बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक ने उसके लंड को अपनी मुति मे लिया और अपना मुँह खोलते हुए
अंदर ले चूसने लगी... वहीं प्राची अभी भी उसकी चूत को चाट
रही थी साथ ही अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही थी. महा इतनी
जोरों से और तेज़ी से राज को लंड को चूस रही थी जैसे की कोई
सड़क छाप रंडी अपने ग्राहक के साथ करती है....
राज ने महक के बलों को पकड़ा और अपने लंड को और तेज़ी से उसके
मुँह के अंदर बाहर करणते लगा... "हाँ मेरी प्यारी रांड़ ऐसी ही
चूसो ...में तुम्हारे मुँह को चॉड्टा हूँ तो तुम्हे अछा लगता है
है ना? ज़रा प्राची को सीख़ाओ और बताओ की शादी शुदा औरतें
कैसे किसी जवान लाओडे खा लंड रंडी की तरह चूस्टी है... ऐसे ही
ज़ोर ज़ोर से चूसो...
महक जोरों से सिसकते हुए राज का लंड चूज़ जा रही थी.. उसके
लंड को मुति मे भर मसल रही थि...तभि उसने देखा की प्राची ने
उसकी चूत चूसने चोद दी और उसे लंड चूस्ते देख रही है....
इससे वो और उत्तेजित हो गयी.... प्राची की तरफ देखते हुए वो राज के
लंड और अपने गले तक लेकर जोरों से चूसने लगी. उसने देखा की
प्राची ने अपनी पनटी उत्तर दी थी और अपनी चूत मे दो उंगली दल
अंदर बाहर कर रही थी.
"प्राची ये रांड़ लंड अछा चूस्ति है..्ऐ ना?" राज ने पूछा.
"हां बहोत अक्चा और इसे मज़ा भी बहोत आता है चूसने मे."
प्राची ने जवाब दिया.
"अगर तुम इससे गंदी गंदी बातें करोगी तो इसे और अछा लगेगा...
इससे कहो की ये कितनी बड़ी छीनाल है... कितनी अची रांड़ है." राज
ने उससे कहा.
"हां राज बहोत ही बड़ी छिनाल है.. देखो तो लंड तो ऐसे चूस
रही है जैसे दिन भर की खुराक चूस रही हो... ." प्राची ने
कहा.
प्राची फिर महक की तरफ घूमी और उससे बोली,
"छीनाल रांड़ तुझे लंड चूसना अछा लगता है ना.. ठीक किसी
आइस्क्रीम कॅंडी की तरह चूस्ति हो है ना?"
"म्म्म्मममम्म" महक लंड को बिना अपने मुँह से निकले जवाब दिया.
"जब ये लंड तुम्हारी जीब से होते हुए गले तक अंदर बाहर होता है
तो तुम्हे बहोत अछा लगता है ना?" प्राची ने फिर पूछा.
महक फिर पहली की तरह जवाब दिया और राज के लंड को चूस्ति
रही. प्राची की ये गंदी बाटीएन उसे और उत्तेजित कर रही थी.
"अपने मुँह से बोलो..." प्राची ना थोड़ा ज़ोर देते हुए कहा, "बताओ
मुझे की तुम कितनी बड़ी रॅंड हो और तुम्हे लंड चूसने मे कितना
मज़ा आता है."
"बहोट मज़ा आता है... मुझे मोटा और लंबा लंड चूसने मे बहोत
अक्चा लगता है.. जब लंड गले मे हलाक से टकरा कर अंदर बाहर
होता है तो में तो जैसे पागल हो जाती हून.. जब तुम ऐसी बाटीएन
करती हो तो मेरी चूत मे चिंतियाँ रेंगने लगती हो... वापस मुझसे
कहो... मुझे अपनी रॅंड बना लो.. फिर से मुझे रांड़ छीनाल
कहो... " महक ने कहा.
प्राची को विश्वास नही हो रहा था की कोई औरत ऐसे शब्द भी मुँह
से निकाल सकती है.. उसकी बातें सुन वो खुद बहोत गरमा गयी.. वो
तेज़ी से अपनी चूत मे उंगली अंदर बाहर करने लगी.
"हां छीनाल आज की रात में तुम्हे अपनी रांड़ बनौँगी... " प्राची
ने उसके तरफ देखते हुए कहा, "मेरी रांड़ ज़रा मेरे पास आना और
मुझे दीखाना की क्या तुम चूत भी इतनी ही अची तरह चूस्ति हो
जितनी अची तरह से लंड चूस रही हो." कहकर प्राची ने महक के
सिर को पकड़ उसे राज के लंड पर से हटा दिया.
