चुदाई का दूसरा रूप--2
गतान्क से आगे.....................
हम दोनो ने चाइ का अपना अपना कप उठाया और हम दोनो नंगे एक दूसरे के सामने
बैठ कर चाइ की चुस्कियाँ लेने लगे. मेरी आँखें चाइ पीते वक़्त भी उनके
बढ़ते हुए, लंबे होते हुए, मोटे होते हुए और खड़े होते हुए लॉड पर जी जमी
रही. हमने अपनी अपनी चाइ ख़तम की और बेडरूम मे तय्यार होने को आ गये.
उन्होने क्रीम रंग की सफ़ारी पहनी और मैने नीले रंग की सारी पहनी. वो
बहुत ही सुंदर लग रहे थे और मैने भी अपने आप को शीशे मे देखा.
मुझे देखकर वो बोले - तुम बहुत सुंदर दिख रही हो जूली जान. दिल तो करता
है कि पार्टी मे जाकर क्या करना है ? क्यों ना हम अपनी निज़ी पार्टी
मनाएँ, बिना कपड़ों के ?
मैं बोली - तुम फिर से शरारत कर रहे हो.
उत्तर मे वो हँसे और हम तय्यार हो कर पार्टी के लिए रवाना हो गये.
ये एक छ्होटी सी पार्टी थी जहाँ ज़्यादा लोग आमंत्रित नही थे. मुझे ये
लिखते हुए बहुत अच्छा लग रहा है कि उस पार्टी मे मैं सब की नज़रों का
केन्द्र थी. मैने उन औरतों की आँखों मे अपने लिए जलन देखी जिनके पति
लगातार मुझे घूरे जा रहे थे. सच कहूँ तो उन औरतों की जलन देख कर मैं खुश
हो रही थी. ये बहुत मज़ेदार पार्टी थी जो देर रात तक चली और जब हम घर
पहुँचे तो रात के 1.30 बजे थे.
हम दोनो ही बहुत थकान महसूस कर रहे थे इसलिए बिना चुदाई किए, कपड़े उतार
कर, नंगे होकर, एक दूसरे को बाहों मे ले कर हम जल्दी ही सो गये.
अगली सुबह, मेरे पति ने मेरी एक फटाफट चुदाई की और ऑफीस चले गये. मैं
कंप्यूटर पर मेरी मैल देख रही थी तो अमेरिका से किसी आदमी की चॅट
रिक्वेस्ट देखी. ज़्यादातर मैं अंजान आदमी की ऐसी रिक्वेस्ट पर ज़्यादा
ध्यान नही देती. पर पता नही क्यों, मैने वो रिक्वेस्ट आक्सेप्ट करली. फिर
मैने अपनी मैल चेक करनी और उनका जवाब देना शुरू किया.
शाम को मेरे पति ने मुझे फोन करके कहा कि उनको आज ऑफीस मे काम ज़्यादा
होने की वजह से आने मे देरी होगी. मेरे पास करने को कुछ खास नही था तो
समय बिताने के लिए मैने कंप्यूटर चालू किया. जैसे ही मैने कंप्यूटर मे
अपनी मैल खोली, अमेरिका का वही व्यक्ति, जिसकी चॅट रिक्वेस्ट मैने सुबह
स्वीकार की थी, वो लाइन पर था. मुझे भी समय बिताना था इसलिए मैं उस से
चतिंग करने लगी.
वो - हेलो जुली.
मैं - हेलो डियर. क्या तुम मुझे जानते हो?
वो - हां. मैं तुम्हे तुम्हारी चुदाई की दास्तान लिखने की वजह से जानता हूँ.
मैं - ओह. मेरे बारे मे तो तुम मेरी कहानी पढ़कर सब जानते ही हो, अपने
बारे मे बताओ.
वो - मेरा नाम राज है मैं ३८ साल का शादी शुदा मर्द हूँ
मैं - बधाई हो.
वो - धन्यवाद जूली. क्या तुम मुझ से सेक्सी चॅट करना पसंद करोगी?
मैं - क्यों नही. इसमे कोई खराबी नही.
