नशे की सज़ा compleet
Re: नशे की सज़ा
विवेक ने फिर एक सेन्ल्युवस थप्पर नेहा के गाल पर लगाया और बोला-“अब तुझे भूलने की आदत भी हो गयी-तुझे याद दिलाने के लिए भी कुछ मेडिसिन खिलानी पड़ेगी ? “
“नही सर “ नेहा बोली
“तो फिर ?” विवेक ने फिर एक चपत नेहा के गाल पर लगा दी.
मैं और सलोनी दोनो ही विवेक द्वारा नेहा के इस अद्भुत ह्युमाइलियेशन शो को देखकर काफ़ी उत्तेजित महसूस कर रही थे. खुद विवेक की पॅंट मे भी जबरदस्त टेंट बन गया था और उसका लिंग उसकी ज़िप से बाहर निकलने तो बेताब हो रहा था. विवेक की उमर लगभग 24 साल की ही थी क्यूंकी वो काफ़ी यंग लग रहा था और उसका किसी लड़की के साथ यह पहला एक्सपीरियेन्स लग रहा था-अभी तक विवेक ने जो कुछ भी नेहा के साथ किया था, वो सब किसी इंग्लीश फिल्म मे दिखाए गये सीन जैसा लग रहा था.
नेहा को फिर से चुप देख विवेक ने उसके दोनो गालों पर बारी बारी से हल्के हल्के चपत लगाने शुरू कर दिए…….ऐसा लग रहा था कि चपत लगाने का यह सिलसिला कभी थामेगा ही नही-“तुम जब तक मुझे जबाब नही दोगि, तब तक ऐसे ही थप्पड़ लगते रहेंगे.” मानो विवेक उसे कम,हम लोगों को इस बात की सफाई ज़्यादा दे रहा था कि वो इस तरह से नेहा की सेन्ल्युवस फेस स्लॅपिंग क्यूँ कर रहा था.
“जी सर.” नेहा को कुछ समझ नही आया कि वो क्या बोले.
इस बीच मैने ही विवेक की तरफ देखा और कहा-“सर, आपको रिलॅक्स करने की ज़रूरत है-अभी तो कम से कम 30 मिनिट्स और लग जाएँगे हमे गेस्ट हाउस पहुँचने मे.”
इससे पहले की विवेक मेरी बात को समझ पाता, मैने नेहा को हुक्म दिया-,”चल चीक्कनी,घुटनो के बल बैठ जा और साहब को रिलॅक्स करने दे.”
विवेक शायद अभी भी मेरी बात का पूरा मतलब नही समझा था लेकिन नेहा मेरा इशारा समझ गयी थी और फटाफट विवेक के सामने घुटनो के बल बैठ गयी.उसके हाथ हथकड़ी से पीछे की तरफ बँधे हुए थे इसलिए उसे समझ नही आ रहा था कि शुरुआत कैसे की जाए
इस बार नेहा को सलोनी ने हुक्म दिया-“चल चिकनी शुरू हो जा ! “
नेहा ने लाचारी भरी नज़रों से पहले मेरी तरफ फिर सलोनी की तरफ देखा और बोली-“ मॅम, मेरे हाथ बँधे हुए हैं.”
विवेक को शायद अभी भी कुछ समझ मे नही आया था कि क्या होने वाला है.
“हाथों से नही, अपने मूह का इस्तेमाल करो…..तुम्हे कितनी बार यह बात समझानी पड़ेगी.” मैने नेहा को लगभग फटकारते हुए हुक्म दिया और वो अपने होठों को विवेक की पॅंट की ज़िप के पास ले गयी और उसे किसी तरह खोलने की कोशिश करने लगी.
क्रमशः.......
Re: नशे की सज़ा
raj sharma stories
नशे की सज़ा पार्ट--14
गतान्क से आगे......
अब जाकर विवेक को समझ मे आया कि हम लोग क्या गेम खेल रहे हैं. नेहा के होंठों का उसकी पॅंट के ज़िप पर स्पर्श होते ही उसका टेंट और बुरी तरह तन गया-काफ़ी कोशिशों के बाद आख़िरकार नेहा विवेक की पॅंट की ज़िप खोलने मे कामयाब हो गयी-लेकिन अभी भी विवेक का लिंग उसके वाइट अंडरवेर के अंदर ही फड़फदा रहा था. कुछ देर तक नेहा अपने होंठों को उसके अंडरवेर मे क़ैद लिंग पर फिरा फिरा कर उसे बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करती रही.
