तड़पति जवानी
Re: तड़पति जवानी
मनीष ने मुझे देखा तो बोले अरे निशा तुम उठ गयी.. अपनी उसी प्यार भारी मुस्कुराहट के साथ देखते हुए कहा.. मैने भी मनीष की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.. पर जब मेरी नज़र उस अमित पर गयी तो मेरा खून खूल उठा उसके चेहरे पर वही घिनूनी मुस्कुराहट कायम थी.. उस पर नज़र पड़ते ही मेरे चेहरे से सारी हसी गायब हो गयी.. मैं वाहा से वापस किचिन की तरफ हो ली रात के खाने की तैयारी करने के लिए..
किचन मे आकर मैं खाना बनाया ओर मनीष को खाने के लिए आवाज़ लगा दी.. थोड़ी ही देर मे हम सबने खाना खा लिया.. उसके देखने ऑर घूर्ने का सिलसिला बदस्तूर जारी था.. खाना खा कर मैं जब हाथ सॉफ करने गयी तो वही दोपहर वाला एहसास की जैसे किसी ने मेरे नितंब पर हाथ फिराया हो.. अबकी बार मुझे पहले से ज़्यादा अच्छी तरह हाथ अपने नितंब पर महसूस हुआ..
मैने पलट कर देखा तो मनीष ऑर वो पीनू दोनो ही मेरे पीछे खड़े हुए थे मेरी समझ मे नही आया कि किसने हाथ लगाया था.. लेकिन आगे की तरफ वो पीनू ही खड़ा हुआ था मुझे उसकी ही हरकत मालूम पड़ रही थी.. मेरे से ये सब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था.. मैने मन ही मन फ़ैसला कर लिया था कि मैं इस बारे मे मनीष से बात करूगी.. चाहे जो भी हो.. अब मुझे ये लड़का एक पल भी बर्दाश्त नही है..
मैं वाहा से हाथ सॉफ कर के अपने बेडरूम मे आ गयी.. अपने नितंब पर हाथ महसूस करके बोहोत गुस्से मे थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष भी कमरे मे आ गये थे..
क्या बात है बड़ी परेशान सी दिख रही हो ? मनीष ने मेरे चेहरे पर आ रही परेशानियो की लकीरो को देख कर कहा..
ये लड़का यहा से कब जाएगा ? मैने वैसे ही गुस्से भरे हुए अंदाज मे कहा
क्या हुआ जान इतना नाराज़ क्यू हो रही हो ?
मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है कि मैं किसी ऐरे गैरे के लिए गरमी मे अपना पसीना बहाऊ.. मुझे वो लड़का बिल्कुल भी पसंद नही है.. उसकी नज़र ठीक नही है.. जब भी देखती हू मुझे देख कर अजीब तरह से मुस्कुराते रहता है.. मैने सॉफ सॉफ कह दिया मनीष से..
अरे निशा ऐसी कोई बात नही है.. वो बचपन से ही ऐसा है.. ऑर तुम्हे देख कर मुस्कुराते ही तो है.. तो इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है..? कहते हुए मनीष मेरे बगल मे आ कर लेट गये ऑर मुझे पीछे से अपनी बाहो मे भरने लगे.. मैने गुस्से के मारे अपने आप को उनसे दूर करने लग गयी..
क्या निशा तुम भी अरे दो दिन के लिए आया है यहा पर उसे एग्ज़ॅम देने है एग्ज़ॅम ख़तम होते ही चला जाएगा ऑर पापा ने ही उसे यहा का अड्रेस दे कर भेजा है.. ताकि उसे कोई तकलीफ़ ना हो.. मनीष ने मुझे पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने चेहरे की तरफ घुमा कर मेरी आँखो मे आँखे डाल प्यार से कहा..
पक्का दो दिन बाद चला जाएगा ना ? मैने मनीष की आँखो मे देखते हुए कहा..
