राबिया का बेहेनचोद भाई

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The Romantic
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:18

राबिया का बेहेनचोद भाई--7

. शबू ने नीचे झुक टीट को होंठों को बीच दबा लिया.....उफ़फ्फ़....चूऊऊस..... उंगली.......पेल.... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .रण्डीईईईई.... चूस्स्स्स्सस्स....मैं गइईई और शब्बो के मूह मैं ही झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....शबनम अभी भी मेरी चूत को उपर से चाट रही थी....मैने हल्के से उसका सिर उठा कर अपनी ओर खींच लिया.....उसके होंठों को कस कर चूमा.... हाए !!! कहा से सीखी तूने ये सारी बाजिगरी...तू नही जानती मेरी एक सहेली थी....उसकी अब शादी हो चुकी है....पर इन सब बातो को छोड़ ....




मेरी चूत भी तुझ से कुछ कह रही है....है सहेली जल्दी से आ जा.....कहते हुए वो दीवान की पुष्ट से सिर टीका लेट गई....हालांकि मैं तक चुकी थी पर मेरा फ़र्ज़ बनता था....शबनम की जाँघो के बीच बैठ उसकी चूत को उसी तरह से चाटने लगी जैसे कुछ लम्हे पहले मेरी चाटे जा रही थी....टीट को मसल कर चूसने के बाद....बुर के फांको को फैला कर....जीभ अंदर पेल कर मैं तेज़ी से घुमा रही थी....चिकनी चूत के नशीले पानी ने मेरे ठंडे जोश को फिर से गरम कर दिया था....मैं तेज़ी के साथ बुर में अपनी जीभ को अंदर बाहर कर रही थी.....शब्बो पूरी गरम हो....उईईई....आईईईईई....सीईईई...करती चिल्लाने लगी....




है मदारचूऊईईईई जम कर चूस्स्स्स्सस्स मैं....जल रही हू....उफफफ्फ़.....आग...लगा दी...मुए ने....सगाई के रोज डर कर भाग गया... हाए !!!ईिइ....पेल देता पटक कर मुझे.... हाए !!!...मैं मना करती....उफफफ्फ़..... मैं चूत छोड़ जाँघ चाटने लगी....वो और गालियाँ निकालने लगी....उफफफफ्फ़.... कुतिया .... क्यों तड़पा रही है....मैने सिर उठा कर कहा....तड़पा तो तेरा खालिद भाई गया....उसी दिन पेल देता तो....आज कहते हुए मैने अपनी उंगलियों पर थूक फेका और....उसकी चूत के गुलाबी छेद पर लगा...कच से पेल दिया....सट से दो उंगलियाँ उसकी चूत निगल गई....उसको जैसे करार आ गया...हल्की सिसकारिया लेने लगी....मैं उंगली चलाती पूछी... हाए !!! खालिद भाई का लंड जाते ही चिल्लाना बंद....मेरी बातो को समझ मुस्कुरा दी हल्की सिसकारी के साथ बोली.... साली ...साली तू खालिद भाई कहना बंद नही करेगी...

मैने हँसते हुए उंगली चलना जारी रखा...ये ले साली....सब बंद कर दिया....लंड ले....मज़ा आ रहा है... हाए !!!ईीई....सीईईईई वो गाँड उचकती चिल्लई...हा ऐसे ऐसे ही...मेरी सहेली....तुझे मेरी दुआ लगेगी....घोड़े के लंड वाला शौहर मिलेगा....ऐसे ही....तभी मैने उंगली खींच ली....




शब्बो चिल्ला उठी.....उईईईई मार जाऊओँगी मेरे को ठंडा कर.....मत तड़पा बहन की लौड़ी मादरचोदी , अरी छिनालल्ल्ल्ल्ल....जल्दी से मेरे को झड़वा दे....रंडी....मुझे उसको तड़पाने में मज़ा आ रहा था....मैं उसकी चूत को थपथपाते हुए बोली....तड़प क्यों रही है....कुतिया ....खालिद भाई का लौड़ा लेगी....हरामिन...बोल ना....खालिद भाई लंड डालो....बोल.....वो मेरा खेल समझ गई भड़क कर मेरे बालो को पकड़ मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया.... कुतिया ... सब समझती हू....तू तब से मेरे पीछे पड़ी है....मादरचोदी .... बाते बना रही है....उफफफ्फ़....जल्दी से मेरा पानी निकाल....मैं फिर भी शैतानी हसी हस्ती हुई....उसकी टीट को अपने अंगूठे से मसलती बोली.. हाए !!! साली....छिनाल....निकाह के बाद जब अपने खालिद भाई का लंड लेगी तो इतमीनान से चेक कर लेना....हो सकता है कही लिखा हो भाई का लंड....




उफफफफ्फ़....कुतिया मज़ाक उड़ाती है.....अल्लाह करे तेरा सागा भाई तुझे चोदे....अपने भाई का लंड ले तू....साली....मुझे खूब हसी आ रही थी....हा लूँगी....तू बोल ना तेरे खालिद भाई का लंड तेरी बुर में डालु.... मादरचोदी बातें करती है....इधर मैं चूत की आग से जली जा रही हू जल्दी कर्रर्र्ररर.....जल्दी कर्ररर....किसी का भी लंड डाल शब्बो भी खीझते हुए बोली...हा हरामिन डाल...डाल दे मेरे खालिद भाई का लंड....मैने कच से इस बार तीन उंगलियाँ पेल दी....चूत में उंगली जाते ही जैसे उसको करार आ गया हो...अपनी आँखे बंद कर ली उसने....मैं कच कच उंगली अंदर बाहर करने लगी....उसकी चूत भलभला कर पानी छोड़ रही थी....मेरी तीनो उंगलियाँ उसकी चूत में आसानी से अंदर बाहर हो रही थी....उफफफफ्फ़....सीईईईई....ऐसे ही ऐसे....




ही मेरी शब्बो आपा.. हाए !!! बाजी खालिद भाई का लंड अच्छा लग रहा है... हाए !!! बोल ना....मेरी शब्बो....खालिद भाई का लौड़ा कैसा है....मज़े का है...बहुत मज़े का है....वो अपनी आँखे बंद किए बडबड़ा रही थी....हा खालिद भाई चोदो ... हाए !!!.... बहुत मज़ा आ रहा है...ऐसे मरो मेरी चूत में.....मैं तेज़ी के साथ हाथ चला रही थी....शब्बो की जांघें कांप रही थी...मैं समझ गई की ये अब किसी भी लम्हे में झड़ जाएगी....ले मेरी बेगम....अपने खालिद भाई का लंड...अपनी संकरी चूत में....खा जा अपने खालिद भाई का लंड.....वो अब तेज़ी से कमर उचकाने लगी थी.. हाए !!! रबिया मेरा निकलेगा.. हाए !!! मैं झड़ जाउंगी....कुत्तीईईईईई.....जल्दी... जल्दी....हाथ... चला..सीईईई....खालिद....भाई.....का...लंड..बहन...की...लौड़ी...उई मैं.......गैिईईईई....कहती हुई वो दाँत पीसते झड़ने लगी.....उसकी आँखे बंद थी....वो तक कर वैसे ही अपनी जाँघों को फैलाए लेटी रही....

