hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 7
इधर प्रभा की नींद मोबाइल बजने से खुल जाती है। लेकिन उसका फ़ोन नहीं था। वो आवाज सागर के रूम से आ रही थी। वो उठ के बाहर जाती है। सागर के कमरे में देखती है तो वहा कोई नहीं था। सिर्फ उसका मोबाइल था। वो इधर उधर देखती है मगर वो नहीं था। तब तक कॉल कट जाता है। वो देखती है फ़ोन किसका था तभी फिरसे फ़ोन बजने लगता है। वो उसे उठा लेती है। विजय का फ़ोन था मगर प्रभा आगे कुछ बोले उससे पहले उधर से विजय बोल पड़ा.....विजय:-भाई चाची की चूत चोदने में इतना बिजी हो गया क्या?? और कितना चोदेगा भाई?? देखना कोई तबेले में आके तुम्हारी चुदाई लीला ना देख ले। और जल्दी निपटा ले।ये सुनके प्रभा के पैरो तले जमीन सरक जाती है। उसकी आवाज तो मानो जैसे चली गयी हो। उसे कुछ सूझता नहीं वो झट से फ़ोन कट कर देती है। विजय की चाची??सागर??येक्या चक्कर है?? और सागर उसकी चाची को चोद रहा है??मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा....मैंने सुना तो था की वो औरत एक नंबर की चुद्दकड़ है पर सागर ???हे भगवन ये क्या है?? अभी उसके तबेले में जाके देखती हु...प्रभा वैसेही दरवाजा बंद करके जल्दी जल्दी तबेले की तरफ निकल पड़ती है।वहा जाके वो चुपके से। देखती है पर उसे कही कुछ नजर नहीं आता। फिर वो थोडा अंदर जाती है और वो जो देखती है उसपे उसे बिलकुल विश्वास नहीं होता। सागर निचे लेटा हुआ था और चाची उसके लंड पे बैठ के खप खप उसे अपने चूत के अंदर बाहर कर रही थी। प्रभा ये देख के हैरान रह जाती है। उसे गुस्सा आने लगता है।वो आगे बढ़ के उन दोनों को रोकना चाहती है पर उसके कदम वाही रुक जाते है। क्यू की चाची अब सागर का लंड चूसने लगी थी। सागर के लंड का साइज़ देख उसका मुह खुला का खुला रह गया।प्रभा:- बापरे इतना मोटा आउट लंबा लंड उफ्फ्फ्फ्फ़ ये तो चंदू के लंड से भी बड़ा है।यहाँ सागर अब अपने वीर्य की बरसात चाची के मुह में करने लगता है। चाची उसका वीर्य पि जाती है। और दोनों वाही गद्दे पे लेट जाते है।
उसी वक़्त माधवी स्कूल से आ जाती है।
माधवी:- माँ....ओ माँ...
प्रभा अपने आप को सँभालती है और बाहर आती है।
प्रभा:- हा क्यू चिल्ला रही है??जिन्दा हु मैं अभी...वो थोडा गुस्से में बोली।
माधवी:- गुस्सा क्यू कर रही हो?? और भैया कहा है?? वो हमे लेने आने वाले थे...
प्रभा:- मुझे नहीं पता वो कहा है....मुझसे मत पूछ....
माधवी:- क्या हो क्या गया तुझे??इतना क्यू उखड़ी हुई है?? मुझ पे क्यू चिल्ला रही है??
प्रभा:- जादा चु चपड़ मत कर...जा अपना काम कर....और हा सुन मैं आती हु थोडा बाहर जाके...
माधवी:- अब कहा। जा रही है?? बाबा आते ही होंगे...
प्रभा उसे एक बार गुस्से से देखती है और बिना कुछ बोले बाहर चली जाती है। वो मन ही मन विजय की चाची को सबक शिकाने की ठान लेती है। वो उसके घर पहोच के देखती है की उसका पति वहा बारामदे में बैठा था। उसे देख के वो थोडा सहम सी जाती है।
प्रभा:- भैया नमस्ते...मीना कहा है??
पति:- अंदर है भाभी...अरे वो सुनाती हो...प्रभा भाभी आयी है।
मीना:- अरे दीदी आओ ना अंदर...
प्रभा उसे बहोत गुस्से से देखती है और अंदर चली जाती है।
मीना:- हा दीदी चाय बनाऊ??आज कैसे मेरे घर का रास्ता भूल गयी??
