सबाना और ताजीन की चुदाई compleet
Re: सबाना और ताजीन की चुदाई
अगले दिन शबाना और ताज़ीन नाश्ते के बाद बातें करने लगे. "भाभी सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया कल रात" "मुझे भी" "लेकिन अगर असली चीज़ मिलती तो शायद और भी मज़ा आता" "क्यों दीदी, जीजाजी को बुलायें ?" आँख मारते हुए कहा शबाना ने. "उनको छ्चोड़ो, उन्हें तो महीने में एक बार जोश आता है और वो भी मेरे ठंडे होने से पहले बह जाता है. और जहाँ तक में परवेज़ को जानती हूँ, वो किसी औरत को खुश नहीं कर सकता. तुमने भी तो इंतज़ाम किया होगा अपने लिए" यह सुनकर शबाना चौंक गई, लेकिन कुच्छ कहा नहीं.
ताज़ीन ने चुप्पी तोड़ी "भाभी, अगर आपकी पहचान का कोई है तो उसे बुलाए ना." सुनकर शबाना मन ही मन खुश हो गई. "ठीक है में बुलाती हूँ, लेकिन तुम छुप कर देखना फिर मौका देख कर आ जाना"
शबाना के दरवाज़ा खोलते ही प्रताप उसपर टूट पड़ा. उसने शबाना को गोद में उठाया और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसे बिस्तर पर ले गया. शबाना ने सिर्फ़ गाउन पहन रखा था. वो प्रताप का ही इंतेज़ार रही थी और पिच्छले पंद्रह दिनों से सेक्स ना करने की वजह से जल्दी में भी थी..चुदाई करवाने की जल्दी.
प्रताप ने उसे बिस्तर पर लिटाया और सीधे उसके गाउन में घुस गया, नीचे से. अब शबाना आहें भर रही थी..उसकी चूत पर जैसे चींटियाँ चल रही हो...उसे अपना गाउन उठा हुआ दिख रहा था और वो प्रताप के सर और हाथों के हिसाब से उपर नीचे हो रहा था. प्रताप ने उसकी चूत को अपने मुँह में दबा रखा था और उसकी जीभ ने जैसे शबाना की चूत में घमासान मचा दिया था. एकाएक शाना की गंद ऊपर उठ गई, और उसने अपने गाउन को खींचा और अपने सर पर से उसे निकाल कर फर्श पर फेंक दिया. उसके पैर अब भी बेड से नीच लटक रहे थे और प्रताप बेड से नीचे बैठा हुआ उसकी चूत खा रहा था... शबाना उठा कर बैठ गई और प्रताप ने अब उसकी चूत में उंगली घुसाइ - जैसे वो शबाना की चूत को खाली रहने ही नहीं देना चाहता था. और शबाना के मम्मों को बेतहसह चूमने और चूसने लगा. शबाना की आँखें बंद थी और वो मज़े ले रही थी..उसकी गंद रह रह कर हिल जाती जैसे प्रताप की उंगली को अपनी चूत से खा जाना चाहती थी.
