4
गतान्क से आगे.............
रिया की चूत की मांसपेशियों ने राज के लंड को जाकड़ लिया और चूत
की गर्मी ने राज को और उत्तेजित कर दिया था. वो उछल उछल कर
धक्के लगा रहा था, "तुम्हारी चूत तो ग़ज़ब की है रिया..... काश
मेने इसे पहले चोदा होता."
"मेरी चुचियों से खेलो राज निपल को मुँह मे लेकर चूसो....."
रिया गहरी सांस लेती हुई बोली.
राज ने अपनी गर्दन झुकाई और उसके कठोर निपल को अपने दन्तो मे ले
काट डाला.
"ऑश मेने चूसने को कहा था काटने को नही दर्द होता है
ना......"
अपने लंड के जोरदार धक्के मारते हुए वो जोरों से उसकी चुचियों को
मसल्ने और चूसने लगा.
"ऑश राज मैं गयी तुम्हे क्या चुदाई करते हो बस थोड़ा और ज़ोर
से ......ऑश हाआँ ऐसे और ज़ोर से मेरा छूटने वाला है..." रिया
नीचे से अपनी कमर उछालते हुए बोली.
राज अब लंबे और ज़ोर के धक्कों से उसे चोदने लगा. रिया का शरीर
हर धक्के से उसके नीचे दहल जाता. उसकी चूत से बहता पानी
उसकी जाँघो तक आ गया था. जैसे जैसे उसकी चूत छूटने के
करीब आती उसका शरीर और कांप जाता. ज़मीन पर लेटे होने वजह से
उसकी पीठ दर्द कर रही थी. पर चुदाई की मस्ती के आगे पीठ के
दर्द का कहाँ होश था.
वो जोरों से अपनी कमर नीचे से उछल रही थी. अपनी चूत की
मांसपेशियों से उसके लंड को और जाकड़ वो सिसक रही थी.
'हाआँ राअज चूओड़ो में तो गयी....... ओह हां ज़ोर से अंदर तक
पेलूऊऊओ ऑश गयी......"
अपनी टाँगो को और कमर मे कस उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. राज ने
भी उसकी चुचियों को ज़ोर से भींचा और ज़ोर का धक्का मार अपना
पानी छोड़ दिया. पसीने से लत पथ वो उसके शरीर पर गिर सा पड़ा.
"मुझे उठने दो राज नीचे की खुरदरी ज़मीन मेरी पीठ पर घाव
कर देगी." रिया ने राज को अपने उपर से अलग करते हुए कहा.
राज उसके उपर से खड़ा हुआ और उसने रिया का हाथ पकड़ उसे भी खड़ा
कर दिया. खड़े होते ही रिया की नज़रे राज के लंड पर पड़ी. चाँद की
रोशनी मे लंड पर चमकती वीर्य की बूंदे देख वो मन्त्र मुग्ध हो
गयी. वो उसकी टाँगे के बीच बैठ गयी और उसके लंड पर अपनी जीभ
घूमा उन बूँदो को चाटने लगी.
राज का लंड एक बार फिर तनने लगा था. उसने पास के ही पेड़ की तनी
को पकड़ लिया. रिया अब उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूस रही थी.
वो मुट्ठी से उसके लंड को मसल्ते हुए उसके सूपदे को और जोरो से
चूसने लगी.
राज ने अपनी एक टांग उठा कर रिया के कंधे पर रख दी और उसके
चेहरे को और अपनी जाँघो के करीब कर लिया. रिया ने भी अपने दोनो
हाथों से उसके चूतड़ को पकड़ और जोरों से उसके लंड को चूसने
लगी.
राज भी उसके सिर को पकड़ उसके मुँह को चोदने लगा. थोड़ी ही देर
मे उसका लंड पिचकारी पर पिचकारी छोड़ रहा था जिसे रिया पिए जा
रही थी. कुछ वीर्य उसके होठों के किनारे से बहता हुआ नीचे गिर
रहा था. जब उसने राज के लंड की आखरी बूँद भी निचोड़ कर पी
ली तो उसने उसके लंड को अपने मुँह से निकाल दिया.
"देखा आज तक तुम क्या मिस करते आए." अपनी जीभ से बहते वीर्य
को चाटते हुए रिया बोली.
"अच्छा होगा अगर हम कपड़े पहन कुछ लकड़ियाँ ढूंड लें." राज ने
रिया को याद दिलाया.
दोनो समय पर ही अलाव के पास पहुँच गये. आग बुझने को ही थी.
जय सन्कित नज़रों से दोनो को देख रहा था लेकिन उसने कुछ कहा
नही. राज ने कुछ चुनी हुई लकड़ियाँ आग मे डाली और उन्हे हवा दे
जलाने लगा.
"मैं ज़रा घर मे जाकर बाथरूम होकर आती हूँ." अपने हाथों की
लकड़ियों को ज़मीन पर रखती हुई वो बोली.
रिया पहले भी कई बार राज के घर मे आ चुकी थी. पर जब उसका
टकराव पहली बार रोमा से हुआ तो वो तुरंत उससे पहचान गयी.
"कैसी हो रोमा?" रिया ने पूछा.
"हाई." रोमा ने कहा, किंतु उसके चेहरे के भावों को देख रिया समझ
गयी कि रोमा ने उसे पहचाना नही है.
"में रिया हूँ, जय की बड़ी बेहन," रिया ने अपना परिचय दिया. में
सिर्फ़ दो दिन की छुट्टी मे कॉलेज से घर आई हूँ. मैं पास के
शहर मे पढ़ती हूँ. "क्या बात है तुम हम सब के साथ बाहर नही
आई?"
रोमा की समझ मे नही आया कि वो क्या जवाब दे. करीब करीब एक
अंजान इंसान को वो कैसे बताए कि वो अपने भाई के प्यार मे पागल
है. कैसे कहे कि आज उसने खुद अपना मज़ाक बनाया था अपने भाई के
सामने और अब वो उससे नज़रें भी नही मिला पा रही है. "मुझे नही
मालूम." बस इतना ही कह पाई वो.
"तुम दो मिनिट यहीं रूको में बाथरूम जाकर आती हू फिर हुम्म
साथ साथ तालाब तक चलेंगे." रिया ने कहा.
रोमा को नही मालूम था कि रिया क्या सोच रही थी. रिया को रोमा काफ़ी
पसंद आई थी ठीक किसी गुड्डिया की तरह. रिया एक खुले विचारों
की लड़की थी और जहाँ तक सेक्स का सवाल था उसका उसूल था जो दिल को
भाए उस के साथ करो ना भाए तो ना करो.
बाथरूम से निकल जब वो रोमा के कमरे के बगल से निकली तो
पूछा, "तय्यार हो."
