बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

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rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:47



"हां क्यों नही... " रजनी ने उससे वाडा क्या, वो समझ रही थी आज
फिर उसे किसी के बारे मे कुछ जानने को मिलेगा.. पर उसे उमीद नही
थी की महक उससे खुद के बारे मे बात करेगी.

"आज कल मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा है." महक ने कहा.
उसे लगा की उसके सीने से ढेर सारा बोझ उत्तर गया. कुछ मिनिट तक
शांत रहने के बाद उसने रजनी को बताया की कैसे उसीके बेटे के
दोस्त ने उसे बहकाया और वो कैसे अपनी जिस्मानी कमज़ोरियों के आगे
बहकति चली गयी... राज कितना अक्चा प्रेमी है.. उसकी हर ज़रूरत
और इक्चा का कैसे ख़याल रखता थ....कैसे उसने उसे वो सब कुछ
सीखया और बताया जो उसका पति इतनी साल की शादी शुदा जिंदगी
मे भी नही सीखा पाया.

महक की बात सुनकर रजनी तो चौंक गयी उसे तो विश्वास ही नही हो
रहा था की.... महक जैसे सीधी और शादी शुदा औरत का अपने से
आधे उमरा के लड़के के साथ जिस्मानी संबंध.... ..वो सोचने लगी...
दोनो प्यार करते हुए कैसे लगते होगे... वो राज के बारे मे और जानना
चाहती थी... "मुझे सब कुछ बताओ.. कब कैसे और कहाँ ये सब
कुछ हुआ."

महक उसे शुरू से सब बताने लगी.. उसे एक एक बात खुल कर
बताई... फिर उसने बताया की किस तरह वो उसे गंदी गंदी बातें
कर उत्तेजित करता रहता है.

"जब वो तुमसे ऐसी बातें करता है तो क्या तुम्हे अक्चा लगता है?"
रजनी ने उसकी बात सुनकर पूछा.

"हां मुझे बहोत अछा लगता है.. कभी कभी तो उसकी बात सुनकर
में इतनी उत्तेजित हो जाती हून की क्या बतौन.' महक ने जवाब दिया.

"ऐसा क्या कहता है वो तुमसे..?" रजनी ने फिर पूछा.

"उसे मुझे छीनाल कहने मे बहोत मज़ा आता है.. कहता है की में
उसकी ब्यहता रॅंड हूँ... और सब बातों से में गरम हो जाती हून."

राज़ी महक की बाें सुनने मे वो सोफे पर थोड़ा आराम से बैठ गयी
थी और इतनी मशगूल थी की उसे पता ही नही चला की कब उसकी टाँगे
फैल गयी थी.. तभी महक ने उसे प्राची के बारे मे बताया.

"वो तो राज से भी बड़ी शैतान है.. वो बार बार मुझे छीनाल रांड़
बुलाती रही... में बता नही सकती की में कितना गरमा गयी थी..
उसकी नशीली आवाज़ सुनकर... फिर उसने मुझे उसकी चूत चूसने को
कहा जिसे मेने चूसा और मुझे बहोत अक्चा लगा..." महक ने
बताया.

रजनी को एक बार फिर विश्वास नही हुआ, "क्या तुमने उस लड़की की चूत
छाती और चूसी..?" रजनी ने पूछा. रजनी खुद कई बार ऐसा कर
चुकी थी लेकिन महक भी ऐसा कर सकती है इस बात पर उसे विश्वास
नही हुआ, "मेी विश्वास नही करती."

रजनी उसे सवाल किए जा रही थी और महक उसके जवाब दिए जा रही
थी.... तब उसने देखा की रजनी की टाँगे और फैल गयी.. उसकी नज़र
जांघों के बीच पड़ी तो वो चौंक पड़ी..... रजनी ने अंदर कोई
पनटी नही पहन रखी थी..... उसकी बिना बलों की चूत उसे सॉफ
दीखाई दे रही थी.

"रजनी तुमने अंदर पनटी नही पहन रखी है... सब दीखाई दे रहा
है." महक ने चौंकते हुए उससे कहा.

