फिर ऊर्मि दीदी बेड'पर बैठ गयी. मेने खिसक के उसे जगहा दे दी और वो मेरे दाईं तरफ बेड'पर लेट गई. हमारे बीच मुश्कील से एक दो इंच का फासला था. हम'ने तकिये बेड 'पर तिरछे रखे थे और उस'पर हम पड़े थे और टीवी देख'ने लगे. हम दोनो दिन भर हुई घटनाएँ के बारे में बातें कर'ने लगे. बीच बीच में में टीवी का चॅनेल चेंज कर रहा था और अलग अलग प्रोग्राम देख रहा था. एक चॅनेल पर एक इंग़लीश मूवी चल रही थी. मेने झट से पहेचान लिया के वो कौन सी मूवी थी. उस मूवी में एक दो एरॉटिक बेड सीन भी थे. में वो चॅनेल रख'कर मूवी देख'ने लगा.
ऊर्मि दीदी भी मेरे साथ बातें कर'ते कर'ते मूवी देख'ने लगी. बीच बीच में वो मुझे मूवी के बारे में पुच्छ रही थी और में उत्साह से उसे क्या हो रहा है ये बता रहा था. जल्दी ही एक बेड सीन चालू हुआ, जिस'की में राह देख रहा था. स्क्रीन'पर हीरो ने हीरोइन का चुंबन लेना चालू किया और वो देख'कर ऊर्मि दीदी बेचैन होने लगी.
उसकी बेचैनी मुझे तूरंत महेसूस हुई लेकिन मेने उसकी तरफ ध्यान नही दिया और गौर से सीन देख'ने का नाटक कर'ने लगा. जैसे हीरो ने हीरोइन के कपड़े निकालना चालू किया वैसे ऊर्मि दीदी कुच्छ ज़्यादा ही बेचैन हो गयी.
"सागर! चॅनेल बदल!" उस'ने बेचैनी से कहा.
"क्यों, दीदी? आच्छी मूवी है ये.."
"हाँ!. मुझे दिख रही है कित'नी अच्छी मूवी है ये. जल्दी बदल दे चॅनेल!" उस'ने मुझे डान्ट'ते हुए कहा.
"तुम्हें इस सीन की वजह से खराब लग रहा है क्या, दीदी? ये सीन तो अभी ख़त्म हो जाएगा" मेने स्क्रीन से नज़र ना हिलाते कहा. जाहिर है के वैसा कामुक सीन अप'ने भाई के साथ देख'ते हुए उसे अजीबसा लग रहा था. और वो भी उसके साथ होटेल के कमरे में अकेले होते सम'य? जैसे ही हीरो ने हेरोइन का टॉप निकाल दिया और पिछे से ब्रेसीयर खोल'ने लगा तो वैसे ही ऊर्मि दीदी की सह'ने की शक्ती ख़त्म हो गयी. उस'ने मेरे हाथ से रिमोट कंट्रोल छीन लिया और झट से चॅनेल चेंज किया. उस'से में मायूस हो गया. उस सम'य में किसी को नंगी या अध नंगी देख'ने के लिए तरस रहा था भले ही वो टीवी स्क्रीन पर क्यों ना हो लेकिन ऊर्मि दीदी ने चॅनेल बदल दिया और सब मज़ा किर'कीरा हो गया.
"चॅनेल क्यों बदल दिया, दीदी? वो अच्छी मूवी थी" मेने थोड़ी नाराज़गी दिखाकर कहा.
"होगी अच्छी.. लेकिन तुम्हें ऐसे गंदे सीन अप'नी बहन के साथ होते हुवे देख'ने नही चाहिए."
"उसमें क्या गंदा था??"
"अच्च्छा भी क्या था उस सीन में? वो दोनो किसींग कर रहे थे और क्या क्या हरकते कर रहे थे. और तुम कह रहे हो उस में गंदा क्या था?" ऊर्मि दीदी ने हैरानगी से पुछा.
"कमाल है, दीदी! आज कल मूवी में ऐसे सीन होना तो आम बात हो गयी है तो फिर उस में इतना स्ट्रेंज क्या है?"
