Hindi Sex Stories By raj sharma

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raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:29

raj sharma stories

विलेज में सुहागरात

मेरे उरोजों पे रेंगते तेरे होंठ, मुझे मदहोश किये जाते हैं

कुछ करो हम तेरे आगोश में बिन पिए बहक से जाते हैं

हेलो दोस्तो मैं राज शर्मा एक बार फिर से आपके सामने अपनी एक और

कहानी ले के आ गया हू मगर मैं एक बात ज़रूर बोलना चाहता हू कि मुझको

मेरी पिछली स्टोरी’स पे बहुत सी मैल आई और ज़्यादातर मैल सिर्फ़ इस

लिए थी कि आप अपनी फ्रेंड का कॉन्टेक्ट नंबर दे दो या फिर हमको कोई सेफ

प्लेस बता दो जहा हम अपनी गर्लफ्रेंड को ले जा के उसको चोद सके तो

मैं एक बात बिल्कुल क्लियर कर देना चाहता हू कि

जिसको भी चोदा है तो उसको सीक्रेट रखना पहली शर्त है इस लिए मैं

कभी भी उस लड़की के बारे मे किसी को कुछ नही बता सकता इस लिए

प्ल्ज़ मुझको फिर दुबारा इस लिए कोई मैल ना करे

और अब मैं आपलोगो का ज़्यादा टाइम बर्बाद ना करते हुए अपनी स्टोरी की तरफ

आता हू ये बात आज से कोई 2 मंथ पहले की है मैं अपने ऑफीस के

काम से एक विलेज मे गया हुआ था वाहा पे मुझको उस विलेज के

प्रधान से मिलना था मैं जब उस प्रधान के घर गया और दरवाज़ा नॉक

किया तो एक कोई 25 साल की बहुत ही खूबसूरत सी औरत बाहर निकली मैं

उसको देखता ही रह गया कोई 5फिट 6 इंच उसकी हाइट थी गोरा रंग उसने

एक अच्छी सी ब्लू साडी पहनी हुई थी मैं उसको देखता ही रह गया फिर

मैने उसको बताया कि मैं प्रधान से मिलना चाहता हू तो उसने मुझको

अंदर आने को कहा और औंदर एक रूम मे बैठाया और बोली कि आप

यहा बैठिए पापा अभी आते है तो मैं समझ गया कि ये प्रधान की

बेटी है थोड़ी देर मे वो मेरे लिए पानी ले के आई और मुझको पानी

दे के चली गयी

इस भरी गर्मी में यारों

बारिस सी चूत में बरस गयी

लौंडे ने मारी धार जो अन्दर

मैं प्यारे बस सरस गयी.

जब थमी चुदाई की घड़ियाँ

चोदू मुझ पर लेट गया

बोला प्यार से "रानी बिटिया'

आज तो मन बस हरस गया.

बरसो से छुपी तमन्ना थी

अपनी बिटिया का रेप करूँ

बांध जूड पलंग से तुमको

बिना बताये रेड करूँ.

आज ये सुन्दर मौका देखा

जबरन तुझको चोद दिया

मुझे माफ करना मेरी रानी

मैंने तुझ पर जोर किया.

चूम होठ पापा के बोली

पापा तुम सा कोई नहीं

ये चूत तुम्हारी चेरी है

मैं भी कोई गैर नहीं.

मेरी भी एक इच्छा पापा

वो भी आज पूरी कर दो

मुझे बनाकर कुतिया तुम

लंड चूत में ठेल ही दो.

महीने से ऊपर आज हुए

उस रात जब तुमने चोदा था

मेरी चूत को रगड़ रगड़

अपने लंड से खोदा था.

तब से मैं हूँ तरस रही

क्यों इतने दिन बाद सुध ली मेरी

क्यों न रेप किया मेरा

क्यों भूली चूत तुम्हे मेरी.

चूत चोद मुह में डाला

गांड में भी माल निकाला

चूस चास कर साफ किया

फिर भी न माना चूत-स्नान किया.

कुछ देर बाद प्रधान मेरे रूम मे आया और मैने उसको बताया कि मैं

क्यू आया था और काफ़ी देर तक हमारी बात चलती रही क्योंकि हमारी

कंपनी उस विलेज मैं एक प्रॉजेक्ट शुरू करना चाहती थी जिसके लिए

हमको प्रधान से बात करनी थी प्रधान मेरी बात से बहुत खुश हुआ

क्योंकि उस प्रॉजेक्ट से उसके विलेज का बहुत विकास हो जाएगा और उस विकास

का पूरा क्रेडिट उस प्रधान को मिलने वाला था इस लिए प्रधान मुझको बोला

कि आपको जो भी हेल्प चाहिए होगी मैं तुरंत करूँगा.मैने प्रधान को

बोला कि इस प्रॉजेक्ट के सिलसिले मैं मुझको कुछ दिन इस गाओं मे रहना

पड़ेगा इस लिए मेरे लिए एक कमरे का इंतज़ाम करो और साथ मे कोई

आदमी जो मेरे लिए खाना वगेरा बना सके मेरे कपड़े धो सके तो

प्रधान मुझको बोला कि मेरा घर बहुत बड़ा है आप इसी मे रह लीजिए

आपको कोई परेशानी नही होगी तो मैने उसको मना किया कि मुझको कई

बार लेट नाइट भी बाहर जाना पड़ेगा और मुझको प्रॉजेक्ट के सिलसिले

मे कई लोगो को बुलाना भी पड़ेगा इस लिए मुझको कोई अलग मकान का

इंतज़ाम कर के दो तो वो बोला मेरा एक मकान गाओं से बाहर खेत के पास

बना हुआ है आप देख लीजिए अगर आपको पसंद हो तो वही रह लीजिए

मैने कहा ठीक है मैं प्रधान के साथ उसका मकान देखने गया तो वो

मुझको पसंद आ गया क्योंकि वो बिल्कुल अलग हट के बना था कि मैं वाहा

जैसे भी रहू किसी को कोई परेशानी नही होने वाली थी मैने मकान के

लिए हा कर दी और पूछा कि खाने और कपड़े धोने का भी कोई इंतज़ाम

है कि नही तो वो बोला कि सर ये काम तो मेरी विधवा बेटी कर देगी वो

घर से खाना बना के ले आया करेगी आपके लिए और आपके कपड़े भी धो

देगी वैसे भी उसका टाइम पास नही होता क्योंकि मैने बचपन मे उसकी

शादी कर दी थी और अभी उसका गौना (विदाई) नही हुआ था कि उसका पति

मर गया

इस तरह मेरे लिए मकान और खाने का इंतज़ाम हो गया और मैं अगले

दिन ही अपना समान ले के वापिस उस विलेज मे रहने आ गया मैं शाम

को पहुचा था और वाहा आके देखा कि प्रधान के साथ कुछ आदमी खड़े

है उन्होने मेरा समान घर मे सेट कर दिया और इसी मे रात के 9 बज

चुके थे प्रधान ने मुझको बोला कि मैं अब जा रहा हू और आपके लिए

खाना भिजवाता हू तब तक आप नहा लीजिए और प्रधान चला गया मैने

दरवाज़ा बंद किया और नहाने के लिए बाथरूम मे चला गया बात ले

के मैने एक टीशर्ट और शॉर्ट पहन लिए और रूम मे टीवी देखने लगा

तभी डोर पे नॉक हुआ तो मैने जैसे दरवाज़ा खोला तो देखा उसी दिन

वाली वो लेडी दरवाज़े के बाहर खड़ी थी आज उसके चेहरे पे एक स्माइल थी

और वो मुस्कुराती हुई बोली साहब मैं आपके लिए खाना लाई हू मैने

खुद बनाया है औब आप शहर वालो को पता नही पसंद आएगा कि नही

मैने उसको अंदर आने को कहा वो अंदर आई और मेरे लिए खाना

निकालने लगी जितनी देर वो खाना लगा रही थी मैं उसकी बॉडी को ही

निहारता रहा क्या अल्मस्त जवानी थी मेरा मन कर रहा था कि अभी इसको

अपनी बाहो मे भर लू और खाने की जगह इसको ही खा जाउ मगर मैने

अपने आप को कंट्रोल किया और खाना खाने लगा खाना खाते हुए मैने

ऐसे ही उसके साथ थोड़ी बहुत बात की और उसके खाने की बहुत तारीफ़

भी की

ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा औब वो मुझसे काफ़ी हद तक खुल गयी थी

