सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai
Re: सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai
चलो बेडरूम में चलते हैं !”
हम बेडरूम में आ गए। अब आंटी ने मुझे बाहों में भर लिया और एक चुम्बन मेरे होंठों पर ले लिया। मैं भी कहाँ चूकने वाला था मैंने भी कस कर उनके होंठ चूम लिए।
“ओह्हो … एक दिन की ट्रेनिंग में ही तुम तो चुम्बन लेना सीख गए हो !” आंटी हंस पड़ी। जैसे कोई जलतरंग छिड़ी हो या वीणा के तार झनझनाएं हों। हंसते हुए उनके दांत तो चंद्रावल का धोखा ही दे रहे थे। उनके गालों पर पड़ने वाले गड्ढे तो जैसे किसी को कत्ल ही कर दें।
हम दोनों पलंग पर बैठ गए। आंटी ने कहा “तुम्हें बता दूं- कुंवारी लड़कियों के उरोज होते हैं और जब बच्चा होने के बाद इनमें दूध भर जाता है तो ये अमृत-कलश (बूब्स या स्तन) बन जाते हैं। दोनों को चूसने का अपना ही अंदाज़ और मज़ा होता है। सम्भोग से पहले लड़की के स्तनों को अवश्य चूसना चाहिए। स्तनों को चूसने से
उनके कैंसर की संभावना नष्ट हो जाती है। आज का सबक है उरोजों या चुन्चियों को कैसे चूसा जाता है !”
कुदरत ने स्तनधारी प्राणियों के लिए एक माँ को कितना अनमोल तोहफा इन अमृत-कलशों के रूप में दिया है। तुम शायद नहीं जानते कि किसी खूबसूरत स्त्री या युवती की सबसे बड़ी दौलत उसके उन्नत और उभरे उरोज ही होते हैं।
काम प्रेरित पुरुष की सबसे पहली नज़र इन्हीं पर पड़ती है और वो इन्हें दबाना और चूसना चाहता है। यह सब कुदरती होता है क्योंकि इस धरती पर आने के बाद उसने सबसे पहला भोजन इन्हीं अमृत कलसों से पाया था। अवचेतन मन में यही बात दबी रहती है इसीलिए वो इनकी ओर ललचाता है।
“सुन्दर, सुडौल और पूर्ण विकसित स्तनों के सौन्दर्याकर्षण में महत्वपूर्ण योगदान है। इस सुखद आभास के पीछे अपने प्रियतम के मन में प्रेम की ज्योति जलाए रखने तथा सदैव उसकी प्रेयसी बनी रहने की कोमल कामना भी छिपी रहती है। हालांकि मांसल, उन्नत और पुष्ट उरोज उत्तम स्वास्थ्य व यौवन पूर्ण सौन्दर्य के प्रतीक हैं
और सब का मन ललचाते हैं पर जहां तक उनकी संवेदनशीलता का प्रश्न है स्तन चाहे छोटे हों या बड़े कोई फर्क नहीं होता। अलबत्ता छोटे स्तन ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
कुछ महिलायें अपनी देहयष्टि के प्रति ज्यादा फिक्रमंद (जागरुक) होती हैं और छोटे स्तनों को बड़ा करवाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवा लेती हैं बाद में उन्हें कई बीमारियों और दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ सकता है। उरोजों को सुन्दर और सुडौल बनाने के लिए ऊंटनी के दूध और नारियल के तेल का लेप करना चाहिए।
इरानी और अफगानी औरतें तो अपनी त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए ऊंटनी या गधी के दूध से नहाया करती थी। पता नहीं कहाँ तक सच है कुछ स्त्रियाँ तो संतरे के छिलके, गुलाब और चमेली के फूल सुखा कर पीस लेती हैं और फिर उस में अपने पति के वीर्य या शहद मिला कर चहरे पर लगाती हैं जिस से उनका रंग
निखरता है और कील, झाइयां और मुहांसे ठीक हो जाते हैं !”
