मस्त मेनका compleet

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rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:54

वो शेलेट के कार्पेट पे नंगी पड़ी थी.बगल मे फाइयर्प्लेस मे आग जल रही थी पर उसकी बेपर्दा जवानी की भदक्ति चमक के आगे आग भी बेनूर लग रही थी.विश्वा भी नंगा था ओर उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था.मेनका पागल हो रही थी..उसे बहुत अच्छा लगता था जब उसका पति उसकी चूत पे अपने मुँह से मेहरबान होता था.

पर हर बार की तरह मेनका का मन भरने से पहले ही विश्वा ने अपने होठ उसकी चूत से अलग कर दिया.मेनका का सिर 2 कुशान्स पर था,जिसके कारण उसका उपरी बदन थोडा उठा हुआ था.उसने आँखें खोली तो देखा कि विश्वा अपना लंड पकड़ कर हिला रहा है &उसकी तरफ देख रहा है.उसने गहरी साँस ली & उसका इशारा समझते हुए अपनी टांगे ओर फैला दी.

पर वो चौंक गई जब विश्वा अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने के बजाय उसे सीने के दोनो ओर पैर करके बैठ गया ओर अपना लंड उसके मुँह के सामने हिलाने लगा,"इसे लो."

मेनका ने उसके लंड को अपने हान्थो मे पकड़ा ओर हिलाने लगी.विश्वा अक्सर उसे अपना लंड पकड़ने को कहता था पर उस वक़्त वो पीठ के बल लेटा होता था.आज की तरह उसने कभी नही किया था.

"हाथ मे नही मुँह मे लो."

"क्या?!!",मेनका ने पुचछा.

"हाँ,मुँह मे लो",कहकर उसने अपना लंड उसके हाथों से लिया & उसके बंद होठों पर से छुआने लगा.

"नही,मैं ऐसा नही करूँगी",मेनका ने उसे हल्के से धकेला & करवट लेकर उसके नीचे से निकल गयी.

"क्यू?"

"मुझे पसंद नही बस."

"अरे,क्या पसंद नही?"

"मुझे घिन आती है.मैं ऐसे नही करूँगी."

"जब मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ तब तो तुम्हे बड़ा मज़ा आता है &जब मैं वोही तुमसे चाहता हूँ तो तुम्हे घिन आती है!"

"देखिए,मैं आपसे बहस नही करूँगी.आप जो चाहते हैं वो मैं कभी नही कर सकती बस!"

"ठीक है,तो सुन लो आज के बाद मैं भी कभी तुम्हारी चूत नही चाटूँगा."कह कर विश्वा ने उसे लिटाया & उसके उपर आकर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया& कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ धक्के लगाने लगा जैसे उसे जानकार तकलीफ़ पहुँचना चाहता हो.मेनका ने अफ तक नही की ओर उसके झड़ने का इंतेज़ार करने लगी.

अभी भी इंडिया पहुँचने मे बाबाहुत वक़्त था पर मेनका अभी तक नही सो पाई थी.उस दिन के बाद विश्वा ने सच मे उसकी चूत पे अपने होठों को नही लगाया.

मेनका अब आगेके बारे मे सोचने लगी.राजपुरा पहुँचने के बाद 2 दिन वाहा रहना था & फिर उसे मायके जाना था.अपने माता-पिता का ख़याल आते ही उसके चेहरे पे मुस्कान आ गयी& वो उनकेलिए खरीदे गये तॉहफ़ों के बारे मे सोचने लगी & थोड़ी ही देर मे सो गयी.

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शहर के उस घटिया से होटेल के उस रूम मे वो आदमी पलंग पर नंगा पड़ा था.उसके दोनो हाथ बेडपॉस्ट्स से सिल्क स्कार्व्स से बँधे थे और उसके सामने 1 खूबसूरत, सेक्सी लड़की धीरे-2 अपने कपड़े उतार रही थी.थोड़ी ही देर मे वो पूरी नंगी हो गयी &उसकी तरफ बोझिल पलकों से देख कर अपने गुलाबी होठों पे जीभ फेरी & 2 कदम आगे बढ़ कर अपना 1 पैर पलंग पर रख दिया & पैर के अंगूठे के नाख़ून से उस आदमी के तलवे गुदगुदाने लगी,फिर उसने अपनी दाए हाथ की उंगलिया अपने चूत मे डाल दी & बाए हाथ से अपनी भारी छातियो को मसल्ने लगी.

