Police daughter sex story
Re: Police daughter sex story
पर वो बाद की बात है
अभी तो श्रुति को स्वर्ग का वो मज़ा मिल रहा था जो शायद उसने आज तक महसूस नही किया था
“ओह माआय गॉड ……..सााली इतना मज़ा देती है तू…..काश पहले पता होता…….अब तक सो बार चुस्वा चुकी होती तुझसे…..”
उसके हाथ अब मेरे बूब्स को भी टटोल रहे थे
मैने भी आनन फानन में अपनी टी शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी
अब हम दोनो टॉपलेस होकर अपनी मुर्गिया एक दूसरे से लड़ा रहे थे
कभी वो अपने पैने निप्पल्स से मेरे बूब्स को भेदती कभी मैं
कभी वो मेरा दूध पीती कभी मैं
करीब 10 मिनट तक उसने सेम तो सेम वही निशान मेरी बॉडी पर भी बना दिए जो उसके उपर थे
इसे कहते है पक्की वाली दोस्ती
अब बारी नीचे की थी
गोडाउन में जाने की
क्योंकि असली देसी घी तो वहीं से निकल रहा था दोनो का
पहल मैने की
मैने उसकी जीन्स को खींचा और उतार दिया
साथ में उसकी कच्छी भी निकल आई
मैने भी अपनी शॉर्ट्स उतारी , मैने पेंटी नही पहनी थी आज
दोनो के मिठाई के डब्बे खुलते ही उनकी महक पूरे कमरे में फैल गयी
श्रुति ने मुझे इशारा किया और मैने अपनी टांगे उसके चेहरे से घुमा कर अपनी पुस्सी उसके चेहरे पर रख दी
और खुद अपने लिप्स को लेजाकर सीधा उसकी बहती हुई नशीली चूत पर
और वहां का नज़ारा देखकर मैं हैरान रह गयी
वो एकदम लाल सुर्ख हुई पड़ी थी
शायद कल की पहली चुदाई का असर था और नितिन की चुसाई का भी
श्रुति : “सलोनी….ज़रा आराम से करना…अभी कल का दर्द गया नही है…”
मैने कहा : “फिकर ना कर मेरी जान, तेरी चूत को अपनी समझ कर ही चूसूंगी …. दर्द तेरे आशिक ने दिया है, दवा मैं दूँगी”
मेरे फिल्मी अंदाज पर वो हंस पड़ी पर अगले ही पल उसकी हँसी एक सिसकारी में बदल कर रह गयी
क्योंकि मैने उसकी पूरी की पूरी चूत अपने मुँह में एक ही बार में लेकर उसे सिर्फ़ होंठो से चूसना शुरू कर दिया था
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……अहह…….ओह यएसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……ऐसे ही……”
और तभी वो एहसास जो उसे मिल रहा था , मुझे भी मिला
मेरी चूत को भी उसने अपने मुँह में लेकर जोर से चूस डाला
पर उसके चूसने में जंगलिपन ज़्यादा था
क्योंकि उसे पता था की मेरा ये पहली बार है, एकदम कुँवारी चूत है मेरी
कोई दर्द नही , कोई शिकन नही
उसके साथ वो कुछ भी कर सकती है
इसलिए वो बिना किसी रहम के अपने दांतो, जीभ और होंठो के प्रहार से मुझे अंदर तक भिगोने लगी
और सच कहूं दोस्तो, अपनी लाइफ की पहली चुसाई का एहसास पाकर मेरा पूरा शरीर हवा में उड़ रहा था
मुझे तो पता भी नही था की इतना मज़ा मिलेगा
वरना आज से 4 साल पहले जब उसने किस्स करने की शुरूवात करना चाही थी तो उसे आगे बढ़ने से मना नही करती
हम आज तक कितनी बार ऐसी चुसम चुसाई के मज़े ले चुके होते
और उस 69 के पोज़ में हम दोनो एक दूसरे की चूत की मलाई चूसने और चाटने में एक दूसरे की चूत में बुरी तरह से घुसते चले गये
पूरे कमरे में सिर्फ़ हम दोनो की चपर -2 की आवाज़ें और सिसकारियां तैर रही थी
कुछ ही देर में हम दोनो के शरीर उस मुकाम पर पहुँच गये जहाँ से झरने के गिरने जैसा एहसास होता है
और लगभग एक साथ ही हम दोनो का ऑर्गॅज़म आया
एक दूसरे के मुँह में
काफ़ी मस्त स्वाद था उसके जूस का
और शायद उसे भी मेरा जूस पसंद आया था क्योंकि उसने भी मेरे शेम्पेन के ग्लास को पूरा खाली करके छोड़ा
आख़िर तक चाट्ती रही वो उसे
फिर मैं उसकी तरफ सिर करके उसकी बाहों में लिपट गयी
और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई
“थॅंक यू श्रुति….फॉर दिस “
वो मुस्कुराइ और बोली : “थेंक्स टू यू मेरी जान….इतना मज़ा तो मुझे नितिन ने भी नही दिया जितना तूने आज दे दिया है….थेंक यू एंड लव यू …”
इतना कहते हुए उसने अपने वो गीले होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
यार……
वो किस्स मैं कभी नही भूल सकती
मेरी ही चूत का रस उसके होंठो पर था
और साथ में उसके मुँह की मीठी लार भी
उन दोनो का किल्लर कॉंबिनेशन मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था
और ये एहसास भी दिला रहा था की अब मुझे भी अपने इस जवान जिस्म को वो मज़े दिलवाने चाहिए जिसका ये हकदार है
पर कैसे मिलेंगे वो मज़े
ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
अभी तो श्रुति को स्वर्ग का वो मज़ा मिल रहा था जो शायद उसने आज तक महसूस नही किया था
“ओह माआय गॉड ……..सााली इतना मज़ा देती है तू…..काश पहले पता होता…….अब तक सो बार चुस्वा चुकी होती तुझसे…..”
