पंडित & शीला पार्ट--7
गतांक से आगे......................
पंडित जी : नहीं ..मुझे नहीं मालुम ..तुम बताओ मुझे पूरी बात ..
माधवी : पंडित जी ..कहते हुए मुझे काफी शर्म आती है ..पर जब बात यहाँ तक पहुँच ही गयी है तो आपसे मैं कुछ भी नही छुपाऊगी .. ऐसा नहीं है की मेरा मन इन सब चीजों के लिए नहीं करता ..बल्कि मैं तो उनसे ज्यादा तड़पती हु उन सब के लिए ..पहले वो जब भी मेरे साथ प्यार करते थे तो मैं उन्हें हर प्रकार से खुश करने का प्रयत्न करती थी ..जैसा वो कहते थे, वैसा ही करती थी ..वो कहते की अंग्रेजी पिक्चर में जैसे होता है , वैसे करो ..''
पंडितजी ने बीच में टोका : ''अंग्रेजी पिक्चर में ..मतलब ..''
माधवी (शर्माते हुए ) :''वो ...वो अक्सर ...रात को टीवी में अंग्रेजी पिक्चर आती है न ..जिसमे ..जिसमे ..आदमी का ल ..चूसते हुए दिखाया जाता है ...''
वो धीरे से बोली ..
पंडित तो मजे लेने के लिए उससे ये सब पूछ रहा था, वर्ना उस कमीने को सब पता था की रात को केबल वाला ब्लू फिल्म लगाता है , जिसे देखकर वो अपने लंड का पानी कई बार निकाल चुके हैं और गिरधर ने ही उन्हें ये सब बताया था की ब्लू फिल्म देखकर उसने भी कई बार माधवी से अपना लंड चुसवाया है और फिल्म देखने के बाद ही उसे ये पता चला था की गांड भी मारी जाती है ..वर्ना उसे तो बस यही मालुम था की चूत में ही लंड डाला जाता है ..और जब गिरधर ने ब्लू फिल्म में गांड मारने का सीन देखा था , तब से वो माधवी के पीछे पड़ा हुआ था की वो भी उससे गांड मरवाए ..पर वो हमेशा मना कर देती थी ..
माधवी ने आगे बोलना शुरू किया : ''पिछले महीने एक रात जब वो पीकर घर आये तो उन्होंने ..उन्होंने ...रितु को अपने कमरे में बुलाया ..मैं किचन में थी ..काफी देर तक जब रितु वापिस नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए जैसे ही कमरे में गयी तो मेरे होश ही उड़ गए ...इन्होने रितु को अपने सीने से लगाया हुआ था ..और ..और ..उसे ..चूम रहे थे ..''
पंडित जी ने जब ये सब सुना तो उनके रोंगटे खड़े हो गए ..इस बारे में तो गिरधर ने आज तक नहीं बताया था ..साला हरामी ..
माधवी : ''मैंने बड़ी मुश्किल से रितु को इनके चुंगल से छुडाया ...वो बेचारी घबराई हुई सी ..भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और मैंने उन्हें जी भरकर गालियाँ निकाली ..पर वो तो नशे में चूर थे ..मेरी बातों का कोई असर नहीं हुआ उनपर ..इसलिए मैंने निश्चय कर लिया की उन्हें सबक सिखा कर रहूंगी ..जब तक वो अपने किये की माफ़ी नहीं मांग लेते और शराब नहीं छोड़ देते,वो मेरे जिस्म को हाथ नहीं लगा सकते ..पंडितजी ..एक बार तो मेरा मन किया की इनसे तलाक ले लू ..पर हम गरीब लोग हैं ..तलाक लेकर हम लोगो का गुजारा नहीं है ..और ना ही अब वो उम्र रह गयी है की आगे के लिए हमें कोई और जीवनसाथी मिल पाए ..इसलिए मन मारकर मुझे रोज उनकी बातें सुननी पड़ती हैं ..''
माधवी की बातें सुनकर पंडितजी का लंड खड़ा हो चूका था ..वो तो बस यही सोचे जा रहे थे की कैसे गिरधर ने अपनी कमसिन बेटी रितु के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसा होगा ..
रितु के बारे में सोचते ही उनके मन में एक और विचार आया ..
पंडित : ''देखो माधवी ..जो कुछ भी गिरधर ने किया है वो बेहद शर्मनाक है ..पर हो सकता है की तुम्हारे द्वारा दुत्कारे जाने के बाद ही उसके मन में ऐसे विचार आये हो अपनी ही बेटी के लिए ..तुम उसे प्यार से समझा कर शराब छुडवाने की बात करो ..और रही बात रितु की तो तुम उसकी चिंता मत करो, मैं भी गिरधर को समझा दूंगा की अपनी ही बेटी के बारे में ऐसा सोचना पाप है ..तुम बस उसकी पढाई की चिंता करो ..और उसे जितना ज्यादा हो सके पढाई करवाओ ..अगर चाहो तो उसकी टयूशन भी लगवा दो ..''
माधवी : ''पर पंडितजी ..इतने पैसे नहीं है अभी की अलग से टयूशन लगवा सकू उसकी ..''
पंडितजी : ''तुम एक काम करो ..तुम रितु को रोज 2 बजे यहाँ मेरे पास भेज देना ..''
माधवी (आश्चर्य से) : ''आपके पास ..मतलब ..''
पंडितजी : ''अरे मेरी पूरी बात तो सुन लो ..हमारे ही मोहल्ले में वो शर्मा जी की विधवा बेटी है न शीला ..वो अपना खाली समय काटने के लिए आती करती रहती है ..मैंने कई बार उसे सुझाव दिया की अपने मोहल्ले के बच्चो को टयूशन पड़ा दिया करे पर बेचारी का घर इतना छोटा है की वहां कोई जाने से भी कतरायेगा ..वो रोज दोपहर को यहाँ आती है, रितु भी आकर यहीं पढ़ लिया करेगी ..मुझे विशवास है की वो रितु से पैसे नहीं लेगी ..उसका भी मन बहल जाएगा और थोडा आत्मविश्वास आने के बाद वो दुसरे बच्चो को भी पढ़ा सकेगी ..''
______________________________ पंडितजी ने अपनी तरफ से भरस्कर प्रयत्न किया था उसे समझाने के लिए ..इसलिए माधवी ने उनकी बात ख़ुशी-2 मान ली ..
माधवी : पंडित जी ..आप तो मेरे लिए साक्षात् अवतार है ..मेरी सारी चिंताएं दूर हो गयी अब ..''
पंडित : ''सारी चिंताए तो तब दूर होंगी जब तुम्हारे और गिरधर के बीच में पहले जैसा प्यार फिर से होगा ..और अगर तुम चाहो तो सब पहले जैसा हो सकता है ..''
माधवी उनकी बाते सुनती रही ..वो उन्हें मना नहीं कर सकती थी ..पंडितजी ने पहले रितु की स्कूल की फीस देकर और बाद में उसकी टयूशन का प्रबंध करके उसके ऊपर काफी बोझ डाल दिया था ..