प्रभा:- देख मीना...ये चिकनी चुपड़ी बाते मुझसे ना कर...इन बातो में मेरा बेटा आ सकता है मैं नहीं..
मीना ये सुनके सन्न रह जाती है...
मीना:- दीदी आप ये क्या कह रही हो??
प्रभा:- जादा बन मत मैंने सब देख लिया है तबेले में तुम दोनों क्या कर रहे थे।
मीना मन ही मन सोचती है जब इसे पता चल ही गया है तो छुपाने से कोई फायदा नहीं...लेकिन अगर मैं इससे अच्छेसे बात नही करुँगी तो ये मेरे पति को बता देगी...और मेरा पति मुझे काट डालेगा।
मीना:- दीदी आप पहले शांत हो जाओ...इन्होंने सुन लिया तो मेरा क़त्ल कर देंगे। और हा दीदी वो मेरे पास आया था मैंने नहीं बुलाया था उसे।
प्रभा:- मैं तुझर अछेसे जानती हु...बता कब से चल रहा है ये सब??
मीणा:- दीदी सच कह रही हु...और आज पहली बार था दीदी विश्वास करो मेरा मेरे बच्चों की कसम खा के कह
*ये सुनने के बाद प्रभा थोड़ी शांत हो जाती है।
मीना:- दीदी आप फ़िक्र मत कीजिये आज के बाद ऐसा कुछ नहीं होगा। लेकिन आप इन्हें मत बताना।
प्रभा:- देख मीना ये कच्ची उम्र में लड़के बहक जाते है...मैं नहीं चाहती की मेरा बीटा इन सब बातो पे पड़ के अपनी पढाई बर्बाद कर ले। मैं उसे भी समजाऊंगी....लेकिन तुझसे बिनती है मेरी ....
मिना:- दीदी आप फ़िक्र मत करो...अब तो चाय पियेंगी??
प्रभा:- ठीक है...देख तूने अपने बच्चों की कसम खायी है।
मिना:- हा दीदी...मिना चाय बनाने लगती है।....प्रभा भी अब शांत हो चुकी थी।...दीदी बुरा ना मानो तो एक बात कहू??
प्रभा:- हो बोल....
मिना:- क्या मर्द बेटा पैदा किया है आपने....मेरी तो हालत ख़राब कर दी उसने आज...
प्रभा:- चुप कर छिनाल कही की....
प्रभा को गुस्सा नहीं आया ये देख वो और आगे बाते करने लगी।
मिना:- हाय दीदी सच में क्या तगड़ा लंड है उसका....मेरी चूत में तो अब तक दर्द हो रहा है।
प्रभा ये सब सुनके क्या बोले ये सोच ही रही थी के मिना आगे बोलने लगी।
मीना:- दीदी सच में मेरे पति का इतना बड़ा होता न तो दिन रात चढ़ी रहती उसपे...
प्रभा:- तू है ही एक नम्बर की छिनाल।
मीना:- अरे नहीं दीदी उसका लंड देख के तो अच्छे अच्छो की नियत डोल जाय। वो आपकी जगह काश मेरा बेटा होता....
प्रभा:- चुप कर...और ये चुदाई का भुत निचे उतार अपने सर से। पागल हो गयी है तू। तेरा बेटा होता तो भी चुदवा लेती क्या उससे??
मिना:- हा क्यू नहीं दीदी...वो सरला है ना रोज अपने बेटे का लंड लेती है।
प्रभा:- क्या कह रही तू??
मिना:-हा दीदी सच में...मैंने खुद देखा है अपनी आँखों से।
प्रभा:- जितना सुनो उतना कम है अपने गाँव के बारे में...
मिना:- अरे दीदी मेरा तो मानना है की लंड किसी का भी मिले उसे बस लेलो अपनी चूत में।लंड और चूत में कैसा रिश्ता...वो तो एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए बने है।
प्रभा कुछ बोल नहीं पा रही थी। वो गहरी सोच में पड़ गयी थी। मिना की बातो का असर उसपे हो चूका था। मिना ने भी जानबुज कर ये सारी बातें उससे कही थी। प्रभा चाय खत्म कर के अपने घर की धीमे कदमो से। बड चली थी। लेकिन दिमाग में कई बाते एकसाथ उछलकूद कर रही थी। उसे मिना की कही हर बात याद आ रही थी। उसका जिस्म प्यासा तो था ही...लेकिन दो दिनों से उसे उस बात का अहसास कुछ जादा ही होने लगा था। पहले चंदू की वजह से और अब सागर और मीना की वजह से।
इधर तबेले में.......