उसके हाथ अब मेरे बूब्स को भी टटोल रहे थे
मैने भी आनन फानन में अपनी टी शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी
अब हम दोनो टॉपलेस होकर अपनी मुर्गिया एक दूसरे से लड़ा रहे थे
कभी वो अपने पैने निप्पल्स से मेरे बूब्स को भेदती कभी मैं
कभी वो मेरा दूध पीती कभी मैं
करीब 10 मिनट तक उसने सेम तो सेम वही निशान मेरी बॉडी पर भी बना दिए जो उसके उपर थे
इसे कहते है पक्की वाली दोस्ती
अब बारी नीचे की थी
गोडाउन में जाने की
क्योंकि असली देसी घी तो वहीं से निकल रहा था दोनो का
पहल मैने की
मैने उसकी जीन्स को खींचा और उतार दिया
साथ में उसकी कच्छी भी निकल आई
मैने भी अपनी शॉर्ट्स उतारी , मैने पेंटी नही पहनी थी आज
दोनो के मिठाई के डब्बे खुलते ही उनकी महक पूरे कमरे में फैल गयी
श्रुति ने मुझे इशारा किया और मैने अपनी टांगे उसके चेहरे से घुमा कर अपनी पुस्सी उसके चेहरे पर रख दी
और खुद अपने लिप्स को लेजाकर सीधा उसकी बहती हुई नशीली चूत पर
और वहां का नज़ारा देखकर मैं हैरान रह गयी
वो एकदम लाल सुर्ख हुई पड़ी थी
शायद कल की पहली चुदाई का असर था और नितिन की चुसाई का भी
श्रुति : “सलोनी….ज़रा आराम से करना…अभी कल का दर्द गया नही है…”
मैने कहा : “फिकर ना कर मेरी जान, तेरी चूत को अपनी समझ कर ही चूसूंगी …. दर्द तेरे आशिक ने दिया है, दवा मैं दूँगी”
मेरे फिल्मी अंदाज पर वो हंस पड़ी पर अगले ही पल उसकी हँसी एक सिसकारी में बदल कर रह गयी
क्योंकि मैने उसकी पूरी की पूरी चूत अपने मुँह में एक ही बार में लेकर उसे सिर्फ़ होंठो से चूसना शुरू कर दिया था
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……अहह…….ओह यएसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……ऐसे ही……”
और तभी वो एहसास जो उसे मिल रहा था , मुझे भी मिला
मेरी चूत को भी उसने अपने मुँह में लेकर जोर से चूस डाला
पर उसके चूसने में जंगलिपन ज़्यादा था
क्योंकि उसे पता था की मेरा ये पहली बार है, एकदम कुँवारी चूत है मेरी
कोई दर्द नही , कोई शिकन नही
उसके साथ वो कुछ भी कर सकती है
इसलिए वो बिना किसी रहम के अपने दांतो, जीभ और होंठो के प्रहार से मुझे अंदर तक भिगोने लगी
और सच कहूं दोस्तो, अपनी लाइफ की पहली चुसाई का एहसास पाकर मेरा पूरा शरीर हवा में उड़ रहा था
मुझे तो पता भी नही था की इतना मज़ा मिलेगा
वरना आज से 4 साल पहले जब उसने किस्स करने की शुरूवात करना चाही थी तो उसे आगे बढ़ने से मना नही करती
हम आज तक कितनी बार ऐसी चुसम चुसाई के मज़े ले चुके होते
और उस 69 के पोज़ में हम दोनो एक दूसरे की चूत की मलाई चूसने और चाटने में एक दूसरे की चूत में बुरी तरह से घुसते चले गये
पूरे कमरे में सिर्फ़ हम दोनो की चपर -2 की आवाज़ें और सिसकारियां तैर रही थी
कुछ ही देर में हम दोनो के शरीर उस मुकाम पर पहुँच गये जहाँ से झरने के गिरने जैसा एहसास होता है
और लगभग एक साथ ही हम दोनो का ऑर्गॅज़म आया
एक दूसरे के मुँह में
काफ़ी मस्त स्वाद था उसके जूस का
और शायद उसे भी मेरा जूस पसंद आया था क्योंकि उसने भी मेरे शेम्पेन के ग्लास को पूरा खाली करके छोड़ा
आख़िर तक चाट्ती रही वो उसे
फिर मैं उसकी तरफ सिर करके उसकी बाहों में लिपट गयी
और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई
“थॅंक यू श्रुति….फॉर दिस “
वो मुस्कुराइ और बोली : “थेंक्स टू यू मेरी जान….इतना मज़ा तो मुझे नितिन ने भी नही दिया जितना तूने आज दे दिया है….थेंक यू एंड लव यू …”
इतना कहते हुए उसने अपने वो गीले होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
यार……
वो किस्स मैं कभी नही भूल सकती
मेरी ही चूत का रस उसके होंठो पर था
और साथ में उसके मुँह की मीठी लार भी
उन दोनो का किल्लर कॉंबिनेशन मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था
और ये एहसास भी दिला रहा था की अब मुझे भी अपने इस जवान जिस्म को वो मज़े दिलवाने चाहिए जिसका ये हकदार है
पर कैसे मिलेंगे वो मज़े
ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
Re: Police daughter sex story
फिर मैं उसकी तरफ सिर करके उसकी बाहों में लिपट गयी और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई
“थॅंक यू श्रुति….फॉर दिस “
वो मुस्कुराइ और बोली : “थेंक्स टू यू मेरी जान….इतना मज़ा तो मुझे नितिन ने भी नही दिया जितना तूने आज दे दिया है….थेंक यू एंड लव यू …”
इतना कहते हुए उसने अपने वो गीले होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
यार……वो किस्स मैं कभी नही भूल सकती, मेरी ही चूत का रस उसके होंठो पर था, और साथ में उसके मुँह की मीठी लार भी, उन दोनो का किल्लर कॉंबिनेशन मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था
और ये एहसास भी दिला रहा था की अब मुझे भी अपने इस जवान जिस्म को वो मज़े दिलवाने चाहिए जिसका ये हकदार है
पर कैसे मिलेंगे वो मज़े ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
***********
अब आगे
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शाम को पापा के आने से पहले श्रुति अपने घर चली गयी, वो उन्हे फेस करना नही चाहती थी, क्योंकि वो भी तो थी क्लब में मेरे साथ
