गहरी चाल पार्ट--15
कामिनी करण के फ्लॅट के ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी थी & वो उसकी पॅंटी उतर रहा था,दोनो अब पूरे नंगे थे.करण आज सवेर ही टूर से लौटा था & अभी कुच्छ देर पहले ही दोनो बाहर से साथ खाना खा कर लौटे थे.
दोनो सोफे पे 1 दूसरे के बगल मे बैठे थोड़ा घूम के 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे,करण ने उसकी कमर को अपने बाए हाथ से थामा & बाए से उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके होंठ चूमने लगा,"..उउंम.... मत कैसे बिताए मैने ये दिन..!",उसने उसके होंठ छ्चोड़ उसे अपने से सटा लिया,कामिनी ने अपने दाए हाथ मे उसका लंड ले लिया.
करण का दिल मज़े से भर उठा ,वो उसके चेहरे को चूमते हुए उसकी जाँघ सहलाने लगा.कामिनी को भी मज़ा आ रहा था.पिच्छले 4 दीनो तक वो चंद्रा साहब से चुद्ति रही थी,इसके बावजूद उसके जोश मे कोई कमी नही आई थी.लंड पे उसके हाथ की गिरफ़्त और कस गयी.
करण ने उसकी जाँघ से हाथ उपर ले जाते हुए उसकी गंद पे रख दिया & थोड़ी देर बाद उसकी गंद से होते हुए हाथ पीछे से उसकी चूत पे आ गया & वो 1उंगली से उसकी चूत कुरेदने लगा.कामिनी की आहे नही सुनाई पड़ रही थी क्यूकी उसके मुँह मे करण की जीभ घुसी हुई थी.
कामिनी के हाथो ने उसके लंड को भी बेचैन कर दिया था,अब वक़्त आ गया था की वो अपनी प्रेमिका की चूत मे उसे घुसा दे.उसने अपना बाई बाँह कामिनी की पीठ पे लगाई & दाई से उसकी दोनो टांगो को घुटने के थोड़ा उपर से पकड़ के उठा लिया & अपने कमरे मे ले गया.
कामिनी को बिस्तर पे लिटा वो उसकी चुचियो पे झुक गया,उसका 1 हाथ उसकी चूत से चिपका उसके दाने को रगड़ रहा था.कामिनी बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए आहे भरने लगी की तभी को दोनो को ड्रॉयिंग रूम से मोबाइल के रिंग टोन की आवाज़ आती सुनाई दी-ये करण का मोबाइल था.कामिनी को पूरी उम्मीद थी की करण उसे छ्चोड़ फोने के पास नही जाएगा,पर करण ने ऐसा नही किया.मोबाइल का बजना सुन वो कामिनी को छ्चोड़ फ़ौरन ड्रॉयिंग रूम मे चला गया.
कामिनी को ये बहुत बुरा लगा.... कौन था जिसके फोन के लिए वो उसका चमकता बदन छ्चोड़ कर चला गया?5 मिनिट बाद कारण कमरे मे वापस आया तो कामिनी ने उसे देख गुस्से से करवट बदलते हुए मुँह फेर लिया.
"आइ'एम सॉरी.",करण पीछे से उस से सॅट गया & उसके दाए कंधे के उपर से देखते हुए उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया,कामिनी ने उसका हाथ झटका दिया,"..इतना गुस्सा!"
"पहले सुन तो लो किसका फोन था..",उसने फिर से उसका चेहरा अपनी तरफ किया,उसका लंड कामिनी की गंद को च्छू रहा था,"..मेरे डॅड थे फोन पे..उन्होने कहा था की इस वक़्त फोन करेंगे.",कामिनी ने उसकी ओर सवालिया नज़रो से देखा,"..इतनी रात को..?"
करण ने उसके गाल पे चूमा,फिर उसे उसकी बाई करवट पे बाई कोहनी के बल लेटने को कहा.वो भी वैसे ही उसके पीछे लेट गया & अपने दाये हाथ से उसके पेट को पकड़ लिया,"..हां,क्यूकी वो जहा हैअभी वाहा शाम के 7 बजे हैं."
कामिनी ने उसका अपना दाया हाथ पीछे ले जाके उसके सर को थाम अपने चेहरे पे झुका लिया,"अच्छा!",करण ने थोड़ी देर उसे चूमा,"..हां,मेरे डॅड लंडन मे रहते हैं.कामिनी,परिवार के नाम पे बस वोही हैं मेरे लिए..",करण का हाथ उसके पेट से उसकी चूत पे चला गया था & वो उसके दाने को सहला रहा था,"..मा तो काफ़ी पहले गुज़र गयी.मेरे चाचा रहते थे लंडन मे,उन्होने पापा को भी वही बुला लिया & वो भी वोही सेटल हो गये..",उसने देखा की कामिनी अब मस्ती मे कमर हिलाने लगी है.
"..मैं काम के सिलसिले मे यहा रहता हू.कभी-2 उनसे मिलने जाता हू.अब समझ मे आया क्यू भागा था फोन के लिए?",करण ने उसकी दाई टांग को हवा मे उठा दिया & पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"हां.",कामिनी ने मस्त हो उसके सर को खींचते हुए उसके होंठ चूम लिए.
करण वैसे ही घुटने से थोड़ा उपर उसकी जाँघ को हवा मे उठाए,उसे चूमते हुए उसे चोदने लगा.
आज शाम को कामिनी को षत्रुजीत सिंग की पार्टी मे जाना था & उसकी समझ मे नही आ रहा था की वो क्या पहने.वो अपने कपबोर्ड के कपड़े उलट-पलट रही थी की उसकी नज़र 1 झीनी लाल सारी पे पड़ी & उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया...क्यू ना आज शत्रुजीत को थोड़ा तडपया जाए!वो हुमेशा उसकी हाकतो से -उसके च्छुने से...उसकी और लड़कियो के साथ की गयी कामुक हर्कतो से तड़प उठती थी,तो आज इस बात का बदला चुकाने का अच्छा मौका था.पार्टी की भीड़-भाड़ मे वो उसके बहुत ज़्यादा करीब भी नही आ सकता था ना ही उसके बदन को ज़्यादा च्छू सकता था बस देख कर आहे भर सकता था!