वो - क्या तुम्हारे कंप्यूटर मे कॅमरा है?
मैं - नही...... मेरे कंप्यूटर मे कॅमरा नही है. हम बिना एक दूसरे को
देखे भी तो चॅट कर सकते है.
वो - क्यों नही. पर अगर मैं तुम्हारे सामने आऊ तो ? मैं तो तुम्हे नही
देख पाउन्गा पर तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. अगर तुम कमेरे पर आना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है.
वो - ठीक है, मैं तुम्हे निमंत्रण भेज रहा हूँ, केवल आक्सेप्ट करो, फिर
तुम मुझे देख सकती हो.
मैं - ओके. ठीक है.
चुदाइ का दूसरा रूप compleet
Re: चुदाइ का दूसरा रूप
उसने मुझे वेब कॅम का इन्विटेशन भेजा जिसे मैने आक्सेप्ट कर लिया तो मैं
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.
बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.
उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.
मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.
अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.
रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.
उसे सीधा देख पा रही थी. मैने देखा कि एक सुंदर सा लड़का कुर्सी पर बैठा
है. हमने करीब आधा घंटे बात की. वो अब मुझे भाभी कह कर बुला रहा था,
क्यों की मैं उस से बड़ी और शादीशुदा थी. वो बहुत अच्छा लड़का था जिस से
मेरी तुरंत दोस्ती हो गई.
बात करते करते, अचानक उसने पूछा कि क्या मैं उसका लंड देखना चाहती हूँ.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ और कुछ देर तक तो मैं कोई जवाब नही दे सकी. ये
मेरे साथ पहली बार था जब किसी मर्द ने अपना लंड मुझे दिखाने की पेशकश की
थी. मैने कुछ देर तो सोचा और उसको हां कह दी, क्यों कि मैं भी इस खेल के
लिए बहुत रोमांचित थी.
उसने तुरंत ही अपने कपड़े उतार दिए और कमेरे पर मेरे सामने नंगा हो गया .
उस का लॉडा पूरी तरह खड़ा था और उसके लंड के आस पास थोड़ी झाँटें भी थी.
मैने देखा की उसका लंड बड़ा और तनुरुस्त था जो किसी भी लड़की या औरत को
संतुष्ट करने की क़ाबलियत रखता लग रहा था. ये मेरे लिए पहली बार था जब
मैं किसी का चुदाई का औज़ार, लॉडा कमेरे पर सीधा देख रही थी. मैं सॉफ सॉफ
देख पा रही थी कि उसने खुद ही अपने लंड से खेलना शुरू कर दिया था. जल्दी
ही उसने अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए खुद ही मुठया मारना चालू
कर्दिया. वो अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ाता गया तो मेरी चड्डी भी अपनी
चूत से निकलते रस से गीली हो गई. अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर वो
ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. मुझे उसका लंड , मूठ मारता उसका हाथ और
उसके लंड का सूपड़ा मेरे कंप्यूटर पर सॉफ सॉफ दिख रहा था. अचानक मैने
देखा की उसके लंड से, तेज बौच्हार के साथ पानी निकलना शुरू हो गया . उसका
अपना लंड हिलाना चालू था और उसके लंड से सफेद पानी की धार रुक रुक कर
निकल रही थी. फिर उसने मूठ मारना बंद किया और अपनी टेबल पर फैले लंड रस
को सॉफ करने लगा. उसने मुझसे कहा कि उसकी तरफ से ये हमारी पहली मुलाकात
का, एक भाभी को एक देवेर की तरफ से तोहफा है. कुछ देर बाद हमने चाटिंग
बंद की.