मैं भी धीरे से उठ उसके बगल में आ कर लेट गई...हम दोनो सहेलिया बेसुध हो पता नही कितनी देर वैसे ही पड़ी रही....जब आँख खुली तो देखा अंधेरा होने वाला है और शब्बो मुझे झकझोर रही है....मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई....शबनम ने कहा बड़ी गहरी नींद में सोई थी....चल कपडे पहन....मैने उठ कर झट पट कपड़ा पहना अटॅच्ड बाथरूम में जा अपने आप को फ्रेश किया... हाए !!! बहुत ज़ोर की आँख लग गई थी...तेरा पहला मौका था ना....वैसे मज़ा बहुत आया...हा तू तो पहली बार में ही मेरी उस्ताद बन गई....मैं मन ही मन हंस दी...उस्ताद अम्मी की बेटी थी.....

कमरे से बाहर आई तो उसकी अम्मी मिली...तुम दोनो सो गये थे क्या...हा अम्मी वो ज़रा आँख लग गई थी...अपनी सहेली को सगाई के बारे में बताया....हा अम्मी...उसकी अम्मी फिर मुझ से बोली...बेटी निकाह में ज़रूर आना 10 रोज बाद है....सब को लाना...और कौन है घर में....जी मैं यहाँ भाईजान के साथ....हा हा उसको भी लाना...फिर मैं जल्दी से पीछा छुड़ा बाहर आ गई...टॅक्सी पकड़ घर आ गई...जब तक उसका निकाह नही हुआ तब तक चोरी छुपे हमारा ये खेल चलता रहा...कभी उसके घर...कभी मेरे घर...फिर उसका निकाह हो गया और वो हनिमून पर चली गई....



हमारी मस्ती का सिलसिला टूट गया....अब फिर वही रूटीन ....एक हफ्ते तक शबनम के साथ मज़ा करने की वजह से मेरा नशा कुछ हल्का हो गया था.....मगर उसके हनिमून पर जाने के बाद चूत की खुजली ने फिर से सतना शुरू कर दिया....फिर हर रोज फ़रज़ाना से कॉलेज में मिलना होता..... फिर वही...फ़रज़ाना की सड़ी गली बाते.....ये ठीक नही है....मुझे लड़कों की कोई ज़रूरत नही....उसकी बाते सुन दिल जल उठ ता था....दुनिया की सबसे शरीफ लड़की बनने का फरेब.....शराफ़त की नकली बाते.....दिल करता कमिनी का मुँह नोच लू साली का.... ....साली के मुँह से कुछ उगलवाना बड़ा मुश्किल था....मैने कई दफ़ा कोशिश की मगर हर बार...वो बातो का रुख़ इधर उधर मोर देती....ऐसे बनती जैसे लंड-चूत क्या आज तक किसी से चूची भी नही मसलवाई है....जब भी कभी कुतिया को देखती तो....उसके भाई की याद आ जाती....याद आता वो मेरा ड्रॉयिंग रूम में चुपके से घुसना.....


याद आता की कैसे साली आ उहह कर के अपने भाई से अपनी चूचियाँ मसलवा रही थी......अहसास होता की कितनी लकी है रंडी......मेरी तरह उंगली डाल कर नही तड़प रही....भाई के साथ मज़े लूट रही है....बाहर शहर की सबसे शरीफज़ादी कहला रही है.....घर के अंदर दोनो टाँग फैला कर मोटे सुपाड़े वाला लंड खा रही है.....

उसको देखते ही दिल में हुक सी उठ ती... हाए !!! मेरा भाई इसके भाई जैसा क्यों नही..... इस कामिनी फर्रू का भाई कितना समझदार है....मेरा भाई कितना जाहिल है....कैसे फसाया होगा फर्रू ने अपने भाई को.....या उसके भाई ने फर्रू को फसाया....खैर....जो भी हो .....मज़ा तो दोनो मिल कर लूट रहे है....खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा.....भाई को फसाने की जो तम्माना दिल के किसी कोने में पिछले एक महीने से दफ़न हो चुकी थी....फिर से जिंदा हो गई..... इतने दिनों तक उसके बारे में सोचते-सोचते अब भाईजान से मुझे इश्क हो चुका था.....जब भी सोचती की कोई लड़का मेरा बाय्फ्रेंड हो....तो भाईजान का मासूम चेहरा सामने आ जाता था.....



वो मेरे ख्वाबो का शहज़ादा बन चुका था.....इस बार ज़ेहनी तौर मैने अपने आप को पूरी तरह तैयार कर लिया.....पक्का फ़ैसला कर लिया....अब बिना लंड के नही तड़पूंगी .....अब या तो मेरी चूत में भाई खुद अपना लंड डालेगा....या मैं उसको सॉफ सॉफ बोल दूँगी.....अब या तो इस पार या उस पार....आगे अल्लाह की मर्ज़ी....


कॉलेज से आ कर लेटी थी.....दिल में हलचल थी....समझ में नही आ रहा था कैसे आगे बढूँ ....क्या बोल दूँ....धत !....सोच कर ही शर्म से लाल हो जाती....ऐसे कैसे बोल दूँ....कौन होगी जो जाकर सीधा बोल देगी.....मेरी चूत में खारिश हो रही है.....चोद दो....खास कर कोई बहन शायद ही अपने सगे बारे भाई को ऐसा बोल सकती है.....अम्मी ने कैसे फसाया होगा.....वो साली तो रंडी है....सीधा अपनी चूत दिखा.....मामू को कहा होगा चोद दो.....फिर ख्याल आता... नही....शुरू में जब दोनो कुंवारे थे.....तब अम्मी ने कुछ तो ऐसा किया होगा.....या फिर मामू ने....



फ़रज़ाना ने भी किसी ना किसी तरह ललचाया होगा....या उसके भाई ने......उसके भाई ने जो कुछ भी किया हो.....यहाँ तो सब कुछ मुझे ही करना था.....अपने भाई के लंड को अपनी सुराख का रास्ता दिखना था.....बतलाना था की....दुनिया मज़े कर रही है...आप भी क्यों तरस रहे हो....अपने मचलते लंड को प्यासा मत रखो......घर में जवानी से भरपुर बहन है.....उस से पूछो ....बात करो ....क्या पता उसकी चूत भी खारिश से भरी हो....क्या पता वो भी तुम्हारे लंड के पानी से अपनी प्यास बुझाना चाहती हो.....सोचते सोचते....धीरे धीरे स्याह अंधेरे से रोशनी की लकीर दिखाई पड़ने लगी.....फिर मेरी आँख लग गई.....शाम होते ही कॉल बेल की आवाज़ सुनाई दी...

ज़रूर भाई होगा..... मैने सबसे पहले अपना दुपट्टा उतार कर फेक दिया......समीज़ का एक बटन खोला....चूंची यों के नीचे हाथ लगा ब्रा में थोड़ा उभरा....फिर दरवाजा खोलने आगे बढ़ी.....समीज़ के उपर से पहले अपनी खड़ी चूंची यों के दिखला कर मुझे उसका रिक्षन लेना था....फिर आगे कदम बढ़ाती.....



