माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:50

मैंने उसकी एक उंगली चूसी फिर उसको अपने मुँह से निकाल कर दूसरी उंगली मुँह मे भर ली। रीमा का हाथ अब खिसकता हुआ मेरे लंड की तरफ बढ रहा था उसका मन मेरे लंड को पकड कर उसको महसूस करने का हो रहा था। दूसरी उंगली चूस कर मैंने अपनी जीभ से दोनो उंगलियो के बीच भी जीभ घुसा कर चाटा। रीमा की उंगलिया अब मेरे लंड पर चल रही थी उसकी उंगली बहुत ही हल्के से मेरे लंड को छू रही थी। वह बहुत ही हल्के से मेरे लंड को छू रही थी जैसे पैर में गुदगुदी करने के लिये उंगली चलाते है बिल्कुल वैसे ही। मेरा लंड उसकी उंगली के स्पर्श से उछल पडता तो वह कुछ सेकंड के लिये उंगली हटा लेती पर फिर से शुरु हो जाती। मैं उसके लिये एक खिलौना था और वह अपने खिलौने से खेलना खूब जानती थी। मैंने उसकी लम्बी लम्बी उंगलियाँ चूसी। फिर रीमा ने अपना अंगूठा मेरे मुँह मे ठूंस दिया। ले अब ये भी चाट हम औरते तो इससे भी मोटा डंडा मुँह मे लेती है तू इससे शुरुवात कर धीरे धीरे तेरे को भी मोटा डंडा लेने की आदत डलवा दूंगी। मैं रीमा के अंगूठे को चूसने लगा रीमा का दूसरा हाथ अभी भी मेरे लंड पर उसी तरह चल रहा था। रीमा अपनी उंगलियाँ मेरे लंड के सुपाडे पर भी फिराने लगी थी और मेरे लंड से निकलने वाला रस जो उत्तेजना के कारण मेरे लंड को गीला करने के लिये निकल रहा था उसकी उंगलियो पर लग गया रीमा ने खुद अपनी सारी उंगलियो पर उस रस को लपेड लिया। जब मैंने रीमा की हथेली पूरी तरह से चाट ली तो रीमा का हाथ पूरी तरह से मेरे थूक से सन गया और रीमा ने अपना हाथ मेरे मुँह से हाटा लिया और अपना दूसरा हाथ मेरे सामने कर दिया ले बेटा अब ये हाथ चूस ये तुझे और भी अच्छा लगेगा इसमे मेरे बदन की गर्मी के साथ साथ तेरे बदन की गर्मी की वजह से मिला लंड रस भी लगा है चूस मेरे पालतू कुत्ते चाट ले अपना ही माल।

रीमा का दूसरा हाथ मेरे अपने रस से चिपडा हुया था उसको देख कर कोई भी अपना मुँह हटा लेता और उसका हाथ नंही चाटता पर मेरे लिये तो यह रस रीमा के हाथ से लग कर अमृत हो गया था और मैं इस अमृत को नंही छोड सकता था। चल अब मेरी दूसरी तरफ आकर बैठ जा जिससे तू आसानी से मेरी हथेली चाट सके और मैं तेरे थूक से सनी दूसरी हथेली से तेरे लंड से खेल सकूं। मैं रीमा की बात सुनकर तुंरत ही दूसरी तरफ आकर बैठ गया और रीमा ने अपना हाथ मेरे सामने कर दिया मैंने रीमा की हथेली को चूमा जिससे मेरे होंठो पर मेरा ही रस लग गया और मैंन अपनी जीभ फिरा कर उस रस का स्वाद लिया रीमा के पसीने से मिला हुये रस का स्वाद मुझे भा गया और मैं प्यार से एक एक हिस्से को पहले चूमता और फिर अपने होंठो पर अपनी जीभ फिराता। रीमा ने मेरे थूक से सने दूसरे हाथ को मेरे लंड पर रख दिया और उसे अपनी गीली उंगलियो से सहलाने लगी मैंने थोडी देरे मैं उसके पूरे हाथ को चूम लिया और फिर उसकी एक उंगली अपने मुँह मे डाल ली और उसे चूसने लगा मेरे रस से सनी उस उंगली और रीमा के पसीने को मैं पीने लगा। बोल मेरे लाल कैसा लगा रस लंड का मेरे बेटे हम औरते तो न जाने कितने लंडो का रस पीती है और इस रस की दिवानी होती है इसी रस के लिये ही तो मेरे जैसी औरते रंडी बनती है तेरा चेहरा देख कर तो ऐसा लग रहा है कि जैसे तुझे भी ये रस अच्छा लगा। माँ मुझे ये तो पता नंही पर तुम्हारे पसीने से मिल कर मेरे लंड का रस जरूर स्वादिष्ट हो गया है और मुझे बहुत अच्छा लगा।