कमरे से कोई आवाज़ ना आने पर रिया ने अंदर झाँक कर देखा तो पाया
कि रोमा पलंग पर लेती थी और छत को घूर रही थी. वो चल कर
पलंग के करीब आई और उस लड़की के जवान शरीर को निहारने लगी.
रिया खास तौर पर रोमा की छोटी और गोल गोल चुचियों की ओर
आकर्षित हो गयी थी. उसका दिल तो चाहा कि आगे बढ़ कर उन
चुचियों को छुए और प्यार करे. उसके दिल ने कहा कि अगर रोमा
खुले विचारों की हुई तो ज़रूर एक रात उसके साथ प्यार करेगी.
"क्या बात है बहोत ज़्यादा टेन्स लग रही हो?" रिया ने प्यार से रोमा
से पूछा.
"ऐसा कुछ नही है जो में तुम्हे समझा सकूँ." रोमा ने जवाब दिया.
रिया के अनुभव ने उसे बता दिया कि रोमा किसी के प्रेम मे पागल है.
प्यार का कोई इलाज़ नही होता, ये वो दर्द है जो सिर्फ़ सहा जाता है
पर किसी के साथ बाँटा नही जाता.
"चलो उठो." रिया ने उसकी बाँह पकड़ कर उसे उठाते हुए कहा, "जय
अपने साथ वाइन और खाने के लिए बहोत सारी चीज़ें लाया है, और
हां एक बात मुझे ना सुनना पसंद नही है. अगर दिल मे तकलीफ़
है तो एक ही इलाज़ है अपनी सुध बूध खो बैठो समझी."
रिया के काफ़ी समझने पर रोमा बिस्तर से उठी और रिया के साथ बाहर
आ गयी. दोनो लड़कियाँ धीरे धीरे चलते हुए उस अलाव के पास आ
गयी. चलते चलते रिया का बदन कई बार रोमा के बदन से टकराया.
हर टकराव के बाद रिया के बदन मे झूर झुरी सी दौड़ जाती. उसने
रोमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों मे फँसाया और उसका हाथ थामे
चलने लगी. रोमा को भी उसके हाथ का स्पर्श अच्छा लगा. थोड़ी ही देर
मे वो दो सहेलियों की तरह बातें कर रही थी.
राज जैसे ही अलाव मे लकड़ियाँ डाल कर घूमा तो उसने देखा कि रोमा
बियर का एक कॅन खोल उसमे से घूँट ले रही थी. रोमा को वाहा देख वो
थोड़ा सा नर्वस सा हो गया, रोमा कभी उसकी पार्टियों मे शामिल
नही होती थी.
रिया ने राज के चेहरे पर उसके भाव पढ़ लिए, उसने इशारे से उसे
बताया कि वो रोमा को वहाँ लेकर आई है.
"राज ये लो." कहकर जय ने एक सिग्रेट और लाइटर राज की ओर बढ़ा
दिया.
राज ने सिगरेतटे लेते लेते एक सरसरी सी निगाह रोमा पर डाली और
फिर अपना ध्यान रिया पर केंद्रित कर दिया. वो सिग्रेट से हल्के
हल्के काश लेकर रिया को ही देख रहा था. सिग्रेट पीते ही राज
समझ गया कि सिग्रेट मे नशीली दवाई मिली है, पर ना जाने क्यों
आज उसे ये सिग्रेट पीकर सकुन मिल रहा था.
जय ने एक दूसरी सिग्रेट जलाई और रिया को पकड़ा दी.
"तयार हो?" रिया ने रोमा से पूछा.
रिया के सवाल से रोमा चौंक पड़ी, "किस बात के लिए?"
रिया के चेहरे को देख रोमा समझ कि उसकी नई दोस्त उसके साथ कोई
शरारत करना चाहती है.
"सिर्फ़ मेरे पास रहना" रिया ने रोमा से कहा.
रिया ने सिग्रेट के लंबे लंबे काश ले अपनी छातियों को सिग्र्ट्ट
के धुआँ से भर ली. फिर रोमा पर झुकते हुए उसने अपने होंठ रोमा
के होठों पर रख दिए. रोमा ने जैसे ही अपने होंठ थोड़े से खोले
रिया ने सारा धुआँ उसके मुँह मे छोड़ दिया. फिर थोड़ी देर बाद रिया
अपनी जीब उसके मुँह मे डाल उसकी जीब को चुलबुलाने लगी.
क्रमशः.............
दो भाई दो बहन compleet
Re: दो भाई दो बहन
4
gataank se aage.............
Riya ki choot ki manspeshiyon ne Raj ke lund ko jakad liya aur choot
ki garmi ne Raj ko aur uttejit kar diya tha. Wo uchal uchal kar
dhakke laga raha tha, "TUMHARI CHOOT TO GAZAB KI HAI RIYA..... KASH
MEINE ISE PEHLE CHODA HOTA."
"MERI CHUCHIYON SE KHELO RAJ NIPPLE KO MUNH ME LEKAR CHOOSO....."
Riya gehri sans leti hui boli.
Raj ne apni gardan jhukai aur uake kathor nipple ko apne danto me le
kaat dala.
"OHHH MEINE CHOOSNE KO KAHA THA KAATNE KO NAHI DARD HOTA HAI
NA......"
Apne lund ke jordar dhakke marte hue wo jorons se uski chuchiyon ko
masalne aur choosne laga.
"OHHH RAJ MAAAN GAYI TUMHE KYA CHUDAI KARTE HOOOO BAS THODA AUR JOR
SE ......OHHHH HAAAN AISE AUR JOR SE MERA CHOOTNE WALA HAI..." Riya
neeche se apni kamar uchalte hue boli.
Raj ab lambe aur jor ke dhakkon se use chodne laga. Riya ka sharir
har dhakke se uske neeche dahal jaata. Uski choot se behta paani
uski jangho tak aa gaya tha. Jaise jaise uski choot chootne ke
kareeb aati uska sharir aur kanp jaata. Zameen par lete hone wajah se
uski peeth dard kar rahi thi. Par chudai ki masti ke aage peet ke
dard ka kahan hosh tha.
Wo joron se apni kamar neeche se uchal rahi thi. Apni choot ke
manspeshiyon se uske lund ko aur jakad wo sisak rahi thi.
'HAAAN RAAAJ CHOOODO MEIN TO GAYI....... OH HAAN JOR SE ANDAR TAK
PELOOOOOOO OHHH GAYI......"
Apni tango ko aur kamar me kas uski choot ne pani chod diya. Raj ne
bhi uski chuchiyon ko jor se bheencha aur jor ka dhakka mar apna
pani chod diya. Paseene se lath path wo uske sharir par gir sa pada.
