स्वामी जी का कमाल--2 .
सुबू की बेहन रश्मि की चुदाई सुबू स्वामीजी से अलग हुई और कपड़े पहनने
लगी. स्वामीजी ने भी कपड़े पहन लिए. सुबू अंदर गयी और 5000 रुपये ले कर
आई और स्वामीजी को देने लगी, `स्वामीजी , ये लीजीए मेरी तरफ से भेंट.` `
ये क्या है?` `स्वामीजी आप ने मेरी इतनी अच्छी चुदाई की, आप इसे ले
लीजिए` `नहीं सुबू, में चुदाई के पैसे नहीं लेता, और ना मुझे इनकी ज़रूरत
है. हमारे आश्रम के पास बहुत पैसा है. हां अगर तुम इच्छा रखती हो तो में
1000 रुपये रख लेता हूँ , क्यों की हम इस शहर में भी आश्रम खोल रहे हैं.`
` ठीक है स्वामीजी, फिर आप बैठिए, में आप के लिए खाना बनाती हूँ`. `ठीक
है ` कह कर स्वामी जी बैठ गये. सुबू दूध भरा गिलास और ड्राइ फ्रूट लाई और
हंस कर बोली, `स्वामीजी आप ने बहुत मेहनत की है ये पीलीजिए, तब में खाना
बनाती हूँ`स्वामीजी भी हँसने लगे. खाना ख़तम हो गया. सुबू और स्वामी जी
सोफा पर बैठ गये.सुबू नें पूछा, ` अब कब आओगे स्वामी जी ?` `जब तुम
बुलाओ` ` मेरा क्या में तो कहती हों जाओ ही मत, दिन रात मुझेचोद्ते रहो`
`नहीं, पर तुम जब कहो में आ जाऊँगा` `जल्दी से जल्दी कब आ सकते हैं` सुबू
की आँखों के सामने स्वामीजी का लंड घूमने लगा. `ठीक है आज मँगवार है अगले
मंगलवार को आऊंगा` वो बातें कर ही रहे थे की रश्मि आ गयी. स्वामीजी को
देख कर वो रुक गयी. सुबू ने दोनो का परिचाए करवाया,` स्वामीजी ये मेरी
बेहन रश्मि है, रस्मी ये स्वामीजी हें प्रणाम करो`. रश्मि नें प्रणाम
किया और बोली,` दीदी में ज़रा फ्रेश हो लूँ`. ` सुबू बोली ठीक है जा.
स्वामीजी भी जाने वाले हें` रस्मी चली गयी. स्वामी जी नें पूछा, `सुबू
तुम इस लड़की की चुदाई की बात कर रही थी?` ` हां स्वामीजी`. `मगर क्यूँ,
ये तो कुँवारी है. मेने तुम्हें चोदा है इसका मतलब ये नही की में कुँवारी
लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद करूँ. चुदाई मेरा पेशा नहीं है. में केवल
उनें ही चोद्ता हूँ जो अपने विवाहित जीवन से निराश होती हैं. इसे
चोदुन्गा तो इसकी सील टूट जाएगी चूत खुल जाएगी. ये इसके पति के साथ धोका
होगा ` स्वामीजी में आपकी भावनाओं की कदर करती हूँ मगर ये मेरी बेहन मेरी
देवरानी बन-ने वाली है और मेरा देवर मनोज भी मेरे पति रामजी की तरहा
नमार्द है. जहाँ तक सील का स्वाल है उसका लंड तो सील तक पहुचेगा भी नहीं
फिर जब मेरी तरहा कल भी चुदाई बाहर से ही करवानी है तो आज ही क्यों
नहीं.आआप परेशान ना हों और अगली बार इसकी भी चुदाई करें.` `अगर ये बात है
तो ठीक है, में अपने एक चेले को भी ले कर आऊंगा. मगर एक बात बताओ, तुम्हे
कैसे मालूम की मनोज भी नमार्द है, क्या उस-से भी चुदाई करवाई थी` `हाँ
स्वामीजी, जब रामजी मेरी प्यास नहें बुझा सका तो मेने मनोज को फँसाया, पर
वो भादुआ तो रामजी से भी बेकार निकला.` ` तो फिर तुम रश्मि की शादी इस-से
क्यों करवा रही हो` ` स्वामीजी जी , ये मेरे सामने रहेगी तो दिल को
तस्सली रहेगी. अगर कहीं और शादी हो गयी और भी कोई नमार्द ही मिल गया तो
क्या होगा . अपनी हालत देख कर मन डरने लगा है. बस अब आप हम दोनो बहनों को
चोद्ते रहिए` `ठीक है तो फिर अगले मंगलवार को अपने चेले के साथ आता हूँ.