फिर उसने प्रताप के मुँह को उपर उठाया और अपने होंठ प्रताप के होंठों पर रख दिए. उसे प्रताप के मुँह का स्वाद बहोत अच्छा लग रहा था. उसकी जीभ को अपने मुँह में दबाकर वो उसे चूसे जा रही थी. प्रताप खड़ा हो गया. अब शबाना की बारी थी, उसने बेड पर बैठे हुए ही प्रताप की बेल्ट उतारी, प्रताप की पॅंट पर उसके लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. शबाना ने उस उभार को मुँह में ले लिया और पॅंट की हुक खोल दी, फिर जैसे ही ज़िप खोली प्रताप की पॅंट सीधे ज़मीन पर आ गिरी जिसे प्रताप ने अपने पैरों से निकाल कर दूर धकेल दिया. प्रताप ने वी कट वाली अंडरवेर पहन रखी थी. शबाना ने अंडरवेर नहीं निकाली, उसने प्रताप की अंडरवेर के साइड में से अंदर हाथ डाल कर उसके लंड को अंडरवेर के बाहर खींच लिया. फिर उसने हमेशा की तरह अपनी आँखें बंद की और लंड को अपने चेहरे पर सब जगह घुमाया फिराया और उसे अच्छि तरह अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगी. उसे प्रताप के लंड की महक मादक कर रही थी और वो मदहोश हुए जा रही थी. उसके चेहरे पर सब जगह प्रताप के लंड से निकल रहा "प्रेकुं" (पानी) लग रहा था. शबाना को ऐसा करना अच्च्छा लगता था. फिर उसने अपना मुँह खोला और लंड को अंदर ले लिया. फिर बाहर निकाला और अपने चेहरे पर एकबार फिर उसे घुमाया. शबाना ने अपने मुँह में काफ़ी थूक भर लिया था, और फिर उसने लंड के सुपरे पर से चमड़ी पीछे की और उसे मुँह में ले लिया. प्रताप का लंड शबाना के मुँह में था और शबाना अपनी जीभ में लपेट लपेट कर उसे चूसे जा रही थी...ऊपर से नीचे तक, सुपरे से जड़ तक..उसके होंठों से लेकर गले तक सिर्फ़ एक ही चीज़ थी, लंड. और वो मस्त हो चुकी थी..उसके एक हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत पर थिरक रही थी और दूसरा हाथ प्रताप के लंड को पकड़ कर उसे मुँह में खींच रहा था. फिर शबाना ने प्रताप की गोटियों को खींचा, जो कि अंदर घुस गई थी एक्सेयैटमेंट की वजह से. आह गोतिया बाहर आ गई थी और शबाना ने अपने मुँह से लंड को निकाला और उसे ऊपर कर दिया. फिर प्रताप की गोटियों को मुँह में लिया और बेतहाशा चूसने लगी. प्रताप की सिसकारिया पूरे कमरे में गूँज रही थी और अब उसके लंड को घुसना था, शबाना की चूत में. दोस्तो कैसी लग रही है कहानी आप सबको ज़रूर बताना आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी अगले पार्ट ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा क्रमशः................
Re: सबाना और ताजीन की चुदाई
सबाना और ताजीन की चुदाई -3
गतान्क से आगे............
उसने अब शबाना का मुँह अपने लंड पर से हटाया और उसे बेड पर लिटा दिया. फिर उसने शबाना के दोनों पैरों को पकड़ा और ऊपर उठा दिया. अब प्रताप ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ कर फैलाया और उठा दिया. अब प्रताप का लंड उसकी चूत पर था और धीरे धीरे अपनी जगह बना रहा था. शबाना ने अपनी आँखें बंद की और लेट गई..यही अंदाज़ था उसका. आराम से लेटो और सेक्स मा मज़ा लो - जन्नत की सैर करो - लंड को खा जाओ - अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए लंड को अच्छि तरह महसूस करो - कुच्छ मत सोचो, दुनिया भुला दो - कुच्छ रहे दिमाग़ में तो सिर्फ़ सेक्स, लंड, चूत - और जोरदार ज़बरदस्त चुदाई. प्रताप की सबसे अच्छि बात यह थी कि वो जानता था कि कौनसी औरत कैसे चुदाई करवाना पसंद करती है..और उसके पास वो सबकुच्छ था जो किसी भी औरत को खुश कर सकता था.
अब उसकी चूत में लंड घुस चुका था. प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी. बिल्कुल धीरे धीरे. कुच्छ इस तरह की लंड की हर हरकत शबाना अच्छि तरह महसूस कर सके. लंड उसकी चूत के आखरी सिरे तक जाता और बहोत धीरे धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता. जैसे की वो चूत में सैर कर रहा हो. हल्के हल्के धीरे धीरे. प्रताप को शबाना की चूत के भीतर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था. चूत का पानी, उसके भीतर की नर्म, मुलायम मांसपेशियाँ. और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किए मज़े लूट रही थी, उसकी गंद ने भी अब ऊपर उठाना शुरू कर दिया था. यानी की अब शबाना को रफ़्तार चाहिए थी और अब प्रताप को अपनी स्पीड बढ़ाते जानी थी..और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लंड को अपने रस में नहीं डूबा दे. प्रताप ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था. शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी, उसके पैर सीधे हो रहे थे और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गंद उठा दी. इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था. जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गंद उठा देती थी, जैसे वो लंड को खा जाना चाहती हो फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गंद पटक देती. आज भी ऐसा ही हुआ...शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी. उसकी चूत पानी छ्चोड़ चुकी थी. प्रताप को पता था, शबाना को पूरा मज़ा देने के लिए अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत में अडेलना होगा..यानी अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लंड के पानी में भिगो देना होगा, शबाना की चूत को.