विजय:- और भाई मजा आया की नहीं??? कैसी रही तेरी पहली चुदाई??
सागर:- बहोत मजा आया यार....फिर कब दिलवाएगा??
विजय:- जब तू बोले....
सागर:-एक काम कर ना यार आज रात का जुगाड़ कर ना कुछ......
विजय:- ह्म्म्म क्या बात है अब तो तेरेसे रहा नहीं जा रहा...रात का तो नहीं बता सकता...फिर भी तुझे फ़ोन करता हु।
सागर को एकदम से याद आता है की उसका फ़ोन वो घर पे भूल आया था।*
सागर:- अरे यार मेरा फ़ोन घर पे ही रह गया।
विजय उसे ये। बता पाता की उसने फ़ोन किया था तभी उसका मोबाइल बजता है।चाची का फ़ोन था। वो विजय को प्रभा के बारे में बताती है। सब सुनने के बाद विजय सागर की तरफ मुड़ता है....
विजय:- भाई तेरी गांड लग गयी....प्रभा चाची ने तुझे और मिना चाची का चुदाई वाला खेल देख लिया...वो चाची से बात करने गयी थी उसके घर....अब तू गया बेटा...
सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है...उसे कुछ समझ नहीं आता वो क्या करे और क्या नहीं। घबराहट के मारे उसके मुह से आवाज नहीं निकलती।
विजय:- यार बहोत बड़ी प्रॉब्लम हो गई...कही चाची मेरी माँ को भी ना बता दे...
सागर:- यार अब मैं क्या करू?? माँ ने बाबा को बता दिया तो वो मेरी जान ले लेंगे...
विजय:- हा यार..और मेरी भी...भाई अब तुझे कुछ करना होगा...तुझे चाची को समझाना होगा...
सागर:- मैं क्या समझाऊ यार??
विजय:- कुछ भी कर पेअर पकड़ ले चाची के माफ़ी मांग कुछ भी कर यार लेकिन मेरी माँ या तेरे बाबा तक बात पहूंची ना तो बहोत बुरा होगा...
सागर:- देखता हु यार...
विजय:- तू जा घर..
सागर:- बहोत डर लग रहा है यार...
विजय:- भाई जब तक घर नहीं जाएगा तब तक ये सोल्व नहीं होगा...
सागर:- ठीक है..
सागर घर की और चल पड़ता है। उसकी बहोत फटी पड़ी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे कैसे करे??
इधर प्रभा की नींद मोबाइल बजने से खुल जाती है। लेकिन उसका फ़ोन नहीं था। वो आवाज सागर के रूम से आ रही थी। वो उठ के बाहर जाती है। सागर के कमरे में देखती है तो वहा कोई नहीं था। सिर्फ उसका मोबाइल था। वो इधर उधर देखती है मगर वो नहीं था। तब तक कॉल कट जाता है। वो देखती है फ़ोन किसका था तभी फिरसे फ़ोन बजने लगता है। वो उसे उठा लेती है। विजय का फ़ोन था मगर प्रभा आगे कुछ बोले उससे पहले उधर से विजय बोल पड़ा.....विजय:-भाई चाची की चूत चोदने में इतना बिजी हो गया क्या?? और कितना चोदेगा भाई?? देखना कोई तबेले में आके तुम्हारी चुदाई लीला ना देख ले। और जल्दी निपटा ले।ये सुनके प्रभा के पैरो तले जमीन सरक जाती है। उसकी आवाज तो मानो जैसे चली गयी हो। उसे कुछ सूझता नहीं वो झट से फ़ोन कट कर देती है। विजय की चाची??सागर??येक्या चक्कर है?? और सागर उसकी चाची को चोद रहा है??मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा....मैंने सुना तो था की वो औरत एक नंबर की चुद्दकड़ है पर सागर ???हे भगवन ये क्या है?? अभी उसके तबेले में जाके देखती हु...प्रभा वैसेही दरवाजा बंद करके जल्दी जल्दी तबेले की तरफ निकल पड़ती है।वहा जाके वो चुपके से। देखती है पर उसे कही कुछ नजर नहीं आता। फिर वो थोडा अंदर जाती है और वो जो देखती है उसपे उसे बिलकुल विश्वास नहीं होता। सागर निचे लेटा हुआ था और चाची उसके लंड पे बैठ के खप खप उसे अपने चूत के अंदर बाहर कर रही थी। प्रभा ये देख के हैरान रह जाती है। उसे गुस्सा आने लगता है।वो आगे बढ़ के उन दोनों को रोकना चाहती है पर उसके कदम वाही रुक जाते है। क्यू की चाची अब सागर का लंड चूसने लगी थी। सागर के लंड का साइज़ देख उसका मुह खुला का खुला रह गया।प्रभा:- बापरे इतना मोटा आउट लंबा लंड उफ्फ्फ्फ्फ़ ये तो चंदू के लंड से भी बड़ा है।यहाँ सागर अब अपने वीर्य की बरसात चाची के मुह में करने लगता है। चाची उसका वीर्य पि जाती है। और दोनों वाही गद्दे पे लेट जाते है।
उसी वक़्त माधवी स्कूल से आ जाती है।
माधवी:- माँ....ओ माँ...