वो आदमी जोश से पागल हो गया & अपने हाथ च्छुदाने की कोशिश करने लगा.उसका लंड पूरा तन चुका था.पर उसकी हालत से बेपरवाह वो लड़की अपने बदन से खेलते रही,"ऊऊहह....आआ...ह..हह.....बत्रा साहब,ऐसे ही आप मेरी चूचिया दबाना चाहते हैं ना?"उसने अपने बूब्स को बेरहमी से मसालते हुए पुचछा.

"हा..हा..मलिका मेरी जान मेरे हाथ तो खोलो."

"क्यू?बर्दाश्त नही हो रहा?",मलिका वैसे ही अपने जिस्म से खेलती हुई & उसे और तड़पाते हुए बोली.

"नही,,नही!!!!!!!!!!!!प्लीज़ खोलो मलिका."

पर मलिका ने तो उसे और तड़पाना था.वो उसके बदन के दोनो तरफ घुटने रख कर उसके लंड के ठीक उपर अपनी चूत लहराने लगी.बत्रा अपनी गंद उठा कर अपने लंड को उसमे घुसाने की कोशिश करने लगा.पर मलिका हंसते और उपर उठ गयी & अपने हाथ से उसे फिर वापस बिस्तर पर सुला दिया.फिर अपने हाथ उसके सीने पे रखे & यूँ बैठने लगी जैसे उसके लंड को लेने वाली हो.बत्रा मुस्कुराने लगा...मलिका की चूत उसके लंड के सूपदे से सटी..बत्रा को लगा कि अब उसकी मुराद पूरी हुई & ये कसी चूत अब उसके लंड को निगल लेगिपर उसके सपने को तोड़ते हुए मलिका फिर उठ गयी.]

बत्रा रुवासा हो गया,"प्लीज़ मलिका और मत तड़पाव..प्लीज़!!!!प्लीज़!!"

मलिका फिर बेदर्दी से हँसी & इस बार उसके लंड पे बैठ गयी,जैसे ही पूरा लंड उसकी चूत के अंदर गया बत्रा नीचे से ज़ोर-2 से गांद हिलाने लगा.मलिका ऩेफीर उसे मज़बूती से अपने बदन से दबा दिया & बहुत ही धीरे-2अपनी गंद हिला कर उसे चोदने लगी.

बत्रा अब बिल्कुल पागल हो गया.जोश के मारे उसका बुरा हाल था & उसने फिर नीचे से अपनी गंद ज़ोर-2 से हिला कर धक्के मारने लगा.मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & थोड़ी ही देर मे बत्रा झाड़ गया.

तब मालिका ने वैसे ही उसके उपर बैठे-2 उसके हाथ खोले.हाथ खुलते ही बत्रा ने उसे पकड़ कर नीचे गिरा दिया &फिर उसके उपर चढ़ गया.उसका सिकुदा लंड अभी भी मालिका की चूत मे ही था.

"साली,तू बहुत तड़पति है...बहुत मज़ा आता है ने तुझे इसमे...ये ले..ये ले!",कह के वो अपने सिकुदे लंड से ही धक्के लगाने लगा.थोड़ी ही देर मे लंड फिर तन गया & बत्रा के धक्कों मे भी ओर तेज़ी आ गयी.

वो बहुत बेदर्दी से धक्के मार रहा था पर मलिका वैसे ही पागलों की तरह हँसती रही.थोड़ी ही देर मे उसके बदन ने झटके खाए & वो झाड़ कर मलिका के उपर ही ढेर हो गया.

"अब थोड़ी काम की बातें हो जाए,बत्रा साहब?.मलिका ने उसके कन मे कहा.

बत्रा राजकुल ग्रूप मे मॅनेजर था.सेशाद्री को उस पर बहुत भरोसा था & बत्रा आदमी था भी भरोसे के लायक पर फिर 1 दिन उसकी मुलाकात मलिका से हुई & उस दिन सेओ राजा साहेब के बिज़्नेस के अंदर जब्बार का भेड़िया बन गया.