प्रताप ने अपना लंड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया, नीचे बैठ कर उसने शबाना की टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा. तभी प्रताप को अपने लंड पर गीलापन महसूस हुआ जैसे किसीने उसके लंड को मुँह में ले लिया हो. उसने चौंक कर नीचे देखा, जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गई थी और उसने प्रताप का लंड मुँह में ले लिया था. ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुच्छ नहीं पहन रखा था. प्रताप को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था. शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी "आज तुम्हें इसे भी खुश करना है प्रताप, यह मेरी ननद है ताज़ीन".
गतान्क से आगे............
उसने अब शबाना का मुँह अपने लंड पर से हटाया और उसे बेड पर लिटा दिया. फिर उसने शबाना के दोनों पैरों को पकड़ा और ऊपर उठा दिया. अब प्रताप ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ कर फैलाया और उठा दिया. अब प्रताप का लंड उसकी चूत पर था और धीरे धीरे अपनी जगह बना रहा था. शबाना ने अपनी आँखें बंद की और लेट गई..यही अंदाज़ था उसका. आराम से लेटो और सेक्स मा मज़ा लो - जन्नत की सैर करो - लंड को खा जाओ - अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए लंड को अच्छि तरह महसूस करो - कुच्छ मत सोचो, दुनिया भुला दो - कुच्छ रहे दिमाग़ में तो सिर्फ़ सेक्स, लंड, चूत - और जोरदार ज़बरदस्त चुदाई. प्रताप की सबसे अच्छि बात यह थी कि वो जानता था कि कौनसी औरत कैसे चुदाई करवाना पसंद करती है..और उसके पास वो सबकुच्छ था जो किसी भी औरत को खुश कर सकता था.
अब उसकी चूत में लंड घुस चुका था. प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी. बिल्कुल धीरे धीरे. कुच्छ इस तरह की लंड की हर हरकत शबाना अच्छि तरह महसूस कर सके. लंड उसकी चूत के आखरी सिरे तक जाता और बहोत धीरे धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता. जैसे की वो चूत में सैर कर रहा हो. हल्के हल्के धीरे धीरे. प्रताप को शबाना की चूत के भीतर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था. चूत का पानी, उसके भीतर की नर्म, मुलायम मांसपेशियाँ. और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किए मज़े लूट रही थी, उसकी गंद ने भी अब ऊपर उठाना शुरू कर दिया था. यानी की अब शबाना को रफ़्तार चाहिए थी और अब प्रताप को अपनी स्पीड बढ़ाते जानी थी..और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लंड को अपने रस में नहीं डूबा दे. प्रताप ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था. शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी, उसके पैर सीधे हो रहे थे और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गंद उठा दी. इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था. जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गंद उठा देती थी, जैसे वो लंड को खा जाना चाहती हो फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गंद पटक देती. आज भी ऐसा ही हुआ...शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी. उसकी चूत पानी छ्चोड़ चुकी थी. प्रताप को पता था, शबाना को पूरा मज़ा देने के लिए अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत में अडेलना होगा..यानी अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लंड के पानी में भिगो देना होगा, शबाना की चूत को.
प्रताप ने अपना लंड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया, नीचे बैठ कर उसने शबाना की टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा. तभी प्रताप को अपने लंड पर गीलापन महसूस हुआ जैसे किसीने उसके लंड को मुँह में ले लिया हो. उसने चौंक कर नीचे देखा, जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गई थी और उसने प्रताप का लंड मुँह में ले लिया था. ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुच्छ नहीं पहन रखा था. प्रताप को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था. शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी "आज तुम्हें इसे भी खुश करना है प्रताप, यह मेरी ननद है ताज़ीन".