मैने अपने गुलाबी होंठो को रस से सारॉबार कर....मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला....और अपना सीना तान के उसके सामने खड़ी हो गई.....भाई ने एक नज़र मुझे देखा फिर अंदर आ गया......थोड़ी देर इधर उधर देखने के बाद चेंज करने बाथरूम में चला गया....धत !....लगता है इसने नोटीस नही क्या.....अब क्या करू....मैं वही बैठ गई और टीवी खोल लिया.....दुपट्टा फिर से ओढ़ लिया.....भाई बाथरूम से निकला.....सो रही थी क्या.....हाँ! कॉलेज से आकर तक गई थी.....फिर उसके सामने अदा के साथ हल्के से दुपट्टे को ठीक करने के बहाने से एक चूंची के उभर को नंगा किया.....इस बार उसकी नज़र गई......एक लम्हे को उसकी आँखे उभर पर रुकी.....फिर वो टीवी देखने लगा.....सोफे से उठती हुई बोली ज़रा सफाई कर लू.....



भाई ने मेरी तरफ देखा.... दुपट्टे को सीने पर से हटा सोफे पर रखा......बदन तोड़ते हुए अंगड़ाई ली.........मेरी अंगड़ाई ने चूचियों को उभर कर उसकी आँखो के सामने कर दिया.....तीर जैसी नुकीली चूचियों ने अपना पहला वॉर किया......शायद उसकी आँखो में चुभ गई....तिरछी नज़र से देखा.....भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मेरा पहला तीर निशाने पर लगा.....झारू उठा ड्रॉयिंग रूम सॉफ करने लगी.....भाई दीवान पर बैठा था.....झारू लगते हुए उसकी तरफ घूमी......हल्का सा नज़र उठा कर देखा.....वो टीवी नही देख रहा था.... मेरी तरफ घूम गया था..... लो कट समीज़.....उस पर एक बटन खुला....अंदर से झकति मेरी गोरी कबूतरे.....मतलब गोलाइयों की झलक मिल रही थी उसे....मैं सिहर उठी.....ये पहला मौका था....भाई को चूंची दिखाने का....टांगे कापने लगी.....



मैं झट से सीधी हो गई.....झारू एक तरफ रख कर किचन में चली गई....मेरा दिल धाड़ धाड़ कर रहा था.....पेशानी पर पसीना आ गया....भाई को फसाने के खेल में मज़ा आना शुरू हो गया था.....इसके बाद वो मुझे पूरी शाम अजीब सी नज़रो से घूरता रहा....

मैं कामयाब हो चुकी थी....चिंगारी दिखा चुकी....शोला भड़कने का इंतेज़ार था.....भाई को आहिस्ता आहिस्ता सुलगाना था......खेल शुरू कर दिया मैने.....अब जब भी कभी उसके सामने जाती....जान बूझ कर दुपट्टे का पल्लू सरका देती....गर्मी का बहाना कर जब-तब अपने दुपट्टे को हटा देती.....भाई तिरछी नज़रो से....कभी गर्दन घुमाते हुए बहाने से.....कभी जब मैं नज़र नीचे करके दुपट्टे को इधर-उधर करती तो....आँखे फाड़ कर देखता....मेरी बरछे की तरह तनी चूचियाँ को भाई की नज़रो में चुभाने का मेरा इरादा हर लम्हा कामयाबी की ओर बढ़ता जा रहा था.....इसको और कामयाब बनाने के लिए मैने अपनी पुरानी सलवार कमीजे निकाल ली....अम्मी वहा पहनने नही देती थी.....जब पंद्रह की थी तब पहनती थी.....अब तो बहुत टाइट हो गई थी.....



टाइट समीज़ में चूंची ऐसे उभर कर खड़ी हो जाती जैसे क्रिकेट की नुकीली गेंद हो.....टाइट समीजो ने जल्दी ही अपना असर दिखना शुरू कर दिया....भाई मेरी तरफ देखता रहता....अगर मुझ से नज़र मिल जाती तो आँख चुरा लेता....फिर थोड़ी देर बाद तिरछी आँखो से चूचियों को घूरने लगता..... जब मेरी पीठ उसकी तरफ होती तो....लगता जैसे टाइट सलवार में कसी मेरी चूतड़ों को अपनी आँखो से तौल रहा है....मैं भी मज़े ले ले कर उसको दिखती.....कभी अंगड़ाई ले कर सीने उभरती....कभी गाँड मटका कर इतराती हुई चलती ......उसके अंदर धीरे धीरे शोला भड़कना शुरू हो चुका था......भाई जायदातर कुर्सी टेबल पर बैठ कर पढ़ता.......

मैं गाल गुलाबी कर मुस्कुराती हुई जान भूझ कर उसके पास जाती और उसका कंधा पकड़ कर उसके उपर झूक कर पूछती....क्या पढ़ रहे है भाईजान....खुद ही पढ़ते रहते हो.....अपनी खड़ी चूंची के नोक को हल्के से उसके कंधे में सटाते हुए बोलती....



कभी कभी मुझे भी गाइड कर दो तो कैसा रहेगा.....वो अपना चेहरा किताबो पर से उठा लेता....मैं उसकी आँखो में झांकती....अदा के साथ मुस्कुरा कर देखती....भाई अपने सूखे लबो पर जीभ फेरता हुआ बोलता.....क्या प्राब्लम है....मैथ्स में काफ़ी दिक्कत आ रही है भाईजान....कहते हुए मैं थोड़ा और झुकती और सट जाती....चूंची का नोक उसके कंधो के च्छू रहा होता .....मेरी जांघें उसकी कमर के पास....बाहों से टच कर रही होती.....भाई अपने में थोड़ा सा सिमट जाता....मेरी घूरती आँखो के ताव को वो बर्दाश्त नही कर पता.....फिर से सिर झुका लेता और बोलता.....किताब ले आ मैं बता देता हू.....अभी रहने दो अभी तो मैं खुद ही देख लेती हू पर बाद में मदद कर दोगे ना....हा हा क्यों नही....

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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:19

राबिया का बेहेनचोद भाई--8

. फिर मैं थोड़ी देर तक उसके आस पास घूम कर यूँ ही उसको ललचाती फिर वापस अपने कमरे में चली जाती....इतने में ही मज़ा आ जाता.....किसी लड़के को अपनी जवानी दिखला कर फसाने का पहला मौका था.....



कमरे के अंदर थोड़ी देर बैठ कर अपनी उखड़ी हुई सांसो पर काबू पाती....जाँघो को भीचती अपनी नीचे की प्यासी गुलाबी रानी को दिलासा देती....फिर उठ कर किचन में जा कर खाना बनाने लगती....बीच बीच में बाहर आ कर भाई के पास आती.....वो मेरी तरफ देखता.....मैं वहा रखे तौलिए से पेशानी का पसीना पोंछती बोलती....उफ़फ्फ़ या अल्लाह कितनी गर्मी है.....बर्दाशत नही होती.....और अपने दुपट्टे को ठीक करने के बहाने बार बार अपनी खड़ी नोकदार चूंची यों को दिखती....पसीने से भीग जाने की वजह से.....पतली समीज़ के अंदर से मेरी ब्रा उसको दिखती होगी.....भाई मुस्कुराते हुए मेरी और देखता.....बात-चीत करने के बहाने उसको घूरने का ज़यादा मौका मिलता....इसलिए बोलता.....गर्मी तो है मगर तुझे कुछ ज़यादा लग रही है.....




ही ही मुझे क्यों ज़यादा लगती है कभी सोचा है....किचन में काम कर के दिखो....अपने गुलाबी होंठो को टेढ़ा कर अदा के साथ हाथ नचा कर बोलती.....तू थोड़ी देर यही बैठ जा....आराम कर ले....खाना कौन बनाएगा....कहते हुए मैं फिर वापस किचन में चली जाती.....