माधवी : ''आप बताइए पंडितजी ..मैं क्या करू ..ताकि हमारे बीच सब पहले जैसा हो जाए ..''
पंडित जी :'' तुम मुझे पहले तो ये बताओ की तुम्हे शारीरिक क्रियाओं में क्या सबसे अच्छा लगता है ..''
पंडितजी के मुंह से ऐसी बात सुनकर माधवी का मुंह खुला का खुला रह गया ..
पंडितजी :'' देखो माधवी ..मुझे गलत मत समझो ..मैं तो सिर्फ तुम्हारी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा हु ..मैंने पोराणिक कामसूत्र का भी अध्ययन किया है ..और मुझे इन सब बातों का पूरा ज्ञान है की किस क्रिया को स्त्री और पुरुष अपने जीवन में प्रयोग करके उसका आनंद उठा सकते हैं ..''
पंडितजी की ज्ञान से भरी बातें सुनकर माधवी अवाक रह गयी ..उसे तो आज ज्ञात हुआ की पंडितजी कितने "ज्ञानी" हैं ..
उसने भी मन ही मन निश्चय कर लिया की अब वो पंडितजी की सहायता से अपने बिखरे हुए दांपत्य जीवन को बटोरने का प्रयास करेगी ..
माधवी का चेहरा देखकर धूर्त पंडित को ये तो पता चल ही गया था की वो मन ही मन पंडितजी को सब कुछ बताने के लिए निश्चय कर रही है पर खुलकर बोल नहीं पा रही है ..पंडितजी की पेनी नजरें उसकी छातियों पर जमी हुई थी जिसके बीच की गहरी घाटी में देखकर वो अपना मन बहला रहे थे ..
पंडितजी ने उसे ज्यादा सोचते हुए कहा : "देखो ..माधवी ..तुम अपनी इस समस्या को बीमारी की तरह समझो और मुझे डॉक्टर की तरह , मुझे सब बताओगी तभी तो मैं उसका निवारण कर सकूँगा ..तुम निश्चिंत होकर मुझपर भरोसा कर सकती हो ..जो भी बात हमारे बीच होगी उसका किसी और को पता नहीं चलेगा ..यहाँ तक की गिरधर को भी नहीं .."
माधवी अभी भी गहरी सोच में थी ..इसलिए पंडित ने दुसरे तरीके से माधवी के मन की बात निकलवाने की सोची
पंडित : "अच्छा मुझे ये बताओ ..जब गिरधर तुम्हारा चुबन लेता है ..तो तुम्हे कैसा लगता है ..??"
माधवी ने अपना चेहरा नीचे कर लिया ..वो शर्म के मारे लाल सुर्ख हो चूका था ..
माधवी (धीरे से) : "जी ..जी ..अच्छा ही लगता है .."
पंडित ने अपने पैर नीचे लटका लिए और अपने घुटनों के ऊपर अपनी बाजुए रखकर थोडा आगे होकर बोल : "कहाँ चूमने पर सबसे ज्यादा आनंद आता है .."
माधवी कुछ न बोली ...
पंडित : "तुम्हारे होंठों पर ..या गर्दन पर ..या फिर ..!!!!!"
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..माधवी ने तेज सांस लेते हुए अपना चेहरा ऊपर किया, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर रहे थे ..
पंडित : "या फिर ...तुम्हारे स्तनों पर .."
पंडित ने स्तन शब्द पर जोर दिया ..और उसकी छाती की तरफ इशारा भी किया ..
माधवी की साँसे रेलगाड़ी के इंजन जैसी चलने लगी ..पंडित जी को पता चल गया की उन्होंने सही जगह पर चोट मारी है ..
माधवी ने सर हाँ में हिलाया और अपना चेहरा फिर से नीचे कर लिया ..
पंडित : "और क्या गिरधर ने कभी कल्पउर्जा क्रिया का प्रयोग किया है तुम्हारे स्तनों पर .."
माधवी : "ये ..ये क्या होता है .."
पंडित : "ये एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री को खुश करने के लिए पुरुष उसके उन अंगो पर विशेष ध्यान लगाता है जिसमे उसे सबसे ज्यादा आनंद प्राप्त होता है ..और ये क्रिया स्त्री और पुरुष एक दुसरे पर कर सकते हैं .."
माधवी :"अच्छा ..ऐसा भी होता है ..पर ना ही कभी इन्होने और ना ही कभी मैंने ऐसा कुछ किया है .."
पंडित : "तुमने जब भी गिरधर के लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसा है ..वो इसी क्रिया का रूप है .."
लंड चूसने वाली बात सुनकर माधवी फिर से शर्मा गयी ..
पंडित : "तभी मैंने पुछा था की तुम्हारे तुम्हे किस अंग पर चुबन लेने से तुम्हे सबसे ज्यादा आनद प्राप्त होता है .."
माधवी उसकी बाते सुनती रही ..आखिर पंडित अपनी बात पर आया ..
पंडित : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे ये कल्पउर्जा क्रिया सिखा सकता हु ..जिसका प्रयोग करके तुम फिर से अपने जीवन में खो चुके प्यार को पा सकती हो .."
माधवी : "पर पंडित जी ...वो गिरधर को जो सबक सिखाना था वो .."
पंडित : "देखो माधवी ..मैंने पहले ही तुम्हे कह दिया है की तुम उसकी चिंता मत करो, अगर तुम चाहोगी तो मेरे कहने पर वो तुमसे माफ़ी भी मांग लेगा, शराब भी छोड़ देगा और सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचेगा ..हमारे पुराणिक कोक शास्त्र और कामसूत्र की पुस्तकों में ऐसी सभी समस्याओं का निवारण है ..."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..आप बताइए मुझे क्या करना होगा .."
पंडित : "मैं तुम्हे वो क्रिया सिखाऊंगा ..जिसका प्रयोग करके तुम अपने दांपत्य जीवन में फिर से खुशहाली पा सकोगी .."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..मैं तैयार हु .."
माधवी के आत्मविश्वास से भरे चेहरे को देखकर पंडित जी का लंड खड़ा हो गया ..
पंडित : "तो जैसा मैंने कहा था की कल्पउर्जा क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री या पुरुष अपने साथी को उत्तेजना के उस शिखर पर ले जा सकता है जहाँ पर वो आज तक कभी नहीं गया होगा .. अगर तुमने निश्चय कर ही लिया है तो तुम्हे मुझे अपने शरीर के उस अंग यानी तुम्हारे स्तनों पर वो क्रिया करने की अनुमति देनी होगी ..बोलो तैयार हो .."
माधवी पंडित की बात सुनकर फिर से शरम से गड़ती चली गयी ..
पंडित : "तुम ऐसा करो ...अपनी साड़ी उतार कर खड़ी हो जाओ और अपना ये ब्लाउस भी उतार दो .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही ..पर पंडितजी की बातें और उनके उपकार याद करके उसने अपनी आँखे बंद की और दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ी हो गयी और अपनी साडी उतारने लगी ..
पंडित : "ये क्या कर रही हो ..तुम ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी ..मेरी तरफ मुंह करो और ऊपर से निर्वस्त्र हो जाओ .."