"में जब भी स्कर्ट पहनती हून तो अंदर पनटी नही पहनती...
लेकिन तुम मेरे स्कर्ट के अंदर झाँक कर क्या देख रही हो?" उसेन
महक को चिढ़ते हुए पूछा.

महक चोरी छुपे उसकी चूत को देख रही थी.. उसकी चोरी पकड़ी
गयी... उसने शर्मा कर अपनी नज़रे हटा ली.

"तुम सही मे छीनाल हो.. कोई मौका नही चूकती.." रजनी ने उसे फिर
चिढ़ते हुए कहा. महक की कहानी सुन राजनीन खुद गरमा गयी
थी.... उसने अपने आप को संभाला और मौका का फ़ायदा उठाने की
सोची...."महक क्या तुम मेरी चूत चूसना पसंद करोगी? कहकर वो
खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट उपर उठा उसे अपनी चूत दीखने लगी.

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:47


रजनी के पूछने की देर थी की महक की चूत मे जैसे करेंट लग
गया हो... वो बूकी नज़रों से रजनी की चूत को देखने लगी... उसके
मुँह मे लार तपाक पड़ी जैसे की बिल्ली को दूध देख कर टपकती है.

रजनी फिर सोफे पर बैठ गयी और उसने अपनी टाँगे पूरी तरह फैला
दी..... उसकी चूत की पंखुड़ियों मे हरकत हो रही थी.. महक
समझ गयी की रजनी भी उत्तेजित है.....उस्कि चूत फूल कर गुलाबी
हो गयी थी और उस मे से रस छूने लगा था.

"क्या सोच रही हो महक.... में जानती हून की तुम मेरी चूत
चूसना चाहती हो.... आओ मेरे पास आओ और मेरी चूत को चूसो."
रजनी ने कहा.

महक ने मुकुराते हुए अपना चेहरा जुहिकाया और उसकी चूत पर अपनी
जीब रख दी... उसकी चूत की महक प्राची की चूत से थोड़ी अलग
थी.. लेकिन उसे अची लगी..... वो अपनी जीब से उसे चाट कर उसका
स्वाद लेने लगी.... उसने उसकी पंखुड़ियों को मुँह मे लिया जो प्राची
से बड़ी थी... और जोरों से चूसने लगी... रजनी सिसकने लगी...
और वो भी उसे गंदी बातें करने लगी.

"शैतान औरत... चूस मेरी चूत को... चाट मेरे रस को... तुम
बहोत ही अची चूत चूस्ति हो."

शब्दों ने जैसे जाड़ो कर दिया हो... वो ज़ोर ज़ोर से रजनी की चूत
को चूसने लगी.... रजनी ने महक के ब्लाउस को खोल उसकी चुचियों
को आज़ाद कर दिया जिससे वो उनके साथ खेल सके......

"चूस हाआँ ऐसे ही चूस ...काश क्लब के और मेम्बेर आज यहाँ होते
और देखते की हमारी सीधी साधी महक कैसे मेरी चूत को चूस
रही है मेरे रस को पी रही है... तुम्हे चूत का रस अक्चा लगता
है ना?"

महक ने अपनी गर्दन को हिला कर रजनी को जवाब दिया.

रजनी को भी मज़ा आ रहा था.... वो महक के निपल को भींचने
लगी.... उसकी चूत पानी छोड़ने ही वाली थी लेकिन वो अपनी चूत
थोड़ी और देर चूसवाना चाहती थी.... वो उसकी जीब और मज़ा और
लेना चाहती थी..

"हां चूस और ज़ोर से चूस ऑश हां चूस और मेरी चूत का पानी
छुड़ा पी जा. तू सही मे रांड़ है." रजनी सिसक सिसक उसे उकसाने
लगी.

महक को मज़ा आ रहा था.. वो और तेज़ी से अपनी जीब को चलाने
लगी... उसकी चूत को मुँह मे ले चूसने लगी... उसे प्राची की चूत
से ज़्यादा रजनी की चूत चूसने मज़ा आ रहा था..

महक खुद गरम हो गयी थी.. उसकी चूत मे खुजली मच रही थी..
रजनी की चूत चोस्टे हुए उसने अपना हाथ नीचे किया और अपनी चूत
को मसालने लगी.. रजनी ने ये देखा तो बोली.