"कमाल तो तुम्हारी है, सागर. तुम्हें शरम नही आती बहन के साम'ने ऐसे गंदे सीन देख'ते हुए?"
"अब उस में शरमाना क्या, दीदी? तुम्हें मालूम है वो क्या कर'नेवाले थे. मुझे मालूम है वो क्या कर'नेवाले थे. हम दोनो भी उम्र से बड़े है तो फिर ऐसे सीन देख'ने में बुराई क्या है?"
"कोई बुराई नही है, सागर! लेकिन तुम्हें क्या मालूम वो दोनो क्या कर'नेवाले थे?"
"मुझे सब मालूम है, दीदी! में अभी छोटा नही रहा. मुझे अच्छी तरह से मालूम है वो दोनो क्या कर रहे थे और क्या कर'नेवाले थे. ठीक है!. मेने खुद कभी वैसा कुच्छ नही किया है ना तो मुझे कुच्छ प्रॅक्टिकल अनुभव है लेकिन मुझे इस बारे में अच्छी तराहा से मलूमात है."
"ठीक है! ठीक है! लेकिन इत'नी जल्दी तुम्हें इन बातों में इंटरेस्ट नही लेना चाहिए."
"क्यों नही, दीदी? में अब बड़ा हो गया हूँ. अब मुझे हक है ये सब जान लेने का. मेरे मन में बहुत उत्सुकता है के लड़किया कप'डो में इत'नी सेक्सी दिख'ती है तो फिर बीना कपड़े वो कैसे दिख'ती होंगी? मेरे मन में हमेशा ये ख़याल आता है के क्या में किसी लड़'की को बीना कपड़े देख सकता हूँ क्या? बीना कपड़े यानी. पूरी तरह से नग्न!"
"देख सकते हो, सागर! किसी लड़'की के साथ तुम्हारी शादी होने के बाद" ऊर्मि दीदी ने चुपके से जवाब दिया.
"शादी के बाद??"
"हाँ! शादी के बाद. तुम तुम्हारी पत्नी को पुछ सकते हो!" ऊर्मि दीदी ने हँसके जवाब दिया.
"पत्नी??. शादी?. उसके लिए तो काफ़ी साल लगेंगे, दीदी! में तब तक रुक नही सकता!"
"नही रुक सकते हो. तो फिर. पुच्छ लो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड को."
"गर्ल फ्रेंड? मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है, दीदी."
"क्या कह रहे हो, सागर? तुम इत'ने हॅंड'सम और तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नही?? में विश्वास ही नही करूँगी!"
"में झूठ थोड़ी बोल रहा हूँ, दीदी! मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है" में उसकी तरफ घूम गया और चुपचाप बोला.
"क्या कह'ते हो, सागर? ऐसी कोई लड़'की तुम्हारी दोस्त नही जो तुम्हारे दिल के बिल'कुल करीब हो. जिसे तुम चाहते हो, प्यार कर'ते हो. ऐसी कोई लड़'की नही?" ऊर्मि दीदी ने हैरान होकर पुछा.
"सच्ची, दीदी! ऐसी कोई लड़'की नही जो मेरे दिल के करीब है या जिसे में प्यार करता हू.. सिर्फ़.."
"सिर्फ़ क्या, सागर?." ऊर्मि दीदी ने उत्सुकता से पुचछा.
"सिर्फ़ तुम, दीदी!!. तुम ही हो. जो मेरे दिल के करीब है. जिसे में चाहता हूँ.. जिसे में प्यार करता हूँ."
"कौन में??" ऊर्मि दीदी आश्चर्य से चीख पड़ी और बोली, "लेकिन में तुम्हारी बहन हूँ, सागर! तुम्हारी गर्ल फ्रेंड नही.."
"ठीक है, दीदी! माना के तुम मेरी गर्ल फ्रेंड नही हो लेकिन तुम मेरी दोस्त तो हो? तुम ही एक ऐसी हो जिसे में बीना जीझक पुच्छ सकता हूँ!"
