचकाते हुए और विकी के मूसल को अपनी चूत में पेलते हुए बोली. अब तो मैं शर्म हया बिल्कुउल भूल चुकी थी. मैं वासना की आग में इतना जल रही थी कि ये भी भूल गयी कि मैं ना सिर्फ़ एक औरत हूँ बल्कि ये जो मर्द मुझे चोद रहा है मेरा सगा भाई है. अब तो मैं ना केवल एक रंडी की तरह चुदवा रही थी बल्कि रंडी की तरह बातें भी कर रही थी. सिर्फ़ एक ही भूख थी – विकी के एक फुट लंबे और आठ इंच मोटे लॉड की और सिर्फ़ एक ही प्यास थी – विकी के वीर्य की.

“ हाई दीदी मेरी जान ! पूरी ज़िंदगी आपने मुझे तंग किया है. आज आप भी थोड़ा सा तंग हो लो. आपकी चूत की प्यास ज़रूर बुझाउन्गा, पहले अपने लंड की प्यास तो बुझा लूँ.”

“ ऊओफ़, चार घंटे से चोद रहा है अभी तक तेरे लंड की प्यास नहीं बुझी?”

“ नहीं मेरी जान आज तो पूरी रात चोदुन्गा.” ये कह कर विकी ने मेरी चूत के रस में सना हुआ लंड बाहर खींच लिया और मेरे पीछे फिर से घोड़ा बन के मेरी बुरी तरह गीली रस टपकाती चूत में मुँह दे दिया. थोरी देर तक चूत को चाटता चूमता रहा और जीभ चूत के अंडर पेलता रहा. फिर उसने जीभ मेरे चूतरो के बीच की दरार में फेरना शुरू कर दिया. अब वो चूत की दरार से ले कर चूतरो के बीच की दरार तक जीभ फेरने लगा. जब उसकी जीभ मेरी गांद के छेद के ऊपर से गुज़रती तो मैं काँप जाती. फिर उसने मेरे दोनो चूतरो को फैला दिया और गांद के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगा. अचानक विकी ने मेरे चूतरो को ज़ोर से फैला के जीभ को गांद के छेद में पेल दिया. अब तो वो ज़ोर ज़ोर से गांद चाटने लगा और गांद के छेद में जीभ अंडर बाहर करने लगा. ऊओफ़ बहुत मज़ा आ रहा था. मैं भी गांद पीछे की ओर उचका उचका के पूरा मज़ा लेने लगी. मैं समझ गयी कि विकी अब मेरी गांद मारने के चक्कर में है. शायद वो मेरी गांद को अपने लॉड के लिए तैयार कर रहा था. ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि कोई मर्द मुझे कुतिया बना के चोदे और उसके बाद मेरी गांद मारने का ख्याल उसके मन में ना आए. आख़िर मेरे इन विशाल चौड़े चौड़े चूतरो ने मर्दों की नींद ऐसे ही तो हराम नहीं कर रखी थी. मेरे फैले हुए चूतेर मर्दों का क्या हाल करते थे मैं अच्छी तरह से जानती थी. गांद मरवाने के लिए तो मैं भी बेताब थी लेकिन विकी का लॉडा इतना मोटा और लंबा था की मेरी गांद निश्चित रूप से फाड़ देता. जब मर्द का लंड गांद में जाता है तो मज़ा तो बहुत आता है. मेरा देवर रामू मेरी गांद बहुत ही अच्छी तरह से मारता था. वो कहता था, ‘ भाभी आपकी ये चौड़ी गांद तो एक फुट लंबे लॉड को भी लील जाए.’ उसका खुद का लंड भी 10 इंच लंबा और ख़ासा मोटा था. लेकिन एक फुट लंबा लंड और वो भी पेड़ के तने के समान मोटा ! बाप रे ! जाने क्या हाल होगा मेरी गांद का?