और मुझसे हसी मज़ाक भी कर लेती थी उसका नाम रागिनी था

एक दिन जब वो सुबह मेरे लिए चाइ और नाश्ता ले के आई तो मैने

दरवाज़ा खोला और फिर वापिस बेड पे आके लेट गया उसने पूछा कि क्या हुआ

साहब आज आप कुछ ठीक नही लग रहे है तो मैने कहा कि आज कुछ

तबीयत ठीक नही है पूरा बदन टूट रहा है और सिर भारी सा हो रहा

है तो वो मेरा माथा छू के देखने लगी और बोली बुखार तो नही है

लगता है आप बहुत थक गये है आइए मैं आपकी मालिश कर दू इससे

आपको आराम मिलेगा मैने उसको मना किया मगर वो नही मानी और तेल ले

के आ गयी उसने ज़मीन पे एक चटाई बिछा दी और बोली इस्पे टीशर्ट

उतार के लेट जाइए मैने वेसा ही किया और सिर्फ़ शॉर्ट’स पहन के लेट

गया वो मेरे पैरो मैं मालिश करने लगी उसने उस वक़्त एक पिंक कलर की

सारी पहनी हुई थी वो थोड़ा झुक के मेरे पैरो पे तेल लगा रही थी

जिससे उसके बूब्स ब्लाउस से बाहर आ रहे थे ये देख के मेरा लंड खड़ा

हो गया मैने देखा वो तिरछी निगाह से मेरे लंड को देख रही थी मैने

ऐसे ही उससे बात करते हुए उसको पूछा कि रागिनी तुम्हारी उमर क्या है

तो वो बोली 25 मैने कहा कि क्या तुम्हारा मन नही करता कि तुम्हारी

दुबारा शादी हो तो वो बोली की साहब कौन सी औरत ये नही चाहेगी कि

उसको उसका मर्द प्यार करे और मैं भी तो एक औरत हू मगर मेरा मर्द

तो बिना मुझको टच किए ही मर् गया अब तो ऐसे ही जिंदगी काटनी

पड़ेगी मुझको और तरसते रहना पड़ेगा मैने कहा कि क्या शादी के बिना

प्यार नही हो सकता क्या तो वो बोली कि आप तो जानते है मैं विलेज

मैं रहती हू और प्रधान की बेटी हू इस गाओं मे कोई ऐसा है ही नही

जो मेरे को प्यार कर सके मैने कहा कि क्या मैं भी नही ?

तो वो बोली धुत आप मुझ जैसी गाओं की लड़की को प्यार करेंगे मैं

कुछ नही बोला और उठ के बैठ गया और उसकी आँखो मे देखने लगा

वो कुछ देर तो मुझको देखती रही फिर उसने शर्मा के अपनी आखे बंद

कर दी तो मैने उसको हग कर के सीने से लगा लिया उसकी चुचिया मेरे

सीने से डब रही थी वो कुछ नही बोली और उसने भी मुझको हग कर लिया

मैने उसके गरम होंठो पे अपने होंठ रख के उसको चूसना शुरू कर

दिया और मेरा एक हाथ उसके नरम नरम दूध को सहलाने लगा तो उसने

मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली प्ल्ज़ अभी ये मत करो क्योंकि मैं बिल्कुल

कुवारि हू और मेरा एक अरमान था कि जब भी मैं फर्स्ट टाइम चुदाई

कर्वाऊ तो वो बिल्कुल सुहाग रात की तरह हो आज बापू दोपहर मे

रिश्तेदारी मे जाने वाले है मैं रात को आपका खाना ले के आउन्गि

तब यही रुक जाउन्गि क्योंकि घर पे कोई और रोकने वाला नही होगा तब आप

मुझको अपनी दुल्हन बना के बहुत सा प्यार करना मैने कहा ठीक है

मगर अभी जब शुरुआत हो गयी है तो कम से कम कुछ पिला तो दो और

मैने उसका ब्लाउस सरका के उसका एक दूध बाहर निकाल के बहुत ज़ोर से

चूस लिया वो आअहह करने लगी उसके बाद वो अपने घर चली गयी

शाम को कोई 6 बजे मेरा दरवाज़ा नॉक हुआ तो मैने दरवाज़ा खोल के देखा

तो बाहर एक आदमी खड़ा था और उसके हाथ मे एक बहुत बड़ा सा पॅकेट

था उसने बोला कि प्रधान जी के घर से ये समान लाया हू उन्होने आपको

देने को बोला था मैं वो पॅकेट ले के अंदर आ गया और उसे खोला तो

देखा उसमे बहुत से फूल थे और एक चिट्ठी थी जिसमे रागिनी ने लिखा

था कि ये फूल भेज रही हू अपनी सुहाग रात मनाने के लिए इन फूलो

से मेरी सुहागरात को याद गार बना देना मैने अंदर बेडरूम मे बेड

पे एक न्यू वाइट बेडशीट बिछाई और वो फूल उसपे डाल दिए और पूरा

रूम ऐसे सज़ा दिया जैसे सुहागरात मे सजाया जाता है और खुद भी

नहा के शेव कर के कुर्ता पयज़ामा पहन के तैयार हो गया

रात को कोई 830 रागिनी आई और मैने उसको हग करने की कोशिश की तो

वो मुस्कुराते हुए बोली जानू थोड़ा इंतजार तो करो उसके हाथ मे एक

छोटा सा बॅग था और वो मेरे से बोली की सबर करो सबर का फल मीठा

होता है मैं जब आपको बुलाउन्गी तब रूम मे आना तब तक उधेर

देखना भी नही और वो रूम मे चली गयी मैं बाहर बैठा इंतजार

करता रहा कोई 30 मिनट बाद अंदर से आवाज़ आई जानुउऊउउ आओ ना

मैं अंदर रूम मे उठ के गया तो उसको देखता ही रह गया उसने एक रेड

सारी पहनी हुई थी और थोड़े से गहने और बहुत अछा मेकप कर के वो

बिलकल दुल्हन बनी हुई थी और बेड पे थोड़ा सा घूँघट निकाल के बैठी

हुई थी मैने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और उसके पास जा के बेड पे

बैठ गया और उसका घूँघट उठाया उसने शरम से अपनी नज़रे झुका

रखी थी मैने उसकी आँखो पे अपने होंठ रख दिए तो उसने अपना बदन

ढीला छोड़ दिया मैने उसको हग कर के सीने से लगा लिया और थोड़ी देर

ऐसे ही बैठा रहा उसकी धड़कन बहुत तेज चल रही थी फिर वो उठी

और बगल से गरम दूध का ग्लास उठा के मुझको देने लगी कि इसको पी

लीजिए मैने वो दूध का ग्लास उसके हाथ से ले के साइड मे रख दिया

और उसको कहा कि जानू इस वक़्त ये दूध पीने का वक़्त नही है मुझको तो

कुछ और पीना है तो उसने शर्मा के धीरे से पूछा और क्या पीना है तो

मैने उसके दोनो दूध को सहलाते हुए कहा ये पीना है तो उसने शर्मा के

धात्ट बोला और कहा आप तो बहुत वो है मैने ऐसे ही दूध को सहलाते

हुए उसको गरम करना शुरू किया और धीरे धीरे उसका पल्लू हटा के उसके

ब्लाउस के बटन खोलने लगा उसने अपने हाथ से अपना चेहरा ढक लिया

और बोली मुझको शरम आ रही है मैने उसका पूरा ब्लाउस उतार दिया और

फिर सारी भी खोल दी औब वो पेटीकोट और ब्रा मे थी उसने वाइट ब्रा

पहनी हुई थी फिर मैने उसको हग किया और पीछे से उसके ब्रा का हुक भी

खोल दिया औब मैं उसकी पीठ को सहला रहा था और उसकी नेक पे अपने

होठ से रगड़ रहा था उसके मुँह से हल्की हल्की आहह निकल रही थी

मैने उसकी पीठ को सहलाते हुए अपना हाथ उसके पेटीकोटे मे डालते

हुए उसकी गांद को भी सहलाना शुरू कर दिया और ऐसे ही मैने उसका ज़ोर

लगा के नारा तोड़ दिया जैसे नारा टूटा उसका पेटीकोटे नीचे गिर गया अब

वो सिर्फ़ पॅंटी मे थी मैने उसको ऐसे ही बेड पे लिटा दिया और खुद

खड़े हो के अपने कपड़े उतारने लगा और खुद भी सिर्फ़ अंडरवेर मे आ

गया और धीरे से उसके उपेर लेट के होंठो से होंठ मिला दिए उसके दोनो

हाथ उसके सिर के साइड मे रख के उंगलियो मे उंगलिया फसा के कस के

पकड़ लिया था और उसके होंठो का रस पीने लगा ऐसे ही पीते पीते मेरा

खड़ा लंड उसकी चूत के उप्पेर पॅंटी को रगड़ रहा था उसने अपनी आँखो

को बंद किया हुआ था और फिर मैने एक हाथ से अपना अंडरवेर उतार

दिया और पूरा नंगा हो गया उसके बाद मैने उसकी पॅंटी भी उतार दी और

फिर ऐसे ही उसके उप्पेर लेट गया उसके माथे से उसको चूमना शुरू किया

और नीचे की तरफ आने लगा जैसे मेरे होंठ उसकी चूत तक पहुचे

उसने दोनो हाथो से मेरा सिर पकड़ लिया और उसके मुँह से सिसकारिया

निकलने लगी उसकी चूत बिल्कुल पिंक कलर की थी और बिल्कुल सॉफ उसने

यहा आने से पहले ही अपनी झाँते सॉफ की थी उसकी चूत से हल्का सा

पानी निकल रहा था मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया थोड़ी देर