"Mujhe uthne do Raj neeche ki khurdari jameen meri peeth par ghav
kar degi." Riya ne Raj ko apne upar se alag karte hue kaha.
Raj uske upar se khada hua aur usne Riya ka hath pakad use bhi khada
kar diya. Khade hote hi Riya ki nazre Raj ke lund par padi. Chand ki
roshni me lund par chamakti virya ki boonde dekh wo mantra mugdh ho
gayi. Wo uski tange ko beech baith gayi aur uske lund par apni jeebh
ghooma un boondo ko chatne lagi.
Raj ka lund ek bar phir tanne laga tha. Usne paas ke hi ped ki tani
ko pakad liya. Riya ab uske lund ko apne mun me le choos rahi thi.
Wo muthi se uske lund ko masalte hue uske supade ko aur joros se
choosne lagi.
Raj ne apni ek tang utha kar Riya ke kandhe par rakh diya aur uske
chehre ko aur apni jangho ke kareeb kar liya. Riya ne bhi apne dono
hathon se uske chootad ko pakad aur joron se uske lund ko choosne
lagi.
Raj ne bhi uske sir ko pakad uske munh ko chodne laga. Thodi hi der
me uska lund pichkari par pichakari chod raha tha jsie Riya piye jaa
rahi thi. Kuch virya uske hothon ke kinare se behta hua neeche gir
rahat tha. Jab usne Raj ke lund ki aakhri boond bhi nichod kar pee
le to usne uske lund ko apne munh se nikal diya.
"Dekha aaj tak tum kya miss karte aaye." Apni jeebh se behte virya
ko chatte hue Riya boli.
"Accha hoga agar hum kapde pehan kuch lakdiyan dhoond len." Raj ne
Riya ko yaad dilaya.
Dono samay par hi alaav ke paas pahunch gaye. Aag bujhne ko hi thi.
Jay sankit nazron se dono ko dekh raha tha lekin usne kuch kaha
nahi. Raj ne kuch chuni hui lakdiyan aag me daali aur unhe hawa de
jalane laga.
"Meine jara ghar me jakar bathroom hokar aati hoon." Apne hathon ki
lakdiyon ko jameen par rakhti hui wo boli.
Riya pehle bhi kai bar Raj ke ghar me aa chuki thi. Par jab uska
takrav pehli bar Roma se hua to wo turant usse pehchan gayi.
"Kaisi ho Roma?" Riya ne pucha.
"Hi." Roma ne kaha, kintu uske chehre ke bhavon ko dekh Riya samajh
gayi ki Roma ne use pehchana nahi hai.
"Mein Riya hun, Jay ki badi behan," Riya ne apna parichay diya. Mein
sirf do din ki chutti me college se ghar aayi hun. Mien paas ke
sehar me padhti hun. "Kya baat hai tum hum sab ke sath bahar nahi
aayi?"
Roma ki samajh me nahi aaya ki wo kya jawab de. Kareeb kareeb ek
anjaan insaan ko wo kaise bataye ki wo apne bhai ke pyaar me pagal
hai. Kaise kahe ki aaj usne khud apna mazak banaya tha apne bhai ke
samne aur ab wo usse nazrein bhi nahi mila paa rahi hai. "Mujhe nahi
maalum." bas itna hi keh payi wo.
"Tum do minute yahin ruko mein bathroom jakar aati hon phir humm
sath sath talab tak chalenge." Riya ne kaha.
Roma ko nahi maalum tha ki Riya kya soch rahi thi. Riya ko Roma kafi
pasand aayi thi thik kisi guddiya ki tarah. Riya ek khule vicharon
ki ladki thi aur jahan tak sex ka sawal tha uska usool tha jo dil ko
bhaye usse ke sath karo na bhaye to na karo.
Bathroom se nikal jab wo Roma ke kamre ke bagal se nikali to
pucha, "Tayyar ho."
Kamre se koi awaaz na ane par Riya ne andar jhank kar dekha to paya
ki Roma palang par leti thi aur chat ko ghoor rahi thi. Wo chal kar
palang ke kareeb aayi aur us ladki ke jawan sharir ko niharne lagi.
Riya khas taur par Roam ki choti aur gol gol chuchiyon ki aur
akarshit ho gayi thi. Uska dil to chaha ki aage badh kar un
chuchiyon ko chue aur pyaar kare. Uske dil ne kaha ki agar Roma
khule vicharon ki hui to jaroor ek raat uske sath pyaar karegi.
"Kya baat hai bahot jayda tense lag rahi ho?" Riya ne pyaar se Roma
se pucha.
"Aisa kuch nahi hai jo mein tumhe samjha sakun." Roma ne jawab diya.
Riya ke anubhav ne use bata diya ki Roma kisi ke prem ke pagal hai.
Pyaar ka koi ilaaz nahi hota, ye wo dard hai jo sirf saha jata hai
par kisi ke sath baanta nahi jaata.
"Chalo utho." Riya ne uski banh pakad kar use uthate hue kaha, "Jay
apne sath wine aur khane ke liye bahot sari cheezein laya hai, aur
haan ek baat mujhe naa sunna pasand nahi hai. Agar dil me takleef
hai to ek hi ilaaz hai apni sudh boodh kho baitho samjhi."
Riya ke kafi samjhane par Roma bistar se uthi aur Riya ke sath bahar
aa gayi. Dono ladkiyan dheere dheere chalte hue us alaav ke paas aa
gayi. Chalte chalte Riya ka badan kai bar Roma ke badan se takraya.
Har takrav ke baad Riya ke badan me jhur jhuri si daud jaati. Usne
Roma ke ungliyon ko apni ungliyon me phansaya aur uska hath thame
chalne lagi. Roma ko bhi uske hath ka sparsh accha lga. Thodi hi der
me wo do saheliyon ki tarah baatein kar rahi thi.
Raj jaise hi alaav me lakdiyan daal kar ghooma to usne dekha ki Roma
beer ka ek can khol usme se ghoont le rahi thi. Roma ko waha dekh wo
thoda sa nervous sa ho gaya, Roma kabhi uski partiyon me shaamil
nahi hoti thi.
Riya ne Raj ke chehre par uske bhaavv padh liye, usne ishaare se use
bataya ki wo Roma ko wahan lekar aayi hai.
"Raj ye lo." kehkar Jay ne ek cigrette aur lighter Raj ki aur badha
diya.
Raj ne cigrette lete lete ek sarsari si nigah Roma par daali aur
phir apna dhyaan Riya par kendrit kar diya. Wo cigrette se halke
halke kash lekar Riay ko hi dekh raha tha. Cigrette pite hi Raj
samajh gaya ki cigrette me nashili dawai mili hai, par na jane kyon
aaj use ye cigreete peekar sakun mil raha tha.