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--17
प्राची ज़मीन पर सोफे का सहारा लेकर बैठ गयी और अपनी टाँगे
फैला महक के सिर को अपनी चूत पर जूहका दिया, "अब मेरी चूत
चूसूओ समझी."
महक की समझ मे नही आया की वो क्या और कैसे करे.... किसी चूत
चूसना तो दूर उसने तो आज तक किसी लड़की या औरत चूत को छुआ
भी नही था... आख़िर मान पक्का कर उसने अपना चेहरा प्राची की
चूत पर झुका दिया.
ठीक उसके नाम की तरह प्राची की चूत से आती महक उसे मदहोश
कर रही थी.. उसने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को चाटने
लगी... फिर उसकी चूत की पंदखुड़ियों को अपने होहटों मे फँसा
चूसने लगी... प्राची के मुँह से सिसकारी निकाल पड़ी... उसके सिसकी
सुन वो अपनी जीब को जोरों से उसकी चूत पर घिसने लगी.
साली बूढ़ी रॅंड चूवस मेरी चूत को चूस ऐसे ही चूस." प्राची
सिसकते हुए बोली.
महक पूरे मान से उसकी चूत को चूसने लगी.... उसकी खुद की चूत
मे आग लगी हुई थी..... उसे चूत चूसने मे मज़ा आ रहा था....
वो ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को मुँह मे भर चूसने लगी. उसकी चूत को
अपनी उंगलियों से फैलते हुए उसने अपनी जीब अंदर घुसा दी.. और
फिर जीब को अंदर बाहर कर उसे चोदने लगी.
प्राची वैसे कई लड़कियों से अपनी चूत चूस्वा चुकी थी लेकिन
महक जिस तरह उसकी चूत को चूस रही थी उसे बहोत मज़ा आ रहा
था और उसकी चूत पानी छोड़ने के लिए तय्यार थी. उसने देखा की राज
अपने लंड को मसालते हुए उन दोनो को ही देख रहा था... तभी उसके
मान मे एक ख़याल आ गया.
"चल रांड़ अपनी गॅंड को हवा मे उठा दे... तुझे राज का लंड अपनी
गॅंड मे चाहिए है ना?"
प्राची की चूत चूस्ते हुए वो घुटनो के बाल हो कर अपनी गॅंड हवा
मे उठा दी.
राज का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था... वो महक के पीछे
आया और अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया.... थोड़ी देर लंड को
अंदर बाहर करने के बाद उसने जब देखा की लंड महक की चूत के
रस से पूरी तरह गीला हो गया है.. तो उसने लंड को बाहर निकाला
और उसकी गॅंड के छोटे छोटे छेड़ पर रख दिया. धीरे धीरे
धक्के लगते हुए उसना पूरा लंड उसकी गॅंड मे घुसा दिया.
दर्द के मारे उसके मुँह से कराह निकाल पड़ी.. लेकिन मुँह प्राची की
चूत पर दबा होने से वो सिर्फ़ 'गुणन्ं' कर के रह गयी. उसकी चूत
वैसे ही झड़ने वाली थी उसपर गॅंड मे लगते धक्कों ने उसे और
उत्तेजित कर दिया.... वो ज़ोर ज़ोर से प्राची की चूत चूसने लगी...
राज उसकी कुल्हों को पकड़ तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा
था.
महक की चूत पूरे तूफान पर थी... उसने अपने कूल्हे पीछे खिसका
उसके लंड को और अंदर तक अपनी गॅंड मे ले लिया.... और उसकी चूत
ने पानी छोड़ा तो उसका बदन जोरों से कांप उठा.
राज पूरी उत्तेजना मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था ....उसके
कुल्हों पर चपत जमाते हुए वो उसकी गॅंड मारने लगा ...जब उसके लंड
ने पानी छ्चोड़ दिया तो उसने लंड बाहर निकाल लिया....
प्राची ज़मीन पर सोफे का सहारा लेकर बैठ गयी और अपनी टाँगे
फैला महक के सिर को अपनी चूत पर जूहका दिया, "अब मेरी चूत
चूसूओ समझी."
महक की समझ मे नही आया की वो क्या और कैसे करे.... किसी चूत
चूसना तो दूर उसने तो आज तक किसी लड़की या औरत चूत को छुआ
भी नही था... आख़िर मान पक्का कर उसने अपना चेहरा प्राची की
चूत पर झुका दिया.