प्रभा अपने आप को सँभालती है और बाहर आती है।
प्रभा:- हा क्यू चिल्ला रही है??जिन्दा हु मैं अभी...वो थोडा गुस्से में बोली।
माधवी:- गुस्सा क्यू कर रही हो?? और भैया कहा है?? वो हमे लेने आने वाले थे...
प्रभा:- मुझे नहीं पता वो कहा है....मुझसे मत पूछ....
माधवी:- क्या हो क्या गया तुझे??इतना क्यू उखड़ी हुई है?? मुझ पे क्यू चिल्ला रही है??
प्रभा:- जादा चु चपड़ मत कर...जा अपना काम कर....और हा सुन मैं आती हु थोडा बाहर जाके...
माधवी:- अब कहा। जा रही है?? बाबा आते ही होंगे...
प्रभा उसे एक बार गुस्से से देखती है और बिना कुछ बोले बाहर चली जाती है। वो मन ही मन विजय की चाची को सबक शिकाने की ठान लेती है। वो उसके घर पहोच के देखती है की उसका पति वहा बारामदे में बैठा था। उसे देख के वो थोडा सहम सी जाती है।
प्रभा:- भैया नमस्ते...मीना कहा है??
पति:- अंदर है भाभी...अरे वो सुनाती हो...प्रभा भाभी आयी है।
मीना:- अरे दीदी आओ ना अंदर...
प्रभा उसे बहोत गुस्से से देखती है और अंदर चली जाती है।
मीना:- हा दीदी चाय बनाऊ??आज कैसे मेरे घर का रास्ता भूल गयी??
प्रभा:- देख मीना...ये चिकनी चुपड़ी बाते मुझसे ना कर...इन बातो में मेरा बेटा आ सकता है मैं नहीं..
मीना ये सुनके सन्न रह जाती है...
मीना:- दीदी आप ये क्या कह रही हो??
प्रभा:- जादा बन मत मैंने सब देख लिया है तबेले में तुम दोनों क्या कर रहे थे।
मीना मन ही मन सोचती है जब इसे पता चल ही गया है तो छुपाने से कोई फायदा नहीं...लेकिन अगर मैं इससे अच्छेसे बात नही करुँगी तो ये मेरे पति को बता देगी...और मेरा पति मुझे काट डालेगा।
मीना:- दीदी आप पहले शांत हो जाओ...इन्होंने सुन लिया तो मेरा क़त्ल कर देंगे। और हा दीदी वो मेरे पास आया था मैंने नहीं बुलाया था उसे।
प्रभा:- मैं तुझर अछेसे जानती हु...बता कब से चल रहा है ये सब??
मीणा:- दीदी सच कह रही हु...और आज पहली बार था दीदी विश्वास करो मेरा मेरे बच्चों की कसम खा के कह
*ये सुनने के बाद प्रभा थोड़ी शांत हो जाती है।
मीना:- दीदी आप फ़िक्र मत कीजिये आज के बाद ऐसा कुछ नहीं होगा। लेकिन आप इन्हें मत बताना।
प्रभा:- देख मीना ये कच्ची उम्र में लड़के बहक जाते है...मैं नहीं चाहती की मेरा बीटा इन सब बातो पे पड़ के अपनी पढाई बर्बाद कर ले। मैं उसे भी समजाऊंगी....लेकिन तुझसे बिनती है मेरी ....
मिना:- दीदी आप फ़िक्र मत करो...अब तो चाय पियेंगी??