मैं अपने गाउन के अंदर चोली और चड्डी ही पहने थी. मेरी चड्डी तो उसको मूठ
मारते देखकर पहले ही मेरे अपने चूत रस से भीग चुकी थी. मैने अपना गाउन
उठाकर अपने पैरों के बीच देखा. मैने अपनी चड्डी उतार दी और सॉफ सॉफ उसे
गीला पाया. मैने अपने परों को चौड़ा किया और कुर्सी के किनारे पर बैठी
ताकि मैं आराम से अपनी प्यारी सी, सॉफ सुथरी और सफाचत चूत मे अपनी उंगली
कर सकूँ. मैं अपनी बीच की उंगली अपनी गीली चूत पर ले गई और अपनी चूत के
दाने की छुआ. मैं उस लड़के को कमरे और कंप्यूटर पर, मेरे लिए मूठ मारने
का सीधा प्रसारण देख कर उत्तेजित हो चली थी. मैं अधिक देर रुक नही सकी और
मैने अपनी चूत मे उंगली घुमानी शुरू करदी. चूत पहले से ही काफ़ी गीली
होने की वजह से उसके बीच मे, दाने पर उंगली घुमाना बहुत ही आसान था. चूत
के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए मुझे चुदाई का मज़ा आने लगा. जैसे
जैसे चुदाई का मज़ा बढ़ता गया , वैसे वैसे मेरी उंगली की मेरी चूत मे
रफ़्तार बढ़ती गई. अब मैने अपनी एक उंगली मेरी गीली के अंदर भी घुसा ली
थी ताकि झड़ने का पूरा पूरा मज़ा आए. चुदाई की उत्तेजना के मारे, मज़े के
मारे मेरे मूह से आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई और अपने बंद घर के अंदर, मैं
अकेली चुदाई के मज़े मे चिल्लाने को स्वतंत्र थी. मैने अपने मूह से
निकलने वाली आवाज़ों को रोकने की कोई कोशिश नही की और मैं मज़े के पर्वत
की चोटी पर थी. मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर और चूत के दाने पर लगातार
घूमती हुई मुझे मेरी मंज़िल की तरफ ले जा रही थी.
अपनी चूत को तेज़ी से रगड़ती हुई, तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर बाहर करती
हुई, चूत के दाने को मसल्ति मैं जहाँ पहुँचना चाहती थी वहाँ पहुँच चुकी
थी. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत मे थी. मेरी
आँखें आनंद से बंद हो गई. ये बहुत ही जोरदार हस्तमैतून था.
रात और दिन अपनी रफ़्तार से बीत रहे थे. मैं बहुत खुश हूँ की मेरे पति
हमेशा ही मुझे चुदाई का मज़ा देते है. हमारे बीच चुदाई होना जिंदगी का एक
ज़रूरी हिस्सा है. वो रोज़ मुझे चोद्ते है और मैं रोज़ उनसे चुदवाती हूँ,
कभी कभी तो दिन मे दो - तीन बार भी. मुझे कोई ऐसी रात या दिन याद नही है
जब मैने नही चुदवाया हो. हम दोनो ही चोद कर और चुदवा कर बहुत खुश है
क्यों कि हम जैसे चाहे, जब चाहे, जितनी चाहे चुदाई करतें हैं और चुदाई का
पूरा सम्मान करतें है.
Re: चुदाइ का दूसरा रूप
एक दिन दोपहर को मेरे पिताजी का गोआ से फोन आया कि उनको मेरी सहयता की
ज़रूरत है. काफ़ी सारे आम विदेश भेजने थे और मेरे चाचा और पिता दोनो ही
मेरे बिना परेशान थे. उनको बिज़्नेस मे मेरी ज़रूरत थी. मेरे पापा इस
बारे मे मेरे ससुरजी से और मेरे पति से भी बात कर ली थी. मेरे पति ने
उनको भरोसा दिलाया था की वो मुझे पहले हवाई जहाज़ से गोआ भेज देंगे.
अगले ही दिन मैं गोआ , अपने मा बाप के घर आ गई. मेरे पति फिर से एक बार
देल्ही मे अकेले थे और मैं गोआ मे उनके बिना थी. हम दोनो ही उदास थे
क्यों कि एक प्यार करने वाला जोड़ा, जमकर चुदाई करने वाला जोड़ा जुदा
जुदा थे.