आंटी ने आगे बताया,”सबसे पहले धीरे धीरे अपनी प्रेमिका का ब्लाउज या टॉप उतरा जाता है फिर ब्रा। कोई जल्दबाजी नहीं आराम से। उनको प्यार से पहले निहारो फिर होले से छुओ। पहले उनकी घुंडियों को फिर एरोला को, फिर पूरे उरोज को अपने हाथों में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाओ और मसलो मगर प्यार से। कुछ
लड़कियों का बायाँ उरोज दायें उरोज से थोड़ा बड़ा हो सकता है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं होती। दरअसल बाईं तरफ हमारा दिल होता है इसलिए इस उरोज की ओर रक्तसंचार ज्यादा होता है।
यही हाल लड़कों का भी होता है। कई लड़कों का एक अन्डकोश बड़ा और दूसरा छोटा होता है। गुप्तांगों के आस पास और उरोजों की त्वचा बहुत नाजुक होती है जरा सी गलती से उनमें दर्द और गाँठ पड़ सकती है इसलिए इन्हें जोर से नहीं दबाना चाहिए। प्यार से उन पर पहले अपनी जीभ फिराओ, चुचुक को होले से मुंह में
लेकर जीभ से सहलाओ और फिर चूसो।”
मैंने धड़कते दिल से उनका टॉप उतार दिया। उन्होंने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। दो परिंदे जैसे आजाद हो कर बाहर निकल आये। टॉप उतारते समय मैंने देखा था उनकी कांख में छोटे छोटे रेशम से बाल हैं। उसमें से आती मीठी नमकीन और तीखी गंध से मैं तो मस्त ही हो गया।
मेरा मिट्ठू तो हिलोरे ही लेने लगा। मुझे लगा तनाव के कारण जैसे मेरा सुपाड़ा फट ही जाएगा। मैं तो सोच रहा था कि एक बार चोद ही डालूं ये प्रेम के सबक तो बाद में पढ़ लूँगा पर आंटी की मर्जी के बिना यह कहाँ संभव था।
हम बेडरूम में आ गए। अब आंटी ने मुझे बाहों में भर लिया और एक चुम्बन मेरे होंठों पर ले लिया। मैं भी कहाँ चूकने वाला था मैंने भी कस कर उनके होंठ चूम लिए।
“ओह्हो … एक दिन की ट्रेनिंग में ही तुम तो चुम्बन लेना सीख गए हो !” आंटी हंस पड़ी। जैसे कोई जलतरंग छिड़ी हो या वीणा के तार झनझनाएं हों। हंसते हुए उनके दांत तो चंद्रावल का धोखा ही दे रहे थे। उनके गालों पर पड़ने वाले गड्ढे तो जैसे किसी को कत्ल ही कर दें।
हम दोनों पलंग पर बैठ गए। आंटी ने कहा “तुम्हें बता दूं- कुंवारी लड़कियों के उरोज होते हैं और जब बच्चा होने के बाद इनमें दूध भर जाता है तो ये अमृत-कलश (बूब्स या स्तन) बन जाते हैं। दोनों को चूसने का अपना ही अंदाज़ और मज़ा होता है। सम्भोग से पहले लड़की के स्तनों को अवश्य चूसना चाहिए। स्तनों को चूसने से
उनके कैंसर की संभावना नष्ट हो जाती है। आज का सबक है उरोजों या चुन्चियों को कैसे चूसा जाता है !”
कुदरत ने स्तनधारी प्राणियों के लिए एक माँ को कितना अनमोल तोहफा इन अमृत-कलशों के रूप में दिया है। तुम शायद नहीं जानते कि किसी खूबसूरत स्त्री या युवती की सबसे बड़ी दौलत उसके उन्नत और उभरे उरोज ही होते हैं।
काम प्रेरित पुरुष की सबसे पहली नज़र इन्हीं पर पड़ती है और वो इन्हें दबाना और चूसना चाहता है। यह सब कुदरती होता है क्योंकि इस धरती पर आने के बाद उसने सबसे पहला भोजन इन्हीं अमृत कलसों से पाया था। अवचेतन मन में यही बात दबी रहती है इसीलिए वो इनकी ओर ललचाता है।
“सुन्दर, सुडौल और पूर्ण विकसित स्तनों के सौन्दर्याकर्षण में महत्वपूर्ण योगदान है। इस सुखद आभास के पीछे अपने प्रियतम के मन में प्रेम की ज्योति जलाए रखने तथा सदैव उसकी प्रेयसी बनी रहने की कोमल कामना भी छिपी रहती है। हालांकि मांसल, उन्नत और पुष्ट उरोज उत्तम स्वास्थ्य व यौवन पूर्ण सौन्दर्य के प्रतीक हैं
और सब का मन ललचाते हैं पर जहां तक उनकी संवेदनशीलता का प्रश्न है स्तन चाहे छोटे हों या बड़े कोई फर्क नहीं होता। अलबत्ता छोटे स्तन ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
कुछ महिलायें अपनी देहयष्टि के प्रति ज्यादा फिक्रमंद (जागरुक) होती हैं और छोटे स्तनों को बड़ा करवाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवा लेती हैं बाद में उन्हें कई बीमारियों और दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ सकता है। उरोजों को सुन्दर और सुडौल बनाने के लिए ऊंटनी के दूध और नारियल के तेल का लेप करना चाहिए।
इरानी और अफगानी औरतें तो अपनी त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए ऊंटनी या गधी के दूध से नहाया करती थी। पता नहीं कहाँ तक सच है कुछ स्त्रियाँ तो संतरे के छिलके, गुलाब और चमेली के फूल सुखा कर पीस लेती हैं और फिर उस में अपने पति के वीर्य या शहद मिला कर चहरे पर लगाती हैं जिस से उनका रंग
निखरता है और कील, झाइयां और मुहांसे ठीक हो जाते हैं !”