विकी ने पास रखी वासेलीन की बॉटल से खूब सारा वॅसलीन अपनी उंगली पे लगा के उंगली को मेरी गांद में पेल दिया. उसने तीन चार बार ढेर सारा वॅसलीन मेरी गांद के अंडर अच्छी तरह से लगा दिया. वो भी समझता था कि उसका मूसल मेरी गांद के लिए बहुत मोटा था. फिर मेरे हाथ में वॅसलीन देता हुआ बोला,

“ लो दीदी अपने हाथो से आप इसे मेरे लंड पे लगा दो.” मैने ढेर सारा वॅसलीन हाथ में ले कर उसके तने हुए लॉड पे लगाना शुरू कर दिया. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था! मेरी चूत के रस में सना हुआ बहुत ही भयंकर लग रहा था. उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए मैं सोच रही थी कि ये मूसल मेरी गांद के छ्होटे से छेद में कैसे जाएगा ? कैसे झेल पाउन्गि इसको ?

“ विकी तू सुचमुच मेरी गांद लेना चाहता है ? देख तेरा लंड बहुत बड़ा है मैं इसे झेल नहीं पाउन्गि.” मैं उसके विशाल लंड पे वॅसलीन मलते हुए बोली.

“ दीदी, जिस गांद ने पूरे शहर की नींद हराम कर रखी है उसे ले कर तो मैं धन्य हो जाउन्गा. फिर आपकी गांद के लिए तो मैं बचपन से तरस रहा हूँ. मैने एक फिल्म में एक कालू को एक 15 साल की लड़की की गांद में अपना मूसल पेलते देखा है. उस कालू का तो शायद मेरे लंड से भी बड़ा लंड था. आप डरो मत मैं बहुत प्यार से पेलुँगा.”

मैं बॉटल का सारा वॅसलीन विकी के लंड पे मलते हुए बोली,

“ ठीक है आज तू अपने मन की कर ले. लेकिन बहुत धीरे से डालना.”

“ ठीक है दीदी, बहुत धीरे से डालूँगा. अब चलो फिर से कुतिया बन जाओ” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. मैं फिर से कुतिया बन गयी. मैने अपनी छाति बिस्तेर पे टीका के चूतेर खूब ऊपेर हवा में कर दिए. इस मुद्रा में मेरी चूत का मुँह खुल गया और गांद का छेद भी विकी को निमंत्रण देने लगा. विकी ने मेरे दोनो चूतरो को पकड़ के खूब फैला दिया और अपने तने हुए लंड के मोटे सुपरे को मेरी गांद के छेद पे टीका दिया. मेरी तो साँस ही गले में अटक गयी. मैं उसके मोटे सुपरे का गांद में घुसने का इंतज़ार करने लगी. तभी विकी ने मेरे चूतेर पकड़ के एक धक्का लगाया. मेरी गांद में तो खूब वॅसलीन लगा ही हुआ था विकी का मूसल भी मेरी चूत के रस और ढेर सारी वॅसलीन से सना हुआ था. उसका मोटा सुपरा मेरी गांद के छेद को चीरता हुआ गुपप से 2 इंच गांद में धँस गया.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:33

“ऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईई……………….आआआआआआआआआ आ…………..आआअहह… ऊऊिइ… म्‍म्मा..... आआ आ आ....... आआ…ऊओह…आहह मर गयी .” मेरी गांद का छेद बुरी तरह चौड़ा हो गया. मैं इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे मुहल्ले में आवाज़ पहुँच गयी होगी. इससे पहले में संभाल पाती, विकी ने फिर एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उसका लंड 5 इंच मेरी गांद के अंडर धँस गया.

“ आआआआआ…………ऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईई.......... . मम्माआआअ विकी बस कर आहह…छोड़ मुझे …आऐईयईई ..आ मैं और नहीं झेल सकती. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ ….आआहह….निकाल ले ..अया.” मुझे पूरा विश्वास हो चला था था कि मैं उसके लंड को नहीं झेल पाउन्गि. दर्द के मारे बुरा हाल था. ऐसा लग रहा था जैसे गांद का छेद फॅट चुका था. आख़िर एक फुट लंबा लंड कैसे किसी औरत की गांद में जा सकता है ? मुझे पहले ही सोचना चाहिए था. लेकिन उस वक़्त तो विकी के मूसल से गांद मरवाने का भूत सवार था मेरे सिर पे. अभी मैं सोच ही रही थी के कैसे मनाउ विकी को अपना लंड मेरी गांद से बाहर निकालने के लिए, कि उसने लंड सुपारे तक बाहर खीच के पूरी ताक़त से एक और ज़बरदस्त धक्का लगा दिया.

“आआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ई……आआआआआआअहह……………” मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई. मेरी आँखों के सामने अंधेरा छ्छा गया. दर्द के मारे बुरा हाल था. मेरी गांद तो शायद फॅट ही गयी थी. लंड 10 इंच मेरी गांद में जा चुक्का था. बेहोशी सी छ्छा रही थी. बेहोश होने से पहले आखरी चीज़ जो मुझे याद है वो ये की विकी ने फिर से पूरा 10 इंच अंडर धंसा हुआ लॉडा बाहर निकाल के एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा एक फुट का लंड मेरी गांद में उतार दिया, उसकी जांघें मेरे चूतरो से चिपक गयी और उसके बड़े बड़े बॉल्स जो उसकी टाँगों के बीच में किसी सांड के बॉल्स की तरह झूलते रहते थे मेरी गीली चूत से फ़च की आवाज़ के साथ टकरा गये. उसके बाद मैं अपना होश खो बैठी.

15 – 20 मिनिट के बाद होश आया. मैं पायट के बल नंगी ही बिस्तेर पे पड़ी हुई थी. दोनो टाँगें इस प्रकार फैली हुई थी जैसे विकी मुझे बेहोशी की हालत में भी चोद रहा हो. विकी मेरे सामने कुर्सी पे बैठा हुआ पानी के छींटे मेरे मुँह पे मार रहा था. काफ़ी घबराया हुआ लग रहा था. उसका लंड अब खड़ा तो नहीं था लेकिन सिकुदा हुआ भी नहीं था. उसकी टाँगों के बीच में किसी लंबे मोटे साँप के माफिक झूल रहा था. मुझे होश में आता देख घबरा के बोला,

“ दीदी ठीक तो हो ? ये क्या हो गया आपको?”

“ ये बात तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? अपने इस मूसल से पूछ.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तूने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी दीदी को? ”

“ मैं तो बहुत डर गया था. मेरी प्यारी दीदी को कुच्छ हो जाता तो?” विकी मेरे होंठों को चूमता हुआ बोला. लंड सहलाने के कारण फिर से खड़ा होने लगा था. मैं भी फिर से वासना की आग में जलने लगी. आख़िर मेरी चूत तो अभी तक प्यासी ही थी. विकी एक बार भी नहीं झारा था. सुबह के चार बज रहे थे. पूरी रात की भयंकर चुदाई के कारण मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था. मेरी चूत और मेरी गांद का तो और भी बुरा हाल था. लेकिन विकी के लॉड की प्यास के सामने कुच्छ नहीं सूझ रहा था. विकी का लंड पूरी तरह तन गया था. ऊऊफ़ क्या भयंकर लग रहा था. सारी रात मेरी चूत का पानी जो पिया था.

“ अरे, ये तो फिर से खड़ा हो गया. अब क्या इरादा है ? सारी रात चोदने के बाद भी मन नहीं भरा तेरा?”

“ दीदी आप को चोद के किसी का मन भर सकता है क्या? आपने एक बार चोदने की इज़ाज़त दी है और अभी मैं झारा कहाँ हूँ?”

“ हाई राम ! तू तो सांड़ है. पता नहीं कब झरेगा. मेरी प्यासी चूत तडप रही है, तू उसकी प्यास कब बुझाएगा?” मैं उसके मोटे सुपरे को पागलों की तरह चाटने लगी.

“ ठीक है दीदी मैं आपकी इच्छा पूरी कर देता हूँ. चलो फिर से कुतिया बन जाओ.

मैं फिर से कुतिया बन गयी और अपने चूतेर ऊपर की ओर उभार दिए. मेरी चूत से अब रस बाहर निकलने लगा था. विकी ने मेरे मुँह से अपना सुपरा बाहर निकाला और मेरे चूतरो के पीछे आ कर कुत्ता बन गया. उसने फिर से अपने मूसल का सुपरा मेरी चूत के छेद पे टीका के एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ एयाया..हह…….ऊऊऊीीईईईईई….आअहह” मेरी चूत बुरी तरह से गीली तो थी ही और सारी रात चुदाई के कारण चौड़ी भी हो गयी थी. विकी का लॉडा चूत की दोनो फांकों को आसानी से चीरता हुआ आधा अंडर धँस गया. विकी ने मेरे चूतरो को पकड़ के लंड बाहर खींचा और एक भयंकर धक्के के साथ पूरा का पूरा लंड जर तक मेरी चूत में उतार दिया.