प्रभा:- ठीक है...देख तूने अपने बच्चों की कसम खायी है।
मिना:- हा दीदी...मिना चाय बनाने लगती है।....प्रभा भी अब शांत हो चुकी थी।...दीदी बुरा ना मानो तो एक बात कहू??
प्रभा:- हो बोल....
मिना:- क्या मर्द बेटा पैदा किया है आपने....मेरी तो हालत ख़राब कर दी उसने आज...
प्रभा:- चुप कर छिनाल कही की....
प्रभा को गुस्सा नहीं आया ये देख वो और आगे बाते करने लगी।
मिना:- हाय दीदी सच में क्या तगड़ा लंड है उसका....मेरी चूत में तो अब तक दर्द हो रहा है।
प्रभा ये सब सुनके क्या बोले ये सोच ही रही थी के मिना आगे बोलने लगी।
मीना:- दीदी सच में मेरे पति का इतना बड़ा होता न तो दिन रात चढ़ी रहती उसपे...
प्रभा:- तू है ही एक नम्बर की छिनाल।
मीना:- अरे नहीं दीदी उसका लंड देख के तो अच्छे अच्छो की नियत डोल जाय। वो आपकी जगह काश मेरा बेटा होता....
प्रभा:- चुप कर...और ये चुदाई का भुत निचे उतार अपने सर से। पागल हो गयी है तू। तेरा बेटा होता तो भी चुदवा लेती क्या उससे??
मिना:- हा क्यू नहीं दीदी...वो सरला है ना रोज अपने बेटे का लंड लेती है।
प्रभा:- क्या कह रही तू??
मिना:-हा दीदी सच में...मैंने खुद देखा है अपनी आँखों से।
प्रभा:- जितना सुनो उतना कम है अपने गाँव के बारे में...
मिना:- अरे दीदी मेरा तो मानना है की लंड किसी का भी मिले उसे बस लेलो अपनी चूत में।लंड और चूत में कैसा रिश्ता...वो तो एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए बने है।
प्रभा कुछ बोल नहीं पा रही थी। वो गहरी सोच में पड़ गयी थी। मिना की बातो का असर उसपे हो चूका था। मिना ने भी जानबुज कर ये सारी बातें उससे कही थी। प्रभा चाय खत्म कर के अपने घर की धीमे कदमो से। बड चली थी। लेकिन दिमाग में कई बाते एकसाथ उछलकूद कर रही थी। उसे मिना की कही हर बात याद आ रही थी। उसका जिस्म प्यासा तो था ही...लेकिन दो दिनों से उसे उस बात का अहसास कुछ जादा ही होने लगा था। पहले चंदू की वजह से और अब सागर और मीना की वजह से।
इधर तबेले में.......
विजय:- और भाई मजा आया की नहीं??? कैसी रही तेरी पहली चुदाई??
सागर:- बहोत मजा आया यार....फिर कब दिलवाएगा??
विजय:- जब तू बोले....
सागर:-एक काम कर ना यार आज रात का जुगाड़ कर ना कुछ......
विजय:- ह्म्म्म क्या बात है अब तो तेरेसे रहा नहीं जा रहा...रात का तो नहीं बता सकता...फिर भी तुझे फ़ोन करता हु।
सागर को एकदम से याद आता है की उसका फ़ोन वो घर पे भूल आया था।*
सागर:- अरे यार मेरा फ़ोन घर पे ही रह गया।
विजय उसे ये। बता पाता की उसने फ़ोन किया था तभी उसका मोबाइल बजता है।चाची का फ़ोन था। वो विजय को प्रभा के बारे में बताती है। सब सुनने के बाद विजय सागर की तरफ मुड़ता है....
विजय:- भाई तेरी गांड लग गयी....प्रभा चाची ने तुझे और मिना चाची का चुदाई वाला खेल देख लिया...वो चाची से बात करने गयी थी उसके घर....अब तू गया बेटा...
सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है...उसे कुछ समझ नहीं आता वो क्या करे और क्या नहीं। घबराहट के मारे उसके मुह से आवाज नहीं निकलती।
विजय:- यार बहोत बड़ी प्रॉब्लम हो गई...कही चाची मेरी माँ को भी ना बता दे...
सागर:- यार अब मैं क्या करू?? माँ ने बाबा को बता दिया तो वो मेरी जान ले लेंगे...
विजय:- हा यार..और मेरी भी...भाई अब तुझे कुछ करना होगा...तुझे चाची को समझाना होगा...