आंटी ने आगे बताया,”सबसे पहले धीरे धीरे अपनी प्रेमिका का ब्लाउज या टॉप उतरा जाता है फिर ब्रा। कोई जल्दबाजी नहीं आराम से। उनको प्यार से पहले निहारो फिर होले से छुओ। पहले उनकी घुंडियों को फिर एरोला को, फिर पूरे उरोज को अपने हाथों में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाओ और मसलो मगर प्यार से। कुछ
लड़कियों का बायाँ उरोज दायें उरोज से थोड़ा बड़ा हो सकता है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं होती। दरअसल बाईं तरफ हमारा दिल होता है इसलिए इस उरोज की ओर रक्तसंचार ज्यादा होता है।
यही हाल लड़कों का भी होता है। कई लड़कों का एक अन्डकोश बड़ा और दूसरा छोटा होता है। गुप्तांगों के आस पास और उरोजों की त्वचा बहुत नाजुक होती है जरा सी गलती से उनमें दर्द और गाँठ पड़ सकती है इसलिए इन्हें जोर से नहीं दबाना चाहिए। प्यार से उन पर पहले अपनी जीभ फिराओ, चुचुक को होले से मुंह में
लेकर जीभ से सहलाओ और फिर चूसो।”
मैंने धड़कते दिल से उनका टॉप उतार दिया। उन्होंने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। दो परिंदे जैसे आजाद हो कर बाहर निकल आये। टॉप उतारते समय मैंने देखा था उनकी कांख में छोटे छोटे रेशम से बाल हैं। उसमें से आती मीठी नमकीन और तीखी गंध से मैं तो मस्त ही हो गया।
मेरा मिट्ठू तो हिलोरे ही लेने लगा। मुझे लगा तनाव के कारण जैसे मेरा सुपाड़ा फट ही जाएगा। मैं तो सोच रहा था कि एक बार चोद ही डालूं ये प्रेम के सबक तो बाद में पढ़ लूँगा पर आंटी की मर्जी के बिना यह कहाँ संभव था।
Re: सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai
आंटी पलंग पर चित्त लेट गई और मैं घुटनों के बल उनके पास बैठ गया। अब मैंने धीरे से उनके एक उरोज को छुआ। वो सिहर उठी और उनकी साँसें तेज होने लगी। होंठ कांपने लगे। मेरा भी बुरा हाल था। मैं तो रोमांच से लबालब भरा था। मैंने देखा एरोला कोई एक इंच से बड़ा तो नहीं था। गहरे गुलाबी रंग का। निप्पल तो चने
के दाने जितने जैसे कोई छोटा सा लाल मूंगफली का दाना हो। हलकी नीली नसें गुलाबी रंग के उरोजों पर ऐसे लग रही थी जैसे कोई नीले रंग के बाल हों। मैं अपने आप को कैसे रोक पता। मैंने होले से उसके दाने को चुटकी में लेकर धीरे से मसला और फिर अपने थरथराते होंठ उन पर रख दिए। आंटी के शरीर ने एक झटका
सा खाया। मैंने तो गप्प से उनका पूरा उरोज ही मुंह में ले लिया और चूसने लगा। आह… क्या रस भरे उरोज थे। आंटी की तो सिस्कारियां ही कमरे में गूंजने लगी
“अह्ह्ह चंदू और जोर से चूसो और जोर से …. आह… सारा दूध पी जाओ मेरे प्रेम दीवाने …. आह आज दो साल के बाद किसी ने …. आह… ओईई …माआअ ……” पता नहीं आंटी क्या क्या बोले जा रही थी। मैं तो मस्त हुआ जोर जोर से उनके अमृत कलसों को चूसे ही जा रहा था। मैं अपनी जीभ को उनकी निप्पल और