"पुच्छ सकता हूँ?. क्या??" ऊर्मि दीदी की आवाज़ चढ़ गयी.
"यानी मुझे ये कह'ना है के.. जैसे तुम'ने कहा के जो लड़'की मेरे दिल के करीब है उसे में पुच्छ सकता हूँ और तुम ही हो जो मेरे दिल के करीब हो. इस'लिए में तुम्हें ही पुछता हूँ. क्या तुम मुझे दिखा सक'ती हो के बीना कप'डो के तुम कैसी दिख'ती हो?? यानी पूरी नग्न!!"
Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
"क्या??" ऊर्मि दीदी चिल्लाई, "तुम पागल तो नही हो गये हो?? में कैसे दिखा सक'ती हूँ, सागर? में तुम्हारी बहन हूँ."
"लेकिन हम दोनो दोस्त भी है ना, दीदी?"
"हा! लेकिन में ये कैसे भूलू के हम दोनो भाई-बहेन है, सागर?"
"ओह ! कम ऑन, दीदी!. तुम'ने वैसा किया तो तुम्हारा कोई नुकसान नही होगा. उलटा तुम मेरी मदद कर रही हो, मेरी जिग्यासा पूरी कर'ने के लिए."
"जिग्यासा पूरी कर'ने के लिए???. तुम्हारी ये जिग्यासा बहुत ही अजीब है, सागर!. एक बहन को पूरी कर'ने के लिए!" इसके बाद ऊर्मि दीदी बिल'कुल सिरीयस हो गयी. में उस'से बिन'ती कर रहा था, उस'को मनाने की कोशीष कर रहा था और वो मेरा विरोध कर'ती रही और मुझे ना कह'ती रही. आखीर मायूस होकर मेने कहा,
"ये देखो, दीदी! तुम्हें खूस कर'ने के लिए मेने क्या क्या किया. तुम इत'नी खूस थी के थोड़ी देर पह'ले तुम ही कह रही थी मेरे लिए तुम कुच्छ भी कर'ने के लिए तैयार हो. और अब जब में तुम्हें कुच्छ कर'ने के लिए कह रहा हूँ तो तुम ना बोल रही हो."
"में कैसे करू, सागर? तुम मुझे जो कर'ने के लिए कह रहे हो ये दुनिया की कोई बहन नही कर सक'ती."
"तो ठीक है, दीदी! भूल जाओ जो कुच्छ मेने तुम्हें कहा वो! मुझे लगा तुम मुझे बहुत प्यार कर'ती हो इस'लिए तुम मुझे नाराज़ नही करोगी. लेकिन अब मुझे मालूम पड़ गया के तुम मुझे कित'ना प्यार कर'ती हो."
ऐसा कह'कर ऊर्मि दीदी की तरफ पीठ करके में घूम गया. उस'ने मुझे वापस अप'नी ओर घुमाने की कोशीस की लेकिन में अप'नी जगह से नही हिला. फिर उस'ने कहा,
"ऐसे क्या कर रहे हो, सागर? नाराज़ क्यों होते हो जल्दी? ज़रा मेरे बारे में तो सोचो.. मेरे से कैसे होगा वो? अपना नाता में कैसे भूल जाउ?"
मेने कुच्छ नही कहा और चुप'चाप पड़ा रहा. मेरे हाथ को पकड़'कर वो मुझे हिलाने लगी और मुझे समझाने लगी लेकिन में अप'नी जगहा से हिला भी नही और मेने उस'का कहा सुना भी नही. आखीर हताश होकर उस'ने कहा,
"सागर. मेरे प्यारे भाई! सुबह से अब तक हम कित'ना मज़ा कर रहे है और अब आखरी सम'य उस मज़े को में किर'कीरा नही कर'ना चाह'ती हूँ. तुम'ने दिन भर मुझे खूस रखा इस'लिए अब में तुम्हें नाराज़ नही कर'ना चाह'ती. ठीक है! अगर तुम्हें यही चाहिए तो में तैयार हूँ!!"