तुम्हारा पसीने ने इसको अमृत बना दिया है माँ और अमृत का स्वाद कैसे खराब हो सकता है माँ। बडा ही चालाक बनता है हूँ कितनी आसानी से मेरे सवाल का घुमा कर जबाव दिया तूने। चल अब चूस भी कि केवल एक ही उंगली चूसता रहेगा। मैंने झट से दूसरी उंगली अपने मुँह में भर ली और चूसने लगा रीमा ने भी अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को मेरे ही थूक से रगडने लगी। मैंने एक एक करके उसकी सारी ऊंगलीयो को चूस और उसका रस पीया फिर मैंने उसकी हथेली भी चाटी और अच्छे चाट कर इस हथेली को भी पहले वाली हथेली की तरह थूक से सान दिया। चल अब हथेली के उपर भी चाट कोहनी तक कितना पसीना जमा हो गया है। मैंने तुंरत अपनी जीभ निकाली और उसके हाथ को चाटने लगा। जहाँ भी पसीने की बूंद मुझे नजर आती मैं अपने होंठ से उसको चूस लेता और फिर उस हिस्से को चाट कर पूरा पसीना पी लेता और कभी अपनी जीभ के नोक को उस हिस्से पर घुमा कर उसको उत्तेजित भी करता। मेरा ऐसे जीभ फिराना उसको बहुत उत्तेजना जनक लग रहा था। रीमा का हाथ बराबर मेरे लंड पर चल रहा था मेरा थूक मेरे लंड पर लग जाने के कारण अब वह आसानी ने मेरे लंड को मुठ्ठ मार रही थी क्योकी मेरा लंड बहुत ही चिकना हो गया था और आसाने से उसके हाथ मे फिसल रहा था। मैं पूरा मन लगा कर रीमा का हाथ चाटता रहा और उसके पसीने के एक एक बूंद को पी लिया कोहनी के नोक पर पसीना जमा हो गया था उसको भी चूस कर मैंने पी लिया। अच्छे से चाटने के बाद ही मैंने उसके हाथ को छोडा।

क्रमशः........................

The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:55

गतांक से आगे.....................

आज बेटा अब तू इस तरफ आ जा अब दूसरे हाथ का पसीना चूस। मैं फिर से रीमा की पहले हाथ की तरफ आकर बैठ गया और रीमा ने अपन हाथ आगे बढा दिया जिस पर पसीने की काफी बूंदे जमा थी। मेरे बगल मे बैठते ही रीमा ने अपनी जाँघ मेरी जाँघ से सटा दी उसकी मोटी चिकनी जाँघ के स्पर्श मात्र से ही मेरे शरीर में झुरझुरी दौड गयी। दोनो के बदन बहुत ही गर्म थे तो ये बात तो तय थी की दोनो के बदन के गर्मी और रूम के गर्म तापमान के कारण उसकी जाँघ पसीने में भीग जाने वाली थी और जिस तरह से गद्देदार सोफा था वह पसीना सारा बह कर चूत के पास ही जमा होता। अब मैं समझ रहा था रीमा चाहाती थी की मैं उसके पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूं वह जान चुकी थी उसका पसीना भी मुझे कितना उत्तेजित कर रहा था तो पसीने और चूत रस से भरी चूत चाटूंगा तो वह रस तो मेरे लिये किसी शराब से कम नंही होता। मैंने रीमा के दूसरे हाथ पर जमी पसीने की बूंदो को चूम कर पीना शुरु कर दिया। सबसे पहले एक एक बूंद को चूम पर पिया उसके बाद उसके बाद उसके हाथ को अपनी जीभ से चाटने लगा। रीमा फिर से अपने काम पर लग गयी थी और मेरे लंड को अपने दूसरे थूक लगे हाथ से सहला रही थी। थोडी देर में मैंने उसके हाथ को भी चाट कर उसका सारा पसीना पी लिया। लो मा मैंने तुम्हारे दोनो हाथ का पसीना कोहनी तक पी लिया है अब मुझे अपनी बाँहो और काँख से भी पसीना पीने दो न माँ। मुझे तुम्हारी काँख मे नाक घुसा कर तुम्हारे पसीने की महक को सूघंना है। तुम्हारे काँख से निकलती निकलती पसीने की महक मुझे बहुत उत्तेजित करती है माँ। तो सूघं ले बेटा और पसीना भी पी ले तेरी माँ ने कब मना किया है। मेरे बदन का ये पसीना तेरे लिये ही तो है। अब जब भी जहाँ से भी पसीना निकलेगा तू पी लेना तेरी माँ कभी भी मना नंही करेगी।