बत्रा को जैसे सेक्स करना पसंद था,उसकी बीवी को वो बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था.बत्रा रफ सेक्स& सडो-मासकिज़म का शौकीन था.दर्द के साथ सेक्स ही उसे पूरी तरह संतुष्ट कर पाता था.किसी तरह जब्बार को उसकी ये कमज़ोरी पता चल गयी &मलिका के ज़रिए उसने उसे अपना जासूस बना लिया.मज़े की बात ये थी, बत्रा ये समझता था कि वो राजा साहब के बिज़्नेस राइवल पॅंट ग्रूप के लिए काम करती थी.इस तरह से जब कभी पोल खुलती भी तो नुकसान केवल बत्रा का था.जब्बार का नाम भी सामने नही आता & मलिका-मलिका को तो किसी चीज़ की परवाह नही थी सिवाय इसके कि उसके डेबिट & क्रेडिट कार्ड हुमेशा काम करते रहें & उसके जिस्म की आग रोज़ बुझती रहे.

जब्बार टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे अपनी कोठी के किचन मे खड़ा फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर पानी पी रहा था जब मलिका हॉल मे दाखिल हुई.उसने अपना हॅंड बॅग 1 तरफ फेका & जब्बार को हॉल से किचन मे खुलते दरवाज़े से देखते हुए बेडरूम मे घुस गयी.जब्बार बॉटल लेकर हॉल मे आया & बड़े सोफे पर बैठ गया.

"क्या पता चला?"

सुनकर मलिका बेडरूम से हॉल मे खुलने वाले दरवाज़े पे आकर खड़ी हुई,"यही कि बत्रा का लंड तुमसे बड़ा है",हंसकर अपना टॉप उतारते हुए अंदर चली गयी.

"उंगली मत कर."

"क्यू ना करू?सिर्फ़ तू ही कर सकता है.",वो वापस दरवाज़े पे आई & अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने ब्रा के हुक्स खोल कर उसे अपने बदन से अलग कर दिया,उसकी भारी चूचिया थरथरती हुई आज़ाद हो गयी.

"राजा की पोज़िशन दिन पर दिन मज़बूत हो रही है & तू बस यहा जासूसी ही करता रह!पता है राजकुल ग्रूप का 49% शेर 1 जर्मन कंपनी. खरीद रही है.बत्रा कह रहा था कि राजकुल ग्रूप की टोटल वॅल्यू 200 करोड़ है,जर्मन कंपनी.से राजा को 98 करोड़ मिल रहे हैं.अभी ऑडिटिंग वगेरह चल रही है,2-3 महीने मे डील हो जाएगी.",उसने अपनी स्किन-टाइट जीन्स & पॅंटी1 साथ उतरी & अपनी मस्त गांद मटकाते हुए वापस रूम मे चली गयी.

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:55

"हा..हा...हा!इसका मतलब है कि राजकुल की असल वॅल्यू है 280 करोड़ रुपये.राजा को 30 करोड़ रुपये और मिले होंगे.",जब्बार हंसा.

"क्या?",मलिका 1 ओवरसाइज़ सफेद ट-शर्ट पहन कर आई,साफ पता चल रहा था कि उसके नीचे उसने कुछ नही पहना था.उसकी चूचियो की गोलाई & निपल्स के उभार & चौड़ी गांद के कटाव कपड़े मे से सॉफ झलक रहे था.उसने जब्बार के हाथ से बॉटल ली & उसकी गोद मे पैर रख कर सोफे पे लेट गयी & पानी पीने लगी.