यहाँ, गोआ मे बहुत काम था और मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ मेरे पिताजी
की सहायता की और काम को काबू मे किया. काम इतना था कि दिन रात काम करना
पड़ रहा था. हमेशा की तरह, जब भी हम दूर होते है, मैं रात को अपने पति से
बात करती थी और हम दोनो ही अलग अलग बिस्तर पर सोए हुए, फोन पर चुदाई की
बातें करते हुए एक दूसरे को, अपने आप को संतुष्ट करते थे. हम दोनो के ही
पास खुद ही मूठ मारने के अलावा कोई चारा नही था. रोज़ रात को सोने से
पहले मैं अपनी चूत मे उंगली किया करती और मेरे पति वहाँ अपना लंड पकड़कर
मुठिया मारा करते.
एक दिन. शाम को, मैं अपने फार्म हाउस से वापस घर आ रही थी. अब काम काबू
मे आ चुका था और मैं वापस देल्ही , अपने पति के पास जाने का विचार कर रही
थी. रास्ते मे मेरी चाइ पीने की इच्छा हुई तो मैने अपनी कार एक होटेल की
तरफ मोडी. पार्किंग मे अपनी कार पार्क करने के बाद मैं होटेल के अंदर आई
और रेस्टोरेंट मे ऐसी जगह बैठी जहाँ से बाहर स्विम्मिंग पूल नज़र आ रहा
था. कुछ मर्द और कुछ औरतें वहाँ स्विम्मिंग कर रहे थे, कुछ अलग अलग
ड्रिंक पी रहे थे. मैं अपनी टेबल पर चाइ आने का इंतज़ार करती बाहर देखे
जा रही थी तो अचानक मैने एक जाने पहचाने चेहरे को, सेक्सी स्विम्मिंग
बिकिनी पहने देखा. वो सारा थी, मेरे साथ मेरे कॉलेज मे पढ़ती थी. मैं
जानती थी कि उसकी शादी मुंबई मे किसी बिज़्नेसमॅन से हुई थी.मैने सोचा की
वो अपने पति के साथ स्विम्मिंग का मज़ा लेने आई है, पर मैने उसके आस पास
किसी भी मर्द को नही देखा. मैं अपनी चाइ पीते पीते सारा को ही देख रही
थी. अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो वहाँ एकेली ही थी जो की एक
कुर्सी पर बैठी बियर पी रही थी. मैने अपनी चाइ ख़तम की और बिल चुकता करने
के बाद स्विम्मिंग पूल की तरफ आई.
मैं उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और वो मुझे देखकर पहचाने की कोशिश कर
रही थी. अचानक ही, उसने मुझे पहचाना और करीब करीब चिल्लाई - जुलीईईईई !
जवाब मे मैने मुस्करा कर कहा - हां सारा. ये मैं ही हूँ. इतने दिनों के
बाद, तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा सारा, कैसी हो तुम और यहाँ क्या कर रही
हो?
वो बोली - मैं ठीक हूँ जूली, तुम कैसी हो?
मैं - मैं भी अच्छी हूँ. क्या चल रहा है?
सारा - कुछ नही. बस मज़ा ले रही हूँ.
मैं - अकेले ? तुम्हारे पति कहाँ है ?
सारा - वो बाहर गये है. रात को खाने के समय आ जाएँगे. हम इसी होटेल मे रुके हुए है.
मैं - ओके. लेकिन यहाँ तुम्हारा अपना घर है, फिर होटेल मे क्यों रुके हो?
सारा - हां. पर मेरे पति को मेरे पिताजी के घर मे रुकना पसंद नही है.
मैं - खैर कोई बात नही. वो बिज़्नेसमॅन है और वो होटेल का खर्चा करसकते है.
सारा - हां.
मैं - तो........ कैसे चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी?
ज़रूरत है. काफ़ी सारे आम विदेश भेजने थे और मेरे चाचा और पिता दोनो ही
मेरे बिना परेशान थे. उनको बिज़्नेस मे मेरी ज़रूरत थी. मेरे पापा इस
बारे मे मेरे ससुरजी से और मेरे पति से भी बात कर ली थी. मेरे पति ने
उनको भरोसा दिलाया था की वो मुझे पहले हवाई जहाज़ से गोआ भेज देंगे.