मैने भी एक बुक ले ली और ब्लैक कॉफी पीते-2 बाल्कनी में बैठकर उसका मज़ा लेने लगी
बाहर की बेल बजी तो मेरे दिल की धड़कन एकदम से ना जाने क्यों तेज हो गयी
पापा का यही ख़ौफ़ था बचपन से मेरे अंदर
जो उनके आने से मुझे अंदर तक हिला कर रख देता था
पर आज मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था
आख़िर हैं तो वो मेरे पापा ही ना
एक औलाद अपने माँ -बाप से ऐसे डरकर रहेगी तो कैसे चलेगा
अभी तो मेरी शादी होने में भी 5-7 साल का टाइम था
और उसके बाद भी मुझे आते रहना पड़ेगा अपने घर
इसका मतलब ये तो नही हुआ की पूरी जिंदगी उनसे डर कर ही निकाल देनी है
पर मैं डर क्यों रही हूँ उनसे
आज इसी बात का मंथन चल रहा था मेरे दिलो दिमाग़ में
एक तो वो शुरू से ही पुराने विचारों वाले थे
उपर से पुलिस में रहते हुए उन्हे दुनिया भर के ग़लत काम करने वाले लोगों से मिलना पड़ता था, उनके केस देखने पड़ते थे
गुंडे मवालियों की नज़रों में कितना कमीनापन होता है ये शायद उनसे बेहतर कोई और नही जानता होगा
और शायद इसलिए ही वो मुझे उन सबसे बचा कर रखना चाहते थे
ना तो मुझे ऐसे कपड़े पहनने देते जिन्हे देखकर बाहर के लोगो के मुँह से लार टपक जाए
और ना ही मुझे ये क्लब या सिनेमा जाने की छूट देते थे, जहाँ जाकर मेरे दिलो दिमाग़ में आजकल की नारी होने का घमंड आ जाए
वैसे अपने हिसाब से वो सही थे, एक पापा को इतना प्रोटेक्टिव तो होना ही चाहिए
पर हम बच्चो का नज़रिया भी तो मायने रखता है
मैं उन सिनेमा को देखकर या क्लब में जाकर बिगड़ ही जाऊं, ये तो मेरे उपर भी है ना
मैं खुद अपने हितों से समझोता करके नही रह सकती थी
बस यही बात पापा को समझानी थी
और ये कैसे होगा इसका आइडिया भी मुझे आ चुका था
मुझे उनका नज़रिया बदलना पड़ेगा
और कुछ नया दिमाग़ में आते ही मैं झट से उठी और अपनी अलमारी में रखे कपड़े इधर उधर करके एक ख़ास ड्रेस ढूँढने लगी
पापा घर आने के बाद नहा धोकर गेस्ट रूम में जाकर अपनी बार के सामने बैठ जाते थे और देर रात तक टीवी देखते हुए पीते रहते थे
ये लगभग रोज का नियम था उनका
माँ शुरू में तो उन्हे खाना देने के लिए जागती रहती थी
पर फिर शायद उन दोनो की सहमति से वो 10 बजे सोने चली जाती और बाद मे पापा खुद से खाना खाकर सो जाय करते थे
मैने 10 बजने का इंतजार किया ताकि माँ सोने चली जाए, तब तक मैं भी खाना खा चुकी थी
अब मेरा असली काम शुरू होने वाला था
मैने अपनी अलमारी से वो कपड़े निकाले जो मैने शाम को ढूँढ कर रखे थे
ये एक नाइट सूट था, जिसमें एक टाइट सी शर्ट और शॉर्ट्स थी
शर्ट थोड़ी छोटी थी , जिसमें मेरी नाभि दिखती थी
और ये मैने आज ढूँढ कर इसलिए निकाली थी क्योकि आज से करीब 2 साल पहले जब मैं ये कपड़े मार्केट से लेकर आई थी वो पापा ने मुझे उनमे देखते ही बहुत डाँटा था, वही मोरल लैक्चर वगेरह -2
पर आज फिर से उन्ही कपड़ों को पहनने की हिम्मत पता नही कहाँ से आ गयी थी मुझमे
मैने शर्ट के नीचे ब्रा भी नही पहनी थी, और पिछले 2 सालो में मेरी ब्रेस्ट का साइज़ थोड़ा बढ़ भी गया था
इसलिए वो शर्ट मुझे काफ़ी टाइट आ रही थी
उसमे मेरे बूब्स पर लगे निप्पल्स और भी ज़्यादा चमक बिखेरते हुए उजागर हो रहे थे
और यही हाल मेरी शॉर्ट का भी था
मुझे अच्छे से याद है की वो थोड़ी ढीली थी मुझे
पर आज पहन कर पता चला की मेरे नितंब उसमे काफ़ी मुश्किल से समा पाए
वैसे मुझे अपने हिप्स पर काफ़ी गुमान था
पुछले कुछ महीनों में उनपे जो माँस की परतें चढ़ी थी, उसे महसूस करके मुझे काफ़ी खुशी मिलती थी
ख़ासकर तब जब लड़के मेरा पिछवाड़ा देखकर आहें भरते थे
अब मैं एकदम टाइट से नाईट सूट में खड़ी थी
एक पल के लिए तो मुझे काफ़ी डर भी लगा की कही मेरा प्लान बेकफायर ना कर जाए
पर आज सुबह जिस अंदाज से पापा ने मुझे सोते हुए देखकर अपना लॅंड रगड़ा था, उसके हिसाब से तो मुझे अपना प्लान सफल होता दिख रहा था
मैने लंबी साँस ली और हिम्मत करके अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गयी
ड्रॉयिंग रूम में फ्रिज रखा हुआ था, मैने दरवाजा खोलकर पानी की बॉटल निकाली और उसे उपर मुँह करके पीने लगी
मेरे दायीं तरफ ही गेस्ट रूम था और पापा ने मुझे वहां से पानी पीते हुए देख लिया था
मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी
मैं तिरछी नज़रों से उन्हे देख रही थी, वो दम साधे मुझे ही घूर रहे थे
कभी मेरे पिछवाड़े को और कभी मेरे उभरी हुई छातियों को
मेरे निप्पल्स एरेक्ट हो चुके थे, इसलिए जाहिर था की वो अलग से दिख रहे थे उन्हे
और तभी मुझे ध्यान आया की फ्रिज से आती हुई रोशनी के सामने मैं खड़ी थी
और दूर बैठे पापा को उस ड्रेस की महीन परत के पीछे से आ रही रोशनी की वजह से मेरे पूरे शरीर का उतार चढ़ाव सॉफ दिखाई दे रहा होगा
मैं उन्हे देख रही थी तो मेरा ध्यान पानी की बॉटल से हट गया और एकदम से काफ़ी सारा पानी मेरे चेहरे को भिगोता हुआ मेरे बूब्स पर आ गिरा
ठंडा पानी और गर्म एहसास
मेरा गर्म बदन जल सा उठा उस ठंडे पानी के छोंक से
जैसे गर्म तवे पर पानी की बूंदे दे मारी हो
और तभी पापा की आवाज़ मुझे आई : “सलोनी, अभी तक सोई नही….”