भाईजान मुझे किचन में जाते हुए देखते....मुझे लगता की उसकी नज़र मेरी चूतड़ों पर टिकी हुई है....मैं और ज़यादा इठला कर चलती...मटक कर अपने चूतड़ों को हिलती हुई इधर से इधर घूमती....छ्होटी सी समीज़ और चुस्त सलवार में जवानी और ज़यादा निखर जाती थी....मैं घर पर जान बूझ कर पुराने और पतले कपडे वाले समीज़ सलवार पहनती ताकि मेरा जिस्म ज़यादा से ज़यादा उसको दिखे....कपडे पसीने से भीग जाए......और बदन से चिपक जाए....फिर वो देख कर अपने आप को गरम करता रहे...

मेरी आग लगाने वाली अदाए काम करने लगी.....भाई अब मेरे आस पास ही घूमता रहता.....मेरे साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने की कोशिश करता.... मुझे भी मज़ा आता.....कौन लड़की नही चाहेगी की कोई लड़का उसका दीवाना हो....उसकी हर बात का ख्याल रखे....और उसकी हर अदा पर मार मिटे .....भाई की आँखो से पता चल जाता की वो मेरी हर अदा पर अपनी जान लुटाने को तैयार बैठा है.....मैं भी पूरे घर में उसके सामने इधर-उधर इतरा इतरा कर घूमती....मुझे लगा की खाली सलवार कमीज़ से काम नही चलेगा....दो तीन स्कर्ट ब्लाउस निकाल लिया मैने.....अब कई बार सलवार समीज़ की जगह स्कर्ट ब्लाउस पहन लेती मैं...सब पुरानी थी...टाइट और छ्होटी हो चुकी थी......पहली बार मुझे स्कर्ट ब्लाउस में देख चौंक गया.....



मगर बोला कुछ नही.....मैं भी खूब मटक मटक कर गाँड हिलाते हुए चलती....अपने उभरो को हिलती....छलकाती ....घर में घूमती......मेरी इस अदा ने उसको और दीवाना कर दिया....मेरी नंगी गोरी टांगे जो देखने को मिल रही थी उसे...सारी स्कर्ट तो छ्होटी हो कर मिनी-स्कर्ट हो गई थी.....फिर टाइट ब्लाउस मेरे हिलते कबूतर उसके पाजामे में ज़रूर हलचल मचाते होंगे.....फिर ऐतराज़ कैसा.....मेरे स्कर्ट टी - शर्ट पहन ने पर उसने कोई ऐतराज़ नही किया.....उल्टा मेरी तारीफ में कशीदे कदता.....रबिया बहुत प्यारी लग रही है.....एकदम गुड़िया जैसा.... हाए !!!....परी जैसी दिख रही है इस गुलाबी ड्रेस में......



मैने एक दिन पुछा तुम्हे मेरे टी - शर्ट और स्कर्ट पहन ने में कोई ऐतराज़ तो नही है भाई.....ना ना मुझे क्यों कर ऐतराज़ होगा भला....फिर घर में तो कोई भी ड्रेस पहन..... कहते हुए......मेरी टी - शर्ट में चोंच उठये दोनो नोकदार चूचियों को अपनी निगहों से पीने की कोशिश करता......मैं मन ही मन खुश हो रही थी......शिकार जाल में फस रहा था......
मैने अपनी हरकतों में इज़ाफ़ा कर दिया......जब वो टीवी देखता या पढ़ता रहता तो.....मैं जब नीचे झुक कर कुछ उठती तो किताबो के पीछे से मेरी गोरी टॅंगो को देखता....मैं जान बूझ कर और झुकती....ताकि मेरी स्कर्ट और उपर उठ जाए और मेरी
नंगी गोरी चिकनी जांघें उसे दिख जाए.....उसके सामने झुक झुक कर झाड़ू देती....वो मेरी समीज़ या ब्लाउस के अंदर झाँक कर चूंची देखने की कोशिश करता.....

कई बार जान बूझ कर...ज़मीन पर पेन या कुछ और गिरा कर उठती.....बार बार उसको अपनी नोकदार चूंचीयों को देखने का मौका देती.....उसकी तरफ अपनी गांड घुमा कर नीचे गिरी चीज़ों को उठती.....ताकि मेरी मस्त जाँघो का नज़ारा उसे मिले.....शबनम ने बताया था की लड़के गोरी गुन्दाज़ जाँघो के दीवाने होते है....अपनी मोटी जाँघो का नज़ारा और अच्छी तरह करवाने के लिए......भाई के सामने ड्रॉयिंग रूम में लगे दीवान पर बैठ......बार-बार अपने टाँगो का मक़ाम बदलती....कभी लेफ्ट टाँग पर राईट कभी राईट टाँग पर लेफ्ट ......इस दौरान मेरी स्कर्ट भी इधर उधर होती.....और मेरी चिकनी मोटी जाँघो का नज़ारा थोड़ा उपर तक उसको मिल जाता.....कई बार दोनो टाँग लटका कर ऐसे बैठ जाती जैसे मुझे ख्याल नही.....टांगे फैली होती.....स्कर्ट भी फैल जाती.....जाँघो का नज़ारा अंदर तक होता.....इतना अंदर तक की.....मेरी चड्डी की झलक भी उसको मिल जातीई.....


उसके पाजामे का उभर मुझे बता देता की उसकी क्या हालत है....वो कहा तक देख पा रहा है.....मुझे देख-देख कर अपने होंठो पर जीभ फेरता रहता....पाजामे के लंड को अड्जस्ट करता रहता....मैने कई बार उसको ऐसा करते पकड़ लेती.....मुझे अपनी ओर देखता पा कर वो झेप जाता....और हँसने लगता.... मैं होंठ बिचका कर मुँह घुमा लेती.....जैसे मुझे कुछ पता ही नही......



पर मैं जानती थी की उस समय मेरी चूत की क्या हालत होती.....जी करता दौड़ कर लंड को पकड़ लू और हाथ से मसल कर तोड़ कर अपनी बुर में घुसेड़ लू.....मगर मैं चाहती थी पहला कदम वही उठाए.....ताकि बाद में मुझ पर कोई उंगली ना उठे......मैं खुद उस से चुदवाना चाह रही थी.....पर मैं चाहती थी की वो मुझे खुद चोदे.....मुझे से मेरी चूत माँगे....तभी तो मेरा गुलाम बनेगा....जैसा मैं कहूँगी वैसा करेगा....किसी को कुछ बोलेगा नही....

भाई का हौसला अब आहिस्ता आहिस्ता बढ़ने लगा.....मेरी खुली अदाओ ने उसको हिम्मत दी....वो अब आगे बढ़ कर कदम उठा रहा था....मैं यही चाहती थी....भाई बात करते वक़्त अब मेरे कंधो पर हाथ रख देता था....उसका झेपना भी कम हो गया था.....जब कभी उसको अपनी चूंची यों को घूरते पकड़ लेती तो मुस्कुरा देता.....मैं भी अदा के साथ इतरा कर पूछती क्या देख रहे हो भाई.....