Jay ne ek doosri cigreet jalayi aur Riya ko pakda di.
"Tayaar ho?" Riya ne Roma se pucha.
Riya ke sawal se Roma chaunk padi, "kis baat ke liye?"
Riya ke chehre ko dekh Roma samajh ki uski nai dost uske sath koi
sharat karna chahti hai.
"Sirf mere paas rehna" Riya ne Roma se kaha.
Riya ne cigrette ke lambe lambe kash le apni chaatiyon se cigreette
ke dhuan se bhar li. Phir Roma par jhukte hue usne apne honth Roma
ke hothon par rakh diya. Roma ne jaise hi apne honth thode se khole
Riya ne sara dhuan uske munh me chod diya. Phir thodi der baad Riya
ne apni jeeb uske munh me daal uski jeeb ko chulbulane lagi.
kramashah.............
gataank se aage.............
Riya ki choot ki manspeshiyon ne Raj ke lund ko jakad liya aur choot
ki garmi ne Raj ko aur uttejit kar diya tha. Wo uchal uchal kar
dhakke laga raha tha, "TUMHARI CHOOT TO GAZAB KI HAI RIYA..... KASH
MEINE ISE PEHLE CHODA HOTA."
"MERI CHUCHIYON SE KHELO RAJ NIPPLE KO MUNH ME LEKAR CHOOSO....."
Riya gehri sans leti hui boli.
Raj ne apni gardan jhukai aur uake kathor nipple ko apne danto me le
kaat dala.
"OHHH MEINE CHOOSNE KO KAHA THA KAATNE KO NAHI DARD HOTA HAI
NA......"
Apne lund ke jordar dhakke marte hue wo jorons se uski chuchiyon ko
masalne aur choosne laga.
"OHHH RAJ MAAAN GAYI TUMHE KYA CHUDAI KARTE HOOOO BAS THODA AUR JOR
SE ......OHHHH HAAAN AISE AUR JOR SE MERA CHOOTNE WALA HAI..." Riya
neeche se apni kamar uchalte hue boli.
Raj ab lambe aur jor ke dhakkon se use chodne laga. Riya ka sharir
har dhakke se uske neeche dahal jaata. Uski choot se behta paani
uski jangho tak aa gaya tha. Jaise jaise uski choot chootne ke
kareeb aati uska sharir aur kanp jaata. Zameen par lete hone wajah se
uski peeth dard kar rahi thi. Par chudai ki masti ke aage peet ke
dard ka kahan hosh tha.
Wo joron se apni kamar neeche se uchal rahi thi. Apni choot ke
manspeshiyon se uske lund ko aur jakad wo sisak rahi thi.
'HAAAN RAAAJ CHOOODO MEIN TO GAYI....... OH HAAN JOR SE ANDAR TAK
PELOOOOOOO OHHH GAYI......"
Apni tango ko aur kamar me kas uski choot ne pani chod diya. Raj ne
bhi uski chuchiyon ko jor se bheencha aur jor ka dhakka mar apna
pani chod diya. Paseene se lath path wo uske sharir par gir sa pada.
"Mujhe uthne do Raj neeche ki khurdari jameen meri peeth par ghav
kar degi." Riya ne Raj ko apne upar se alag karte hue kaha.
Raj uske upar se khada hua aur usne Riya ka hath pakad use bhi khada
kar diya. Khade hote hi Riya ki nazre Raj ke lund par padi. Chand ki
roshni me lund par chamakti virya ki boonde dekh wo mantra mugdh ho
gayi. Wo uski tange ko beech baith gayi aur uske lund par apni jeebh
ghooma un boondo ko chatne lagi.
Raj ka lund ek bar phir tanne laga tha. Usne paas ke hi ped ki tani
ko pakad liya. Riya ab uske lund ko apne mun me le choos rahi thi.
Wo muthi se uske lund ko masalte hue uske supade ko aur joros se
choosne lagi.
Raj ne apni ek tang utha kar Riya ke kandhe par rakh diya aur uske
chehre ko aur apni jangho ke kareeb kar liya. Riya ne bhi apne dono
hathon se uske chootad ko pakad aur joron se uske lund ko choosne
lagi.
Raj ne bhi uske sir ko pakad uske munh ko chodne laga. Thodi hi der
me uska lund pichkari par pichakari chod raha tha jsie Riya piye jaa
rahi thi. Kuch virya uske hothon ke kinare se behta hua neeche gir
rahat tha. Jab usne Raj ke lund ki aakhri boond bhi nichod kar pee
le to usne uske lund ko apne munh se nikal diya.
"Dekha aaj tak tum kya miss karte aaye." Apni jeebh se behte virya
ko chatte hue Riya boli.
"Accha hoga agar hum kapde pehan kuch lakdiyan dhoond len." Raj ne
Riya ko yaad dilaya.
Dono samay par hi alaav ke paas pahunch gaye. Aag bujhne ko hi thi.
Jay sankit nazron se dono ko dekh raha tha lekin usne kuch kaha
nahi. Raj ne kuch chuni hui lakdiyan aag me daali aur unhe hawa de
jalane laga.
"Meine jara ghar me jakar bathroom hokar aati hoon." Apne hathon ki
lakdiyon ko jameen par rakhti hui wo boli.
Riya pehle bhi kai bar Raj ke ghar me aa chuki thi. Par jab uska
takrav pehli bar Roma se hua to wo turant usse pehchan gayi.
"Kaisi ho Roma?" Riya ne pucha.
"Hi." Roma ne kaha, kintu uske chehre ke bhavon ko dekh Riya samajh
gayi ki Roma ne use pehchana nahi hai.
"Mein Riya hun, Jay ki badi behan," Riya ne apna parichay diya. Mein
sirf do din ki chutti me college se ghar aayi hun. Mien paas ke
sehar me padhti hun. "Kya baat hai tum hum sab ke sath bahar nahi
aayi?"
Roma ki samajh me nahi aaya ki wo kya jawab de. Kareeb kareeb ek
anjaan insaan ko wo kaise bataye ki wo apne bhai ke pyaar me pagal
hai. Kaise kahe ki aaj usne khud apna mazak banaya tha apne bhai ke
samne aur ab wo usse nazrein bhi nahi mila paa rahi hai. "Mujhe nahi
maalum." bas itna hi keh payi wo.
"Tum do minute yahin ruko mein bathroom jakar aati hon phir humm
sath sath talab tak chalenge." Riya ne kaha.
