सेक्स की पुजारन पार्ट- 4
गतान्क से आगे.............
मैने कुछ कहा नहीं पर उसका सर नीचे धकेल्ति रही. आख़िर मुझ पे तरस खा के वो अपने घुटनो तले ज़मीन पे बैठ गया. ज़मीन पे बैठ के उसने अपने होंठो से मेरे पेट को चाटना शुरू कर दिया. मुझसे अब और बर्दाश्त नही हो रहा था और में अपने दोनो हाथो से उसके सिर को नीचे धकेल रही थी और अपने पैरो को उपर कर रही थी. आख़िर डिज़िल्वा ने मुझ पे तरस खा ही लिया और मेरा एक पैर उठा के उसके कंधे पे रख दिया. उसने झट से मेरी चूत पे अपने होठ रख दिए और चूमने लगा. में खुशी से चीख पड़ी ‘आआईयईईईईई..’. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि चूत चटवाने मे इतना मज़ा आता हैं. डिज़िल्वा अब मेरी चूत को चूमे जा रहा था. मैं दोनो हाथो से उसका सर पकड़ मेरी चूत की तरफ खीच रही थी. डिज़िल्वा ने अब अपना मूह खोल के अपनी जीब बाहर निकाली और एक झटके में मेरी चूत में घुसेड दी. मेरी चूत में आज तक मेरी उंगलियो के सिवा कुछ भी नही गया था. डिज़िल्वा की गरम और गीली जीब को अपनी चूत में पा कर मैं पागल हो गयी. मैं ‘आआआआआहह....आआआआआआअहह’ कर के आवाज़े निकालने लगी. डिज़िल्वा ने जीब को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं मदहोश हो गयी थी और उसका सर अपने हाथो से पकड़ अपनी चूत उसके चेहरे पे रगड़ रही थी. मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी थी. मैं झरने ही वाली थी.
डिज़िल्वा ने अब मेरा दूसरा पर भी उठा लिया और उसके दूसरे कंधे पे रख डाला. मेरी दोनो जांघे अब उसके कंधे पे थी और दोनो पैर हवा में थे, मेरी पीठ दीवार पे थी और मैं जैसे अपनी चूत ठेले उसके चेहरे पे बैठी थी. डिज़िल्वा अब अपनी पूरी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. में झार ने लगी. मैने उसका सर अपने हाथो से पकड़ लिया और अपनी गांद उछाल, उछाल के अपनी चूत उसके चेहरे पे ज़ोर से घिसने लगी. मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी थी. तीन या चार मिनिट तक मैं ऐसे ही ज़ोर से झरती रही. डिज़िल्वा ज़ॉरो से मेरी चूत को अपनी जीब से चोद्ता रहा. आख़िर मेरा झरना बंद हुआ और डिज़िल्वा ने मुझे कंधो से उतार दिया.‘मज़ा आया मेरी जान’ मैने अपना सर हां में हिलाया. मैं ज़ॉरो से साँस ले रही थी. इतनी ज़ोर से झार के में थक गयी थी.
‘अब तेरी बारी हैं मेरी रानी मेरा लंड चुसेगी ?’ मुझे बहुत शरम आ रही थी ऐसी गंदी बात सुनकर. मैने अपना सिर हां में हिलाया. उसने अब मेरे कंधो पे ज़ोर देके नीचे घुटनो तले बैठा दिया. और तुरंत ही अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. मैने अपना मूह पूरा फैलाया और उसका लंड चूसने लगी. पूरा ज़ोर लगा के मैने 6 इंच तक का लंड मूह मे ले लिया और उसे चूसने लगी. डिज़िल्वा ने दोनो हाथ से मेरा सर पकड़ लिया और मुझे रोक कर कहा.
‘पूरा लंड लेगी मेरा मूह में ?’. उसके चेहरे का आभास डरावना था. मुझे समझ में आ गया कि वो मज़ाक नही कर रहा था.
‘कल तूने अछा चूसा था मेरा लंड पर अब में तुझे दिखाता हूँ कि 10 इंच का लंड पूरे का पूरा कैसे चूसा जाता हैं’. यह कह कर डिज़िल्वा ने अपना लंड मेरे मूह में धीरे धीरे घुसेड़ना शुरू किया. मैने उसको अपने हाथो से दूर करने की कोशिश की पर उसने बहुत ज़ोर से मेरा सर पकड़ा था. उसका लंड अब 7 इंच तक मेरे मूह मे था. मूह में ज़रा भी जगाह बाकी नही थी फिर भी डिज़िल्वा मेरा सर पकड़ लंड आगे धकेल्ता रहा. अब लंड मुझे मेरे हलक में घुसते हुए महसूस होने लगा. मैं ज़ोर से डिज़िल्वा को मारती रही पर उसपे कोई असर नही था. उसने अपने लंड को आगे बढ़ाना जारी रखा. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे पर डिज़िल्वा बेरहमी से लंड आगे धकेलते गया. अब उसका 10 इंच का लंड पूरा मेरे मूह में था. मुझे अपने गले में उसका लंड महसूस हो रहा था. मुझे ख़ासी आ रही थी पर में ख़ास भी नही सकती ती. मेरे जबड़े और मूह में अब बहुत दर्द हो रहा था और मैं चीखना चाहती थी पर चीखती भी कैसे.मैं अपने हाथ ज़ोर ज़ोर से डिज़िल्वा पे मार रही थी और अपना सर उसके लंड से दूर लेने की कोशिश कर रही थी पर उसने अपने दोनो हाथो से मेरा सर पकड़ के रखा था. उसने मेरे सिर को अपनी तरफ इतना खीच लिया था कि मेरा चेहरा अब उसके पेट पे दब रहा था. पूरा लंड मूह में होने के बावजूद भी वो मेरा सर अपनी तरफ ओर खीच रहा था.
वो अब अपने लंड से मेरे मूह में धक्के लगाने लगा. वो सिर्फ़ एक आध इंच लंड बाहर निकालता और फिर उसे अंदर घुसेड देता. वो ऐसा दस मिनिट तक मेरे मूह को चोद्ता रहा. मेरा दर्द कम हनी का नाम नहीं ले रहा था. दस मिनिट बाद अचानक उसने अपना लंड लगभग पूरे का पूरा निकाल दिया. एक सेकेंड के लिए मेरे दिल में थोड़ी सी राहत हुई पर अगले ही पल उसने पूरा लंड फिर से अंदर डाल दिया. अब वो मेरे मूह को अपने पूरे 10 इंच लंड से ऐसे ही चोदने लगा. हर बार वो अपना लंड बाहर लेता मैं ज़ोर से खाँसती पर दूसरे ही सेकेंड वो लंड फिर मेरी मूह में होता. अब मैने हार मान के अपने हाथ नीचे कर लिए थे. दर्द इतना बढ़ गया था कि मुझे लग रहा था कि में शायद बेहोश हो जाऊंगी.
पता नही कितनी देर उसने मेरे मूह को ऐसे ही अपने 10 इंच के लंड से चोदा. आख़िर उसका झरना शुरू हुआ और वो कुत्ते की तरह और तेज़ी से मेरे मूह को चोदने लगा. इससे मेरा दर्द और भी भाड़ गया और मैने फिर से उसको हाथों से मार के दूर करने की कोशिश की. हरेक धक्के पे मेरे जबड़े से होकर मेरे सारे बदन में एक दर्द फैल जाता. वो आवाज़े निकालने लगा ‘आआआआहह…. आआआआआअहह…..’. उसके लंड से वीर्य बहने लगा. उसका लंड झटके मारते मारते वीर्य छोड़ता रहा.उसका लंड मेरे गले के अंदर तक था और मेरे निगले बिना ही सीधा अंदर चला गया. वो तकरीबन 3 या 4 मिनिट तक झरता रहा. सारे वक़्त में डिज़िल्वा को अपने हाथो से मार मार के अपने से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन इससे उसको और मज़ा मिल रहा था. उसके झरने के बाद उसकी पकड़ कुछ कमज़ोर हुई और में अपना मूह उससे दूर करने में कामयाब हो गयी. मूह से लंड निकालने के बाद मैं ज़मीन पर तक के गिर पड़े और अब रो रही थी और ज़ॉरो से खांस रही थी. ख़ास खाते खाते मेरे मूह से थूक के साथ डिज़िल्वा का वीर्य भी निकल रहा था. में कुछ देर ऐसे ही खांस. रही. मेरी खाँसी बंद हुई तो देखा की डिज़िल्वा ने कपड़े पहेन लिए थे. ‘कल यहाँ मिलना इसी वक़्त’ ऐसा कह के वो चला गया. में उसपे चिल्ला ना चाहती थी पर दर्द के मारे मेरे मूह से आवाज़ भी नही निकल रही थी.
में वहाँ ज़मीन पर ही लेटी रही. मुझ में अब खड़े होने की ताक़त नहीं थी. मेरा मूह, जबड़ा और गला ज़ॉरो से दर्द कर रहा था. बाजू की टाय्लेट से मुझे टीचर और लड़के की आवाज़ आई.विवेक मेरे मूह की चुदाई देख झार गया था पर टीचर का लंड अभी भी टाइट हो कर खड़ा था. उसने कहा. ‘चल घूम जा’विवेक की गांद अभी भी चुदाइ से लाल थी.
‘नहीं सर प्लीज़. मुझे अभी भी दर्द हो रहा है’
टीचर अब खड़ा हो गया था. ‘ज़्यादा नखरे मत कर मादेर्चोद’ उसने विवेक को खड़ा कर लिया और उसका हाथ पकड़ के मोड़ दिया. हाथ ऐसे मोड़ने पे वो घूम गया. टीचर ने उसको आगे धकेल के दीवार से चिपका दिया और पीछे से आ कर अपना लंड उसके गांद पे रख ज़ोरदार धक्का लगाया. लंड गांद को चीरते हुए अंदर घुस गया. टीचर अब विवेक की खड़े खड़े गांद मार रहा था. हरेक धक्का इतना ज़ोरदार था कि विवेक के पैर हवा में उछाल. जाते. वो ज़ोर से चीख रहा था...
मैं टाय्लेट की ज़मीन पर लेटी हुई थी और विवेक की चीख सुन रही थी. मेरी ऐसी हालत मे भी मुझे वो चुदाई सुन कर मज़ा आ रहा था. मैं चुदाई सुनते सुनते वैसे ही ज़मीन पर लेटी रही. कुछ देर बाद टीचर लड़के की गांद में झार गया. उस के बाद दो मिनिट बाद दोनो वहाँ से चले गये. कुछ देर और लेटी रहने के बाद मैं धीरे से खड़ी हो गयी और अपने कपड़े पहेन लिए. मेरे शर्ट के एक दो बटन बाकी थे और मैने वो लगा दिए और वहाँ से निकल घर चली गयी. घर जा कर मैने अपने शर्ट के बटन सी लिए और मेरी मा के घर आने से पहले ही सोने को चली गयी. मेरे जबड़े में इतना दर्द था कि मुझे सारी रात नींद नहीं आई. अगले दिन में स्कूल नहीं जा पाई. घर पे कह दिया कि तबीयत नहीं अछी पर असल में दर्द के मारे मेरा हाल बुरा हो रहा था. मेरे मूह और जबड़े में दर्द तो था लेकिन सारे वक़्त मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ डिज़िल्वा का मोटा लंड था. घर के नौकर को मैने बाहर भेज दिया और अकेली घर में नंगी हो कर बिस्तर पर अपनी चूत से खेलती रही. मैं सोचती रहती कि अगर डिज़िल्वा का कहना मानकर में टाय्लेट में उससे फिर से मिली होती तो वो मेरे साथ क्या क्या करता. यह सोच सोचते सोचते में झार जाती. झरने के वक़्त में ज़ॉरो से चिल्ला.. ऐसे ही ना जाने कितनी बार में झार गयी. मेरे दिमाग़ में अब सिर्फ़ चुदाई थी.