ऊर्मि दीदी के शब्द सुन'कर में खिल उठा लेकिन में अप'नी जगहा से नही हिला और मेने उसे कहा,
"नही, दीदी! अगर तुम्हारे दिल में नही है तो तुम मत करो कुच्छ.. तुम्हारे मन के खिलाफ तुम कुच्छ करो ऐसा में नही चाहता."
मेरे मन में तो खुशीयों के लड्डू फूट रहे थे. अगर ऊर्मि दीदी सचमुच नंगी होने के लिए तैयार हो रही होगी तो सुबह से मेने की हुई मेहनत और खर्च किया हुआ पैसा सब वसूल होनेवाला था. लेकिन मेरी वो खुशी मेने अप'ने चह'रे पर नही दिखाई और घूम के मेने उसकी तरफ देखा. ऊर्मि दीदी को सीरीयस देख'कर मेने कहा,
"ये देखो, दीदी! इत'नी सिरीयस मत हो जाओ. इसमें भी तो मज़ा है. थोड़ा अलग. दिन भर कैसे हम मज़ा मज़ा कर रहे थे?.. दोस्त बन'कर. ये भी उसी मज़ा का एक भाग है ऐसा समझ लो. तो ही तुम्हें अजीब नही लगेगा. और फिर तुम्हें भी मज़ा आएगा इस में."
"ठीक है. ठीक है! मुझे नही लग रहा है अट'पटा अभी." ऊर्मि दीदी ने मुश्कील से हंस'ते हुए कहा, " आखीर क्या. में मेरे लाडले भाई को खूस कर रही हूँ. उस'ने मुझे दिन भर खूस रखा अब मेरी बारी है उसे खूस कर'ने की" ऐसा कह'कर वो अच्छी तरह से हँसी. उसकी अच्छी हँसी देख'कर में भी दिल से हंसा.
मुझे मेरा सपना पूरा होते नज़र आ रहा था. मेरे बहन को जी भर के पूरी नंगी देख'ने के लिए में मर रहा था और वो घड़ी अब आ गई थी. सिर्फ़ उस ख़याल से में हद के बाहर उत्तेजीत होने लगा. मेरे लंड में कुच्छ अलग ही काम संवेदना उठ'ने लगी और वो गल'ने लगा. मुझे ऐसा लग'ने लगा के किसी भी समय मेरा वीर्य पतन हो जाएगा. मेने सोचा के झट से बाथरूम में जा के ठंडा होकर आना ही चाहिए.
क्रमशः……………………………
"लेकिन हम दोनो दोस्त भी है ना, दीदी?"
"हा! लेकिन में ये कैसे भूलू के हम दोनो भाई-बहेन है, सागर?"
"ओह ! कम ऑन, दीदी!. तुम'ने वैसा किया तो तुम्हारा कोई नुकसान नही होगा. उलटा तुम मेरी मदद कर रही हो, मेरी जिग्यासा पूरी कर'ने के लिए."
"जिग्यासा पूरी कर'ने के लिए???. तुम्हारी ये जिग्यासा बहुत ही अजीब है, सागर!. एक बहन को पूरी कर'ने के लिए!" इसके बाद ऊर्मि दीदी बिल'कुल सिरीयस हो गयी. में उस'से बिन'ती कर रहा था, उस'को मनाने की कोशीष कर रहा था और वो मेरा विरोध कर'ती रही और मुझे ना कह'ती रही. आखीर मायूस होकर मेने कहा,
"ये देखो, दीदी! तुम्हें खूस कर'ने के लिए मेने क्या क्या किया. तुम इत'नी खूस थी के थोड़ी देर पह'ले तुम ही कह रही थी मेरे लिए तुम कुच्छ भी कर'ने के लिए तैयार हो. और अब जब में तुम्हें कुच्छ कर'ने के लिए कह रहा हूँ तो तुम ना बोल रही हो."
"में कैसे करू, सागर? तुम मुझे जो कर'ने के लिए कह रहे हो ये दुनिया की कोई बहन नही कर सक'ती."