सागर:- मैं क्या समझाऊ यार??
विजय:- कुछ भी कर पेअर पकड़ ले चाची के माफ़ी मांग कुछ भी कर यार लेकिन मेरी माँ या तेरे बाबा तक बात पहूंची ना तो बहोत बुरा होगा...
सागर:- देखता हु यार...
विजय:- तू जा घर..
सागर:- बहोत डर लग रहा है यार...
विजय:- भाई जब तक घर नहीं जाएगा तब तक ये सोल्व नहीं होगा...
सागर:- ठीक है..
सागर घर की और चल पड़ता है। उसकी बहोत फटी पड़ी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे कैसे करे??
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भाग 8
सागर डरते डरते ही घर आता है। घर में जाते ही प्रभा उसके सामने दिखती है। माधवी भी वही हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी। सागर प्रभा से आँख नहीं मिला पा रहा था।
माधवी:- कहा थे भैया?? आप हमे लेने आने वाले थे। प्रियंका भी कितना गुस्सा कर रही थी।
सागर कुछ बोले उससे पहले प्रभा बोल पड़ती है...
प्रभा:-बहोत जरुरी काम कर रहा था वो...वो छोड़के नहीं आ सकता था...
प्रभा सागर की और गुस्से से देखते हुए बोली। सागर ने नजर उठा के एक बार देखा और वापस निचे देखने लग गया। प्रभा अभी भी उसे देख रही थी की वो कुछ बोले लेकिन सागर कुछ भी नहीं बोल रहा था। वो चुपचाप थोड़ी देर टीवी देखा और अपने कमरे में चला गया।
* *प्रभा के लिए ये थोडा अजीब था। माधवी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी। सागर अपने कमरे में जाके सोचने लगा की माँ से कैसे बात करू?? बहोत सोचने के बाद उसने निश्चय किया की वो अभी कुछ बात नहीं करेगा। नार्मल रहेगा जब माँ सामनेसे बात करेगी तब देखा जाएगा।
प्रभा भी यही सोच रही थी की अभी वो सागर से कुछ बात ना करे। पहेली बार है इसलिए उसे माफ़ कर देती हु।
रात को खाने के टाइम सब नार्मल हो चूका था। सागर ये देख के बहोत रिलैक्स फील कर रहा था की प्रभा नार्मल थी।*
सब अपने कमरे में जाके सोने लगे थे। लेकिन प्रभा का मूड आज कुछ और ही था। उसने अपने कमरे की लाइट बंद की और जसवंत के पास जाके लेट गयी।उसके कंधे के पास अपना सर रख के उसकी छाती पे हाथ घुमाने लगी।
जसवंत:- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझपे?
प्रभा:- मैं तो आपसे बहोत प्यार करती हु पर आप तो जैसे प्यार करना भूल ही गए हो।
जसवंत:- अरे नहीं मेरी रानी वो तो खेतो में बहोत थक जाता हु...
प्रभा:- बहाने बनाते रहो....मुझे तो लगता है आप वहा खेतो में किसी मजदुर औरत को पेलते होंगे इसलिए मुझे कई दिनों तक हाथ नहीं लगाते।
जसवंत:- पागल हो क्या?? सच में थक जाता हु।
प्रभा:- चलो ना आज मेरा बहोत मन कर रहा है।
जसवंत:- नहीं आज रहने दो...कल करते है।
प्रभा:- आप लेटे रहो जो करना है मैं ही करुँगी...