चल मैं अपनी बाँह उठाती हूँ जिससे तुझे मेरा पसीना पीने मे असानी हो। तू सोफे के बगल में खडा हो जा और चाट मेरी बाँह का रस। मैं सोफे के बगल मैं खडा हो गया और रीमा ने अपनी बाँह थोडी उपर कर दी पर अपनी काँख खोल कर मुझे नंही दिखायी और बोली ले चाट मेरी बाँह फिर मेरी काँख चाटना समझा। मैं सहमति में सर हिला दिया और रीमा की बाँह को चूमने लगा। इतनी मोटी और माँसल बाँह देख कर ही मेरा मन मचल रहा था मन कर रहा था कि रीमा अपनी बाँह और अपने बदन के बीच मेरे लंड को दबा ले और मैं उसकी बाँह चोदूं उसकी गद्देदार बाँह और बदन के बीच दबे मेरे लंड की कल्पना से ही मेरा लंड मचल रहा था। और मैं मस्ती मे उसकी बाँह से पसीना पीता जा रहा था। रीमा को शायद बहुत ही पसीना आता था क्योकी पसीना उसकी बाँह में बूंदो के रूप मे झलक रहा था और उसके चिकने बदन के कारण बह भी रहा था। जिसे में चूम और चाट कर पीता जा रहा था। रीमा प्यार से अपनी गोल मटोल चूचीयो पर हाथ फेर रही थी और मजा ले रही थी कि कैसे एक जवान मर्द जोकि उसके बेटे की उम्र का है उसके बदन का आशिक हो गया था।

उसकी घुंडियाँ एक दम तन कर खडी थी और इतनी कडी थी कि अगर उसने ब्लाऊस पहना होता तो उसमे छेद कर देती। मैंने थोडी ही देर मे उसकी बाँह से उसका सारा पसीना चूस और चाट कर साफ कर दिया और रीमा से बोला माँ मैंने पसीना पी लिया अब तो मुझे अपनी पसीने से भरी काँख दिखाओ न मुझे उसकी गंध को सुघंने दो न माँ। बडी जल्दी पी लिया मेरी बाँह का पसीना बडा उतवला लग रहा है काँख मे मुँह घुसाने का जरा देखूं तो पिया भी है या ऐसे ही बोल रहा है जिससे माँ तुझे अपनी काँख मे मुँह घुसाने दे और अपनी काँख का पसीना पीने दे। रीमा ने अपनी बाँह को देखा और मैंने सही मे उसकी बाँह पर जमा सारा पसीना पी लिया था और उसकी बाँह मेरे थूक से चका चक चमक रही थी। हूँ मेरी काँख कुछ ज्यादा ही पंसद आ गयी है मेरे लाडाले को पर अभी थोडा इतजार कर पहले आकर दूसरी बाँह भी चाट बाहर से फिर मैं अपनी दोनो काँख खोल दूंगी जो चाहे करना समझा। कह कर रीमा ने अपनी दूसरी बाँह भी थोडी से उठा ली और मैं रीमा के दूसरी तरफ आ गया और पहले पसीने भरी बाँह को निहारा फिर टूट पडा उसकी बाँह पर भूखे कुत्ते की तरह और चाटने लगा उसका पसीना। रीमा मेरी बेताबी समझ रही थी उसको पता था की मुझे बालो भरी काँख और उसका पसीना कितना पंसद है बहुत बार चाट करते हुये मैंने उसे अपनी इस इच्छा के बारे में बताया था। इसलिये ही उसने ये सब किया थी जिससे वह मेरी इस इच्छा को पूरी कर सके। रीमा मंद मंद मुस्कुराते हुये मुझे अपनी बाँह चटवाती रही और खुद अपनी चूचीयो और उसकी घुडियो से खेलती रही। उसकी चूत फिर से पूर्ण रूप से गर्म हो गयी थी श्याद इसीलिये अब उसने अपनी घुंडियो को कस कर मसलना भी शुरु कर दिया था। जब रीमा की चूत गर्म होती थी वह अपनी चूचीयो के साथ बडी बेदर्दी का सलूक करती थी क्योकी ऐसा करने मे उसे और भी आनंद प्राप्त होता था।