अगले ही दिन मैं गोआ , अपने मा बाप के घर आ गई. मेरे पति फिर से एक बार
देल्ही मे अकेले थे और मैं गोआ मे उनके बिना थी. हम दोनो ही उदास थे
क्यों कि एक प्यार करने वाला जोड़ा, जमकर चुदाई करने वाला जोड़ा जुदा
जुदा थे.
यहाँ, गोआ मे बहुत काम था और मैने अपनी पूरी क़ाबलियत के साथ मेरे पिताजी
की सहायता की और काम को काबू मे किया. काम इतना था कि दिन रात काम करना
पड़ रहा था. हमेशा की तरह, जब भी हम दूर होते है, मैं रात को अपने पति से
बात करती थी और हम दोनो ही अलग अलग बिस्तर पर सोए हुए, फोन पर चुदाई की
बातें करते हुए एक दूसरे को, अपने आप को संतुष्ट करते थे. हम दोनो के ही
पास खुद ही मूठ मारने के अलावा कोई चारा नही था. रोज़ रात को सोने से
पहले मैं अपनी चूत मे उंगली किया करती और मेरे पति वहाँ अपना लंड पकड़कर
मुठिया मारा करते.
एक दिन. शाम को, मैं अपने फार्म हाउस से वापस घर आ रही थी. अब काम काबू
मे आ चुका था और मैं वापस देल्ही , अपने पति के पास जाने का विचार कर रही
थी. रास्ते मे मेरी चाइ पीने की इच्छा हुई तो मैने अपनी कार एक होटेल की
तरफ मोडी. पार्किंग मे अपनी कार पार्क करने के बाद मैं होटेल के अंदर आई
और रेस्टोरेंट मे ऐसी जगह बैठी जहाँ से बाहर स्विम्मिंग पूल नज़र आ रहा
था. कुछ मर्द और कुछ औरतें वहाँ स्विम्मिंग कर रहे थे, कुछ अलग अलग
ड्रिंक पी रहे थे. मैं अपनी टेबल पर चाइ आने का इंतज़ार करती बाहर देखे
जा रही थी तो अचानक मैने एक जाने पहचाने चेहरे को, सेक्सी स्विम्मिंग
बिकिनी पहने देखा. वो सारा थी, मेरे साथ मेरे कॉलेज मे पढ़ती थी. मैं
जानती थी कि उसकी शादी मुंबई मे किसी बिज़्नेसमॅन से हुई थी.मैने सोचा की
वो अपने पति के साथ स्विम्मिंग का मज़ा लेने आई है, पर मैने उसके आस पास
किसी भी मर्द को नही देखा. मैं अपनी चाइ पीते पीते सारा को ही देख रही
थी. अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो वहाँ एकेली ही थी जो की एक
कुर्सी पर बैठी बियर पी रही थी. मैने अपनी चाइ ख़तम की और बिल चुकता करने
के बाद स्विम्मिंग पूल की तरफ आई.
मैं उसके सामने जा कर खड़ी हो गई और वो मुझे देखकर पहचाने की कोशिश कर
रही थी. अचानक ही, उसने मुझे पहचाना और करीब करीब चिल्लाई - जुलीईईईई !
जवाब मे मैने मुस्करा कर कहा - हां सारा. ये मैं ही हूँ. इतने दिनों के
बाद, तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा सारा, कैसी हो तुम और यहाँ क्या कर रही
हो?
वो बोली - मैं ठीक हूँ जूली, तुम कैसी हो?
मैं - मैं भी अच्छी हूँ. क्या चल रहा है?
सारा - कुछ नही. बस मज़ा ले रही हूँ.
मैं - अकेले ? तुम्हारे पति कहाँ है ?
सारा - वो बाहर गये है. रात को खाने के समय आ जाएँगे. हम इसी होटेल मे रुके हुए है.
मैं - ओके. लेकिन यहाँ तुम्हारा अपना घर है, फिर होटेल मे क्यों रुके हो?
सारा - हां. पर मेरे पति को मेरे पिताजी के घर मे रुकना पसंद नही है.
मैं - खैर कोई बात नही. वो बिज़्नेसमॅन है और वो होटेल का खर्चा करसकते है.
सारा - हां.
मैं - तो........ कैसे चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी?