दोनो की हसी निकल गई. मुन्ना समझ गया कि सन्सय के बदल छट गये. कल रात से शीला देवी के मन में जो उथल-पुथल चल रहा था वो सब अब शायद ख़तम हो गया था. कल रात जो मज़ा आया था उसकी याद ने शीला देवी के बदन को एक बार फिर से सिहरा दिया. दोनो चुप थे और शीला देवी सिर नीचे किए अपनी चूत में उठ रहे झन-झनाहट और मचल रहे कीड़ो को महसूस कर रही थी. डुप्दुपति चूत को जाँघो के बीच कसती हुई धीरे से बोली “अब किसी रंडी के पास मुँह मारने तो नही जाएगा…”
“नही जौंगा बाबा…लेकिन तू पहले बोल खुल के मज़ा लेगी….”
“हा लूँगी…अब खुल के लूँगी…पर तू…”
“अरी….बोल तो दिया नही जाउन्गा…”
“चल झूठे….तेरा कोई भरोसा नही कसम ले पहले…”
“ठीक चल…तेरी कसम…”
“ना मेरी कसम क्यों खा…रहा है…” मुँह बिचकाती बोली. शीला देवी की आवाज़ से लग रहा था कि अब वो पूरे मज़े के लिए तैय्यार है. चेहरे पर और बोलने के अंदाज में चंचलता आ चुकी थी. मुन्ना कुच्छ पल सोचता रहा फिर बोला “ तब किसकी…”
“….अपने लूँ…ड्ड की कसम खा ना…” मुस्कुराती हुई बोली. ये बोलते हुए चौधरैयन का चेहरा शरम से लाल हो गया और गालो में गड्ढे पर गये. मुन्ना उपर से नीचे तक सन सना गया. शीला देवी ने लंड बोला और मुन्ना की रीढ़ की हड्डी का खून दौरता हुआ सीधा उसके लौरे में उतरता चला गया. शीला देवी की आँखो में झाँकते हुए तपाक से अपनी लूँगी को उठा खरे लंड को हाथ में पकड़ उसकी चमरी उलट कर चमचमाते सुपरे को दिखाता शीला देवी के पास खरा हो बोला “ हाई….इस लनन्ड की कसम जो तेरी चूत छ्चोड़ किसी और की….” कहते हुए आगे झुक कर उसकी गाल पर दाँत काट ते हुए दूसरे हाथ से उसकी एक चुचि को ज़ोर से दबा दिया. शीला देवी “उई मा…” खहते हुए उच्छल कर बैठ गई और मुन्ना को पिछे धकेला.
“इससस्स कितनी ज़ोर से काट लिया मुए…”
“हाई…यही पटक कर ले लूँगा…अफ….ऐसे ही खुल कर मज़ा लेगी तो….”.
कहते हुए मुन्ना ने शीला देवी के चूतर पर चिकोटी काटी. शीला देवी ने एक घूँसा उसकी छाती पर मारा और बोली “हट कुत्ते…भाग यहाँ से…”
लंड लूँगी में फरफारा रहा था. आज मुन्ना ने इरादा कर लिया था कि आराम से मज़ा लूँगा. एक-एक अंग को चाट-चाट कर, काट कर पहले खाउन्गा फिर रात भर गद्देदार चूत में लंड पेल कर चोदुन्गा. साली को आज सोने नही दूँगा.
शीला देवी की कमर में हाथ डाल उस से लिपट कर उसके कान की लौ को मुँह से पकड़ फुसफुसते हुए बोला “हाई बहुत तडपाया है…सुबह से…किसी काम में मन नही लग रहा था….” मुन्ना का हाथ लगते ही शीला देवी का पूरा बदन सिहर गया. मुन्ना कान को चूमने के बाद धीरे से उसकी गर्दन और उसके पिछले भाग पर अपने होंठो को चलाते हुए चूम रहा था. आज शीला देवी ने पीठ पर बटन लगने वाला ब्लाउस पहन रखा था हाथ को धीरे धीरे उसकी पीठ पर सरकाते हुए आहिस्ता आहिस्ता मुन्ना एक-एक बटन खोलने लगा. ब्लाउस के बटन खुलते ही शीला देवी को जैसे होश आया मुन्ना को थोरा परे धकेल्ति हुई बोली “हाई रुक तो ज़रा… हाथ हटा….”
“हाई तो और क्या करू....अब नही रुका जाता… “.
इस पर शीला देवी मुँह बनाती हुई बोली “अर्रे…दरवाजा तो बंद कर ले कुत्ते.....”
“ओह…अभी बंद कर के आता हू…एक चुम्मा दे…”
“नही तू बंद कर के आ…और फिर पहले मेरा पायल दे….फिर माँगना चुम्मा….” शीला देवी ने अपने सारी के पल्लू को ठीक करते हुए मुँह बनाते हुए कहा जैसे गुस्से में हो.
“तो ये बोल ना…कि तुझे पायल चाहिए…”
“वो तो चाहिए ही….रंडियों को देगा और मा…को देने में….तुम सब बाप बेटे …एक जैसे…” कहते हुए उसने मुन्ना को धकेल कर बिस्तर से उतार दिया. मुन्ना दरवाज़ा बंद करने की जगह खोल कर बाहर निकल चारो तरफ देखने लगा. पूरे बगीचे में घनघोर अंधकार फैला हुआ था. आसमान में बदल छाए हुए थे और इसलिए चाँद भी उनके पिछे च्छूपा हुआ था. बारिश के आसार थे. दूर दूर तक एक कुत्ता भी नज़र नही आ रहा था. लूँगी के उपर से अपने लंड को पकड़ ज़ोर से हिलाते हुए अपने हाथ से ही लंड को मरोड़ कर धीरे से बोला साली….कल से तरप रहा हू…मा की चूत…हाई चौधरैयन आज तो तेरी फार दूँगा…. अचानक उसके होंठो पर एक मुस्कान फैल गई और और अपनी जेब में रखे पायल को उसने बाहर निकाल लिया और वही खुले में एक पेड़ के नीचे खड़े हो पेशाब करने के बाद तेज़ी से अंदर घुसा और दरवाजा बंद कर पिछे मुड़ा तो देखा कि शीला देवी कही नज़र नही आई अलबत्ता बाथरूम से तेज सिटी के जैसी आवाज़ आ रही थी. बाथरूम का दरवाज़ा पूरी तरह से बंद नही था. मुन्ना दबे पाव बाथरूम में घुस गया. शीला देवी कमोड के उपर बैठी मूतने में व्यस्त थी, पेटिकोट पिछे से पूरा उठा हुआ था और उसके मस्ताने गद्देदार गोरे गोरे चुट्टर सॉफ दिख रहे थे. चुटटर थोरा उठा हुआ था इसलिए पिछे से उसकी चूत की झांते भी थोरी दिख रही थी, गांद का छेद दोनो भारी चुटटरो के बीच दबा हुआ था. मुन्ना के लंड को झंझणा देने के लिए इतना काफ़ी था. दिल में आया कि पिछे जा कर गांद में लंड सटा दे. दबे पाव शीला देवी के पिछे पहुच उसकी पेशाब करती हुई चूत को देखने की इच्छा से अपने सिर को आगे झुकाया ही था कि शीला देवी उठ कर खड़ी हो गई. मुन्ना को देखते ही चौंक गई शरम और गुस्से से मुन्ना को धकेला “उईईइ….मा..यहा क्या कर रहा है …डरा दिया…मैने सोचा पता नही कौन आ गया….कमीना..”
“देखने आया था तू कैसे मूत….ती है…” हस्ते हुए मुन्ना बोला.
“शरम नही आती…” फ्लस चलाती शीला देवी बोली.
“कल ही देखी थी तेरी…. जिस से तू मूत ती है…”
“उफफफ्फ़….मुए…बेशरम गंदी बाते करता है….सुअर कही का…”
“अब यही खरा रहेगा क्या....” मुन्ना को धकेल्ति बाथरूम से बाहर निकलती और खुद भी निकलती हुई बोली.
“खरा तो ना जाने कब से है….” अपनी लूँगी के उपर से लंड पकड़ के दिखाता हुआ बोला.
“हट मुए…बाहर निकलने के लिए बोल रही हू …चल…” बोलती हुई वो बाथरूम से बाहर निकल गई.
शीला देवी ने इस समय केवल पेटिकोट और ब्रा पहन रखा था. मुन्ना जब दरवाजा बंद करने गया था तभी उसने सारी और ब्लाउस उतार दिया था. ब्रा काले रंग का नॉर्मल सा था बहुत ज़यादा स्टाइलिश नही था. इसलिए चुचे पूरे ढके हुए थे. खाली बीच वाली गोरी घाटी नज़र आ रही थी. काले रंग की एकदम फिट पेटिकोट नाभि से नीचे बँधी हुई थी और चुटटरो से चिपकी हुई उसके मस्ताने गथिले चुटटरो का आकार बता रही थी. शीला देवी भुन-भुनाते हुए बिस्तर पर पैर लटका कर बैठ गई. मुन्ना कुत्ते की तरह जीभ लपलपता उसके पिछे पिछे गया और बिस्तर पर बैठ गया और उसकी कमर में हाथ डाल कर कहा “…चल गुस्सा छ्चोड़…”
“नही तू…बहुत गंदा लड़का है…”
“अरे मा ग़लती हो गई….बरी इच्छा हो रही थी….. कि देखे कैसे करती हो..”
“क्या कैसे….करते हू…”
“पेशाब….और….क्या…”
“छि…गंदे…पता नही कहा से सीख कर आ गया है” मुँह बनाती हाथ चमकती हुई शीला देवी बोली.
अरे मा तू क्या जाने जब मे मामी के यहा था तो मैं अक्सर राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ ब्लॉगस्पॉटडॉट कॉम और
हिन्दीसेक्सीकहानियाडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम से सेक्सीकहानिया पढ़ता था वास्तव मे मा राज शर्मा की कहानिया बहुत मस्त होती है “हाई…तू जिसको…गंदा बोलती है…हाई पेशाब करते समय ना जब सिटी जैसी आवाज़…”
“धात…बेशरम वो तो औरते जब भी पेशाब करती है तब…आवाज़…”
“हा..वही…ये आवाज़ सुनते ही ना मेरा तो एकदम खड़ा हो जाता…”
“क्या…मतलब…. पेशाब करने की आवाज़ सुन के…छि…कितना कमीना हो गया है तू…”
“हाई..अब जो भी कह ले…देख ना…कैसे खड़ा है…” कहते हुए अपने लूँगी के उपर हाथ लगा लंड दिखाया और अपने हाथ को उसकी ब्रा मे कसी चुचियों पर ले गया. शीला देवी ने बुरा सा मुँह बनाते हुए उसका हाथ हटा दिया. मुन्ना फिर से अपने हाथ को उसकी ब्रा पर ले गया और उसकी बाई चुचि को मुट्ठी में पकड़ ज़ोर से दबाया. शीला देवी को ज़ोर से दर्द हुआ “उई…मा…”करते हुए चौंक गई और मुन्ना को परे धकेला. अपने हाथ से अपनी छाती सहलाती हुई बोली “नोच लेगा क्या…अफ…जुंगली कही का…”
“मा….खोल ना, अब नही खोलेगी तो फाड़ दूँगा तेरा ब्लाउस…” मुन्ना फिर से चिरोरी करते बोला. पर शीला देवी ने उसका हाथ झटक दिया और बोली “ना पहले…पायल दे…उसके बिना हाथ नही लगाने दूँगी…”
“कमाल करती है…पायल के पिछे पड़ी है…”
“रंडी तो तूने बना दिया है….अब तो बिना…पायल के…”
“तो फिर वैसे ही पटक कर लूँगा….”
“ले लेना हरामी….पर पहले पायल दे…..”
“तो ले….” कहते हुए मुन्ना उसके सामने खड़ा हो गया और अपनी लूँगी को खोल कर नीचे गिरा दिया. चौधरायण ने जब देखा तो उसके मुँह से एक तेज किलकरी निकल गई….”उईईइ….मा……मुए कितना कमीना है तू……” मुन्ना का दस इंच का लंड एक दम सीधा खड़ा था अपने लाल चमचमते सुपरे से लार टपका रहा था. पर खास बात ये थी मुन्ना ने पायल को लंड के चारो तरफ लपेट रखा था. उसकी इसी बदमासी ने शीला देवी के मुँह से किलकरी निकाल दी थी. लंड के चारो तरफ पायल लपेटे मुन्ना कमर पर हाथ रखे शान से खड़ा था.
“ले..ले अपना पायल….” कहते हुए उसने एक हाथ से शीला देवी का हाथ पकड़ा और उसको अपने लंड पर रख दिया. मुन्ना की ये अदा शीला देवी को पूरी तरह से मदहोश कर गई. लंड के सुपरे को पकड़ आहिस्ता-आहिस्ता उसने उसके चारो तरफ लपेटा हुआ पायल उतारा और मुन्ना को अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखो से घूरते अपने एक पैर को घुटने के पास से हल्का सा मोड़ कर बिस्तर पर रखा और फिर अदा के साथ धीरे से अपने अपने पेटिकोट को घुटनो तक उपर उठा कर अपनी गोरी पिंदलियों में पतली सी सोने की पायल पहन ने लगी. उसकी एक चुचि उसके घुटनो से दबी हुई ब्रा के बाहर आने को उतावली हुई थी. शीला देवी की इस अदा ने मुन्ना को ऐसा घायल किया कि उसका दिल कर रहा था इसकी तस्वीर निकाल कर हमेशा के लिए सन्जो ले. अपने काँपते हाथो से उसके तलवे को पकड़ पैर की उंगलियों पर हाथो को फेरा. शीला देवी ने पायल पहन लिया था
क्रमशः........................
गाँव का राजा
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