माधवी गहरी सांस लेती हुई पंडितजी की तरफ घूमी और अपनी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया ..
पंडितजी भी ठरकी सेठ की तरह पालती मारकर उसका शो देखने लगे ..जैसे किसी कोठे पर आये हो ..
साडी का पल्लू गिरते ही माधवी की छातियाँ ब्लाउस में फंसी हुई उसके सामने उजागर हो गयी ..
ब्लाउस के अन्दर ब्रा और उसके नीचे नंगी चुचियों पर लगे मोटे निप्पल पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे ..
माधवी ने धीरे-2 अपने हुक खोलने शुरू किये ..जैसे-2 हुक खुलते जा रहे थे उसकी छातियाँ अपने अकार में आकर बाहर की तरफ उछलने की तेयारी कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसने आखिरी हुक खोला , उसके ब्लाउस के दोनों पाट बिदक कर दांये और बाएं कंधे से जा टकराए
माधवी की नजरे अभी तक नीचे ही थी ..
पंडित : "माधवी ...मेरी तरफ देखो ..और फिर खोलो अपने अंग वस्त्र को ..वर्ना तुम्हारे अन्दर की शरम तुम्हे आगे नहीं बड़ने देगी .."
माधवी ने अपना चेहरा ऊपर किया ..और पंडितजी की वासना से भरी आँखों में अपनी नशीली आँखों को डालकर अपने ब्लाउस के दोनों किनारों को पकड़ा और एक मादक अंगडाई लेते हुए अपने ब्लाउस को उतार फेंका ..
अब माधवी सिर्फ अपनी ब्लेक ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी ..
पंडित जी ने अपनी धोती में खड़े हुए सांप को सहला कर नीचे की तरफ दबा दिया ..
माधवी ने पंडित की आँखों में देखते हुए अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा के हुक खोल दिए ..और ब्लाउस की तरह ही ब्रा भी छिटक कर उसके जिस्म से अलग हो गयी ..माधवी ने अपनी ब्रा के कप के ऊपर अगर हाथ न लगाए होते तो शायद वो ब्रा पंडित के मुंह पर आकर गिरती ..
पंडित : "कितना जुल्म करती हो तुम अपनी छातियों को इतनी छोटी सी ब्रा में कैद करके .."
पंडित की बात सुनकर माधवी के चेहरे पर थोड़ी हंसी आई ..
पंडित : "नीचे गिराओ इस बाधा को ..और देखने दो मुझे अपने सुन्दर उरोजों को ..."
माधवी ने धड़कते हुए दिल से अपने हाथ हटा लिए और उसकी ब्रा सूखे हुए पत्ते की तरह नीचे की तरफ लहरा गयी ..
उफ्फ्फ्फ़ ...क्या नजारा था ..इतनी बड़ी और कसी हुई छातियाँ पंडित ने आज तक नहीं देखि थी ..
शीला से भी बड़ी थी वो ..अपने दोनों हाथ लगाने पड़ेंगे पंडित को ..लगभग 44 का साईस होगा ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..
और उसपर लगे हुए बेर जैसे निप्पल ..काले रंग के ..और उनके चारों तरफ दो इंच का घेरा ..कितना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य था ...
पंडित जी अब उठ खड़े हुए ..और माधवी के बिलकुल पास आकर खड़े हो गए ..
माधवी पंडित जी के कंधे तक आ रही थी ..पंडित जी ने आँखे नीचे करके उसके मोटे-2 चुचे देखे तो उनसे सब्र नहीं हुआ और उन्होंने हाथ उठा कर अपने दोनों हाथ उसके कलशों पर रख दिए ..
माधवी सिसक उठी ....
स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म ..
पंडित : "माधवी ..मैं सुन्दरता की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति हु ..और मैं तुमसे बस यही कहना चाहता हु की मैंने अपने जीवन में ऐसे सुन्दर स्तन आज तक नहीं देखे .."
बेचारी माधवी की हिम्मत नहीं हुई की पंडित से पूछ ले की और कितने स्तन देखे हैं उन्होंने ...
पंडितजी के हाथ की उँगलियाँ सिमटी और उन्होंने माधवी के मोटे निप्पलस को अपनी चपेट में लेकर धीरे से मसल दिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह ....
माधवी की आँखे बंद हो गयी, सर पीछे की तरफ गिर गया ..और मुंह से मादक आवाज निकल पड़ी ..
पंडित के सामने माधवी आधी नंगी होकर अपना सब कुछ दिखाने को तैयार खड़ी थी ..पर उन्हें पता था की सब कुछ धीरे-2 और मर्यादा में रहकर करना होगा, जैसा शीला के साथ किया था उन्होंने .
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--8
गतांक से आगे......................
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अब आगे
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पंडित की उँगलियाँ माधवी के मुम्मो पर संगीत बजा रही थी ..माधवी भी अपनी आँखे बंद करके उस संगीत का मजा ले रही थी ..उसे क्या मालुम था की जिस मजे के लिए वो इतने दिनों से तड़प रही है उसका इलाज पंडित जी के पास है ..
पंडित : माधवी ..अब मैं वो क्रिया शुरू करने जा रहा हु ..
माधवी : जी पंडित जी ..
पंडित ने कोने में पड़ी हुई दूध से भरी कटोरी उठायी और उसमे अपनी उंगलियां डुबोकर माधवी के स्तनों के ऊपर छींटे मारकर धोने लगा ..ऐसा लग रहा था की किसी हिम शिखर पर दूध की बारिश हो रही है ..दूध की बूंदे थिरक-2 कर मोटे चुचों से नीचे गिर रही थी ..पंडित का तो मन कर रहा था की नीचे मुंह लगाकर वो सारा अमृत पी ले ..पर वो शुरुवात में ही अपना "वासना" से भरा चेहरा दिखाकर अपने "भक्त" को डराना नहीं चाहता था .
दूध की बूंदे नीचे माधवी के पेटीकोट और पैरों पर गिर रही थी ..पंडित ने फिर शहद की शीशी उठायी और उसमे अपनी एक ऊँगली डुबोकर ढेर सार शहद बाहर निकाला और उसे माधवी के दांये निप्पल के ऊपर रगड़ दिया ..और फिर से और शहद निकाल कर दुसरे पर भी रगड़ दिया ..
अब पंडित अपने दोनों हाथों की ऊँगली और अंगूठे से उसके दोनों दानो की मालिश करने लगा ..दूध की महक के ऊपर शहद का मीठापन लगकर माधवी के नशीले उरोजों को और भी मदहोश बना रहा था ..उसके छोटे-2 भरवां निप्पल पंडित की कठोर उँगलियों के बीच पीसकर चकनाचूर हुए जा रहे थे ..और पंडित उन्हें ऐसे निचोड़ रहा था मानो निम्बू के अन्दर का रस निकाल रहा हो ..
माधवी के शरीर का वो वीक पॉइंट थे ..इसलिए वो तो अपनी सुध बुध खोकर पंडित को बिना कोई रोक टोक के सब कुछ करने दे रही थी ..
पंडित : "माधवी ..अब तुम यहाँ आकर लेट जाओ .."