` फिर धीरे से बोले, ` मेरा चेला तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ होगा`. सुबू
कुछ समझी नहीं. स्वामीजी चले गये. रश्मि बाहर आई, ` क्या स्वामीजी चले
गये दीदी?` ` दीदी एक बात पूछूँ, आज बड़ी खुश लग रही हो क्या बात है?`
सुबू शरमाई, `नही बस ऐसे ही`. `नही दीदी कुछ तो है , बताओ ना`. ` अरी कुछ
नहीं, अच्छा एक बात तो बता, कॉलेज में तेरा कोई बाय्फ्रेंड है?` रश्मि
हैरान हो गयी. दीदी नें कभी उस-से ऐसी बात नही की थी.बोली,` नहीं दीदी."
` पर आज कल तो सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड्स होते हैं` ` हां पर मेरी शादी
भी तो तय हो गयी है` ये कहते हुए वो कुछ उदास हो गयी. वो मनोज और रामजी
जीजा जी के बारे में जानती और समझती थी. ` रश्मि, में जानती हूँ तू क्या
सोच रही है. तेरे जीजा जी में मर्दानगी की कमी है और मनोज भी ऐसा ही है.
फिर भी में तुम दोनो की शादी करवा रही हूँ. रश्मि में ये इस लिए कर रही
हूँ की इस-से तुम मेरे पास तो रहोगी. कहीं दूसरी जगहा भी ऐसा आदमी मिल
गया तो क्या होगा? या तो फिर तुम ही अपने लिए कोई ढूंड लो जो पूरा मर्द
हो. मगर एक बात है यहाँ ढेर सारा पैसा और आज़ादी है , कोई रोक टोक नही.
अगर थोड़ा सोच समझ कर चलें तो सब ठीक हो सकता है. आ इधर मेरे पास आ. तू
कह रही थी ना की आज में बहुत खुश हूँ, हां ये सच है, आज में खुश हूँ. तू
मेरी बेहन ही नहीं मेरी सहेली भी है. हम दोनो एक ही नाव के सवार हें. हमे
एक दूसरे का राज़दार भी बन-ना है. ये जो स्वामी जी आए थे, ये आज मुझे दो
बार चोद कर गये हैं. मेरी तस्सली हो गयी है. अगले मंगलवार को फिर आएँगे
और साथ इनका एक चेला भी होगा. अगली बार में चाहती हूं की तू भी चुदाई
करवा और मज़ा ले.` `मगर दीदी…….. .` `नहिएं रश्मि, में तड़पति रही हूँ
सेक्स के लिए, में तुझे तड़पने नहीं दूँगी.` ये कह कर सुबू नें रश्मि को
बाहों में ले लिया, और अंजाने ही उसके होंठ चूसने लगी……. ………
स्वामी जी का कमाल
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Re: स्वामी जी का कमाल
सुबू और
रश्मि देर तक एक दूसरे से लिपटी रही.अलग हुई तो दोनो की आँखें गुलाबी हो
रही थी. दोनो कामुक थी, और चूत गीली हो रही थी.सुबू को तो फिर स्वामीजी
की याद आ गयी. चूत फिर लंड माँगनें लगी. बड़ी मुश्किल से अपने मन पर काबू
किया. रश्मि को एक बार फिर चूमा और पूछा,` रश्मि सच सच बताओ, तुमने कभी
चूत नही चुदवाइ?` ` नहीं दीदी, सच`. `कभी दिल नहीं करता था ?` ` दिल तो
करता था, पर मेरी सहेली रेखा और में मूली चूत में डाल कर मज़ा लेती थी.`
`मूलीइीईई, ` सुबू हैरानी से चिल्लाई और हँसने लगी, `मेने सुना था की
जवान लड़किया केला चूत में लेती हैं या आजकल रब्बर या प्लास्टिक के लंड
मिलते हैं, पर ये मूली ? में कुछ समझी नही इसका मतलब है कुछ भी डाल लो
चूत में, लौकी, तौरई…कुछ भी? `अर्रे दीदी, ये कोइमामूली मूली नही होती,
इसे स्पेशल बनाया जाता है` `स्पेशल बनाया जाता है, वो कैसे?` `देखो दीदी,
पहले तो अपनी चूत के साइज़ के अनुसार मूली मूली सेलेक्ट कर लो. फिर इसे
7-8 दिन के लिए कहीं रख दो. 7-8 दिन के बाद ये नरम हो जाएगी- बिल्कुल लंड
की तरहा नरम और फ्लेक्सिबल- चूत को ना दुखाने वाली. बस मूली लंड तैयार
है. क्रीम लगाओ और जितना चाहे अंदर लो और जैसे चाहे चोदो.` `कमाल है, तू
कितनी बड़ी मूली लेती है ?` रश्मि नें हाथ से गोलाई और लंबाई बताई. सुबू
नें देखा, मूली का लंड स्वामीजी के लंड बहुत छोटा था. सुबू को तस्सली हुई
की रश्मि अभी चुड़दक़्कड़ नही हुई थी और स्वामी के लंड का पूरा मज़ा
लेगी. बोली, ` बस इतना ही.` `हां दीदी,में तो इतना ही लेती थी, पर रेखा
काफ़ी बड़ी मूली लेती थी.` फिर शरारत से बोली,` दीदी आप भी ले कर देखो ना
कभी.` `हॅट, तू भी एक बार स्वामीजी से चुद जा, मूली भूल जाएगी.` दोनो
बहनें हँसनें लगी. दिन बीत गये . मंगलवार आ गया. सुभह से ही सुबू स्वामी
जी का इंतेज़ार कर रही थी. 11 बजे डोरबेल बजी. सुबू भागी और दरवाजा खोला.