मैने हड़बड़ा कर उन्हे देखा तो वो हाथ में दारु का ग्लास लेकर मेरे बूब्स को ही देख रहे थे, शायद पारदर्शी हो गयी थी मेरी शर्ट
मैं : “वो….पापा…प्यास लगी थी…”
पापा : “हम्म ….एक ठंडे पानी की बॉटल मुझे भी देना ज़रा “
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी
शिकार ने चारा चुग लिया था
मैने वही बॉटल ली जिससे अभी पानी पिया था मैने और पापा की तरफ चल दी
पापा की भूखी नज़रें मुझे उपर से नीचे तक स्केन करने में लगी हुई थी
मैने उन्हे बॉटल दी और जाने लगी तो उन्होने मुझे रोका
“सुनो….ये कैसे कपड़े पहने है तुमने…”
उनकी नज़रें अभी भी मैं अपने बूब्स पर महसूस कर पा रही थी
मैने मासूमियत से भरा चेहरा बनाया और उनकी तरफ देखा
“क्यों , क्या परेशानी है इनमे पापा….”
पापा : “ये…..ये….इतने छोटे…मेरा मतलब है….देखो खुद ही…निक्कर कितनी छोटी है और ये शर्ट भी….त….तुम्हारी….तुम्हारी नाभि तक दिख रही है इसमे…”
उन्होने बोल तो दिया पर फिर खुद ही नज़रें चुराने लगे मुझसे
मैं : “पापा…ये तो मेरा नाइट सूट है…और वैसे भी ये सिर्फ़ घर पर ही तो पहना है….यहाँ आपके और माँ के सिवा कौन है जो मुझे देखेगा…आपके सामने तो ये पहन ही सकती हूँ ना…”
अब उनकी नज़रें मेरे चेहरे पर आ कर जम गयी
मेरे चेहरे पर मासूमियत भी थी और बचपना भी
और वो पिघल गये
“उम…हाँ ….. घर वालो के सामने ही ….मेरे सामने तो पहन ही सकती हो….”
मेरा चेहरा ये सुनते ही खिल सा गया
“थेंक यू पापा….मेरे अच्छे पापा”
और इतना कहते हुए मैं झट्ट से आगे गयी और उनकी गोद में बैठ गयी और उन्हे ज़ोर से हग कर लिया
ये मैने कैसे किया इसका तो मत ही पूछो
मुझे मेरी तो क्या , पापा के दिल की भी तेज धड़कनों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी
उन्हे तो शायद उम्मीद भी नही थी की मैं ऐसी हरकत करूँगी
हाँ , बचपन मे मैं अक्सर उनकी गोद में चड़कर घंटो तक खेला करती थी
पर जवानी में ये मेरा पहली बार था
“थॅंक यू श्रुति….फॉर दिस “
वो मुस्कुराइ और बोली : “थेंक्स टू यू मेरी जान….इतना मज़ा तो मुझे नितिन ने भी नही दिया जितना तूने आज दे दिया है….थेंक यू एंड लव यू …”
इतना कहते हुए उसने अपने वो गीले होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
यार……वो किस्स मैं कभी नही भूल सकती, मेरी ही चूत का रस उसके होंठो पर था, और साथ में उसके मुँह की मीठी लार भी, उन दोनो का किल्लर कॉंबिनेशन मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था
और ये एहसास भी दिला रहा था की अब मुझे भी अपने इस जवान जिस्म को वो मज़े दिलवाने चाहिए जिसका ये हकदार है
पर कैसे मिलेंगे वो मज़े ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
***********
अब आगे
************
शाम को पापा के आने से पहले श्रुति अपने घर चली गयी, वो उन्हे फेस करना नही चाहती थी, क्योंकि वो भी तो थी क्लब में मेरे साथ
मैने भी एक बुक ले ली और ब्लैक कॉफी पीते-2 बाल्कनी में बैठकर उसका मज़ा लेने लगी
बाहर की बेल बजी तो मेरे दिल की धड़कन एकदम से ना जाने क्यों तेज हो गयी
पापा का यही ख़ौफ़ था बचपन से मेरे अंदर
जो उनके आने से मुझे अंदर तक हिला कर रख देता था
पर आज मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था
आख़िर हैं तो वो मेरे पापा ही ना
एक औलाद अपने माँ -बाप से ऐसे डरकर रहेगी तो कैसे चलेगा
अभी तो मेरी शादी होने में भी 5-7 साल का टाइम था
और उसके बाद भी मुझे आते रहना पड़ेगा अपने घर
इसका मतलब ये तो नही हुआ की पूरी जिंदगी उनसे डर कर ही निकाल देनी है
पर मैं डर क्यों रही हूँ उनसे
आज इसी बात का मंथन चल रहा था मेरे दिलो दिमाग़ में
एक तो वो शुरू से ही पुराने विचारों वाले थे
उपर से पुलिस में रहते हुए उन्हे दुनिया भर के ग़लत काम करने वाले लोगों से मिलना पड़ता था, उनके केस देखने पड़ते थे
गुंडे मवालियों की नज़रों में कितना कमीनापन होता है ये शायद उनसे बेहतर कोई और नही जानता होगा
और शायद इसलिए ही वो मुझे उन सबसे बचा कर रखना चाहते थे
ना तो मुझे ऐसे कपड़े पहनने देते जिन्हे देखकर बाहर के लोगो के मुँह से लार टपक जाए
और ना ही मुझे ये क्लब या सिनेमा जाने की छूट देते थे, जहाँ जाकर मेरे दिलो दिमाग़ में आजकल की नारी होने का घमंड आ जाए
वैसे अपने हिसाब से वो सही थे, एक पापा को इतना प्रोटेक्टिव तो होना ही चाहिए
पर हम बच्चो का नज़रिया भी तो मायने रखता है
मैं उन सिनेमा को देखकर या क्लब में जाकर बिगड़ ही जाऊं, ये तो मेरे उपर भी है ना
मैं खुद अपने हितों से समझोता करके नही रह सकती थी
बस यही बात पापा को समझानी थी
और ये कैसे होगा इसका आइडिया भी मुझे आ चुका था
मुझे उनका नज़रिया बदलना पड़ेगा