तो वो बोलता.... कुछ नही......अपनी प्यारी गुड़िया रानी को देखना गुनाह है क्या.....मैं हँसते हुए शर्मा कर....धत ! करती.......दूसरी और जाने लगती.....इस बात को अच्छी तरह से जानते हुए की वो मेरे मटकती गाँड को देख रहा होगा.....हाथ पीछे ले जाकर अदा के साथ....आराम से अपनी गाँड में फासे सलवार को निकाल....कमर हिलती...चूतड़ नाचती हुई...किचन में या बेडरूम में घुस जाती....कई बार बात करते-करते वो मेरा हाथ पकड़ लेता और मेरी उंगलियों से खेलने लगता.....मैं भी उस से बात करते हुए टीवी देखती रहती.....जैसे मुझे कुछ पता नही की वो क्या कर रहा है......
मैं अब अपने कमरे में पढ़ने की बजाए दीवान पर टीवी के सामने ही बैठ कर पढ़ाई करने लगी थी....किताब पढ़ते पढ़ते मैं पेट के बल लेट जाती थी.....मेरे इस तरह से लेटने की वजह से मेरी समीज़ के अंदर से मेरी गोरी गोलाईयां झाँकने लगती....कुर्सी पर बैठा भाई टीवी कम मेरी समीज़ की गोलाइयों को ज़यादा देखता.....मैं बीच बीच में अपने गले में चारो तरफ घुमा कर अपना दुपट्टा ठीक कर लेती.....



जब गोलाईयां नही देखने को मिलती तो मेरे पैरो की तरफ देखने लगता.....पेट के बल लेते हुए मैं अपनी टाँग को घुटने के पास से मोड़ कर उठा लेती थी.....जिसकी वजह से सलवार सरक कर घुटनो तक आ जाती थी....वो वही देखता रहता.....मैं अपनी टाँगो को अदा के सटा हिलती उसको सुलगाती रहती.......मेरे चूतड़ों पर से समीज़ हट जाती....गाँड की दरार में फंसी सलवार उसको दिखने लगती....वो चुप चाप बैठ कर अपना लंड फुलाता रहता....

कई बार अगर वो दीवान के पास बैठा होता तो मेरे पैर की उंगलियों पर हल्के हल्के हाथ फेरता....उसे शायद लगता की मुझे पता नही है......मैं भी चुप-चाप मज़ा लेती रहती.....जिस दिन स्कर्ट पहन कर पेट के बल लेटती .....भाई की चाँदी हो जाती थी......मैं दीवान पर टीवी की और मुँह कर के लेटी होती....सोफा थोड़ा पीछे टीवी के सामने होता.....भाई उस पर बैठा.....टीवी कम मेरी स्कर्ट के अंदर ज़यादा देखता.....वो बराबर कोशिश कर के दीवान की तरफ झुकता.....मेरी फैली स्कर्ट के बीच मेरी रानों को देखने की कोशिश करता......


मुझे लगता है साला ज़रूर उस दिन रात भर मूठ मारता होगा.....अब तो उसका ये हाल हो गया था की मेरे पास आने और मुझे छुने के लिए बहाना खोजता रहता था..... मैने अपने नखरो में भी आहिस्ता आहिस्ता इज़फा कर दिया.....सिर दर्द का बहाना करती....वो एकदम घबड़ा कर मेरे पास आ जाता कहता लाओ मरहम लगा दूँ.....सिर पर बाम कम लगता मेरे गाल और बालो को छुने में जयदा दिलचस्पी दिखता.....मैं भी चूंची उभार कर लेट जाती.....वो सिर के पास बैठ मेरी कबूतरियों को देखते हुए मरहम लगता रहता....




एक शाम जब भाई घर आया तो उसके हाथ में कोन वाली आइस-क्रीम थी....मैने पुछा हाए !!! भाईजान.... आइस-क्रीम क्यों लाए......तो भाई बोला तू कहती थी ना बहुत गर्मी है.... हाए !!! तो आइस-क्रीम खाने से गर्मी भाग जाएगी क्या..... अर्रे भगेगी नही थोड़ी कम तो ज़रूर हो जाएगी......तेरे लिया लाया हू इतने शोख से.....ले खा ना.... हाए !!! पहली बार कुछ लाए हो मेरे लिए....तू कुछ मांगती कहा है....मैं खुद से ले आया......अच्छा...



मैने शरमाते हुए उस से आइस-क्रीम ले लिया और सोफे पर बैठ.....अपना एक पैर सामने रखे स्टूल पर रख कर आइस-क्रीम खाने लगी.....भाई सामने बैठ कर मुझे आइस-क्रीम खाते हुए देखने लगा.....मैं आइस-क्रीम के गुलाबी सिरे को जीभ निकाल निकाल कर चाट ने लगी.....अपने गुलाबी रस भरे होंठो को को खोल खोल कर हल्के हल्के काट कर आइस-क्रीम खा रही थी....भाई सामने बैठा था.....उसको मेरी स्कर्ट के अंदर कसी हुई गोरी जांघें दिख रही थी.....

वो वही बैठा अपने पंत के उपर हाथ रखे मुझे आइस-क्रीम खाते हुए देख रहा था.....मैं समझ रही थी की साला सोच रहा होगा काश आइस-क्रीम की जगह मेरा लंड होता......मैं जान भूझ कर आइस-क्रीम ऐसे चूस रही थी जैसे लंड चूस रही हूँ.....फिर जीभ निकाल इतराती हुई अपने गुलाबी होंठो पर फेर रही थी.....उपर की तरफ नीचे की तरफ....


होंठो के चारो तरफ लगे क्रीम को चाटते हुए बोली.... हाए !!! भाईजान बहुत मजेदार आइस-क्रीम है.....अपने शहर में तो ऐसी आइस-क्रीम मिलती ही नही......भाई कहता.....तुझे अच्छा लगा....मैं सोच रहा था कही तुझे अच्छा नही लगे.... हाए !!! नही भाई बहुत मजेदार है.....ठीक है रोज ला दूँगा तेरे लिए... हाए !!! भाई तुमने खाया या नही......अरी मैं नही ख़ाता.....क्या भाईजान खा कर देखो ना बहुत मजेदार है....लो ...ना....लो ....लाओ मैं अपने हाथ से खिलती हू....



कहती हुई मैं इठलाती हुई उसके पास गई.....झुक कर उसके चेहरे पर अपनी गर्म गुलाबी साँसे फेंकती....आइस-क्रीम को उसके होंठों के पास लगा कर कहा....मेरा झूठा है मगर......तो क्या हुआ.....मेरी प्यारी बहन का झूठा और मजेदार होगा.....कहते हुए आइस-क्रीम को जीभ निकाल कर उपर से चाटा....तो मेरी चूत सिहर गई....झांट के बॉल खड़े हो गये.... हाए !!! कितने प्यार से चाटा.....जाँघो को भींच कर इतराती हुई बोली.... हाए !!! और चाटो ना भाई.....काट कर खाओ ना....




भाई ने हल्के दाँत से आइस-क्रीम का एक टुकड़ा काट लिया..... मेरी चूंची के गुलाबी निपल खड़े हो गये.....इसस्स....फिर नखरा करती हुई उछलती हुई इतरा कर बोली.....उूउउ.. हाए !!! पूरा नही खाना.....थोड़ा सा....खाली चाटो....तो भाई हँसने लगता....कहता अच्छा अब तुम खाओ..... तुझे खाते देख मेरा दिल भी भर जाएगा.....मैने हँसते हुए आइस-क्रीम से बड़ा सा टुकड़ा काट लिया ......फिर वापस भाई के मुँह से आइस-क्रीम सटा दिया.....भाई बोला अरी रहने दे.....