स्वामी जी ही थे. अपने चेले के साथ.चेला भी गुरु की तरह मस्त था. गोरा
लंबा, लेकिन क्लीन शेव. सुबू सोचने लगी रश्मि की चुदाई मस्त होगी. `आइए
स्वामी जी स्वागत है.` स्वामी जी अंदर आए और सोफा पर बैठ गये, और बोले `
सुबू ये है हमारा चेला. हम डाल है तो ये पात. हम से दो कदम आगे.` सुबू
शर्मा गयी, और चेले की तरफ देख भी नहीं सकी. स्वामी जी बोले, ` सुबू,
वक़्त कम है, क्या कहती हो. रश्मि घर में है क्या ?` `हाँ स्वामीजी` ` तो
फिर देर किस बात की है.` `वो शर्मा रही है स्वामीजी` `ओह तो फिर में जा
कर लाता हूँ`. `नहीं स्वामी जी में जाती हूँ और ले कर आती हूँ.` सुबू
अंदर गयी और कुछ देर बाद रश्मि के साथ वापस आ गयी……. सुबू रश्मि को ले कर
आ गयी. स्वामी जी नें अपने पास जगह बनाते हुए कहा, ` आओ रश्मि मेरे पास
बैठो.` रश्मि शरमाती शरमाती स्वामी जी के पास बैठ गयी. स्वामी जी बोले, `
रश्मि एक बात बताओ, क्या सुबू नें तुम्हें कुछ समझाया है, तुम समझ रही हो
ना.` रश्मि नें हां में सर हिलाया. स्वामी जी बोले, ` तो फिर शरम का परदा
उतार दो और पूरा मज़ा लो. क्या तुम तैयार हो रश्मि? में बार बार इस लिए
पूछ रहा हूंकि में किसी लड़की पर कोई ज़ोर ज़बदस्ती नही करता, बोलो
रश्मि.` रश्मि नें स्वामीजी के तरफ देखा और हां में सर हिला दिया.
स्वामीजी बोले, `तो ठीक है सुबू हमे सॉफ सॉफ बात करने चाहिए. में रश्मि
को चोदुन्गा और ये मेरा चेला तुम्हारी चुदाई करेगा.` सुबू को अच्छा नहीं
लगा. वो तो स्वामीजी का लंड लेना चाहती थी. स्वामीजी उसके चेहरे के भाव
पढ़ गये," सुबू चिंता मत करो, ये हमारा चेला चुदाई में हमारा गुरु है.
मेने तुम्हें कहा था ना की में तुम्हारे लिए सर्प्राइज़ लाऊंगा, ये है वो
सर्प्राइज़. दूसरी बात ये जवान है नातुज़रबेकार है रश्मि अभी नयी है , ये
उसकी चूत को नुकसान पहुँचा सकता है. रश्मि को मुझे ही चोदने दो. और एक
बात, इसका लंड ले कर तुम मेरा लंड भूल जाओगी.` सुबू अनमने मॅन से बोली,`
स्वामीजी में आपके लंड को भूलना नहीं चाहती, पर आप कहते हेँ तो ठीक है.
मगर स्वामीजी आप दोनो हम दोनो को यहीं चोदोगे?` स्वामी जी बोले ,` यहीं
ठीक रहेगा , अपनी चुदाई के साथ दूसरे की भी चुदाई देखो`. ये कह कर
उन्हों-ने सुबू को बाहों में भर कर चूम लिया और चेले से बोले, `लो
नारायण, इनकी कामाग्नि को शांत करो`.और खुद उन्होंने रश्मि को बाहों मे
ले लिया. स्वामीजी नें रश्मि के और नारायण नें सुबू के कपड़े उतार दिए.