"मलिका,ये बिज़्नेसमॅन जितना पैसा कमाते हैं,वो असल रकम कभी नही बताते.ये बॅलेन्स शीट,ऑडिटिंग सब होती है पर कुच्छ पैसा ये हमेशा अपने सीक्रेट अकाउंट्स मे रखते हैं.ये 200 करोड़ तो दुनिया के लिए है.डील से जो पैसा ग्रूप को मिलेगा,दिखाया जाएगा कि सारे पैसे एंप्लायीस के बोनस & मिल्स के अपग्रडेशन मे लग गये & 98 करोड़ मे से 4-5 करोड़ राजा को मिले.पर ग्रूप की वॅल्यू जान कर कम दिखाई जाएगी ताकि वो 30 करोड़ राजा को बिना किसी परेशानी के मिले जिन्हे वो कही विदेशी बॅंक मे च्छूपा देगा.और तो और तुझे पता है कि सालाना मुनाफ़ा भी हुमेशा थोड़ा कम दिखाया जाता है & वो च्छुपाई हुई रकम भी राजा के पेट मे जाती है"

"ठीक है पर अपने फ़ायडे की बात तो समझा मुझको.",कहते हुए मलिका ने अपने पैर से जब्बार के शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया & वैसे लेते हुए ही अपने पैरों से उसके लंड को रगड़ने लगी.बॉटल को किनारे रखा,अपनी शर्ट उपर की & अपनी उंगलियों से अपने निपल्स रगड़ने लगी.

"राजपरिवार की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फाय्दा है.तुझे लगता है कि मैं हाथ पे हाथ धरे बैठा हूँ",जब्बार ने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसाते हुए कहा,"ये मेरा प्लान है,साली.मैं ऐसी चाल चलूँगा कि राजा यशवीर & उसका परिवार अपने हाथों अपनी जान लेगा & अपने बिज़्नेस की धज्जियाँ उड़ाएगा.",उसने मलिका के दाने को रगड़ते हुए कहा.

"ऊऊ...हह!पर तुझे तो 1 पैसा भी नही मिलेगा इसमे...एयेए...ययईईए.....बस राजा की बर्बादी होगी."

"कहा ना राजा की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फयडा है.तुझे क्या चिंता है मैं जानता हूँ छिनाल!परेशान मत हो तेरी भूख शांत करने लायक पैसे मेरे पास अभी भी हैं & हमेशा रहेंगे.बदले की आग मे खुद को भी राख करू ऐसा चूतिया नही हूँ मैं.,"मालिका की चूत पे चिकोटी काटते हुए उसके मुँह से निकल गया .

"ऊउउउउ...कचह!हा...हा...बदला!तो ये बात है,क्या हुआ था कुत्ते?राजा ने तेरी मा की गांद मार ली थी क्या?!!हा..हा..हा..एयाया.....यययययईईई!मलिका दर्द से चीख पड़ी.जब्बार ने बेरहमी से उसकी चूत नोच ली थी.

"हरमज़ड़ी,रंडी!आज के बाद मुझसे कभी मेरे बदले के बारे मे मत पुच्छना?ओर अगर बाहर किसी से भी कहा तो तुझे ऐसी मौत मारूँगा कि यमराज भी दहल जाएगा."उसने लेटी हुई मलिका के 2-3 झापड़ बी रसीद कर दिए.

"ठीक है दरिंदे.ये ले साले.",जवाब मे मालिका ने उसके आंडो को अपने पैरो तले कुचल दिया,"साला नमर्द मुझ पे हाथ उठाता है!"

"एयेए..हह!",जब्बार करहा,उसने मालिका की टाँगों को अपने आंडो से हटाया & उन्हे चौड़ी करके उसके उपर सवार हो गया & अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा,"मुझसे बदतमीज़ी करती है,रांड़!",कह कर पागलों की तरह वो उसके बदन को नोचने लगा.

"मुझे नमर्द कहती है.ये ले!",थोड़ी देर मे लंड खड़ा हो गया & उसने उसे मलिका की चूत मे पेल दिया & ज़ोरदार धक्के मारने लगा.उसने अपने दाँत उसकी बड़ी,गोल चूची मे गढ़ा दिए.

मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी & फिर जब्बार के कंधे पे इतनी ज़ोर से काटा की उसके खून निकल आया.

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मेनका अपने मायके से वापस राजपुरा आ गयी थी.सवेरे उठ कर वो नीचे रसोई मे खानसमे से बात करने पहुचि.

"नमस्कार,कुँवरनी जी."

"नमस्कार,खानसमा साहेब.आज का मेनू डिसाइड कर ले."

"कुँवरनी जी,नाश्ते का हुक्म तो राजा साहेब ने कल रात आपके वापस आने के पहले ही दे दिया था.आप दिन के बाकी खाने का मेनू हमे हुक्म कर दें."