क्या भाई लो ना थोड़ा सा और....लो चाटो ना... हाए !!! थोड़ा सा चाटो....उपर लगी क्रीम.....बड़ी मजेदार है....अपनी जीभ निकाल उसने हल्के से क्रीम चाटे ......उ.....चूत ने दो बूँद रस टपका दिया..... हाए !!! अच्छा लगा ना भाई.....और लो ना.....खाली क्रीम चाटो.....उपर से.....उईईई....बदमाश भाईजान.....थोड़ी क्रीम मेरे लिए भी छोड़ो ......जाओ मैं नही देती अब.....सारी खा गये तुम तो.....भाई हँसने लगा...फिर मैं खाने लगती.....फिर खुद माँगता......




रबिया थोड़ी सी दे ना.....नही मैं नही देती तुम काट लेते हो.... हाए !!! नही खाली चाटूँगा....हल्का सा चाटूंगा....नही तुम काट लेते हो... हाए !!! नही...चटा दे ना.....थोड़ा सा.....खाली उपर से चाटूंगा.....मैं फिर इठलाती हुई उसके मुँह के पास आइस-क्रीम देती....लो चाटो.....उपर... हाए !!! काटना नही....ठीक से चाटना.....नही तो दुबारा नही दूँगी.. हाए !!! हा ऐसे ही चाटो....हा बस उपर से...लो थोड़ा और.. हाए !!! हा....लो जीभ लगा कर....बदमाशी नह्ी...ठीक से चाटो ना....अफ...गंदे तुम मनोगे नही... हाए !!! काट लिया... हाए !!!....ऐसे ही चलता रहता......उस दिन के बाद से भाई हर रोज आइस-क्रीम ले कर आता.....ऐसे आइस-क्रीम खा कर चूत ऐसे सुलगने लगती की बाथरूम में जाकर दो मिनिट तक मूत ती रहती थी मैं.....कच्ची बुर रस टपकाते.....पेशाब की तेज धार छोड़ती....
भाईजान को फंसाने के लिए अपनी हरकतों में धीरे-धीरे इज़ाफ़ा कर रही थी......इंटरनेट पर अकेले में बैठ उसमे से अपने मतलब की चीजें निकाल लेती......लड़कों को कैसे तड़पायें फंसायें...... तड़पने तद्पाने के इस खेल में मज़ा आ रहा था....सुबह मैं भाई से पहले नहाने जाती थी....पहले तो मैं अपने कपडे उसी वक़्त सॉफ कर लेती थी....मगर अब मैं अपने कपडे वही बाथरूम की खूंटी पर टाँग कर चली आती थी....सलवार समीज़ के उपर अपनी छोटी सी पैंटी और ब्रा रख देती.....ताकि भाईजान को आसानी से दिख जाए.....फिर मैं बाहर आ जाती....फिर जब वो नहा कर आता तो मैं गौर से देखती...... एक दो दिन तो कुछ नही हुआ......




मगर उसके बाद मैने देखा की जब वो नहा कर तौलिया लपेटे बाहर आता तो उसका तौलिया आगे से थोड़ा उभरा हुआ होता......चेहरा सुर्ख लाल होता......मुझ से नज़र मिलाने से कतराता.....मैं समझ गई की भाई का ऐसा हाल मेरी चड्डी और ब्रा का कमाल है......पर करता क्या है भाईजान मेरी चड्डी और ब्रा के साथ......अपना औज़ार इसके उपर रगड़ता है.....क्यों ना बाथरूम के दरवाजे में कोई दरार ढूँढ कर अंदर का मुजाहिरा किया जाए......इस से मुझे उसका लंड देखने का मौका भी मिल जाता.....

The Romantic
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 16:20

राबिया का बेहेनचोद भाई--9

. फिर मैने कॉलेज से जल्दी आ कर बाथरूम के दरवाजे में एक छ्होटा सा दरार खोज लिया.....अगले दिन बाथरूम में घुस कर नंगी होकर....भाई को याद कर मूठ मारते हुए अपनी दो उंगलियों को अपनी बुर में पेल दिया......चूत जब बहुत पनिया गई और पसिजने लगी......मैने अपनी सुर्ख लाल रंग की चड्डी की म्यानी को अपनी चूत के उपर रगड़ कर अपनी चूत का सारा पानी उस पर लगा दिया.....


फिर नहा कर अपने कपडे खूंटी पर टाँग कर बाहर निकल गई.....थोड़ी देर बाद भाई बाथरूम में घुसा.....दरवाजा बंद होते ही मैं झटपट दरवाजे के दरार के पास झुक कर खड़ी हो गई.....अंदर भाई सारे कपडे उतार कर नंगा खड़ा था..... चौड़ा चिकना सीना.....मजबूत बाहें ... हाए !!! अगर जकड़ ले तो पीस डालेगा मेरे नाज़ुक बदन को.....सख्त चूतड़.....मोटी जांघें ....उईईइ.... हाए !!! रब्बा क्या मस्त नज़ारा था...खाली चेहरे से मासूम नज़र आता था.....पूरा हट्टटा कट्टा मर्द था भाई.....




हाए !!! जाँघो के बीच पेट के नीचे काली झांटें...ज्यादा नही थी...फिर भी....काले झांटों के बीच छोटे चीनी केले जैसा उसका काला लंड अपने गुलाबी सुपाड़े के साथ... हाए !!! क्या नज़ारा था......मारजवा....जिंदगी में पहली बार.....उईईइ....कितना हसीन लग रहा था.....काले लंड के उपर गुलाबी सुपाड़ा.....मैने तस्वीरो में लड़कों का सोया लंड नही देखा....जब भी देखा खड़ा लंड ही देखा था.....पर भाई का सोया हुआ हथियार... हाए !!! रब्बा बड़ा प्यारा क्यूट सा लग रहा था....गुलाबी सुपाड़ा एक चॉक्लेट के जैसा दिख रहा था......



भाई ने एक बार बाथरूम में चारो तरफ नज़र घुमाई....फिर अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए धीरे से चड्डी की तरफ हाथ बढ़ाया......मैं उपर से नीचे तक सनसना गई.... हाए !!! मेरी अम्मी....सीईईई.....उकसा लाड़ला बेटा उसकी बेटी की चड्डी के साथ कुछ करने वाला था.....मैं दम साधे देख रही थी....भाई ने धीरे से मेरी चड्डी और ब्रा को उतरा.....फिर मेरी ब्रा अपने हाथ में ले कर दो-तीन बार चूमा.....

छाती पर बाहों पर जाँघो पर हर जगह फिरया जैसे ब्रा से अपने बदन को रगड़ रहा है.....मैं देख रही थी....अपने हाथो से अपनी चूंचीयाँ सहलाने लगी.... साला सोच रहा होगा मेरी चूंचीयों के बारे में....सोच रहा होगा उसके पूरे बदन से मेरी चूंचीया .....घिस रही है... हाए !!! उसका लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था.... हाए !!! मारजवा....अफ....पूरा खड़ा हो गया.... हाए !!! क्या मस्त लग रहा था भाई का खड़ा लौड़ा .....किसी सख़्त डंडे के जैसा.....खड़ा....लंबा और मोटा.....मेरी कलाई जितना मोटा होगा....ठीक से मेरे हाथ में भी नही आएगा......



