जुली को मिल गई मूली—5
गतान्क से आगे……………………………..
हम ने जब तक अपनी वाइन ख़तम की तब तक रात के 2 बज चुके थे. हालाँकि अब भी मेरी चूत मे हल्का हल्का दर्द था पर मैं अब अच्छा महसूस कर रही थी. चाचा ने कहा " जूली, मुझे लगता है कि कल तुम को स्कूल नही जाना चाहिए. अगर कल आराम करोगी तो दोपहर तक एक दम ठीक हो जाओगी. कल सिर दर्द का बहाना कर के अपनी मा से कह देना कि स्कूल नही जाओगी. मैं भी कल घर पर ही हूँ. क्या तुम चुदाई के बारे मे कुछ और सीखना चाहोगी?"
मैने कहा " हां, पर बहुत रात हो चुकी है."
चाचा बोले " कोई बात नही. थोड़ी सी देर लगेगी."
मैने कहा " ओके."
चाचा - " क्या तुम मेरा नरम लंड चूसना चाहोगी.??
मैं - ' हां. लेकिन मैं अभी दूसरी बार चुद्ने के लिए तय्यार नही हूँ"
चाचा - " नही, मैं और नही चोदुन्गा तुम को. मैं तो तुम को कुछ दिखाना चाहता हूँ. आओ और मेरे मुलायम लंड को अपने मुँह मे ले कर फ़र्क महसूस करो"
मैं आगे आई और चाचा का नरम और मुलायम लंड अपने मुँह मे डाला. मुझे उनका नरम लंड बहुत अच्छा लगा. नरम लंड की सबसे अच्छी बात ये थी कि मैने पूरे का पूरा लंड अपने मुँह मे ले लिया और उसको आइस क्रीम के जैसे चूसने लगी. तुरंत ही मैने महसूस किया कि चाचा का नरम लंड बड़ा होता जा रहा है जैसे उसमे हवा भरी जा रही हो. उनका लंड बड़ा और कड़क होता चला गया. जल्दी ही चाचा का लंड वैसा खड़ा हो गया जैसे लंड ने मुझे चोदा था. लंबा, बड़ा, मोटा और कड़क. जैसे जैसे उनका लंड बड़ा होता गया, मेरे मुँह से बाहर निकलता चला गया और अब मेरे मुँह मे सिर्फ़ उनके मोटे लंड का मुँह ही रह गया था जिस को मैं चूस रही थी. चाचा को मेरी लंड चुसाइ मे मज़ा आने लगा और वो मुझे और ज़ोर से चूसने को कहने लगे. मैने वैसा ही किया. फिर उन्होने मुझे लंड चूसने का सही तरीका बताया.
उन्होने अपने लंड के मुँह की चॅम्डी नीचे करके लंड के मुँह को बाहर निकाला, मेरे मुँह मे दिया और मुझे लंड को नीचे से पकड़ कर मूठ मारने को कहा. मैं उनके लंड का आगे का भाग चूस रही थी और नीचे के भाग को टाइट पकड़ कर उपर नीचे करते हुए मूठ मार रही थी. चाचा के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी. मैं उनका लंड चूसने के साथ ही साथ मूठ भी मारती जा रही थी और मैने महसूस किया कि उनका पहले से मोटा लंड और भी मोटा और पहले से लंबा लंड और भी लंबा हो गया है.
वो बोले " ओके, जूली, क्या तुम मेरे लंड का स्वदिस्त रस पीना चाहती हो? तुम ने ज़रूर अपनी मा को पापा के लंड का रस पीते हुए देखा होगा कभी."
चाचा सही कह रहे थे. मैने कई बार अपनी मा को ऐसा करते हुए देखा था. मैने उनका लंड चूस्ते हुए और मूठ मारते हुए अपनी गर्दन "हां" मे हिलाई. मैं भी मर्द के लंड का रस चखना चाहती थी.
चाचा ने मुझे रुकने को कहा. अब उन्होने अपना लंड खुद के हाथ मे ले लिया था. वो अपना लंड पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से आगे - पीछे, उपर - नीचे करने लगे. मेरा मुँह अभी भी उनके हिलते हुए लंड के पास था. चाचा की पकड़ उनके खुद के लंड पर ज़ोर की थी और वो बहुत तेज़ी से अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मार रहे थे जैसे कि कोई मशीन हो. वो अपनी मूठ मारने की स्पीड बढ़ाते गये, लंड को आगे-पीछे करते गये और फिर वो बोले" अपना मुँह खोलो बेबी. रस निकलने वाला है......... ओह....... आ......... ऊओह ........... ऊओह........ "
मेरा मुँह खुला हुआ था और मैं इंतेज़ार कर रही थी कि अचानक....... उनके लंड से सफेद धार निकली और मेरा मुँह भर गया. मैने अपना मुँह बंद किया और उनके लंड रस को पी गयी. मुझे वो बहुत अच्छा लगा. थोड़ा सा नमकीन सा था. उनके लंड से लगातार रस की धार निकलती जा रही थी और मेरी चुचियों पर गिरने लगी. उनका लंड रस निकालते हुए नाच रहा था. उनके लंड का कुछ रस उनके अपने हाथ पर भी लगा था. जब उन्होने अपने लंड पर से अपना हाथ हटाया तो मैने उनके हाथ को चाट कर सॉफ कर्दिया. उन्होने भी मेरी चुचियों पर लगा खुद का रस चाट कर साफ किया.
