हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
उधर सीमा मैडम दरवाजे के बाहर खड़ी मेरे आने की राह देख रही थी. जब सीमा ने मुझे आते नहीं देखा तो वो अपने घर की छत पर युहीं आकर खड़ी हो गई. वो अब इधर उधर देखने लगी. सीमा जिस जगह खड़ी थी वहां से माया मैडम के पिछवाड़े वाला सर्वेंट क्वार्टर साफ़ दिखाई दे रहा था. तभी माया मैडम ने दरवाजे को थोडा सा खोल दिया जिससे कि थोड़ी हवा आने लग जाय. हम दोनों को बहुत गर्मी लग रही थी. इधर माया का दरवाजा खोलना हुआ और उधर सीमा का उसी दरवाजे की तरफ देखना हुआ. सीमा ने माया के नगे जिस्म की एक झलक देख ली. सीमा को ना जाने कैसे थोडा शक हो गया और वो तुरंत अपने घर से बाहर निकालकर माया के घर की तरफ आ गई. उसने बगीचे का दरवाजा खोला और दबे पाँव पिछवाड़े की तरफ आ गई. थोडा सा दरवाजा खुला और अन्दथानी हवा आने लगी. इससे माया मैडम को एक बार फिर थोडा नशा आ गया और उन्होंने मुझे फिर से लिपटा लिया. मैं भी उन्हें फिर से चूमने लगा. सीमा ने तभी दरवाज के ओट से अन्दर झांका और हम दोनों को इस हालत में देख लिया. मैं माया मैडम के नीचे था और वो मेरे ऊपर इसलिए मैं सीमा को नहीं देख पाया. सीमा और माया की अज्रें आपस में मिल गई. दोनों ने आपस में कोई इशारा किया और सीमा उस कमरे में आ गई. माया ने मेरी पकड़ ढीली की तब मुझे पता चला कि सीमा अन्दर आ चुकी है. मैं कुछ समझ पाटा सीमा ने अपने कपडे उतार दिए. माया ने मुझे गालों पर चूमा और बोली " अब सीमा तुम्हे अपना शिकार बनाएगी. आज तुम्हें बिलकुल आराम नहीं मिलने वाला." सीमा नीचे बैठ गई. उसने माया के स्तनों को चुमौर बोली " अब तो हट जाओ यार. अब मेरी बारी है." माया ने भी सीमा के गालों को चूमा और बोली " तुम्हें किसने रोका है? चलो शुरू हो आओ." सीमा ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मुझे अपने जिस्म का मसाज करने को कहा. मैंने सीमा के जिस्म की मसाज करना शुरू किया. माया मैडम भी हमारे पास ही बैठी थी. मुझे बहुत अटपटा लग रहा था. तभी माया मैडम ने थोड़ी थोड़ी देर से मुझे गालों पर चूमना शुरू कर दिया. सीमा ने आया की तरफ देखा और बोली " ये क्या बात हुई! मैंने कहा ना कि मेरी बारी है." माया ने हँसते हुए कहा " अगर ये अपना काम बराबर कर रहा है तो करने दो ना. तुम्हें मजा आ रहा है. इसे भी मजा आ रहा है और मुझे भी. सब चलने दो." सीमा मुस्कुराने लगी.