हाए !!! सुपाड़ा देखते ही देखते फूल कर आलू जैसा हो गया.... मेरे मुँह में पानी आ गया.....गुलाबी सुपाड़ा चमक रहा था.....फूला हुआ.....आगे से थोड़ा सा नुकीला......फिर उसने ब्रा को अपने खड़े लंड पर फिराया और लंड के चारो तरफ लपेट दिया.....कितना हरामी था मेरा भाई.....फिर मेरी चड्डी अपने हाथो में ले कर अपने चेहरे के पास ले गया....



पैंटी की म्यानी को फैला कर उस पर लगे चूत के पानी को देखा जो अब तक सूखा नही था.....उसके होंठो पर मुस्कान फैल गई.....कुछ बुदबुडाया और फिर अपने होंठो को गीला कर म्यानी को नाक के पास ले जाकर सूंघने लगा.....अपनी सग़ी छोटी बहन की चड्डी को सूंघ रहा था भाई....बहन की चूत के ताजे पानी को सूंघ कर उसका लंड तेज़ी से उपर नीचे होने लगा......वो अपने दूसरे हाथ से मेरी ब्रा में लपेटे हुए अपने खड़े लंड को सहलाने लगा.....मुझे ज़रा भी अहसास नही था की भाई ऐसा भी करेगा.....



उसने अपनी जीभ को निकाल कर मेरी चड्डी की म्यानी पर रख दिया और चाटने लगा....मेरी चूत ने एक बूँद रस टपकाया....ऐसा लगा जैसे उसने मेरी चूत पर ज़ुबान रख दी.....चूत के पानी को चाटने में उसे घिंन नही आ रही थी.....वो कभी मेरी चड्डी को सूंघता कभी चाटने लगता और धीरे धीरे अपने लंड को सहलाता जाता.....भाईजान की इन हरकतों ने मुझे दीवाना कर दिया....दिल कर रहा था अंदर घुस जाऊं और सलवार उतार चूत उसके मुँह पर रख दूँ.....


चूत ऐसे कुलबुलाने लगी की अपनी सलवार उतार कर अपनी बुर में दो उंगली डाल लेने का दिल करने लगा.......पर जाँघो को भीच एक हाथ से अपने कबूतरो को मसालते हुए खुद को तस्सल्ली दिया.....और आगे का खेल देखने लगी....थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा को लंड पर से हटा कर फिर से खूंटी पर तंग दिया.....ऐसा क्यों किया उसने......खैर वो फिर से आँखे बंद कर मेरी पैंटी को अपने मूँह में पूरी तरह से भर कर चूस्टे हुए.....तेज़ी से अपना लंड मसलने लगा....

लंड की चमरी को उपर नीचे खीचते हुए हिला रहा था..... भाईजान मेरी चड्डी को कुत्ते के जैसे सूंघ और चाट रहे थे.....उन्हे मेरी चूत मिल गई तो क्या करेंगे......चबा जाएँगे.....खा जाएँगे....उफ़फ्फ़ ये सब सोच सोच कर मेरी चूत पसिजने लगी थी...... मैं सलवार के उपर से अपनी चूत के अनार-दाने को रगड़ते हुए.....अपनी चूची को मसलने लगी....



भाई अब जोश मे आ चुका था....चड्डी को मुँह से बाहर निकाल नाक के उपर रख सूंघते हुए खूब ताक़त लगा कर लंड हिला रहा था.....अचानक एक झटके के साथ सुपाड़े से गाढ़ा सफेद पानी फूच से निकल कर सामने की दीवार पर जा गिरा....फिर तीन चार बार और फूच फूच कर सफेद पानी निकाला....पर उतनी ताक़त के साथ नही....नीचे ज़मीन पर गिर गया....मैने पहली बार किसी सचमुच के झरते हुए लंड को देखा था....



मेरी चूत ने रस टपकाना शुरू कर दिया.....भाई एकदम पसीने से तर-बतर हो चुका था......उसके पैर काँप रहे थे.......मेरा भी यही हाल था....थोड़ी देर भाई वैसे ही खड़ा हांफता रहा फिर....उसने मेरी पैंटी को खूंटी पर टाँग दिया......मग में पानी लेकर दीवार पर लगे सफेद पानी को सॉफ किया....ज़मीन पर गिरे पानी को भी सॉफ किया....



अब मेरी समझ में आ गया की उसने लंड पर से मेरी ब्रा को क्यों हटाया.....वो नही चाहता था की ब्रा पर उसके लंड का पानी लग जाए.....वैसे अगर लगा भी देता तो मैं बुरा नही मनती.....गाढ़ी मलाई का टेस्ट मुझे भी पता लगाना था.....झड़ने के बाद उसमे खड़े होने की ताक़त नही थी वही फर्श पर बैठ गया....मेरी चूत ने भी दो चार बूँद रस टपका दिया था.....



मैं जल्दी से वहा से हट गई....कमरे के दरवाजा बंद कर जल्दी से सलवार उतरा और अपनी गीली पैंटी को उतार कर अपनी फुद्दी को देखा.....मेरी गुलाबी सहेली का रंग सुर्ख लाल हो गया था.....टीट अभी भी अपनी चोंच उठाए खड़ी थी.....मैने जल्दी से अपनी चड्डी को लपेट कर बिस्तर के नीचे छुपा दिया......कल यही चड्डी बाथरूम में छोडूंगी....

फिर एक सॉफ चड्डी पहन ली....और अपने बैग को संभालने लगी....थोड़ी देर में भाई बाहर आया.....तौलिया आगे से थोड़ा सा अभी भी उभरा हुआ था....शायद.इतना तगड़ा मूठ मार कर भी भाई का ठंडा नही हुआ....मेरे होंठों पर मुस्कान फैल गई... हाए !!! साले भाईजान अभी तो चड्डी सूंघ कर इतना तगड़ा मूठ मारते हो....चूत दिखा दूँगी तो क्या करोगे.....साले को अब भाई से बहेँचोड़ बनाने में अब ज़यादा देर नही....



सॅटर्डे का दिन था शाम में भाई थोड़ी देर से घर आया.....मैने मुँह फुलाते हुए कहा इतनी देर क्यों लगा दी.....वो थोड़ा झिझकते हुए बोला वो वो....आज दोस्तो के साथ घूमने चला गया था......अच्छा खुद तो दिन भर घूमते रहते हो......मैं यहाँ बैठ कर इंतेज़ार कर रहि हुँ.....ये भी ख्याल नही है की बेहन घर पर अकेली बैठी होगी..... हाए !!! रब्बा आज आइस-क्रीम भी नही लाए.....अब मैने झूट मूठ का रोने का नाटक करने लगी.....अपनी आँखो में आँसू भर कर मुँह फूला लिया.....भाई एक दम से घबड़ा गया और.....और मेरे सामने आ कर मेरे चेहरे को अपनी हथेली में भर उपर उठा कर.....



मेरी आँखो में झँकते हुए बोला.....अरे रे....रो मत....चल आज तुझे घुमा देता....वही बाहर आइस-क्रीम भी खिला दूँगा......हा इतनी रात में घूमने ले जाओगे......आजतक तो कभी ले नही गये......एक आइस-क्रीम ला दिया बस.......अरी ये कोई छ्होटा शहर है क्या.....अभी नौ बजे है.....अभी तो यहाँ की नाइट लाइफ शुरू होती है.....चल आज तुझे दिखता हू.....कपडे बदल ले....प्लीज़ मेरे सामने अपना मुँह मत लटका......मेरी प्यारी बहना.....चल आज खाना भी बाहर ही खाएँगे....समंदर किनारे.....थोड़ा ना नुकुर करने के बाद मैं तैयार हो गई....