नेहा की इस जबरदस्त एरॉटिक हरकत से विवेक बेकाबू हुआ जा रहा था-उसने अपने लिंग को एक ही झटके मे खुद ही अंडरवेर से बाहर निकाल दिया. नेहा ने बिना किसी देरी के विवेक के लिंग को अपने मूह के अंदर ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी.
मैने विवेक की तरफ देखकर कहा-“ सर यह बहुत एक्सपर्ट है.अब आप रिलॅक्स कर सकते हैं-जब तक हम लोग गेस्ट हाउस नही पहुँच जाते,आप जी भरकर इस मुख मैथुन का आनंद लीजिए.” विवेक ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मानो किसी दूसरी दुनिया मे पहुँच चुका था.
कुछ ही देर मे विवेक ने अपने लिंग की पिचकारी नेहा के मूह मे छोड़ दी और वो उसे किसी एक्सपर्ट कॉक सकर की तरह पीने की कोशिश भी करने लगी.
इसके बाद नेहाने बिना किसी के कहे खुद ही विवेक के लिंग पर जीभ फिराते हुए उसकी सफाई कर डाली.
“यह तो बहुत ही मज़ेदार माल है ! “ विवेक ने मेरी और सलोनी की तरफ देखकर खुश होते हुए कहा.
जाहिर था की नेहा ने जिस तरह से उसके लिंग पर अपनी एक्सपर्ट जीभ से मसाज की थी, उसकी मस्ती विवेक पर छाई हुई थी.
पोलीस गेस्ट हाउस लगभग आने ही वाला था.नेहा ने विवेक के लिंग की सफाई कर दी थी और वो उस पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी-शायद नेहा के मन मे यह चल रहा था कि गर वो विवेक को अपने आप से ही खुश रखेगी तो उस पर पोलीस की सख्ती कुछ कम होगी-इसीलिए वो विवेक को बिना कहे ही ज़्यादा से ज़्यादा मस्ती देने की कोशिश कर रही थी.
“ठीक है, बहुत हो गया-अब इसे अंदर करके पॅंट की ज़िप बंद कर दो”, सलोनी ने अचानक ही नेहा को हुक्म दे डाला और नेहा ने बिना किसी ना नुकुर किए विवेक के लिंग तो अपने हाथों से अंडरवेर के अंदर पॅक करते हुए उसकी पॅंट की ज़िप बंद करने लगी.
“जब तक गेस्ट हाउस नही आ जाता, तुम ऐसे ही नीचे बैठी रहो और अपने हाथ से इसे सहलाती रहो !” इस बार मैने नेहा को हुक्म दिया और वो अपने हाथ को विवेक के पॅंट मे पॅक्ड लिंग के उपर फिरा फिरा कर विवेक को मस्ती पहुँचने मे लग गयी.
कुछ ही देर बाद जीप पोलीस गेस्ट हाउस के गेट मे घुस गयी और पार्किंग मे जाकर रुक गयी.विवेक ने दरवाज़ा खोलने से पहले नेहा से कहा-“तुम्हारी बाकी की इनटेरगेशन तो अंदर गेस्ट हाउस मे जाकर ही होगी लेकिन तुमने जिस तरह से को-ऑपरेट किया है, उसके रिवॉर्ड के तौर पर मैं तुम्हारी हथकड़ी खोलता हूँ.” यह कहने के बाद विवेक ने अपनी पॉकेट मे से की निकाली और नेहा की हथकड़ी खोल दी. हम सब जीप मे से बाहर आ गये और विवेक के पीछे पीछे गेस्ट हाउस के एंट्रेन्स की तरफ बढ़ने लगे.गेस्ट हाउस के रिसेप्षन पर बैठे एक कॉन्स्टेबल ने विवेक को सलाम ठोंका तो विवेक ने कहा-“यह सब एसीपी साहिब के गेस्ट हैं-रूम नंबर. 510 खुलवा दो.”