एरोला के ऊपर गोल गोल घुमाते हुए परिक्रमा करने लगा। बीच बीच में उनके निप्पल को भी दांतों से दबा देता तो आंटी की सीत्कार और तेज हो जाती। उन्होंने मेरे सिर के बालों को कस कर पकड़ लिया और अपनी छाती की ओर दबा दिया। उनकी आह… उन्ह … चालू थी। मैंने अब दूसरे उरोज को मुंह में भर लिया। आंटी
की आँखें बंद थी।
मैंने दूसरे हाथ से उनका पहले वाला उरोज अपनी मुट्ठी में ले लिया और उसे मसलने लगा। मुझे लगा कि जैसे वो बिल्कुल सख्त हो गया है। उसके चुचूक तो चमन के अंगूर (पतला और लम्बा) बन गए हैं एक दम तीखे, जैसे अभी उन में से दूध ही निकल पड़ेगा। मेरे थूक से उनकी दोनों चूचियां गीली हो गई थी। मेरा लंड तो प्री-कम
छोड़ छोड़ कर पागल ही हुआ जा रहा था। मेरा अंदाजा है कि आंटी की चूत ने भी अब तो पानी छोड़ छोड़ कर नहर ही बना दी होगी पर उसे छूने या देखने का अभी समय नहीं आया था। आंटी ने अपने जांघें कस कर बंद कर रखी थी। जीन पेंट में फसी चूत वाली जगह फूली सी लग रही थी और कुछ गीली भी। जैसे ही मैंने
उनके चुचूक को दांतों से दबाया तो उन्होंने एक किलकारी मारी और एक ओर लुढ़क गई। मुझे लगा की वो झड़ (स्खलित) गई है।
4. आत्मरति (हस्तमैथुन-मुट्ठ मारना)
किसी ने सच ही कहा है “सेक्स एक ब्रिज गेम की तरह है ; अगर आपके पास एक अच्छा साथी नहीं है तो कम से कम आपका हाथ तो बेहतर होना चाहिए !”
4. आत्मरति (हस्तमैथुन-मुट्ठ मारना)
किसी ने सच ही कहा है “सेक्स एक ब्रिज गेम की तरह है ; अगर आपके पास एक अच्छा साथी नहीं है तो कम से कम आपका हाथ तो बेहतर होना चाहिए !”
सेक्स के जानकार बताते हैं कि 95 % स्वस्थ पुरुष और 50 % औरतें मुट्ठ जरूर मारते हैं। जब कोई साथी नहीं मिलता तो उसको कल्पना में रख कर ! बस यही तो एक उपाय या साधन है अपनी आत्मरति और काम क्षुधा (भूख) को मिटाने का। और मैं और आंटी भी तो इसी जगत के प्राणी थे, मुट्ठ मारने की ट्रेनिंग तो सबसे ज्यादा
जरूरी थी। आंटी ने बताया था कि जो लोग किशोर अवस्था में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं वे बड़ी आयु तक सम्भोग कार्य में सक्षम बने रहते हैं। उन्हें बुढ़ापा भी देरी से आता है और चेहरे पर झुर्रियाँ भी कम पड़ती हैं। कई बार लड़के आपस में मिलकर मुट्ठ मारते हैं वैसे ही लड़कियां भी आपस में एक दूसरे की योनि को सहला
देती हैं और कई बार तो उसमें अंगुली भी करती हैं। मुझे बड़ी हैरानी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार तो प्रेमी-प्रेमिका (पति-पत्नी भी) आपस में एक दूसरे की मुट्ठ मारते हैं। मेरे पाठकों और पाठिकाओं को तो जरूर अनुभव रहा होगा ? एक दूसरे की मुट्ठ मारने का अपना ही आनंद और सुख होता है। कई बार तो ऐसा
मजबूरी में किया जाता है। कई बार जब नव विवाहिता पत्नी की माहवारी चल रही हो और वो गांड मरवाने से परहेज करे तो बस यही एक तरीका रह जाता है अपने आप को संतुष्ट करने का।