दोनो उन्हें बेतहाशा चूमने लगे. दोनो औरतें गरम हो गयी.सुबू नें तो
नारारण का लंड हाथ में लिया और उसे एकदम शॉक लगा. स्वामी जी का लंड देखने
के बाद वो सोच रही थी की इस-से बड़ा लंड हो ही नहीं सकता, पर ये…..ये तो
गधे के लंड जैसा था. स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे , ये लंड रश्मि की
कुँवारी चूत को फाड़ सकता था.सुबू से रहा नहीं गया. वो जल्दी से जल्दी
नारायण का लंड देखना चाहती थी. उसने नारायण के कपड़े उतार दिए. नारायण का
लंड ऐसे था मानो संसार मे नारायण का लंडसिर्फ़ एक बड़ा लंड है. सुबू नें
एक नज़र स्वामी जी की तरफ डाली. दोनो की नज़रा टकराई. सुबू की आखों में
ऐसा लंड देने के लिए स्वामीजी के लिए आभार था. स्वामी जी मुस्कुराए और
रश्मि को गरम करने में जुट गये. रश्मि नें जब स्वामीजी का लंड देखा तो
घबरा गयी. उसने सुबू की तरफ देखा मगर वो नारायण के साथ मस्त थी.
रश्मि देर तक एक दूसरे से लिपटी रही.अलग हुई तो दोनो की आँखें गुलाबी हो
रही थी. दोनो कामुक थी, और चूत गीली हो रही थी.सुबू को तो फिर स्वामीजी
की याद आ गयी. चूत फिर लंड माँगनें लगी. बड़ी मुश्किल से अपने मन पर काबू
किया. रश्मि को एक बार फिर चूमा और पूछा,` रश्मि सच सच बताओ, तुमने कभी
चूत नही चुदवाइ?` ` नहीं दीदी, सच`. `कभी दिल नहीं करता था ?` ` दिल तो
करता था, पर मेरी सहेली रेखा और में मूली चूत में डाल कर मज़ा लेती थी.`
`मूलीइीईई, ` सुबू हैरानी से चिल्लाई और हँसने लगी, `मेने सुना था की
जवान लड़किया केला चूत में लेती हैं या आजकल रब्बर या प्लास्टिक के लंड
मिलते हैं, पर ये मूली ? में कुछ समझी नही इसका मतलब है कुछ भी डाल लो
चूत में, लौकी, तौरई…कुछ भी? `अर्रे दीदी, ये कोइमामूली मूली नही होती,
इसे स्पेशल बनाया जाता है` `स्पेशल बनाया जाता है, वो कैसे?` `देखो दीदी,
पहले तो अपनी चूत के साइज़ के अनुसार मूली मूली सेलेक्ट कर लो. फिर इसे
7-8 दिन के लिए कहीं रख दो. 7-8 दिन के बाद ये नरम हो जाएगी- बिल्कुल लंड
की तरहा नरम और फ्लेक्सिबल- चूत को ना दुखाने वाली. बस मूली लंड तैयार
है. क्रीम लगाओ और जितना चाहे अंदर लो और जैसे चाहे चोदो.` `कमाल है, तू
कितनी बड़ी मूली लेती है ?` रश्मि नें हाथ से गोलाई और लंबाई बताई. सुबू
नें देखा, मूली का लंड स्वामीजी के लंड बहुत छोटा था. सुबू को तस्सली हुई
की रश्मि अभी चुड़दक़्कड़ नही हुई थी और स्वामी के लंड का पूरा मज़ा
लेगी. बोली, ` बस इतना ही.` `हां दीदी,में तो इतना ही लेती थी, पर रेखा
काफ़ी बड़ी मूली लेती थी.` फिर शरारत से बोली,` दीदी आप भी ले कर देखो ना
कभी.` `हॅट, तू भी एक बार स्वामीजी से चुद जा, मूली भूल जाएगी.` दोनो
बहनें हँसनें लगी. दिन बीत गये . मंगलवार आ गया. सुभह से ही सुबू स्वामी
जी का इंतेज़ार कर रही थी. 11 बजे डोरबेल बजी. सुबू भागी और दरवाजा खोला.