"तो ठीक है, दीदी! भूल जाओ जो कुच्छ मेने तुम्हें कहा वो! मुझे लगा तुम मुझे बहुत प्यार कर'ती हो इस'लिए तुम मुझे नाराज़ नही करोगी. लेकिन अब मुझे मालूम पड़ गया के तुम मुझे कित'ना प्यार कर'ती हो."
ऐसा कह'कर ऊर्मि दीदी की तरफ पीठ करके में घूम गया. उस'ने मुझे वापस अप'नी ओर घुमाने की कोशीस की लेकिन में अप'नी जगह से नही हिला. फिर उस'ने कहा,
"ऐसे क्या कर रहे हो, सागर? नाराज़ क्यों होते हो जल्दी? ज़रा मेरे बारे में तो सोचो.. मेरे से कैसे होगा वो? अपना नाता में कैसे भूल जाउ?"
मेने कुच्छ नही कहा और चुप'चाप पड़ा रहा. मेरे हाथ को पकड़'कर वो मुझे हिलाने लगी और मुझे समझाने लगी लेकिन में अप'नी जगहा से हिला भी नही और मेने उस'का कहा सुना भी नही. आखीर हताश होकर उस'ने कहा,
"सागर. मेरे प्यारे भाई! सुबह से अब तक हम कित'ना मज़ा कर रहे है और अब आखरी सम'य उस मज़े को में किर'कीरा नही कर'ना चाह'ती हूँ. तुम'ने दिन भर मुझे खूस रखा इस'लिए अब में तुम्हें नाराज़ नही कर'ना चाह'ती. ठीक है! अगर तुम्हें यही चाहिए तो में तैयार हूँ!!"
ऊर्मि दीदी के शब्द सुन'कर में खिल उठा लेकिन में अप'नी जगहा से नही हिला और मेने उसे कहा,
"नही, दीदी! अगर तुम्हारे दिल में नही है तो तुम मत करो कुच्छ.. तुम्हारे मन के खिलाफ तुम कुच्छ करो ऐसा में नही चाहता."
मेरे मन में तो खुशीयों के लड्डू फूट रहे थे. अगर ऊर्मि दीदी सचमुच नंगी होने के लिए तैयार हो रही होगी तो सुबह से मेने की हुई मेहनत और खर्च किया हुआ पैसा सब वसूल होनेवाला था. लेकिन मेरी वो खुशी मेने अप'ने चह'रे पर नही दिखाई और घूम के मेने उसकी तरफ देखा. ऊर्मि दीदी को सीरीयस देख'कर मेने कहा,
"ये देखो, दीदी! इत'नी सिरीयस मत हो जाओ. इसमें भी तो मज़ा है. थोड़ा अलग. दिन भर कैसे हम मज़ा मज़ा कर रहे थे?.. दोस्त बन'कर. ये भी उसी मज़ा का एक भाग है ऐसा समझ लो. तो ही तुम्हें अजीब नही लगेगा. और फिर तुम्हें भी मज़ा आएगा इस में."
"ठीक है. ठीक है! मुझे नही लग रहा है अट'पटा अभी." ऊर्मि दीदी ने मुश्कील से हंस'ते हुए कहा, " आखीर क्या. में मेरे लाडले भाई को खूस कर रही हूँ. उस'ने मुझे दिन भर खूस रखा अब मेरी बारी है उसे खूस कर'ने की" ऐसा कह'कर वो अच्छी तरह से हँसी. उसकी अच्छी हँसी देख'कर में भी दिल से हंसा.
मुझे मेरा सपना पूरा होते नज़र आ रहा था. मेरे बहन को जी भर के पूरी नंगी देख'ने के लिए में मर रहा था और वो घड़ी अब आ गई थी. सिर्फ़ उस ख़याल से में हद के बाहर उत्तेजीत होने लगा. मेरे लंड में कुच्छ अलग ही काम संवेदना उठ'ने लगी और वो गल'ने लगा. मुझे ऐसा लग'ने लगा के किसी भी समय मेरा वीर्य पतन हो जाएगा. मेने सोचा के झट से बाथरूम में जा के ठंडा होकर आना ही चाहिए.