पंडित ने उसे अपने बेड के ऊपर लेटने को कहा ..वो बिना कुछ कहे वहां जाकर लेट गयी ..
उसकी बड़ी-2 चूचियां दोनों तरफ ढलक गयी पर उसकी चोंचे ऊपर की तरफ ही तनी रही ..
पंडित ने अब सरसों के तेल की शीशी उठायी और अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल निकाल कर अपने दोनों हाथों पर मला और उसने तेल से भीगे हाथ उसके कलशों पर रख दिए ...
पंडित के गर्म हाथ का सेंक पाकर माधवी फिर से सिसक उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह ..........."
उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया ...और उसकी छातियाँ थोड़ी और ऊपर निकल कर गुब्बारे की तरह ऊपर की तरफ उछली .
पंडित : "माधवी ...एक बात पुछु ...?"
माधवी ने बिना आँखे खोले कहा : "जी पंडित जी ..पूछिए ....."
पंडित : "तुमने गिरधर को सजा देने के लिए अपने साथ भी कितनी नाइंसाफी की है ..वो तो बेचारा शराब पीकर अपना गम छुपा लेता है ..पर तुम क्यों अपने शरीर के साथ ऐसा सलूक कर रही हो ....."
माधवी कुछ ना बोली ..
पंडित : "तुम एक काम करो ..गिरधर को एक मौका दो ..उसे अब तुम्हारे प्यार और शरीर की एहमियत का ज्ञान हो चूका है ..तुम क्यों नहीं सब कुछ पहले जैसा कर लेती ..."
माधवी : "पर वो जिस तरह की हरकतें करते हैं ..यानी, शराब पीना , सिर्फ अपनी संतुष्टि का ध्यान रखना ..और अपनी बातें मनवाना ..उनका क्या ....."
पंडित : "उसके लिए मैं गिरधर को समझा दूंगा .."
पंडित अपने दोनों हाथों में माधवी के तरबूजों को बुरी तरह मसल कर उनका रस निकाल रहा था ..
पंडित ने जब पूरा तेल घिसाई कर करके सुखा दिया, तब तक माधवी की हालत बुरी हो चुकी थी ..पर उसने अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी उत्तेजना पर रोक लगायी हुई थी ..
पंडित : "देखा ..इस क्रिया से मैंने तुम्हारे स्तनों की कितनी सेवा की है ..इस क्रिया के बाद अगर गिरधर तुम्हे भोगना चाहे तो तुम बिना किसी विलम्ब के उसके लिंग को अपने अन्दर समां लोगी ...है ना .."
पंडित जानता था की अगर वो चाहे तो इसी वक़्त माधवी की चूत के ऊपर हाथ लगाकर उसे मोम की तरह पिघाल सकता है ..पर वो उसे थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही अभी ..वो चाहता था की माधवी खुद अपने मुंह से उसके लंड को लेने के लिए कहे और इसके लिए उसे थोड़े दिन इन्तजार करना होगा और उसे अच्छी तरह से तडपाना होगा ..
माधवी ने आँखे खोलकर अपने सोने की तरह चमकते हुए मुम्मों को देखा तो वो भी उनकी सुन्दरता की चमक देखकर हेरान रह गयी ...वो गोल्डन कलर के किसी बड़े गुब्बारे जैसे लग रहे थे जिनपर हीरे के सामान छोटे-2 निप्पल चमककर उनकी शोभा बड़ा रहे थे ..
पंडित : "और कभी गिरधर ने इन सुन्दर स्तनों का पान भी किया है .."
माधवी ये बात सुनकर फिर से तेज साँसे लेने लगी ...
पंडित : "इन्हें पीने की भी एक कला होती है ..रुको ..मैं दिखाता हु .."
माधवी के कुछ बोलने से पहले ही पंडित ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी दांयी छाती पर लगाया और किसी बालक की तरह से उसके बड़े से चुचुक को अपने होंठों के बीच फंसा कर एक जोरदार चुप्पा मारा ...
पुच्च्च्च्छ्ह्ह्ह ......की आवाज के साथ उसने निप्पल को बाहर निकाल दिया ..
दूध, शहद और तेल का मिला जुला स्वाद उसके मुंह में आया ..
माधवी कीचूत में से अविरल जल की धार निकल कर पेटीकोट के साथ-2 पंडित के बिस्तर पर भी अपने निशाँ छोड़ने लगी ..
पंडित ने दोनों तरबूजों को अपने हाथों में भरा और एक-2 करके कभी दांये और कभी बाएं को अपने मुंह में डालकर उनका सेवन करने लगा ..निप्पल को तो वो ऐसे चूस रहा था मानो उनमे से दूध निकल कर उसके मुंह में जा रहा हो ..
माधवी से अब रहा नहीं गया ..उसने पंडित के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी छातियों पर जोर से दबा दिया ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....म्मम्मम्म ....
माधवी के हाथ में पंडित जी की लम्बी चुटिया आ गयी जिसे उसने अपनी उँगलियों में फंसाया और उसे स्टेरिंग की तरह घुमा-घुमाकर पंडित के सर को अपनी इच्छा के अनुसार ऊपर-नीचे, दांये बाएं करने लगी ..
पंडित भी अपनी कुत्ते जैसी जीभ बाहर निकाले उसके गुब्बारों पर अपनी लार का गीलापान छोड़ रहे थे ..
पंडित का खड़ा हुआ लंड माधवी की जांघ से टकरा रहा था ..उसके अकार और कठोरता को महसूस करते ही माधवी ने एक दबी हुई सी चीत्कार मारी और उसकी योनि से ढेर सारा गाड़ा रस निकल कर बाहर आ गया ...
ऐसी सन्तुष्टि उसे बरसों के बाद हुई थी ..
पंडित समझ गया की माधवी झड चुकी है ...
पंडित : "अब तुम घर जाओ ..और रात का इन्तजार करो ...कल फिर से आना , इसी समय ..जाओ .."
माधवी ने सोचा था की पंडित अभी उसके शरीर के साथ कुछ और प्रयोग करेगा ..पर उसके कहने पर वो बिना कोई सवाल करे उठी और अपने कपडे पहन कर बाहर की तरफ निकल गयी ..
पंडित का लंड स्टील जैसा हुआ पड़ा था ..थोड़ी देर के इन्तजार के बाद जब शीला पीछे के रास्ते से अन्दर आई तो पंडित ने उसे किसी भेडिये की तरह से दबोचा और अपने बिस्तर पर गिराकर उसे बेतहाशा चूमने लगा ..
और चुमते उसे पूरा नंगा कर दिया ..पंडित ने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी ..वो एक ही झटके में उसने गिरा दी ..
शीला : "अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...इतनी अधीरता क्यों ..."
पंडित : "आज सुबह से ही तेरे बारे में सोच-सोचकर मैं पागल हुआ जा रहा हु शीला .."
और उसने शीला की दोनों टांगों को हवा में उठाया और अपना मुंह बीच में डालकर वहां से बह रही मीठे जल की झील में से पानी पीने लगा ..