"रंडी साली अपनी चूत से खेल रही है.. पहले मेरी चूत को
चूस.. उसे जोरों से काट छीनाल."

रजनी ने जैसा कहा महक वैसे ही करने लगी.. रजनी की चूत
झड़ने ही वाली थी.. उसने जोरों से महक के निपल को भींचने
लगी.. तभी उसकी चूत ने पानी चोद दिया.... महक का मुँह उसके
पानी से भर गया... पानी चोद्ते हुए रजनी काँपने लगी....

"हां छीनाल हाआँ मेरी चूत पानी छोड रही है... पी जा सारा
पानी ऑश सब पी जा."


rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 14:01

बुझाए ना बुझे ये प्यास--18 लास्ट पार्ट

महक उसकी चूत को चूस्टी गयी.. चूस्ति गयी... आख़िर रजनी के
बदन की कपन बंद हो गयी... फिर वो उसकी चूत को चाट कर साफ
करने लगी.

रजनी को महक के साथ इस खेल मे मज़ा आ रहा था.. उसने थोड़ा और
आगे बढ़ने की सोची... और महक को अपनी चूत से हटा दिया.

"रंडी ज़रा अपने कपड़े खोल अपने बदन को तो दीखा?' रजनी ने जैसे
उसे हुकुम दिया.

महक को भी मज़ा आ रहा था और वो पूरी तरह गरमा चुकी थी...
जैसा रजनी ने कहा उसने वैसे ही किया ...वो अपनी चूत की गर्मी को
शांत करना चाहती थी... जब उसने अपने कपड़े उत्तर दिए तो रजनी ने
उसे सोफे पर लेटने को कहा... रजनी एक कुर्सी खींच कर उसके सामने
कुर्सी पर बैठ गयी.

"अपनी चूत मे उंगली डाल कर अपनी चूत को उंगली से चोदो.. में
देखना चाहती हूँ की पानी छोड़ती तुम्हारी चूत कैसी लगती है."
रजनी ने कहा.

"महक को भी खेल मे मज़ा आ रहा था... उसने जल्दी से अपनी तीन
उंगलियाँ अपनी पहले से गीली चूत मे घुसा दी... फिर उंगलियों को
अंदर बाहर करने लगी.. रजनी सामने बैठे सब देखती रही... वो
फिर उसे बातें करने लगी.

"छीनाल साली... मेरी चूत से अपने मुँह को भर कर अपनी चूत से
खेल रही है... छोड़ छोड़ अपनी चूत रंडी ... ये तो अछा है की
तुम्हारे पति को ये सब पता नही है... चल अब अपनी चूत का पानी
छुड़ा."

महक किसी रंडी की तरह रजनी की बातें सुन अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर
से उंगली अंदर बाहर करने लगी... उसे रजनी का इस तरह बात करना
अछा लग रहा था.... उसकी चूत उबाल खाने लगी.. अब वो भी रजनी
से वैसे ही बातें करने लगी...

"हां मुझे रंडी बनना अछा लगता है.. मुझसे किसी रंडी से बात
करती हो वियसे ही करो... मेरी चूत पानी छोड्णे वाली है... मुझे
रंडी कहो... बताओ में कैसी रंडी हूँ."

"तू बहोट बड़ी रंडी है. छोड दे पानी में तेरी चूत से बहते रस
को देखना चाहती हूँ." रजनी ने जवाब दिया.

इतना बहोत था.. महक का बदन ज़ोर से कांपा और उसकी चूत पानी
छोड़ने लगी... खुशी मे वो सिसक रही थी.... उसकी हालत देख रजनी
चौंक पड़ी थी... वो फटी आँखों से ये नज़ारा देखती रही.

जब महक का शरीर शांत हुआ तो रजनी कुर्सी पर से उठी और अपने
पेपर जो महक ने दिए थे उठा लिया और महक को चूमते हुए
बोली, "हम जल्दी ही आज से ज़्यादा वक्त निकाल ये सब फिर करेंगे.."
कहकर वो दरवाज़े की और बढ़ गयी.
तो दोस्तो कैसी लगी कहानी ज़रूर लिखिएगा

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