मनीष ने अब अपने दोनो हाथ मेरे कंधे से हटा कर मेरे नितंब पर फिराना शुरू कर दिया था.. हां उसने दो दिन के लिए ही बोला है..
मनीष के हाथ अब तेज़ी के साथ मेरे नितंबो पर चलने लग गये थे.. थोड़ी ही देर मे मैं मदहोश होने लग गयी.. मनीष का अब एक हाथ मेरे कुर्ते के उपर से ही मेरे मम्मो पर चल रहा था.. अपने मम्मो पर मनीष का हाथ पड़ते ही मैं ऑर भी ज़्यादा मदहोश होने लग गयी.. नीचे उनका एक हाथ बारी बारी से मेरे नितंबो के गुंबदो को मसल रहा था.. मनीष को मेरे दोनो गुंबदो के साथ खेलने मे बड़ा मज़ा आता था..
क्या कर रहे हो.. छ्चोड़ो भी.. मैने मनीष से मदहोशी भरे अंदाज मे कहा..
कोई भला चूतिया ही होगा जो अपनी इतनी हसीन बीवी को यूँ छ्चोड़ दे.. मनीष ने मेरे बाए मम्मे को छ्चोड़ मेरे दाए मम्मे को मसलना शुरू कर दिया..
दरवाजा तो ठीक से बंद कर लिया है.. मैं जानती थी कि अब मनीष को रोकना मुश्किल है इस लिए मैने दरवाजे के बारे मे पूछा..
Re: तड़पति जवानी
वो तो मैने अंदर आते ही बंद कर लिया था.. अब जल्दी से मुझे इन दोनो को चूमने दो.. उतार दो इस कुर्ते को.. अब इसका हमारे बीच मे क्या काम..
मनीष की बात सुन कर मुझे हल्की सी हँसी आ गयी.. मैने सीधे हो कर जब तक अपना कुर्ता उतारा तब तक मनीष ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया ओर उसे हल्का सा नीचे सरका कर अपने पैरो से पूरा नीचे कर दिया.. गर्मी की वजह से मैने अंदर ब्रा ऑर पॅंटी नही पहनी थी.. वैसे भी घर मे मैं ओर मनीष ही रहते है.. मनीष के चक्कर मे मेरी ब्रा ऑर पॅंटी की आदत कम हो गयी थी.. जब कभी हम बाहर जाते थे तभी मैं पहनती थी..
कुर्ते के हट’ते ही मनीष ने छ्होटे बच्चे की तरह अपना मुँह मेरे एक उरोज पर जमा दिया.. मैं बिस्तर पर एक दम सीधी लेटी हुई थी.. मनीष एक हाथ से मेरी दूसरी उरोज दबा रहे थे ओर उनका एक हाथ मेरी योनि मे अंदर बाहर चल रहा था..
मनीष के साथ मे पूरी तरह से खूल कर आवाज़ करते हुए सेक्स का मज़ा लेती थी पर घर पर उस गाँव वाले अमित के आजाने से.. मैं खुल कर आवाज़ नही निकल पा रही थी जिस कारण मेरी उत्तेजना ऑर भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी.. ऑर इसी उत्तेजना के कारण मैं एक बार झाड़ चुकी थी.. मनीष की उंगलिया बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर हो रही थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष ने मेरी दोनो टाँगो को घुटने से मोड़ कर दोनो टांगे हवा मे कर दी जिस से मेरी योनि खुल कर उनके सामने आ गयी थी.. मनीष ने अपना लिंग मेरी योनी की लकीर पर उपर से नीचे, नीचे से उपर फिराना शुरू कर दिया.. अब मैं अपना आपा पूरी तरह से खो चुकी थी ओर मेरे मुँह से ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी थी.. पूरा बदन पसीने मे तर बदर हो गया था..