मेरे मूह और जबड़े का दर्द तीन दिन तक नही गया. आख़िर किसी को शक ना हो इसलिए में डॉक्टर के पास चली गयी. डॉक्टर से कहा कि मेरे पैरों में मोच हैं और दर्द कम करने की दवाई ले ली. आख़िर मुझे थोड़ा अछा लगने लगा. पाँच दिन बाद मेरा दर्द चला गया और में स्कूल जाने के लिए तैयार हो गयी. उन पाँच दिनो मैने सिर्फ़ लंड के बारे मैं सोचा और ना जाने कितनी बार झार गयी. अब सेक्स की पुजारन बन गई थी
में जब स्कूल में अपनी क्लास में पहुचि तो पता चला कि मेरी बगल की सीट विवेक ने ले ली थी. क्लास शुरू होते ही उसने मुझ से कहा ‘सुना हैं तुम्हारी तबीयत खराब थी ? अभी ठीक हो ?’
‘हां अभी ठीक हूँ’
‘तुम्हे पता हैं मैने तुम्हे टाय्लेट मे देखा था’
‘हां पता है’
‘उस मदरचोड़ ने तुम्हारे साथ बहुत गंदा सलूक किया’ ऐसा कह कर विवेक मेरे और नज़दीक आ गया. हम क्लास की पिछली वाली सीट पे बैठे थे इस लिए कोई हमे देख नही सकता था.
‘आज लंच टाइम पे स्पोर्ट्स टीचर ने तुम्हे अपने ऑफीस में बुलाया है’. विवेक के यह कहने से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. टीचर का वो मोटा काला लंड मेरे दिमाग़ में आ गया.
विवेक ने अब मेरा हाथ ले के अपने लंड पे रख दिया. मैं पॅंट के उपर उपर से उसे सहलाने लगी. उसने अपनी ज़िप खोलदी और अपना लंड बाहर निकाला. उसका लंड लगभग 4 इंच का होगा और उसी की तरह पतला था. मैने उसके लंड को पकड़ लिया और उससे धीरे से हिलाने लगी. लंड हिलाते दो मिनिट भी नही हुए थे कि विवेक अपना हाथ मेरे हाथ पे रख ज़ोर से लंड को हिलाने लगा और झार गया.
‘टीचर ने कहा हैं कि लंच टाइम तक मैं तुम्हारा अच्छा ख़याल रखू’ यह कह के विवेक ने अपना हाथ मेरे स्कर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी जाँघ. को सहलाते सहलाते मेरी चूत तक पहुच गया. पॅंटी के उपर उपर से वो मेरी चूत को सहलाने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था.
लंच टाइम होने तक विवेक ने मेरी चूत को सहला सहला कर मुझे पागल सा कर दिया था. मुझे अब टीचर के लंड की भूक थी. मेरे पूरे बदन में अब सेक्स चढ़ गया था. लंच होने पे विवेक टीचर के ऑफीस में चला गया और मुझसे पाँच मिनिट बाद आने को कहा. पाँच मिनिट में मैने टीचर के ऑफीस में प्रवेश किया.अंदर का नज़ारा देख में दंग रह गयी.....
टीचर अपनी ऑफीस में डेस्क के पीछे बैठा था. उसके साइड में विवेक पूरा नंगा होकर अपने घुटनो तले ज़मीन पे बैठा था. उसके गले में कुत्तो को पहनाने वाला पट्टा था.
‘आओ मानसी. दरवाज़ा ज़रा बंद कर दो.’ मेने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
‘मेरा नाम. वेंकट हैं. मैं तुम्हारी क्लास को नही पढ़ाता हूँ.’ उसने मुझे विवेक को देखते देखा और मुस्कुरा के कहा
‘और यह मेरा पालतू कुत्ता हैं. अगर तुम्हे अछा लगे तो तुम इससे खेल सकती हो’
मैने कुछ नहीं कहा. मुझे बहुत शरम आ रही थी. ‘बैठो मानसी. अपने जूते उतार दो’ मैने जूते उतार दिए और रूम के दूसरे कोने में जो कुर्सी थी उस पे बैठ गयी. मेरे बैठते ही विवेक अपने हाथ और घुटनो के बल मेरे पास आ गया और मेरे पैर चाटने लगा. मुझे थोड़ी गुदगुदी हो रही थी पर मज़ा भी आ रहा था.
‘लगता हैं तुम मेरे कुत्ते को बहुत अछी लग गयी हो’ टीचर ने हसके कहा ‘पर तुम हो ही ऐसी’. विवेक ने अब मेरे पैर की उंगलियाँ अपने मूह में लेके चूसना शुरू कर दिया था. मुझे अच्छा लग रहा था और मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी.
तब टीचर ने कहा ‘कुछ दिन पहले में जेंट्स टाय्लेट में अपने कुत्ते को ट्रैनिंग दे रहा था तो मैने देखा कि तुम भी वाहा थी. तुम भी शायद कुछ ट्रैनिंग ही ले रही थी’ टीचर मे मुस्कुराते हुए कहा. ‘क्या तुम्हे पता हैं कि हम तुम्हे देख रहे थे’. मेने अपना सिर हां में हिलाया. ‘क्या तुमने मुझे कुत्ते को ट्रैनिंग देते हुए देखा’. मैने फिर से हां में सिर हिलाया.
‘मज़ा आया हमे देख के ?’
‘जी हां’. टीचर ने अपना एक हाथ डेस्क के पीछे ले लिया. मुझे पता था कि वो ज़रूर अपने लंड से खेल रहा होगा. विवेक अब ज़ोर ज़ोर से मेरे पैर चाटते चाटते मेरे घुटनो तक आ गया था. उसकी जीब के एहसास से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
‘क्या तुमने मेरा लंड देखा’
‘जी’
‘अछा लगा तुम्हे’
मेने कुछ नहीं कहा.
‘शरमाओ मत मानसी. बोलो. क्या तुम्हे अच्छा लगा’
मैने कुछ कहे बिना अपना सर हां में हिलाया.
दोस्तो मानसी सेक्स की पुजारन बन चुकी थी आगे उसने क्या क्या गुल खिलाए ये जानने के लिए पढ़ते रहिए
इस कहानी के अगले भाग आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..........
सेक्स की पुजारन
Re: सेक्स की पुजारन
Sex ki pujaaran part- 4
gataank se aage.............
Maine kuch kaha nahin par uska sar neeche dhakelti rahi. Aakhir mujh pe taras kha ke woh apne ghutno tale zameen pe baith gayaa. Zameen pe baith ke usne apne hoothon se mere pet ko chaatna shuru kar diya. Mujhse ab aur bardasht nahi ho raha tha aur mein apney dono haatho se uske sir ko niche dhakel rahi thiaur apne pairo ko upar kar rahi thi. Aakhir desilva ne mujh pe taras kha hi liya aur mera ek pair utha ke uske kandhey pe rakh diya. Usne jhat se meri chut pe apney hoth rakh diye aur choomney lagaa. Mein khushi se cheekh padi ‘aaaaiiiiiiii..’. Mujhe yakeen nahin ho rahaa tha ki chut chatvaaney main itnaa mazaa aataa hain. Desilva ab meri chut ko choomey jaa rahaa tha. Main dono haatho se uska sar pakad meri chut ki taraf kheech rahi thi. Desilva ne ab apna muh khol ke apni jheebh baahar nikaali aur ek jhatke mein meri chut mein ghused di. Meri chut mein aaj tak meri ungliyoon ke siva kuch bhi nahi gayaa tha. Desilva ki garam aur gili jheeb ko apni chut mein pa kar mein paagal ho gayi. Mein ‘aaaaaaaaaahhhhhh....aaaaaaaaaaaaahhhhh’ kar ke aawaazey nikaalney lagi. Desilva ne jheebh ko andar baahar karna shuru kar diya. Main madhosh ho gayi thi aur uska sar apne haatho se pakad apni chut uske chehre pe ragad rahi thi. Mere saare badan mein sansani phail gayi thi. Mein jharney hi waali thi.
Desilva na ab mera doosra per bhi utha liya aur uske doosre kandhe pe rakh daalaa. Meri dono jhaange ab uske kandhe pe thi aur dono pair hawa mein the, meri peeth dewaar pe thi aur mein jaisey apni chut tale uske chehre pe baithi thi. Desilva ab apni puri jheeb meri chut ke andar baahar kar rahaa tha. Mein jhar ne lagi. Maine uska sar apne haatho se pakad liya aur apni gaand uchaal, uchaal ke apni chut uske chehre pe zor se ghisne lagi. Mere saare badan mein sansani phail gayi thi. Teen ya chaar minute tak main aisey hi zor se jharti rahi. Desilva zorro se meri chut ko apni jheeb se chodta rahaa. Aakhir mera jharnaa band hua aur desilva ne mujhe kandho se utar diya.‘Mazaa aayaa meri jaan’ maine apna sar haan mein hilaaya. Main zorro se saans le rahi thi. Itni zor se jhar ke mein thak gayi thi.
‘Ab teri baari hain meri raani mera lund chusegi ?’ Mujhe bahut sharam aa rahi thi aisi gandi baat sunkar. Maine apna sir haan mein hilaya. Usne ab mere kandho pe zor deke niche ghutno tale baitha diya. Aur turant hi apna lund mere muh mein daal diya. Maine apna muh pura phailaya aur uska lund chusney lagi. Puraa zor lagaa ke maine 6 inch tak ka lund muh main le liya aur usse choosney lagi. Desilva ne dono haath se mera sar pakad liya aur mujhe rok kar kahaa.
‘Pura lund legi mera muh mein ?’. Uskey chehre ka aabhaav daraavna tha. Mujhe samaj mein aa gayaa ki woh mazaak nahi kar raha tha.