और कुछ नया दिमाग़ में आते ही मैं झट से उठी और अपनी अलमारी में रखे कपड़े इधर उधर करके एक ख़ास ड्रेस ढूँढने लगी
पापा घर आने के बाद नहा धोकर गेस्ट रूम में जाकर अपनी बार के सामने बैठ जाते थे और देर रात तक टीवी देखते हुए पीते रहते थे
ये लगभग रोज का नियम था उनका
माँ शुरू में तो उन्हे खाना देने के लिए जागती रहती थी
पर फिर शायद उन दोनो की सहमति से वो 10 बजे सोने चली जाती और बाद मे पापा खुद से खाना खाकर सो जाय करते थे
मैने 10 बजने का इंतजार किया ताकि माँ सोने चली जाए, तब तक मैं भी खाना खा चुकी थी
अब मेरा असली काम शुरू होने वाला था
मैने अपनी अलमारी से वो कपड़े निकाले जो मैने शाम को ढूँढ कर रखे थे
ये एक नाइट सूट था, जिसमें एक टाइट सी शर्ट और शॉर्ट्स थी
शर्ट थोड़ी छोटी थी , जिसमें मेरी नाभि दिखती थी
और ये मैने आज ढूँढ कर इसलिए निकाली थी क्योकि आज से करीब 2 साल पहले जब मैं ये कपड़े मार्केट से लेकर आई थी वो पापा ने मुझे उनमे देखते ही बहुत डाँटा था, वही मोरल लैक्चर वगेरह -2
पर आज फिर से उन्ही कपड़ों को पहनने की हिम्मत पता नही कहाँ से आ गयी थी मुझमे
मैने शर्ट के नीचे ब्रा भी नही पहनी थी, और पिछले 2 सालो में मेरी ब्रेस्ट का साइज़ थोड़ा बढ़ भी गया था
इसलिए वो शर्ट मुझे काफ़ी टाइट आ रही थी
उसमे मेरे बूब्स पर लगे निप्पल्स और भी ज़्यादा चमक बिखेरते हुए उजागर हो रहे थे
और यही हाल मेरी शॉर्ट का भी था
मुझे अच्छे से याद है की वो थोड़ी ढीली थी मुझे
पर आज पहन कर पता चला की मेरे नितंब उसमे काफ़ी मुश्किल से समा पाए
वैसे मुझे अपने हिप्स पर काफ़ी गुमान था
पुछले कुछ महीनों में उनपे जो माँस की परतें चढ़ी थी, उसे महसूस करके मुझे काफ़ी खुशी मिलती थी
ख़ासकर तब जब लड़के मेरा पिछवाड़ा देखकर आहें भरते थे
अब मैं एकदम टाइट से नाईट सूट में खड़ी थी
एक पल के लिए तो मुझे काफ़ी डर भी लगा की कही मेरा प्लान बेकफायर ना कर जाए
पर आज सुबह जिस अंदाज से पापा ने मुझे सोते हुए देखकर अपना लॅंड रगड़ा था, उसके हिसाब से तो मुझे अपना प्लान सफल होता दिख रहा था
मैने लंबी साँस ली और हिम्मत करके अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गयी
ड्रॉयिंग रूम में फ्रिज रखा हुआ था, मैने दरवाजा खोलकर पानी की बॉटल निकाली और उसे उपर मुँह करके पीने लगी
मेरे दायीं तरफ ही गेस्ट रूम था और पापा ने मुझे वहां से पानी पीते हुए देख लिया था
मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी
मैं तिरछी नज़रों से उन्हे देख रही थी, वो दम साधे मुझे ही घूर रहे थे
कभी मेरे पिछवाड़े को और कभी मेरे उभरी हुई छातियों को
मेरे निप्पल्स एरेक्ट हो चुके थे, इसलिए जाहिर था की वो अलग से दिख रहे थे उन्हे
और तभी मुझे ध्यान आया की फ्रिज से आती हुई रोशनी के सामने मैं खड़ी थी
और दूर बैठे पापा को उस ड्रेस की महीन परत के पीछे से आ रही रोशनी की वजह से मेरे पूरे शरीर का उतार चढ़ाव सॉफ दिखाई दे रहा होगा
मैं उन्हे देख रही थी तो मेरा ध्यान पानी की बॉटल से हट गया और एकदम से काफ़ी सारा पानी मेरे चेहरे को भिगोता हुआ मेरे बूब्स पर आ गिरा
ठंडा पानी और गर्म एहसास
मेरा गर्म बदन जल सा उठा उस ठंडे पानी के छोंक से
जैसे गर्म तवे पर पानी की बूंदे दे मारी हो
और तभी पापा की आवाज़ मुझे आई : “सलोनी, अभी तक सोई नही….”
मैने हड़बड़ा कर उन्हे देखा तो वो हाथ में दारु का ग्लास लेकर मेरे बूब्स को ही देख रहे थे, शायद पारदर्शी हो गयी थी मेरी शर्ट
मैं : “वो….पापा…प्यास लगी थी…”
पापा : “हम्म ….एक ठंडे पानी की बॉटल मुझे भी देना ज़रा “
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी
शिकार ने चारा चुग लिया था
मैने वही बॉटल ली जिससे अभी पानी पिया था मैने और पापा की तरफ चल दी
पापा की भूखी नज़रें मुझे उपर से नीचे तक स्केन करने में लगी हुई थी
मैने उन्हे बॉटल दी और जाने लगी तो उन्होने मुझे रोका
“सुनो….ये कैसे कपड़े पहने है तुमने…”
उनकी नज़रें अभी भी मैं अपने बूब्स पर महसूस कर पा रही थी
मैने मासूमियत से भरा चेहरा बनाया और उनकी तरफ देखा
“क्यों , क्या परेशानी है इनमे पापा….”
पापा : “ये…..ये….इतने छोटे…मेरा मतलब है….देखो खुद ही…निक्कर कितनी छोटी है और ये शर्ट भी….त….तुम्हारी….तुम्हारी नाभि तक दिख रही है इसमे…”
उन्होने बोल तो दिया पर फिर खुद ही नज़रें चुराने लगे मुझसे
मैं : “पापा…ये तो मेरा नाइट सूट है…और वैसे भी ये सिर्फ़ घर पर ही तो पहना है….यहाँ आपके और माँ के सिवा कौन है जो मुझे देखेगा…आपके सामने तो ये पहन ही सकती हूँ ना…”
अब उनकी नज़रें मेरे चेहरे पर आ कर जम गयी
मेरे चेहरे पर मासूमियत भी थी और बचपना भी
और वो पिघल गये
“उम…हाँ ….. घर वालो के सामने ही ….मेरे सामने तो पहन ही सकती हो….”