मेनका ने बाकी मेनू डिसाइड कर के जब नाश्ते का मेनू देखा तो उसे प्लेज़ेंट सर्प्राइज़ हुआ.उसके ससुर ने केवल उसकी पसंद की चीज़ें बनाने का हुक्म दिया था.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया.

"खानसमा साहब,हमे पिताजी की पसंद-नापसंद के बारे मे तफ़सील से बताएँ & साथ-साथ ये भी कि मेडिकल रीज़न्स की वजह से तो उन्हे कोई परहेज़ तो नही करना पड़ता."

थोड़ी देर बाद मेनू रिवाइज़ किया गया.

नाश्ते के बाद दोनो बाप-बेटे ऑफीस चले गये & मेनका महल का सारा सिस्टम समझने लगी.हर काम के लिए नौकर-नौकरानी थे.उन्हे पता भी था कि उन्हे क्या करना है.शाम तक मेनका ने पूरा सिस्टम समझ लिया & पूरे स्टाफ को कुच्छ न्‍नई बातें समझा दी.

रात के खाने पे राजा साहब खुशी से उच्छल पड़े.केवल उनके पसंद की चीज़ें थी टेबल पर.

"खानसमा साहब,आज आप हम पर इतने मेहेरबान कैसे हो गये,भाई?"

"महाराज.ये सब हमने कुँवरनी साहिबा के कहने पे बनाया है."

"दुल्हन,आपको हुमारी पसंद के बारे मे कैसे पता चला?"

"जैसे आपको हुमारी पसंद के बारे मे.",मेनका ने जवाब दिया & दोनो हंस पड़े.

शाम के 7 बजे थे,अंधेर गहरा रहा था जब राजपुरा से निकल कर वो ग्रे कलर की लंदक्रुसेर ने 5 मिनट के बाद हाइवे छ्चोड़ दिया ओर 1 पतली सड़क पे चलने लगी & 15 मिनट बाद कुच्छ झोपड़ियों के पास पहुच कर रुक गयी.ड्राइवर साइड का शीशा 4 इंच नीचे हुआ & 1 50 का नोट बाहर निकला जिसे उस आदिवासी ने लपक के पकड़ लिया जो गाड़ी देख कर भागता हुआ आया था.बदले मे उसने 1 छ्होटी बॉटल गाड़ी के अंदर दे दी.

उसके बाद वो ग्रे कलर की, गहरे काले शीशों वाली लंदक्रुसेर वापस लौटने लगी.हाइवे से थोड़ा पहले कार रुक गयी.अंदर बैठे विश्वजीत ने बॉटल खोल ले अपने मुँह से लगा ली.सस्ती शराब जब हलक से नीचे उतरी तो उसे जलन महसूस हुई पर इसी जलन मे उसे सुकून मिलता था.

राजा यशवीर का बेटा,भावी राजा,अकूत दौलत का मलिक जो चाहे थे दुनिया की महँगी से महँगी शराब पी सकता था आदिवासियों द्वारा घर मे बनाई हुई 50 रुपये की शराब मे चैन पाता था.वाकाई इंसान भगवान की सबसे अजीबो-ग़रीब ईजाद है.

विश्वा को वो दिन याद आया जब वो अपने बड़े भाई के साथ घूमते हुए यहा आया था & उन्होने इन आदिवासियों से जुंगली खरगोश पकड़ना सीखा था.अपने गुज़रे हुए भाई की याद आते ही उसकी आँखो मे पानी आ गया.

"क्यू चले गये तुम भाई?क्यू.तुम गये और मैं यहा अकेला रह गया इन झंझटों के बीच मे.तुम जानते थे मुझे ये बिज़्नेस & राजाओं की तरह रहना कितना नापसंद था.फिर भी मुझे छ्चोड़ कर चले गये.",विश्वा बुदबुडाया & 1 घूँट और भरी.

"मर्यादा,शान....डिग्निटी!बस यही रह गया है मेरी लाइफ मे.चलो तो ख्याल रहे कि हम किस ख़ानदान के हैं,बात करो तो ध्यान रहे कि हुमारी मर्यादा क्या है...यहा तक की शादी भी करो तो ....हुन्ह."