“ जी सर.” कहकर कॉन्स्टेबल ने रूम नो.510 की की विवेक के हाथ मे पकड़ा दी और विवेक गेस्ट हाउस की लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा-लिफ्ट से 5थ फ्लोर पर हम लग आ गये थे-रूम नो.510,गेस्ट हाउस की टॉप फ्लोर का बिल्कुल आख़िरी कमरा था-बिल्कुल आख़िर मे होने की वजह से वहाँ किसी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स भी नही था. कमरा खुला तो हम सबने देखा कि वो किसी फाइव स्टार होटेल के सुइट से कम नही था-घुसते ही एक ड्रॉयिंग एरिया था जहाँ एक सोफा सेट और सेंटर टेबल पड़ी हुई थी और उसे लगा हुए बड़े से कमरे मे किग्साइज़ डबल बेड .अटॅच्ड बाथरूम और टीवी/म्यूज़िक सिस्टम वग़ैरा सब कुछ था. कमरे मे एक साइड की पूरी दीवार ग्लास की बनी हुई थी जिसमे से सड़क का पूरा व्यू देखा जा सकता था. विवेक ने रूम को अंदर से लॉक कर लिया और बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गया और मुझसे बोला-“निशा, एसीपी साहिब कह रहे थे कि तुम दोनो इस लौंडिया का इनटेरगेशन करने मे मेरी मदद कर सकती हो ?”
नशे की सज़ा पार्ट--14
गतान्क से आगे......
अब जाकर विवेक को समझ मे आया कि हम लोग क्या गेम खेल रहे हैं. नेहा के होंठों का उसकी पॅंट के ज़िप पर स्पर्श होते ही उसका टेंट और बुरी तरह तन गया-काफ़ी कोशिशों के बाद आख़िरकार नेहा विवेक की पॅंट की ज़िप खोलने मे कामयाब हो गयी-लेकिन अभी भी विवेक का लिंग उसके वाइट अंडरवेर के अंदर ही फड़फदा रहा था. कुछ देर तक नेहा अपने होंठों को उसके अंडरवेर मे क़ैद लिंग पर फिरा फिरा कर उसे बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करती रही.
नेहा की इस जबरदस्त एरॉटिक हरकत से विवेक बेकाबू हुआ जा रहा था-उसने अपने लिंग को एक ही झटके मे खुद ही अंडरवेर से बाहर निकाल दिया. नेहा ने बिना किसी देरी के विवेक के लिंग को अपने मूह के अंदर ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी.
मैने विवेक की तरफ देखकर कहा-“ सर यह बहुत एक्सपर्ट है.अब आप रिलॅक्स कर सकते हैं-जब तक हम लोग गेस्ट हाउस नही पहुँच जाते,आप जी भरकर इस मुख मैथुन का आनंद लीजिए.” विवेक ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मानो किसी दूसरी दुनिया मे पहुँच चुका था.
कुछ ही देर मे विवेक ने अपने लिंग की पिचकारी नेहा के मूह मे छोड़ दी और वो उसे किसी एक्सपर्ट कॉक सकर की तरह पीने की कोशिश भी करने लगी.
इसके बाद नेहाने बिना किसी के कहे खुद ही विवेक के लिंग पर जीभ फिराते हुए उसकी सफाई कर डाली.
“यह तो बहुत ही मज़ेदार माल है ! “ विवेक ने मेरी और सलोनी की तरफ देखकर खुश होते हुए कहा.
जाहिर था की नेहा ने जिस तरह से उसके लिंग पर अपनी एक्सपर्ट जीभ से मसाज की थी, उसकी मस्ती विवेक पर छाई हुई थी.
पोलीस गेस्ट हाउस लगभग आने ही वाला था.नेहा ने विवेक के लिंग की सफाई कर दी थी और वो उस पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी-शायद नेहा के मन मे यह चल रहा था कि गर वो विवेक को अपने आप से ही खुश रखेगी तो उस पर पोलीस की सख्ती कुछ कम होगी-इसीलिए वो विवेक को बिना कहे ही ज़्यादा से ज़्यादा मस्ती देने की कोशिश कर रही थी.
“ठीक है, बहुत हो गया-अब इसे अंदर करके पॅंट की ज़िप बंद कर दो”, सलोनी ने अचानक ही नेहा को हुक्म दे डाला और नेहा ने बिना किसी ना नुकुर किए विवेक के लिंग तो अपने हाथों से अंडरवेर के अंदर पॅक करते हुए उसकी पॅंट की ज़िप बंद करने लगी.