आआआआआआअहह……. आआअहह… कम ऑन मनीष कम ऑन… मेरे मुँह से तेज तेज आवाज़ सुन कर मनीष ने मेरे मुँह पर हाथ लगा लिया ओर अपने लिंग को योनि के छेद पा टीका कर धीरे धीरे पूरा लिंग अंदर कर दिया.. ओर आगे पीछे होने लगे.. थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा.. ओर फिर हम दोनो एक साथ खाली हो कर एक दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गये..
रात को करीब 12.30 बजे मेरी आँख खुल गयी.. मनीष मेरे बगल मे ही सो रहे थे ऑर ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहे थे.. मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर लगा हुआ था मैने अपने कपड़े पहने ऑर बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव(ताकि वो पीनू का बच्चा ना जाग जाए) से टाय्लेट की तरफ चल कर टाय्लेट मे आ गयी..
जब मैं टाय्लेट से बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये.. टाय्लेट के दरवाजे पर वो पीनू का बच्चा खड़ा हुआ था.. उसे वाहा दरवाजे पर खड़ा देख कर मैं बुरी तारह हड़बड़ा गयी..
तूमम्म्म……. तुम यहा क्या कर रहे हो ?? मैने उसको देख कर गुस्से से कहा..
माफ़ करना भाभी जी.. मुझे बोहोत ज़ोर से पेशाब लगी हुई थी.. उसने अपना एक हाथ अपने लिंग पर लगा रखा था.. उसने नाडे वाला अंडरवेर पहन रखा था उसके अंडरवेर मे उसका लिंग तन कर टेंट बना रहा था.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी ओर उसका एक हाथ बराबर उसके लिंग के उपर चल रहा था..
उसकी इस हरकत से मैं बुरी तरह से तिलमिला गयी ओर नाक-मुँह सिकोड कर वाहा से अपने कमरे के लिए चल दी..
आआहह….आआहह.. कम ऑन… कम ऑन…. हहे हहे… उसने हस्ते हुए कहा ओर टाय्लेट के अंदर घुस गया..
मैने जब पीछे पलट कर देखा तो मुझे टाय्लेट का दरवाजा बंद मिला..
हे भगवान… मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया.. मतलब कि इसने सब सुन लिया.. मैं शर्म से पानी पानी हो गयी उसकी बात सुन कर.. पर मेरे दिमाग़ मे उसके लिए नफ़रत ऑर बढ़ गयी थी.. बेशर्मी तो देखो मेरे सामने ही मेरा मज़ाक उड़ा रहा है.. मुझे अब इस बारे मे मनीष से बात करनी होगी.. मैने मन ही मन सोचा ऑर वापस अपने कमरे मे आ कर मनीष की बगल मे लेट गयी..
क्रमशः..............
Re: तड़पति जवानी
Tadapti Jawani-paart-2
gataank se aage.........
Main manish se keh kar ki main bathroom me nahane ja rahi hu.. almari se apne kapde nikal kar bathroom me aa gayi.. bathroom ke andar kadam rakhte hi mera pura dimaag kharab ho gaya us dehati ne pura ka pura farsh gila kar diya tha.. or sabun bhi wahi beech farsh me hi chhod diya tha.. ek jagah baith kar nahi naha sakta tha.. charo taraf geela kar diya or sabun bhi yahi chhod diya agar kisi ka pair pad jata or wo gir jata to.. maine wo sabun utha kar wapas sabun daani me rakhte hue badbada rahi thi..
Naha kar main chup chap apne bedroom me wapas aa gayi or sheeshe ke aage baith kar apne baal sahi karne lag gayi.. mere aate hi manish bathroom ke andar chale gaye. Sheeshe ke aage baithne ke baad uski hewaniyat bhari hasi baar baar mere aankho ke aage dikhai dene lagi jab wo mujhe or manish ko dekh kar muskura raha tha..