विश्वा हुमेशा सोचता था कि यूधवीर राजा बनेगा & वो आराम से जैसे मर्ज़ी विदेश मे रह सकता था.शादी मे तो उसे विश्वास ही नही था.उसका मानना था कि जब तक जी करे साथ रहो & जिस दिन डिफरेन्सस हो अलग हो जाओ.शादी तो बस मर्द-औरत के ऐसे सिंपल रिश्ते को कॉंप्लिकेट करती थी.

उसने बॉटल ख़तम करके बाहर फेंकी की तभी 1 लंबा,गोरा छ्होटे-2 बालों वाला क्लीन शेवन इंसान उसके पास पहुचा,"सलाम,साब."

उस अजनबी को देखते ही विश्वा के हाथ अपने कोट मे रखे पिस्टल पर चले गये.

"सलाम,साब.मेरा नाम विकी है.मुझे लगता है कि मेरे पास आपके काम की चीज़ है."

"दफ़ा हो जाओ.",कहकर विश्वा गाड़ी गियर मे डालने लगा.

"साहब,बस 1 बार मेरा समान देख लीजिए.कसम से मैं आपका दुश्मन नही बस 1 छ्होटा सा व्यापारी हू जिसे लगता है कि उसके माल के असल कदरदन आप ही है."

विश्वा ने बिना कुच्छ बोले गाड़ी रोकी पर बंद नही की & उसका 1 हाथ कोट के अंदर ही रहा.

विकी ने अपनी जेब से 2 छ्होटे पॅकेट्स निकाले जिसमे 1 मे सफेद पाउडर था & दूसरे मे छ्होटे-2 टॅब्लेट्स.

विश्वा समझ गया कि विकी 1 ड्रग डीलर था & ये सिकैने & एकस्टसी थे.

"मैं ये सब नही लेता."

"साहब,ना तो मैं पोलीस का आदमी हू ना तो आपको फँसाने की कोशिश कर रहा हूँ.आपके जैसे मैं भी इन लोगों से महुआ लेने आता हूँ.आज आपको देखा तो मेरे अंदर का बिज़्नेसमॅन कहने लगा कि इतने मालदार आदमी को 50 रुपये की शराब क्यू चाहिए....इसीलिए ना कि वो कोई नया नशा चाहता है."

rajaarkey
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Re: मस्त मेनका

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 15:56

विश्वा ने विकी की आँखों मे घूर के देखा.सच कह रहा था वो.वो नशे मे सुकून ही तो तलाश रहा था.

"..मैं यही नाथुपुरा का रहनेवाला हूँ.शहर मे मेरी मोबाइल शॉप है.थोड़ी एक्सट्रा इनकम के लिए ये धंधा करता हू.भरोसे का आदमी हू साहब.माल भी असली देता हूँ.1 बार ट्राइ करो साहब."

"कीमत क्या है?"

विकी के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी.

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वो मोबाइल जिसमे बस 1 ही नंबर. सेव्ड था अचानक बजने लगा.जब्बार चौंक कर उठा,रात के 12 बाज रहे थे.मालिका एकद्ूम नंगी बेसूध उसके बगल मे सोई पड़ी थी.

"हुऊँ",उसने फोन उठाया.

"चिड़िया ने आज दाना चुग लिया."

"वेरी गुड.उसे जाल मे फँसा कर ही छ्चोड़ना."

"डॉन'ट वरी."

जब्बार ने फोन काट दिया.कल्लन ने पहली सीधी चढ़ ली थी.अब देखना था आगे क्या होता है.

राजा यशवीर ने महसूस किया कि मेनका के आने के बाद उनका शानदार महल फिर से उन्हे घर लगने लगा था वरना तो पिच्छले 2 सालों से बस वो यहा जैसे बस सोने & खाने के लिए आते थे.

पर अब उन्हे घर पहुँचने का इंतेज़ार रहता था.मेनका से बातें करने के लिए.वो भी उनसे हर मुद्दे पर बात कर लेती थी.उन्हे वो काफ़ी समझदार & सुलझी हुई लड़की लगती थी.राजा साहब उसे कंपनी. के बारे मे भी बताते थे & उसके बिज़्नेस के बारे मे ओपीनियन्स सुन कर प्रभावित हुए बिना नही रह सके थे.महल की ज़िम्मेदारी तो उसने बखूबी सम्भहाल ली थी.