सीमा की पूरी मसाज करने के बाद माया ने एक और कंडोम निकला और मेरे लिंग पर चढ़ा दिया. फिर मुझे सीमा पर धकेलते हुए बोली चलो शुरू हो जाओ." सीमा ने मेरे लिंग को पकड़ा और अपने जननांग में धकेलते हुए बोली " अब तुम माया और मुझे बता दो कि तुममे इतनी ताकत है कि तुम हम दोनों का एक साथ शिकार बनने के काबिल हो." मैंने अपनी सारी ताकत लगा दी और सीमा के जननांग की आखिरी गहराई तक पहुंचा दिया. सीमा के गालों और होठों पर पसीने की बूंदें दिखने लगी. माया नीचे झुकी और मुझसे बोली " देखो इस गालों और होंठों पर कितनी नमी हो गई है. चलो. इसे चूम कर साफ़ करो." मैंने समा के गालों पर का पसीना चूम कर साफ़ किया. फिर माया ने मेरे मुंह को सीमा के मुंह की तरफ धकेला. सीमा ने अपने गीले और नाजुक होंठ खोल दिए. मैंने उन होंठों को भी चूमा. अब सीमा ने मुझे कहा " अब तुम थोड़ा और तेज करो. " मैंने थोडा जोर और लगाया ही था कि एक घन्टे के अन्दर दोबारा मेरा लिंग एक बार फिर गाढ़ा रस बहाने लगा. एक बार फिर कंडोम फैला और इस बार सीमा ने मुझे कसकर पकड़ा. उसे माया से भी ज्यादा गुदगुदी हुई थी. मैं और सीमा सब तरफ से एक दूजे से लिपट गए. मैंने देखा कि माया उठी और वो मेरे ऊपर लेट गई. सीमा थोडा उछली और कुछ ऐसा हुआ कि मैं टेढा लेट गया और सीमा और माया मेरे ओनों तरफ आ गई. माया ने मुझसे कहा " तुम्हें पता है थाईलैंड में इसे संद्विच मसाज कहा जाता है. हम दोनों तुम्हारा सैंडविच मसाज कर रही है. समझे तुम बुद्धू कहीं के." मैं इसके बाद अपने चुदै कोशिश करने लगा. सीमा ने मेरे लिंग को छोड़ दिया. माया ने मुझे अपनी तरफ किया और मुझे एक और कंडोम थमाते हुए कहा " चलो फिर से सुरु ओ जाओ." मुझे अब बिलकुल हिम्मत नहीं थी. लेकिन मेरी मज़बूरी थी. मैंने एक बार फिर माया के जननांग में अपना लिंग फंसाया. माया ने एक बार फिर मुझे कसकर पकड़ा और मुझे ऐसा लगा कि आज मेरा लिसमे से बाहर आ ही नहीं पायेगा और अगर आ गया तो एक बार सीमा उसे अपने अन्दर फंसा लेगी.
जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ. जैसे ही माया ने अपनी पकड़ ढीली कर मेरा लिंग अपने जननांग से बाहर निकलने दिया तो सीमा ने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी एक टांग ऊँची की और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़कर अपने पूरी तरह से गीले हो चुके जननांग के भीतर फंसा लिया. अब मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हैं. माया ने सीमा से कहा " अब इस बिचारे को थोडा ब्रेक दे देते हैं. नहीं तो ये बेहोश हो जाएगा." सीमा मां गई. उन दोनों ने मुझे सीधा लेटने को कहा. मेरी सांस बहुत तेज चल रही थी. सीमा और माया ने दोनों ने अपने नाजुक नाजुक हाथों से मेरे जिस्म पर हौले हौले मसाज आ शुरू किया. मुझे बहुर अच्छा लगा. करीब दस मिनट के मसाज के बाद मुझे अपनी कमजोरी कम लगने लगी. अब माया ने अपनी टांग ऊपर क मेरे लीं को पकड़कर अपने जननांग के अन्दर डाल दिया. इस तरह सीमा और माया ने अगले दो घंटों तक और मेरे लिंग को अपने अपने जननांगों के भीतर पांच पांच बार और डाला. अंत में उन दोनों ने मेरे होंठों को चूसा और मेरे हाथ में एक हजार रूपये रख दिए. मैं हर तरह से थका हारा अपने घर आ गया. उस दिन मैं क्लब नहीं जा पाया.
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यह दिन मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा मैंने नहीं सोचा था.मैं एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाऊंगा कि उससे निकलना नामुमकिन हो जाएगा ये भी मैंने नहीं सोचा था. दो दिन के बाद मुझे माया ने क्लब में टेबल के पास बुलाया. उस वक्त माया और सीमा के अलावा हीना ; गुलनार और चित्रा मदमें भी थी. माया ने मुझसे कहा " जॉनी ; हम जानती है तुम बहुत ही सीधे लड़के हो. मैं और सीमा तो तुम्हारी मदद कर ही रही है. अब हीना ; गुलनार औए चित्रा भी तुम्हारी मदद करने को तैयार हो गई है. तुम्हारा जीवन संवर जाएगा. " माया मैडम की इस बात से मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई.