मैने अपने चाचा की आँखों मे पूरी तरह सन्तुस्ति के भाव देखे. मैं खड़ी हो कर फिर बाथरूम की तरफ बढ़ी अपने आप को सॉफ करने के लिए. मेरा दर्द अब काफ़ी कम हो गया था. मैने अपना बदन पानी से सॉफ किया और उसको पोन्छते हुए बाथरूम से बाहर आई. मैं बहुत धीरे धीरे चल रही थी क्यों कि वाइन मे डूबी कॉटन अभी भी मेरी चूत मे थी. फिर मेरे चाचा ने मुझे कपड़े पहनने से मना करते हुए बाथरूम गये और जब वापस आए तो उनके हाथ मे एक ट्यूब थी. वो मेरे पैरों के बीच मे बैठे और उनको चौड़ा किया. क्या चाचा फिर से चोद्ने जा रहें है मुझे, मैने सोचा. मैने कहा " चाचा. और नही आज. दर्द हो रहा है.
चाचा - "नही डार्लिंग, मैं चोद नही रहा हूँ. मैं कल भी नही चोदुन्गा तुझे. आज के लिए काफ़ी चुदाई हो गई तुम्हारी. अब जब तुम्हारी चूत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब चुदाई करेंगे. अभी तो मैं दवा लगा रहा हूँ तुम्हारी चूत मे ताकि तुम फिर से चुदाई के लिए दो तीन दिन मे तय्यार हो जाओ. फिर तुमको कोई दर्द नही होगा और सिर्फ़ मज़ा आएगा चुदाई का."
फिर उन्होने मेरी चूत से वाइन का कॉटन निकाल लिया और अपनी उंगली से धीरे धीरे मेरी चूत मे दवा लगाने लगे. उन्होने अपने हाथों से मेरी चूत पर हल्की सी मालिश की. अपनी उंगली मेरी चूत के होल मे डाल कर अंदर तक दवा लगाई. फिर उन्होने मेरी मदद की मेरे कपड़े पह्न ने मे. उन्होने अपने कपड़े भी पहने और कहा" आओ डार्लिंग. मैं तुम्हे तुम्हारे बिस्तर तक पहुँचा दूं." फिर पहले की तरह उन्होने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और मुझे मेरे बेडरूम मे ले आए. वो मेरे कान मे बोले " स्वीट ड्रीम्स बेबी! सुबह मिलते है. कल स्कूल मत जाना" फिर उन्होने मेरा चुंबन लिया और मेरे बेडरूम का दरवाजा बंद करते हुए अपने बेडरूम मे चले गये. मेरी चूत का दर्द काफ़ी कम, ना के बराबर था अब.
फिर ये सोचते हुए ना जाने कब मेरी आँख लग गई कि आज मैने अपने चाचा से अपनी चूत की चमत्कारिक चुदाई करवा के अपनी चूत की चटनी बनवाई है. वाह मेरी चूत चोदु चाचा.
मैं अपनी नॉर्मल लाइफ एंजाय कर रही थी और साथ ही साथ अपनी सीक्रेट चुदाई की लाइफ भी एंजाय कर रही थी अपने चाचा के साथ. मेरी चुदाई चाचा के साथ बिना किसी को पता चले आराम से चल रही थी. अभी भी, जब भी मौका मिलता है, मैं अपने मा - बाप को चुदाई करते हुए ज़रूर देखती थी और चुदाई मेरे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बन गयी थी.
मैने अपने चाचा से चुदाई के बारे मे बहुत कुछ या यूँ कहिए कि सब कुछ जान लिया था और मैं अपने आप को अब चुदाई की एक्सपर्ट समझती हूँ.
मेरे बदन मे अब तेज़ी से परिवर्तन होने लगे थे और मेरा बदन बहुत सुंदर हो चला था. पता नही इसके पीछे क्या कारण था, मेरी लगातार चुदाई या मेरी जवानी की तरफ बढ़ती उमर. मैं एक पूरी जवान लड़की लगने लगी थी अपनी 16/17 साल की उमर मे. मैं बहुत ही खूबसूरत हो गई थी और मेरे बदन का नाप ऐसा हो गया जो हर लड़की का सपना होता है. मैं जानती थी कि दूसरी लड़कियाँ मेरा सुंदर चेहरा और कटीला बदन देख कर मुझ से जलती थी. मेरी चुचियाँ कोई बहुत बड़ी नही थी लेकिन गोल गोल थी और कड़क थी जो किसी भी मर्द को आकर्षित कर लेती है. मेरी गोल गोल गंद बहुत अच्छे शेप मे विकसित हुई थी और जब मैं चलती हूँ तो बहुत ही सेक्सी अंदाज़ मे मटकती और हिलती है.
मैं यहाँ लिखना चाहूँगी कि मेरे चाचा और मैने चुदाई का कोई भी मौका कभी भी नही छ्चोड़ा था. जब भी मौका मिलता था हम ज़रूर चुदाई करते थे. कई बार तो हम ने फटाफट चुदाई भी की है जब दूसरा कोई आस पास हो या दूसरे कमरे मे हो. ऐसे रोमांच का मज़ा ही अलग है. कभी कभी जब मैं अचानक गरम हो जाती थी और चुदना चाहती थी तो हम एक फटाफट चुदाई कर लेते थे. कभी बाथरूम मे, कभी किचन मे, कभी सीढ़ियों मे, और कभी कभी तो कार की पिछली सीट पर, कार को किसी सुनसान रास्ते पर साइड मे पार्क करके. ऐसी फटाफट चुदाई मे हम अपने पूरे कपड़े नही उतार ते थे. मैं अपनी चड्डी उतार देती थी ताकि मौके के हिसाब से अपने पैर चौड़े कर सकूँ / फैला सकूँ ताकि चाचा मुझे आराम से चोद सके. या तो मैं अपनी नीचे पहनी हुई ड्रेस उपर कर लेती थी या नीचे सरका लेती थी. चाचा अपना लंड अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपनी चड्डी के होल से बाहर निकाल लेते थे. इस तरह की फटाफट चुदाई मे दूसरे कामों मे वक़्त जाया ना करके हम सीधे सीधे चुदाई मे ही लगजाते थे. चाचा अपना लंड मेरी चूत मे घुसा कर मुझे फटाफट चोद देते थे और किसी को पता चलने के पहले ही हमारी चुदाई पूरी हो जाती थी बिल्कुल कम समय मे, फटा फट. इंग्लीश मे इसको "क्विकी" कहतें है.
मैने अपनी एचएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज मे अड्मिशन ले लिया था. अभी कॉलेज खुलने मे काफ़ी दिन थे तो मैं अपने पापा के बिज़्नेस मे उनका साथ देने लगी. मेरे पापा और चाचा का आम और काजू की खेती का बिज़्नेस है. मेरे चाचा इन चीज़ों की एक्सपोर्ट मार्केटिंग का काम देखते है. मैं भी उनका हाथ बाँटने लगी अपने फर्म प्रॉडक्ट्स की एक्सपोर्ट मार्केटिंग मे. मेरे पापा फार्म हाउस और खेती का काम देखतें है.
चाचा का जर्मनी और स्विट्ज़र्लॅंड जाने का प्रोग्राम बन रहा था काम के सिलसिले मे और उन्होने मेरे पापा से कहा कि कॉलेज खुलने मे अभी काफ़ी समय है तो ये अच्छा रहेगा अगर जूली भी उनके साथ जाए और उन लोगों से मिले जिनको हम एक्सपोर्ट करतें है. मेरे पापा ने हां करदी तो मैं अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए तय्यार होने लगी. हम ने स्विस एर की फ्लाइट से दो टिकेट ज़ूरिच (स्विट्ज़र्लॅंड) के बुक करवाए और हमारी फ़्लाइट मुंबई से थी.
हम ने गोआ से मुंबई की फ़्लाइट पकड़ी और मुंबई आ गये हमारी आगे की स्विट्ज़र्लॅंड की यात्रा के लिए. हम ने चेक इन किया और इंतेज़ार करने लगे. हमारी फ्लाइट छूटने का वक़्त रात के 1.20 का था. मैने देखा कि फ़्लाइट के लिए कोई ज़्यादा पॅसेंजर्स नही है. शायद फ्लाइट के लिए 50 से 55% पॅसेंजर्स ही थे. हम प्लेन के अंदर गये और हमारा प्लेन स्विट्ज़र्लॅंड के लिए उड़ा. वो एक लंबा सफ़र था करीब 8.5 घंटे का. स्विट्ज़र्लॅंड के टाइम के हिसाब से हम वहाँ सुबह 6.20 पर पहुँचने वाले थे. हम को 8.5 घंटे हवा मे रहना था. मैने देखा कि ज़्यादातर लोग एक या दो ड्रिंक लेने के बाद सो गये थे. हमारी सीट बीच मे 4 पॅसेंजर्स बैठने वाली जगह पर थी, पर बाकी की दो सीट खाली थी. चार की जगह पर हम दो ही, मैं और मेरे चाचा बैठे थे. मतलब हमारे पास पूरी जगह थी आराम करने की. चाचा पहली सीट पर बैठ गये और मुझे बाकी की तीन सीट्स का हॅंडेल उपर कर के सो जाने को कहा. मैने वैसा ही किया. मैं चाचा की गोद मे सिर रख कर आराम से सो गई. मेरा मुँह चाचा के पेट की तरफ था और मैने कंबल ओढ़ लिया अपनी गर्दन तक. प्लेन मे अंधेरा जैसा था क्यों कि कम रोशनी की लाइट ही जल रही थी और पूरी तरह शांति थी. चाचा का एक हाथ मेरे सिर पर था और वो प्यार से मेरे बालों मे हाथ फेरने लगे और मैने चाचा का दूसरा हाथ पकड़ कर कंबल के अंदर, मेरी चुचियों पर रखा और फिर मैं कब सो गई मुझे पता भी नही चला. मैने सपने मे देखा कि कोई कोई मेरे गालों पर बड़े प्यार से हाथ लगा रहा है. मुझे सपने मे बहुत ही अच्छा लग रहा था कि कोई मुझे प्यार कर रहा है. अचानक मेरी आँख खुल गई और मैने देखा की वो सपना नही था.
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Re: जुली को मिल गई मूली
मैने उपर देखा तो पाया की चाचा गहरी नींद मे सो रहे थे. मैने अपने गाल के नीचे कुछ कड़क सा महसूस किया, वो तो चाचा का लंबा और मोटा लंड था जो कि मेरे गाल को छू रहा था. और इस से अंजान चाचा आराम से सो रहे थे. उनका लंड नींद मे ही खड़ा हो गया लगता था. दोस्तों....... आप शायद अब तक जान गये होंगे कि चाचा का लंड मेरी कमज़ोरी बन गया था और अब उनका खड़ा लंड मेरे गाल के नीचे मेरे बदन मे चुदाई की आग लगा रहा था. मैं चाचा की नींद खराब नही करना चाहती थी इस लिए मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैं क्या करती. मेरे बदन मे लगी चुदाई की आग मुझे सोने नही दे रही थी. मेरा दिल चुदाई करवाने के लिए मचलने लगा और मेरी चूत शायद तय्यार हो रही थी चाचा का लंबा और मोटा लंड लेने के लिए. मैने प्लेन मे इधर उधर देखा. सब लोग सोए हुए थे और कोई हलचल नही थी. मैने अपनी घड़ी देखी जिसमे कि मैने स्विस टाइम सेट करलिया था. उसमे 3.00 बजे थे. मतलब अभी भी हमारे पहुँचने मे 3 घंटे बाकी थे.
मैने सोचलिया कि इतना वक़्त तो काफ़ी था एक चुदाई के लिए. मैं और गरम होने लगी और मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ना सुरू कर दिया था. मैने महसूस किया कि मेरी दोनो चुचियों की निपल भी मेरी ब्रा के अंदर तन कर खड़ी हो गई है. मैं सोच रही थी कि असली चुदाई तो शायद प्लेन मे संभव नही है. अगर हम सीट पर चुदाई करतें है तो किसी ना किसी का ध्यान हमारी ओर ज़रूर चला जाएगा. मैने अपना मन मसोस लिया कि जब चुदाई की ज़रूरत है तो चुदाई नहीं कर पाएँगे. पर मैने सोच लिया था कि कंबल के अंदर हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे ओर वो भी इतने लोगों के बीच, उड़ते हुए प्लेन मे, हवा मैं. मैने सोच लिया था कि चाचा का पानी उनका लंड हिला हिला कर निकाल दूँगी और वो मेरी चूत मे उंगली से मुझे चोद देंगे. दोनो का काम हो जाएगा.
चाचा अभी भी गहरी नींद मे थे और उनके लंड के कदकपन मे कोई कमी नही आई थी. मुझे तो लग रहा था कि वो और भी कड़क हो गया है. अपना काम करने के लिए मैने कंबल सिर तक ओढ़ कर अपना मुँह अंदर करलिया था ताकि जब मैं चाचा के लंड से खेलूँ, वो कंबल के अंदर ही, दूसरों की नज़र से दूर ही रहे और किसी को पता ना चले. मैने अपना हाथ अपने सिर की तरफ किया और साथ ही अपना सिर चाचा के घुटनों की तरफ सरकाया ताकि मैं उनका लंड उनकी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाल सकूँ अपने हाथ और मुँह मे लेने के लिए. मैने जैसे ही चाचा की पॅंट की ज़िप खोली, चाचा जाग गये नींद से. वो समझ गये और उन्होने अपनी पोज़िशन थोड़ी सी चेंज करली और अपने पैर थोड़े से चौड़े कर लिए ताकि मैं आराम से उनका लंड बाहर निकाल सकूँ. चाचा की पॅंट की ज़िप खुली थी और अब बीच मे केवल उनकी चड्डी थी जिस के अंदर उनका प्यारा लंड था.
मैने हाथ से चड्डी का होल तलाश किया और अपनी उंगलियाँ अंदर डाल कर उनका लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. आप सब जानते होंगे कि खड़े लंड को चड्डी के होल से बाहर निकालना कितना मुश्किल है. खास करके कि जब मर्द कुर्सी पर बैठा हो. चाचा ने थोड़ी सहायता की और मैने उनका खड़ा हुआ लंड उनकी चड्डी से बाहर निकाल लिया. उनका गरमा गरम, पूरी तरह से तना हुआ, लंबा और मोटा लंड कंबल के नीचे मेरी आँखों के सामने था. मैने बिना कोई देर किए उसको अपने होंठो के बीच ले लिया. उनका लंड भी तब तक आगे से थोड़ा गीला था जो कि हमेशा हो जाता है चुदाई के पहले. मैं अपनी जीभ उनके लंड मुण्ड पर घूमने लगी. चाचा ने भी कंबल के अंदर अपना हाथ मेरी गीली चूत की तरफ बढ़ाया. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी. मेरी पोज़िशन ऐसी थी कि मैं अपनी साइड पर सोई हुई थी, यानी मेरा मुँह चाचा की तरफ था और मेरा सिर चाचा की गोदी मे था मेरे गाल के बल, मेरे पैर सीधे थे, एक पर दूसरा. चाचा ने अपना हाथ मेरी जीन के अंदर उपर से डाला और उनकी उंगलियाँ सीधे मेरी सॉफ सुथरी गीली चूत पर थी. यानी उनका हाथ मेरी जीन्स और चड्डी के अंदर था. पर फिर भी उनके लिए मेरी चूत मे उंगली करना मेरी पोज़िशन की वजह से आसान नही था.
मैने अपना उपर वाला पैर थोड़ा और उपर किया ताकि चाचा अपना काम ईज़िली कर सके. अब उनकी बीच की उंगली मेरी चूत के बीच घूम रही थी. क्यों कि मेरी चूत पहले से ही गीली थी, उनकी उंगली मेरी चूत के बीच आराम से घूम रही थी. उनकी मेरी चूत के बीच मे उंगली घूमने से मेरी चूत और गीली होने लगी थी. हम, मैं और चाचा एक बार फिर एक दूसरे से चुदाई वाला प्यार कर रहे थे पर इस बार हवा मे और तब जब कि दूसरे लोग हमारे आस पास थे, लेकिन अपनी अपनी सीट पर सोए हुए थे. अब चाचा तना हुआ आधा लंड मेरे मुँह मे था और मैं उनके लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.
चाचा का हाथ मेरी चूत पर चल रहा था और हम दोंनो एक दूसरे को मज़ा दे रहे थे. हम दोनो पूरी पूरी कोशिश कर रहे थे कि हमारे बदन मे कम से कम हलचल हो पर फिर भी हम हिल रहे थे, खास कर के मैं तो कुछ ज़्यादा ही हिल रही थी चाचा की उंगली अपनी चूत मे लेते हुए. मज़े के कारण मेरी गंद काफ़ी आगे पीछे हो रही थी. चाचा ने अपनी उंगली की स्पीड बढ़ाई और जवाब मे मैने भी उनका लंड चूसने की स्पीड बढ़ाई. चाचा ने महसूस करलिया था कि मैं पहुँचने वाली हूँ, मैं झरने वाली हूँ तो उन्होने अपना पूरा चुदाई का अनुभव लगा दिया मुझे मज़ा देने के लिए. मेरी गंद उनकी उंगली के चूत मे घूमने के मुताबिक आगे पीछे हिल रही थी और वो अपनी उंगली मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे, यानी मुझे अपनी उंगली से चोद रहे थे. उनकी उंगली मे ही लंड का मज़ा आ रहा था. और अचानक ही मैं अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच गयी, यानी मैं झर चुकी थी और मैने चाचा का हाथ अपनी टाँगो के बीच भींच लिया था. मैं भी चाचा का लंड रस निकालना चाहती थी और मैने उनका लंड अपने मुँह से बाहर निकालकर, अपने हाथ मे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारना सुरू कर्दिया था. यहाँ मैं बता दूं कि मेरे चाचा चुदाई के मामले मैं बहुत मज़बूत है और उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी समय लगता है.
मैने सोचलिया कि इतना वक़्त तो काफ़ी था एक चुदाई के लिए. मैं और गरम होने लगी और मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ना सुरू कर दिया था. मैने महसूस किया कि मेरी दोनो चुचियों की निपल भी मेरी ब्रा के अंदर तन कर खड़ी हो गई है. मैं सोच रही थी कि असली चुदाई तो शायद प्लेन मे संभव नही है. अगर हम सीट पर चुदाई करतें है तो किसी ना किसी का ध्यान हमारी ओर ज़रूर चला जाएगा. मैने अपना मन मसोस लिया कि जब चुदाई की ज़रूरत है तो चुदाई नहीं कर पाएँगे. पर मैने सोच लिया था कि कंबल के अंदर हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे ओर वो भी इतने लोगों के बीच, उड़ते हुए प्लेन मे, हवा मैं. मैने सोच लिया था कि चाचा का पानी उनका लंड हिला हिला कर निकाल दूँगी और वो मेरी चूत मे उंगली से मुझे चोद देंगे. दोनो का काम हो जाएगा.
चाचा अभी भी गहरी नींद मे थे और उनके लंड के कदकपन मे कोई कमी नही आई थी. मुझे तो लग रहा था कि वो और भी कड़क हो गया है. अपना काम करने के लिए मैने कंबल सिर तक ओढ़ कर अपना मुँह अंदर करलिया था ताकि जब मैं चाचा के लंड से खेलूँ, वो कंबल के अंदर ही, दूसरों की नज़र से दूर ही रहे और किसी को पता ना चले. मैने अपना हाथ अपने सिर की तरफ किया और साथ ही अपना सिर चाचा के घुटनों की तरफ सरकाया ताकि मैं उनका लंड उनकी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाल सकूँ अपने हाथ और मुँह मे लेने के लिए. मैने जैसे ही चाचा की पॅंट की ज़िप खोली, चाचा जाग गये नींद से. वो समझ गये और उन्होने अपनी पोज़िशन थोड़ी सी चेंज करली और अपने पैर थोड़े से चौड़े कर लिए ताकि मैं आराम से उनका लंड बाहर निकाल सकूँ. चाचा की पॅंट की ज़िप खुली थी और अब बीच मे केवल उनकी चड्डी थी जिस के अंदर उनका प्यारा लंड था.
मैने हाथ से चड्डी का होल तलाश किया और अपनी उंगलियाँ अंदर डाल कर उनका लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. आप सब जानते होंगे कि खड़े लंड को चड्डी के होल से बाहर निकालना कितना मुश्किल है. खास करके कि जब मर्द कुर्सी पर बैठा हो. चाचा ने थोड़ी सहायता की और मैने उनका खड़ा हुआ लंड उनकी चड्डी से बाहर निकाल लिया. उनका गरमा गरम, पूरी तरह से तना हुआ, लंबा और मोटा लंड कंबल के नीचे मेरी आँखों के सामने था. मैने बिना कोई देर किए उसको अपने होंठो के बीच ले लिया. उनका लंड भी तब तक आगे से थोड़ा गीला था जो कि हमेशा हो जाता है चुदाई के पहले. मैं अपनी जीभ उनके लंड मुण्ड पर घूमने लगी. चाचा ने भी कंबल के अंदर अपना हाथ मेरी गीली चूत की तरफ बढ़ाया. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी. मेरी पोज़िशन ऐसी थी कि मैं अपनी साइड पर सोई हुई थी, यानी मेरा मुँह चाचा की तरफ था और मेरा सिर चाचा की गोदी मे था मेरे गाल के बल, मेरे पैर सीधे थे, एक पर दूसरा. चाचा ने अपना हाथ मेरी जीन के अंदर उपर से डाला और उनकी उंगलियाँ सीधे मेरी सॉफ सुथरी गीली चूत पर थी. यानी उनका हाथ मेरी जीन्स और चड्डी के अंदर था. पर फिर भी उनके लिए मेरी चूत मे उंगली करना मेरी पोज़िशन की वजह से आसान नही था.
मैने अपना उपर वाला पैर थोड़ा और उपर किया ताकि चाचा अपना काम ईज़िली कर सके. अब उनकी बीच की उंगली मेरी चूत के बीच घूम रही थी. क्यों कि मेरी चूत पहले से ही गीली थी, उनकी उंगली मेरी चूत के बीच आराम से घूम रही थी. उनकी मेरी चूत के बीच मे उंगली घूमने से मेरी चूत और गीली होने लगी थी. हम, मैं और चाचा एक बार फिर एक दूसरे से चुदाई वाला प्यार कर रहे थे पर इस बार हवा मे और तब जब कि दूसरे लोग हमारे आस पास थे, लेकिन अपनी अपनी सीट पर सोए हुए थे. अब चाचा तना हुआ आधा लंड मेरे मुँह मे था और मैं उनके लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.
चाचा का हाथ मेरी चूत पर चल रहा था और हम दोंनो एक दूसरे को मज़ा दे रहे थे. हम दोनो पूरी पूरी कोशिश कर रहे थे कि हमारे बदन मे कम से कम हलचल हो पर फिर भी हम हिल रहे थे, खास कर के मैं तो कुछ ज़्यादा ही हिल रही थी चाचा की उंगली अपनी चूत मे लेते हुए. मज़े के कारण मेरी गंद काफ़ी आगे पीछे हो रही थी. चाचा ने अपनी उंगली की स्पीड बढ़ाई और जवाब मे मैने भी उनका लंड चूसने की स्पीड बढ़ाई. चाचा ने महसूस करलिया था कि मैं पहुँचने वाली हूँ, मैं झरने वाली हूँ तो उन्होने अपना पूरा चुदाई का अनुभव लगा दिया मुझे मज़ा देने के लिए. मेरी गंद उनकी उंगली के चूत मे घूमने के मुताबिक आगे पीछे हिल रही थी और वो अपनी उंगली मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे, यानी मुझे अपनी उंगली से चोद रहे थे. उनकी उंगली मे ही लंड का मज़ा आ रहा था. और अचानक ही मैं अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच गयी, यानी मैं झर चुकी थी और मैने चाचा का हाथ अपनी टाँगो के बीच भींच लिया था. मैं भी चाचा का लंड रस निकालना चाहती थी और मैने उनका लंड अपने मुँह से बाहर निकालकर, अपने हाथ मे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारना सुरू कर्दिया था. यहाँ मैं बता दूं कि मेरे चाचा चुदाई के मामले मैं बहुत मज़बूत है और उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी समय लगता है.
Re: जुली को मिल गई मूली
मैं ज़ोर ज़ोर से उनके लंड पर मूठ मारे जा रही थी, लंड को आगे पीछे कर रही थी की चाचा ने मुझे रोक दिया और मुझे टाय्लेट मे जाने को कहा और कहा कि दरवाजा बंद नही करूँ. मैं समझ गई कि अब मेरी असली चुदाई होने वाली है और वो भी प्लेन के टाय्लेट मे. चाचा अपना लंड मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोदेन्गे. लेकिन मैं सोच रही थी कि प्लेन का टाय्लेट तो बहुत छ्होटा होता है, उसमे वो मुझे कैसे चोद पाएँगे. और फिर अगर किसी ने हम दोनो को एक ही टाय्लेट मे जाते हुए या वापस आते हुए देख लिया तो? चाचा ने आँखों ही आँखों मे मुझे समझाया और मैं एक टाय्लेट मे घुस गई. मैं सोच रही थी कि यहाँ किस पोज़िशन मे चुदाई हो सकती है कि चाचा अंदर आए और उन्होने दरवाजा अंदर से बंद करलिया. उन्होने मुझे कहा कि हम को जल्दी जल्दी चुदाई करनी पड़ेगी जैसा कि हम ने पहले भी कई बार किया है. उन्होने मेरी जीन के लिकिंटन खोल कर उसको नीचे किया और फिर मेरी चड्डी भी नीचे करदी. मैं आधी नंगी हो गई थी. उन्होने मुझे घुमाया तो मेरा मुँह टाय्लेट मे लगे मिरर और वॉश बेसिन की तरफ हो गया. उन्होने मुझे वॉश बेसिन का सहारा ले कर ज़रा झुकने को कहा. मैं समझ गई कि वो मुझे घोड़ी बना कर पीछे से चोदेन्गे. छ्होटी जगह मे चुदाई करने की इस से अच्छी पोज़िशन नही हो सकती. मैं वॉश बेसिन का सहारा ले कर घोड़ी सी बन गई ताकि मेरी चूत चाचा के सामने आ जाए.
मैने अपने पैर भी थोड़े से चौड़े कर लिए ताकि उनका लंड आराम से मेरी चूत तक पहुँच जाए. चाचा ने अपना पहले से तना हुआ गरम लंड अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाला और उसको मेरी चूत के दरवाजे पर पीछे से रखा. अपने दोनो हाथों से उन्होने मेरी गंद पीछे से पकड़ी और एक ज़ोर का धक्का मेरी चूत पर मारा. मेरी चूत तो पहले से ही गीली थी इस लिए उनका आधा लंड एक ही धक्के मे मेरी चूत मे घुस गया. चाचा ने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और मेरी गंद पकड़ कर एक और धक्का मारा. अब चाचा का लंबा और मोटा लंड मेरी रसीली चूत मे अंदर तक घुस चुका था और चाचा ने हाथो हाथ मेरी चूत मे अपने लंड से धक्के मारते हुए अंदर बाहर करने लगे. रोज़ के मुक़ाबले उनके लंड के धक्कों की रफ़्तार तेज थी और उनका लंड तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था. हम दोनो को ही चुदाई का मज़ा आ रहा था. उनके लंड के धक्कों की रफ़्तार इतनी तेज थी कि मैं समझ गई कि जल्दी ही हम दोनो अपनी मंज़िल पर पहुँच जाएँगे.