मेरा चेहरा ये सुनते ही खिल सा गया
“थेंक यू पापा….मेरे अच्छे पापा”
और इतना कहते हुए मैं झट्ट से आगे गयी और उनकी गोद में बैठ गयी और उन्हे ज़ोर से हग कर लिया
ये मैने कैसे किया इसका तो मत ही पूछो
मुझे मेरी तो क्या , पापा के दिल की भी तेज धड़कनों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी
उन्हे तो शायद उम्मीद भी नही थी की मैं ऐसी हरकत करूँगी
हाँ , बचपन मे मैं अक्सर उनकी गोद में चड़कर घंटो तक खेला करती थी
पर जवानी में ये मेरा पहली बार था
Re: Police daughter sex story
पापा ने एक लूँगी पहन रखी थी, अब पता नही अंदर कुछ पहना था या नही पर कुछ साँप जैसा मुझे अपने हिप्स के नीचे रेंगता हुआ सा महसूस हुआ
मैं जान बूझकर अपने बूब्स को पापा की चौड़ी छाती से सटा कर रखना चाहती थी
क्योंकि यही एक हथियार है जिसके सामने बड़े से बड़ा धुरंधर भी ढेर हो जाता है
पापा कुछ देर तक तो सकते में ही बैठे रह गये
फिर उनका हाथ मेरी पीठ पर आया और वो मुझे सहलाने लगे
“आज मुझपर इतना प्यार क्यों आ रहा है मेरी बिटिया को…”
ये सॉफ्ट और प्यार से भारी टोन थी
जिसे मैने ना जाने कितने सालो से नही सुना था
और वो सुनकर ना जाने क्यों मेरी आँखो में आँसू आ गये
ये भी भूल गयी की मेरा प्लान क्या था
मैं सुबक पड़ी
पापा : “अर्रे….ये क्या, रोने क्यो लगी तू….मैने ऐसा क्या बोल दिया अब मेरी पुच्ची को….”
पुच्ची
ये वो निकनेम था, जिस से पापा मुझे बचपन में बुलाया करते थे
शायद मुझे पुचकारते रहते थे वो, इसलिए..
अब इतने सालो बाद फिर से वही नाम उनके मुँह से सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा
और मैने मन ही मन अपने आप को शाबाशी दी की मेरे इस प्लान की वजह से ही सही, मेरा बचपन एक बार फिर से लौट आया था
मैने और ज़ोर से उनके गले को पकड़ा और लिपटी रही..
मेरे नीचे का साँप अब फुफकारने लगा था
पर मुझे उस से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मैं अपने हिप्स से उसे मसलने में लगी थी
पता नही क्यो
पर इसमे मुझे मज़ा भी आ रहा था
एक तरफ बाप बेटी का प्यार चल रहा था और दूसरी तरफ ये साँप सपेरे का खेल
और मैं दोनो को एन्जॉय कर रही थी
पापा के हाथ मेरी पूरी पीठ का ट्रेवल कर रहे थे
अब तक वो ये तो जान ही चुके थे की मैने ब्रा नही पहनी है
और शायद इसलिए वो मेरी पानी से भीगी शर्ट के अंदर से मेरे पैने निप्पल्स को अपनी छाती पर महसूस कर पा रहे थे
मैं : “पापा, आप ऐसे ही रहा करो, गुस्सा मत किया करो…अब मैं बड़ी हो गयी हूँ , आप मुझे डाँटते हो तो अच्छा नही लगता…”
पापा के हाथ मेरी पीठ पर और ज़ोर से कस गये
और बोले : “ओके …अब से मैं ध्यान रखूँगा, पर तुम भी थोड़ा संभाल कर रहा करो …समझे”
इतना कहते-2 उनके हाथ नीचे तक आए और मेरे हिप्स वाले हिस्से को पकड़ कर सहलाने लगे
मैं : “मैं तो हमेशा संभल कर ही रहती हूँ पापा….पर कल आपने जो क्लब में आकर किया , वो मुझे अच्छा नही लगा…माना की मैने आपको बताया नही था, पर माँ को तो बता कर ही गयी थी मैं …वहां का माहौल ऐसा होता है इसका मतलब ये नही की मैं भी वही सब करने गयी थी, हमारा ग्रूप सिर्फ़ डांस कर रहा था और नोन एल्कोकोलिक ड्रिंक्स और फुड एंजाय कर रहा था, पर आपने आकर सब गड़बड़ कर दिया…”
जवाब में पापा ने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे गाल पर एक गीला सा चुम्मा दे दिया
एक पल के लिए तो मुझे लगा की वो मेरे चेहरे को पकड़ कर नशे में मुझे लीप किस्स करने वाले है
और मैने उसके लिए आँखे भी मींच ली थी
पर उनके होंठो ने जब मेरे गालो को छुआ तो मैने आँखे खोली
जो वो नही करना चाह रहे थे, वो मैने एक्सपेक्ट कर लिया था
या शायद जो वो करना चाहते हो, ये उसका पहला कदम था
मेरे चेहरे पर स्माइल देखकर उनका भी होंसला बढ़ गया और उन्होने लगे हाथो मेरे दूसरे गाल पर भी एक चुम्मा दे मारा
इस बार उनके होंठ कुछ ज़्यादा देर तक मेरे गालों पर रहे
और शायद मैने उनकी जीभ को भी महसूस किया, जैसे वो मेरे चेहरे का शहद चाट रहे हो
फिर अचानक उन्होने टेबल पर रखा अपना ग्लास उठाया और एक ही साँस में पूरा पी गये
उनके होंठो के किनारों से शराब छलक कर नीचे गिर रही थी