जसवंत:- मेरा मन नहीं है प्रभा...नहीं होगा कुछ।
लेकिन प्रभा ये नहीं सुनाती और *जसवंत का लंड बाहर निकाल के हिलाने लगती है। अभी थोडा तनाव आने लगता है फिर वो उसे मुह में लेके चूसने लगती है। बहोत कोशिश के बाद जसवंत का लंड खड़ा होता है। प्रभा उठती है और साड़ी ऊपर उठा के उसके लंड पे बैठना चाहती है लेकिन जब वो देखती है की जसवंत का लंड फिर से छोटा हो जाता है तो उसे बड़ी निराशा होती है।
प्रभा:- ह्म्म्म सच कहा आपने आज नहीं होगा....लेकिन कल जरूर करना...बहोत तड़प रही मेरी चूत
जसवंत:-ठीक है मेरी जान...अब सो जा।
जसवंत कपडे ठीक करके दूसरी तरफ करवट लेके सो जाता है। लेकिन प्रभा तो बहोत उत्तेजित हो चुकी थी। वो निचे लेट के छत की और देखने लगती है। आज का दिन बहोत अजीब था उसके लिए।उन घटनाओ के बारे में सोचती प्रभा उस पल में अटक जाती है जहा मिना सागर का लंड चूस रही थी। उसे वो पल याद आते ही अपनी चूत में चुलबुलाहट सी महसूस होती है।फिर मीना की वो बात...उसका हाथ अपने आप ही चूत के पास चला जाता है।
प्रभा:-सच में सागर का लंड तो है बहोत दमदार...मीना ने तो आज मजे कर लिये।उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु। अपने बेटे के लंड के बारे में क्यू सोच रही हु।लेकिन ये क्या मेरी चूत तो गीली हो रही है। सच कहती है मिना चूत और लंड में कोई रिश्ता नहीं होता।साली रांड मेरे बेटे का लंड कितने मजे से चूस रही थी। और सागर भी क्या जोरदार तरीके से उसकी चूत मार रहा था....हाय रे उम्म्म्म काश मिना की जगह मैं होती.....उफ्फ्फ ये क्या हो गया है मुझे??सागर मेरी चूत चोदे ऐसा कैसे सोच सकती हु मैं...पागल हो गयी हु मैं...लेकिन जैसे ही मैंने ये सोचा मेरी चूत में त्यों जैसे आग लग गयी है। क्या ऐसा हो सकता है की सागर मुझे चोदे??उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अह्ह्ह लेकिन ये गलत है। फिर वो सरला कैसे चुदवाती है अपने बेटे से?? फिर भी ये गलत है।मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए।लेकिन मेरे दिमाग से सागर के लंड की तस्वीर हट ही नहीं रही है। अगर उसे पता चला की मैं उसके बारे में ये सब सोच रही हु तो क्या सोचेगा वो मेरे बारे में?? लेकिन वो भी तो विजय की चाची को मजे से चोद रहा था। अगर वो मेरे बारे में भी यही सोचता होगा तो??वो भी मुझे चोदना चाहता हो तो?? उस मिना से कही जादा सेक्सी हु मैं अगर वो मीना को चोद सकता है तो मुझे क्यू नहीं?? वो जवान है उसे चूत की जरुरत है अगर वो उसे घर में ही मिल जाती है तो वो बाहर मुह नहीं मरेगा और मुझे भी उसके तगड़े लंड से चुदने का मजा मिलता रहेगा।प्रभा क्या सोच रही है ये गलत है....बस बहोत हो गया सही गलत मुझे नहीं पता.... मुझे अपनी चूत की प्यास बुझानी है और वो सागर के लंड से अह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म हाय रे मेरी चूत से पानी की बाढ़ आ गयी है ये सोच के उम्म्म्म असल में जब चुदवाउंगी तो कितना मजा आयेगा स्सस्सस्स*
प्रभा अब अपनी चूत को रगड़ने लगी थी। उसे अब कुछ फरक नहीं पड़ रहा था की उसका पति बाजू में सोया है और वो अपने बेटे के बारे में सोच के चूत रगड़ रही है।
प्रभा:-उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मजा आएगा जब उसका लंड मेरी चूत में घुसेगा अह्ह्ह्ह औऊऊऊच अह्ह्ह्ह मेरी चूत तो फट ही जायेगी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जब वो अपना लंड आगे पीछे करेगा मेरी चूत का कोना कोना रगड़ जाएगा उसके लंड से अह्ह्ह्ह्ह
प्रभा पागलो की तरह अपनी चूत सहला रही थी ....उंगली से चोद रही थी। वो इतनी उत्तेजित थी की कुछ ही मिनटो में वो अपनी मंजिल पे पहोंच गयी। उसे आज तक इतना मजा कभी नहीं आया था। वो जोर जोर। से साँसे लेते हुए वैसेही पड़ी रही।
इधर सागर को भी नींद नहीं आ रही थी।वो दिनभर हुए बातो के बारे में सोच रहा था। लेकिन उसकी बार बार प्रभा पे आ के रुक रही थी। वो सोच रहा था की क्यू प्रभा ने उसे कुछ पूछा नहीं या कुछ कहा नहीं?? आखिर वो क्या चाहती है??कही वो भी तो मेरे साथ कुछ करना *चाहती है?? नहीं वो भला ऐसा क्यू चाहेगी?? उनको और बाबा को देख के तो ऐसा नहीं लगता की उनमे कुछ प्रॉब्लम है। लेकिन फिर वो। दोपहर में क्यू अपनी चूत में उंगली कर रही थी??