मेरी चूत ने और रस छ्चोड़ा और प्लेन के टाय्लेट मे चुदाई का मधुर संगीत गूँज उठा. उनका पेट जब धक्के मारते हुए मेरी गंद से टकरा रहा था तब भी फक फक...... ठक ठक की आवाज़ें आ रही थी. उनके लंड के नीचे की गोलियाँ भी उनके हर धक्के के साथ मेरे पैरों के बीच टकरा रही थी. हमारी चुदाई का काम, एक उड़ते हुए प्लेन के टाय्लेट मे, सुबह सुबह जल्दी, मेरी पहली विदेश यात्रा के दौरान, मंज़िल पर पहुँचने के बिल्कुल पहले हो रहा था. क्या सुखद एहसास था कि मैं अपने चाचा से घोड़ी बनी हुई उड़ते हुए प्लेन मे चुद रही थी. उस छ्होटी सी जगह मे मैं भी चुदाई मे बराबर चाचा का साथ दे रही थी. अपनी गंद उनके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी. चाचा ने और स्पीड बढ़ा चुदाई की और मैं एक बार फिर अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँचने वाली थी. चाचा मुझे तेज़ी से चोद रहे थे ताकि उनका भी जल्दी ही निकल जाए. तेज.......... तेज......... तेज और तेज......... मेरी चूत मे उनका लंड धक्के लगाते हुए अंदर बाहर हो रहा था.
अचानक ही मैं पहुँच गई थी.
मेरा हो गया था.
मैं झर गई थी.
बहुत ही मज़ा आया था. शानदार चुदाई और जानदार मज़ा. लेकिन चाचा अभी भी धक्के लगा रहे थे, अपने लंड को तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर तक डाल रहे थे और बाहर निकाल रहे थे. चोद रहे थे मुझे पूरी मस्ती में, पूरी तेज़ी से. मैं भी झरने के बावजूद उनका पूरा साथ दे रही थी कि उनका भी पानी निकले और उनको भी चुदाई का आनंद मिले. अचानक उन्होने अपना लंड मेरी चूत की गहराई तक घुसा दिया और मुझ पर पीछे से झुक गये. उनका लंड अपने प्यार के पानी की बरसात मेरी चूत के अंदर करने लगा. मैने उनके लंड का गरम गरम रस अपनी चूत के अंदर महसूस किया. उन्होने अपने दोनो हाथ मेरी गंद पर से हटा कर मस्ती के मारे मेरी दोनो चुचियाँ दबाई. उनका लंड अभी भी मेरी चूत मे नाच रहा था. हम दोनो कुछ देर उसी पोज़िशन मे रहे अपनी चुदाई के मज़े और सन्तुस्ति को महसूस करते हुए.
फिर चाचा ने अपना नरम हो चला लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और उसको टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगे. अपना लंड सॉफ करने के बाद उन्होने उसको वापस अपनी पॅंट और चड्डी के अंदर डाला. उन्होने मुझको अपनी चूत की सफाई करने के बाद बाहर सीट पर आने को कहा और धीरे से टाय्लेट का दरवाजा खोल कर बाहर देखा. उन्होने मुझे कहा कि बाहर सब कुछ वैसा ही है, कोई हलचल नही है और वो मुझे दरवाजा अंदर से बंद करने को कह कर टाय्लेट से बाहर निकल गये. मैने टाय्लेट का दरवाजा अंदर से बंद करके टाय्लेट सीट पर बैठ गई ताकि चाचा के लंड से मेरी चूत मे छ्चोड़ा गया रस बाहर निकल आए. मेरी आँखें चुदाई के आनंद और सन्तुस्ति से बंद थी. उनके लंड का रस मेरी चूत से बाहर निकल गया और मैने अपनी चूत को पानी से धोने के बाद टाय्लेट पेपर से सॉफ किया. मैने अपनी चड्डी पहनी, जीन्स पहनी और टाय्लेट से बाहर निकल आई. चाचा अपनी सीट पर बैठे हुए थे और मैं उनके बगल मे जा कर बैठ गई. मैने अपना सिर उनके कंधे पर रखा और अपनी आँखें बंद करली. मैं कितनी किस्मत वाली हूँ जो मुझे मेरे चाचा से चुदाई करवाने का मौका मिल रहा था.
कुछ देर बाद प्लेन मे हलचल हुई और हम को चाइ, कॉफी और नाश्ता सर्व किया गया. हम दोनो फिर से टाय्लेट गये लेकिन इस बार साथ मे नही, अलग अलग वक़्त पर अलग अलग टाय्लेट मैं. हा...... हा.......... हा..........
सुबह के 5.30 बज चुके थे और हम को स्विट्ज़र्लॅंड का खूबसूरत नज़ारा होने लगा था और मैं अपना पहला कदम विदेश की धरती पर रखने जा रही थी. मेरे सपनो का देश........ स्विट्ज़र्लॅंड. तो दोस्तो कैसी लगी हवा मे चुदाई ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः…………………
मैने अपने पैर भी थोड़े से चौड़े कर लिए ताकि उनका लंड आराम से मेरी चूत तक पहुँच जाए. चाचा ने अपना पहले से तना हुआ गरम लंड अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाला और उसको मेरी चूत के दरवाजे पर पीछे से रखा. अपने दोनो हाथों से उन्होने मेरी गंद पीछे से पकड़ी और एक ज़ोर का धक्का मेरी चूत पर मारा. मेरी चूत तो पहले से ही गीली थी इस लिए उनका आधा लंड एक ही धक्के मे मेरी चूत मे घुस गया. चाचा ने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और मेरी गंद पकड़ कर एक और धक्का मारा. अब चाचा का लंबा और मोटा लंड मेरी रसीली चूत मे अंदर तक घुस चुका था और चाचा ने हाथो हाथ मेरी चूत मे अपने लंड से धक्के मारते हुए अंदर बाहर करने लगे. रोज़ के मुक़ाबले उनके लंड के धक्कों की रफ़्तार तेज थी और उनका लंड तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था. हम दोनो को ही चुदाई का मज़ा आ रहा था. उनके लंड के धक्कों की रफ़्तार इतनी तेज थी कि मैं समझ गई कि जल्दी ही हम दोनो अपनी मंज़िल पर पहुँच जाएँगे.