‘Kal tune acha chusa tha mera lund par ab mein tujhe dikhaata hoon ki 10 inch ka lund purey ka pura kaise chusa jaata hain’. Yeh keh kar desilva ne apna lund mere muh mein dheerey dheerey ghusedna shuru kiya. Maine usko apney haato se dur karne ki koshish ki par usney bahut zor se mera sar pakda tha. Uska lund ab 7 inch tak mere muh main tha. Muh mein zaraa bhi jagaah baki nahi thi phir bhi desilva mera sar pakad lund aage dhakelta raha. Ab lund mujhe mere halak mein ghuste hue mehsoos hone lagaa. Main zor se desilva ko maarti rahi par uspe koi asar nahi tha. Usney apney lund ko aagey badhana jaari rakha. Mere aankhon se aansu nikal rahe the par desilva berahmi se lund aage dhakelte gayaa. Ab Uska 10 inch ka lund pura mere muh mein tha. Mujhe apne gale mein uska lund mehsoos ho raha tha. Mujhe khaasi aa rahi thi par mein khaas bhi nahi sakti ti. Mere jabde aur muh mein ab bahut dard ho raha tha aur mein chikhna chaahti thi par chikhti bhi kaisey.Mein apney haath zor zor se Desilva pe maar rahi thi aur apna sar uske lund se door lene ki koshish kar rahi thi par usne apne dono haatho se mera sar pakad ke rakha tha. Usne mere sir ko apni taraf itna kheech liya tha ki mera chehra ab uske pet pe dab raha tha. Pura lund muh mein hone ke baavajhud bhi woh mera sar apni taraf aur kheech raha tha.
Woh ab apne lund se mere muh mein dhakke lagaaney laga. Who sirf ek aad inch lund baahar nikaalta aur phir use andar ghused deta. Woh aisa dus minute tak mere muh ko chodta raha. Mera dard kam honey ka naam nahin le rahaa tha. Dus minute baad achaanak usne apna lund lagbhag purey ka pura nikaal diya. Ek second ke liye mere dil mein thodi si raahat hui par agle hi pal usne pura lund phir se andar daal diya. Ab woh mere muh ko apney purey 10 inch lund se aisey hi chodney lagaa. Har baar woh apna lund baahar leta mein zor se khaansti par doosre hi second woh lund phir meri muh mein hota. Ab mainey haar maan ke apney haath neechey kar liye the. Dard itna badh gayaa tha ki mujhe lag raha tha ki mein shaayad behosh ho jaaoongi.
Pata nahi kitni der usney mere muh ko aisey hi apney 10 inch ke lund se choda. Aakhir uska jharna shuru hua aur woh kuttey ki tarah aur tezi se mere muh ko chodne laga. Isse mera dard aur bhi bhad gayaa aur mainey phir se usko haathon se maar ke door karney ki koshish ki. Harek dhakey pe mere jabde se hokar mere saare badan mein ek dard phail jaataa. Woh aawaazey nikaalney lagaa ‘aaaaaaaahhhhhhhhhh…. Aaaaaaaaaaahhhhh…..’. Uske lund se Virya behne laga. Uska lund jhatke maarte maarte virya chodta raha.Uska lund mere gale ke andar tak tha aur mere nigaley bina hi sidha andar chalaa gayaa. Woh takreeban 3 ya 4 minute tak jharta raha. Saare waqt mein Desilva ko apney haatho se maar maar ke apney se door karne ki koshish kar rahi thi lekin isse usko aur mazaa mil rahaa tha. Uske jharne ke baad uski pakad kuch kamzor hui aur mein apna muh usse door karney mein kaamyaab ho gayi. Muh se lund nikalne ke baad mein zameen par thak ke gir pade aur ab roh rahi thi aur zorro se khaans rahi thi. Khaas khaate khaate mere muh se thuk ke saath Desilva ka virya bhi nikal rahaa tha. Mein kuch der aisey hi khaasti rahi. Meri khaansi band hui to dekha ki desilva ney kapde pahen liye the. ‘Kal yahaan milna isi waqt’ aisa keh ke woh chalaa gayaa. Mein uspe chilla na chahti thi par dard ke mare merey muh se aawaaz bhi nahi nikal rahi thi.
Mein wahaan zameen par hi leti rahi. Mujh mein ab khade honey ki taakat nahin thi. Mera muh, jabda aur gala zorro se dard kar rahaa tha. Baju ki toilet se mujhe teacher aur ladke ki aawaaz aayi.Vivek mere muh ki chudai dekh jhar gayaa tha par teacher ka lund abhi bhi tight ho kar khadaa tha. Usney kaha. ‘Chal ghoom ja’Vivek ki gaand abhi bhi chudaai se laal thi.
‘Nahin sir please. Mujhe abhi bhi dard ho rahaa hai’
Teacher ab khadaa ho gayaa tha. ‘jyaadaa nakhrey mat kar maaderchod’ Usne vivek ko khadaa kar liyaa aur uska haath pakad ke mod diya. Haath aisey modne pe woh ghoom gayaa. Teacher ne usko aagey dhakel ke deewar se chipka diya aur piche se aa kar apna lund uske gaand pe rakh zordaar dhakka lagaayaa. Lund gaand ko cheerte hue andar ghus gayaa. Teacher ab vivek ki khade khade gaand maar rahaa tha. Harek dhakka itna zordaar that ki vivek ke pair hawaa mein uchaal jaate. Woh zor se chikh rahaa tha...
Main toilet ki zameen par leti hui thi aur vivek ki cheekh sun rahi thi. Meri aisi haalat main bhi mujhe woh chudaai sun kar mazaa aa rahaa tha. Main chudaai sunte sunte waisey hi zameen par leti rahi. Kuch der baad teacher ladke ki gaand mein jhar gayaa. Us ke baad do minute baad dono wahaan se chale gaye. Kuch der aur letey rehney ke baad main dheerey se khadi ho gayi aur apney kapdey pahen liye. Mere shirt ke ek do button baaki the aur mainey woh lagaa diye aur wahaan se nikal ghar chali gayi. Ghar jaa kar mainey apney shirt ke button see liye aur meri maa ke ghar aaney se pehle hi soney ko chali gayi. Mere jabde mein itna dard tha ki mujhe saari raat nind nahin aayi. Agle din mein school nahin jaa paai. Ghar pe keh diya ki tabiyat nahin achi par asal mein dard ke maare mera haal bura ho rahaa tha. Mere muh aur jabde mein dard to tha lekin sare waqt mere dimaag mein sirf Desilva ka mota lund tha. Ghar ke naukar ko mein baahar bhej diya aur akeli ghar mein nangi ho kar bistar par apni chut se khelti rahi. Main sochti rehti ki agar desilva ke kehna maankar mein toilet mein usse phir se mili hoti to woh mere saath kya kya karta. Yeh soch sochtey sochtey mein jhar jaati. Jharney ke waqt mein zorro se chillati. Aisey hi naa jaaney kitni baar mein jhar gayi. Mere dimaag mein ab sirf chudaai thi.
Mere muh aur jabde ka dard teen din tak nahi gayaa. Aakhir kissi ko shak na ho isliye mein doctor ke paas chali gayi. Doctor se kahaa ki mere pairon mein moch hain aur dard kam karne ki dawaai le li. Aakhir mujhe thoda achaa lagne lagaa. Paanch din baad mera dard chala gayaa aur mein school jaaney ke liye taiyaar ho gayi. Un paanch dino mainey sirf lund ke baare main socha aur na jaane kitni baar jhar gayi.
Mein jab school mein apni class mein pahuchi to pata chala ki meri bagal ki seat Vivek ne le lee thi. Class shuru hote hi usne mujh se kaha ‘suna hain tumhari tabiyat kharaab thi ? Abhi thik ho ?’
‘Haan abhi thik hun’
‘Tumhe pata hain maine tumhe toilet main dekha tha’
‘haan pata hai’
‘us maderchod ne tumhare saath bahut ganda saluk kiya’ aisa keh kar vivek mere aur nazdeek aa gayaa. Hum class ki peechli vaali seat pe baithe the is liye koi humme dekh nahi sakta tha.
‘Aaj lunch time pe sports teacher ne tumhe apney office mein bulaayaa hai’. Vivek ke yeh kehney se mere man mein ladoo phutney lage. Teacher ka woh mota kaala lund mere dimaag mein aa gayaa.
Vivek ne ab mera haath le ke apney lund pe rakh diya. Mein pant ke upar upar se usse sehlaaney lagi. Usne apni zip kholdi aur apna lund baahar nikaala. Uska lund lagbhag 4 inch ka hoga aur usi ki tarah patlaa tha. Mainey uske lund ko pakad liya aur usse dheerey se hilaaney lagi. Lund hilaatey do minute bhi nahi hue the ki usne apna haath mere haath pe rakh zor se lund ko hilaaney lagaa aur jhar gayaa.
‘Teacher ne kahaa hain ki lunch time tak mein tumhara accha khayaal rakhu’ yeh keh ke vivek ne apna haath mere skirt ke andar daal diya aur meri jhaango ko sehlaate sehlaate meri chut tak pahuch gayaa. Panty ke upar upar se woh meri chut ko sehlaaney lagaa. Mujhe mazaa aa rahaa tha.
Lunch time hone tak Vivek ne meri chut ko sehlaa sehlaa kar mujhe paagal saa kar diya tha. Mujhe ab teacher ke lund ki bhuk thi. Mere pure badan mein ab sex chad gayaa tha. Lunch hone pe vivek teacher ke office mein chalaa gayaa aur mujhse paanch minute baad aaney ko kaha. Paanch minute mein maine teacher ki office mein pravesh kiya.Andar ka nazaara dekh mein dang reh gayi.....
Teacher apni office mein desk ke pichey baitha tha. Uske side mein Vivek poora nanga hokar apne ghutno tale zameen pe baitha tha. Uske gale mein kuttoon ko pehnaney waala patta tha.
‘Aao Mansi. Darwaaza zaraa band kar do.’ Meine darwazaa andar se band kar diya.
‘Mera naam Mr. Venkat hain. Mein tumhari class ko nahi padhata hoon.’ Usne mujhe vivek ko dekhte dekha aur muskura ke kaha
‘Aur yeh mera paltu kutta hain. Agar tumhe acha lage to tum isse khel sakti ho’
Maine kuch nahin kaha. Mujhe bahut sharam aa rahi thi. ‘Baitho Mansi. Apney jutey utaar do’ Maine jutey utar diye aur room ke doosre koney mein jo kursi thi us pe baith gayi. Mere bhaitey hi Vivek apne haath aur ghutnoon tale mere paas aa gayaa aur mere pair chaatne lagaa. Mujhe thodi gudgudi ho rahi thi par maza bhi aa raha tha.
‘Lagta hain tum mere kuttey ko bahut achi lag gayi ho’ Teacher ne haske kaha ‘Par tum ho hi aisi’. Vivek ne ab mere pair ki ungliyaan apne muh mein leke chusna shuru kar diya tha. Mujhe achha lag raha tha aur meri chut mein garmi bhad rahi thi.
Tab teacher ne kaha ‘Kuch din pehle mein gents toilet mein apne kutte ko training de raha tha to maine dekha ki tum bhi waha thi. Tum bhi shayad kuch training hi le rahi thi’ Teacher me muskurate hue kaha. ‘Kya tumhe pata hain ki hum tumhe dekh rahe they’. Meine apna sir haan mein hilaayaa. ‘Kya tumne mujhe kuttey ko training dete hue dekha’. Maine phir se haan mein sir hilaya.
‘Mazaa aaya humme dekh ke ?’