बाद मे खड़ा हुआ और उसके सिर की तरफ जा के उसके सिर के नीचे एक

हाथ लगा के उसका सिर थोड़ा सा उठाया और उसके होंठ पे अपना लंड

रगड़ दिया और उसने ऐसा करते ही अपना हल्का सा मुँह खोला तो मैने

अपना लंड उसके मुँह मे दे दिया जिसको उसने बहुत प्यार से चूसना

शुरू कर दिया मैं उसकी चूचियो को सहला रहा था ऐसे ही कोई 10 मिनट

तक मैं उसको अपना लंड चुस्वाता रहा फिर मैने उसको बेड पे सीधा

लिटाया और उसके पैर घुटनो से मोड़ के उसके दोनो हाथो मे पकड़वा दिए

और मैं उसकी टाँगो के बीच आ गया और उसको बोला कि अब थोड़ा सा

बर्दाश्त करना तुमको हल्की सी दर्द होगी तो वो बोली कि मैं तैयार हू

उसके बाद मैने अपने लंड की टिप उसकी चूत के कट पे रगडी तो उसके

मुँह से श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निकलने लगा और उसकी पूरी बॉडी ने एक

झटका खाया फिर मैने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ

से अपना लंड पकड़ के उसकी टिप को उसकी चूत के होल पे रखा फिर मैने

उसके दोनो कंधे पकड़ के हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरे लंड की टिप

उसकी चूत मे घुस गयी और उसके मुँह से चीख निकल गयी मैने अपना

लंड को वैसे ही रहने दिया और झुक के उसके निप्पल चूसने लगा वो दर्द

से आहह आहह कर रही थी थोड़ी देर बाद उसका दर्द कुछ कम हो गया

तो मैने उसके दूध को सहलाते हुए धीरे धीरे लंड को और अंदर किया

थोडा अंदर जाने के बाद मेरा लंड किसी चीज़्ज़ से टकरा के रुक गया

वो उसकी चूत की सील थी जिससे मैं समझ गया कि अब ये ज़ोर से

चिल्लाने वाली है मैने उसको कस के पकड़ लिया और उसके लिप्स को अपने

होंठो मे दबा लिया की वो जयदा ज़ोर से चिल्ला ना पाए और पूरी ताक़त

से एक ज़ोर का धक्का मार दिया मेरा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ

पूरा अंदर घुस गया वो दर्द से बिल्कुल तड़पने लगी और अपना मुँह मेरे

होंठो से छुड़ाने की कोशिश करने लगी कि वो चिल्ला सके मगर मैने

उसको कस के पकड़े रखा और अपना लंड भी अंदर डाल के कुछ देर रुका

रहा धीरे धीरे वो शांत हो गयी उसकी आँखो से आँसू निकल आए थे

दर्द से फिर मैने उसके होंठो को आज़ाद किया और दूध पीने लगा उसके मुँह

से अब कराहते निकल रही थी औब मैने धीरे धीरे अपना लंड अंदर

बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया अब उसको भी

मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांद उछाल उछाल के चुदवाने लगी थी

ऐसे ही मैं कोई 10 मिनट तक उसको चोद्ता रहा इतनी देर मे वो एक बार

झाड़ चुकी थी अब उसको बहुत मज़ा आ रहा था और वो कह रही थी

आहह और ज़ोर से चोदो मेरी 25 साल की उमर मे इतनी खुशी मुझको

कभी नही मिली आअहह मुझको पूरा निचोड़ दो मुझको बहुत अछा

लग रहा है मैने फिर उसकी चूत से लंड निकाला और देखा कि बेडशीट

खून से भर चुकी है मैने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांद

को पकड़ के फिर लंड उसकी चूत मे डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदने

लगा अब मैने अपने हाथ उसकी साइड से डाल के उसके दोनो दूध पकड़

लिए थे जो मेरे धक्को से बहुत बुरी तरह हिल रहे थे और ऐसे ही

उसको चोद्ता रहा वो मज़े से आआहह आहह कर के मुझसे

चुदवा रही थी अचानक वो ज़ोर से चिल्लाई मेरी चूत फिर झड़ने वाली

है और ज़ोर से चोदो और इतना बोलते ही उसकी बॉडी ने झटका खाया और वो

फिर से झाड़ गयी

वो साली, साली नही,

जीजा से जिसने चुदवाया नहीं

वो जीजा भी कोई जीजा है,

जिसने साली को लंड पे बिठाया नहीं

थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हू क्योंकि मैने

कॉंडम नही लगाया था इस लिए मैने लंड निकाल के उसकी गांद के उप्पेर

पिचकारी छोड़ दी और उसके बाद हम ऐसे ही नंगे कुछ देर एक दूसरे को

हग कर के लेट गये उसके बाद वो बाथरूम गयी उससे ठीक से चला नही

जा रहा था क्योंकि उसकी चूत कुछ फट गयी थी मैं भी उसके पीछे

बाथरूम गया और उसको बोला कि मेरा भी लंड साफ करो उसने अपनी चूत

और मेरा लंड पानी से धो के सॉफ किया जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा

होने लगा मैने उसको लंड चूसने के लिए कहा तो वो मेरे पैरो के पास

ज़मीन पे बैठ के मेरे लंड की लॉलीपोप चूसने लगी फिर मैने उसको

गोद मे उठाया और बेडरूम मे ले आया और बेडरूम मे पड़े टेबल पे

उसकी गांद टीका के उसके दोनो पैर उप्पेर उठा के अपने कंधो पे रख के

उसके सामने खड़े हो के उसकी चूत मे अपना लंड डाल दिया और फिर से

उसको बहुत बुरी तरह से चोदा ये वाली चुदाई मे उसको भी बहुत मज़ा

आया इस तरह उस रात हमने अपनी सुहाग रात मे कोई 4 बार चुदाई की

सुबह उसकी ऐसी हालत हो चुकी थी कि वो बिल्कुल भी चल नही पा रही

थी बहुत मुश्किल से वो अपने घर गयी उसका बाप 3 दिन बाद वापिस आने

वाला था और डे टाइम मे मुझको भी अपने प्रॉजेक्ट के सिलसाले मे बिज़ी

रहना पड़ता था इस लिए वो 3 दिन तक रोज रात को आ के मेरी बीवी बन

जाती थी और हम बहुत चुदाई करते थे नेक्स्ट डे मैने उसकी गांद भी

मार दी और उसकी गांद से भी बहुत खून निकला

इसी तरह अब मैं जब भी उस विलेज मे जाता हू तो वो मेरी वाइफ का

रोल प्ले करने को आ जाती है और मेरे लंड की प्यास बुझा देती है

प्ल्ज़ मुझको ज़रूर बताईएएगा की केसी लगी मेरी स्टोरी

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:31

Raj-Sharma-stories

रश्मि के साथ पहली बार
मेने रश्मि को हमेशा पार्टीस या किसी शादी के फंक्षन्स में ही देखा था. रश्मि समाज की एक मानी हुई हस्ती थी. कामयाब बिज़्नेस वोमेन होने के अलावा वो सामाजिक कार्यकर्ता भी थी. अक्सर उसके किस्से किसी ना किसी सामाजिक कार्य के लिए चर्चित थे. रश्मि का आकर्षक व्यक्तित्व और उसका सुन्दर बदन किसी भी मर्द को उसकी तरफ आकर्षित कर सकता था.
एक फंक्षन में मुझे उसके बगल में बैठने का मौका मिला. में उससे बात करना चाहता था पर ऐसा हुआ नही, उसे किसी चॅरिटी फंक्षन में जाना था और वो एक अलग सी छाप मेरे जेहन में छोड़ चली गयी.
रश्मि की एक अड्वर्टाइज़िंग कंपनी थी जिसे वो बेचना चाहती थी, और इसी सिलसिले में वो मेरी सेक्रेटरी सीमा से अपायंटमेंट बुक करना चाहती थी. मेरी एड कंपनी अच्छी चल रही थी, और ना मैं कोई कंपनी को खरीदने का इरादा रखता था. जब रश्मि की कंपनी के बारे में मुझे सीमा ने बताया तो मेने उससे पूछा, "क्या तुम पेरसोन्नाली उसके बारे मे कुछ जानती हो?"
"मेरा एक दोस्त उसके लिए काम करता है." उसने जवाब दिया.
"तुम उसके बारे में कितना जानती हो?" मेने फिर पूछा.
"यही कि उसकी शादी शुदा जिंदगी अच्छी नही है. किसी कारण से उसका तलाक़ होने वाला है. रश्मि एक बहोत ही मेहन्नति और ईमानदार महिला है. अपने वर्कर्स का वो अपने परिवार के सद्स्य जैसा ख़याल रखती है." सीमा ने जवाब दिया.
"ठीक है में उससे मिलूँगा."
सीमा ने हंसते हुए कहा, "में जानती थी आप उससे ज़रूर मिलेंगे."
रश्मि ने मेरे कॅबिन में इस तरह कदम रखा जैसे कि वो कॅबिन उसी का हो. उसका ऑफीस में घुसने का अंदाज़ सॉफ कह रहा था कि वो एक फर्स्ट क्लास बिज़्नेस वोमेन थी. दिखने में वो 5"9 की थी. वो मेरे टेबल की ओर बढ़ी और मुझसे हाथ मिलाया.
मेने भी खड़े हो उससे हाथ मिलाया और अपनी कुर्सी पर झट से बैठ गया. इस तरह की औरतें मुझे काफ़ी गरम कर देती थी और उनसे अपने खड़े लंड को छुपाना मुश्किल हो जाता था.
रश्मि मेरे सामने कुर्सी मेरे सामने बैठ गयी और उसने अपना ब्रीफकेस बगल में रख लिया. रश्मि ने घूटने तक का काले रंग का स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी आधे से ज़्यादा नंगी टाँगे दिखाई दे रही थी. उसे देखते ही मेरे लंड में सिरहन हुई और वो गर्माने लगा.
"राज मुझे खुशी हुई कि तुमने मुझसे मिलने के लिए वक्त निकाला. मुझे मालूम है तुम अपने बिज़्नेस में काफ़ी कमियाब हो और मेरी कंपनी तुम्हारी कंपनी के मुक़ाबले कुछ भी नही है." रश्मि मुझे देखते हुए बोली.
"मुझे भी आपसे मिलकर काफ़ी खुशी हुई." मेने कहा.
"हम बात आगे बढ़ाए उसके पहले में तुम्हे कुछ दिखाना चाहती हूँ." वो अपना ब्रीफकेस उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुकी तो उसकी स्कर्ट थोडा और उपर खिसक गयी जिससे उसकी जाँघो का उपरी हिस्सा नज़र आने लगा.
उसने वापस घूमकर अपना ब्रीफकेस अपनी गोद में रख लिया. उसने ब्रीफकेस खोल कर उसमे सी एक फाइल निकाली और फिर ब्रीफकेस बंद कर उसे अपने पाओ के पास रख दिया. इस दौरान उसने कई बार अपने पाओ पर पाओ चढ़ाए और उतारे जो एक औरत लिए नॉर्मल सी बात है लेकिन रश्मि ने इस तरह से किया कि मुझे उसकी ब्लॅक कलर की पॅंटीस साफ दिखाई दे.
वो खड़ी हो गयी और झुक कर मुझे फाइल दिखाने लगी. मेने तिरछी नज़रों से देखा कि उसके सफेद मम्मे लो कट के ब्लाउस में से साफ झलक रहे थे. उसने एक काले रंग की पारदर्शी ब्रा पहनी हुई थी.
"राज इस डील से तुम्हे पहले ही साल में . 5 लॅक्स का फ़ायदा हो सकता है." वो और टेबल पे झुकते हुए बोली. पर मेरा ध्यान उसकी बॅलेन्स शीट देखने में कहाँ था. मेरा ध्यान तो उसकी अनबॅलेन्स्ड चुचियों पे अटका था.
मेने देखा कि उसके ब्लाउस के उपरी दो बटन खुले थे. मुझे अच्छी तरह याद है कि जब वो ऑफीस में आई थी तो उसके ब्लाउस के सभी बटन बंद थे. ज़रूर उसने वो बटन जब अपनी ब्रीफकेस में से फाइल निकाल रही थी तब खोले होंगे. मुझे ये औरत काफ़ी खेली खाई और समझदार लगी.
मैं भी इस खेल में उसका साथ देने लगा. उसने मुझे फाइल के एक पन्ने को दिखाते हुई जान बुझ कर अपना पेन ज़मीन पर गिरा दिया. और जब घूम कर वो पेन उठाने के लिए झुकी तो उसकी मस्त चूतड़ ठीक मेरे चेहरे के सामने थे. उसकी मस्त गांद को देख कर मेरे लंड एक दम तन गया. उसने पेन उठाया और फिर टेबल पर झुक गयी.
में भी अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसका ऐसे बैठ गया जिससे उसे मेरा लंड जो पॅंट में तंबू बनाए हुए था साफ दिखाई दे. पर वो एकदम अंजान बने हुए मुझे पेपर्स समझाने लगी.
फाइल के पन्ने पलटते हुए उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. तब मुझे उसके बदन से आने वाले पर्फ्यूम की महेक आई. महेक तो कमरे में पहले से फैली हुई थी किंतु उसके बदन की सुंदरता मे में इतना खोया हुआ था कि महसूस नही कर पाया.
खुसबु गुलाब की थी या हिना की पता नही पर उसका नज़दीक होना और बदन से उठती खुश्बू मुझे पागल किए दे रही थी. में उसे छूना चाहता था, पर मैं अपने जज्बातों को रोक रहा था. रश्मि मुझे एक एक चीज़ समझा रही थी, और मैं उसके मम्मो की गोलैइओ में खोया उसकी हां में हां मिला रहा था.
मन तो कर रहा था कि उसकी प्यारी गांद पर हाथ फेर दूं, पर बदले में कहीं थप्पड़ ना पड़ जाए सोच कर चुप रह गया. मेने सोचा चलो टाँगो से शुरू करते है. जैसे ही मेने अपनी उंगली धीरे से उसकी टाँगो की छुई, "राज जहाँ तक में समझती हूँ तुम्हारी कंपनी खर्चों के मामले में कुछ ज़्यादा लापरवाह है. हमारी कंपनी एक प्लान के तहत ही खर्चा करती है, ये तुम्हारे काम आएगी. पैसो को पकड़ कर जब्त करना चाहिए ना कि खर्च करना." वो मेरी ओर देखते हुए बोली.
तब मेने उसके घूटनो को जब्त कर लिया, जब्त नही बल्कि अपनी पूरी हथेली उसके घूटनो पे रख दी. उसे इस बात का अहसास ज़रूर हुआ होगा पर वो फिर अंजान बनते हुए बोली, "राज ये अच्छा समय है, मार्केट में बहोत काम है और तुम अपने सब सपने पूरे कर सकते हो."
मुझे लगने लगा कि वो भी मुझसे खेल खेल रही है. वो मुझे अपने और कामो के बारे मे बताने लगी और मैं अपना हाथ धीरे धीरे उप्पर बढ़ने लगा. घुटनो से होता हुआ मेरा हाथ अब उसकी जांघों पर था. एरकॉनडिशन चालू होने के बावजूद मुझे गर्मी लगने लगी, मेने अपने बाए हाथ से अपनी टाइ की नाट ढीली की और दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को सहलाने लगा. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर मुझे फाइल दिखाने समझाने लगी.
मेरा हाथ उपर की ओर बढ़ रहा था और वो अंजान बनी मुझे समझा रही थी. मेरा हाथ अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से पे रेंग रहा था. अगर वो इस समय मुझे रोकती तो में नही जानता कि मैं क्या करता पर मेने अपने हाथ को हटाया नही. मेरा हाथ अब इसके आगे नही बढ़ सकता था जब तक कि वो अपनी टाँगो को थोड़ा और फैला मुझे रास्ता दे.
"राज तुम्हारी कंपनी पुराना सॉफ्टवेर यूज़ करती है, हमारी कंपनी के मध्यम से तुम लेटेस्ट टेक्नालजी से काम ले सकोगे. इससे तुम हर लाइन की अन्द्रुनि से अन्द्रुनि जानकारी हासिल कर सकोगे." ये कहते हुई वो अपने ब्रीफकेस से एक फाइल निकालने के लिए झुकी और इस दौरान अपनी टाँगे थोड़ी फैला दी.
आन्द्रुनि जानकारी हासिल करने के लिए मेरे हाथों को रास्ता मिल चुक्का था. मेने अपना हाथ थोड़ा उपर खिसकाई तो पाया उसकी पॅंटीस पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
"राज हमारी कंपनी के पास एक सॉफ्टवेर है जिससे कंपनी का हर आदमी किसी भी डाटा को चेक कर सकता है. तुम उन डेटा को भी पा सकते हो जो आम इंसान के पाने की हद के बाहर है." उसने अपनी टाँगो को और फैलाते हुए कहा.
मैं और मेरा हाथ तो किसी और डाटा की तलाश में थे. मेने अपना हाथ उसकी गीली हुई चूत पर पॅंटी के उपर रख दिया. उसकी पूरी पॅंटी गीली थी और मेरी शर्ट भी पसीने में भीग चुकी थी.
वो अब टेबल पे बैठ चुकी थी, "राज हमारे पास में ऐसे वेब सर्वर्स हैं जो हर दिक्कतों को मिटा सकते है. तुम्हारे मुलाज़िम 24 घंटे किसी भी डाटा को पा सकते है." में उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था.
"रूको पहले रास्ते की दिक्कतों को हटाओ?" मेने धीरे से उसकी चूत को दबा दिया. मेने अपनी उंगलियाँ उसकी पॅंटी के एलास्टिक में फँसा उन्हे नीचे खिसकाना शुरू किया.
रश्मि अभी भी शान बने हुए मुझे अपनी कंपनी का हर डाटा समझा रही थी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसाइ तो मुझे लगा जैसे कि मेने किसी भट्टी में उंगली डाल दी हो. उसकी चूत से पानी बह रहा था. मैं अपनी दो उंगलियों से उसे चोद रहा था पर उस पर इस बात का बिल्कुल भी असर नही था. मेने उसकी पॅंटी उतार कर ज़मीन पर गिरा दी थी.
उसकी खुली हुई चूत मुझे इन्वाइट कर रही थी. मेने अपना हाथ बढ़ा उसके टॉप को खोलना चाहा, "राज तुम्हे हमारी कंपनी से काफ़ी फ़ायदे हो सकते हैं, इससे तुम्हारे बिज़्नेस में काफ़ी तरक्की हो सकती है." रश्मि मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली.
मैं और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा.
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ पूछा, "अब मेरी कंपनी को खरीदने का और क्या लोगे?"
मेने देखा कि वो इस डील को ख़त्म ही करना चाहती है, और उसके लिए वो कुछ भी पेश कर सकती है अपने आप को भी.
मेने फोन उठाया और इनटरकम पर अपनी सेक्रेटरी सीमा का नंबर दबाया, उम्मीद थी कि वो लंच से वापस आ गयी हो.
"हां राज,"
"सीम क्या तुम हमारे लॉयर के साथ बात कर डॉक्युमेंट्स तय्यार कर सकती हो कि हम म्र्स रश्मि की फर्म को 3 करोड़ में खरीद रहे हैं, एक कन्फर्मेशन लेटर पहले तय्यार कर के ले आओ."
"अभी लेकर आती हूँ," सीम अपने काम में काफ़ी होशियार थी.
में रश्मि की स्कर्ट को उपर उठता रहा जब मैं सीमा से बात कर रहा था, अब उसकी जंघे और चूत एक दम नंगी हो चुकी थी. उसकी गुलाबी चूत और झीने झीने भूरे बाल दिखाई दे रहे थे.
रश्मि मेरी ओर देखते हुए बोली, "राज इस डील का तुम्हे मुझे अड्वान्स देना होगा?"
"रश्मि क्या अड्वान्स देना होगा?" मेने पूछा.
"तुम्हे मुझे चोदना होगा. अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकालो, पिछले एक घंटे से सहन किए जा रही हूँ. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर मुझे जोरों से चोदो."
जैसा रश्मि ने कहा था में खड़ा हो कर उसके पीछे आ गया. रश्मि टेबल पर झुक कर घोड़ी बन गयी. मेने अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी. रश्मि ने अपने टाँगे एकदम फैला दी थी जिससे उसकी चूत का मुँह और खुल गया था.
"तुम मुझे पहले ही इतना गीला कर चुके हो कि तुम्हारा जी चाहे वैसे और ज़ोर से चोद सकते हो." रश्मि ने मेरी और गर्दन घुमा कर कहा.
मेने अपने लंड को थोड़ी देर उसकी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपने सूपदे को अंदर घुसाया. जैसे ही मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर घुसा उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी,
"ऊऊऊऊहह हााआ ओह राज तुम्हारा लंड कितना बड़ा है. मेने सुना था तुम्हारे लंड के बारे में कि काफ़ी बड़ा है और तुम चुदाई भी अछी करते हो."
"कहाँ सुना तुमने ये?" मेने अपने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाते हुए कहा.
"राज इस तरह की बातें बहोत जल्दी फैलती है सोसाइटी में. एक औरत से दूसरी औरत तक फिर सड़कों पे. राज सुना है क़ि तुम चोदने मे माहिर हो, औरत को चुदाई का पूरा मज़ा देते हो. और आज तुमसे चुदवा के पता लगा कि जो सुना उससे कहीं बेहतर चोदते हो." रश्मि ने अपने चुतताड पीछे करते हुए कहा.
में ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मार रहा था. वो भी पूरे जोश में अपने चुतताड पीछे धकेल मेरे धक्के का जवाब दे रही थी, "ओह राज मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को."
मैं और ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक लंड घुसा धक्के मार रहा था. वो मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. उसकी चूत बहोत टाइट और गरम थी. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मेने उसके स्कर्ट को एकदम उपर उठा उसके चुतताड को कस के अपने हाथों से पक्कड़ ज़ोर के धक्के मार रहा था."ऊऊहह हहाा रूको मत चोदते जाओ हााआआं आईसस्स्स्स्ससे हीईीईई ओह राज मेरा छूटने वाला है," वो ज़ोर के धक्के लगा रही थी, मेने उसके पानी का स्पर्श अपने लंड के चारों तरफ महसूस किया तभी मेरी नज़र दरवाज़े पर खड़ी सीमा पर पड़ी.
सीमा मेरे ऑफीस के बंद दरवाज़े पर खड़ी एक हाथ में रश्मि का लेटर और अपनी स्कर्ट पकड़े हुए थी, और दूसरे हाथ से अपनी खुली चूत में उंगली कर रही थी. रश्मि की नज़र उसपर पड़ी और वो मुस्कुरा दी, समझ गयी कि एक बॉस के कॅबिन में अगर उसकी सेक्रेटरी अपनी चूत में उंगल कर रही है तो कोई मुसीबत नही आने वाली.
सीमा समझ गयी कि मेने उसे देख लिया है वो मुस्कुराते हुए हमारे करीब आई और हम लोगो को चुदाई करते देखने लगी. मेने रश्मि को चोदना चालू रखा था. सीमा हमारे करीब आई और अपने हाथ रश्मि की गांद पर रख बोली, "राज इसकी गांद कितनी सुदार और प्यारी है, है ना!"
सीमा ने अपना एक हाथ रश्मि के खुले टॉप के अंदर डाल उसकी चुचियों को सहलाया और उसके निपल मसल दिए, "और सुंदर चुचियाँ भी है." मेने कहा.
"राज रश्मि बहोत सुन्दर है, क्या इसकी चूत भी इसकी चुचियों की तरह कसी है?"
"हां बहोत ही टाइट चूत है इसकी." मेने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा.
"तुम्हे पता है आज मैं खाना खाने कहाँ गयी थी?"
ये क्या चुदाई के बीच में ये खाना का रोना ले के बैठ गयी मैं सोचने लगा, "नही मुझे नही पता." में थोड़ा उखड़ते हुए बोला.
"मैं आज सेयेज़र्ज़ पॅलेस गयी थी"
में सीमा को सुन रहा था और रश्मि ने अपनी चूत को सिकोड

लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया. रश्मि सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड के पानी को निचोड़ रही थी. उसने एक हाथ बढ़ा कर सीमा के टाँगो पर से रेंगते हुए उसकी चूत पर रख दिया.
"ओह राज देखो तो ये मेरी चूत से खेल रही है. रश्मि ने अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल कर अपने अंगूठे से मेरे चूत के दाने को सहला रही है."
"तुम मुझे सेआसोर्स पॅलेस के बारे में बता रही थी?'
"गोली मारो सेआसोर्स पॅलेस को इस वक़्त, जब हम इससे निपट लेंगे तब में तुम्हे बताउन्गि." वो अपनी कमर हिलाते हुए बोली.
रश्मि अपनी उंगलियों से सीमा की चूत को चोद रही थी, सीमा की साँसे भी अब उखाड़ने लगी थी. सीमा ने अपना हाथ बढ़ा रश्मि की चूत पर रख दिया. मेरा लंड रश्मि की चूत में घुसते हुए मेरा लंड सीमा की उंगलियों से टकराता तो एक अजीब ही सनसनी मच जाती. अब वो रश्मि को चूत को सहला रही थी.
"क्या तुम्हे मेरी चूत अच्छी लगी राज?' उसने ज़ोर से मेरे लंड को भींचते हुए अपना पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. मेने भी दो तीन धक्के ज़ोर के मार के अपना सारा पानी उसकी चूत में उंड़ेल दिया.
मेने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला. मेरे लंड से छू कर रश्मि की चूत का पानी ज़मीन पर टपक रहा था. रश्मि भी जब सीधा होना चाही तो सीमा ने उसे रोक दिया. सीम उसके पीछे आ अपनी दो उंगली रश्मि की चूत में घुसा दी. थोड़ी देर अपनी उंगली उसकी चूत में घुमाने के बाद, वीर्य से लिपटी अपनी उंगली उसने रश्मि को चूसने के लिए दी.
रश्मि ने बिना जीझकते हुए अपने मुँह के अंदर तक लेकर उसकी उंगलियों को चूसा और चॅटा. सीमा ने अपनी उंगलियाँ बाहर खींच ली. रश्मि खड़ी हो कर अपने स्कर्ट को सीधा करने लगी. सीमा ने रश्मि की पॅंटी जो ज़मीन पर पड़ी थी, उसे उठा कर सूंघने लगी.
रश्मि की और देख आँख मार कर बोली, "तुम्हारी चूत की खुश्बू सही में बड़ी मतवाली है." कहकर उसने पॅंटी रश्मि को पकड़ा दी. रश्मि ने पॅंटी पहन अपने कपड़े ठीक कर लिए. रश्मि ने अपनी स्कर्ट और ब्लाउस भी ठीक किया पर अपने ब्लाउस के दो बटन खुले ही रहने दिए.
उसने डील का लेटर उठाया और मेरे सामने रख दिया. मेने साइन करके उसे वो लेटर दे दिया. उसने वो लेटर ले कर अपने ब्रीफकेस में रख उसे बंद किया और खड़ी हो गयी. "थॅंक यू राज. उमीद हमारा रिश्ता आज के बाद और मजबूत होगा." कहकर वो वहाँ से चली गयी.
"कमाल की औरत है, ऐसी औरतें कम ही देखने को मिलती है." सीमा मेरी ओर देखते हुए बोली.
"हां तुम सही कह रही हो, इतना आत्मविश्वास किसी में मे कम ही होता है. रश्मि उन औरतों में से है, जो चाहा वो हर हाल में हासिल करती है." मेने सीमा की बात का जवाब दिया.
"मैं शुरू से ही तुम्हे देख रही थी. जब तुम रश्मि को चोद रहे थे तो मुझ से रहा नही गया, मैं भी इस सुंदर औरत की चूत देखना चाहती थी, इसीलिए चली आई."
"कोई बात नही, अच्छा तुम सेआसेर्स पॅलेस के बारे में कुछ बता रही थी?" मेने सीमा से पूछा.
"में वहाँ पे टेबल पे बैठी सूप पी रही थी कि तभी एक बहुत ही सुंदर लड़की जिसका नाम चाँदनी था मेरे पास आई और पूछा कि क्या वो वहाँ बैठ सकती है. बड़ी ही अजीब लड़की थी हम लोग बात कर रहे थे और उसी दौरान उसने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखा और मेरी चूत से खेलने लगी."
"फिर क्या हुआ?" मेने पूछा.
"उसने मुझसे लॅडीस वॉश रूम में चलने को कहा, वो इतनी सुंदर थी और साथ ही उसने मेरी चूत को सहला सहला के इतना गरम कर दिया था की में अपने आप को रोक नही पाई और उसके पीछे वॉश रूम में आ गयी." सीमा अपनी चूत खुजाते हुए बोली, "वहाँ उसने मेरी चूत को इतना कस कस के चूसा और चटा की मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा. मुझे देर हो रही थी इसलिए में उसकी चूत का स्वाद नही चख पाई."
"उम्म्म काफ़ी दिलचस्प लड़की होगी."
सीमा वापस अपने कॅबिन में जाने के लिए उठी, "वैसे राज वो फरोज़ और फरोज़ में काम करती है. मेने उसे अपनी कंपनी में काम करने के लिए मना लिया है. वो कल से मेरी असिस्टेंट के रूप में हमें जाय्न कर रही है, तुम चाहो तो सुबह उसका इंटरव्यू ले सकते हो."
मैं भी उस लड़की की सुंदर चूत और बदन के ख़यालों में खो गया.