खैर ! अब चौथे सबक की तैयारी थी। आंटी ने बताया था कि अगर अकेले में मुट्ठ मारनी हो तो हमेंशा शीशे के सामने खड़े होकर मारनी चाहिए और अगर कोई साथी के साथ करना हो तो पलंग पर करना अच्छा रहता है। अब आंटी ने मेरी पेंट उतार दी। आंटी के सामने मुझे नंगा होने में शर्म आ रही थी। मेरा 6 इंच लम्बा लंड तो 1
के दाने जितने जैसे कोई छोटा सा लाल मूंगफली का दाना हो। हलकी नीली नसें गुलाबी रंग के उरोजों पर ऐसे लग रही थी जैसे कोई नीले रंग के बाल हों। मैं अपने आप को कैसे रोक पता। मैंने होले से उसके दाने को चुटकी में लेकर धीरे से मसला और फिर अपने थरथराते होंठ उन पर रख दिए। आंटी के शरीर ने एक झटका
सा खाया। मैंने तो गप्प से उनका पूरा उरोज ही मुंह में ले लिया और चूसने लगा। आह… क्या रस भरे उरोज थे। आंटी की तो सिस्कारियां ही कमरे में गूंजने लगी
“अह्ह्ह चंदू और जोर से चूसो और जोर से …. आह… सारा दूध पी जाओ मेरे प्रेम दीवाने …. आह आज दो साल के बाद किसी ने …. आह… ओईई …माआअ ……” पता नहीं आंटी क्या क्या बोले जा रही थी। मैं तो मस्त हुआ जोर जोर से उनके अमृत कलसों को चूसे ही जा रहा था। मैं अपनी जीभ को उनकी निप्पल और
एरोला के ऊपर गोल गोल घुमाते हुए परिक्रमा करने लगा। बीच बीच में उनके निप्पल को भी दांतों से दबा देता तो आंटी की सीत्कार और तेज हो जाती। उन्होंने मेरे सिर के बालों को कस कर पकड़ लिया और अपनी छाती की ओर दबा दिया। उनकी आह… उन्ह … चालू थी। मैंने अब दूसरे उरोज को मुंह में भर लिया। आंटी
की आँखें बंद थी।
मैंने दूसरे हाथ से उनका पहले वाला उरोज अपनी मुट्ठी में ले लिया और उसे मसलने लगा। मुझे लगा कि जैसे वो बिल्कुल सख्त हो गया है। उसके चुचूक तो चमन के अंगूर (पतला और लम्बा) बन गए हैं एक दम तीखे, जैसे अभी उन में से दूध ही निकल पड़ेगा। मेरे थूक से उनकी दोनों चूचियां गीली हो गई थी। मेरा लंड तो प्री-कम
छोड़ छोड़ कर पागल ही हुआ जा रहा था। मेरा अंदाजा है कि आंटी की चूत ने भी अब तो पानी छोड़ छोड़ कर नहर ही बना दी होगी पर उसे छूने या देखने का अभी समय नहीं आया था। आंटी ने अपने जांघें कस कर बंद कर रखी थी। जीन पेंट में फसी चूत वाली जगह फूली सी लग रही थी और कुछ गीली भी। जैसे ही मैंने
उनके चुचूक को दांतों से दबाया तो उन्होंने एक किलकारी मारी और एक ओर लुढ़क गई। मुझे लगा की वो झड़ (स्खलित) गई है।
4. आत्मरति (हस्तमैथुन-मुट्ठ मारना)
किसी ने सच ही कहा है “सेक्स एक ब्रिज गेम की तरह है ; अगर आपके पास एक अच्छा साथी नहीं है तो कम से कम आपका हाथ तो बेहतर होना चाहिए !”
4. आत्मरति (हस्तमैथुन-मुट्ठ मारना)
किसी ने सच ही कहा है “सेक्स एक ब्रिज गेम की तरह है ; अगर आपके पास एक अच्छा साथी नहीं है तो कम से कम आपका हाथ तो बेहतर होना चाहिए !”