दो दिन बाद सीमा ने क्लब में ही बने एक रेस्ट रूम में मुझे बुलाया और चित्रा के सामने खडा करते हुए बोली " चित्रा मैडम का पूरा ध्यान रखना." सीमा बाहर चली गई. चित्रा मदुरै की रहनेवाली थी. उनकी उम्र तो केवल तीस साल ही थी लेकिन जैसा कि दक्षिण भारत की महिलाओं का होता उनका भी जिस्म जबरदस्त भरा हुआ था. था मेरे कहने का मतलब हर जगह मांसलता झलक करा बाहर आ रही थी उनके होंठ थोड़े मोटे थे लेकिन थे बहुत ही ज्यादा रसवाले. सीना भी जबरदस्त चोडा. चित्रा मैडम ने मेरे सारे कपडे खुलवा लिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी. जैसे ही मैंने उन्हें ब्लाउज उतारने के बाद देखा तो मैं काँप उठा. उनका सीना मेरे अंदाज से भी कहीं ज्यादा उभरा हुआ और फैला हुआ था. एक एक स्तन एक बम के जैसा दिखाई दे रहा था कि इस बम से अब कोई नहीं बचने वाला. चित्रा ने मुझे अपने पेटीकोट के नाड़े को खोलने के लिए कहा. मैंने कांपते हाथों से नाडा खोल दिया. अब चित्रा का करीब करीब नब्बे फ़ीसदी नंगा जिस्म मेरे सामने था. उस रेस्ट रूम में सिर्फ इतनी जगह थी कि कोई एक अकेला ही वहां बिछे तीन फुट चौड़े सोफे पर लेट सकता था. बस इसके आवा और कोई जगह नहीं थी. वो कमरा चार फुट चोडा और सात फुट लम्बा था. चित्रा उस रेस्ट रूम के सोफे पर लेट गई. मैं उनके जिस्म की मसाज करने लगा. मुझे चित्रा मैडम का जिस्म बहुत गरम लग रहा था. उनकी सांसें भी गरम गरम थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग के पास बैठा हुआ हो. जैसे ही मैंने उनके सीने पर मसाज के लिए हाथ रखा तो मेरे हाथ उस गुदगुदे और उभरे हुए गोल गोल स्तन के स्पर्श से मेरे पसीने छुट गए. चित्रा को यह मसाज बहुत अच्छा लगा. अब चित्रा मैडम ने अपनी ब्रा उतार दी. अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई कि मैं किस तरह से अपने पर काबू रखूं. चित्रा मम के दोंन स्तन इतने बड़े थे कि मेरे दोनों हाथ मिलकर भी उनमे से एक को भी पूरा ढक नहीं पा रहे थे. चित्रा ने मुझे अचानक अपनी तरफ खीच लिया और मैं उन पर गिर गया. चित्रा ने मुझे अपने ऊपर अच्छी तरह से लिटा लिया. मैं चित्रा मैडम के गद्दे जैसे जिस्म पर लेट कर बड़ा अच्छा महसूस कर रहा था. अब मैंने चित्रा मैडम के कहे अनुसार उन्हें शुरू किया. सी तरह चित्रा मैडम भी मुझे चूमती रही. करीब दस मिनट क एबाद चित्रा ने मुझसे अपना जिस्म अगभाग हर जगह से चुमवाया और फिर मेरे हाथ में एक सौ रुपये का नोट रखा और मुझे छोड़ दिया.
जब मैं बहार आया रो माया मैडम ने मुझे देखा और बोली " कहाँ जा रहे हो. वापस रेस्ट रूम में जाओ. हीना भी आ रही है." तभी हीना मैडम उठी और मेरे साथ रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे अपने कपडे उतारने को कहा. मैंने हीना मैडम के एक एक कर सभिकप्दे उतार दिए केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर. हीना उस सोफे पर उलटा लेट गई. इसके बाद मैंने चित्रा मैडम की तरह उनके भी जिस्म का मसाज किया. हीना का जिस्म ठीक ठाक था. ना ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली. बस उनकी कमर जबरदस्त घुमावदार थी. इसके बाद हीना उठी और मुझे सोफे पर लेटने को कहा. फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने जिस्म को मेरे जिस्म से रगडने लगी. उसने इस मसाज का भी पूरा मजा लिया और फिर मुझे बिना अपना जिस्म चुम्वाये एक सुआ रूपये देकर बाहर जाने को कहा.
माँ ने मुझे कहा कि गुलनार को मुझे उसके घर छोड़ना है.