सारी के ब्लाउस को ब्लाउस कहना ठीक नही होगा,वो 1 स्ट्रिंग बिकिनी का ब्रा था.सामने 2 तिकोने छ्होटे कप्स थे जो छातियो को ढँकते & उनको 1 साथ जोड़े हुए डोरिया.1 डोरी जो दोनो कप्स से जुड़ी थी,उसे माला की तरह गले मे डालने के बाद दोनो कप्स के बाहर से निकलती 2 डोरियो को पीछे पीठ पे बाँध उस ब्रा को पहना जाता था....इस लिबास मे उसके बदन को देख कर शत्रुजीत पे क्या बीतेगी..ये ख़याल आते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान खींच गयी.उसने तय कर लिया की आज रात वो यही सारी पहनेगी.उसने सारी को वापस कपबोर्ड मे रख उसे बंद किया & कोर्ट के लिए तैय्यार होने लगी.
गहरी चाल compleet
Re: गहरी चाल
शाम को कामिनी पार्टी के लिए तैय्यार हो खुद को 1 आख़िरी बार शीशे मे देख रही थी.बँधे बॉल & उसके ब्लाउस की वजह से उसकी पीठ & कमर लगभग नंगे ही थे.झीनी सारी के पार से उसका क्लीवेज भी झलक रहा था.उसने सारी को थोड़ा ठीक किया & फिर पार्टी के लिए निकल पड़ी.
ऑर्किड होटेल बस कुच्छ महीने पहले ही खुला था.उसकी 21 मंज़िला इमारत बड़ी शानदार थी.कामिनी जैसे ही होटेल मे दाखिल हुई 1 स्ट्वर्डेस उसकी तरफ आई,"मिस.शरण?"
"एस."
"आप प्लीज़ इधर आइए.",वो उसे 1 लिफ्ट की ओर ले गयी.उसने कुच्छ बटन्स दबाए,"..ये लिफ्ट आपको सीधा मिस्टर.सिंग की पार्टी वाले फ्लोर पे ही छ्चोड़ेगी,मॅ'म."
"थॅंक्स.",लिफ्ट के दरवाज़े बंद हो गये.
"वेलकम कामिनी!",लिफ्ट खुलते ही कामिनी 1 आलीशान से सूयीट के ड्रॉयिंग एरिया मे दाखिल हुई...मगर उसे हैरत हो रही थी...पूरा कमरा खाली था.
"हैरानी हो रही है ना?..आप सोच रही हैं कि बाकी लोग कहा हैं..?",कामिनी बस सर हिला दी.
"कामिनी,आप मेरे लिए मुक़दमे लड़ती हैं & उनमे जीतने पे खुशी या तो आपको होगी या मुझे...तो मैने सोचा की इस खुशी का जश्न भी केवल हम दोनो ही मनाए.",उसने वाइन का ग्लास कामिनी की ओर बढ़ाया जिसे कामिनी ने मुस्कुराते हुए थाम लिया..ये तो पासा ही पलट गया था....आज तो शत्रुजीत ने पूरी तैय्यारि की हुई थी उसे सिड्यूस करने की...ठीक है...अगर वो खेल खेलना चाहता है तो वो भी..कोई कम तो नही थी...,"अच्छा!लेकिन मुझे आपके इरादे कुच्छ ठीक नही लगते,मिस्टर.सिंग!",उसने 1 घूँट भरा.
"मेरे इरादे तो हुमेशा नेक रहते हैं,कामिनी & ये आप मुझे हमेशा मिस्टर.सिंग कह के क्यू बुलाती हैं...शत्रु कहिए.मेरे सारे दोस्त मुझे शत्रु ही बुलाते हैं."
"कैसे दोस्त हैं जो आपको दुश्मन कहते हैं!",कामिनी ने 1 और घूँट भरते हुए उसकी तरफ शोखी से देखा & फिर ग्लास मेज़ पे रख दिया & फिर खिड़की के पास जाकर उसके बाहर देखने लगी.नीचे पंचमहल की बत्तियाँ जगमगा रही थी & उपर आसमान मे तारे-बड़ा ही दिलकश नज़ारा था.
"तो फिर आप क्या कह के बुलाएँगी?"
"मैं आपकी दोस्त कहा हू!",कामिनी ने उसी शोख मुस्कान के साथ उसे पलट के देखा.शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली पीठ का मुआयना कर रही थी,"..तो दुश्मन भी तो नही हैं!"
उसने रिमोट से म्यूज़िक ऑन किया,"शल वी डॅन्स?"
उसने आगे बढ़ कामिनी का दाया हाथ अपने बाए हाथ मे थामा & उसे कमरे के बीच मे ले आया & फिर अपना दाया हाथ उसकी पतली,नंगी कमर मे डाल उसके साथ डॅन्स करने लगा.कामिनी के जिस्म मे सनसनाहट सी दौड़ गयी.शत्रु का बड़ा सा हाथ उसकी कमर से चिपका हुआ था & उसकी उंगलिया बहुत हल्के से बीच-2 मे उसे सहला रही थी.
"आप सभी लड़कियो को ऐसे ही इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं?",कामिनी का बाया हाथ उसके दाए कंधे पे था.
"सभी को नही,सिर्फ़ आपको.",शत्रुजीत ने उसके हाथ & कमर को 1 साथ बड़े हल्के से सहलाया तो कामिनी सिहर उठी & उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी.