Roma ko nahi maalum tha ki Riya kya soch rahi thi. Riya ko Roma kafi
pasand aayi thi thik kisi guddiya ki tarah. Riya ek khule vicharon
ki ladki thi aur jahan tak sex ka sawal tha uska usool tha jo dil ko
bhaye usse ke sath karo na bhaye to na karo.
Bathroom se nikal jab wo Roma ke kamre ke bagal se nikali to
pucha, "Tayyar ho."
Kamre se koi awaaz na ane par Riya ne andar jhank kar dekha to paya
ki Roma palang par leti thi aur chat ko ghoor rahi thi. Wo chal kar
palang ke kareeb aayi aur us ladki ke jawan sharir ko niharne lagi.
Riya khas taur par Roam ki choti aur gol gol chuchiyon ki aur
akarshit ho gayi thi. Uska dil to chaha ki aage badh kar un
chuchiyon ko chue aur pyaar kare. Uske dil ne kaha ki agar Roma
khule vicharon ki hui to jaroor ek raat uske sath pyaar karegi.
"Kya baat hai bahot jayda tense lag rahi ho?" Riya ne pyaar se Roma
se pucha.
"Aisa kuch nahi hai jo mein tumhe samjha sakun." Roma ne jawab diya.
Riya ke anubhav ne use bata diya ki Roma kisi ke prem ke pagal hai.
Pyaar ka koi ilaaz nahi hota, ye wo dard hai jo sirf saha jata hai
par kisi ke sath baanta nahi jaata.
"Chalo utho." Riya ne uski banh pakad kar use uthate hue kaha, "Jay
apne sath wine aur khane ke liye bahot sari cheezein laya hai, aur
haan ek baat mujhe naa sunna pasand nahi hai. Agar dil me takleef
hai to ek hi ilaaz hai apni sudh boodh kho baitho samjhi."
Riya ke kafi samjhane par Roma bistar se uthi aur Riya ke sath bahar
aa gayi. Dono ladkiyan dheere dheere chalte hue us alaav ke paas aa
gayi. Chalte chalte Riya ka badan kai bar Roma ke badan se takraya.
Har takrav ke baad Riya ke badan me jhur jhuri si daud jaati. Usne
Roma ke ungliyon ko apni ungliyon me phansaya aur uska hath thame
chalne lagi. Roma ko bhi uske hath ka sparsh accha lga. Thodi hi der
me wo do saheliyon ki tarah baatein kar rahi thi.
Raj jaise hi alaav me lakdiyan daal kar ghooma to usne dekha ki Roma
beer ka ek can khol usme se ghoont le rahi thi. Roma ko waha dekh wo
thoda sa nervous sa ho gaya, Roma kabhi uski partiyon me shaamil
nahi hoti thi.
Riya ne Raj ke chehre par uske bhaavv padh liye, usne ishaare se use
bataya ki wo Roma ko wahan lekar aayi hai.
"Raj ye lo." kehkar Jay ne ek cigrette aur lighter Raj ki aur badha
diya.
Raj ne cigrette lete lete ek sarsari si nigah Roma par daali aur
phir apna dhyaan Riya par kendrit kar diya. Wo cigrette se halke
halke kash lekar Riay ko hi dekh raha tha. Cigrette pite hi Raj
samajh gaya ki cigrette me nashili dawai mili hai, par na jane kyon
aaj use ye cigreete peekar sakun mil raha tha.
Jay ne ek doosri cigreet jalayi aur Riya ko pakda di.
"Tayaar ho?" Riya ne Roma se pucha.
Riya ke sawal se Roma chaunk padi, "kis baat ke liye?"
Riya ke chehre ko dekh Roma samajh ki uski nai dost uske sath koi
sharat karna chahti hai.
"Sirf mere paas rehna" Riya ne Roma se kaha.
Riya ne cigrette ke lambe lambe kash le apni chaatiyon se cigreette
ke dhuan se bhar li. Phir Roma par jhukte hue usne apne honth Roma
ke hothon par rakh diya. Roma ne jaise hi apne honth thode se khole
Riya ne sara dhuan uske munh me chod diya. Phir thodi der baad Riya
ne apni jeeb uske munh me daal uski jeeb ko chulbulane lagi.
kramashah.............
Re: दो भाई दो बहन
5
गतान्क से आगे.............
रोमा की साँसे रुकने लगी थी, उसने अपने मुँह से धुआँ को बाहर
फैंका और खाँसते खाँसते ताज़ा हवा अंदर लेने लगी.
इसी तरह सिग्रेट के कई दौर चले. हर बार रिया यही क्रिया
दोहराने लगी. और हर बार उसका चूँबन पहले से कहीं लंबा होता
था. थोड़े ही देर मे चारों को थोड़ा थोड़ा नशा होने लगा.
अब चारों आपस मे हँसी मज़ाक कर रहे थे. जब भी रोमा ने राज की
ओर देखा तो उसने उसे ही घूरते पाया. जब राज ने उसकी ओर देख कर
मुस्कुराया तो मन खुशी से उछल पड़ा उसे लगा कि राज ने उसे माफ़
कर दिया है.
कुछ घंटे बाद सभी ने घर जाने की सोची. राज और जय सामान उठा
जय की गाड़ी की और बढ़ गये. रोमा और रिया उन दोनो के पीछे
पीछे चलने लगी. रिया ने राज और रोमा को गले लगाते हुए विदा ली
और जय के साथ गाड़ी मे बैठ चली गयी.
"आज तो बहोत मज़ा आया है...ना." रोमा ने कहा.
"हां आया तो...." राज ने धीरे से कहा.
शर्म और लाज की एक भारी दीवार थी दोनो के बीच. दोनो नही
चाहते थे कि रात जल्दी ख़त्म हो. पर पहला कदम कौन बढ़ाएगा
यही ख़याल था दोनो के मन मे. दोनो घर के दरवाज़े पर पहुँचे
और दोनो ही घर का दरवाज़ा खोलने बढ़े तो दोनो के हाथ टकरा गये.
"मुझे माफ़ कर देना राज...." रोमा ने अपना हाथ पीछे खींचते हुए
कहा, "और हां पिछली सभी बातो के लिए भी." ना जाने किस
भावना मे रोमा कह उठी.
राज के ज़ज्बात फिर जाग उठे. "में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ
रोमा."
राज की बात सुनकर उसकी आँखो मे आँसू आ गये, अपने चेहरे को अपने
कंधे पर झुका उसने मुस्कुरा कर कहा, "सच राज.... में भी तुमसे
बहोत प्यार करती हूँ."