मैं गुलनार मैडम को लेकर माया मैडम की कार में उनके घर चल पडा. माया मैडम भी हमारे साथ थी लेकिन वो बीच रास्ते में किसी दुकान पर उतर गई. गुलनार मैडम ने बड़े तड़क भड़क कपडे पहन रखे थे. काले रंग की सलमा सितारों वाली कुर्ती और उसके नीचे काला लेकिन सफ़ेद छापा हुआ लहंगा. गुलनार मैडम ने होंठों पर गहरा बैंगनी रंग कि लिपस्टिक भी लगा रखी थी. वैसे मुझे सुरु से गुलनार मैडम सबसे ज्यादा पसंद थी. ये पसंद उनके अलग अलग रंग के गहरे शेड्स के लिपस्टिक की वजह से थी. मैं कार चलाते चलाते उनके बैंगनी होंठों को ही देख रहा था.
घर आते ही गुलनार मुझे अपने कमरे में ले गई. उनके कमरे से लग गया कि गुलनार बहुत रंगीन जाज की औरत है. कमरे में सभी खिड़की दरवाजों पर परदे टंगे हुए थे और तेज लाल बल्ब की रौशनी थी. इस रौशनी में गुलनार किसी गुलाब जामुन से कम नहीं लग रही थी. गुलनार ने अपना एक पैर उठाया और मुझे इशारा किया. मैंने उनका पैर पकड़ा और सामने की स्टूल पर रख दिया. अब गुलनार ने धीरे धीरे अपना लहंगा ऊपर उठाना शुरू किया. मैं उनके पैर देखकर दंग रह गया. मैंने आज तक इतना गोरा रंग किसी भी औरत का नहीं देखा था. सुर्ख गुलाबी और चमकदार गोरा रंग और लम्बी तराशी हुई टांगें. उतनी ही घुमावदार जांघें. किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. मैंने अब गुलनार मैडम की उस टांग का मसाज करना शुरू किया. मेरे हाथ फिसलने लगे अपने आप. ऐसा लगा जैसे किसी ने ढेर सारा क्रीम पहले से ही उस टांग पर लगा रखा हो. फिर गुलनार ने अपनी दूसरी तंग स्टूल पर रख दी. मेरे अर्मानाब मचलने लगे थे. गुलनार मैडम ने शायद यह सब भांप लिया. उसने कब दस मिनट तक अपनी टांगों का मसाज करवाया औए फिर मेरे हाथ में एक सौ रूपये रखे और बोली " बाकी माज कल करना. वैसे तुम मसाज बहुत ही अच्छा करते हो. माया ने ठीक ही कहा था." मैं सच कहता हूँ उस रात मैं बिलकुल नहीं सोया. मुझे रह रहकर गुलनार मैडम की टांगें दिखती रही.
अगले दिन जब मैं क्लब पहुंचा तो हीना के अलावा कोई भी आया हुआ नहीं था. हीना मुझे लेकर रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे धीमी आवाज में कहा " माया ने बता कि तुमने माया की भूख भी मिटाई है. आज सभी थोड़ी देर से आनेवाली है.तुम आज मेरी भी भूख मिटा दो ना ." मैं तुरंत तैयार हो गया., हीना ने पहले मेरे और फिर बाद में कहके सभी कपडे उत दिए. अब हम दोनों पूरी तरह से बिना कपड़ों में थे. हीना ने मुझे यहाँ हाँ चूमा और मेरा लिंग तुरंत कड़क होकर खडा हो गया. हीना ने तुरंत उस पर कंडोम लगा दिया और मुझे लेकर उस संकरे सोफे पर लेट गई. मैंने थोड़ा डरते डरते कि कहीं कोई आ ना जाए और हमें देख ना लें; अपना लिंग उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. हीना ने तुरंत अपने हाथ से मेर अलिंग पकड़ा और अपने जननांग में घुसेड दिया. कुछ ही संमे हम दोनों बादलों में उड़ने लगे. हीना ने मुझे बहुत तंग किया. मुझे पता था कि मुझे पूरे दिन क्लब में काम करना है लेकिन हीना मैडम मुझे बार बार जोर लगाने को कहती रही और मुझे मजबूरी में उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ी. हीना मैडम ने मुझे पूरे एक घंटे के बाद जब चोडा तब मेरे लिंग ने मेरा सारा रस उस कंडोम में छोड़ कर भर दिया था जो कि हीना मैडम के जननांग में दूर तक घुसा हुआ था और हीना मैडम ने अपनी टांगों को जोर से दबाकर मेरे लिंग को फंसा रखा था. मैं बहुत तडपा लेकिन हीना मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे तक तड़पाया और फिर बाद में मुझे छोड़ा. अब मेरी सारी ताकत ख़त्म हो चुकी थी.