ठीक उसके नाम की तरह प्राची की चूत से आती महक उसे मदहोश
कर रही थी.. उसने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को चाटने
लगी... फिर उसकी चूत की पंदखुड़ियों को अपने होहटों मे फँसा
चूसने लगी... प्राची के मुँह से सिसकारी निकाल पड़ी... उसके सिसकी
सुन वो अपनी जीब को जोरों से उसकी चूत पर घिसने लगी.
साली बूढ़ी रॅंड चूवस मेरी चूत को चूस ऐसे ही चूस." प्राची
सिसकते हुए बोली.
महक पूरे मान से उसकी चूत को चूसने लगी.... उसकी खुद की चूत
मे आग लगी हुई थी..... उसे चूत चूसने मे मज़ा आ रहा था....
वो ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को मुँह मे भर चूसने लगी. उसकी चूत को
अपनी उंगलियों से फैलते हुए उसने अपनी जीब अंदर घुसा दी.. और
फिर जीब को अंदर बाहर कर उसे चोदने लगी.
प्राची वैसे कई लड़कियों से अपनी चूत चूस्वा चुकी थी लेकिन
महक जिस तरह उसकी चूत को चूस रही थी उसे बहोत मज़ा आ रहा
था और उसकी चूत पानी छोड़ने के लिए तय्यार थी. उसने देखा की राज
अपने लंड को मसालते हुए उन दोनो को ही देख रहा था... तभी उसके
मान मे एक ख़याल आ गया.
"चल रांड़ अपनी गॅंड को हवा मे उठा दे... तुझे राज का लंड अपनी
गॅंड मे चाहिए है ना?"
प्राची की चूत चूस्ते हुए वो घुटनो के बाल हो कर अपनी गॅंड हवा
मे उठा दी.
राज का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था... वो महक के पीछे
आया और अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया.... थोड़ी देर लंड को
अंदर बाहर करने के बाद उसने जब देखा की लंड महक की चूत के
रस से पूरी तरह गीला हो गया है.. तो उसने लंड को बाहर निकाला
और उसकी गॅंड के छोटे छोटे छेड़ पर रख दिया. धीरे धीरे
धक्के लगते हुए उसना पूरा लंड उसकी गॅंड मे घुसा दिया.
दर्द के मारे उसके मुँह से कराह निकाल पड़ी.. लेकिन मुँह प्राची की
चूत पर दबा होने से वो सिर्फ़ 'गुणन्ं' कर के रह गयी. उसकी चूत
वैसे ही झड़ने वाली थी उसपर गॅंड मे लगते धक्कों ने उसे और
उत्तेजित कर दिया.... वो ज़ोर ज़ोर से प्राची की चूत चूसने लगी...
राज उसकी कुल्हों को पकड़ तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा
था.
महक की चूत पूरे तूफान पर थी... उसने अपने कूल्हे पीछे खिसका
उसके लंड को और अंदर तक अपनी गॅंड मे ले लिया.... और उसकी चूत
ने पानी छोड़ा तो उसका बदन जोरों से कांप उठा.
राज पूरी उत्तेजना मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था ....उसके
कुल्हों पर चपत जमाते हुए वो उसकी गॅंड मारने लगा ...जब उसके लंड
ने पानी छ्चोड़ दिया तो उसने लंड बाहर निकाल लिया....
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
प्राची को भी चूत चूसवाने मे बहोत मज़ा आ रहा था उसकी चूत
भी पानी छोड़ना चाहती थी... लेकिन उसे महक के साथ गंदी बातें
करने मे बहोत आनंद आ रहा था.. वो एक बार फिर शुरू हो गयी.
"रांड़ ज़रा अपनी तरफ देख... तेरी गॅंड से राज का वीर्या कैसे तपाक
रहा है.... और तुम्हारा मुँह मेरी चूत मे घुसा हुआ है.... तू
सही मे रंडी है... चूस मेरी चूत को जोरों से चूस... हाआँ
जोरों से चूवस रुकना मत.... ऑश हाआँ चूस जोरों से चूवस खा
जा मेरी चूत को.... ओह भगवान.." और जैसे किसी नदी बाँध खुल
जाता है उसकी चूत पनी पर पानी छोड़ने लगी.
जैसे ही प्राची की चूत का रस महक के मुँह मे घुसा वो चटकारे
लेकर उसे पीने लगी.. अपनी जीब घूम घूमा कर चाटने लगी...
थोड़ी ही देर मे वो निढाल हो कर ज़मीन पर पसार गयी... और अपना
सिर प्राची की जांघों पर रख किसी बची की तरह अपनी साँसे
संभालने लगी.