समाप्त

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:33

मेरी दीदी की ननद --1
मेरी फेमिली में में हूँ माताज़ी, पिताजी हें और मुझ से तीन साल बड़ी दीदी है जिस का नाम है शालिनी. मैं और दीदी एक दूजे से बहुत प्यार करते हें. भाई बहन से ज़्यादा हम दोस्त हें. हम एक दूजे की निजी बातें जानते हें और मुश्केली में राय लेते देते हें. सेक्स के बारे में हम काफ़ी खुले विचार के हें, हालाँकि हम ने आपस में चुदाई नहीं की है जब में छोटा था तब अक्सर वो मुज़े नहलाती थी. उस वक़्त मात्र कुतूहल से दीदी मेरी लोडी के साथ खेला करती थी. मुज़े गुदगुदी होती थी और लोडी कड़ी हो जाती थी. जैसे जैसे उमर बढ़ती चली तैसे तैसे हमारी छेड़ छाड़ बढ़ती चली. ये बिना बनी तब मैं सत्रह साल का था और वो बीस साल की. तब तक मेने उस की चुचियाँ देख ली थी, भोस देख ली थी और उस ने मेरा लंड हाथ में लेकर मूट मार लिया था. चुदाई क्या है कैसे की जाती है क्यूं की जाती है ये सब मुझे उस ने सिखाया था.कहानी शुरू होती है शालिनी की शादी से. पिताजी ने बड़ी धाम धूम से शादी मनाई. बारात दो दिन महेमान रही. खाना पीना, गाना बजाना सब दो दिन चला. जीजाजी शैलेश कुमार उस वक़्त बाइस साल के थे और बहुत ख़ूबसूरत थे. दीदी भी कुछ कम नहीं थी. लोग कहते थे की जोड़ी सुंदर बनी हैबारात में सोलह साल की एक लड़की थी, पारूल, जीजू की छोटी बहन दीदी की ननद. वे भाई बहन भी एक दूजे से बहुत प्यार करते थे. पारो पाँच फूट लंबी थी, गोरी थी और पतली थी. गोल चहेरे पैर काली काली बड़ी आँखें थी/ बाल काले और लंबे थे. कमर पतली थी और नितंब भारी थे. कबूतर की जोड़ी जैसे छोटे छोटे स्तन सीने पर लगे हुए थे. मेरी तरह वो बचपन से निकल कर जवानी में क़दम रख रही थी.क्या हुआ, कुछ पता नहीं लेकिन पहले दिन से ही पारो मुझ से नाराज़ थी. जब भी मुझ से मिलती तब डोरे निकालती और हून्ह--- कह कर मुँह मुचकोड़ कर चली जाती थी. एक बार मुझे अकेले में मिली और बोली : तू रोहित हो ना ? पता है ? मेरे भैया तेरी बहन की फाड़ के रख देंगे .ऐसी बालिश बात सुन कर मुझे ग़ुस्सा आ गया. भला कौन दूल्हा अपनी दुल्हन की ज़िली तोड़े बिना रहता है ? अपने आप पर कंट्रोल रख कर मैने कहा : तू भी एक लड़की हो, एक ना एक दिन तेरी भी कोई फाड़ देगा .मुँह लटकाए वो चली गयी .दीदी ससुराल से तीन दिन बाद आई. मैने मा को उसे कहते सुना : डरने की कोई बात नहीं है कभी कभी आदमी देर लगाता है सब ठीक हो जाएगा .अकेली पा कर मैने उसे पूछा : क्यूं री ? साजन से चुदवा के आई हो ना ? कैसा है जीजू का लंड ? बहुत दर्द हुआ था पहली बार ?दीदी : कुछ नहीं हुआ है रोहित. वो पारूल अपने भैया से छूटती नहीं, रोज़ हमारे साथ सोती है तेरे जीजू ने एक बार अलग कमरे में सोने को कहा तो रोने लगी और हंगामा मचा दिया.मैं समझ गया, दीदी चुदाये बिना आई थी. पाँच सात दिन बाद वो फिर ससुराल गयी और एक महीने के बाद आई. अब की बार उसे देख कर मेरा दिल डूब गया. उस के चहरे पर से नूर उड़ गया था, कम से कम पाँच किलो वज़न घट गया था, आँखें आस पास काले धब्बे पड़ गये थे. उस का हाल देख कर माताज़ी रो पड़ी. दीदी ने मुझे बताया की वो अब भी कँवारी थी, जीजू ने एक बार भी चोदा नहीं था. मैने पूछा : जीजू का लंड तो ठीक है ना, खड़ा होता है या नहीं ?दीदी : वो तो ठीक है नहाते वक़्त मैने देखा है रात को मौक़ा नहीं मिलता.मैं : हनीमून पर चले जाओ ना .दीदी : तेरे जीजू ने ये भी ट्राय कर देखा. वो साथ चलने पर तुली.मैं : सच कहूँ ? तेरी ये ननद को चाहिए है एक मोटा तगड़ा लंड. एक बार चुदवायेगी तो शांत हो जाए गी.दीदी : तेरे जीजू भी यही कहते हें. लेकिन वो अभी सोलह साल की है कौन चोदेगा उसे ?मैने शरारत से कहा : मैं चोद लूं ?दीदी हस कर बोली : तू क्या चोदेगा ? तेरी तो नुन्नी है चोद ने के लिए लंड चाहिए.मैने पाजामा खोल कर मेरा लौड़ा दिखाया और कहा : ये देख. नुन्नी लगती है तुझे ? कहे तो अभी खड़ा कर दूं. देखना है ?दीदी : ना बाबा ना. सलामत रहे तेरा लंडमैं : मान लो की मैने पारूल को चोद भी लिया, जीजू को पता चले की मैने उसे चोदा है तो तेरे पैर ख़फा नहीं होगे ?दीदी : ना, वो भी उन से थक गये हें. कहते थे की कोई अच्छा आदमी मिल जाय तो उसे हर्ज नहीं है पारूल की चुदाई में .मैं : तो, दीदी, मुझे आने दे तेरे घर. ट्राय करेंगे, कामयाब रहे तो सही वरना कुछ नहीं.दीवाली के दिन आ रहे थे. स्कूल में डेढ़ महीने की छुट्टियाँ पड़ी. दीदी ने जीजू से बात की होगी क्यूं की उन का ख़त आया पिताजी के नाम जिस में मुझे दीवाली मनाने अपने शहर में बुलाया था. मैं दीदी के ससुराल चला आया. मुझे मिल कर दीदी और जीजू बहुत ख़ुश हुए. हर वक़्त की तरह इस बार भी पारो हून्ह --- कर के चली गयीजीजू सिविल कोर्ट में नौकरी करते थे और अपने पुरखों के मकान में रहते थे. मकान पुराना था लेकिन तीन मज़ले वाला बड़ा था. आस पास दूसरे मकान जो थे वो भी पुराने थे लेकिन ख़ाली पड़े थे. शहर के बीच होने पर भी जीजू ने काफ़ी प्राईवसी पाई थी.