मेनका को भी अपने ससुर के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था.उनके पास बताने को इतनी इंट्रेस्टिंग बातें थी & वो कितने नालेजबल थे.पर सबसे अच्छा लगता था जैसे वो उसके बारे मे केअर करते थे.

धीरे-2 करके 1 महीना गुज़र गया.जहा राजा साहब & मेनका 1 दूसरे से काफ़ी फ्री हो गये थे.वही मेनका महसूस कर रही थी कि उसका पति उससे दूर होता जा रहा है.वैसे तो अपना मन टटोलने पर वो भी पाती थी कि वाहा विश्वा के लिए प्यार नही है-होता भी कैसे जिस इंसान ने उसे बस अपनी प्यास बुझाने का ज़रिया समझा हो,उसके लिए प्यार कहा से आता.पर था तो वो उसका पति & उसे हो ना हो मेनका को उसकी फ़िक्र ज़रूर थी.

पिच्छले 1 महीने से वो रात मे देर से आता,पुच्छने पर काम का बहाना बना देता.मेनका को शक़ हुआ कि कही कोई दूसरी औरत का चक्कर तो नही पर ऐसा नही था कि विश्वा को उसमे दिलचस्पी नही थी.रोज़ रात वो उसे पहले जैसे ही चोद्ता था,पर अब वो और बेचैन & बेसबरा रहने लगा था.उसकी आँखों मे जैसे कोई नशा हर वक़्त दिखता था.

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई यही सब सोच रही थी,बगल मे विश्वा उसे चोदकर अभी-2 सोया था.उसका ध्यान अपने ससुर की ओर गया,कितना फ़र्क था बाप-बेटे मे.राजा साहब उसकी कितनी चिंता करते थे.....अगर विश्वा की जगह उसकी शादी राजा साहब से हुई होती तो?ख़याल आते ही मेनका को अपने बच्पने पर हँसी भी आई & थोड़ी शर्म भी.आख़िर वो उसके ससुर थे..उसने करवट लेकर विश्वा की तरफ पीठ की & सोने लगी.

वही राजा साहब विश्वा के बारे मे सोच रहे थे.उन्हे आजकल वो थोड़ा अजीब लगने लगा था.नयी शादी थी पर बहू मे उसे कोई खास दिलचस्पी नही थी.1-2 बार उन्होने उसे बहू को घुमाने के लिए शहर ले जाने कहा था पर उसने काम का बहाना कर बात टाल दी.इतनी अच्छी बीवी पाकर तो लोग निहाल हो जाते हैं.उन्होने सोच लिया था कि विश्वा से खुल कर बात करेंगे.मेनका जैसी लड़की किस्मत वालों को मिलती है.उन्हे भी तो ऐसी ही बीवी चाहिए थी जो सिर्फ़ पत्नी ही नही दोस्त भी हो,उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का हौसला रखती थी.सरिता देवी 1 बहुत अच्छी स्त्री,अच्छी मा थी पर राजा साहब की मित्र बनने की कोशिश उन्होने कभी नही की.इसीलिए तो वो शहर मे उन रखाइलॉं को रखने लगे थे,"कितनी पुरानी बात है...",उन्होने सोचा.बेटे की मौत के बाद तो सेक्स की तरफ उनका ध्यान भी नही गया.

और फिर उन्हे भी ख़याल आया,"अगर मेनका हुमारी बीवी होती तो?...."& उनके होटो पे मुस्कान आ गयी. "छी छीए!अपनी बहू के बारे मे ऐसे ख़याल....पर गैर होती तो.."सोचते हुए वो भी सो गये.

अगले दिन वो सुबह होनी थी जो दोनो की ज़िंदगी का रुख़ बदलने का आगाज़ करनेवाली थी.