“जब तक गेस्ट हाउस नही आ जाता, तुम ऐसे ही नीचे बैठी रहो और अपने हाथ से इसे सहलाती रहो !” इस बार मैने नेहा को हुक्म दिया और वो अपने हाथ को विवेक के पॅंट मे पॅक्ड लिंग के उपर फिरा फिरा कर विवेक को मस्ती पहुँचने मे लग गयी.
कुछ ही देर बाद जीप पोलीस गेस्ट हाउस के गेट मे घुस गयी और पार्किंग मे जाकर रुक गयी.विवेक ने दरवाज़ा खोलने से पहले नेहा से कहा-“तुम्हारी बाकी की इनटेरगेशन तो अंदर गेस्ट हाउस मे जाकर ही होगी लेकिन तुमने जिस तरह से को-ऑपरेट किया है, उसके रिवॉर्ड के तौर पर मैं तुम्हारी हथकड़ी खोलता हूँ.” यह कहने के बाद विवेक ने अपनी पॉकेट मे से की निकाली और नेहा की हथकड़ी खोल दी. हम सब जीप मे से बाहर आ गये और विवेक के पीछे पीछे गेस्ट हाउस के एंट्रेन्स की तरफ बढ़ने लगे.गेस्ट हाउस के रिसेप्षन पर बैठे एक कॉन्स्टेबल ने विवेक को सलाम ठोंका तो विवेक ने कहा-“यह सब एसीपी साहिब के गेस्ट हैं-रूम नंबर. 510 खुलवा दो.”
“ जी सर.” कहकर कॉन्स्टेबल ने रूम नो.510 की की विवेक के हाथ मे पकड़ा दी और विवेक गेस्ट हाउस की लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा-लिफ्ट से 5थ फ्लोर पर हम लग आ गये थे-रूम नो.510,गेस्ट हाउस की टॉप फ्लोर का बिल्कुल आख़िरी कमरा था-बिल्कुल आख़िर मे होने की वजह से वहाँ किसी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स भी नही था. कमरा खुला तो हम सबने देखा कि वो किसी फाइव स्टार होटेल के सुइट से कम नही था-घुसते ही एक ड्रॉयिंग एरिया था जहाँ एक सोफा सेट और सेंटर टेबल पड़ी हुई थी और उसे लगा हुए बड़े से कमरे मे किग्साइज़ डबल बेड .अटॅच्ड बाथरूम और टीवी/म्यूज़िक सिस्टम वग़ैरा सब कुछ था. कमरे मे एक साइड की पूरी दीवार ग्लास की बनी हुई थी जिसमे से सड़क का पूरा व्यू देखा जा सकता था. विवेक ने रूम को अंदर से लॉक कर लिया और बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गया और मुझसे बोला-“निशा, एसीपी साहिब कह रहे थे कि तुम दोनो इस लौंडिया का इनटेरगेशन करने मे मेरी मदद कर सकती हो ?”
Re: नशे की सज़ा
हम दोनो तो खुद ही इसी मौके की तलाश मे देन.मैने विवेक की तरफ देखा-“सर आप बिल्कुल टेन्षन ना लें-आगे का सारा इनटेरगेशन हम दोनो पर छोड़ दें-आप सिर्फ़ इस इनटेरगेशन का लुत्फ़ उठाते रहें.”
सलोनी कमरे मे रखे सोफे पर बैठ गयी थी और उसने नेहा को ऑर्डर देते हुए कहा-“ इधर आजा चीक्कनी-अब तेरा असली इनटेरगेशन शुरू होगा.”
नेहा सलोनी के पास जाकर खड़ी हो गयी-मैं भी सलोनी के पास ही सोफे पर बैठी हुई थी-विवेक बड़ी उत्सुकता से इस सारे तमाशे को देख रहा था.
मैने अचनाक की नेहा को हुक्म दिया-“अपना टॉप उतारो”
मुझे मालूम था कि नेहा ने टॉप के अंदर कुछ भी नही पहना हुआ था.उसने कोई और रास्ता ना देख अपना टॉप उतार दिया और उसका उपर का भाग पूरी तरह नंगा हो गया-इसके साथ ही वो अपने दोनो हाथों से अपने सीने के उभारों को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी. मैने विवेक की तरफ देखा जो अपने पॅंट मे बंद लिंग को लगातार सहला सहला कर इस जबरदस्त हॉट सीन को एक टक देख रहा था.