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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:56

मैंने थोडी ही देर में उसकी बाँह चाट कर उसका पसीना भी पी लिया और उसको भी अपने थूक से चमका दिया। रीमा ने देखा और बोली अच्छा चाटा बेटे तूने तेरी जीभ मुझे मेरे बदन पर बहुत मजा दे रही है क्या जीभ चलाता है तू मेरे बदन पर एक एक तार बज जाता है मेरे बदन का। अब तूने मेरे को चाट कर इतना मजा दिया है तो मै सोचती हूँ की तुझको भी तेरा इनाम दे दूँ। बडा तडप रहा था न तू मेरी काँख के लिये ले आजा देख ले अपना मस्ती का खजाना। बोल पहले किस तरफ की काँख चाटेगा मैं पहली बाँयी और की काँख चाटूंगा माँ। ठीक है दिखाती हूँ पर इतना सोच ले काँख को चाटने से पहले बाँह के अंदर का हिस्सा जोकि मेरे बदन से चिपका हुया था उस पर अभी भी पसीना लगा है पहले उसको चाटेगा और उसके बाद ही काँख चाटेगा अपने आप को काबू में रखना समझा। हाँ माँ मैं अपने को काबू मे रखूंगा। रीमा सोफे पर अपने चूतड को थोडा आगे खिस्का कर पसर कर बैठ गयी और अपना हाथ फैला कर सोफे पर रख दिया। ऐसा करने से रीमा की गाँड एक दम खिसक कर सोफे के किनारे मे आ गयी और रीमा के बदन के बोझ से रीमा के चूतड और फैल गये और उसकी टाँगे भी थोडी चौडी हो गयी। जिससे उसकी गीली चूत एक दम खुल गयी। ले आजा मेरे लाल तेरी माँ काँख खोल कर बैठी है चूस ले मेरे एक एक काँख के बाल से एक एक बूंद पसीना।

रीमा ने जैसे ही अपना हाथ पूरी तरह खोल कर सोफे पर रखा मैं रीमा के बगल में सोफे पर बैठ गया। रीमा की काँख खुलने से उसके बदन से पसीने के एक तीखी गंध निकली मैंने भी झट से अपनी नाक उसकी काँख तक ले गया और जोर जोर से साँस लेकर उसके पसीने की तीखी गंध सुघंने लगा। रीमा की पसीने की तीखी गंघ से मेरे शरीर में खून का दौरान और भी बढ गया। और मेरे लंड ने एक झटका मार कर अपनी खुशी का इजहार किया। रीमा भी मुझे अपनी काँख सुंघते हुये देख रही थी उसका दूसरा हाथ जो अभी तक उसकी चूचीयो पर चल रहा था फिसल कर उसकी चूत पर चला गया और वह अपनी चूत को बाहर से प्यार से सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ उसकी चूत के द्वार पर प्यार से चल रही थी जैसे उसे जता रही हो की वह चूत से कितना प्यार करती थी। मै थोडी देर तक उसकी पसीने की गंध को सूघता रहा फिर मैंने अपना ध्यान उसकी बाँह की और लगाया और उसकी बाँह को चाटने लगा और उस पर चिपके पसीने को पीने लगा। मुझे उसकी काँख मे मुँह घुसाने की बडी जल्दी थी इसलिये मैंने जल्दी जल्दी उसकी बाँह पर लगा सारा पसीना पी लिया। अब मैं उसकी काँख पर टूट पडने को तैयार था।

क्रमशः........................

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