काले रंग की हाफ बाजू वाली टाइट T-shirt और टाइट जीन्स जिसको मैने शबनम के साथ जा कर ख़रीदा था में अपनी मोटी जांघें कस कर तैयार हो गई..... थोड़ा डर भी रही थी....फिर सोचा ये तो मेरी जाल में फसा हुआ खिलोना है......माना नही करेगा......भाई ने भी ड्रेस चेंज कर लिया.....बालो के लट को अपने चेहरे पर बिखड़ा कर होंठो पर सुर्ख गुलाबी रंग की लिपीसटिक लगा ली......भाई ने जब देखा तो देखता ही रह गया.....उसको ख्यालो से बाहर लाने के लिए मैने कहा....क्या भाई चलना नही है क्या....

भाई सकपका कर शरमाते हुए अपनी जीन्स को अड्जस्ट करता हुआ बोला.....ये जीन्स कब ख़रीदा .....मैं चुप रही.....इतनी देर में भाई पास आ चुका था और उपर से नीचे तक मुझे देख रहा था..... उसने फिर पुछा .......मैं अपने सुर्ख लबो को रस से भिगोती थोड़ा रुआंसा होने का नाटक करती उसके पास जा.... कान में सरगोशी करते बोली....भाई प्लीज़ दिल मत तोड़ना....शबनम के साथ ख़रीदा ....सभी पहनते है....मेरा भी दिल... हाए !!! भाई प्लीज़ हमेशा नही पहनउगी....



कहते हुए उसका कंधा पकड़ उसके उपर अपना सिर रख दिया.....मुझे इस बात का पहले से ही पता था की वो मना नही कर पाएगा.....मेरे मुँह बनाने और रुआंसा होने से वो और पिघल गया......मेरी ठोड़ी पकड़ मेरे चेहरे को उपर उठा.....मेरी आँखो में झँकते हुए बोला.....अर्रे पगली तो इसमे उदास होने की क्या बात है.... हाए !!! नही भाई कही अम्मी को......अर्रे अम्मी को कौन बताएगा.....



ही भाई सच आप नही बताओगे......क्यों बताऊंगा ....इसमे बुराई क्या है....सभी तो पहनती है....कॉलेज में......मैं तो खुद सोच रहा था तुझे गिफ्ट....मैं भाई से लिपट गई....और उसके गाल को अपने सुर्ख लबो से चूम लिया.... हाए !!! मेरे प्यारे भाईजान तुम कितने अच्छे हो.....सच भाईजान आपसे अच्छा भाई कोई नही होगा.....अपनी टी - शर्ट में कसी नुकीली चूंचीयों को भाई की सीने में दबा दिया.....



आज मैने ब्रा भी नही पहना था....भाई मेरे इस अचानक प्यार से थोड़ा सकपका सा गया....पर फिर अपने आप को संभालते हुए मेरी कमर में हाथ डाल सहलाते हुए बोला.... जब दिल करे पहना कर.....यहाँ कौन रोकेगा....मैं भी तो अपनी आज़ादी के मज़े लूट रहा हू....तू भी मज़े कर.....फिर एक हाथ से मेरी ठुड्डी पकड़ मेरे चेहरे को उपर उठा मेरी झील सी गहरी आँखो में झँकते हुए बोला......वैसे एक बात कहूँ .....बड़ी प्यारी लग रही है....फ़िल्मो की हेरोईएन जैसी....

मैने धत ! करके अपनी नज़रे नीचे झुका ली....भाई का एक हाथ अभी भी मेरी कमर में था.....मेरी साँसे तेज हो गई थी.....तेज सांसो के साथ मेरी चूंचीयाँ भी उठ बैठ रही थी.....हम इतने पास थे की भाई की गर्म सांसो का अहसास अपनी गुलाबी गालो पर महसूस कर रही थी.....भाई की अगली हरकत का इंतेज़ार कर रही थी.....भाई ने हल्के से मेरा गाल चूम लिया.... हाए !!! अल्लाह.....मछली की तरह मचल कर भाई के बाहों से खुद आज़ाद किया.....और अपनी दोनो हाथो से अपने चेहरे को धक खड़ी हो गई.....



मेरे कान लाल हो चुके थे.....भाई ने सोचा उसने कुछ गड़बड़ कर दिया....घबड़ाता हुए मेरे चेहरे को अपने हाथो में ले बोला....स...सॉरी...वो मैने....वो मेरी हथेलियों को मेरे चेहरे से हटाने की कोशिश करने लगा....थोड़ा नाटक करते हुए मैने हथेलियों को चेहरे पर से हटा दिया....और गर्दन नीचे कर खड़ी हो गई....चेहरा पूरा सुर्ख लाल...आँखे नीचे झुकी हुई......



भाई ने देखा मैं रो नही रही तो उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी ठुड्डी पकड़ उपर करते हुए मेरी आँखो में झँकते हुए बोला....सॉरी...रबिया....वो तू इतनी प्यारी लग रही थी......मैं उसका हाथ हटा बोली...धत !...आप बारे बदमाश हो छोड़ो .....मैं दूर ज़ाने का नाटक करने लगी तो भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया....अर्रे रुक तो सही....हाथ छुड़ाने कोशिश करते थोड़ा शरमाने का नाटक करते हुए बोली.... हाए !!! नही छोड़ो आप बहुत ख़राब हो.....अरे क्या रबिया प्लीज़ नाराज़ मत हो....इतनी प्यारी लग रही थी इसलिए.....धत !....हाथ छोड़ो ...उई अल्लाह कितनी ज़ोर से कलाई पकड़ी है.....छोड़ो ना भाई..... चलना नही है क्या.....

हा हा चलना है ना...चलो....हाथ छोड़ता हुआ भाई बोला......फिर हम दोनो बाहर आ गये.....बाइक पर मैं जान-बूझ कर दोनो पैर एक तरफ करके बैठी.....मैं अपनी तरफ से कोई मौका नही देना चाहती थी.....भाई ने बाइक स्टार्ट करते हुए पुछा ....ठीक से बैठ गई ना.....हा हा ...साला सोच रहा होगा काश मैं दोनो पैर दोनो तरफ करके बैठती.....फिर हम समंदर किनारे पहुचे....थोड़ी देर तक ऐसे ही ठंडी हवओ का मज़ा लेते रहे....वही एक छोटे से रेस्टोरेंट में खाना खाया....फिर भाई ने एक आइस-क्रीम ख़रीदा और मुझे दिया.....



मैं लेकर खाने लगी.....भाई एक तक मुझे देख रहा था....अंजन बनती हुई मैं बोली....क्या है..... भाई मुस्कुराते हुए बोला....कुछ नही....अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा..... मैं मुस्कुराते हुए बोली...आइस-क्रीम खाओगे क्या.....उसने मुस्कुराते हुए मेरी और देखा....मैने आँखे नचा कर जीभ निकाल कर दिखा दिया......भाई की हिम्मत बढ़ी.....मेरा हाथ पकड़ आइस-क्रीम थोड़ा सा चाट लिया....मैं बच्चो की तरह उछल कर नाटक करते हुए बोली....उउउ.....मैं नही देती अपना क्यों नही लिया......तेरा झूठा खाने की आदत हो गई है ना.....मैने शरमाने का नाटक किया......हट गंदे.....फिर प्यार से आइस-क्रीम उसके मुँह से लगा दिया.....

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