मैने विवेक की तरफ देखकर पूछा-“ सर, यहाँ सीक्रेट कॅमरा तो लगा हुआ है ना ? जिसमे इस इनटेरगेशन की वीडियो रेकॉर्डिंग हो सके?”
विवेक ने जबाब देते हुए कहा-“ यहाँ होने वाली हर आक्टिविटी की वीडियो रेकॉर्डिंग होती है और उसकी डVड डेली बेसिस पर तैय्यार की जाती है ताकि रेकॉर्ड मे रखा जा सके.”
सलोनी ने अब नेहा की जीन्स की तरफ इशारा करते हुए उसे अगला हुक्म दिया-“ चल इसे भी अपने खूबसूरत बदन से अलग कर दे और पूरी तरह से नंगी हो जा !”
नेहा ने विवश होकर अपने हाथों को सीने के उभारों से हटाया और धीरे धीरे जीन्स को उतारने लगी- जीन्स के अंदर भी उसने कुछ भी नही पहने हुआ था और जीन्स उतरते ही वो पूरी तरह नंगी हो गयी-उसका एक हाथ अपने सीने के उभारों पर चला गया और दूसरे हाथ से वो अपने योनि प्रदेश को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
सलोनी ने नेहा के नितंबों पर जोरदार स्लॅप लगाते हुए उसे ऑर्डर दिया-“ चलो अपने दोनो हाथ उपर उठाओ और विवेक सर के सामने जाकर अपने बदन को गोल गोल घूमकर दिखाओ.”
नेहा ने वोही किया सो सलोनी ना कहा था और विवेक तो मानो किसी दूसरी दुनिया मे ही पहुँच चुका था- नेहा उसके सामने अपने नंगे बदन को घुमा घुमा कर उसकी नुमाइश कर रही थी.उसके दोनो हाथ उपर होने की वज़ह से उसके सीने के उभार और भी अधिक तनकर खड़े हो गये थे- विवेक का लिंग एकदम खड़ा हो चुका था और उसने उसे अपनी पॅंट के बाहर निकाल लिया था और उस पर लगातार अपने हाथ को फिरा रहा था.
मैने सोफे से उठकर कमरे मे रखे म्यूज़िक सिस्टम को ऑन कर दिया और उस पर एक लेटेस्ट आइटम सॉंग लगाकर नेहा से कहा-“ ज़रा इस सॉंग के उपर बढ़िया डॅन्स करके विवेक सर को खुश करो.”
इधर बॉलीवुड सॉंग बजना शुरू हुआ और उधर नेहा की धमाकेदार डॅन्स पर्फॉर्मेन्स शुरू हो गयी.
डॅन्स शुरू होते ही विवेक ने अपने लिंग को फिर से सहलाना शुरू कर दिया-उसके लिए शायद यह अनुभव एकदम नया और अद्भुत था- पोलीस वाले आम तौर पर रफ सेक्स या रेप जैसा करके लड़कियों को चोद देते हैं लेकिन यहाँ तो मैने और सलोनी ने विवेक के लिए एकदम होल्सम एंटरटेनमेंट के पॅकेज का इंटेज़ाम कर रखा था.
मैं यह अच्छी तरह समझ चुकी थी की पोलीस वालों को यह पता नही है कि लड़कियो से मज़े कैसे लिए जा सकते हैं- जैसे एसीपी राज शर्मा को मैने अपना दोस्त बना लिया था और उसका फायडा मुझे आज मिल रहा था वैसे ही मैं चाहती थी की इनस्पेक्टर विवेक को भी मैं इतना खुश करके भेजू कि वो भी मुझसे दोस्ती कर ले क्यूंकी पोलीस वालों से दोस्ती रहेगी तो इस तरह के मज़ेदार मौके अक्सर हाथ मे आते रहेंगे.
गाना ख़तम हो चुक्का था और उसके साथ ही नेहा की डॅन्स पर्फॉर्मेन्स भी रुक गयी थी. विवेक के लिए अब शायद अपने खड़े हुए लिंग को संभालना काफ़ी मुश्किल हो चला था.उसने नेहा को अपने नज़दीक बुलाते हुए कहा-“अब डॅन्स वॅन्स बहुत हो गया-इधर आजा और ज़रा इसको भी कुछ राहत पहुँचने का इंटेज़ाम कर.”