स्वामी जी ही थे. अपने चेले के साथ.चेला भी गुरु की तरह मस्त था. गोरा
लंबा, लेकिन क्लीन शेव. सुबू सोचने लगी रश्मि की चुदाई मस्त होगी. `आइए
स्वामी जी स्वागत है.` स्वामी जी अंदर आए और सोफा पर बैठ गये, और बोले `
सुबू ये है हमारा चेला. हम डाल है तो ये पात. हम से दो कदम आगे.` सुबू
शर्मा गयी, और चेले की तरफ देख भी नहीं सकी. स्वामी जी बोले, ` सुबू,
वक़्त कम है, क्या कहती हो. रश्मि घर में है क्या ?` `हाँ स्वामीजी` ` तो
फिर देर किस बात की है.` `वो शर्मा रही है स्वामीजी` `ओह तो फिर में जा
कर लाता हूँ`. `नहीं स्वामी जी में जाती हूँ और ले कर आती हूँ.` सुबू
अंदर गयी और कुछ देर बाद रश्मि के साथ वापस आ गयी……. सुबू रश्मि को ले कर
आ गयी. स्वामी जी नें अपने पास जगह बनाते हुए कहा, ` आओ रश्मि मेरे पास
बैठो.` रश्मि शरमाती शरमाती स्वामी जी के पास बैठ गयी. स्वामी जी बोले, `
रश्मि एक बात बताओ, क्या सुबू नें तुम्हें कुछ समझाया है, तुम समझ रही हो
ना.` रश्मि नें हां में सर हिलाया. स्वामी जी बोले, ` तो फिर शरम का परदा
उतार दो और पूरा मज़ा लो. क्या तुम तैयार हो रश्मि? में बार बार इस लिए
पूछ रहा हूंकि में किसी लड़की पर कोई ज़ोर ज़बदस्ती नही करता, बोलो
रश्मि.` रश्मि नें स्वामीजी के तरफ देखा और हां में सर हिला दिया.
स्वामीजी बोले, `तो ठीक है सुबू हमे सॉफ सॉफ बात करने चाहिए. में रश्मि
को चोदुन्गा और ये मेरा चेला तुम्हारी चुदाई करेगा.` सुबू को अच्छा नहीं
लगा. वो तो स्वामीजी का लंड लेना चाहती थी. स्वामीजी उसके चेहरे के भाव
पढ़ गये," सुबू चिंता मत करो, ये हमारा चेला चुदाई में हमारा गुरु है.
मेने तुम्हें कहा था ना की में तुम्हारे लिए सर्प्राइज़ लाऊंगा, ये है वो
सर्प्राइज़. दूसरी बात ये जवान है नातुज़रबेकार है रश्मि अभी नयी है , ये
उसकी चूत को नुकसान पहुँचा सकता है. रश्मि को मुझे ही चोदने दो. और एक
बात, इसका लंड ले कर तुम मेरा लंड भूल जाओगी.` सुबू अनमने मॅन से बोली,`
स्वामीजी में आपके लंड को भूलना नहीं चाहती, पर आप कहते हेँ तो ठीक है.
मगर स्वामीजी आप दोनो हम दोनो को यहीं चोदोगे?` स्वामी जी बोले ,` यहीं
ठीक रहेगा , अपनी चुदाई के साथ दूसरे की भी चुदाई देखो`. ये कह कर
उन्हों-ने सुबू को बाहों में भर कर चूम लिया और चेले से बोले, `लो
नारायण, इनकी कामाग्नि को शांत करो`.और खुद उन्होंने रश्मि को बाहों मे
ले लिया. स्वामीजी नें रश्मि के और नारायण नें सुबू के कपड़े उतार दिए.
दोनो उन्हें बेतहाशा चूमने लगे. दोनो औरतें गरम हो गयी.सुबू नें तो
नारारण का लंड हाथ में लिया और उसे एकदम शॉक लगा. स्वामी जी का लंड देखने
के बाद वो सोच रही थी की इस-से बड़ा लंड हो ही नहीं सकता, पर ये…..ये तो
गधे के लंड जैसा था. स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे , ये लंड रश्मि की
कुँवारी चूत को फाड़ सकता था.सुबू से रहा नहीं गया. वो जल्दी से जल्दी
नारायण का लंड देखना चाहती थी. उसने नारायण के कपड़े उतार दिए. नारायण का
लंड ऐसे था मानो संसार मे नारायण का लंडसिर्फ़ एक बड़ा लंड है. सुबू नें
एक नज़र स्वामी जी की तरफ डाली. दोनो की नज़रा टकराई. सुबू की आखों में
ऐसा लंड देने के लिए स्वामीजी के लिए आभार था. स्वामी जी मुस्कुराए और
रश्मि को गरम करने में जुट गये. रश्मि नें जब स्वामीजी का लंड देखा तो
घबरा गयी. उसने सुबू की तरफ देखा मगर वो नारायण के साथ मस्त थी.
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Re: स्वामी जी का कमाल
स्वामीजी
रश्मि की उलझन को समझ गये. बोले ` रश्मि घबराओ मत. में तुम्हारी चूत में
उतना ही लंड डालूँगा जितना तुम ले सकोगी. अब शरम उतार दो और मस्ती करो.