वो मदहोश सी हो उठी ..पंडित ने उसकी चूत के होंठों को मुंह में लेकर उन्हें जोरों से चूसना शुरू कर दिया ...तभी वो कुछ महसूस करके पंडित जी से बोली : "ये मेरी पीठ के नीचे गीला-2 क्या है .."
उसकी पीठ के नीचे वो हिस्सा था जहाँ माधवी की चूत से निकला रस गिरा था ..और काफी रसीला गीलापन छोड़ गयी थी वो वहां ..
पंडित समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : "मैंने कहा ना की आज सुबह से ही तुम्हारे बारे में सोच रहा था, बस मेरे लंड का ही पानी है जो मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए निकाल था अभी ..."
शीला : "ये क्या ..आपने मेरी प्रतीक्षा तो की होती ..मैं ही आकर अपने मुंह में लेकर आपको संतुष्टि दे देती ..ये सब खराब तो ना होता .."
और फिर वो पलटी और ओन्धि होकर वहां गिरे हुए माधवी के रस वाले हिस्से को चूसने लगी ...रस इतना अधिक था की चादर को मुंह में लेने से सारा मीठापन निकल कर शीला के मुंह में जाने लगा ..
पंडित ने जब उसे माधवी का रस पीते हुए देखा तो उसके मन में एक विचार आया की क्यों ना शीला और माधवी को एक साथ अपने कमरे में लाकर चोदा जाए ..पर इसके लिए थोडा वेट करना होगा ..
पंडित की आँखों के सामने शीला की उठी हुई गांड थी, उसने अपने लंड के ऊपर थूक लगाई और शीला की गांड के छेद पर अपने लंड को टिका कर एक जोरदार झटका मारा ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....
शीला का मुंह और भी अन्दर घुस गया ...पंडित का लंड एक ही वार में अपने मुकाम तक जा चुका था ..
और फिर पंडित ने अपने झटकों से शीला की चीखें निकलवा दी ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....कितना लम्बा लंड है आपका ...कितना सकूँ मिलता है।।।। अह्ह्ह्ह ....और तेज मारिये ....आअह्ह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ही ...पंडित जी .....उम्म्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .... "
पंडित का लंड तो काफी देर से तैयार था ..उसने अगले 5 मिनट के झटकों से अपने लंड के पानी को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया ...
और शीला भी माधवी के रस को चाटते हुए ,पंडित के लंड को लेकर दो बार झड गयी ..
अंत में उसने लंड को निकाल और शीला के मुंह के सामने कर दिया ...शीला ने उसे सम्मान के साथ अपने मुंह में डाला और उसे पूरा साफ़ करके पंडित जी के साथ ही उनके बिस्तर पर लेट गयी ..
शीला : "पंडित जी ..आज तो आपने मुझे थका ही डाला ..कितने उत्तेजित हो गए थे आज तो आप, जैसे मुझे चोदने की ही प्रतिक्षा कर रहे थे सुबह से .."
पंडित : "ऐसा ही समझ लो .."
पंडित ने आँखे बंद कर ली और शीला के साथ नंगे होकर आराम से सो गया ...
एक घंटे बाद उनकी आँख खुली ...शाम के 5 बज रहे थे ...शीला ने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के रास्ते से बाहर निकल गयी ..
पंडित ने भी अपने शाम के कार्य निपटाए और रात को गिरधर के आने की प्रतीक्षा करने लगा ...
आज गिरधर से उसे काफी बातें जो करनी थी ..
रात के करीब 9 बजे गिरधर पीछे के दरवाजे पर आया, और रोज की तरह उसके हाथ में अधा था, और दुसरे हाथ में प्याज के पकोड़े ..
पंडित ने उसे अन्दर बुलाया और दोनों आराम से नीचे चटाई पर बैठ कर पीने लगे ..
आज पंडित जी का ध्यान पीने से ज्यादा बातों पर था।
पंडित : "और सुनाओ गिरधर ..जैसा मैंने कहा था उसके अनुसार तुमने किया के नहीं .."
गिरधर : "पंडित जी ..आपके कहे अनुसार मैंने बड़े ही प्यार से जाकर माधवी को कल दुबारा समझाया पर उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं है ..वो मेरी शराब पीने वाली बात को लेकर रोज हल्ला करती है .."
पंडित को गिरधर अभी तक रितु वाली बात नहीं बता रहा था ..
पंडित : "मुझे लगता है बात कुछ और है .."
पंडित की बात सुनकर गिरधर चोंक गया, जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो ..
गिरधर : "कोई ..और बात ...मतलब ..??"
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझे तुम कोई आम इंसान मत समझो ..मैं इंसान का चेहरा देखकर उसके अन्दर का हाल जान लेता हु ..मेरी विद्या का तुम्हे ज्ञान नहीं है अभी .."
गिरधर का मुंह खुला का खुला रह गया पंडित जी की बात सुनकर ..वो शायद ये सोच रहा था की पंडित जी को सच्ची बात बताये या नहीं ..
पंडित : "तुम्हारे चेहरे पर लिखा है की तुम अपनी पत्नी के अलावा किसी और को भी अपनी वासना से भरी नजरों से देखते हो .."
गिरधर (हकलाते हुए ) : "किस ....किसे ......?"
पंडित : "रितु को .."
गिरधर के हाथ का गिलास नीचे गीरते -2 बचा ...अब वो पकड़ा जा चुका था ..
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझसे कोई भी बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..तुम मुझे सारी बात बता दो तभी मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगा ..और तुम अपनी प्यास फिर चाहे किसी के साथ भी बुझा सकते हो .."
पंडित जी का इशारा शायद रितु की तरफ था ..गिरधर को पता चल गया था की अब वो फंस चूका है , ये पंडित जी तो "अन्तर्यामी" है ..इनसे कोई भी बात छुपाना हानिकारक होगा ..इसलिए उसने कबुल कर ही लिया ..
गिरधर : "पंडित जी ..मुझे माफ़ कर दो ..मैंने आपको पूरी बात नहीं बतायी ..दरअसल ..माधवी ने जब से मुझे दुत्कारना शुरू किया है मेरी नजरें हमेशा अपनी बेटी रितु के ऊपर चली जाती है ..वो हमेशा मेरा ध्यान रखती है ..जब भी माधवी और मेरे बीच में झगडा होता है तो वही मेरे लिए खाना बनाती है, मैं जब शराब पीता हु तो मुझे गिलास और पानी लाकर देती है ..और साथ ही खाने के लिए कुछ भी बनाकर लाती है ..और जब वो ये सब काम कर रही होती है तो मेरी नजरें हमेशा उसकी ..उसकी ..उभर रही छातियों के ऊपर रहती है ..जब वो झुकती है तो उसके दानों को देखने की ललक रहती है ..और जब वो चल कर जाती है तो उसकी मांसल गांड को देखकर मैं कितनी बार अपने लंड को मसल देता हु ..और एक दिन जब माधवी किचन में थी तो रितु मेरे लिए कुछ खाने के लिए लायी, मैंने उसे अपने पास बिठा लिया और उससे बातें करने लगा .."
पंडित जी : "कहाँ बिठाया था तुमने .."