प्यार की लौ मे दोनो एक दूसरे की ओर बढ़े और उनके होंठ आपस मे
एक हो गये. दोनो के बदन एक अंजानी खुशी मे काँप रहे थे. रोमा
के होठों को थोड़ी देर चूमने के बाद राज उससे अलग हुआ तो दोनो एक
दूसरे को देखने लगे. एक अंजानी खुशी दोनो के मन मे समाई हुई
थी.
रोमा खुशी मे अपने नीचले होठों को दांतो से चबा ज़मीन की ओर
देख रही थी, ज़मीन की ओर देखते हुए उसकी निगाह राज की जाँघो पर
गयी तो उसने देखा कि वहाँ एक तंबू सा बना हुआ था. उसका खड़ा
लंड यही कह रहा था कि वो भी उसे उतना ही पाना चाहता है जितना
कि वो उसे पाना चाहती थी.
राज ने रोमा की तोड़ी पकड़ उसके चेहरे को उठाया, रोमा ने अपनी
आँखे बंद कर ली और राज ने अपने होंठ उसकी होंठो पर रख दिए.
उसके होठों को चूस्ते चूस्ते उसने अपनी जीभ रोमा के मुँह मे डाल
दी. रोमा ने भी अपना मुँह खोला और अपनी जीभ राज की जीभ से मिला
दी.
"म्म्म्मम कब से तरश रही थी में इस समय के लिए' सोचते हुए रोमा
राज की जीब को जोरों से चूसने लगी. ना जाने कितनी देर तक दो प्रेमी
ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे.
राज ने रोमा को चूमते हुए जोरों से अपनी बाहों मे भींच लिया. उसकी
नाज़ुक चुचियों उसकी छाती मे धँस गयी. राज ने अपने हाथ रोमा के
चूतदो पर रखे और ज़ोर से उसे अपनी बाहों मे भीच लिया. रोमा
ने भी उसकी पीठ पर अपनी पंजों की पकड़ को कसते हुए अपने शरीर
को उसके शरीर से चिपका दिया. उसकी चूत राज के खड़े लंड से टकरा
रही थी.
ना जाने कितनी बार और कितने रूप मे दोनो ये सपना देखा था और आज
वो सपना पूरा हो रहा था एक अलग ही अंदाज़ मे.
"में कब्से तरस रही थी तुम्हारी इन मजबूत बाहों मे आने के
लिए." रोमा राज को चूमते हुए फुसफुसाते हुए बोली.
"तुम नही जानती रोमा मेने भी कितनी रातें तुम्हारे ही सपने
देखते हुए बिताई है." राज उसे जोरों से भींचते हुए बोला, "क्या
में तुम्हे छू सकता हूँ?"
"हाँ राज मुझे छुओ मुझे मस्लो मुझे प्यार करो, कब से तरस रही
हूँ में तुम्हारे प्यार के लिए." रोमा अपने प्यार का इज़हार करते हुए
बोली.
राज ने अपना हाथ उसके टॉप के नीचे से अंदर डाला और उसकी मुलायम
चुचि को पकड़ लिया. उसने उसके खड़े निपल को अपनी उंगली और
अंगूठे मे लिया और धीरे धीरे मसल्ने लगा.
जैसे ही राज उसकी चुचि की घुंडी को मसलता रोमा काम विभूर हो
उसे जोरों से चूम लेती. अपनी जीब को उसके मुँह चारों ओर घूमाति,
उसके नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ जाते.
रोमा को महसूस होता कि राज का खड़ा लंड उसकी चूत को कपड़ों के
उपर से टटोल रहा. वो अपनी जाँघो को और उसकी जाँघो से सटा देती.
राज ने अब अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी चुचि पर रख दिया.
उसकी दोनो चुचियों को पकड़ अपनी ओर खींचते हुए वो उन्हे मसल्ने
लगा. रोमा के मुँह से हल्की सी सिसकारी फूटने लगी. उसकी चूत
उत्तेजना मे गीली हो चुकी थी.
"ऑश राअज........." रोमा से अब सहन नही हो रहा था. उसकी चूत
मे आग लगी हुई थी. उसने अपने काँपते हाथ राज की जीन्स के बटन की
और बढ़े और खोलने लगे. फिर उसने उसकी ज़िप को नीचे खिसकाया और
उसकी अंडरवेर मे हाथ डाल अपना हाथ राज के गरम लंड पर रख दिया.
"ओह........" लंड की गरमाहट पा उसकी चूत और सुलग उठी.
"ऑश राज कितना अच्छा लग रहा है." कहकर वो अपनी उंगलियाँ राज के
लंड पर उपर से नीचे फिराने लगी. उसे महसूस हुआ कि राज का लंड
और तनता जा रहा है साथ ही और लंबा भी हो रहा था. उसकी मोटाई
को मापते हुए उसने अपनी हथेली लंड के चारों ओर जाकड़ ली. फिर
नीचे की ओर करते हुए उसकी गोलियाँ से खेलने लगी. कभी एक गोलाई
को ले भींचती तो कभी दूसरी को.
राज के हाथ उसकी चुचियों से होते हुए उसकी शॉर्ट्स के बटन पर
पहुँचे. उसने बटन को खोला और फिर ज़िप को नीचे किया. उसने अपने
हाथ उसकी पॅंटी के एल्सास्तिक मे फँसा शॉर्ट और पॅंटी को नीचे
खिसका दिया.
रोमा ने अपनी शॉर्ट और पॅंटी अपने पैरों से अलग कर निकाल दी. राज
अब उसकी गांद को अपने हाथों मे भर मसल रहा था फिर वह अपनी
हथेली को उसकी चूत पर रख दबाने लगा.
"ओह राआआअज ओह आआआः." रोमा सिसकते हुए उसके लंड
को और जोरों से भींचने लगी.
राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला और अपनी दो उंगलियाँ
उसकी चूत मे घुसा दी. चूत गीली होने से उसकी उंगलियाँ आसानी से
अंदर चली गयी. रोमा का शरीर कांप उठा. जैसे ही राज की उंगलियों
ने उसकी चूत के अन्दुर्नि हिस्सों को सहलाया वो सिहर उठी.
"ओह राज अब नही राआहा जाता.......प्लीज़ अपने लंड को मेरी
चूत मे डाआआआळ दो.....प्लीज़ राज."
"सहियीई में रोमम्म्माआ...." राज उसकी चूत को और जोरों से
भींचते हुए बोला. उसे विश्वास नही हो रहा था कि आज एक साथ
उसके सारे सपने पूरे हो रहे थे.
रोमा ने राज की जीन्स और उसकी अंडरावीयर को नीचे खिसका दिया और
उसके लंड को आज़ाद कर दिया. राज का लंड अब उसकी नंगी चूत को छू
रहा था.
राज ने अपने लंड को पकड़ा और अपनी बेहन की मुलायम और गीली चूत
पर रगड़ने लगा.