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इस दिन के बाद मैं अगले दो दिन कब नहीं जा पाया. मुझे बुखार आ गया. मेरा सारा बदन टूट रहा थ. मैंने देहरादून से भागने का सोचा लेकिन फिर यह दिमाग में आते ही कि मैं अपनी मां को लेकर कहाँ कहाँ भटकुंगा और उसे क्या खिलाउंगा मैंने सारे इरादे छोड़ दिए और ये ठान ल्या कि अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा. मैं अपनी ताकत बढ़ाऊंगा और उन पांचो से ढेर सारा पैसा कमाऊँगा. अब मैंने उन से मिले हुए रुपयों से फल और दूध रोज लेने लगा. करीब एक सप्ताह के बाद जब मैं क्लब पौंचा तो मैं बहुत कुछ संभल चुका था. एक सप्ताह के इस खाने पीने ने मेरी ताकत थोड़ी सी ही सही लेकिन बढ़ा दी थी अब मैं उन पाँचों से मिलने को तैयार था और संभालने को भी तैयार था.
मैं जैसे ही क्लब पहुंचा वे पाँचों मुझे देख बहुत खुश हो गई. मेरा हाल चाल पूछा. जब मैंने खुलकर उन्हें सारी बात बताई तो माया ने मुझसे कहा " तुमने बहुत सही फैसला किया है जॉनी.. ये तुम जब हम पाँचों के लिए इतना कुछ सोच रहे हो तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है तुम्हारे लिए. ये लो पूरे एक हजार रुपये. ये हम तुम्हें हर महीने अलग से देंगे. इससे तुम अच्छी खुराक लेते रहना. " मैंने खुश होकर रुपये ले लिए. सीमा मैडम ने मुझे रेस्ट रूम में जाने का इशारा किया. मैं रेस्ट रूम में गया. तभी चित्रा मैडम भीतर आ गई. पहले ही दिन मुझे चित्रा मैडम का भरा हुआ जिस्म मिला. मैंने कंडोम लगाकर अपने लिंग को चित्रा मैडम के उस बड़े और ढीले दरवाजे वाले जननांग को करीब आधे घंटे तक अंतिम दूरी तक भेदा. चित्रा मैडम उस छोटे सोफे पर बड़ी मुश्किल से आ पाई थी लेकिन उसने मुझे ऐसा जकड़ा कि मुझे लगने लगा कि अब और कितनी दूर तक मेरा लिंग आगे जा सकता है. चित्रा मैडम ने मुझे सौ रुपये थमाए और मुझे चूमते हुए बोली " आज बहुत मजा आया जॉनी. अब जब कभी कर्नल बाहर जाएगा तो तुम आने के लिए तैयार रहना."