गिरधर : "दरअसल ..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था ..मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया ..और उसकी कमर को पकड़कर मसलने लगा ..उसका चेहरा बिलकुल मेरे चेहरे के पास था ..वो अपने स्कूल की बातें मुझे बताने लगी ..उसके गुलाबी रंग के होंठ जब हिलते हुए मुझे वो सब बातें सुना रहे थे तो मुझसे रहा नहीं गया ..और मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर जोर से किस्स कर दी ..
पंडित : "तुमने जब उसे चूमा तो उसने कोई विरोध नहीं किया ..वो चिल्लाई नहीं क्या ..? "
गिरधर : "नहीं ..शायद वो डर गयी थी ..या शायद उसका मुंह मेरे मुंह में होने की वजह से वो चीख नहीं पा रही थी ..पर उसकी साँसे काफी तेज हो गयी थी ..मैंने अपना दांया हाथ उसकी छातियों के ऊपर लगा कर उसके निम्बू जैसे छोटे -2 स्तन जी भर कर दबाये ..उसके होंठों का रस पीने में इतना मजा आ रहा था जितना मुझे आज तक शराब पीने में भी नहीं आया ..उसकी चूत वाले हिस्से से गर्म हवा के झोंके निकल रहे थे ..मैंने अपना हाथ वहां भी लगाना चाहां पर तभी माधवी वहां आ गयी और उसने सारा काम बिगाड़ दिया ..चिल्ला-2 कर पूरा घर सर पर उठा लिया ..रितु को वहां से ले गयी , मैंने भी उसके मुंह लगना उचित नहीं समझा और पूरी बोतल पीकर सो गया ..बस तभी से माधवी ने मुझे अपने पास नहीं आने दिया .."
पंडित जी का लंड रितु वाले किस्से को सुनकर हिनहिनाने लगा ..
पंडित : "देखो गिरधर ..तुमने जो भी माधवी की नजरों के सामने किया वो गलत था ..पर मेरे हिसाब से तुम भी अपनी जगह सही हो ..वो अगर तुम्हे अपनी चूत नहीं देगी तो तुमने कहीं न कहीं मुंह तो मारना ही है ना ..और जब घर पर ही जवान लड़की हो तो बाहर क्यों जाना ..ठीक है ना .."
गतांक से आगे......................
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अब आगे
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पंडित की उँगलियाँ माधवी के मुम्मो पर संगीत बजा रही थी ..माधवी भी अपनी आँखे बंद करके उस संगीत का मजा ले रही थी ..उसे क्या मालुम था की जिस मजे के लिए वो इतने दिनों से तड़प रही है उसका इलाज पंडित जी के पास है ..
पंडित : माधवी ..अब मैं वो क्रिया शुरू करने जा रहा हु ..
माधवी : जी पंडित जी ..
पंडित ने कोने में पड़ी हुई दूध से भरी कटोरी उठायी और उसमे अपनी उंगलियां डुबोकर माधवी के स्तनों के ऊपर छींटे मारकर धोने लगा ..ऐसा लग रहा था की किसी हिम शिखर पर दूध की बारिश हो रही है ..दूध की बूंदे थिरक-2 कर मोटे चुचों से नीचे गिर रही थी ..पंडित का तो मन कर रहा था की नीचे मुंह लगाकर वो सारा अमृत पी ले ..पर वो शुरुवात में ही अपना "वासना" से भरा चेहरा दिखाकर अपने "भक्त" को डराना नहीं चाहता था .
दूध की बूंदे नीचे माधवी के पेटीकोट और पैरों पर गिर रही थी ..पंडित ने फिर शहद की शीशी उठायी और उसमे अपनी एक ऊँगली डुबोकर ढेर सार शहद बाहर निकाला और उसे माधवी के दांये निप्पल के ऊपर रगड़ दिया ..और फिर से और शहद निकाल कर दुसरे पर भी रगड़ दिया ..
अब पंडित अपने दोनों हाथों की ऊँगली और अंगूठे से उसके दोनों दानो की मालिश करने लगा ..दूध की महक के ऊपर शहद का मीठापन लगकर माधवी के नशीले उरोजों को और भी मदहोश बना रहा था ..उसके छोटे-2 भरवां निप्पल पंडित की कठोर उँगलियों के बीच पीसकर चकनाचूर हुए जा रहे थे ..और पंडित उन्हें ऐसे निचोड़ रहा था मानो निम्बू के अन्दर का रस निकाल रहा हो ..
माधवी के शरीर का वो वीक पॉइंट थे ..इसलिए वो तो अपनी सुध बुध खोकर पंडित को बिना कोई रोक टोक के सब कुछ करने दे रही थी ..
पंडित : "माधवी ..अब तुम यहाँ आकर लेट जाओ .."
पंडित ने उसे अपने बेड के ऊपर लेटने को कहा ..वो बिना कुछ कहे वहां जाकर लेट गयी ..
उसकी बड़ी-2 चूचियां दोनों तरफ ढलक गयी पर उसकी चोंचे ऊपर की तरफ ही तनी रही ..
पंडित ने अब सरसों के तेल की शीशी उठायी और अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल निकाल कर अपने दोनों हाथों पर मला और उसने तेल से भीगे हाथ उसके कलशों पर रख दिए ...
पंडित के गर्म हाथ का सेंक पाकर माधवी फिर से सिसक उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह ..........."
उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया ...और उसकी छातियाँ थोड़ी और ऊपर निकल कर गुब्बारे की तरह ऊपर की तरफ उछली .
पंडित : "माधवी ...एक बात पुछु ...?"
माधवी ने बिना आँखे खोले कहा : "जी पंडित जी ..पूछिए ....."
पंडित : "तुमने गिरधर को सजा देने के लिए अपने साथ भी कितनी नाइंसाफी की है ..वो तो बेचारा शराब पीकर अपना गम छुपा लेता है ..पर तुम क्यों अपने शरीर के साथ ऐसा सलूक कर रही हो ....."
माधवी कुछ ना बोली ..
पंडित : "तुम एक काम करो ..गिरधर को एक मौका दो ..उसे अब तुम्हारे प्यार और शरीर की एहमियत का ज्ञान हो चूका है ..तुम क्यों नहीं सब कुछ पहले जैसा कर लेती ..."
माधवी : "पर वो जिस तरह की हरकतें करते हैं ..यानी, शराब पीना , सिर्फ अपनी संतुष्टि का ध्यान रखना ..और अपनी बातें मनवाना ..उनका क्या ....."
पंडित : "उसके लिए मैं गिरधर को समझा दूंगा .."
पंडित अपने दोनों हाथों में माधवी के तरबूजों को बुरी तरह मसल कर उनका रस निकाल रहा था ..
पंडित ने जब पूरा तेल घिसाई कर करके सुखा दिया, तब तक माधवी की हालत बुरी हो चुकी थी ..पर उसने अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी उत्तेजना पर रोक लगायी हुई थी ..
पंडित : "देखा ..इस क्रिया से मैंने तुम्हारे स्तनों की कितनी सेवा की है ..इस क्रिया के बाद अगर गिरधर तुम्हे भोगना चाहे तो तुम बिना किसी विलम्ब के उसके लिंग को अपने अन्दर समां लोगी ...है ना .."