मैने झट्ट से अपने नाइट सूट की शर्ट का किनारा उठाया और उस से उनके चेहरे मुँह से गिर रही शराब को पोंछने लगी जैसे कोई बच्चा खाना खाते हुए खाना अपने उपर गिरा लेता है, ठीक वैसे ही पापा का हाल था इस वक़्त
पर ऐसा करते हुए मुझसे एक ग़लती हो गयी
मैने लाड में आकर उनके चेहरे की शराब तो पोंछ डाली
पर जब मैने अपनी शर्ट का निचला सिरा उपर उठाया तो नीचे के दो बटन खुल गये
शर्ट तो पहले से ही मेरी नाभि से उपर थी और काफ़ी शॉर्ट थी
2 बटन और खुलते ही मेरे बूब्स जो उस शर्ट की पकड़ में थे वो हवा में झूलने लगे
और जब मैं आगे होकर उनका चेहरा सॉफ कर रही थी तो वो नंगे बूब्स उनकी छाती से टकरा रहे थे
उन्होने लूँगी के उपर बनियान पहनी हुई थी, जिसके एक तरफ से उनकी छाती भी बाहर निकली हुई थी
मेरा बूब सीधा जाकर उनकी नंगी छाती से टकराया
दोनो के निप्पल्स एक दूसरे के गले मिल लिए
चाहे कुछ ही पल के लिए सही
पर मेरे और उनके निप्पल्स का वो मिलन हम दोनो के शरीर मे पूरी तरह से एक तूफान ले आया था
मैने जल्दी से अपनी शर्ट नीचे की और बटन लगाए और उनकी गोद से उठ खड़ी हुई
पापा का भी बुरा हाल था
वो भी इधर उधर देखने लगे और हड़बड़ाहट में उन्होने एक पेग बना डाला और नीट ही पी गये
बाद में जब उन्हे एहसास हुआ तो उनका चेहरा देखने लायक था
मेरी तो हँसी ही निकल गयी उन्हे देखकर
जैसे कोई कड़वी दवाई पी ली हो
अब मेरा वहां रुकना खतरे से खाली नही था
मैं किसी हिरनी की तरह छलाँगे मारती हुई वहां से भाग खड़ी हुई और सीधा अपने रूम में जाकर अंदर से कुण्डी लगा ली
बिस्तर तक पहुँचने से पहले मेरी शॉर्ट्स और शर्ट दोनो ज़मीन पर थे
और मेरा एक हाथ सीधा अपनी चूत पर और दूसरा उस बूब पर था जो अभी पापा से मिल कर आया था
बिस्तर पर लेटने के साथ ही मैं एकदम से किसी नागिन की तरह फुफ्कार उठी
“उम्म्म्ममममममममममममममममममम……. पा.पाााआआआआआआआआ…… आआअहह”
मेरी दो उंगलिया मेरी चूत की वेल्वेट से भरी नदी में गोते लगा रही थी
मेरा दूसरा हाथ उस निप्पल को उमेठ कर उस से सवाल कर रहा था
की बोल कमीने, कैसा लगा पापा से मिलकर
मज़ा आया ना
अहह…… आया ना…….. बोल साले।।।।।।।।।।।।
मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को पकड़ कर उपर की तरफ खींच दिया
कुछ देर और करती तो वो निप्पल मेरे हाथ में ही आ जाना था
और दूसरे हाथ की वो दोनो उंगलिया जड़ तक अंदर डाल चुकी थी मैं
आज जितनी गहराई तक तो मैं पहले कभी नही गयी थी
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
ये पापा का एहसास इतना मज़े क्यों दे रहा है
मेरे तो और भी दोस्त है
लड़के भी और लड़कियां भी
हालाँकि लड़कों के साथ ऐसा कुछ पहले नही किया था मैने
पर श्रुति के साथ तो आज ही पूरे मज़े लिए थे
पर ये जो पापा वाला एहसास था
वो अलग ही लेवल का था
उसका कोई मुकाबला नही था
मेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली
अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया
और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी
अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था
अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा
और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी
मुझे भी पता नही चला
मैं जान बूझकर अपने बूब्स को पापा की चौड़ी छाती से सटा कर रखना चाहती थी
क्योंकि यही एक हथियार है जिसके सामने बड़े से बड़ा धुरंधर भी ढेर हो जाता है
पापा कुछ देर तक तो सकते में ही बैठे रह गये
फिर उनका हाथ मेरी पीठ पर आया और वो मुझे सहलाने लगे
“आज मुझपर इतना प्यार क्यों आ रहा है मेरी बिटिया को…”
ये सॉफ्ट और प्यार से भारी टोन थी
जिसे मैने ना जाने कितने सालो से नही सुना था
और वो सुनकर ना जाने क्यों मेरी आँखो में आँसू आ गये
ये भी भूल गयी की मेरा प्लान क्या था
मैं सुबक पड़ी
पापा : “अर्रे….ये क्या, रोने क्यो लगी तू….मैने ऐसा क्या बोल दिया अब मेरी पुच्ची को….”
पुच्ची
ये वो निकनेम था, जिस से पापा मुझे बचपन में बुलाया करते थे
शायद मुझे पुचकारते रहते थे वो, इसलिए..
अब इतने सालो बाद फिर से वही नाम उनके मुँह से सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा
और मैने मन ही मन अपने आप को शाबाशी दी की मेरे इस प्लान की वजह से ही सही, मेरा बचपन एक बार फिर से लौट आया था
मैने और ज़ोर से उनके गले को पकड़ा और लिपटी रही..