यहाँ आने के पहले दिन मुझे पता चला की जीजू के फ़ैमीली में वो और पारो दोनो ही थे. कई साल पहले जब उन के माता पिता का देहांत हुआ तब पारो छोटी बच्ची थी. उस दिन से जीजू ने पारो को अपनी बेटी की तरह पाला पोसा था. उस दिन से ही पारो अपने भैया के साथ सोती थी और इतनी लगी हुई थी की दीदी के आने पैर छूटना नहीं चाहती थी. दीदी की समस्या हल कर ने का कोई प्लान मैने बनाया नहीं था. मैं सोचता था की क्या किया जाय. इतने में जीजू हम सब को छोटी सी ट्रिप पर ले गये और मेरा काम बन गया.शहर से क़रीबन तीस माइल दूर ग़लटेश्वर नाम की एक जगह है मही सागर नदी किनारे एक सदीओ पुराना शिव मंदिर है आसपास नेचारल सेटिंग है कई लोग पीकनिक के वास्ते यहाँ आते हें. आने जाने में लेकिन सारा दिन लगता हैमैने एक अच्छा सा केमेरा ख़रीदा था जो मैं हमेशा साथ रखता था. इस पीकनिक पर वो ख़ूब काम आया. मैने जीजू और दीदी की कई फ़ोटू खीछी. मैं जान बुज़ कर पारो की उपेक्षा करता रहा, उस के जानते हुए उस की एक भी फ़ोटू नहीं ली. हालाँकि मैने उस की चार पिक्चर ली थी जिस का उस को पता नहीं चला था.अचानक मेरी नज़र मंदिर की बाहरी दीवारों पर जो शिल्प था उस पर पड़ी. मैं देखता ही रह गया. वो शिल्प था चुदाई करते हुए कपल्स का. अलग अलग पोज़ीशन में चुदाई करती हुई पुतलियाँ इतनी आबेहुब थी की ऐसा लगे की अभी बोल उठेगी. जीजू से छुपा छुपी मैं फटा फट उन शिल्प के फ़ोटू खींच ने लगा. इतने में दीदी आ गयी चुदाई करते प्रेमी के शिल्प देख वो उदास हो गयीपारो मुझ से क़तराती रही. सारा दिन इधर उधर घुमे फिरे और शाम को घर आएदूसरे दिन मैने मेरे दोस्त के स्टूडिओ में फ़िल्म्स दे दी, डेवेलप और प्रिंट निकालने के लिए तीसरे दिन दीदी और जीजू को कुछ काम के वास्ते बाहर जाना पड़ा, सुबह से गये रात को आने वाले थे. ट्यूशन क्लास की वजह से पारो साथ जा ना सकी. दोपहर के दो बजे वो क्लास से आई. फ़ोटो स्टूडिओ रास्ते में आता था इस लिए वो पिक्चर्स लेते आई. आते ही उस ने पेकेट मेरे तरफ़ फेंका और रसोईघर में चली गयी चाय बनाने. मैं उस के पीछे पीछे गया. अकडी हुई मेरी ओर पीठ कर के वो खड़ी थी.मैने कहा : मेरे लिए भी चाय बनाना.ग़ुस्से में वो बोली : ख़ुद बना लेना. नौकर नहीं हूँ तुमारी.मैने पास जा कर उस के कंधे पर हाथ रक्खा. तुरंत उस ने छिड़क दिया और बोली : दूर रहो मुझ से. छुओ मत. मुझे ऐसी हरकतें पसंद नहीं.मैने धीरे से कहा : अच्छा बाबा, माफ़ करना. लेकिन ये तो बताओ की तुम मुझ से इतनी नाराज़ क्यूं हो ? क्या किया है मैने ?पारो : अपने आप से पूछिए क्या नहीं किया है आप ने.में : अच्छा बाबा, क्या नहीं किया है मेने?अब तक वो मुज़ से मुँह फेरे खड़ी थी. पलट कर बोली : बड़े भोले बनते हो. सारी दुनिया के फ़ोटू निकाल ते हो, यहाँ तक की वो मंदिर के पत्थरों भी बाक़ी ना रहे. एक में हूँ जिस को तुम टालते रहे हो. मेरी एक भी फ़ोटू नहीं खींची तुमने. आप का क़ीमती केमेरा बिगड़ जाय इतनी बद सूरत हूँ ना में ?में : कौन कहता है की मेने तुमारी तस्वीर नहीं खींची ? भला, इतनी सुंदर लड़की पास हो और फ़ोटू ना निकाले ऐसा कौन मूर्ख होगा ?पारो : मुज़े उल्लू मत बनाईए. दिखाइए मेरी फ़ोटोमें : पहले चाय पीलाओ.