पंडित जानता था की अगर वो चाहे तो इसी वक़्त माधवी की चूत के ऊपर हाथ लगाकर उसे मोम की तरह पिघाल सकता है ..पर वो उसे थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही अभी ..वो चाहता था की माधवी खुद अपने मुंह से उसके लंड को लेने के लिए कहे और इसके लिए उसे थोड़े दिन इन्तजार करना होगा और उसे अच्छी तरह से तडपाना होगा ..
माधवी ने आँखे खोलकर अपने सोने की तरह चमकते हुए मुम्मों को देखा तो वो भी उनकी सुन्दरता की चमक देखकर हेरान रह गयी ...वो गोल्डन कलर के किसी बड़े गुब्बारे जैसे लग रहे थे जिनपर हीरे के सामान छोटे-2 निप्पल चमककर उनकी शोभा बड़ा रहे थे ..
पंडित : "और कभी गिरधर ने इन सुन्दर स्तनों का पान भी किया है .."
माधवी ये बात सुनकर फिर से तेज साँसे लेने लगी ...
पंडित : "इन्हें पीने की भी एक कला होती है ..रुको ..मैं दिखाता हु .."
माधवी के कुछ बोलने से पहले ही पंडित ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी दांयी छाती पर लगाया और किसी बालक की तरह से उसके बड़े से चुचुक को अपने होंठों के बीच फंसा कर एक जोरदार चुप्पा मारा ...
पुच्च्च्च्छ्ह्ह्ह ......की आवाज के साथ उसने निप्पल को बाहर निकाल दिया ..
दूध, शहद और तेल का मिला जुला स्वाद उसके मुंह में आया ..
माधवी कीचूत में से अविरल जल की धार निकल कर पेटीकोट के साथ-2 पंडित के बिस्तर पर भी अपने निशाँ छोड़ने लगी ..
पंडित ने दोनों तरबूजों को अपने हाथों में भरा और एक-2 करके कभी दांये और कभी बाएं को अपने मुंह में डालकर उनका सेवन करने लगा ..निप्पल को तो वो ऐसे चूस रहा था मानो उनमे से दूध निकल कर उसके मुंह में जा रहा हो ..
माधवी से अब रहा नहीं गया ..उसने पंडित के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी छातियों पर जोर से दबा दिया ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....म्मम्मम्म ....
माधवी के हाथ में पंडित जी की लम्बी चुटिया आ गयी जिसे उसने अपनी उँगलियों में फंसाया और उसे स्टेरिंग की तरह घुमा-घुमाकर पंडित के सर को अपनी इच्छा के अनुसार ऊपर-नीचे, दांये बाएं करने लगी ..
पंडित भी अपनी कुत्ते जैसी जीभ बाहर निकाले उसके गुब्बारों पर अपनी लार का गीलापान छोड़ रहे थे ..
पंडित का खड़ा हुआ लंड माधवी की जांघ से टकरा रहा था ..उसके अकार और कठोरता को महसूस करते ही माधवी ने एक दबी हुई सी चीत्कार मारी और उसकी योनि से ढेर सारा गाड़ा रस निकल कर बाहर आ गया ...
ऐसी सन्तुष्टि उसे बरसों के बाद हुई थी ..
पंडित समझ गया की माधवी झड चुकी है ...
पंडित : "अब तुम घर जाओ ..और रात का इन्तजार करो ...कल फिर से आना , इसी समय ..जाओ .."
माधवी ने सोचा था की पंडित अभी उसके शरीर के साथ कुछ और प्रयोग करेगा ..पर उसके कहने पर वो बिना कोई सवाल करे उठी और अपने कपडे पहन कर बाहर की तरफ निकल गयी ..
पंडित का लंड स्टील जैसा हुआ पड़ा था ..थोड़ी देर के इन्तजार के बाद जब शीला पीछे के रास्ते से अन्दर आई तो पंडित ने उसे किसी भेडिये की तरह से दबोचा और अपने बिस्तर पर गिराकर उसे बेतहाशा चूमने लगा ..
और चुमते उसे पूरा नंगा कर दिया ..पंडित ने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी ..वो एक ही झटके में उसने गिरा दी ..
शीला : "अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...इतनी अधीरता क्यों ..."
पंडित : "आज सुबह से ही तेरे बारे में सोच-सोचकर मैं पागल हुआ जा रहा हु शीला .."
और उसने शीला की दोनों टांगों को हवा में उठाया और अपना मुंह बीच में डालकर वहां से बह रही मीठे जल की झील में से पानी पीने लगा ..
वो मदहोश सी हो उठी ..पंडित ने उसकी चूत के होंठों को मुंह में लेकर उन्हें जोरों से चूसना शुरू कर दिया ...तभी वो कुछ महसूस करके पंडित जी से बोली : "ये मेरी पीठ के नीचे गीला-2 क्या है .."
उसकी पीठ के नीचे वो हिस्सा था जहाँ माधवी की चूत से निकला रस गिरा था ..और काफी रसीला गीलापन छोड़ गयी थी वो वहां ..
पंडित समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : "मैंने कहा ना की आज सुबह से ही तुम्हारे बारे में सोच रहा था, बस मेरे लंड का ही पानी है जो मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए निकाल था अभी ..."
शीला : "ये क्या ..आपने मेरी प्रतीक्षा तो की होती ..मैं ही आकर अपने मुंह में लेकर आपको संतुष्टि दे देती ..ये सब खराब तो ना होता .."
और फिर वो पलटी और ओन्धि होकर वहां गिरे हुए माधवी के रस वाले हिस्से को चूसने लगी ...रस इतना अधिक था की चादर को मुंह में लेने से सारा मीठापन निकल कर शीला के मुंह में जाने लगा ..
पंडित ने जब उसे माधवी का रस पीते हुए देखा तो उसके मन में एक विचार आया की क्यों ना शीला और माधवी को एक साथ अपने कमरे में लाकर चोदा जाए ..पर इसके लिए थोडा वेट करना होगा ..
पंडित की आँखों के सामने शीला की उठी हुई गांड थी, उसने अपने लंड के ऊपर थूक लगाई और शीला की गांड के छेद पर अपने लंड को टिका कर एक जोरदार झटका मारा ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....
शीला का मुंह और भी अन्दर घुस गया ...पंडित का लंड एक ही वार में अपने मुकाम तक जा चुका था ..
और फिर पंडित ने अपने झटकों से शीला की चीखें निकलवा दी ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....कितना लम्बा लंड है आपका ...कितना सकूँ मिलता है।।।। अह्ह्ह्ह ....और तेज मारिये ....आअह्ह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ही ...पंडित जी .....उम्म्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .... "
पंडित का लंड तो काफी देर से तैयार था ..उसने अगले 5 मिनट के झटकों से अपने लंड के पानी को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया ...
और शीला भी माधवी के रस को चाटते हुए ,पंडित के लंड को लेकर दो बार झड गयी ..