देखो सुबू कैसी मस्ती कर रही है.` रश्मि नें उधर देखा. सुबू नारायण का
लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा लंड मुँह में
समा नही रहा था. रश्मि सोचने लगी अगर ये लंड मुँह में नही जा रहा तो चूत
में कैसे जाएगा. जब रश्मि की ख्याल टूटा तो देखा की स्वामीजी अपना लंड
उसके मुँह के पास ले आए है. रश्मि नें सोचा जब चुदवाना ही है तो फिर शर्म
कर क्या फाय्दा. स्वामीजी सही कह रहे थे . रश्मि ने स्वामी जी का लंड
मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. पहली बार लंड मुँह में गया था, रश्मि
तो निहाल हो गयी. उसे मालूम नही था कि लंड की चुसाइ इतनी मस्त होती
है.रस्मी ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी. स्वामीजी मस्ती में आ गये. रश्मि
को लिटा कर उसकी चूत चूसने लगे. उधर सुबू के मुँह में नारायण का लंड समा
नही रहा था. मगर वो इस जंबो लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थीसुबूने
लंड चूसना बंद किया और प्यासी नज़रों से नारायण को देखा. नारायण समझ गया
की सुबू अंदर लेना चाहती है. अब तक नारायण शांत था. जैसे ही चुदाई का
टाइम आया वो जानवर बन गया. सुबू की टाँगें उठा कर उसने अपनें कंधों पर रख
दी और एक ही झटके में लंड सुबू की चूत में घुसेड दिया. सुबू को लगा की
कोई अंगारा उसकी चूत में चला गया हो. वो ज़ोर से चीखी, `हाई में मर गयी ,
स्वामीजी मुझे बचाओ इस-से, इसने मेरी चूत का कबाड़ा कर दिया, ये किस को
ले आए आप. ये तो जानवर है.` मगर नारायण चोदता जा रहा था. कोई तरस नही कोई
रहम नही. नारायण के धक्के सुबू कीजान निकाल रहे थे. उधर सुबू की हालत देख
कर रश्मि डर गयी. मगर स्वामीजी ने उसे हिम्मत बँधाई, ` डरो मत तुम्हारी
दीदी अभी ठीक हो जाएगी. अब तुम भी अपनी टाँगें खोलो ओए मेरा लंड ले लो.
रश्मि अब तक पतली छोटी मूली ही चूत में लेती थी,इतना बड़ा लंड कैसे चूत
में जाएगा समझ नही पा रही थी.स्वामी जी नें उसकी टाँगें फैलाई और अपना
लंड रश्मि की चूत पर रख दिया (मगर अंदर नही डाला) कुछ देर ऐसे ही लेटे
रहे. रश्मि अंदर लेने की इच्छा करने लगी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी.
स्वामीजी जी नें लंड थोड़ा सा अंदर डाला और रुक गये. ऐसे ही कुछ देर चलता
रहा. स्वामी जी का आधा लंड अंदर जा चुका था.रस्मी पेशोपश में थी के और
लंड ले तो कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी? दिल तो चाह रहा था मगर दरद से डर रही
थी. मस्ती डर पर हावी थी. एक बार फिर लंड लेने के लिए हिली, और स्वामीजी
नें एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया. बकरी को एक दिन तो हलाल होना
ही था. `आआआआअ.. …….मर गइईई, डिडियीयैआइयीयिमिन मर गइईए. मेरी चूऊऊओत
फाड़ दी स्वामीजी नें. दीदी प्लीज़ मुझे बचाओ.` सुबू उसे क्या बचाती.
उसकी तो अपनी चूत का भोसड़ा बन रहा था. नारायण वहशयों की तरहा सुबू की
चुदाई कर रहा था.उधर स्वामीजी ने थोडा रुक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
दर्द का अहसास कम हो रहा था. मस्ती दोनो बहनों पर हावी हो रही थी. चीखो
के जगहा सिसकारियों ने ले ली थी. दोनो बहनें बड़बड़ा रही थी, ` हां
स्वामीजी मज़ा आ रहा हाइपर ज़रा धीरे चोदो. आआअहह. …स्वामी जी आआआ. पूरा
जा रहा है . हाआन नारायण तुम आदमी हो की जानवर. कैसे चोद्ते हो. पर आहह
ऐसे ही, ऐसे हीईई….. हन्न्न…. ऐसे ही चोदो. साले कितना मोटा है
तेरा…..स्वामीजी ठीक ही कहते थे….. साले तू रश्मि की तो फाड़ ही देता.