‘Ji haan’. Teacher ne apna ek haath desk ke peechey le liya. Mujhe pataa tha ki woh zaroor apne lund se khel raha hoga. Vivek ab zor zor se mere pair chaatte chaatte mere ghutnoon tak aa gaya tha. Uski jheeb ka ehsaas se mujhe bahut mazaa aa raha tha.
‘Kya tumne mera lund dekha’
‘Ji’
‘Achaa laga tumhe’
Meine kuch nahin kaha.
‘Sharmao mat Mansi. Bolo. Kya tumhe achha laga’
Mainey kuch kahey bina apna sar haan mein hilaayaa.
kramashah..........
gataank se aage.............
Maine kuch kaha nahin par uska sar neeche dhakelti rahi. Aakhir mujh pe taras kha ke woh apne ghutno tale zameen pe baith gayaa. Zameen pe baith ke usne apne hoothon se mere pet ko chaatna shuru kar diya. Mujhse ab aur bardasht nahi ho raha tha aur mein apney dono haatho se uske sir ko niche dhakel rahi thiaur apne pairo ko upar kar rahi thi. Aakhir desilva ne mujh pe taras kha hi liya aur mera ek pair utha ke uske kandhey pe rakh diya. Usne jhat se meri chut pe apney hoth rakh diye aur choomney lagaa. Mein khushi se cheekh padi ‘aaaaiiiiiiii..’. Mujhe yakeen nahin ho rahaa tha ki chut chatvaaney main itnaa mazaa aataa hain. Desilva ab meri chut ko choomey jaa rahaa tha. Main dono haatho se uska sar pakad meri chut ki taraf kheech rahi thi. Desilva ne ab apna muh khol ke apni jheebh baahar nikaali aur ek jhatke mein meri chut mein ghused di. Meri chut mein aaj tak meri ungliyoon ke siva kuch bhi nahi gayaa tha. Desilva ki garam aur gili jheeb ko apni chut mein pa kar mein paagal ho gayi. Mein ‘aaaaaaaaaahhhhhh....aaaaaaaaaaaaahhhhh’ kar ke aawaazey nikaalney lagi. Desilva ne jheebh ko andar baahar karna shuru kar diya. Main madhosh ho gayi thi aur uska sar apne haatho se pakad apni chut uske chehre pe ragad rahi thi. Mere saare badan mein sansani phail gayi thi. Mein jharney hi waali thi.
Desilva na ab mera doosra per bhi utha liya aur uske doosre kandhe pe rakh daalaa. Meri dono jhaange ab uske kandhe pe thi aur dono pair hawa mein the, meri peeth dewaar pe thi aur mein jaisey apni chut tale uske chehre pe baithi thi. Desilva ab apni puri jheeb meri chut ke andar baahar kar rahaa tha. Mein jhar ne lagi. Maine uska sar apne haatho se pakad liya aur apni gaand uchaal, uchaal ke apni chut uske chehre pe zor se ghisne lagi. Mere saare badan mein sansani phail gayi thi. Teen ya chaar minute tak main aisey hi zor se jharti rahi. Desilva zorro se meri chut ko apni jheeb se chodta rahaa. Aakhir mera jharnaa band hua aur desilva ne mujhe kandho se utar diya.‘Mazaa aayaa meri jaan’ maine apna sar haan mein hilaaya. Main zorro se saans le rahi thi. Itni zor se jhar ke mein thak gayi thi.
‘Ab teri baari hain meri raani mera lund chusegi ?’ Mujhe bahut sharam aa rahi thi aisi gandi baat sunkar. Maine apna sir haan mein hilaya. Usne ab mere kandho pe zor deke niche ghutno tale baitha diya. Aur turant hi apna lund mere muh mein daal diya. Maine apna muh pura phailaya aur uska lund chusney lagi. Puraa zor lagaa ke maine 6 inch tak ka lund muh main le liya aur usse choosney lagi. Desilva ne dono haath se mera sar pakad liya aur mujhe rok kar kahaa.
‘Pura lund legi mera muh mein ?’. Uskey chehre ka aabhaav daraavna tha. Mujhe samaj mein aa gayaa ki woh mazaak nahi kar raha tha.
‘Kal tune acha chusa tha mera lund par ab mein tujhe dikhaata hoon ki 10 inch ka lund purey ka pura kaise chusa jaata hain’. Yeh keh kar desilva ne apna lund mere muh mein dheerey dheerey ghusedna shuru kiya. Maine usko apney haato se dur karne ki koshish ki par usney bahut zor se mera sar pakda tha. Uska lund ab 7 inch tak mere muh main tha. Muh mein zaraa bhi jagaah baki nahi thi phir bhi desilva mera sar pakad lund aage dhakelta raha. Ab lund mujhe mere halak mein ghuste hue mehsoos hone lagaa. Main zor se desilva ko maarti rahi par uspe koi asar nahi tha. Usney apney lund ko aagey badhana jaari rakha. Mere aankhon se aansu nikal rahe the par desilva berahmi se lund aage dhakelte gayaa. Ab Uska 10 inch ka lund pura mere muh mein tha. Mujhe apne gale mein uska lund mehsoos ho raha tha. Mujhe khaasi aa rahi thi par mein khaas bhi nahi sakti ti. Mere jabde aur muh mein ab bahut dard ho raha tha aur mein chikhna chaahti thi par chikhti bhi kaisey.Mein apney haath zor zor se Desilva pe maar rahi thi aur apna sar uske lund se door lene ki koshish kar rahi thi par usne apne dono haatho se mera sar pakad ke rakha tha. Usne mere sir ko apni taraf itna kheech liya tha ki mera chehra ab uske pet pe dab raha tha. Pura lund muh mein hone ke baavajhud bhi woh mera sar apni taraf aur kheech raha tha.
Woh ab apne lund se mere muh mein dhakke lagaaney laga. Who sirf ek aad inch lund baahar nikaalta aur phir use andar ghused deta. Woh aisa dus minute tak mere muh ko chodta raha. Mera dard kam honey ka naam nahin le rahaa tha. Dus minute baad achaanak usne apna lund lagbhag purey ka pura nikaal diya. Ek second ke liye mere dil mein thodi si raahat hui par agle hi pal usne pura lund phir se andar daal diya. Ab woh mere muh ko apney purey 10 inch lund se aisey hi chodney lagaa. Har baar woh apna lund baahar leta mein zor se khaansti par doosre hi second woh lund phir meri muh mein hota. Ab mainey haar maan ke apney haath neechey kar liye the. Dard itna badh gayaa tha ki mujhe lag raha tha ki mein shaayad behosh ho jaaoongi.
Pata nahi kitni der usney mere muh ko aisey hi apney 10 inch ke lund se choda. Aakhir uska jharna shuru hua aur woh kuttey ki tarah aur tezi se mere muh ko chodne laga. Isse mera dard aur bhi bhad gayaa aur mainey phir se usko haathon se maar ke door karney ki koshish ki. Harek dhakey pe mere jabde se hokar mere saare badan mein ek dard phail jaataa. Woh aawaazey nikaalney lagaa ‘aaaaaaaahhhhhhhhhh…. Aaaaaaaaaaahhhhh…..’. Uske lund se Virya behne laga. Uska lund jhatke maarte maarte virya chodta raha.Uska lund mere gale ke andar tak tha aur mere nigaley bina hi sidha andar chalaa gayaa. Woh takreeban 3 ya 4 minute tak jharta raha. Saare waqt mein Desilva ko apney haatho se maar maar ke apney se door karne ki koshish kar rahi thi lekin isse usko aur mazaa mil rahaa tha. Uske jharne ke baad uski pakad kuch kamzor hui aur mein apna muh usse door karney mein kaamyaab ho gayi. Muh se lund nikalne ke baad mein zameen par thak ke gir pade aur ab roh rahi thi aur zorro se khaans rahi thi. Khaas khaate khaate mere muh se thuk ke saath Desilva ka virya bhi nikal rahaa tha. Mein kuch der aisey hi khaasti rahi. Meri khaansi band hui to dekha ki desilva ney kapde pahen liye the. ‘Kal yahaan milna isi waqt’ aisa keh ke woh chalaa gayaa. Mein uspe chilla na chahti thi par dard ke mare merey muh se aawaaz bhi nahi nikal rahi thi.
Mein wahaan zameen par hi leti rahi. Mujh mein ab khade honey ki taakat nahin thi. Mera muh, jabda aur gala zorro se dard kar rahaa tha. Baju ki toilet se mujhe teacher aur ladke ki aawaaz aayi.Vivek mere muh ki chudai dekh jhar gayaa tha par teacher ka lund abhi bhi tight ho kar khadaa tha. Usney kaha. ‘Chal ghoom ja’Vivek ki gaand abhi bhi chudaai se laal thi.
‘Nahin sir please. Mujhe abhi bhi dard ho rahaa hai’
Teacher ab khadaa ho gayaa tha. ‘jyaadaa nakhrey mat kar maaderchod’ Usne vivek ko khadaa kar liyaa aur uska haath pakad ke mod diya. Haath aisey modne pe woh ghoom gayaa. Teacher ne usko aagey dhakel ke deewar se chipka diya aur piche se aa kar apna lund uske gaand pe rakh zordaar dhakka lagaayaa. Lund gaand ko cheerte hue andar ghus gayaa. Teacher ab vivek ki khade khade gaand maar rahaa tha. Harek dhakka itna zordaar that ki vivek ke pair hawaa mein uchaal jaate. Woh zor se chikh rahaa tha...
Main toilet ki zameen par leti hui thi aur vivek ki cheekh sun rahi thi. Meri aisi haalat main bhi mujhe woh chudaai sun kar mazaa aa rahaa tha. Main chudaai sunte sunte waisey hi zameen par leti rahi. Kuch der baad teacher ladke ki gaand mein jhar gayaa. Us ke baad do minute baad dono wahaan se chale gaye. Kuch der aur letey rehney ke baad main dheerey se khadi ho gayi aur apney kapdey pahen liye. Mere shirt ke ek do button baaki the aur mainey woh lagaa diye aur wahaan se nikal ghar chali gayi. Ghar jaa kar mainey apney shirt ke button see liye aur meri maa ke ghar aaney se pehle hi soney ko chali gayi. Mere jabde mein itna dard tha ki mujhe saari raat nind nahin aayi. Agle din mein school nahin jaa paai. Ghar pe keh diya ki tabiyat nahin achi par asal mein dard ke maare mera haal bura ho rahaa tha. Mere muh aur jabde mein dard to tha lekin sare waqt mere dimaag mein sirf Desilva ka mota lund tha. Ghar ke naukar ko mein baahar bhej diya aur akeli ghar mein nangi ho kar bistar par apni chut se khelti rahi. Main sochti rehti ki agar desilva ke kehna maankar mein toilet mein usse phir se mili hoti to woh mere saath kya kya karta. Yeh soch sochtey sochtey mein jhar jaati. Jharney ke waqt mein zorro se chillati. Aisey hi naa jaaney kitni baar mein jhar gayi. Mere dimaag mein ab sirf chudaai thi.
Mere muh aur jabde ka dard teen din tak nahi gayaa. Aakhir kissi ko shak na ho isliye mein doctor ke paas chali gayi. Doctor se kahaa ki mere pairon mein moch hain aur dard kam karne ki dawaai le li. Aakhir mujhe thoda achaa lagne lagaa. Paanch din baad mera dard chala gayaa aur mein school jaaney ke liye taiyaar ho gayi. Un paanch dino mainey sirf lund ke baare main socha aur na jaane kitni baar jhar gayi.
Mein jab school mein apni class mein pahuchi to pata chala ki meri bagal ki seat Vivek ne le lee thi. Class shuru hote hi usne mujh se kaha ‘suna hain tumhari tabiyat kharaab thi ? Abhi thik ho ?’
‘Haan abhi thik hun’
‘Tumhe pata hain maine tumhe toilet main dekha tha’
‘haan pata hai’
‘us maderchod ne tumhare saath bahut ganda saluk kiya’ aisa keh kar vivek mere aur nazdeek aa gayaa. Hum class ki peechli vaali seat pe baithe the is liye koi humme dekh nahi sakta tha.
‘Aaj lunch time pe sports teacher ne tumhe apney office mein bulaayaa hai’. Vivek ke yeh kehney se mere man mein ladoo phutney lage. Teacher ka woh mota kaala lund mere dimaag mein aa gayaa.
Vivek ne ab mera haath le ke apney lund pe rakh diya. Mein pant ke upar upar se usse sehlaaney lagi. Usne apni zip kholdi aur apna lund baahar nikaala. Uska lund lagbhag 4 inch ka hoga aur usi ki tarah patlaa tha. Mainey uske lund ko pakad liya aur usse dheerey se hilaaney lagi. Lund hilaatey do minute bhi nahi hue the ki usne apna haath mere haath pe rakh zor se lund ko hilaaney lagaa aur jhar gayaa.
‘Teacher ne kahaa hain ki lunch time tak mein tumhara accha khayaal rakhu’ yeh keh ke vivek ne apna haath mere skirt ke andar daal diya aur meri jhaango ko sehlaate sehlaate meri chut tak pahuch gayaa. Panty ke upar upar se woh meri chut ko sehlaaney lagaa. Mujhe mazaa aa rahaa tha.
Lunch time hone tak Vivek ne meri chut ko sehlaa sehlaa kar mujhe paagal saa kar diya tha. Mujhe ab teacher ke lund ki bhuk thi. Mere pure badan mein ab sex chad gayaa tha. Lunch hone pe vivek teacher ke office mein chalaa gayaa aur mujhse paanch minute baad aaney ko kaha. Paanch minute mein maine teacher ki office mein pravesh kiya.Andar ka nazaara dekh mein dang reh gayi.....
Teacher apni office mein desk ke pichey baitha tha. Uske side mein Vivek poora nanga hokar apne ghutno tale zameen pe baitha tha. Uske gale mein kuttoon ko pehnaney waala patta tha.
‘Aao Mansi. Darwaaza zaraa band kar do.’ Meine darwazaa andar se band kar diya.
‘Mera naam Mr. Venkat hain. Mein tumhari class ko nahi padhata hoon.’ Usne mujhe vivek ko dekhte dekha aur muskura ke kaha
‘Aur yeh mera paltu kutta hain. Agar tumhe acha lage to tum isse khel sakti ho’
Maine kuch nahin kaha. Mujhe bahut sharam aa rahi thi. ‘Baitho Mansi. Apney jutey utaar do’ Maine jutey utar diye aur room ke doosre koney mein jo kursi thi us pe baith gayi. Mere bhaitey hi Vivek apne haath aur ghutnoon tale mere paas aa gayaa aur mere pair chaatne lagaa. Mujhe thodi gudgudi ho rahi thi par maza bhi aa raha tha.
‘Lagta hain tum mere kuttey ko bahut achi lag gayi ho’ Teacher ne haske kaha ‘Par tum ho hi aisi’. Vivek ne ab mere pair ki ungliyaan apne muh mein leke chusna shuru kar diya tha. Mujhe achha lag raha tha aur meri chut mein garmi bhad rahi thi.
Tab teacher ne kaha ‘Kuch din pehle mein gents toilet mein apne kutte ko training de raha tha to maine dekha ki tum bhi waha thi. Tum bhi shayad kuch training hi le rahi thi’ Teacher me muskurate hue kaha. ‘Kya tumhe pata hain ki hum tumhe dekh rahe they’. Meine apna sir haan mein hilaayaa. ‘Kya tumne mujhe kuttey ko training dete hue dekha’. Maine phir se haan mein sir hilaya.
‘Mazaa aaya humme dekh ke ?’
‘Ji haan’. Teacher ne apna ek haath desk ke peechey le liya. Mujhe pataa tha ki woh zaroor apne lund se khel raha hoga. Vivek ab zor zor se mere pair chaatte chaatte mere ghutnoon tak aa gaya tha. Uski jheeb ka ehsaas se mujhe bahut mazaa aa raha tha.
‘Kya tumne mera lund dekha’
‘Ji’
‘Achaa laga tumhe’
Meine kuch nahin kaha.
‘Sharmao mat Mansi. Bolo. Kya tumhe achha laga’
Mainey kuch kahey bina apna sar haan mein hilaayaa.
kramashah..........
Re: सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 5
गतान्क से आगे.............
‘फिर से देखो गी’ यह कह के टीचर खड़ा हो गया. खड़े होते ही मुझे पता चला कि उसने शर्ट के नीचे कुछ नही पहना था. उसका काला मोटा लंड कड़क हो के शान से खड़ा था. लंड को देख मेरे बदन में एक हुलचूल सी हो गयी. मैं उस काले लंड को छूना चाहती थी. पर टीचर वही पर खड़ा रहा. उसने अपना शर्ट के बटन खोलना शुरू किया. विवेक यहाँ अब मेरी जांघे चाट रहा था. मैं बैचैन हो रही थी और मैने उसका सर उसके बालों से पकड़ और उपर कर लिया. अब उसका सर पूरा मेरे स्कर्ट के नीचे था और वो मेरी चूत मेरी पॅंटी के उपर से चाट रहा था. मुझे अब ऐसी बेशर्मी करने मे कोई खिचक नही थी. मेरी हवस की आग भड़क उठी थी. में अपने दोनो हाथो से उसका सर नीचे दबा रही थी और टीचर के लंड को देख रही थी. टीचर अब पूरा नंगा था. उसका काला और बालों से भरा मोटा बदन दिखने में एकदम ही गंदा लग रहा था. पर मेरे शरीर की भूक इतनी थी कि मुझे सिर्फ़ वो लंड दिखाई दे रहा था. मैं अब विवेक का सर नीचे और दबा रही थी और साथ ही साथ अपनी गांद उठा उठा के उसके चेहरे पे अपनी चूत रगड़ रही थी.
टीचर सामने का नज़ारा देख कर खुश हो गया. उसने मन में ठान लिया ‘कुछ भी हो जाए आज इसको चोदे बिना जाने नहीं दूँगा’. उसने इतनी चिकनी लड़की नही देखी थी और वो भी इतनी जवान. में उसके सामने रांड़ की तरह गांद उपर करके चूत चटवा रही थी.
‘बहुत अच्छे मानसी. यह मेरा कुत्ता बहुत वफ़ादार है. तुम जितना चाहो खेल सकती हो’ टीचर ने कहा. दस मिनिट तक में वैसे ही ज़ॉरो से अपनी चूत विवेक के मूह पर रगड़ती रही और पूरे ज़ोर से विवेक का सर नीचे दबाती रही.में झर ने ही वाली थी कि टीचर ने विवेक से कहा. ‘बहुत हो गया कुत्ते, अपना सर उठा’. पर मुझे और चूत चटवानी थी मेने विवेक के बॉल पकड़ उससे रोकने की कोशिश की पर वो मेरे चंगुल से निकल के साइड पे हो गया.
टीचर हसके बोला ‘डोंट वरी मानसी अभी तो हम शुरू हो रहे हैं. ऐसा करते हैं कि में मेरे कुत्ते के साथ तुम्हारी भी थोड़ी ट्रैनिंग कर देता हूँ. तुम मेरा कुत्ता करता हैं वैसा ही करो. ठीक हैं ?’
मैने अपना सिर हां में हिल्ला दिया. विवेक अब हाथ और घुटनो पे ज़मीन पर बैठा था. मैं भी कुतिया की तरह ज़मीन पे बैठ गयी.
विवेक अब अपने हाथों और घुटनों तले टीचर की ओर चलने लगा. मेने भी वैसे ही किया. हम दोनो अब अपने हाथो और घुटनूं तले कुत्टून की तरह ज़मीन पर टीचर के लंड की तरफ चल पड़े. ‘वेरी गुड. गुड डॉगी’ टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा. वो एक हाथ से लंड सहला रहा था और दूसरे हाथ से अपने बॉल दबा रहा था. हम दोनो लंड तक पहुच गये.
‘मानसी अब तुम वैसा करो जैसे मेरा कुत्ता करता हैं’
विवेक ने अपनी जीब पूरी निकालके टीचर का पूरा लंड नीचे से उपर चाटने लगा. मैने भी ऐसा ही किया. अब टीचर के लंड को हम दोनो एक साथ पूरी जीब निकाल के चाट रहे थे.
‘आआआआआअहह....’ टीचर के मूह से आवाज़ निकल गयी. हम दोनो टीचर का लंड ऐसे ही 10 मिनिट तक चाटते रहे. मुझे अब लंड को अपने मूह में लेके चूसना था. टीचर का काला मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. टीचर ने तभी एक कदम पीछे ले कर अपना लंड हम दोनो से अलग किया और हमारे दोनो के सर के पीछे के बाल पकड़ हमारे सर एक दूसरे के नज़दीक लाना शुरू कर दिया. ‘किस करो एक दूसरे को, और मूह खोल के किस करो’ टीचर ने कहा. विवेक के होठ मेरे होठ के नज़दीक आ रहे थे, मैने अपने होठ खोल अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल उनका स्वागत किया. होठ मिलते ही मैने अपनी जीब उसके मूह में डाल दी. विवेक ने भी अपनी जीब मेरी जीब से मिला दी. मुझे किस करने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
टीचर ने अब साइड से अपना लंड हम दोनो के किस करते होठों के बीच डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. मेरे और विवेक के होंठ खुले थे और जीब बाहर थी और टीचर का गीला लंड अब हमारे होटो के बीच आगे पीछे हो रहा था. अपने हाथों से टीचर हम दोनो के बाल पकड़ के हमारे सर उसके लंड पे दबा रहा था. गरम गरम कड़क लंड मेरे होटो को छूने से मेरी चूत में हुलचूल हो रही थी. मैं अपना हाथ आगे कर के विवेक के छोटे से लंड को पकड़ के हिलाने लगी. लंड को दो तीन झटके ही मारे थे कि विवेक झरने लगा और उसके लंड से वीर्य निकलने लगा.
झरते वक़्त विवेक ने अपना सर पीछे कर ‘आआआआआहह....’ की आवाज़ निकाली. ऐसा करने से उसका मूह टीचर के लंड से दूर हो गया. टीचर को गुस्सा आ गया. ‘साले चूतिए. किसने कहा लंड से मूह निकालने को’
‘सॉरी टीचर’
‘सॉरी के बच्चे ये ले’ ऐसा कह कर टीचर ने अपना लंड उसके मूह में डाल दिया और ज़ोर से उसके मूह को बेरहमी से चोदने लगा. टीचर पूरा लंड विवेक के मूह में घुसता और पूरा बाहर निकलता. मुझे विवेक का यह हाल देख मज़ा आ रहा था. मैने पीछे से विवेक के सर के बाल पकड़ लिए और उसका सर टीचर के लंड पे धकेलना शुरू कर दिया.
‘वेरी गुड मानसी. इस कुत्ते को मिलके तमीज़ सिखाते हैं’ टीचर ने अब अपने लंड से विवेक के मूह को चोदना बंद कर दिया और ऐसे ही खड़ा रहा. मैं विवेक के सर के बाल पकड़ दोनो हाथों से उसका सर टीचर के लंड पे ज़ॉरो से उपर नीचे करने लगी.
मैने अब बेशरम हो कर टीचर की आँखों में आँखे डाल, देख रही थी. टीचर मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था. वो सोच रहा था ‘क्या चीनी रांड़ हैं, मेरे तो नसीब खुल गये’
अब वो झरने वाला था ‘और ज़ोर से मानसी आआआआअहह...’ कह कर टीचर ने झरना शुरू कर दिया. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर विवेक का सर टीचर के लंड पे धकेल्ति रही. टीचर चिल्ला चिल्ला कर झार रहा था. हर बार जब टीचर का लंड विवेक के मूह में पूरा जाता उसके मूह के साइड से थूक और वीर्य निकल जाता. टीचर दो-तीन मिनिट तक झरता रहा. जब उसने चिल्लाना बंद किया तो मैने विवेक का सर छोड़ा. टीचर ने लंड बाहर निकाला. ‘साफ़ कर इसे’ टीचर ने विवेक से कहा. विवेक अपनी जीब निकाल के आगे बढ़ रहा था कि मैने ‘चल हट कुत्ते’ कह कर उसे धक्का मार के हटा दिया. मैं अपनी जीब निकाल टीचर की आँखों में आँखें डाल लंड को चाटने लगी और वीर्य लंड से चाट चाट के सॉफ कर दिया.
‘वा मानसी तुम्हे तो ट्रैनिंग की कोई ज़रूरत नही. चलो अब में तुम्हे भी खुश कर देता हूँ’ यह कह के टीचर ने मुझे ज़मीन पे लेटा दिया. उसने मेरा स्कर्ट उठा के मेरी पॅंटी एक झटके में निकाल दी. मुझसे अब रहा नही जा रहा था. मुझे अब टीचर का मूह अपनी चूत पे चाहिए था. टीचर ने भी मुझे इंतेज़ार नही करवाया और अपनी मोटी जीब पूरी मूह से निकाल मेरी पूरी चूत को नीचे से उपर तक चाटना शुरू किया. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो पैर जीतने फैल सके उतने फैला दिए. टीचर वैसे ही चाट ता रहा. चाटते चाटते टीचर घूम गया. अब में ज़मीन पे लेटी थी और टीचर मेरे उपर ऐसे लेटा था की उसका मूह मेरी चूत पे और उसका लंड मेरे मूह के नज़दीक था.
‘इसे चूस के खड़ा कर दो मानसी’ टीचर का लंड बैठा हुआ था और मेरी आँखो के सामने लटक रहा था. बैठा हुआ लंड भी काफ़ी मोटा और लंबा था और उससे देख मेरे मूह में पानी आ गया. मैने अपने दोनो हाथ टीचर के गांद पे रख उसको नीचे खीचा. उनका बैठा हुआ लंड मैने पूरा का पूरा मूह में ले लिया और उसे चूसने लगी. टीचर अब मेरी चूत को मस्त होके तेज़ी से चाट रहा था. और उतनी ही तेज़ी से में उसका लंड चूस रही थी.
हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को मज़े देते रहे. टीचर अब अपनी गांद उपर नीचे कर अपने लंड से मेरा मूह चोद रहा था. लंड अब आधा खड़ा हो चुक्का था और बड़ी मुश्किल से मेरे मूह मे पूरा समा रहा था. गरम लंड मेरे मूह में ले कर बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे जैसे टीचर का लंड बड़ा होता गया मुझे पूरा लंड लेने में तकलीफ़ होती गयी पर टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड़ता रहा. मैने अपने एक हाथ से टीचर का लंड पकड़ लिया ताकि टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में ना डाल पाए. दो मिनिट बाद टीचर का लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैने एक हाथ से लंड पकड़ा हुआ था और बाकी का 6 इंच का लंड मेरे मूह में टीचर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. सारे वक़्त टीचर मेरे चूत को चाट रहा था. में चाहती थी की वो अपनी जीब मेरी चूत में डाल दे पर वो ऐसा नहीं कर रहा था. फिर कोई भी चेतावनी बिना टीचर ने अपने हाथ से मेरा हाथ उसके लंड से हटा डाला और अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड दिया ‘म्म्म्मह म्म्म्मममममममह’ कर के में चिल्ला रही थी पर टीचर अब पूरे लंड से मेरे मूह को चोद रहा था. 8 इंच वाला मोटा लंड मेरे मूह में समा नहीं सकता था फिर भी टीचर मुजसे ज़बरदस्ती कर रहा था. में अपना सर एक साइड से दूसरी साइड कर रही थी पर टीचर चोदे जा रहा था. आख़िर कैसे भी करके मैं टीचर के लंड को बाहर निकालने में कामयाब हो गयी.
टीचर ने अब मुझे पकड़ साइड से घूमा दिया ताकि में अब उसके उपर आ गयी. उसने अब दोनो हाथ मेरे गांद पे रख मेरी गांद ज़ोर से मसलने लगा. मैने अपनी चूत और नीचे करके उसके होंठो पे रख दी. उसने अब फिर से ज़ोर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया. में लंड को दोनो हाथ से पकड़ के हिला रही थी और साथ साथ लंड के उपर वाले हिस्से को मूह में ले कर चूस रही थी. में झरने के काफ़ी करीब थी.
विवेक का लंड अब ये सब देख फिरसे खड़ा हो गया था. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मुझ जैसी सेक्सी लड़की उसके सामने नंगी थी और टीचर जैसे गंदे आदमी से चुदवा रही थी. वो मेरे पीछे खड़ा था और उसको मेरी गोरी चिकनी गांद साफ दिखाई दे रही थी. जैसे जैसे टीचर मेरी गांद मसलता विवेक को मेरी गांद का गुलाबी छेद दिख जाता. मेरी गांद का छेद देख वो पागल हो रहा था. वो अब आगे बढ़ के अपने होठ मेरे गांद के छेद को लगा कर उसे चूमने लगा.
मैं चोंक उठी ‘आए ये क्या कर रहा है साले कुत्ते. हट यहाँ से’
यह देख टीचर ने कहा ‘फिकर मत करो मानसी.थोड़ा उसे अपना काम करने दो और देखो कि मज़ा आता हैं की नहीं. मैने इसे गांद चाटने में एक्सपर्ट बना दिया हैं.’
मैने सोचा कि क्या पता शायद मुझे इसमे मज़ा आएगा.मैने कुछ कहे बिना फिर से लंड चूसने लगी. विवेक ने अब मेरे गांद के छेद पे फिर से होठ लगा दिए. वो धीरे धीरे उसे चूमता रहा और अपनी जीब निकाल कर चाट्ता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दोनो ने मेरी चूत और गांद ऐसे ही दस मिनिट तक चॅटी. में अब झरने ही वाली थी. फिर अचानक दोनो ने एक साथ अपनी जीब मेरे अंदर डाल दी. विवेक ने अपनी जीब मेरी गांद में दो इंच तक डाल दी और टीचर ने भी अपनी मोटी जीब मेरी चूत में पूरी चार इंच तक डाल दी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मरके स्वर्ग में पहुच गयी थी. मैने अपने हाथ लंड से निकाल पूरा 6 इंच तक लंड मूह में ले लिया. टीचर ने मौका पा के अपने दोनो हाथ मेरे सर पर रख मेरे सर को ज़ोर ने नीचे धकेला और पूरा 8 इंच का लंड अब मेरे मूह के अंदर था. में खांस रही थी और मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर साथ ही दोनो की जीब मुझ को पागल कर रही थी. मेरा झरना शुरू हो गया. मैने अपनी चूत और नीचे कर ली और टीचर ने अब ज़ोर से अपनी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर करनी कर दी. विवेक भी आछे कुत्ते के तरह ज़ोर से अपनी जीब मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. टीचर अपनी गांद उछाल के मेरे मूह को अपने 8 इंच लंड से चोद रहे थे. में लगभग 5 मिनिट तक ऐसे ही झरती रही. उन दोनो ने सारे वक़्त तेज़ी से अपनी जीब चलाई. 5 मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ और मैं टीचर पे लेट गयी.
‘मज़ा आया मानसी ? अब फिर से तुम्हारी बारी मुझे खुश करने की’ ये कह कर टीचर ने अब मुझे नीचे लेटा दिया और मेरे दोनो पैर के बीच मे आकर कहा ‘अब में तुम्हें चोदुन्गा…’
टीचर ने यह कह कर अपने मोटे लंड को मेरी चूत के उपर रगड़ना शुरू किया. इतना बड़ा लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था. इसका एहसास मुझे पागल कर रहा था अब मुझे सिर्फ़ यह बड़ा लंड मेरी चूत में चाहिए था.
‘सर धीरे से करना मैं कुँवारी हूँ’ मैने कहा
‘मज़ाक क्यूँ कर रही हो मानसी’ टीचर ने हस्ते हुए कहा
‘नहीं में सच कह रही हूँ’. यह सुनते ही टीचर के चेहरे से हँसी गायब हो गयी. उसको अपने नसीब पर विश्वास नही हो रहा था. उसने आज तक किसी कुँवारी को नही चोदा था. उसकी बीवी भी शादी से पहले चुदवा चुकी थी. और अब उसके सामने एक कुँवारी चूत थी वो भी मुझ जैसी लड़की की. उसने जब से मुझे स्कूल में देखा था मेरे बारे मैं सोच सोच के कई बार मूठ मारी थी और अब वो मेरी कुँवारी चूत को चोदने वाला था. उसके आखों में चमक आ गयी थी.
‘फिकर मत करो में तुम्हे धीरे से चोदुन्गा’. टीचर बोला और मंन में सोचा ‘आज तो साली की चूत फाड़ के रख दूँगा’. टीचर के अंदर का जानवर जाग गया था. उसे सोलाह साल की कुँवारी चूत मिल रही थी.
टीचर ने मेरी चूत के मूह पे अपने लंड रखा. मुझे डर के मारे पसीना आ गया था और साथ ही लंड चूत में लेने की बैचैनि भी हो रही थी.