"मुझपे इतनी मेहेरबानी की कोई खास वजह?",उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हुआ था..उसका जी तो कर रहा था की अभी,इसी वक़्त इस आदमी के चौड़े सीने मे अपना चेहरा च्छूपा ले & वो उसे बस अपनी बाहो मे कस ले.
"आप तो है ही खास!अब इस से खास कोई वजह हो सकती है भला?"
"आपने मुझे अपना वकील भी इसी लिए बनाया था ना की मेरे करीब आ सकें?",शत्रुजीत के माथे पे शिकन पड़ गयी.
"कामिनी,मुझे पता है कि मेरे बारे मे तुम क्या सोचती हो..",उसकी आवाज़ संजीदा हो गयी थी,"..लेकिन मैं अपने काम के साथ कभी भी खिलवाड़ नही करता.तुम्हे अपना वकील बनाने के पीछे बस 1 ही कारण था-तुम्हारी काबिलियत.",दोनो ने डॅन्स करना बंद कर दिया था मगर कामिनी का 1 हाथ अभी भी उसके कंधे पे & दूसरा उसके हाथ मे था.
"..हां,मैं चाहता हू तुम्हारे करीब आना..तुम्हे वैसे प्यार करना जैसे केवल 1 मर्द 1 औरत को कर सकता है..मगर इसके लिए मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर तुम्हारी तौहीन नही करूँगा.आज तक मैने तुम्हारी जितनी भी तारीफ की है तुम उसकी हक़दार हो.तुम जानती हो मुझे तुम मे सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?",कामिनी ने बस आँखो से इशारा किया मानो पुच्छ रही हो की क्या.
"..तुम्हारा खुद पे विश्वास.तुम बहुत खूबसूरत हो & तुम्हारे इस बदन ने तो मुझे पहले दिन से ही दीवाना किया हुआ है मगर जो बात कामिनी शरण को कामिनी शरण बनाती है & मुझे तुम्हारी ओर खींचती है वो यही है-तुम्हारा अपने उपर भरोसा..तुम अगर अभी मुझे ना कह दो तो मैं इसी वक़्त तुम्हारे जिस्म से अपने हाथ खींच लूँगा..",दोनो बड़ी गहरी नज़रो से 1 दूसरे को देख रहे थे,"..मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर सकता हू,कामिनी..पूरी ज़िंदगी."
"तुम्हारी इतनी अच्छी बीवी है,फिर भी तुम दूसरी औरतो के पीछे क्यू भागते हो?",कामिनी आज शत्रुजीत नाम की इस पहेली को सुलझा ही लेना चाहती थी.
"नंदिता बहुत अच्छी है पर शायद हम दोनो 1 दूसरे के लिए नही बने हैं."
"अगर वो और मर्दो के साथ सोए तो?"
"उसकी मर्ज़ी..मगर वो ऐसा करेगी नही.ऐसा करेगी तो उसमे & मुझमे कोई फ़र्क नही रहेगा & मेरे जैसा बनना उसे कभी भी मंज़ूर नही होगा.",उसने कामिनी के हाथ को छ्चोड़ा तो कामिनी ने अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे कंधे पे रख दिया,अब शत्रुजीत दोनो हाथो से उसकी कमर थामे हुए था.
"..वैसे भी किसी को बाँधने से क्या मिलता है!पता है,कामिनी मैं क्या सोचता हू?..अगर कोई औरत & मर्द 1 दूसरे को चाहते हैं तो उन्हे कभी भी शादी नही करनी चाहिए."
"क्यू?"
"चाहत का मतलब 1 दूसरे को बाँधना नही,आज़ाद छ्चोड़ना है."
"तो आज रात के बाद भी तुम मेरी ज़ाति ज़िंदगी से जुड़ा मुझसे कोई सवाल नही करोगे?"
"नही.अगर तुम खुद बोलो तो अलग बात है...मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा,दिल से चाहूँगा की तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो,मगर तुमपे कभी हक़ जता के तुम्हारी मर्ज़ी से नही रोकुंगा..देखो अगर हम दोनो 1 दूसरे के साथ खुश रहेंगे तो अपने आप ही हम 1 दूसरे की पसंद-नापसंद का ख़याल रखेंगे..अब ज़बरदस्ती तो कोई किसी को नही चाह सकता ना..तो अगर मैं तुम्हे किसी बात से तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ रोकू तो फिर रिश्ते मे कड़वाहट आ जाएगी!"
"मेरा तो मानना है,कामिनी की जितने भी दिन हम साथ रहे हैं..बस हंसते-खेलते गुज़ारदे...1 पल के लिए भी कड़वाहट हो ही क्यू ज़िंदगी मे!",कामिनी को लगा जैसे वो खुद को बोलते हुए सुन रही हो.वो अपने पंजो पे उचकी & शत्रुजीत की गर्दन को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए अपने रसीले होंठ उसके होंठो से सटा दिए.
ऑर्किड होटेल बस कुच्छ महीने पहले ही खुला था.उसकी 21 मंज़िला इमारत बड़ी शानदार थी.कामिनी जैसे ही होटेल मे दाखिल हुई 1 स्ट्वर्डेस उसकी तरफ आई,"मिस.शरण?"
"एस."
"आप प्लीज़ इधर आइए.",वो उसे 1 लिफ्ट की ओर ले गयी.उसने कुच्छ बटन्स दबाए,"..ये लिफ्ट आपको सीधा मिस्टर.सिंग की पार्टी वाले फ्लोर पे ही छ्चोड़ेगी,मॅ'म."
"थॅंक्स.",लिफ्ट के दरवाज़े बंद हो गये.
"वेलकम कामिनी!",लिफ्ट खुलते ही कामिनी 1 आलीशान से सूयीट के ड्रॉयिंग एरिया मे दाखिल हुई...मगर उसे हैरत हो रही थी...पूरा कमरा खाली था.
"हैरानी हो रही है ना?..आप सोच रही हैं कि बाकी लोग कहा हैं..?",कामिनी बस सर हिला दी.