Re: सबाना और ताजीन की चुदाई
अब तक प्रताप भी संभाल चुका था और ताज़ीन को गौर से देख रहा था. शबाना जितनी खूबसूरत नहीं थी, मगर अच्छि थी. उसका शरीर थोड़ा ज़्यादा भरा हुआ. उसके मम्मे छ्होटे लेकिन शानदार थे. एकदम गुलाबी चूचियाँ. गंद एकदम भरी हुई और चौड़ी थी. उसके घुंघराले बाल कंधों से थोड़े नीचे तक आ रहे थे, जिन्हें उसने एक बकल में बाँध कर रखा था. प्रताप अब भी ज़मीन पर बैठा था और उसका लंड ताज़ीन के मुँह में था. प्रताप अब तक सिर्फ़ लेटा हुआ था और जो कुच्छ भी हो रहा था ताज़ीन कर रही थी. वो शबाना के बिल्कुल उलट थी - उसके मज़े लेने का मतलब था "मर्द को चोद कर रख दो". कुच्छ वैसा ही हो रहा था प्रताप के साथ. ताज़ीन जैसे उसका बलात्कार कर रही थी.
तभी ताज़ीन ने उसे धक्का दिया और उसे ज़मीन पर लिटा कर उसके ऊपर आ गई. अपने हाथों से उसने प्रताप के लंड को पकड़ा और अपनी चूत में घुसा लिया. वो प्रताप के ऊपर चढ़ बैठी. अब वो ज़ोर ज़ोर से प्रताप के लंड पर उच्छल रही थी. उसके मम्मे किसी रब्बर की गैन्द की तरह प्रताप की आँखों के सामने लहरा रहे थे. फिर ताज़ीन झुकी और उसने प्रताप के मुँह को चूमना शुरू कर दिया. प्रताप के लंड को अपनी चूत में दबाए वो अब भी बुरी तरह उसे चोदे जा रही थी. फिर अचानक वो उठी और प्रताप के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत प्रताप के मुँह पर रगड़ने लगी जैसे की प्रताप के मुँह में खाना ठूंस रही हो, अब तक प्रताप भी संभाल चुका था. उसने ताज़ीन को उठाया और वहीं ज़मीन पर गिरा लिया - और उसकी चूत में उंगली घुसा कर उसपर अपना मुँह रख दिया. अब प्रताप की जीभ और उंगली ताज़ीन की चूत को बहाल कर रही थी. ताज़ीन भी मस्त होने लगी थी उसने प्रताप के बालों को पकड़ा और ज़ोर से उसे अपनी चूत में घुसाने लगी, साथ ही अपनी गंद भी पूरी उठा दी. प्रताप ने अब अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल ली. ताज़ीन की चूत के पानी से भीगी हुई उस उंगली को उसने ताज़ीन की गंद में घुसा दिया. ताज़ीन को तेज़ दर्द हुआ, पहली बार उसकी गंद में कोई चीज़ घुसी थी.
अब प्रताप ने अपनी उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और चूत को चूसना जारी रखा. फिर उसने ताज़ीन की चूत को छ्चोड़ दिया और सिर्फ़ गंद में तेज़ी के साथ उंगली चलाने लगा. अब गंद थोड़ी खुल चुकी थी और ताज़ीन भी चुपचाप लेटी थी. फिर ताज़ीन ने उसके हाथ को एक झटके से हटाया और उठ कर प्रताप को बेड पर खींच लिया. प्रताप ने उसकी दोनों टाँगें फैला दी और उसकी चूत में लंड डाल दिया जैसे ही लंड अंदर घुसा ताज़ीन ने प्रताप को कसकर पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, प्रताप ने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए. तभी ताज़ीन ने प्रताप को एक झटके से नीचे गिरा लिया और उसपर चढ़ बैठी. इस बार उसका एक पैर बेड पर था और दूसरा ज़मीन पर. और दोनों पैरों के बीच उसकी चूत ने प्रताप के लंड को जाकड़ रखा था. फिर वो प्रताप से लिपट गई और ज़ोर ज़ोर से प्रताप की चुदाई करने लगी...और फिर उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी, वो झड़ने वाली थी. और प्रताप भी नीचे से अपना लंड उसकी चूत में धकेल रहा था. तभी प्रताप के लंड का फव्वारा छ्छूट गया और उसने अपने पानी से ताज़ीन की चूत को भर दिया - उधर ताज़ीन भी शांत हो चुकी थी. उसकी चूत भी प्रताप के लंड को नहला चुकी थी.