एक ज़ोरदार धक्का लगा के साथ टीचर ने अपना लंड मेरी चूत में 3 इंच तक घुसा डाला. मैं इतने दर्द के लिए तैयार नहीं थी और चीख पड़ी.
‘अभी तो शुरुआत है मानसी’ टीचर ने कहा. उसे देख के लग रहा था कि उसे मेरी तकलीफ़ से मज़ा आ रहा था. टीचर 3 इंच लंड अंदर बाहर कर रहा था. धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ.
‘और लंड चाहिए मानसी’ टीचर ने हंसते हुए पूछा.
‘नही टीचर. बहुत बड़ा है’
‘अरे अभी तो आधा भी नही गया’
‘प्लीज़ नही टीचर. आप और अंदर डालोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा’
‘अरे दर्द होगा लेकिन बादमें मज़ा भी बहुत आएगा मेरी जान’. उसके चेहरे पे मुस्कुराहट थी. उसको अभी मेरी कोई परवाह नही थी सिर्फ़ अपनी हवस का ख़याल था. उसने और एक धक्का लगाया और 6 इंच तक मेरी चूत में घुस गया. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे अंदर चाकू मार दिया हो. मैं अब चीख रही थी.
‘आआआआआईयईईईईईईई.... निकालो इसे .. आआआआआईयईईईईईईईई........’ मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे.
टीचर ‘आआआआअहह. .......आआआआआआआआहह’ कर रहा था. मुझे जितना दर्द हो रहा था टीचर को इतना ही मज़ा आ रहा था.
विवेक आँखें फाड़ के देख रहा था. उसके सामने सेक्सी कटरीना कैफ़ जैसी बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की ज़मीन पे पैर फैला कर लेटी थी और चिल्ला रही थी और उसके उपर था एक गेंड जैसा काला मोटा आदमी जिसका लंबा लंड उसकी छोटी सी चूत में था. टीचर अब सब सुध्बुध गवा बैठा था उसकी आँखे आधी बंद थी, उसका मूह आधा खुला था, उसकी जीब थोड़ी सी बाहर थी और क़िस्सी जानवर की तराह जीब से थूक टपक के नीचे मेरे गालों पे गिर रही थी. नीचे में दर्द के मारे चिल्ला रही थी और अपने दोनो हाथो को टीचर की छाती पे मार उससे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी. मेरे मारने से टीचर को कुछ असर नही हो रहा था. वो अपना लंड एक आध इंच बाहर निकालता और फिर से अंदर डाल देता.
तो भाई लोगो आख़िर सेक्स की पुजारन की चूत मे पहला लंड चला ही गया आगे उसने क्या क्या कारनामे दिखाए जानने के किए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..........
गतान्क से आगे.............
‘फिर से देखो गी’ यह कह के टीचर खड़ा हो गया. खड़े होते ही मुझे पता चला कि उसने शर्ट के नीचे कुछ नही पहना था. उसका काला मोटा लंड कड़क हो के शान से खड़ा था. लंड को देख मेरे बदन में एक हुलचूल सी हो गयी. मैं उस काले लंड को छूना चाहती थी. पर टीचर वही पर खड़ा रहा. उसने अपना शर्ट के बटन खोलना शुरू किया. विवेक यहाँ अब मेरी जांघे चाट रहा था. मैं बैचैन हो रही थी और मैने उसका सर उसके बालों से पकड़ और उपर कर लिया. अब उसका सर पूरा मेरे स्कर्ट के नीचे था और वो मेरी चूत मेरी पॅंटी के उपर से चाट रहा था. मुझे अब ऐसी बेशर्मी करने मे कोई खिचक नही थी. मेरी हवस की आग भड़क उठी थी. में अपने दोनो हाथो से उसका सर नीचे दबा रही थी और टीचर के लंड को देख रही थी. टीचर अब पूरा नंगा था. उसका काला और बालों से भरा मोटा बदन दिखने में एकदम ही गंदा लग रहा था. पर मेरे शरीर की भूक इतनी थी कि मुझे सिर्फ़ वो लंड दिखाई दे रहा था. मैं अब विवेक का सर नीचे और दबा रही थी और साथ ही साथ अपनी गांद उठा उठा के उसके चेहरे पे अपनी चूत रगड़ रही थी.
टीचर सामने का नज़ारा देख कर खुश हो गया. उसने मन में ठान लिया ‘कुछ भी हो जाए आज इसको चोदे बिना जाने नहीं दूँगा’. उसने इतनी चिकनी लड़की नही देखी थी और वो भी इतनी जवान. में उसके सामने रांड़ की तरह गांद उपर करके चूत चटवा रही थी.
‘बहुत अच्छे मानसी. यह मेरा कुत्ता बहुत वफ़ादार है. तुम जितना चाहो खेल सकती हो’ टीचर ने कहा. दस मिनिट तक में वैसे ही ज़ॉरो से अपनी चूत विवेक के मूह पर रगड़ती रही और पूरे ज़ोर से विवेक का सर नीचे दबाती रही.में झर ने ही वाली थी कि टीचर ने विवेक से कहा. ‘बहुत हो गया कुत्ते, अपना सर उठा’. पर मुझे और चूत चटवानी थी मेने विवेक के बॉल पकड़ उससे रोकने की कोशिश की पर वो मेरे चंगुल से निकल के साइड पे हो गया.
टीचर हसके बोला ‘डोंट वरी मानसी अभी तो हम शुरू हो रहे हैं. ऐसा करते हैं कि में मेरे कुत्ते के साथ तुम्हारी भी थोड़ी ट्रैनिंग कर देता हूँ. तुम मेरा कुत्ता करता हैं वैसा ही करो. ठीक हैं ?’
मैने अपना सिर हां में हिल्ला दिया. विवेक अब हाथ और घुटनो पे ज़मीन पर बैठा था. मैं भी कुतिया की तरह ज़मीन पे बैठ गयी.
विवेक अब अपने हाथों और घुटनों तले टीचर की ओर चलने लगा. मेने भी वैसे ही किया. हम दोनो अब अपने हाथो और घुटनूं तले कुत्टून की तरह ज़मीन पर टीचर के लंड की तरफ चल पड़े. ‘वेरी गुड. गुड डॉगी’ टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा. वो एक हाथ से लंड सहला रहा था और दूसरे हाथ से अपने बॉल दबा रहा था. हम दोनो लंड तक पहुच गये.
‘मानसी अब तुम वैसा करो जैसे मेरा कुत्ता करता हैं’
विवेक ने अपनी जीब पूरी निकालके टीचर का पूरा लंड नीचे से उपर चाटने लगा. मैने भी ऐसा ही किया. अब टीचर के लंड को हम दोनो एक साथ पूरी जीब निकाल के चाट रहे थे.
‘आआआआआअहह....’ टीचर के मूह से आवाज़ निकल गयी. हम दोनो टीचर का लंड ऐसे ही 10 मिनिट तक चाटते रहे. मुझे अब लंड को अपने मूह में लेके चूसना था. टीचर का काला मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. टीचर ने तभी एक कदम पीछे ले कर अपना लंड हम दोनो से अलग किया और हमारे दोनो के सर के पीछे के बाल पकड़ हमारे सर एक दूसरे के नज़दीक लाना शुरू कर दिया. ‘किस करो एक दूसरे को, और मूह खोल के किस करो’ टीचर ने कहा. विवेक के होठ मेरे होठ के नज़दीक आ रहे थे, मैने अपने होठ खोल अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल उनका स्वागत किया. होठ मिलते ही मैने अपनी जीब उसके मूह में डाल दी. विवेक ने भी अपनी जीब मेरी जीब से मिला दी. मुझे किस करने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
टीचर ने अब साइड से अपना लंड हम दोनो के किस करते होठों के बीच डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. मेरे और विवेक के होंठ खुले थे और जीब बाहर थी और टीचर का गीला लंड अब हमारे होटो के बीच आगे पीछे हो रहा था. अपने हाथों से टीचर हम दोनो के बाल पकड़ के हमारे सर उसके लंड पे दबा रहा था. गरम गरम कड़क लंड मेरे होटो को छूने से मेरी चूत में हुलचूल हो रही थी. मैं अपना हाथ आगे कर के विवेक के छोटे से लंड को पकड़ के हिलाने लगी. लंड को दो तीन झटके ही मारे थे कि विवेक झरने लगा और उसके लंड से वीर्य निकलने लगा.
झरते वक़्त विवेक ने अपना सर पीछे कर ‘आआआआआहह....’ की आवाज़ निकाली. ऐसा करने से उसका मूह टीचर के लंड से दूर हो गया. टीचर को गुस्सा आ गया. ‘साले चूतिए. किसने कहा लंड से मूह निकालने को’
‘सॉरी टीचर’
‘सॉरी के बच्चे ये ले’ ऐसा कह कर टीचर ने अपना लंड उसके मूह में डाल दिया और ज़ोर से उसके मूह को बेरहमी से चोदने लगा. टीचर पूरा लंड विवेक के मूह में घुसता और पूरा बाहर निकलता. मुझे विवेक का यह हाल देख मज़ा आ रहा था. मैने पीछे से विवेक के सर के बाल पकड़ लिए और उसका सर टीचर के लंड पे धकेलना शुरू कर दिया.
‘वेरी गुड मानसी. इस कुत्ते को मिलके तमीज़ सिखाते हैं’ टीचर ने अब अपने लंड से विवेक के मूह को चोदना बंद कर दिया और ऐसे ही खड़ा रहा. मैं विवेक के सर के बाल पकड़ दोनो हाथों से उसका सर टीचर के लंड पे ज़ॉरो से उपर नीचे करने लगी.
मैने अब बेशरम हो कर टीचर की आँखों में आँखे डाल, देख रही थी. टीचर मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था. वो सोच रहा था ‘क्या चीनी रांड़ हैं, मेरे तो नसीब खुल गये’
अब वो झरने वाला था ‘और ज़ोर से मानसी आआआआअहह...’ कह कर टीचर ने झरना शुरू कर दिया. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर विवेक का सर टीचर के लंड पे धकेल्ति रही. टीचर चिल्ला चिल्ला कर झार रहा था. हर बार जब टीचर का लंड विवेक के मूह में पूरा जाता उसके मूह के साइड से थूक और वीर्य निकल जाता. टीचर दो-तीन मिनिट तक झरता रहा. जब उसने चिल्लाना बंद किया तो मैने विवेक का सर छोड़ा. टीचर ने लंड बाहर निकाला. ‘साफ़ कर इसे’ टीचर ने विवेक से कहा. विवेक अपनी जीब निकाल के आगे बढ़ रहा था कि मैने ‘चल हट कुत्ते’ कह कर उसे धक्का मार के हटा दिया. मैं अपनी जीब निकाल टीचर की आँखों में आँखें डाल लंड को चाटने लगी और वीर्य लंड से चाट चाट के सॉफ कर दिया.