सेक्स के जानकार बताते हैं कि 95 % स्वस्थ पुरुष और 50 % औरतें मुट्ठ जरूर मारते हैं। जब कोई साथी नहीं मिलता तो उसको कल्पना में रख कर ! बस यही तो एक उपाय या साधन है अपनी आत्मरति और काम क्षुधा (भूख) को मिटाने का। और मैं और आंटी भी तो इसी जगत के प्राणी थे, मुट्ठ मारने की ट्रेनिंग तो सबसे ज्यादा
जरूरी थी। आंटी ने बताया था कि जो लोग किशोर अवस्था में ही हस्तमैथुन शुरू कर देते हैं वे बड़ी आयु तक सम्भोग कार्य में सक्षम बने रहते हैं। उन्हें बुढ़ापा भी देरी से आता है और चेहरे पर झुर्रियाँ भी कम पड़ती हैं। कई बार लड़के आपस में मिलकर मुट्ठ मारते हैं वैसे ही लड़कियां भी आपस में एक दूसरे की योनि को सहला
देती हैं और कई बार तो उसमें अंगुली भी करती हैं। मुझे बड़ी हैरानी हुई। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार तो प्रेमी-प्रेमिका (पति-पत्नी भी) आपस में एक दूसरे की मुट्ठ मारते हैं। मेरे पाठकों और पाठिकाओं को तो जरूर अनुभव रहा होगा ? एक दूसरे की मुट्ठ मारने का अपना ही आनंद और सुख होता है। कई बार तो ऐसा
मजबूरी में किया जाता है। कई बार जब नव विवाहिता पत्नी की माहवारी चल रही हो और वो गांड मरवाने से परहेज करे तो बस यही एक तरीका रह जाता है अपने आप को संतुष्ट करने का।
खैर ! अब चौथे सबक की तैयारी थी। आंटी ने बताया था कि अगर अकेले में मुट्ठ मारनी हो तो हमेंशा शीशे के सामने खड़े होकर मारनी चाहिए और अगर कोई साथी के साथ करना हो तो पलंग पर करना अच्छा रहता है। अब आंटी ने मेरी पेंट उतार दी। आंटी के सामने मुझे नंगा होने में शर्म आ रही थी। मेरा 6 इंच लम्बा लंड तो 1
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डिग्री पर पेट से चिपकाने को तैयार था। उसे देखते ही आंटी बोली,”वाह…. तुम्हारा मिट्ठू तो बहुत बड़ा हो गया है ?”
“पर मुझे तो लगता है मेरा छोटा है। मैंने तो सुना है कि यह 8-9 इंच का होता है ?”
“अरे नहीं बुद्धू आमतौर पर हमारे देश में इसकी लम्बाई 5-6 इंच ही होती है। फालतू किताबें पढ़ कर तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। एक बात तुम्हें सच बता रही हूँ- यह केवल भ्रम ही होता है कि बहुत बड़े लिंग से औरत को ज्यादा मज़ा आएगा। योनि के अन्दर केवल 3 इंच तक ही संवेदनशील जगह होती है जिसमें औरत
उत्तेजना महसूस करती है। औरत की संतुष्टि के लिए लिंग की लम्बाई और मोटाई कोई ज्यादा मायने नहीं रखती। सोचो जिस योनि में से एक बच्चा निकल सकता है उसे किसी मोटे या पतले लिंग से क्या फर्क पड़ेगा। लिंग कितना भी मोटा क्यों ना हो योनि उसके हिसाब से अपने आप को फैलाकर लिंग को समायोजित कर लेती
है। तुमने देखा होगा गधे का लंड कितना बड़ा होता है लेकिन गधी उसे भी बिना किसी रुकावट के ले पूरा अन्दर ले लेती है।”
“फिर भी एक बात बताओ- अगर मुझे अपना लिंग और बड़ा और मोटा करना हो तो मैं क्या करूं ? मैंने कहीं पढ़ा था कि अपने लिंग पर रात को शहद लगा कर रखा जाए तो वो कुछ दिनों में लम्बा और सीधा भी हो जाता है। मेरा लिंग थोड़ा सा टेढ़ा भी तो है ?”
“देखो कुदरत ने सारे अंग एक सही अनुपात में बनाए हैं। जैसे हर आदमी का कद (लम्बाई) अपनी एक बाजू की कुल लम्बाई से ढाई गुना बड़ा होता है। हमारे नाक की लम्बाई हमारे हाथ के अंगूठे जितनी बड़ी होती है। आदमी और लिंग की लम्बाई वैसे तो वंशानुगत होती है पर लम्बाई बढ़ाने के लिए रस्सी कूदना और हाथों के
सहारे लटकाना मदद कर सकता है। लिंग की लम्बाई बढाने के लिए तुम एक काम कर सकते हो- नारियल के तेल में चुकंदर का रस मिलकर मालिश करने से लिंग पुष्ट हो जाता है। और यह शहद वाली बात तो मिथक है। यह टेढ़े लिंग वाली बात तुम जैसे किशोरों की ही नहीं, हर आयु वर्ग में पाई जाने वाली भ्रान्ति है। लिंग टेढ़ा
होना कोई बीमारी नहीं है। कुदरती तौर पर लिंग थोड़े से टेढ़े हो सकते हैं और उसका झुकाव ऊपर नीचे दाईं या बाईं ओर भी हो सकता है। सम्भोग में इन बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता। ओह… तुम भी किन फजूल बातों में फंस गए ?”