दूसरे दिन गुलनार मैडम मुझे ले माया मैडम के घर आई. मैंने देखा कि हीना मैडम पहले से ही वहां मौजूद थी. गुलनार और हीना मैडम मुझे माया मैडम के सर्वेंट क्वार्टर में आ गई. आज मैंने गुलनार मैडम का अंग अंग ध्यान से देखा. उस जैसी कोई दूसरी कहीं नहीं है. गुलनार से पता चला उनके पति सेक्स में बिलकुल ही रूचि नहीं लेते हैं. आज गुलनार मैडम ने जब अपने सारे कपडे उतार दिए तो मैं और हीना मैडम दोनों उन्हें निहारने लग गए. हीना मैडम खुद केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. हीना ने मुझे गुलानर को मसाज के लिए कहा. मैंने पूरे तन मन से गुलनार के जिस्म पर मसाज करना आरम्भ किया. गुलनार मैडम का सारा जिस्म फिसल रहा था. हीना मैडम ने भी मेरे साथ गुलनार मैडम के जिस्म पर मसाज किया. गुलनार मैडम के मुंह से आहें निकलने लगी थी. हीना मैडम ने गुलनार मदम के गालोपर एक चुम्बन दिया. गुलनार तड़प उठी. गुलनार मैडम ने हीना मैडम के गाल चूमे. हीना मैडम ने मुझे गुलनार मैडम के ऊपर लेटने को कहा और वो गुलनार के गालों और गरदन के नीचे छोटे छोटे चुम्बन देने लगी. गुलनार मैडम लगातार तड़प रही थी. मैंने हीना मदम के इशाए से अपने लिंग पर कंडोम चढ़ा लिया. हीना ने गुलनार के होठों पर एक नाजुक सा चुम्बन दिया और मुझे अपना लिंग उसकी टांगों के बीच ले जाने को कहा. गुलनार मैडम का अंग इतना फिसलन भरा था कि मुझे एकही टच में गर्मी आ गई. गुलनार मैडम ने मुहे कसकर पकड़ लिया. हीना मैडम ने अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग की तरफ बढ़ाया. गुलनार मैडम का गला सूखने लगा था. हीना मैडम ने उन्हें पानी पिलाया. जब गुलनार वापस लेटने लगी तो हीना ने गुलनार की टांगें फैला दी. मैंने और हीना ने उनके गुप्तांग और जननांग को देखा. एकदम साफ़ सुथा शावे किया हुआ. गुलाबी गुलाबी चमड़ी जो चिकनी ही और चमक रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आगे बढाकर अपने हाथ से उसे छुआ. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मखमल का कपड़ा छु लिया हो. हीना ने मेरा हाथ वहाँ से हटाया और अपने होंठों से गुलनार माम के गुप्तांग को चूम लिया. मेरे मुंह से एक आह निकल गई. मेरे बदन में बिजली सी फ़ैल गई. मैंने भी अपना मुंह आगे किया और गुलनार मैडम के गुप्तांग पर अपने होंठों से एक चुम्बन रख दिया. गुलनार ने मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. अब हीना मैडम ने मेरे लंग को पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग के अन्दर ठूंस दिया और मेरे कमर पर अपने हाथों से जोर लगाने लगी. थोडा सा समय लगा लेकिन मेरा लिंग गुलनार के मलाईदार जननांग के भीतर पहुँच गया. मैंने गुलनार के गुलाब जननांग को आधे घंटे के बेरोक मेहनत से पूरा गहरा लाल कर दिया.
गुलनार मैडम के हटते ही हीना मैडम लेट गई. हीना मैडम ने अपने आप ही मेरा लिंग पकड़ा और तुरंत ही जोर लगाकर और दबाकर अपने जननांग में एकदम गहराई तक घुसा दिया. मैंने हीना मैडम की इच्छा के हिसाब से करीब आधा घंटा अपना लिंग उनके जननांग में ही घुसाए रखा और रुक रुक कर अन्दर बाहर करता रहा. उस छोटे क्वार्टर में हम तीनों काफी करीब करीब केते हुए थे. हीना मैडम की जब प्यास बुझ गई तो मैं खडा हो गया. अब उन दोनों ने भी कपडे पहन लिए. सीमा मैडम ने एक आवाज माया मैडम को दी. माया भी अन्दर आ गई. वो कमरा था सात फुट चौड़ा और आठ फुट लंबा और उसमे चार फुट चौड़ा और सात फुट लंबा पलंग बिछा हुआ था. उस पर मारे अलावा माया ; हीना और गुलनार मैडम भी आ गई थी. वो अब एक अच्छा खासा मसाज पार्लर लग रहा था. अब माया मैडम की बारी थी. हीना और गुलनार कपडे पहनकर बाहर चली गई.
अब माया मैडम ने मुझे पकड़ लिया. मैं थोडा थक गया था और इसका पूरा फायदा माया मैडम उठा रही थी. वो अब मेरे ऊपर बैठ गई. मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसाया और खुद ही अपने पैरों के बल ऊपर नीचे होकर मेरे ली को जानांग से अन्दर बाहर करने लगी. मुझे माया मैडम का यह अंदाज बहुत पसंद आया. माया मैडम ने पूरे आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक इसी अंदाज में मेरे साथ मजा किया. जब मैंने माया मैडम के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए तो माया मैडम मेरे ऊपर से उठ गई. तीनों ने मुझे रूपये दिए औरन अपनी ड्यूटी पर क्लब आ गया.