‘वा मानसी तुम्हे तो ट्रैनिंग की कोई ज़रूरत नही. चलो अब में तुम्हे भी खुश कर देता हूँ’ यह कह के टीचर ने मुझे ज़मीन पे लेटा दिया. उसने मेरा स्कर्ट उठा के मेरी पॅंटी एक झटके में निकाल दी. मुझसे अब रहा नही जा रहा था. मुझे अब टीचर का मूह अपनी चूत पे चाहिए था. टीचर ने भी मुझे इंतेज़ार नही करवाया और अपनी मोटी जीब पूरी मूह से निकाल मेरी पूरी चूत को नीचे से उपर तक चाटना शुरू किया. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो पैर जीतने फैल सके उतने फैला दिए. टीचर वैसे ही चाट ता रहा. चाटते चाटते टीचर घूम गया. अब में ज़मीन पे लेटी थी और टीचर मेरे उपर ऐसे लेटा था की उसका मूह मेरी चूत पे और उसका लंड मेरे मूह के नज़दीक था.
‘इसे चूस के खड़ा कर दो मानसी’ टीचर का लंड बैठा हुआ था और मेरी आँखो के सामने लटक रहा था. बैठा हुआ लंड भी काफ़ी मोटा और लंबा था और उससे देख मेरे मूह में पानी आ गया. मैने अपने दोनो हाथ टीचर के गांद पे रख उसको नीचे खीचा. उनका बैठा हुआ लंड मैने पूरा का पूरा मूह में ले लिया और उसे चूसने लगी. टीचर अब मेरी चूत को मस्त होके तेज़ी से चाट रहा था. और उतनी ही तेज़ी से में उसका लंड चूस रही थी.
हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को मज़े देते रहे. टीचर अब अपनी गांद उपर नीचे कर अपने लंड से मेरा मूह चोद रहा था. लंड अब आधा खड़ा हो चुक्का था और बड़ी मुश्किल से मेरे मूह मे पूरा समा रहा था. गरम लंड मेरे मूह में ले कर बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे जैसे टीचर का लंड बड़ा होता गया मुझे पूरा लंड लेने में तकलीफ़ होती गयी पर टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड़ता रहा. मैने अपने एक हाथ से टीचर का लंड पकड़ लिया ताकि टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में ना डाल पाए. दो मिनिट बाद टीचर का लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैने एक हाथ से लंड पकड़ा हुआ था और बाकी का 6 इंच का लंड मेरे मूह में टीचर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. सारे वक़्त टीचर मेरे चूत को चाट रहा था. में चाहती थी की वो अपनी जीब मेरी चूत में डाल दे पर वो ऐसा नहीं कर रहा था. फिर कोई भी चेतावनी बिना टीचर ने अपने हाथ से मेरा हाथ उसके लंड से हटा डाला और अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड दिया ‘म्म्म्मह म्म्म्मममममममह’ कर के में चिल्ला रही थी पर टीचर अब पूरे लंड से मेरे मूह को चोद रहा था. 8 इंच वाला मोटा लंड मेरे मूह में समा नहीं सकता था फिर भी टीचर मुजसे ज़बरदस्ती कर रहा था. में अपना सर एक साइड से दूसरी साइड कर रही थी पर टीचर चोदे जा रहा था. आख़िर कैसे भी करके मैं टीचर के लंड को बाहर निकालने में कामयाब हो गयी.
टीचर ने अब मुझे पकड़ साइड से घूमा दिया ताकि में अब उसके उपर आ गयी. उसने अब दोनो हाथ मेरे गांद पे रख मेरी गांद ज़ोर से मसलने लगा. मैने अपनी चूत और नीचे करके उसके होंठो पे रख दी. उसने अब फिर से ज़ोर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया. में लंड को दोनो हाथ से पकड़ के हिला रही थी और साथ साथ लंड के उपर वाले हिस्से को मूह में ले कर चूस रही थी. में झरने के काफ़ी करीब थी.
विवेक का लंड अब ये सब देख फिरसे खड़ा हो गया था. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मुझ जैसी सेक्सी लड़की उसके सामने नंगी थी और टीचर जैसे गंदे आदमी से चुदवा रही थी. वो मेरे पीछे खड़ा था और उसको मेरी गोरी चिकनी गांद साफ दिखाई दे रही थी. जैसे जैसे टीचर मेरी गांद मसलता विवेक को मेरी गांद का गुलाबी छेद दिख जाता. मेरी गांद का छेद देख वो पागल हो रहा था. वो अब आगे बढ़ के अपने होठ मेरे गांद के छेद को लगा कर उसे चूमने लगा.
मैं चोंक उठी ‘आए ये क्या कर रहा है साले कुत्ते. हट यहाँ से’
यह देख टीचर ने कहा ‘फिकर मत करो मानसी.थोड़ा उसे अपना काम करने दो और देखो कि मज़ा आता हैं की नहीं. मैने इसे गांद चाटने में एक्सपर्ट बना दिया हैं.’
मैने सोचा कि क्या पता शायद मुझे इसमे मज़ा आएगा.मैने कुछ कहे बिना फिर से लंड चूसने लगी. विवेक ने अब मेरे गांद के छेद पे फिर से होठ लगा दिए. वो धीरे धीरे उसे चूमता रहा और अपनी जीब निकाल कर चाट्ता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दोनो ने मेरी चूत और गांद ऐसे ही दस मिनिट तक चॅटी. में अब झरने ही वाली थी. फिर अचानक दोनो ने एक साथ अपनी जीब मेरे अंदर डाल दी. विवेक ने अपनी जीब मेरी गांद में दो इंच तक डाल दी और टीचर ने भी अपनी मोटी जीब मेरी चूत में पूरी चार इंच तक डाल दी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मरके स्वर्ग में पहुच गयी थी. मैने अपने हाथ लंड से निकाल पूरा 6 इंच तक लंड मूह में ले लिया. टीचर ने मौका पा के अपने दोनो हाथ मेरे सर पर रख मेरे सर को ज़ोर ने नीचे धकेला और पूरा 8 इंच का लंड अब मेरे मूह के अंदर था. में खांस रही थी और मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर साथ ही दोनो की जीब मुझ को पागल कर रही थी. मेरा झरना शुरू हो गया. मैने अपनी चूत और नीचे कर ली और टीचर ने अब ज़ोर से अपनी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर करनी कर दी. विवेक भी आछे कुत्ते के तरह ज़ोर से अपनी जीब मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. टीचर अपनी गांद उछाल के मेरे मूह को अपने 8 इंच लंड से चोद रहे थे. में लगभग 5 मिनिट तक ऐसे ही झरती रही. उन दोनो ने सारे वक़्त तेज़ी से अपनी जीब चलाई. 5 मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ और मैं टीचर पे लेट गयी.
‘मज़ा आया मानसी ? अब फिर से तुम्हारी बारी मुझे खुश करने की’ ये कह कर टीचर ने अब मुझे नीचे लेटा दिया और मेरे दोनो पैर के बीच मे आकर कहा ‘अब में तुम्हें चोदुन्गा…’
टीचर ने यह कह कर अपने मोटे लंड को मेरी चूत के उपर रगड़ना शुरू किया. इतना बड़ा लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था. इसका एहसास मुझे पागल कर रहा था अब मुझे सिर्फ़ यह बड़ा लंड मेरी चूत में चाहिए था.
‘सर धीरे से करना मैं कुँवारी हूँ’ मैने कहा
‘मज़ाक क्यूँ कर रही हो मानसी’ टीचर ने हस्ते हुए कहा
‘नहीं में सच कह रही हूँ’. यह सुनते ही टीचर के चेहरे से हँसी गायब हो गयी. उसको अपने नसीब पर विश्वास नही हो रहा था. उसने आज तक किसी कुँवारी को नही चोदा था. उसकी बीवी भी शादी से पहले चुदवा चुकी थी. और अब उसके सामने एक कुँवारी चूत थी वो भी मुझ जैसी लड़की की. उसने जब से मुझे स्कूल में देखा था मेरे बारे मैं सोच सोच के कई बार मूठ मारी थी और अब वो मेरी कुँवारी चूत को चोदने वाला था. उसके आखों में चमक आ गयी थी.
‘फिकर मत करो में तुम्हे धीरे से चोदुन्गा’. टीचर बोला और मंन में सोचा ‘आज तो साली की चूत फाड़ के रख दूँगा’. टीचर के अंदर का जानवर जाग गया था. उसे सोलाह साल की कुँवारी चूत मिल रही थी.
टीचर ने मेरी चूत के मूह पे अपने लंड रखा. मुझे डर के मारे पसीना आ गया था और साथ ही लंड चूत में लेने की बैचैनि भी हो रही थी.
एक ज़ोरदार धक्का लगा के साथ टीचर ने अपना लंड मेरी चूत में 3 इंच तक घुसा डाला. मैं इतने दर्द के लिए तैयार नहीं थी और चीख पड़ी.
‘अभी तो शुरुआत है मानसी’ टीचर ने कहा. उसे देख के लग रहा था कि उसे मेरी तकलीफ़ से मज़ा आ रहा था. टीचर 3 इंच लंड अंदर बाहर कर रहा था. धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ.
‘और लंड चाहिए मानसी’ टीचर ने हंसते हुए पूछा.
‘नही टीचर. बहुत बड़ा है’
‘अरे अभी तो आधा भी नही गया’
‘प्लीज़ नही टीचर. आप और अंदर डालोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा’
‘अरे दर्द होगा लेकिन बादमें मज़ा भी बहुत आएगा मेरी जान’. उसके चेहरे पे मुस्कुराहट थी. उसको अभी मेरी कोई परवाह नही थी सिर्फ़ अपनी हवस का ख़याल था. उसने और एक धक्का लगाया और 6 इंच तक मेरी चूत में घुस गया. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे अंदर चाकू मार दिया हो. मैं अब चीख रही थी.
‘आआआआआईयईईईईईईई.... निकालो इसे .. आआआआआईयईईईईईईईई........’ मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे.
टीचर ‘आआआआअहह. .......आआआआआआआआहह’ कर रहा था. मुझे जितना दर्द हो रहा था टीचर को इतना ही मज़ा आ रहा था.
विवेक आँखें फाड़ के देख रहा था. उसके सामने सेक्सी कटरीना कैफ़ जैसी बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की ज़मीन पे पैर फैला कर लेटी थी और चिल्ला रही थी और उसके उपर था एक गेंड जैसा काला मोटा आदमी जिसका लंबा लंड उसकी छोटी सी चूत में था. टीचर अब सब सुध्बुध गवा बैठा था उसकी आँखे आधी बंद थी, उसका मूह आधा खुला था, उसकी जीब थोड़ी सी बाहर थी और क़िस्सी जानवर की तराह जीब से थूक टपक के नीचे मेरे गालों पे गिर रही थी. नीचे में दर्द के मारे चिल्ला रही थी और अपने दोनो हाथो को टीचर की छाती पे मार उससे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी. मेरे मारने से टीचर को कुछ असर नही हो रहा था. वो अपना लंड एक आध इंच बाहर निकालता और फिर से अंदर डाल देता.
तो भाई लोगो आख़िर सेक्स की पुजारन की चूत मे पहला लंड चला ही गया आगे उसने क्या क्या कारनामे दिखाए जानने के किए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा
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