और फिर आंटी ने भी अपनी जीन उतार दी। अब तो वो नीले रंग की एक झीनी सी पैंटी में थी। ओह … डबल रोटी की तरह एक दम फूली हुई आगे से बिलकुल गीली थी। पतली सी पैंटी के दोनों ओर काली काली झांट भी नज़र आ रही थी। गोरी गोरी मोटी पुष्ट जांघें केले के पेड़ की तरह। जैसे खजुराहो के मंदिरों में बनी मूर्ति हो
कोई। मैं तो हक्का बक्का उस हुस्न की मल्लिका को देखता ही रह गया। मेरा तो मन करने लगा था कि एक चुम्बन पैंटी के ऊपर से ही ले लूं पर आंटी ने कह रखा था कि हर सबक सिलसिलेवार (क्रमबद्ध) होने चाहियें कोई जल्दबाजी नहीं, अपने आप पर संयम रखना सीखो। मैं मरता क्या करता अपने होंठों पर जीभ फेरता ही
रह गया।
आंटी ने बड़ी अदा से अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखे और अपनी पैंटी को नीचे खिसकाने लगी।
गहरी नाभि के नीचे का भाग कुछ उभरा हुआ था। पहले काले काले झांट नजर आये और फिर स्वर्ग के उस द्वार का वो पहला नजारा। मुझे तो लगा जैसे मेरा दिल हलक के रास्ते बाहर ही आ जाएगा। मैं तो उनकी चूत को देखता ही रह गया। काले घुंघराले झांटों के झुरमुट के बीच मोटे मोटे बाहरी होंठों वाली चूत रोशन हो गई।
उन फांकों का रंग गुलाबी तो नहीं कहा जा सकता पर काला भी नहीं था। कत्थई रंग जैसे गहरे रंग की मेहंदी लगा रखी हो। चूत के अन्दर वाले होंठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चिड़िया की चोंच हो। जैसे किसी ने गुलाब की मोटी मोटी पंखुड़ियों को आपस में जोड़ दिया हो। दोनों फांकों में सोने की छोटी छोटी बालियाँ। चूत का
चीरा कोई 4 इंच का तो जरूर होगा। मुझे आंटी की चूत की दरार में ढेर सारा चिपचिपा रस दिखाई दे रहा था जो नीचे वाले छेद तक रिस रहा था। उन्होंने पैंटी निकाल कर मेरी ओर बढ़ा दी। पहले तो मैं कुछ समझा नहीं फिर मैंने हंसते हुए उनकी पैंटी को अपनी नाक के पास ले जा कर सूंघा। मेरे नथुनों में एक जानी पहचानी
“पर मुझे तो लगता है मेरा छोटा है। मैंने तो सुना है कि यह 8-9 इंच का होता है ?”
“अरे नहीं बुद्धू आमतौर पर हमारे देश में इसकी लम्बाई 5-6 इंच ही होती है। फालतू किताबें पढ़ कर तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। एक बात तुम्हें सच बता रही हूँ- यह केवल भ्रम ही होता है कि बहुत बड़े लिंग से औरत को ज्यादा मज़ा आएगा। योनि के अन्दर केवल 3 इंच तक ही संवेदनशील जगह होती है जिसमें औरत
उत्तेजना महसूस करती है। औरत की संतुष्टि के लिए लिंग की लम्बाई और मोटाई कोई ज्यादा मायने नहीं रखती। सोचो जिस योनि में से एक बच्चा निकल सकता है उसे किसी मोटे या पतले लिंग से क्या फर्क पड़ेगा। लिंग कितना भी मोटा क्यों ना हो योनि उसके हिसाब से अपने आप को फैलाकर लिंग को समायोजित कर लेती
है। तुमने देखा होगा गधे का लंड कितना बड़ा होता है लेकिन गधी उसे भी बिना किसी रुकावट के ले पूरा अन्दर ले लेती है।”
“फिर भी एक बात बताओ- अगर मुझे अपना लिंग और बड़ा और मोटा करना हो तो मैं क्या करूं ? मैंने कहीं पढ़ा था कि अपने लिंग पर रात को शहद लगा कर रखा जाए तो वो कुछ दिनों में लम्बा और सीधा भी हो जाता है। मेरा लिंग थोड़ा सा टेढ़ा भी तो है ?”