मेरे नीचे का साँप अब फुफकारने लगा था
पर मुझे उस से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
मैं अपने हिप्स से उसे मसलने में लगी थी
पता नही क्यो
पर इसमे मुझे मज़ा भी आ रहा था
एक तरफ बाप बेटी का प्यार चल रहा था और दूसरी तरफ ये साँप सपेरे का खेल
और मैं दोनो को एन्जॉय कर रही थी
पापा के हाथ मेरी पूरी पीठ का ट्रेवल कर रहे थे
अब तक वो ये तो जान ही चुके थे की मैने ब्रा नही पहनी है
और शायद इसलिए वो मेरी पानी से भीगी शर्ट के अंदर से मेरे पैने निप्पल्स को अपनी छाती पर महसूस कर पा रहे थे
मैं : “पापा, आप ऐसे ही रहा करो, गुस्सा मत किया करो…अब मैं बड़ी हो गयी हूँ , आप मुझे डाँटते हो तो अच्छा नही लगता…”
पापा के हाथ मेरी पीठ पर और ज़ोर से कस गये
और बोले : “ओके …अब से मैं ध्यान रखूँगा, पर तुम भी थोड़ा संभाल कर रहा करो …समझे”
इतना कहते-2 उनके हाथ नीचे तक आए और मेरे हिप्स वाले हिस्से को पकड़ कर सहलाने लगे
मैं : “मैं तो हमेशा संभल कर ही रहती हूँ पापा….पर कल आपने जो क्लब में आकर किया , वो मुझे अच्छा नही लगा…माना की मैने आपको बताया नही था, पर माँ को तो बता कर ही गयी थी मैं …वहां का माहौल ऐसा होता है इसका मतलब ये नही की मैं भी वही सब करने गयी थी, हमारा ग्रूप सिर्फ़ डांस कर रहा था और नोन एल्कोकोलिक ड्रिंक्स और फुड एंजाय कर रहा था, पर आपने आकर सब गड़बड़ कर दिया…”
जवाब में पापा ने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे गाल पर एक गीला सा चुम्मा दे दिया
एक पल के लिए तो मुझे लगा की वो मेरे चेहरे को पकड़ कर नशे में मुझे लीप किस्स करने वाले है
और मैने उसके लिए आँखे भी मींच ली थी
पर उनके होंठो ने जब मेरे गालो को छुआ तो मैने आँखे खोली
जो वो नही करना चाह रहे थे, वो मैने एक्सपेक्ट कर लिया था
या शायद जो वो करना चाहते हो, ये उसका पहला कदम था
मेरे चेहरे पर स्माइल देखकर उनका भी होंसला बढ़ गया और उन्होने लगे हाथो मेरे दूसरे गाल पर भी एक चुम्मा दे मारा
इस बार उनके होंठ कुछ ज़्यादा देर तक मेरे गालों पर रहे
और शायद मैने उनकी जीभ को भी महसूस किया, जैसे वो मेरे चेहरे का शहद चाट रहे हो
फिर अचानक उन्होने टेबल पर रखा अपना ग्लास उठाया और एक ही साँस में पूरा पी गये
उनके होंठो के किनारों से शराब छलक कर नीचे गिर रही थी
मैने झट्ट से अपने नाइट सूट की शर्ट का किनारा उठाया और उस से उनके चेहरे मुँह से गिर रही शराब को पोंछने लगी जैसे कोई बच्चा खाना खाते हुए खाना अपने उपर गिरा लेता है, ठीक वैसे ही पापा का हाल था इस वक़्त
पर ऐसा करते हुए मुझसे एक ग़लती हो गयी
मैने लाड में आकर उनके चेहरे की शराब तो पोंछ डाली
पर जब मैने अपनी शर्ट का निचला सिरा उपर उठाया तो नीचे के दो बटन खुल गये
शर्ट तो पहले से ही मेरी नाभि से उपर थी और काफ़ी शॉर्ट थी
2 बटन और खुलते ही मेरे बूब्स जो उस शर्ट की पकड़ में थे वो हवा में झूलने लगे
और जब मैं आगे होकर उनका चेहरा सॉफ कर रही थी तो वो नंगे बूब्स उनकी छाती से टकरा रहे थे
उन्होने लूँगी के उपर बनियान पहनी हुई थी, जिसके एक तरफ से उनकी छाती भी बाहर निकली हुई थी
मेरा बूब सीधा जाकर उनकी नंगी छाती से टकराया
दोनो के निप्पल्स एक दूसरे के गले मिल लिए
चाहे कुछ ही पल के लिए सही
पर मेरे और उनके निप्पल्स का वो मिलन हम दोनो के शरीर मे पूरी तरह से एक तूफान ले आया था
मैने जल्दी से अपनी शर्ट नीचे की और बटन लगाए और उनकी गोद से उठ खड़ी हुई
पापा का भी बुरा हाल था
वो भी इधर उधर देखने लगे और हड़बड़ाहट में उन्होने एक पेग बना डाला और नीट ही पी गये
बाद में जब उन्हे एहसास हुआ तो उनका चेहरा देखने लायक था
मेरी तो हँसी ही निकल गयी उन्हे देखकर
जैसे कोई कड़वी दवाई पी ली हो
अब मेरा वहां रुकना खतरे से खाली नही था
मैं किसी हिरनी की तरह छलाँगे मारती हुई वहां से भाग खड़ी हुई और सीधा अपने रूम में जाकर अंदर से कुण्डी लगा ली
बिस्तर तक पहुँचने से पहले मेरी शॉर्ट्स और शर्ट दोनो ज़मीन पर थे
और मेरा एक हाथ सीधा अपनी चूत पर और दूसरा उस बूब पर था जो अभी पापा से मिल कर आया था
बिस्तर पर लेटने के साथ ही मैं एकदम से किसी नागिन की तरह फुफ्कार उठी
“उम्म्म्ममममममममममममममममममम……. पा.पाााआआआआआआआआ…… आआअहह”
मेरी दो उंगलिया मेरी चूत की वेल्वेट से भरी नदी में गोते लगा रही थी
मेरा दूसरा हाथ उस निप्पल को उमेठ कर उस से सवाल कर रहा था
की बोल कमीने, कैसा लगा पापा से मिलकर
मज़ा आया ना
अहह…… आया ना…….. बोल साले।।।।।।।।।।।।
मैने आवेश में आकर अपने निप्पल को पकड़ कर उपर की तरफ खींच दिया
कुछ देर और करती तो वो निप्पल मेरे हाथ में ही आ जाना था
और दूसरे हाथ की वो दोनो उंगलिया जड़ तक अंदर डाल चुकी थी मैं
आज जितनी गहराई तक तो मैं पहले कभी नही गयी थी
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
ये पापा का एहसास इतना मज़े क्यों दे रहा है
मेरे तो और भी दोस्त है
लड़के भी और लड़कियां भी
हालाँकि लड़कों के साथ ऐसा कुछ पहले नही किया था मैने
पर श्रुति के साथ तो आज ही पूरे मज़े लिए थे
पर ये जो पापा वाला एहसास था
वो अलग ही लेवल का था
उसका कोई मुकाबला नही था
मेरी उंगलिया अंदर बाहर होती रही और मेरी चूत का गुबार समेट कर ही बाहर निकली
अंत में पापा के नाम की दुहाई देते हुए मैने उन गीली उंगलियो को अपने मुँह में रखकर पूरा निगल लिया
और बाद में एक नया एहसास लेने के लिए फिर से उस गीली चूत में अपनी उंगलिया डालकर कुछ देर पहले हुए सीन को याद करके उसे सहलाने लगी
अपनी गीली चूत में उंगलियों का ये एहसास मुझे चाँद पर ले जा रहा था
अब शायद रोज रात को इस एहसास से निकलना पड़ेगा
और ये सोचते -2 कब मैं नींद के आगोश में चली गयी
मुझे भी पता नही चला