"कामिनी,आप मेरे लिए मुक़दमे लड़ती हैं & उनमे जीतने पे खुशी या तो आपको होगी या मुझे...तो मैने सोचा की इस खुशी का जश्न भी केवल हम दोनो ही मनाए.",उसने वाइन का ग्लास कामिनी की ओर बढ़ाया जिसे कामिनी ने मुस्कुराते हुए थाम लिया..ये तो पासा ही पलट गया था....आज तो शत्रुजीत ने पूरी तैय्यारि की हुई थी उसे सिड्यूस करने की...ठीक है...अगर वो खेल खेलना चाहता है तो वो भी..कोई कम तो नही थी...,"अच्छा!लेकिन मुझे आपके इरादे कुच्छ ठीक नही लगते,मिस्टर.सिंग!",उसने 1 घूँट भरा.
"मेरे इरादे तो हुमेशा नेक रहते हैं,कामिनी & ये आप मुझे हमेशा मिस्टर.सिंग कह के क्यू बुलाती हैं...शत्रु कहिए.मेरे सारे दोस्त मुझे शत्रु ही बुलाते हैं."
"कैसे दोस्त हैं जो आपको दुश्मन कहते हैं!",कामिनी ने 1 और घूँट भरते हुए उसकी तरफ शोखी से देखा & फिर ग्लास मेज़ पे रख दिया & फिर खिड़की के पास जाकर उसके बाहर देखने लगी.नीचे पंचमहल की बत्तियाँ जगमगा रही थी & उपर आसमान मे तारे-बड़ा ही दिलकश नज़ारा था.
"तो फिर आप क्या कह के बुलाएँगी?"
"मैं आपकी दोस्त कहा हू!",कामिनी ने उसी शोख मुस्कान के साथ उसे पलट के देखा.शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली पीठ का मुआयना कर रही थी,"..तो दुश्मन भी तो नही हैं!"
उसने रिमोट से म्यूज़िक ऑन किया,"शल वी डॅन्स?"
उसने आगे बढ़ कामिनी का दाया हाथ अपने बाए हाथ मे थामा & उसे कमरे के बीच मे ले आया & फिर अपना दाया हाथ उसकी पतली,नंगी कमर मे डाल उसके साथ डॅन्स करने लगा.कामिनी के जिस्म मे सनसनाहट सी दौड़ गयी.शत्रु का बड़ा सा हाथ उसकी कमर से चिपका हुआ था & उसकी उंगलिया बहुत हल्के से बीच-2 मे उसे सहला रही थी.
"आप सभी लड़कियो को ऐसे ही इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं?",कामिनी का बाया हाथ उसके दाए कंधे पे था.
"सभी को नही,सिर्फ़ आपको.",शत्रुजीत ने उसके हाथ & कमर को 1 साथ बड़े हल्के से सहलाया तो कामिनी सिहर उठी & उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी.
"मुझपे इतनी मेहेरबानी की कोई खास वजह?",उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हुआ था..उसका जी तो कर रहा था की अभी,इसी वक़्त इस आदमी के चौड़े सीने मे अपना चेहरा च्छूपा ले & वो उसे बस अपनी बाहो मे कस ले.
"आप तो है ही खास!अब इस से खास कोई वजह हो सकती है भला?"
"आपने मुझे अपना वकील भी इसी लिए बनाया था ना की मेरे करीब आ सकें?",शत्रुजीत के माथे पे शिकन पड़ गयी.
"कामिनी,मुझे पता है कि मेरे बारे मे तुम क्या सोचती हो..",उसकी आवाज़ संजीदा हो गयी थी,"..लेकिन मैं अपने काम के साथ कभी भी खिलवाड़ नही करता.तुम्हे अपना वकील बनाने के पीछे बस 1 ही कारण था-तुम्हारी काबिलियत.",दोनो ने डॅन्स करना बंद कर दिया था मगर कामिनी का 1 हाथ अभी भी उसके कंधे पे & दूसरा उसके हाथ मे था.
"..हां,मैं चाहता हू तुम्हारे करीब आना..तुम्हे वैसे प्यार करना जैसे केवल 1 मर्द 1 औरत को कर सकता है..मगर इसके लिए मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर तुम्हारी तौहीन नही करूँगा.आज तक मैने तुम्हारी जितनी भी तारीफ की है तुम उसकी हक़दार हो.तुम जानती हो मुझे तुम मे सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?",कामिनी ने बस आँखो से इशारा किया मानो पुच्छ रही हो की क्या.
"..तुम्हारा खुद पे विश्वास.तुम बहुत खूबसूरत हो & तुम्हारे इस बदन ने तो मुझे पहले दिन से ही दीवाना किया हुआ है मगर जो बात कामिनी शरण को कामिनी शरण बनाती है & मुझे तुम्हारी ओर खींचती है वो यही है-तुम्हारा अपने उपर भरोसा..तुम अगर अभी मुझे ना कह दो तो मैं इसी वक़्त तुम्हारे जिस्म से अपने हाथ खींच लूँगा..",दोनो बड़ी गहरी नज़रो से 1 दूसरे को देख रहे थे,"..मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर सकता हू,कामिनी..पूरी ज़िंदगी."
"तुम्हारी इतनी अच्छी बीवी है,फिर भी तुम दूसरी औरतो के पीछे क्यू भागते हो?",कामिनी आज शत्रुजीत नाम की इस पहेली को सुलझा ही लेना चाहती थी.
"नंदिता बहुत अच्छी है पर शायद हम दोनो 1 दूसरे के लिए नही बने हैं."
"अगर वो और मर्दो के साथ सोए तो?"