“ आआआआआआअ…………..वी….. माआआआ ……… आह…आह……आआहह….इससस्स आईईईईई.”

अब विकी पूरा लंड सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगा. फ़च…फ़च …. फ़च….. ……आआआः ……ऊऊओह..फ़च…फ़च ….फ़च …आऐईयईई….फ़च…फ़च. बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैं भी चूतेर उच्छल उच्छाल कर उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. हर धक्के के साथ विकी का एक फुट लंबा लंड मेरी प्यासी चूत में जड़ तक समा जाता. आज तक किसी मर्द ने मुझे इस तरह नहीं चोदा था. आख़िर विकी मुझे चोदने वाला तीसरा मरद था. विकी के दमदार धक्कों के कारण मैं फिर झार गयी. मैं विकी के रस के लिए पागल हो रही थी. जब तक उसका लंड मेरी चूत को अपने वीर्य से भर नहीं देता तब तक मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ सकती थी. आख़िर मैं बेशर्म होके बोल ही पड़ी,

“ विकी भर दे अपनी दीदी की प्यासी चूत को अपने वीर्य से. प्लीज़…विकी ..प्लीज़….अब बुझा दे मेरी प्यास नहीं तो मैं मर जाउन्गि.”

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:33

“ हां मेरी जान. आज मैं आपकी प्यास ज़रूर बुझाउन्गा.” ये कहते हुए विकी ने अपना एक फुट का लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और गांद के छेद पे टीका के एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया. गांद तो वॅसलीन का कारण चिकनी थी ही, विकी का लंड भी मेरी चूत के रस में सना हुआ था. इससे पहले की मुझे संभालने का मोका मिले आधा लंड मेरी गांद में समा गया.

“आआआआआआआआआआआ………………ऊऊऊऊऊऊओिईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्माआ” मैं ज़ोर से चीखी. लेकिन इतनी देर में विकी ने लंड सुपरे तक बाहर खींचा और मेरी कमर पकड़ के एक भयंकर धक्के के साथ पूरा जड़ तक गांद में उतार दिया.

“ ऊऊीइइमम्माआअ…आआअहह…..आआहह विकी धीरे….आआहह….” अब विकी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक मेरी गांद में पेलने लगा. जैसे ही लंड पूरा गांद में घुसता विकी के बॉल्स फ़च की आवाज़ के साथ मेरी गीली चूत से टकरा जाते. धीरे धीरे दर्द थोड़ा कम हो रहा था. गांद के अंडर बाहर होता हुआ लंड अब अच्छा लग रहा था. करीब 10 मिनिट गांद मारने के बाद विकी ने फिर अपना लंड बाहर खींच लिया और इससे पहले कि मैं कुच्छ समझू उसने सामने आ के तने हुए लंड को मेरे मुँह में पेल दिया. मैं जितना चूस सकती थी उतना चूसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इतने मोटे लंड को चूसना कोई आसान काम नहीं था. उसने धक्के मार मार के लंड मेरे गले तक घुसेड दिया था. मैं साँस भी बड़ी मुश्किल से ले पा रही थी. दस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद विकी ने फिर से लंड मेरी चूत में पेल दिया. ये सिलसिला एक घंटे तक चलता रहा. विकी पहले मेरी चूत लेता फिर गांद मारता और फिर मुँह में पेल देता. मेरे मुँह में कयि चीज़ों का स्वाद था. विकी के लंड का, उसके वीर्य का, अपनी चूत का और अपनी गांद का. ये स्वाद तो किसी शराब से भी ज़्यादा नशीला था. सुबह के 6 बज रहे थे. मैं कुतिया बनी पागलों की तरह चुदवा रही थी. अजीब सा नशा छ्छा रहा था. ऐसा लग रहा था कि मैं फिर से होश खो बैठूँगी. इतने में विकी जो की मेरी चूत में लंड पेल रहा था, बोला

“ दीदी ठीक तो हो ? ये क्या हो गया आपको?”

“ ये बात तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? अपने इस मूसल से पूछ.” मैं उसके झूलते हुए लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली. “ ये तो किसी भी औरत का बॅंड बजा देगा. और तूने भी तो कितने बेरहमी से चोदा है. ऐसे चोदा जाता है अपनी दीदी को? ”

क्रमशः.........


Post Reply