अंत में उसने लंड को निकाल और शीला के मुंह के सामने कर दिया ...शीला ने उसे सम्मान के साथ अपने मुंह में डाला और उसे पूरा साफ़ करके पंडित जी के साथ ही उनके बिस्तर पर लेट गयी ..
शीला : "पंडित जी ..आज तो आपने मुझे थका ही डाला ..कितने उत्तेजित हो गए थे आज तो आप, जैसे मुझे चोदने की ही प्रतिक्षा कर रहे थे सुबह से .."
पंडित : "ऐसा ही समझ लो .."
पंडित ने आँखे बंद कर ली और शीला के साथ नंगे होकर आराम से सो गया ...
एक घंटे बाद उनकी आँख खुली ...शाम के 5 बज रहे थे ...शीला ने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के रास्ते से बाहर निकल गयी ..
पंडित ने भी अपने शाम के कार्य निपटाए और रात को गिरधर के आने की प्रतीक्षा करने लगा ...
आज गिरधर से उसे काफी बातें जो करनी थी ..
रात के करीब 9 बजे गिरधर पीछे के दरवाजे पर आया, और रोज की तरह उसके हाथ में अधा था, और दुसरे हाथ में प्याज के पकोड़े ..
पंडित ने उसे अन्दर बुलाया और दोनों आराम से नीचे चटाई पर बैठ कर पीने लगे ..
आज पंडित जी का ध्यान पीने से ज्यादा बातों पर था।
पंडित : "और सुनाओ गिरधर ..जैसा मैंने कहा था उसके अनुसार तुमने किया के नहीं .."
गिरधर : "पंडित जी ..आपके कहे अनुसार मैंने बड़े ही प्यार से जाकर माधवी को कल दुबारा समझाया पर उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं है ..वो मेरी शराब पीने वाली बात को लेकर रोज हल्ला करती है .."
पंडित को गिरधर अभी तक रितु वाली बात नहीं बता रहा था ..
पंडित : "मुझे लगता है बात कुछ और है .."
पंडित की बात सुनकर गिरधर चोंक गया, जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो ..
गिरधर : "कोई ..और बात ...मतलब ..??"
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझे तुम कोई आम इंसान मत समझो ..मैं इंसान का चेहरा देखकर उसके अन्दर का हाल जान लेता हु ..मेरी विद्या का तुम्हे ज्ञान नहीं है अभी .."
गिरधर का मुंह खुला का खुला रह गया पंडित जी की बात सुनकर ..वो शायद ये सोच रहा था की पंडित जी को सच्ची बात बताये या नहीं ..
पंडित : "तुम्हारे चेहरे पर लिखा है की तुम अपनी पत्नी के अलावा किसी और को भी अपनी वासना से भरी नजरों से देखते हो .."
गिरधर (हकलाते हुए ) : "किस ....किसे ......?"
पंडित : "रितु को .."
गिरधर के हाथ का गिलास नीचे गीरते -2 बचा ...अब वो पकड़ा जा चुका था ..
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझसे कोई भी बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..तुम मुझे सारी बात बता दो तभी मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगा ..और तुम अपनी प्यास फिर चाहे किसी के साथ भी बुझा सकते हो .."
पंडित जी का इशारा शायद रितु की तरफ था ..गिरधर को पता चल गया था की अब वो फंस चूका है , ये पंडित जी तो "अन्तर्यामी" है ..इनसे कोई भी बात छुपाना हानिकारक होगा ..इसलिए उसने कबुल कर ही लिया ..
गिरधर : "पंडित जी ..मुझे माफ़ कर दो ..मैंने आपको पूरी बात नहीं बतायी ..दरअसल ..माधवी ने जब से मुझे दुत्कारना शुरू किया है मेरी नजरें हमेशा अपनी बेटी रितु के ऊपर चली जाती है ..वो हमेशा मेरा ध्यान रखती है ..जब भी माधवी और मेरे बीच में झगडा होता है तो वही मेरे लिए खाना बनाती है, मैं जब शराब पीता हु तो मुझे गिलास और पानी लाकर देती है ..और साथ ही खाने के लिए कुछ भी बनाकर लाती है ..और जब वो ये सब काम कर रही होती है तो मेरी नजरें हमेशा उसकी ..उसकी ..उभर रही छातियों के ऊपर रहती है ..जब वो झुकती है तो उसके दानों को देखने की ललक रहती है ..और जब वो चल कर जाती है तो उसकी मांसल गांड को देखकर मैं कितनी बार अपने लंड को मसल देता हु ..और एक दिन जब माधवी किचन में थी तो रितु मेरे लिए कुछ खाने के लिए लायी, मैंने उसे अपने पास बिठा लिया और उससे बातें करने लगा .."
पंडित जी : "कहाँ बिठाया था तुमने .."
गिरधर : "दरअसल ..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था ..मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया ..और उसकी कमर को पकड़कर मसलने लगा ..उसका चेहरा बिलकुल मेरे चेहरे के पास था ..वो अपने स्कूल की बातें मुझे बताने लगी ..उसके गुलाबी रंग के होंठ जब हिलते हुए मुझे वो सब बातें सुना रहे थे तो मुझसे रहा नहीं गया ..और मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर जोर से किस्स कर दी ..
पंडित : "तुमने जब उसे चूमा तो उसने कोई विरोध नहीं किया ..वो चिल्लाई नहीं क्या ..? "
गिरधर : "नहीं ..शायद वो डर गयी थी ..या शायद उसका मुंह मेरे मुंह में होने की वजह से वो चीख नहीं पा रही थी ..पर उसकी साँसे काफी तेज हो गयी थी ..मैंने अपना दांया हाथ उसकी छातियों के ऊपर लगा कर उसके निम्बू जैसे छोटे -2 स्तन जी भर कर दबाये ..उसके होंठों का रस पीने में इतना मजा आ रहा था जितना मुझे आज तक शराब पीने में भी नहीं आया ..उसकी चूत वाले हिस्से से गर्म हवा के झोंके निकल रहे थे ..मैंने अपना हाथ वहां भी लगाना चाहां पर तभी माधवी वहां आ गयी और उसने सारा काम बिगाड़ दिया ..चिल्ला-2 कर पूरा घर सर पर उठा लिया ..रितु को वहां से ले गयी , मैंने भी उसके मुंह लगना उचित नहीं समझा और पूरी बोतल पीकर सो गया ..बस तभी से माधवी ने मुझे अपने पास नहीं आने दिया .."
पंडित जी का लंड रितु वाले किस्से को सुनकर हिनहिनाने लगा ..
पंडित : "देखो गिरधर ..तुमने जो भी माधवी की नजरों के सामने किया वो गलत था ..पर मेरे हिसाब से तुम भी अपनी जगह सही हो ..वो अगर तुम्हे अपनी चूत नहीं देगी तो तुमने कहीं न कहीं मुंह तो मारना ही है ना ..और जब घर पर ही जवान लड़की हो तो बाहर क्यों जाना ..ठीक है ना .."
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--9
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गतांक से आगे ......................
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गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी स्कूल ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..
***********
गतांक से आगे ......................
***********
गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी स्कूल ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..