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नारया…… ..ज़रा लंबे लगाओ.आआहहस्वँ ई जी आआहह क्या
मस्त चला लाए हूऊ……. आआअहहस्वँ ईज़ी रशमी को ज़बरदस्त चोदो. कोई हसरत ना
रह जाए.` उधर रशमी चिल्ला रही थी, ` डीडीिईई…. म्ज़ा आआआअ…. गया मेरपयारी
दीदी……क्या स्वरग की सैर करवाई है……स्वामीजी तो मस्त चोद रहे हैं आआआआ….
स्वामीजी …स्वामीजी …..करो स्वामीजी ज़ोर से करो…..हाए ये क्या हो रहा
है…….स्वामीजी ….प्लीज़ स्वामीजी …….चोदो. …जैसे मेरी दीदी को चोदा
था……..आआहह हौर रश्मि ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछालने लगी. स्वामीजी समझ गये
की लड़की गयी. उन्हों-ने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. टाइट चूत ने उन्हें
भी मस्त कर दिया. उन्हों-ने भी मज़ा लेने का मंन बना लिया. रश्मि चिल्ला
रही थी, ` स्वामी जी ज़ोर से चोदो आज तो कमाल हो गया. है दीदी अब हमेशा
चुदवाउन्गि स्वामीजी ……स्वामीजी. …..स्वाआआआअ म्म्म्मीईज्ज्ज्जीइ. ….
..आआआआ आआआ`. उधेर स्वामीजी भी झाड़ गये,`आबीयेयेयीयायग गग्ग्घगया
…..सुबू तुम्हारी बेहन बड़ी सेक्सी है…….आआअहह हह`. सुबू और नारायण की
कुश्ती जारी थी. सुबू उचक उचक कर चुदवा रही थी. पूरी चूत लंड से भरी हुई
थी. रश्मि सुबू के पास आ कर बैठ गयी और चुदाई देखने लगी नारायण का मोटा
लंड जब बाहर निकलता था तो चूत की स्किन भी बाहर आ जाती थी. दोनो मस्ती
में ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे दुनिया से बेख़बर. रश्मि ने स्वामीजी की
तरफ देखा जो नंगे लेटे हुए थे. रश्मि नें उनका लंड चूसना शुरू कर दिया.
अब वो भी सुबू की तराहा लंड की प्यासी थी. स्वामीजी से दोबारा चुदने के
लिए तैयार….. ……… ….एंड ऑफ पार्ट2.
रश्मि की उलझन को समझ गये. बोले ` रश्मि घबराओ मत. में तुम्हारी चूत में
उतना ही लंड डालूँगा जितना तुम ले सकोगी. अब शरम उतार दो और मस्ती करो.
देखो सुबू कैसी मस्ती कर रही है.` रश्मि नें उधर देखा. सुबू नारायण का
लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा लंड मुँह में
समा नही रहा था. रश्मि सोचने लगी अगर ये लंड मुँह में नही जा रहा तो चूत
में कैसे जाएगा. जब रश्मि की ख्याल टूटा तो देखा की स्वामीजी अपना लंड
उसके मुँह के पास ले आए है. रश्मि नें सोचा जब चुदवाना ही है तो फिर शर्म
कर क्या फाय्दा. स्वामीजी सही कह रहे थे . रश्मि ने स्वामी जी का लंड
मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. पहली बार लंड मुँह में गया था, रश्मि
तो निहाल हो गयी. उसे मालूम नही था कि लंड की चुसाइ इतनी मस्त होती
है.रस्मी ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी. स्वामीजी मस्ती में आ गये. रश्मि
को लिटा कर उसकी चूत चूसने लगे. उधर सुबू के मुँह में नारायण का लंड समा
नही रहा था. मगर वो इस जंबो लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थीसुबूने
लंड चूसना बंद किया और प्यासी नज़रों से नारायण को देखा. नारायण समझ गया
की सुबू अंदर लेना चाहती है. अब तक नारायण शांत था. जैसे ही चुदाई का
टाइम आया वो जानवर बन गया. सुबू की टाँगें उठा कर उसने अपनें कंधों पर रख
दी और एक ही झटके में लंड सुबू की चूत में घुसेड दिया. सुबू को लगा की
कोई अंगारा उसकी चूत में चला गया हो. वो ज़ोर से चीखी, `हाई में मर गयी ,
स्वामीजी मुझे बचाओ इस-से, इसने मेरी चूत का कबाड़ा कर दिया, ये किस को
ले आए आप. ये तो जानवर है.` मगर नारायण चोदता जा रहा था. कोई तरस नही कोई
रहम नही. नारायण के धक्के सुबू कीजान निकाल रहे थे. उधर सुबू की हालत देख
कर रश्मि डर गयी. मगर स्वामीजी ने उसे हिम्मत बँधाई, ` डरो मत तुम्हारी
दीदी अभी ठीक हो जाएगी. अब तुम भी अपनी टाँगें खोलो ओए मेरा लंड ले लो.