लंड और चूत के संगम ने रोमा के तन मन मे हलचल मचा दी..."
ऑश राआाज ओह......."
खड़े खड़े राज का लंड रोमा की चूत मे नही घुस सकता था फिर
भी राज अपने लंड को रोमा की चूत पर घिसते हुए उसकी जाँघो मे
अंदर करता और फिर बाहर खींचता. लंड का चूत के उपर घिसरण
से रोमा की चूत और पानी छोड़ने लगी थी.
"ऑश राज अब मत तडपाओ ना नही रहा जाता प्लीज़ घुसा दो नाअ में
मर जाउन्गि." रोमा गिड़गिदा रही थी. राज उसे बाहों मे लिए लिए घर
के अंदर आया और दरवाज़े को बंद कर दिया. फिर उसे पॅसेज की
खिड़की के पास लेजाकार उसके हाथ उसपर टीका दिए. फिर उसे खिड़की
पर पीठ के बल लिटाते हुए उसकी टाँगो को उठाया और अपने कंधो
पर रख लिया.
रोमा ने अपने सिर को खिड़की मे लगे शीशे पर टीका दिया और अपनी
कमर को थोड़ा उपर उठा कर राज का लंड लेने के लिए तय्यार हो गयी.
राज ने पहले तो अपने लंड को उसकी चूत पर थोड़ा घिसा जिससे लंड
गीला हो जाए फिर उसकी चूत की पंखुरियों को थोड़ा फैला अपने
लंड को धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसा दिया.
"ओह राज कितना अच्छा लग रहा है...." रोमा सिसक पड़ी.
"तुम ठीक तो हो ना रोमा?" राज ने पूछा.
'म्म्म्ममम रूको मत."
राज ने एक धक्का मारा और उसका लंड रोमा की कुँवारी चूत को चीरता
हुआ अंदर घुस गया. राज ने एक ज़ोर का धक्का मारा तो वो रोमा की
कुँवारी झिल्ली को फाड़ता हुआ और अंदर तक घुस गया.
क्रमशः.............
गतान्क से आगे.............
रोमा की साँसे रुकने लगी थी, उसने अपने मुँह से धुआँ को बाहर
फैंका और खाँसते खाँसते ताज़ा हवा अंदर लेने लगी.
इसी तरह सिग्रेट के कई दौर चले. हर बार रिया यही क्रिया
दोहराने लगी. और हर बार उसका चूँबन पहले से कहीं लंबा होता
था. थोड़े ही देर मे चारों को थोड़ा थोड़ा नशा होने लगा.
अब चारों आपस मे हँसी मज़ाक कर रहे थे. जब भी रोमा ने राज की
ओर देखा तो उसने उसे ही घूरते पाया. जब राज ने उसकी ओर देख कर
मुस्कुराया तो मन खुशी से उछल पड़ा उसे लगा कि राज ने उसे माफ़
कर दिया है.
कुछ घंटे बाद सभी ने घर जाने की सोची. राज और जय सामान उठा
जय की गाड़ी की और बढ़ गये. रोमा और रिया उन दोनो के पीछे
पीछे चलने लगी. रिया ने राज और रोमा को गले लगाते हुए विदा ली
और जय के साथ गाड़ी मे बैठ चली गयी.
"आज तो बहोत मज़ा आया है...ना." रोमा ने कहा.
"हां आया तो...." राज ने धीरे से कहा.
शर्म और लाज की एक भारी दीवार थी दोनो के बीच. दोनो नही
चाहते थे कि रात जल्दी ख़त्म हो. पर पहला कदम कौन बढ़ाएगा
यही ख़याल था दोनो के मन मे. दोनो घर के दरवाज़े पर पहुँचे
और दोनो ही घर का दरवाज़ा खोलने बढ़े तो दोनो के हाथ टकरा गये.
"मुझे माफ़ कर देना राज...." रोमा ने अपना हाथ पीछे खींचते हुए
कहा, "और हां पिछली सभी बातो के लिए भी." ना जाने किस
भावना मे रोमा कह उठी.
राज के ज़ज्बात फिर जाग उठे. "में तुमसे बहोत प्यार करता हूँ
रोमा."
राज की बात सुनकर उसकी आँखो मे आँसू आ गये, अपने चेहरे को अपने
कंधे पर झुका उसने मुस्कुरा कर कहा, "सच राज.... में भी तुमसे
बहोत प्यार करती हूँ."
प्यार की लौ मे दोनो एक दूसरे की ओर बढ़े और उनके होंठ आपस मे
एक हो गये. दोनो के बदन एक अंजानी खुशी मे काँप रहे थे. रोमा
के होठों को थोड़ी देर चूमने के बाद राज उससे अलग हुआ तो दोनो एक
दूसरे को देखने लगे. एक अंजानी खुशी दोनो के मन मे समाई हुई
थी.
रोमा खुशी मे अपने नीचले होठों को दांतो से चबा ज़मीन की ओर
देख रही थी, ज़मीन की ओर देखते हुए उसकी निगाह राज की जाँघो पर
गयी तो उसने देखा कि वहाँ एक तंबू सा बना हुआ था. उसका खड़ा
लंड यही कह रहा था कि वो भी उसे उतना ही पाना चाहता है जितना
कि वो उसे पाना चाहती थी.
राज ने रोमा की तोड़ी पकड़ उसके चेहरे को उठाया, रोमा ने अपनी
आँखे बंद कर ली और राज ने अपने होंठ उसकी होंठो पर रख दिए.
उसके होठों को चूस्ते चूस्ते उसने अपनी जीभ रोमा के मुँह मे डाल
दी. रोमा ने भी अपना मुँह खोला और अपनी जीभ राज की जीभ से मिला
दी.
"म्म्म्मम कब से तरश रही थी में इस समय के लिए' सोचते हुए रोमा
राज की जीब को जोरों से चूसने लगी. ना जाने कितनी देर तक दो प्रेमी
ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे.
राज ने रोमा को चूमते हुए जोरों से अपनी बाहों मे भींच लिया. उसकी
नाज़ुक चुचियों उसकी छाती मे धँस गयी. राज ने अपने हाथ रोमा के
चूतदो पर रखे और ज़ोर से उसे अपनी बाहों मे भीच लिया. रोमा
ने भी उसकी पीठ पर अपनी पंजों की पकड़ को कसते हुए अपने शरीर
को उसके शरीर से चिपका दिया. उसकी चूत राज के खड़े लंड से टकरा
रही थी.
ना जाने कितनी बार और कितने रूप मे दोनो ये सपना देखा था और आज
वो सपना पूरा हो रहा था एक अलग ही अंदाज़ मे.