मेरी चूत ने और रस छ्चोड़ा और प्लेन के टाय्लेट मे चुदाई का मधुर संगीत गूँज उठा. उनका पेट जब धक्के मारते हुए मेरी गंद से टकरा रहा था तब भी फक फक...... ठक ठक की आवाज़ें आ रही थी. उनके लंड के नीचे की गोलियाँ भी उनके हर धक्के के साथ मेरे पैरों के बीच टकरा रही थी. हमारी चुदाई का काम, एक उड़ते हुए प्लेन के टाय्लेट मे, सुबह सुबह जल्दी, मेरी पहली विदेश यात्रा के दौरान, मंज़िल पर पहुँचने के बिल्कुल पहले हो रहा था. क्या सुखद एहसास था कि मैं अपने चाचा से घोड़ी बनी हुई उड़ते हुए प्लेन मे चुद रही थी. उस छ्होटी सी जगह मे मैं भी चुदाई मे बराबर चाचा का साथ दे रही थी. अपनी गंद उनके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी. चाचा ने और स्पीड बढ़ा चुदाई की और मैं एक बार फिर अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँचने वाली थी. चाचा मुझे तेज़ी से चोद रहे थे ताकि उनका भी जल्दी ही निकल जाए. तेज.......... तेज......... तेज और तेज......... मेरी चूत मे उनका लंड धक्के लगाते हुए अंदर बाहर हो रहा था.
अचानक ही मैं पहुँच गई थी.
मेरा हो गया था.
मैं झर गई थी.
बहुत ही मज़ा आया था. शानदार चुदाई और जानदार मज़ा. लेकिन चाचा अभी भी धक्के लगा रहे थे, अपने लंड को तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर तक डाल रहे थे और बाहर निकाल रहे थे. चोद रहे थे मुझे पूरी मस्ती में, पूरी तेज़ी से. मैं भी झरने के बावजूद उनका पूरा साथ दे रही थी कि उनका भी पानी निकले और उनको भी चुदाई का आनंद मिले. अचानक उन्होने अपना लंड मेरी चूत की गहराई तक घुसा दिया और मुझ पर पीछे से झुक गये. उनका लंड अपने प्यार के पानी की बरसात मेरी चूत के अंदर करने लगा. मैने उनके लंड का गरम गरम रस अपनी चूत के अंदर महसूस किया. उन्होने अपने दोनो हाथ मेरी गंद पर से हटा कर मस्ती के मारे मेरी दोनो चुचियाँ दबाई. उनका लंड अभी भी मेरी चूत मे नाच रहा था. हम दोनो कुछ देर उसी पोज़िशन मे रहे अपनी चुदाई के मज़े और सन्तुस्ति को महसूस करते हुए.
फिर चाचा ने अपना नरम हो चला लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और उसको टिश्यू पेपर से सॉफ करने लगे. अपना लंड सॉफ करने के बाद उन्होने उसको वापस अपनी पॅंट और चड्डी के अंदर डाला. उन्होने मुझको अपनी चूत की सफाई करने के बाद बाहर सीट पर आने को कहा और धीरे से टाय्लेट का दरवाजा खोल कर बाहर देखा. उन्होने मुझे कहा कि बाहर सब कुछ वैसा ही है, कोई हलचल नही है और वो मुझे दरवाजा अंदर से बंद करने को कह कर टाय्लेट से बाहर निकल गये. मैने टाय्लेट का दरवाजा अंदर से बंद करके टाय्लेट सीट पर बैठ गई ताकि चाचा के लंड से मेरी चूत मे छ्चोड़ा गया रस बाहर निकल आए. मेरी आँखें चुदाई के आनंद और सन्तुस्ति से बंद थी. उनके लंड का रस मेरी चूत से बाहर निकल गया और मैने अपनी चूत को पानी से धोने के बाद टाय्लेट पेपर से सॉफ किया. मैने अपनी चड्डी पहनी, जीन्स पहनी और टाय्लेट से बाहर निकल आई. चाचा अपनी सीट पर बैठे हुए थे और मैं उनके बगल मे जा कर बैठ गई. मैने अपना सिर उनके कंधे पर रखा और अपनी आँखें बंद करली. मैं कितनी किस्मत वाली हूँ जो मुझे मेरे चाचा से चुदाई करवाने का मौका मिल रहा था.
कुछ देर बाद प्लेन मे हलचल हुई और हम को चाइ, कॉफी और नाश्ता सर्व किया गया. हम दोनो फिर से टाय्लेट गये लेकिन इस बार साथ मे नही, अलग अलग वक़्त पर अलग अलग टाय्लेट मैं. हा...... हा.......... हा..........
सुबह के 5.30 बज चुके थे और हम को स्विट्ज़र्लॅंड का खूबसूरत नज़ारा होने लगा था और मैं अपना पहला कदम विदेश की धरती पर रखने जा रही थी. मेरे सपनो का देश........ स्विट्ज़र्लॅंड. तो दोस्तो कैसी लगी हवा मे चुदाई ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः…………………