"मुझे पता है की ये तुम्हारा पहला मौका था की किसी लड़की की चूत
चूसने का लेकिन तुमने अछा कम किया... मुझे लगता है की हमे
जल्दी ही मिलना पड़ेगा जिससे में तुम्हे और बहोत कुछ सीखा सकूँ."
प्राची ने महक से कहा.
"शुक्रिया तुम बहोत आक्ची हो." महक ने कहा.
थोड़ी ही देर मे राज और प्राची अपने अपने कपड़े पहन जाने को तय्यार
थे.... जब वो जाने लगे तो प्राची महक के नज़दीक आई और उसके
कान मे फुसफुसा, "मेरी प्यारी रॅंड हम जल्दी ही मिलेंगे... मेरे
कुछ दोस्त है जो तुमसे मिलना चाहेंगे." फिर उसे आँख मारते हुए वो
राज के साथ चली गयी.
* * * * * * * * * *
थोड़े दिन बाद महक का पति फिर एक बार सहर के बाहर चला
गया... महक अपने आप को बहोत अकेला महसूस कर रही थी.... क्तचें
के टेबल पर बैठे वो अपने साथ बीती घटनाओं को याद कर रही
थी.... वो अपने इस नई अनुभव को..ऽने नई दोस्तों के राज को किसी
के साथ बाँटना चाहती थी... लेकिन डरती थी की कहीं उसका ये राज़
उसके पति को ना पता चल जाए... फिर खड़े हो कर वो अपने कमरे
मे आ गयी और कुछ रिपोर्ट तय्यार करने लगी जो उसे क्लब मे रजनी को
देनी थी.
थोड़ी देर बाद वो रिपोर्ट तय्यार कर ही रही थी की दरवाज़े पर
दस्तक हुई.. उसने दरवाज़ा खोला तो देख की रजनी खड़ी थी.
"यहाँ से गुज़र रही थी तो मेने सोचा की रिपोर्ट क्यों ना में ही
लेती जाती जायों नही तो तुम्हे क्लब आने की तकलीफ़ उतनी पड़ती."
रजनी ने कहा.
"बहोट अछा किया... आओ अंदर आओ.." महक ने कहा... "तुम सोफे पर
बैठो में रिपोर्ट लेकर आती हून." कहकर वो अपने कमरे मे चली
गयी.
लौटकर महक ने रजनी को कोफ़ी के लिए पूछा जिसके लिए उसने हन
कर दी.. कॉफी पीते हुए दोनो बातें करने लगी.
बातों के दौरान महक ने देखा की रजनी ने एक छोटी स्कृत पहन
रखी और उसकी पतली और चिकनी टाँगे सॉफ दीखाई दे रही
थि....Mएहक की आँखे उसकी टाँगों के बीच खो गयी...
आज से पहले उसके दिल मे कभी किसी औरत को लेकर ख़याल नही आया
था लेकिन जबसे प्राची के साथ जो कुछ हुआ था उसका दिल सब कुछ
सोचने लगा था... वो सोचने लगी की रजनी की चूत कैसी लगती
होगी.. उसकी चूत पर कितने बॉल होंगे... या फिर उसने अपनी चूत
सफाचत की हुई होगि....वो सिर्फ़ सोच भर से ही गर्माती जा रही
थी..
"कहाँ खो गयी महक...?" उसे रज़ीनी की आवाज़ सुनाई दी.
महक की सोच टूटी, "माफ़ करना रजनी.... तो तुम क्या कह रही थी?"
"ये क्या हो गया है तुम्हे आजकल," रजनी ने पूछा, "में देख रही
हूँ की क्लब मे भी आजकल तुम बात बात पर कहीं खो जाती हो."
महक की समझ मे नही आया की वो क्या जवाब दे... वैसे वो दिल से
तो अपने राज़ को किसी के साथ बाँटना चाहती थी... लेकिन दिल ही दिल
मे उसे डर भी लग रहा था... वो अपने सीने मे इस बोझ को ज़्यादा दिन
नही धो सकती थी.. और अगर कोई उसकी मजबूरी और परिस्थिति को
समझ सकता था वो सिर्फ़ रजनी थी.. उसकी समाज मे इज़्ज़त भी थी और
लोग उसे बहोत मानते भी थे.... फिर थोड़ी देर सोच कर उसने धीरे
से कहा.
"रजनी जो में तुम्हे बताने जा रही हून.. क्या इस बात को तुम अपने
तक ही रख सकोगी....?"