"उसकी मर्ज़ी..मगर वो ऐसा करेगी नही.ऐसा करेगी तो उसमे & मुझमे कोई फ़र्क नही रहेगा & मेरे जैसा बनना उसे कभी भी मंज़ूर नही होगा.",उसने कामिनी के हाथ को छ्चोड़ा तो कामिनी ने अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे कंधे पे रख दिया,अब शत्रुजीत दोनो हाथो से उसकी कमर थामे हुए था.
"..वैसे भी किसी को बाँधने से क्या मिलता है!पता है,कामिनी मैं क्या सोचता हू?..अगर कोई औरत & मर्द 1 दूसरे को चाहते हैं तो उन्हे कभी भी शादी नही करनी चाहिए."
"क्यू?"
"चाहत का मतलब 1 दूसरे को बाँधना नही,आज़ाद छ्चोड़ना है."
"तो आज रात के बाद भी तुम मेरी ज़ाति ज़िंदगी से जुड़ा मुझसे कोई सवाल नही करोगे?"
"नही.अगर तुम खुद बोलो तो अलग बात है...मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा,दिल से चाहूँगा की तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो,मगर तुमपे कभी हक़ जता के तुम्हारी मर्ज़ी से नही रोकुंगा..देखो अगर हम दोनो 1 दूसरे के साथ खुश रहेंगे तो अपने आप ही हम 1 दूसरे की पसंद-नापसंद का ख़याल रखेंगे..अब ज़बरदस्ती तो कोई किसी को नही चाह सकता ना..तो अगर मैं तुम्हे किसी बात से तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ रोकू तो फिर रिश्ते मे कड़वाहट आ जाएगी!"
"मेरा तो मानना है,कामिनी की जितने भी दिन हम साथ रहे हैं..बस हंसते-खेलते गुज़ारदे...1 पल के लिए भी कड़वाहट हो ही क्यू ज़िंदगी मे!",कामिनी को लगा जैसे वो खुद को बोलते हुए सुन रही हो.वो अपने पंजो पे उचकी & शत्रुजीत की गर्दन को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए अपने रसीले होंठ उसके होंठो से सटा दिए.
Re: गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--16
गतान्क से आगे....................
षत्रुजीत की बाहे भी उसकी कमर पे पूरी कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बड़ी शिद्दत से चूमने लगे.कामिनी तो शत्रुजीत के छुने भर से ही बेताब हो जाती थी,आज तो उसका बदन मस्ती से थरथरा रहा था.शत्रुजीत के फौलादी सीने से उसकी नर्म च्चातिया बिल्कुल पिस गयी थी.
बेचैनी बढ़ी तो कामिनी के हाथ उसके दिल का हाल बयान करते हुए पागलो की तरह शत्रु की पीठ & छाती पे घूमने लगे.कामिनी ने हाथ आगे लेक बिना उसके से अपने लब जुड़ा किए उसकी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया.शत्रुजीत का हाथ उसकी कमर से नीचे सरक के उसकी मस्त गंद पे आ गया था,"..उउंम्म...!",गंद पे उसके हाथो का दबाव महसूस करते ही कामिनी करही,उसने किस तोड़ी & शत्रुजीत की शर्ट निकाल कर उसके सीने को नंगा कर दिया.
अब तक उसने शत्रुजीत के बदन को दूर से ही निहारा था,आज पहला मौका था जब वो उसे करीब से च्छू पा रही थी.उसके मन मे भरी मस्ती की शिद्दत उसके छुने से शत्रुजीत के दिल तक पहुँच रही थी.ऐसी जवान,खूबसूरत लड़की की ऐसी कामुक हर्कतो से कौन मर्द बेक़ाबू हुए बिना रह सकता है,फिर शत्रुजीत तो इस खेल का माना हुआ खिलाड़ी था!
कामिनी उसके सीने के बालो मे उंगलिया फिरस्ते हुए उसके सीने को चूम रही थी & शत्रुजीत उसकी गंद को मसल्ने के बाद हाथो को वापस उसकी कमर पे ला रहा था.कामिनी झुकी & उसके निपल को चूमने लगी,"..आअहह..!",शत्रुजीत के बदन मे सनसनी दौड़ गयी.उसने 1 हाथ कामिनी के बालो मे घुसा दिया & दूसरे को सामने ला उसके चिकने पेट पे फिरने लगा.
कामिनी उसके सीने को लगातार चूम रही थी की तभी शत्रुजीत ने उसकी कमर मे हाथ घुसा कर उसकी सारी खोल दी.बहुत देर से उसके सीने से ढालका आँचल उसके पैरो मे फँस उसे परेशान कर रहा था.कामिनी ने भी उसे झट से अपने बदन से अलग कर दिया & फिर शत्रुजीत से चिपक गयी.
शत्रुजीत ने उसके चेहरे को चूमा& फिर उसके बड़े से क्लीवेज पे झुक गया,"..ऊऊंन्न..ह..!",कामिनी ने उसे अपने सीने पे दबा दिया & उसकी पीठ पे अपने नाख़ून चलाने लगी.शत्रुजीत ने उसकी कमर थाम उसे खुद से पूरा सटा लिया & उसके क्लीवेज से उपर आ उसकी गर्दन चूमने लगा.कामिनी भी उसकी कमर थामे उस से सटी हवा मे उड़ रही थी.शत्रुजीत का लंड उसकी चूत से बिल्कुल सटा हुआ था & चूत का गीलेपान से बुरा हाल था.
कामिनी को ये अंदाज़ा हो गया था की शत्रुजीत का लंड काफ़ी बड़ा है,इस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई पाइप का टुकड़ा उसकी चूत से दबा हो.उसके दिल मे उस लंड को नंगा देखने,उस से खेलने की तमन्ना जाग उठी.उसने हाथ नीचे ला शत्रुजीत की बेल्ट खोल दी तो शत्रुजीत भी उसके पेटिकोट को खोलने की कोशिश करने लगा.
दोनो की बेचैनी इस कदर बढ़ गयी थी की दोनो 1 दूसरे से लगे हुए & जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगे.शत्रुजीत ने पॅंट उतार कर सामने देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया,कामिनी अब केवल स्ट्रिंग बिकिनी मे थी.डोरियो से बँधे लाल ब्रा & पॅंटी मे वो इस वक़्त साक्षात रति लग रही थी.कामिनी की निगाहे भी शत्रुजीत के अंडरवेर से चिपकी हुई थी.अंडरवेर बहुत ज़्यादा फूला हुआ था.
शत्रुजीत आगे बढ़ा तो वो भी फ़ौरन उसकी बाहो मे समा गयी.दोनो के लगभग नंगे जिस्म 1 दूसरे से ऐसे चिपके थे की अगर दूर से देखते तो लगता की 1 ही हैं.शत्रुजीत बस कामिनी के बदन को अपने हाथो से मसले जा रहा था & कामिनी भी उसके कसरती जिस्म के 1-1 हिस्से को जैसे च्छू लेना चाहती थी.
थोड़ी देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने अपनी बाहे वैसे ही उसके बदन के गिर्द रखे हुए नीचे कर उसकी गंद के नीचे लगाई & उसे उठा लिया & सूयीट के बेडरूम की तरफ बढ़ चला.कामिनी सर झुका कर उसे चूमने लगी.उसके हाथ उसके कंधे पे टीके हुए थे.
कमरे मे घुस दोनो बिस्तर पे घुटनो के बल खड़े 1 दूसरे को चूमने लगे तो कामिनी का हाथ शत्रुजीत की पीठ पे घूमने के बाद नीचे आया & उसका अंडरवेर खोलने लगा.शत्रुजीत खड़ा हुआ & कामिनी ने 1 झटके मे अंडरवेर को उसके जिस्म से अलग कर दिया.
"..हाअ..!",कामिनी का 1 हाथ अपने हैरत मे खुले मुँह पे चला गया,उसके सामने शत्रुजीत का 9 इंच लंबा & मोटा लंड खड़ा था.लंड का रंग बिल्कुल काला था & शत्रुजीत ने चुकी अपनी झांते बिल्कुल सॉफ की हुई थी,वो और ज़्यादा बड़ा लग रहा था.नीचे 2 बड़े से अंडे लटक रहे थे,जोकि इस वक़्त बिल्कुल कसे हुए थे.
"..उउफ़फ्फ़...जीत..कितना बड़ा है ये!",कामिनी ने घुटनो पे बैठ उसके लंड को च्छुआ तो शत्रुजीत के बदन मे सनसनाहट दौड़ गयी & उसने कामिनी के सर को पकड़ लिया.कामिनी के दिल मे भी जोश भर गया,उसने लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा तो पाया की उसकी मुट्ठी उसपे पूरी नही कस पा रही थी....उसकी नाज़ुक सी चूत का क्या हाल करेगा ये!1 पल को उसे थोड़ी गबराहट हुई पर अगले ही पल उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छाई खुमारी ने उसे ये सोचने पे मजबूर कर दिया की आज उसकी चूत पूरी की पूरी भरेगी बल्कि ये लंड तो शायद उसकी कोख को भी च्छू ले.
उसने लंड को हिलाया & उसकी जड़ के उपर शत्रुजीत को चूम लिया तो उसके मुँह से आह निकल पड़ी.शत्रुजीत ने उसके सर को और कस के पकड़ लिया.कामिनी ने अपना मुँह खोला & लंड को अपने मुँह मे घुसाने लगी.लंड इतना मोटा था की उसके होंठ पूरे फैल गये & उसके मुँह मे थोड़ा दर्द होने लगा.
जितना लंड उसके मुँह मे आसानी से घुसा उसे घुसने के बाद उसने बाहर के हिस्से पे हाथ & अंदर के हिस्से पे ज़ुबान चलाना शुरू कर दिया.शत्रुजीत तो बस मस्ती मे पागल हो गया.वो कामिनी के सर को पकड़े हल्के-2 कमर हिलाने लगा जैसे की वो उसके मुँह को चोद रहा हो.कामिनी भी उसके लंड से बस खेले ही जा रही थी.
लंड को मुँह से निकाल उसने पूरे लंड को उपर से नीचे तक चटा & फिर उसके अंदो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.शत्रुजीत को लगा की उसके अंदर उबाल रहा लावा अभी कामिनी के हाथो मे ही छूट जाएगा.उसने बड़ी मुश्किल से खुद पे काबू रखा.कामिनी तो जैसे दूसरी ही दुनिया मे थी,लंड के आस-पास 1 भी बाल ना होने के कारण वो उसके आस पास भी जम के चूम-चाट रही थी.
शत्रुजीत अभी नही झड़ना चाहता था,उसने उसका सर अपने लंड से खींचा & झुक कर अपने घुटनो पे बैठ गया & उसे बाहो मे भर चूमने लगा.चूमते हुए उसने उसकी ब्रा की डोरिया खोली तो कामिनी ने अलग हो उसकी ब्रा को गर्दन से निकालने मे मदद की.
"वाउ..!कितनी मस्त चुचिया हैं तुम्हारी कामिनी!",उसने उन्हे हाथो मे भर लिया,"..इतनी कसी हुई & ये निपल कितने प्यारे लग रहे हैं..!",अपने प्रेमी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कामिनी के दिल मे खुशी की लहर दौड़ गयी,"..तुम्हारी ही हैं जीत..पी जाओ इन्हे...& मेरी भी प्यास बुझाओ."
"ऊव्वववव..!",शत्रुजीत ने उसकी चूचियो को हाथो मे भर अपनी ओर खींचा & मुँह मे भर लिया.कामिनी ने उसके बालो मे बैचेनी से उंगलिया फिराने लगी.उसकी आँखे बंद हो गयी & वो जैसे नशे मे चली गयी.शत्रुजीत के बड़े-2 हाथ उसकी कसी छातियो को पूरा दबोच कर मसलते तो उसके बदन मे जैसे बिजली दौड़ जाती,उसकी चूत मे जैसे कोई बड़ी बेचैनी का एहसास होता & वो अपना बदन मोड़ बेसब्री से पानी कमर हिलाने लगती.