उस ने दोनो के लिए चाय बनाई. चाय पी कर हम मेरे कमरे में गये और फ़ोटो देखने बैठे. में पलंग पर बैठा था. वो मेरी बगल में आ बैठी, थोड़ी सी दूर. उस ने पतले कपड़े का फ़्रॉक पहना था जिस के आरपार अंदर की ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी. उस के बदन से मस्त ख़ुश्बू आ रही थी. सूंघ कर मेरा लौड़ा जाग ने लगा.पहले हम ने दीदी और जीजू की फ़ोटू देखी. बाद में पारो की चार फ़ोटू निकली. अपनी पिक्चर देखने के लिए वो नज़दीक सरकी. मेरे कंधे पर हाथ रख वो ऐसे बैठी की हमारी जांघें एक दूजे से सट गयी मैं मेरी पीठ पर उस के स्तन का दबाव महसूस करने लगा. बेचारा मेरा लंड, क्या करे वो ? खड़ा हो कर सलामी दे रहा था और लार टपका रहा था. बड़ी मुश्किल से मैने उसे छुपाए रक्खा.पारो की चार फ़ोटो में से तीन सीधी सादी थी जिस में वो हसती हुई पकड़ी गयी थी. बड़ी प्यारी लगती थी. चौथी फ़ोटू में वो नीचे झुकी हुई थी और पवन से दुपट्टा सीने से हट गया था. उस की चुचियाँ साफ़ दिखाई दे रही थी. पिक्चर देख वो शरमा गयी और बोली : तुम बड़े शैतान हो.मैं : पसंद आया मेरा काम ?मेरी जाँघ पर हाथ रख कर उस ने कहा : जी, पसंद आया.मैं : तो ओर फ़ोटू खींच ने दो गी ?पारो : हाँ हाँ लेकिन ये बाक़ी की फ़ोटू किस की है ?मैं : रहने दे. ये फ़ोटू तेरे देखने लायक नहीं हैपारो : क्या मतलब ? नंगी फ़ोटू है क्या ? देखूं तो मैंइतना कह कर अचानक वो फ़ोटू लेने के लिए झपटी. मैने हाथ हटा दिया. इस छीना झपटी में वो गिर पड़ी मेरी बाहों में. वो संभल जाए इस से पहले मैने उसे सीने से लगा लिया. झटपट वो संभल गयी शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया और उस ने सर झुका दिया. मेरे पहलू से लेकिन वो हटी नहीं. मैने मेरा हाथ उस की कमर में डाल दिया. उंगलियाँ मलते मलते दबे आवाज़ से वो बोली : क्यूं सताते हो ? दिखाओ ना.मेरे पास कोई चारा नहीं था. चुदाई करते हुए शिल्प की पिक्चर्स मैं दिखाने लगा. मुस्कराती हुई, दाँतों में उंगली चबा ती हुई वो देखती रही.अंत में बोली : बस ? यही था ? ये तो कुछ नहीं है भैया के पास एक किताब है जिस में सच्चे आदमी और औरतों के फ़ोटू हैमैं : तुझे कैसे मालूम ?पारो : मैने किताब देखी है देखनी ही तुझे ?मैं : हाँ --- हाँ ----ज़रूर.खड़ी हो कर वो बोली : चलो मेरे साथ.अब दिक्कत क्या थी की मेरा लंड पूरा तन गया था. निकार के बावजूद उस ने मेरे पाजामा का तंबू बना रक्खा था. इस हालत में मैं कैसे चल सकूँ ?मैने कहा : मैं बैठा हूँ तू किताब ले आवो किताब ले आई और बोली : एक दिन जब मैं भैया के कमरे की सफ़ाई कर ररही टी तब मैने पलंग नीचे ये पाई. मेरे ख़याल से भाभी ने भी देखी हैमें : दीदी देखे या ना देखे, क्या फ़र्क पड़ेगा ? तू जो उन के बीच आ रही हो.पारो : में उन के बीच नहीं आ रही हूँ देख रोहित, भैया मेरे सर्वस्व है कोई मुज़ से उन्हें छीन ले ये में बरदास्त नहीं करूंगी, चाहे वो भाभी हो या ओर कोई.मैं : अरी पगली, दीदी कहाँ जाएगी तेरे भैया को छीन ले कर ? भैया के साथ वो भी तेरी हो जाएगी. कब तक तू कबाब में हड्डी बनी रहेगी ?पारो : मैं जानती हूँमैं : क्या जानती होपारो : ---- की मेरी वजह से भैया वो नहीं कर पाए हें.मैं : वो माइने क्या ? मैं समझा नहीं.पारो : ख़ूब समझते हो और भोले बन रहे हो.मैं : मैं तो बुद्धू हूँ मुझे क्या पता ?वो शरमा राही थी फिर भी बोली : मज़ाक छोड़ो. देखो, भैया से मैने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी हैमें : वो क्या ?उस ने नज़रें फेर ली और बोली : मैने कहा, एक बार, सिर्फ़ एक बार मुझे देखने दे ---- .में : क्या देखने दे ?पाओ : शैतान, जानते हुए भी पूछते हो.मैं : नहीं जानता मैं साफ़ साफ़ बताओ ना.पारो : वो, वो जो हर दूल्हा दुल्हन करते हें सुहाग रात कोमैं : मुझे ये भी नहीं पता. क्या करते हें ?पारो : हाय राम, चु --- चु --- मुझ से नहीं बोला जातामैं : ओह, ओ, चुदाई की कह रही हो ?अपना चहेरा छुपा कर सिर हिला कर उस ने हा कही.मैं : तुझे दीदी और जीजू की चुदाई देखनी है एक बार, इतना ही ?उस ने मुँह फेर लिया और हाँ बोली.मैं : जीजू ने क्या कहा ?पारो : भाभी ना बोलती हैमैं : मैं उन को समझा उंगा. लेकिन एक ही बार, ज़्यादा नहीं. और एक बात पूछु ? उन को चोद ते देख कर तुम एक्साइट हो जाओ गी तो क्या करोगी ?पारो : नहीं बता उगी तुझे.

मैने आगे बात ना चलाई. पलंग पैर बैठ मैने उसे पास बुला लिया. वो मेरी बगल में आ बैठी. मैने किताब उस के हाथ में रख दी. मेरा हाथ उस की कमर में डाला. उस ने किताब खोली.किताब के पहले पन्ने पैर नर्म लोडा और टटार लंड के चित्र थे. देख कर पारो बोली : ऐसा ही होता है क्या बोले इस को ? शीश्न ? मैने देखा हैमेरा लंड तन कर ठुमके ले रहा था. मैने कहा : इस को लोडा कहते हें और इस को लंड. कहाँ देखा है तुम ने ?वो फिर शरमाई और बोली : किसी को ना कहने का वचन दे.में : वचन दिया.पारो : मैने भैया का देखा है कैसे वो बाद में बतौँगी.मेरा हाथ उस की पीठ सहला ने लगा. वो मेरे और निकट आई. हम दोनो उत्तेजित होते चले थे लेकिन उस वक़्त हमें भान नहीं था.दूसरे पन्ने पैर बंद और चौड़ी की हुई भोस के फ़ोटू थे .जान बुज़ कर मैने पूछा : ये भी ऐसी ही होती है क्या ? क्या कहते हें उसे ?सर झुका कर वो बोली : भोस. ऐसी ही होती है भाभी की भी ऐसी ही होगी.मैं : तेरी कैसी है ? देखने देगी मुज़े ?पारो : तुम जो तुमरा दिखाओ तो मैं मेरी दिखा उंगी.मैं खड़ा हो गया. नाडी चोद पाजामा उतरा और लंड आज़ाद किया.थोड़ी देर ताज़जुबई से वो देखती रही, फिर बोली : मैं छ्छू सकती हूँ ?मैं : क्यूं नहीं ?उंगलिओं के नोक से उस ने लंड छुआ. कोमल उंगलिओं का हलका स्पर्श पा कर लंड ओर कड़ा हो गया और ठुमका लेने लगा.पारो ; ये तो हिलता हैमैं : क्यूं नहीं ? तुझे सलाम कर रहा हैपारो : धत्त,मैं : मुट्ठि में ले तो ज़रा.उस ने मुट्ठि से लंड पकड़ा तो ठुमक ठुमक कर के वो ज़्यादा कड़ा हो गया.उस की मद होशी बढ़ ने लगी साँसें तेज़ चल ने लगी चहेरा लाल हो गया.वो बोली : हाय रे, इतना कड़ा क्यूं हुआ है ? दर्द नहीं होता ऐसे तन जाने से ?मैं : ऐसे कड़ा ना हो तो चूत में कैसे घुस सके और कैसे चोद सके ?पारो : ये तो लार भी निकालता हैवाकई मेरा लंड अपनी लार से गिला होता चला था.मैं : ये लार नहीं है अपनी प्यारी चूत के लिए वो आँसू बहा रहा हैमुट्ठि से लंड दबोच कर वो बोली : रोहित, बड़ा शैतान है तू.मैने उसे बाहों में भर लिया और कहा : ऐसे ऐसे मुठ मार.वो डरते डरते मुठ मारने लगी उस के गोरे गाल पैर मैने हलकी किस कर दी और कहा : मझा आता है ना ?जवाब में उस ने मेरे गाल पर किस की.मैं : अब सोच, जब ये चूत में घुस कर ऐसा करे तब कितना आनंद आता होगा.वो बोली नहीं, उस ने मुट्ठि से लंड मसल डाला.मैने लंड छुड़ा कर कहा ; अब तेरी बारी .शरमाती हुई वो खड़ी हो गयी फ़्रॉक नीचे हाथ डाल कर निकर निकल ने लगी मैने कहा : ऐसे नहीं, पलंग पर लेट जा.वो चित लेट गयी शरम से नज़र चुरा कर उस ने फ़्रॉक उपर उठाया.उस की गोरी गोरी चिक्नी जांघें खुली हुई. देख कर मेरा लंड फन फनाने लगा. उस ने सफ़ेद पेंटी पहनी थी. भोस के पानी से पेंटी गीली हो कर चिपक गयी थी. कुले उठा कर उस ने पेंटी उतारी. तुरंत उस ने हाथ से भोस ढक दी.मैने कहा : ऐसे छुपा ओगी तो मैं कैसे देख पा उंगा ?उसकी कलाई पकड़ कर मैने उस के हाथ हटा दिए उस की छोटी सी भोस मेरे सामने आई .काले घुंघराले झांट से ढकी उस की भोस छोटी थी. मोन्स उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से लगे हुए थे. तीन इंच लंबी दरार चिकाने पानी से गीली हुई थी. मैने हलके से छुआ. तुरंत उस ने मेरा हाथ हटा दिया मैने कहा : तूने मेरा लंड पकड़ा था, अब मुझे तेरी छुने दे.मैने फिर भोस पर हाथ रखा. उस ने मेरी कलाई पकड़ ली लेकिन विरोध किया नहीं. उंगलिओं से बड़े होत चौड़े कर मैने भोस का भीतरी हिस्सा देखा. किताब में दिखाई थी वैसी ही पारो की भोस थी. जवान कँवारी लड़की की भोस मैं पहली बार देख रहा था. छोटे होठ नाज़ुक और पतले और जाँवली रंग के थे. दरार के अगले कोने में एक इंच लंबी टटार क्लैटोरिस थी. क्लैटोरिस का छोटा मत्था चेरी जैसा दिखाई दे रहा था. दरार के पिछले हिस्से में था चूत का मुँह जो गिला गिला हुआ था. मैने उंगली के हलके स्पर्श से दरार को टटोला. जैसे मैने क्लैटोरिस को छुआ वो झटके से कूद पड़ी. मैने चूत का मुँह छुआ और एक उंगली अंदर डाली. उंगली योनी पटल तक जा सकी
क्रमशः.............................

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