Baal thik karne ke baad dophar ka khana banane ke liye main kitchen me aa gayi.. agar aaj ye dehati nahi aata to main manish ke saath bahar khana khati or dher saari shoping karti yahi khayal khana banate hue mere dimaag me chal raha tha. Par uske aane ki wajah se mujhe garmi me kitchen me khade ho kar khana banana pad raha tha.. dophar tak maine sab khana bana liya tha. Or manish se khana khane ke liye bol diya..
Manish khana khane ke liye us amit ko jaga kar apne saath le aaye.. main wahi drawing room me baithi hui khane ki table par manish ka intjaar kar rahi thi. Wo apni usi gandi si hasi ke saath muskurata hua mujhe ghoore ja raha tha..
Mujhe khana serve karte hue wo lagtar dekh kar ghoore ja raha tha. Uski najar dekh kar saaf pata chal raha tha ki wo mere baare me kuch na kuch galat soch raha tha.. uski najre mere pure jism par kisi talvaar ki tarah se chal rahi thi..
jab maine dono ko khana serve kar diya to manish ne aawaj laga kar mujhse kaha.. Are nisha aao tum bhi hamare saath hi baith kar khana kha lo.. abhi manish apni baat khatam nahi kar paye the us se pehle hi wo amit bol utha haan.. haan.. bhabhi ji aap bhi saath me hi khana kha lo..
Ek to mera mood pehle se hi kharaab tha us par uski gandi si hasi.. nahi aap kha lo main baad me kha lungi.. maine manish se kaha..
Par manish nahi maane or jabardasti mujhe khana khane baithna pada.. manish or amit ek saath mere saamne baithe hue the.. wo mujhe ab bhi lagatar ghoore ja raha tha. Uski najar kabhi mere chehre par kabhi meri chhati par hoti thi.. wo khana is tarah se kha raha tha jaise ki barso baad khana mila ho or ab kabhi use khana nahi milega maine jaldi jaldi apna khana khatam kiya or uth kar haath dhone chali gayi tabhi wo bhi mere peeche hi waha se uth kar chala aaya.. main haath dho hi rahi thi thi mujhe mere nitamb par kisi ne haath fera ho aisa mehsoos hua.. maine palat kar dekha to mere peeche wo dehati khada hua tha or mujhe dekh kar ajeeb tarah se muskuraye ja raha tha..
Bhabhi ji aap ke haatho me to sach me jadu hai.. khana to ek dam bohot bhadiya banaya hai aap ne.. tabiyat hari ho gayi khana kha kar.. usne mujhe dekh kar apna ek haath apne pent ki zip ke upar firane lag gaya..
Use waha apne peeche dekh kar mera khoon khol gaya.. main uski taraf nafrat bhari nigaah se dekhti hui waha se apne bedroom me aa gayi.. jara si bhi sharam nahi hai mere saamne hi is tarah ki gandi harkat kar raha hai.. main uski kisi bhi baat ka jawaab diye bina hi waha se seedhe apne bedroom me chali aayi..
Manish uske saath uske kamre me chale gaye or main apne bistar par aakar let gayi.. khana kha kar or dophar ka khana banane ki wajah se thakan ho rahi thi or letne ke baad kab meri aankh lag gayi mujhe pata hi nahi chala.. jab meri aankh khuli to shaam ho gayi thi or manish or amit ab abhi baith kar baat kar rahe the or jor jor se hans rahe the..
Main apne bedroom se nikal kar Jab main us kamre ki taraf gayi to wo dehati mujhe dekhte hi bola ki are wah bhabhi ji abhi aap ki hi baat chal rahi thi.. aaiye baithiye..
Manish ne mujhe dekha to bole are nisha tum uth gayi.. apni usi pyaar bhari muskurahat ke saath dekhte hue kaha.. maine bhi manish ki taraf dekh kar muskura diya.. par jab meri najar us amit par gayi to mera khoon khool utha uske chehre par wahi ghinooni muskurahat kayam thi.. us par naja padte hi mere chehre se saari hasi gayab ho gayi.. main waha se wapas kitchin ki taraf ho li raat ke khane ki taiyaari karne ke liye..