उसकी चूत का बुरा हाल था & उसने इतना पानी छ्चोड़ा था की उसकी पॅंटी पे 1 बड़ा गोल सा धब्बा पड़ गया था.शत्रुजीत ने जी भर कर उसकी चुचियो से खेला,अब दोनो के दिलो मे भड़क रही आग कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ हो गयी थी & दोनो बस इसमे जल जाना चाहते थे.शत्रुजीत ने उसकी कमर की दोनो तरफ बँधी पॅंटी की डोरियो को खींचा तो पॅंटी उसकी कमर से तो ढालाक गयी पर उसके रस से भीगी होने के कारण उसकी चूत से चिपकी रही.
गतान्क से आगे....................
षत्रुजीत की बाहे भी उसकी कमर पे पूरी कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बड़ी शिद्दत से चूमने लगे.कामिनी तो शत्रुजीत के छुने भर से ही बेताब हो जाती थी,आज तो उसका बदन मस्ती से थरथरा रहा था.शत्रुजीत के फौलादी सीने से उसकी नर्म च्चातिया बिल्कुल पिस गयी थी.
बेचैनी बढ़ी तो कामिनी के हाथ उसके दिल का हाल बयान करते हुए पागलो की तरह शत्रु की पीठ & छाती पे घूमने लगे.कामिनी ने हाथ आगे लेक बिना उसके से अपने लब जुड़ा किए उसकी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया.शत्रुजीत का हाथ उसकी कमर से नीचे सरक के उसकी मस्त गंद पे आ गया था,"..उउंम्म...!",गंद पे उसके हाथो का दबाव महसूस करते ही कामिनी करही,उसने किस तोड़ी & शत्रुजीत की शर्ट निकाल कर उसके सीने को नंगा कर दिया.
अब तक उसने शत्रुजीत के बदन को दूर से ही निहारा था,आज पहला मौका था जब वो उसे करीब से च्छू पा रही थी.उसके मन मे भरी मस्ती की शिद्दत उसके छुने से शत्रुजीत के दिल तक पहुँच रही थी.ऐसी जवान,खूबसूरत लड़की की ऐसी कामुक हर्कतो से कौन मर्द बेक़ाबू हुए बिना रह सकता है,फिर शत्रुजीत तो इस खेल का माना हुआ खिलाड़ी था!
कामिनी उसके सीने के बालो मे उंगलिया फिरस्ते हुए उसके सीने को चूम रही थी & शत्रुजीत उसकी गंद को मसल्ने के बाद हाथो को वापस उसकी कमर पे ला रहा था.कामिनी झुकी & उसके निपल को चूमने लगी,"..आअहह..!",शत्रुजीत के बदन मे सनसनी दौड़ गयी.उसने 1 हाथ कामिनी के बालो मे घुसा दिया & दूसरे को सामने ला उसके चिकने पेट पे फिरने लगा.
कामिनी उसके सीने को लगातार चूम रही थी की तभी शत्रुजीत ने उसकी कमर मे हाथ घुसा कर उसकी सारी खोल दी.बहुत देर से उसके सीने से ढालका आँचल उसके पैरो मे फँस उसे परेशान कर रहा था.कामिनी ने भी उसे झट से अपने बदन से अलग कर दिया & फिर शत्रुजीत से चिपक गयी.
शत्रुजीत ने उसके चेहरे को चूमा& फिर उसके बड़े से क्लीवेज पे झुक गया,"..ऊऊंन्न..ह..!",कामिनी ने उसे अपने सीने पे दबा दिया & उसकी पीठ पे अपने नाख़ून चलाने लगी.शत्रुजीत ने उसकी कमर थाम उसे खुद से पूरा सटा लिया & उसके क्लीवेज से उपर आ उसकी गर्दन चूमने लगा.कामिनी भी उसकी कमर थामे उस से सटी हवा मे उड़ रही थी.शत्रुजीत का लंड उसकी चूत से बिल्कुल सटा हुआ था & चूत का गीलेपान से बुरा हाल था.
कामिनी को ये अंदाज़ा हो गया था की शत्रुजीत का लंड काफ़ी बड़ा है,इस वक़्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई पाइप का टुकड़ा उसकी चूत से दबा हो.उसके दिल मे उस लंड को नंगा देखने,उस से खेलने की तमन्ना जाग उठी.उसने हाथ नीचे ला शत्रुजीत की बेल्ट खोल दी तो शत्रुजीत भी उसके पेटिकोट को खोलने की कोशिश करने लगा.
दोनो की बेचैनी इस कदर बढ़ गयी थी की दोनो 1 दूसरे से लगे हुए & जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगे.शत्रुजीत ने पॅंट उतार कर सामने देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया,कामिनी अब केवल स्ट्रिंग बिकिनी मे थी.डोरियो से बँधे लाल ब्रा & पॅंटी मे वो इस वक़्त साक्षात रति लग रही थी.कामिनी की निगाहे भी शत्रुजीत के अंडरवेर से चिपकी हुई थी.अंडरवेर बहुत ज़्यादा फूला हुआ था.
शत्रुजीत आगे बढ़ा तो वो भी फ़ौरन उसकी बाहो मे समा गयी.दोनो के लगभग नंगे जिस्म 1 दूसरे से ऐसे चिपके थे की अगर दूर से देखते तो लगता की 1 ही हैं.शत्रुजीत बस कामिनी के बदन को अपने हाथो से मसले जा रहा था & कामिनी भी उसके कसरती जिस्म के 1-1 हिस्से को जैसे च्छू लेना चाहती थी.
थोड़ी देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने अपनी बाहे वैसे ही उसके बदन के गिर्द रखे हुए नीचे कर उसकी गंद के नीचे लगाई & उसे उठा लिया & सूयीट के बेडरूम की तरफ बढ़ चला.कामिनी सर झुका कर उसे चूमने लगी.उसके हाथ उसके कंधे पे टीके हुए थे.
कमरे मे घुस दोनो बिस्तर पे घुटनो के बल खड़े 1 दूसरे को चूमने लगे तो कामिनी का हाथ शत्रुजीत की पीठ पे घूमने के बाद नीचे आया & उसका अंडरवेर खोलने लगा.शत्रुजीत खड़ा हुआ & कामिनी ने 1 झटके मे अंडरवेर को उसके जिस्म से अलग कर दिया.
"..हाअ..!",कामिनी का 1 हाथ अपने हैरत मे खुले मुँह पे चला गया,उसके सामने शत्रुजीत का 9 इंच लंबा & मोटा लंड खड़ा था.लंड का रंग बिल्कुल काला था & शत्रुजीत ने चुकी अपनी झांते बिल्कुल सॉफ की हुई थी,वो और ज़्यादा बड़ा लग रहा था.नीचे 2 बड़े से अंडे लटक रहे थे,जोकि इस वक़्त बिल्कुल कसे हुए थे.
"..उउफ़फ्फ़...जीत..कितना बड़ा है ये!",कामिनी ने घुटनो पे बैठ उसके लंड को च्छुआ तो शत्रुजीत के बदन मे सनसनाहट दौड़ गयी & उसने कामिनी के सर को पकड़ लिया.कामिनी के दिल मे भी जोश भर गया,उसने लंड को अपनी मुट्ठी मे कसा तो पाया की उसकी मुट्ठी उसपे पूरी नही कस पा रही थी....उसकी नाज़ुक सी चूत का क्या हाल करेगा ये!1 पल को उसे थोड़ी गबराहट हुई पर अगले ही पल उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छाई खुमारी ने उसे ये सोचने पे मजबूर कर दिया की आज उसकी चूत पूरी की पूरी भरेगी बल्कि ये लंड तो शायद उसकी कोख को भी च्छू ले.
उसने लंड को हिलाया & उसकी जड़ के उपर शत्रुजीत को चूम लिया तो उसके मुँह से आह निकल पड़ी.शत्रुजीत ने उसके सर को और कस के पकड़ लिया.कामिनी ने अपना मुँह खोला & लंड को अपने मुँह मे घुसाने लगी.लंड इतना मोटा था की उसके होंठ पूरे फैल गये & उसके मुँह मे थोड़ा दर्द होने लगा.
जितना लंड उसके मुँह मे आसानी से घुसा उसे घुसने के बाद उसने बाहर के हिस्से पे हाथ & अंदर के हिस्से पे ज़ुबान चलाना शुरू कर दिया.शत्रुजीत तो बस मस्ती मे पागल हो गया.वो कामिनी के सर को पकड़े हल्के-2 कमर हिलाने लगा जैसे की वो उसके मुँह को चोद रहा हो.कामिनी भी उसके लंड से बस खेले ही जा रही थी.
लंड को मुँह से निकाल उसने पूरे लंड को उपर से नीचे तक चटा & फिर उसके अंदो को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.शत्रुजीत को लगा की उसके अंदर उबाल रहा लावा अभी कामिनी के हाथो मे ही छूट जाएगा.उसने बड़ी मुश्किल से खुद पे काबू रखा.कामिनी तो जैसे दूसरी ही दुनिया मे थी,लंड के आस-पास 1 भी बाल ना होने के कारण वो उसके आस पास भी जम के चूम-चाट रही थी.
शत्रुजीत अभी नही झड़ना चाहता था,उसने उसका सर अपने लंड से खींचा & झुक कर अपने घुटनो पे बैठ गया & उसे बाहो मे भर चूमने लगा.चूमते हुए उसने उसकी ब्रा की डोरिया खोली तो कामिनी ने अलग हो उसकी ब्रा को गर्दन से निकालने मे मदद की.
"वाउ..!कितनी मस्त चुचिया हैं तुम्हारी कामिनी!",उसने उन्हे हाथो मे भर लिया,"..इतनी कसी हुई & ये निपल कितने प्यारे लग रहे हैं..!",अपने प्रेमी के मुँह से अपनी तारीफ सुन कामिनी के दिल मे खुशी की लहर दौड़ गयी,"..तुम्हारी ही हैं जीत..पी जाओ इन्हे...& मेरी भी प्यास बुझाओ."
"ऊव्वववव..!",शत्रुजीत ने उसकी चूचियो को हाथो मे भर अपनी ओर खींचा & मुँह मे भर लिया.कामिनी ने उसके बालो मे बैचेनी से उंगलिया फिराने लगी.उसकी आँखे बंद हो गयी & वो जैसे नशे मे चली गयी.शत्रुजीत के बड़े-2 हाथ उसकी कसी छातियो को पूरा दबोच कर मसलते तो उसके बदन मे जैसे बिजली दौड़ जाती,उसकी चूत मे जैसे कोई बड़ी बेचैनी का एहसास होता & वो अपना बदन मोड़ बेसब्री से पानी कमर हिलाने लगती.
उसकी चूत का बुरा हाल था & उसने इतना पानी छ्चोड़ा था की उसकी पॅंटी पे 1 बड़ा गोल सा धब्बा पड़ गया था.शत्रुजीत ने जी भर कर उसकी चुचियो से खेला,अब दोनो के दिलो मे भड़क रही आग कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ हो गयी थी & दोनो बस इसमे जल जाना चाहते थे.शत्रुजीत ने उसकी कमर की दोनो तरफ बँधी पॅंटी की डोरियो को खींचा तो पॅंटी उसकी कमर से तो ढालाक गयी पर उसके रस से भीगी होने के कारण उसकी चूत से चिपकी रही.