क्रमशः……………………………
Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
gataank se aage…………………………………..
Us sama'y mujhe laga ke men Urmi Didi ko bataa doon. Meree 'ichchha'. Mera sapana. Meree kalpana.. Yaani ek hee!! 'Urmi Didi tumhen chodana!!'.. Lekin agale hee pal mene socha ke 'nahee' ye vakta thik nahee hai is'liye mene sirph itana kaha,
"Philahal to mujhe yaad nahee aa raha hai mera koi sapana. Lekin jab yaad aayega to tumhen jaroor bataaunga, didee!"
"Jaroor bataana, Sagar. Men puree kosheesh karoongee tumhaaree 'ichchha' puree kar'ne kee."
"Achchha! Chalo ab. Ja ke fresh hokar aa jaavo, didee!" mene use aisa kaha lekin men us se door nahee hua.
"oh ! Sagar! Mujhe aisa lag raha hai ke aise hee jindagee bhar rahe. Mera matalab hai aise kapade pahan ke.. Lekin mujhe maaloom hai ye sambhav nahee hai" Urmi Didi ne thode udas swar men kaha.
"Tum udaas kyon hotee ho, didee? Thik hai, tum aise kapade ghar men nahee pahan sak'tee ho lekin akele men to pahan sak'tee ho? jab ham dono akele honge tab tum beshak mere kapade pahan liya karo."
"Vo to thik hai, Sagar. Lekin tumhaare kapade mujhe kit'ne tight ho rahe hai, dekho na. Ham! Agar tum'ne apana saij badal diya to phir thik hai. Yaani men kah'na chaah'tee hoon ke tum'ne agar tumhaaree body badhai to."
"Didee!. Meree body badh'ne ke bajay. Tum thodee sleem kyon nahee ban jaatee ho? Sach kahoom to tumhen 'yahaan kee' thodee charabee kaam kar'nee chaahiye." Aisa kah'kar mene mere dono haath uskee kamar kee charabee par rakh diye aur use halake se dabaya.
"jyaada shararat mat karo ham, Sagar!" Aisa kah'kar us'ne apana ek haath pichhe liya aur mera peT pakad'kar ghuma diya. Mene jhaT se mere ek haath se Urmi Didi ka haath pakad liya aur dusare haath se uske mansal chuttaR ko dabaakar kaha,
"Ya to tumhen 'yahaan' kee charabee kaam kar'nee chaahiye, didee!"
"Tum na. Bahut naalaayak hote ja rahe ho, Sagar!. Thair!. tumhen jara do chaar phatake detee hoon." Aisa kah'kar vo ghum gai aur us'ne mujhe halake se chaaTa maar diya.
Urmi Didi ne mujhe chaaTa maara to mene bhee use halakasa chaaTa maar diya. Us'se vo jhuthamooth ka gussa dikh'tee aur mujhe phir chaaTa mar'tee thee. Us'ne phir maara to mene bhee vaapas maar diya. Aisa kai baar hua aur ham kaaphee baar ek dusare ko chaaTa maarate rahe, hans'te khel'te, yahaan vahan bhaagate.. Uske chaaTe se men ap'ne aap ko bachaaTa tha lekin vo mere chaaTe se bacha'tee nahee thee. Akheer vo pareshan ho gai aur mere chhaatee par muththee bhar ke maar'ne lagee. Mene hans'te hans'te uske haath pakad liye aur vo bhee hans'ne lagee. hans'te hans'te us'ne mujhe baanhon men bhar liya. hamaara hansana ruk'ne tak ham ek dusare kee baanhon men jakaRe huye the.
Phir Urmi Didi mujh'se door ho gayee. Us'ne bag men se apana night gown nikaala aur vo batharoom men fresh hone ke liye gayee. Mene phir TV ka rimot kantrol liya aur TV chaloo kar ke kuchh channel chhek kiye. Men ek music channel par rook gaya. Baad men men bed'par let gaya aur TV dekh'ne lag. Men TV to dekh raha tha lekin mere kaan batharoom se aa rahee aavaaj par the. Urmi Didi ne toilet istemaal kiya phir shavar ke niche snaan kiya vagaira vagaira sabaka men aavaaj se andaja le raha tha. Thodee der baad Urmi Didi baahar aayee. Us'ne gulabee rang ka night gown pahana tha. Vo meree taraph dekh'kar hansee aur phir jaakar us'ne meree jeens aur ti-shirt wardrobe men Taang diye.
"Are, didee!! Tum'ne meree jeens aur ti-shirt vaapas nahee pahanee??" Mene hans'kar use puchha.
"Kaise pahan letee, Sagar? Aur vo bhee sote sama'y? kit'ne tight ho rahe the tumhaare vo kapade mujhe. Jaise kisee ne jakaR liya ho. Mujhe to aise kapade pahan'kar sona achchha lag'ta hai." Aisa kah'kar us'ne apana gaun dono baajoo se uthaya aur ajoo baajoo men hil'kar dikhaate kaha, "dhile dhaale.. Beena bandhan ke. Khule khule. Hava jaanevaale."
"Achchha? isaka matalab is gaun ke niche tum'ne kuchh nahee pahana hai, didee?. Khula khula lag'ne ke liye??"
"naalaayak! Besharama!!. Teree jaban bahut hee tej chal rahee hai." Aisa kah'kar us'ne mujhe ek chaaTa maara. Mene hans'te hans'te us'ka chaaTa jhel liya. Bhale hee mene vaise majak men kaha tha lekin mujhe achchhee taraha se maaloom tha ke andar breseeyar aur painty pahanee thee. Us'ka gulabee jhina gaun kuchh chhupa nahee raha tha. aam taur par vo agar ghar men hotee aur us'ne ye gaun pahana hota to uske andar vo peteekot aur sleep pahan letee jis'se andar ka kuchh dikhai nahee deta. Lekin is sama'y yahaanpar us'ne andar vaise kuchh pahana nahee tha is'liye mujhe uskee breseeyar aur painty najar aa rahee thee. Jab vo bag men kapade rakh'ne ke liye niche jhuk gayee tab pichhe se mene uske chuttaR ko dekha to mujhe uske andar pah'nee hui kaale rang kee painty najar aayee.
Phir Urmididee bed'par baith gayee. Mene khisak ke use jagaha de dee aur vo mere daayeen taraph bed'par let gai. Hamare beech mushkeel se ek do inch ka phasala tha. Ham'ne takiye bedarest'par tirachhe rakhe the aur us'par ham pade the aur TV dekh'ne lage. Ham dono din bhar hui ghatanayen ke baare men baaten kar'ne lage. Beecha beecha men men TV ka channel chenj kar raha tha aur alag alag program dekh raha tha. Ek channel par ek ingleesh moovhee chal rahee thee. Mene jhaT se pahechan liya ke vo kaun see moovhee thee. Us moovhee men ek do erotic bed scene bhee the. Men vo channel rakh'kar moovhee dekh'ne laga.
Urmi Didi bhee mere saath baaten kar'te kar'te moovhee dekh'ne lagee. Beech beech men vo mujhe moovhee ke baare men puchh rahee thee aur men utsaha se use kya ho raha hai ye bataa raha tha. Jaldee hee ek bed scene chaloo hua, jis'kee men raah dekh raha tha. Skreen'par hiro ne hiroin ka chumban lena chaloo kiya aur vo dekh'kar Urmi Didi bechain hone lagee.
Uskee bechainee mujhe toorant mahesoos hui lekin mene uskee taraph dhyaan nahee diya aur gaur se seen dekh'ne ka naatak kar'ne lag. Jaise hiro ne hiroin ke kapade nikaalana chaloo kiya vaise Urmi Didi kuchh jyaada hee bechain ho gayee.
"Sagar! channel badal!" us'ne bechainee se kaha.
"kyon, didee? Achchhee moovhee hai ye.."
"Ham!. Mujhe dikh rahee hai kit'nee achchhee moovhee hai ye. Jaldee badal de channel!" us'ne mujhe DaanT'te huye kaha.