रश्मि अब तक पतली छोटी मूली ही चूत में लेती थी,इतना बड़ा लंड कैसे चूत
में जाएगा समझ नही पा रही थी.स्वामी जी नें उसकी टाँगें फैलाई और अपना
लंड रश्मि की चूत पर रख दिया (मगर अंदर नही डाला) कुछ देर ऐसे ही लेटे
रहे. रश्मि अंदर लेने की इच्छा करने लगी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी.
स्वामीजी जी नें लंड थोड़ा सा अंदर डाला और रुक गये. ऐसे ही कुछ देर चलता
रहा. स्वामी जी का आधा लंड अंदर जा चुका था.रस्मी पेशोपश में थी के और
लंड ले तो कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी? दिल तो चाह रहा था मगर दरद से डर रही
थी. मस्ती डर पर हावी थी. एक बार फिर लंड लेने के लिए हिली, और स्वामीजी
नें एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया. बकरी को एक दिन तो हलाल होना
ही था. `आआआआअ.. …….मर गइईई, डिडियीयैआइयीयिमिन मर गइईए. मेरी चूऊऊओत
फाड़ दी स्वामीजी नें. दीदी प्लीज़ मुझे बचाओ.` सुबू उसे क्या बचाती.
उसकी तो अपनी चूत का भोसड़ा बन रहा था. नारायण वहशयों की तरहा सुबू की
चुदाई कर रहा था.उधर स्वामीजी ने थोडा रुक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
दर्द का अहसास कम हो रहा था. मस्ती दोनो बहनों पर हावी हो रही थी. चीखो
के जगहा सिसकारियों ने ले ली थी. दोनो बहनें बड़बड़ा रही थी, ` हां
स्वामीजी मज़ा आ रहा हाइपर ज़रा धीरे चोदो. आआअहह. …स्वामी जी आआआ. पूरा
जा रहा है . हाआन नारायण तुम आदमी हो की जानवर. कैसे चोद्ते हो. पर आहह
ऐसे ही, ऐसे हीईई….. हन्न्न…. ऐसे ही चोदो. साले कितना मोटा है
तेरा…..स्वामीजी ठीक ही कहते थे….. साले तू रश्मि की तो फाड़ ही देता.
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नारया…… ..ज़रा लंबे लगाओ.आआहहस्वँ ई जी आआहह क्या
मस्त चला लाए हूऊ……. आआअहहस्वँ ईज़ी रशमी को ज़बरदस्त चोदो. कोई हसरत ना
रह जाए.` उधर रशमी चिल्ला रही थी, ` डीडीिईई…. म्ज़ा आआआअ…. गया मेरपयारी
दीदी……क्या स्वरग की सैर करवाई है……स्वामीजी तो मस्त चोद रहे हैं आआआआ….
स्वामीजी …स्वामीजी …..करो स्वामीजी ज़ोर से करो…..हाए ये क्या हो रहा
है…….स्वामीजी ….प्लीज़ स्वामीजी …….चोदो. …जैसे मेरी दीदी को चोदा
था……..आआहह हौर रश्मि ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछालने लगी. स्वामीजी समझ गये
की लड़की गयी. उन्हों-ने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. टाइट चूत ने उन्हें
भी मस्त कर दिया. उन्हों-ने भी मज़ा लेने का मंन बना लिया. रश्मि चिल्ला
रही थी, ` स्वामी जी ज़ोर से चोदो आज तो कमाल हो गया. है दीदी अब हमेशा
चुदवाउन्गि स्वामीजी ……स्वामीजी. …..स्वाआआआअ म्म्म्मीईज्ज्ज्जीइ. ….
..आआआआ आआआ`. उधेर स्वामीजी भी झाड़ गये,`आबीयेयेयीयायग गग्ग्घगया
…..सुबू तुम्हारी बेहन बड़ी सेक्सी है…….आआअहह हह`. सुबू और नारायण की
कुश्ती जारी थी. सुबू उचक उचक कर चुदवा रही थी. पूरी चूत लंड से भरी हुई
थी. रश्मि सुबू के पास आ कर बैठ गयी और चुदाई देखने लगी नारायण का मोटा
लंड जब बाहर निकलता था तो चूत की स्किन भी बाहर आ जाती थी. दोनो मस्ती
में ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे दुनिया से बेख़बर. रश्मि ने स्वामीजी की
तरफ देखा जो नंगे लेटे हुए थे. रश्मि नें उनका लंड चूसना शुरू कर दिया.
अब वो भी सुबू की तराहा लंड की प्यासी थी. स्वामीजी से दोबारा चुदने के
लिए तैयार….. ……… ….एंड ऑफ पार्ट2.