“देखो कुदरत ने सारे अंग एक सही अनुपात में बनाए हैं। जैसे हर आदमी का कद (लम्बाई) अपनी एक बाजू की कुल लम्बाई से ढाई गुना बड़ा होता है। हमारे नाक की लम्बाई हमारे हाथ के अंगूठे जितनी बड़ी होती है। आदमी और लिंग की लम्बाई वैसे तो वंशानुगत होती है पर लम्बाई बढ़ाने के लिए रस्सी कूदना और हाथों के
सहारे लटकाना मदद कर सकता है। लिंग की लम्बाई बढाने के लिए तुम एक काम कर सकते हो- नारियल के तेल में चुकंदर का रस मिलकर मालिश करने से लिंग पुष्ट हो जाता है। और यह शहद वाली बात तो मिथक है। यह टेढ़े लिंग वाली बात तुम जैसे किशोरों की ही नहीं, हर आयु वर्ग में पाई जाने वाली भ्रान्ति है। लिंग टेढ़ा
होना कोई बीमारी नहीं है। कुदरती तौर पर लिंग थोड़े से टेढ़े हो सकते हैं और उसका झुकाव ऊपर नीचे दाईं या बाईं ओर भी हो सकता है। सम्भोग में इन बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता। ओह… तुम भी किन फजूल बातों में फंस गए ?”
और फिर आंटी ने भी अपनी जीन उतार दी। अब तो वो नीले रंग की एक झीनी सी पैंटी में थी। ओह … डबल रोटी की तरह एक दम फूली हुई आगे से बिलकुल गीली थी। पतली सी पैंटी के दोनों ओर काली काली झांट भी नज़र आ रही थी। गोरी गोरी मोटी पुष्ट जांघें केले के पेड़ की तरह। जैसे खजुराहो के मंदिरों में बनी मूर्ति हो
कोई। मैं तो हक्का बक्का उस हुस्न की मल्लिका को देखता ही रह गया। मेरा तो मन करने लगा था कि एक चुम्बन पैंटी के ऊपर से ही ले लूं पर आंटी ने कह रखा था कि हर सबक सिलसिलेवार (क्रमबद्ध) होने चाहियें कोई जल्दबाजी नहीं, अपने आप पर संयम रखना सीखो। मैं मरता क्या करता अपने होंठों पर जीभ फेरता ही
रह गया।
आंटी ने बड़ी अदा से अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखे और अपनी पैंटी को नीचे खिसकाने लगी।
गहरी नाभि के नीचे का भाग कुछ उभरा हुआ था। पहले काले काले झांट नजर आये और फिर स्वर्ग के उस द्वार का वो पहला नजारा। मुझे तो लगा जैसे मेरा दिल हलक के रास्ते बाहर ही आ जाएगा। मैं तो उनकी चूत को देखता ही रह गया। काले घुंघराले झांटों के झुरमुट के बीच मोटे मोटे बाहरी होंठों वाली चूत रोशन हो गई।
उन फांकों का रंग गुलाबी तो नहीं कहा जा सकता पर काला भी नहीं था। कत्थई रंग जैसे गहरे रंग की मेहंदी लगा रखी हो। चूत के अन्दर वाले होंठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चिड़िया की चोंच हो। जैसे किसी ने गुलाब की मोटी मोटी पंखुड़ियों को आपस में जोड़ दिया हो। दोनों फांकों में सोने की छोटी छोटी बालियाँ। चूत का
चीरा कोई 4 इंच का तो जरूर होगा। मुझे आंटी की चूत की दरार में ढेर सारा चिपचिपा रस दिखाई दे रहा था जो नीचे वाले छेद तक रिस रहा था। उन्होंने पैंटी निकाल कर मेरी ओर बढ़ा दी। पहले तो मैं कुछ समझा नहीं फिर मैंने हंसते हुए उनकी पैंटी को अपनी नाक के पास ले जा कर सूंघा। मेरे नथुनों में एक जानी पहचानी