सुबह राजा साहब लॉन मे चाइ पीते हुए अख़बार पढ़ रहे थे.मेनका वही उनसे कुच्छ 24 फीट की दूरी पर मालियों को कुच्छ समझा रही थी.राजा साहब ने अख़बार के कोने से उसे देखा,पीले रंग की सारी मे वो बहुत सुंदर लग रही थी.राजा साहब उसका साइड प्रोफाइल देख रहे थे जिस वजह से उसके बड़ी छातियो & गांद के उभार का पूरा पता चल रहा था.आज पहली बार राजा साहब ने उसके फिगर को ढंग से देखा & रीयलाइज़ की खूबसूरत होने के साथ-2 मेनका बहुत सेक्सी भी है.

तभी मेनका का हाथ अपने माथे पर गया,माली उसके आदेशानुसार लॉन के दूसरे कोने पर चले गये थे.आस-पास कोई नौकर नही था,सभी किसी ना किसी काम मे लगे थे.मेनका को चक्कर आ रहा था,अचानक उसकी आँखों के सामने अंधेरा च्छा गया.

राजा साहब ने उसे गिरते देखा & बिजली की फुर्ती से उसे ज़मीन पर गिरने से पहले ही सामने से अपनी बाहों मे थाम लिया,"क्या हुआ,दुल्हन?"वो उसे इस तरह से पकड़े थे कि दूर से कोई देखता तो समझता कि दोनो गले लग रहे हैं.उन्होने नीचे उसके चेहरे को थपथपाया.मेनका ने आँखें खोली तो देखा कि उसके ससुर ने उसे गिरने से रोक लिया था.कितना आराम लग रहा था उसे इन मज़बूत बाहों मे,हिफ़ाज़त महसूस हो रही थी,उसने सहारे के लिए राजा साहब के कंधों को पकड़ लिया.उसका दिल किया कि बस ऐसे ही उन बाहों के सहारे खड़ी रहे,राजा साहब की शर्ट के उपर के 2 बटन खुले थे & उनके चौड़े,बालों भरे सीने का कुच्छ हिस्सा नज़र आ रहा था.मेनका ने सिर झुकाया & उनके सीने मे अपना मुँह च्छूपा लिया.उनकी मर्दाना खुसबु उसे मदहोश करने लगी.

राजा साहब की नज़र नीचे पड़ी तो पारदर्शी आँचल मे से उन्हे ब्लाउस के गले से झँकता मेनका का मस्त क्लीवेज नज़र आया जो कि उनके सीने से दबने के कारण & उभर गया था.उनके हाथ ब्लाउस के नीचे से उसकी नंगी पीठ & कमर पर थे & उसकी कोमलता महसूस कर रहे थे.राजा साहब का लंड खड़ा हो गया था जिसे सटे होने के कारण मेनका ने भी अपने पेट पे महसूस किया & वो अपने ससुर से थोड़ा और सॅट गयी.दोनो का दिल कर रहा था कि ऐसे ही पूरी उम्र खड़े रहे पर तब तक नौकर-नौकरानी भागते हुए वाहा आने लगे थे.राजा साहब ने 1 हाथ अपनी बहू की कमर से हटा कर उसके चेहरे को उपर उठाया,"होश मे आयो दुल्हन."

नौकरानियों की मदद से मेनका को उन्होने उसके कमरे तक पहुचेया & विश्वा को डॉक्टर बुलाने को कहा.राजा साहब ने अपने मिल स्टाफ की सुविधा के लिए जो हॉस्पिटल बनाया था उसकी देख-रेख की ज़िम्मेदारी डॉक्टर,सिन्हा की थी.उनकी बीवी डॉक्टर.लता भी उसी हॉस्पिटल ज्ञानेकोलोगी डिपार्टमेंट. देखती थी.विश्वा का फोन मिलते ही वो तुरंत महल पहुचि & मेनका का चेक-अप करने लगी.थोड़ी देर बाद वो राजा साहब & विश्वा के पास आई,"बधाई हो राजा साहब,आप दादा बनाने वाले हैं."

"क्या?सच!डॉक्टर.साहिबा आपने तो हुमारा मन खुश कर दिया.दुल्हन बिल्कुल ठीक तो हैं ना?"

"हा,राजा साहब.आपकी इजाज़त हो तो मैं कुंवर-कुँवारानी से ज़रा एक साथ बात कर लूँ?"

"हा,हा.ज़रूर.जाइए कुंवर."


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