"में कब्से तरस रही थी तुम्हारी इन मजबूत बाहों मे आने के
लिए." रोमा राज को चूमते हुए फुसफुसाते हुए बोली.
"तुम नही जानती रोमा मेने भी कितनी रातें तुम्हारे ही सपने
देखते हुए बिताई है." राज उसे जोरों से भींचते हुए बोला, "क्या
में तुम्हे छू सकता हूँ?"
"हाँ राज मुझे छुओ मुझे मस्लो मुझे प्यार करो, कब से तरस रही
हूँ में तुम्हारे प्यार के लिए." रोमा अपने प्यार का इज़हार करते हुए
बोली.
राज ने अपना हाथ उसके टॉप के नीचे से अंदर डाला और उसकी मुलायम
चुचि को पकड़ लिया. उसने उसके खड़े निपल को अपनी उंगली और
अंगूठे मे लिया और धीरे धीरे मसल्ने लगा.
जैसे ही राज उसकी चुचि की घुंडी को मसलता रोमा काम विभूर हो
उसे जोरों से चूम लेती. अपनी जीब को उसके मुँह चारों ओर घूमाति,
उसके नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ जाते.
रोमा को महसूस होता कि राज का खड़ा लंड उसकी चूत को कपड़ों के
उपर से टटोल रहा. वो अपनी जाँघो को और उसकी जाँघो से सटा देती.
राज ने अब अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी चुचि पर रख दिया.
उसकी दोनो चुचियों को पकड़ अपनी ओर खींचते हुए वो उन्हे मसल्ने
लगा. रोमा के मुँह से हल्की सी सिसकारी फूटने लगी. उसकी चूत
उत्तेजना मे गीली हो चुकी थी.
"ऑश राअज........." रोमा से अब सहन नही हो रहा था. उसकी चूत
मे आग लगी हुई थी. उसने अपने काँपते हाथ राज की जीन्स के बटन की
और बढ़े और खोलने लगे. फिर उसने उसकी ज़िप को नीचे खिसकाया और
उसकी अंडरवेर मे हाथ डाल अपना हाथ राज के गरम लंड पर रख दिया.
"ओह........" लंड की गरमाहट पा उसकी चूत और सुलग उठी.
"ऑश राज कितना अच्छा लग रहा है." कहकर वो अपनी उंगलियाँ राज के
लंड पर उपर से नीचे फिराने लगी. उसे महसूस हुआ कि राज का लंड
और तनता जा रहा है साथ ही और लंबा भी हो रहा था. उसकी मोटाई
को मापते हुए उसने अपनी हथेली लंड के चारों ओर जाकड़ ली. फिर
नीचे की ओर करते हुए उसकी गोलियाँ से खेलने लगी. कभी एक गोलाई
को ले भींचती तो कभी दूसरी को.
राज के हाथ उसकी चुचियों से होते हुए उसकी शॉर्ट्स के बटन पर
पहुँचे. उसने बटन को खोला और फिर ज़िप को नीचे किया. उसने अपने
हाथ उसकी पॅंटी के एल्सास्तिक मे फँसा शॉर्ट और पॅंटी को नीचे
खिसका दिया.
रोमा ने अपनी शॉर्ट और पॅंटी अपने पैरों से अलग कर निकाल दी. राज
अब उसकी गांद को अपने हाथों मे भर मसल रहा था फिर वह अपनी
हथेली को उसकी चूत पर रख दबाने लगा.
"ओह राआआअज ओह आआआः." रोमा सिसकते हुए उसके लंड
को और जोरों से भींचने लगी.
राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला और अपनी दो उंगलियाँ
उसकी चूत मे घुसा दी. चूत गीली होने से उसकी उंगलियाँ आसानी से
अंदर चली गयी. रोमा का शरीर कांप उठा. जैसे ही राज की उंगलियों
ने उसकी चूत के अन्दुर्नि हिस्सों को सहलाया वो सिहर उठी.
"ओह राज अब नही राआहा जाता.......प्लीज़ अपने लंड को मेरी
चूत मे डाआआआळ दो.....प्लीज़ राज."
"सहियीई में रोमम्म्माआ...." राज उसकी चूत को और जोरों से
भींचते हुए बोला. उसे विश्वास नही हो रहा था कि आज एक साथ
उसके सारे सपने पूरे हो रहे थे.
रोमा ने राज की जीन्स और उसकी अंडरावीयर को नीचे खिसका दिया और
उसके लंड को आज़ाद कर दिया. राज का लंड अब उसकी नंगी चूत को छू
रहा था.
राज ने अपने लंड को पकड़ा और अपनी बेहन की मुलायम और गीली चूत
पर रगड़ने लगा.
लंड और चूत के संगम ने रोमा के तन मन मे हलचल मचा दी..."
ऑश राआाज ओह......."
खड़े खड़े राज का लंड रोमा की चूत मे नही घुस सकता था फिर
भी राज अपने लंड को रोमा की चूत पर घिसते हुए उसकी जाँघो मे
अंदर करता और फिर बाहर खींचता. लंड का चूत के उपर घिसरण
से रोमा की चूत और पानी छोड़ने लगी थी.
"ऑश राज अब मत तडपाओ ना नही रहा जाता प्लीज़ घुसा दो नाअ में
मर जाउन्गि." रोमा गिड़गिदा रही थी. राज उसे बाहों मे लिए लिए घर
के अंदर आया और दरवाज़े को बंद कर दिया. फिर उसे पॅसेज की
खिड़की के पास लेजाकार उसके हाथ उसपर टीका दिए. फिर उसे खिड़की
पर पीठ के बल लिटाते हुए उसकी टाँगो को उठाया और अपने कंधो
पर रख लिया.
रोमा ने अपने सिर को खिड़की मे लगे शीशे पर टीका दिया और अपनी
कमर को थोड़ा उपर उठा कर राज का लंड लेने के लिए तय्यार हो गयी.
राज ने पहले तो अपने लंड को उसकी चूत पर थोड़ा घिसा जिससे लंड
गीला हो जाए फिर उसकी चूत की पंखुरियों को थोड़ा फैला अपने
लंड को धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसा दिया.
"ओह राज कितना अच्छा लग रहा है...." रोमा सिसक पड़ी.
"तुम ठीक तो हो ना रोमा?" राज ने पूछा.
'म्म्म्ममम रूको मत."
राज ने एक धक्का मारा और उसका लंड रोमा की कुँवारी चूत को चीरता
हुआ अंदर घुस गया. राज ने एक ज़ोर का धक्का मारा तो वो रोमा की
कुँवारी झिल्ली को फाड़ता हुआ और अंदर तक घुस गया.
क्रमशः.............