सागर को दोपहर का वो दृश्य याद आते ही उसके लंड में हरकत होने लगी थी।
सागर:- हा यार..शायद बाबा अब माँ को नहीं चोदते...इसीलिये तो अपनी आग अपनी उंगली से शांत कर रही थी। हा यार ....क्या मस्त नजारा था वो...कितनी सुन्दर चिकनी चूत थी उनकी...किसी 25 साल की लड़की की तरह....नहीं तो उस चाची की...छोड यार उसे..माँ पे कंसन्ट्रेट कर...उफ्फ्फ्फ़ जब वो उसे सहला रही थी...अंदर का गुलाबी रंग स्सस्सस्स उम्म्म्म यार बस एक बार चोदने मिल जाय अह्ह्ह्ह हाहा मजा आ जायेगा स्स्स्स। पागल हो गया है क्या?? ऐसे मत सोच उनके बारे में...माँ है वो तेरी...लेकिन चाची भी तो बता रही थी की इसमे कुछ गलत नहीं है...हा न इसमे क्या गलत है?? वो अगर मेरी माँ नहीं होती तो क्या औरत नहीं होती?? और। मैं उसे नहीं चोदता क्या??*
इसके आगे वो कुछ सोच पाता ...उसका मोबाइल बजने लगा..उसे लगता है की फ़ोन शायद विजय का होगा...लेकिन कोई नंबर था।
उसने फ़ोन उठाया...दो तिन बार हेलो हेलो बोलने पर पभी उधर से कोई जवाब नहीं दे रहा था। उसने फ़ोन कट कर दिया।
दो मिनट बाद फिर से फ़ोन बजा..लेकिन वो उठाय इससे पहले कट हो जाता है।
सागर गुस्से में आके वापस फ़ोन करता है। वो उसे डांटने वाला होता है की उधर से एक लड़की की आवाज आती है।
सागर:- कोण बात कर रहा है??
""मैं प्रियंका""
उधर से आवाज आती है।
सागर:- प्रियंका ??क्या हुआ??इस वक़्त क्यू फ़ोन किया??माधवी तो सो रही होगी...
प्रियंका:- मैंने तुमसे ही बात करने के लिए फ़ोन किया है।
सागर ये सुनके थोडा आश्चर्य होता है और थोड़ी ख़ुशी भी।
सागर:- मुझसे??क्या बात करनी है??
प्रियंका:- मुझे तुमपे बहोत गुस्सा आ रहा है...तुम हमे लेने क्यू नहीं आये??
सागर:- ओह्ह अरे वो मैं थोडा दोस्तों से बाते करने लगा और मेरे ध्यान से निकल गया। तुमने ये पूछने के लिए रात के 12 बजे फ़ोन किया है??
प्रियंका:- नहीं तो..
सागर:- फिर किस लिए??
प्रियंका:- ऐसेही..
सागर:- ऐसेही??सच में?? तो ठीक है फिर अभी मुझे नींद आ रही है कल बात करते है...
प्रियंका:- पागल हो तुम...एक लड़की रात को एक लड़के को फ़ोन करती है..और वो भी अपने बाबा का मोबाइल चुरा के...तो वो क्या ऐसेही??
सागर:- तुमने ही तो कहा...
प्रियंका:- तुम्हे समझ नहीं आता क्या बुद्धू..??
सागर:- क्या??
सागर सब समझ रहा था लेकिन जानबुज के उसकी खिंचाई कर रहा था।
प्रियंका:-समझो न यार...
सागर:- क्या समझू?कुछ बोलोगी तो समझूगा न...
प्रियंका:- भोले मत बनो...सब समझ आ रहा है फिर भी नाटक कर रहे हो।
सागर:-मैं कोई नाटक नहीं कर रहा हु...सच में...तुम कुछ बोल नही रही और मुझसे कहती हो की मैं भोला बन रहा हु...बुद्धू हु...
प्रियंका:- सच में टीमहे इतनी सिंपल सी बात समज नहीं आ रही??
सागर:- कोनसी??
प्रियंका:- यही की मुझे तुमसे प्यार हो गया है.....
सागर डरते डरते ही घर आता है। घर में जाते ही प्रभा उसके सामने दिखती है। माधवी भी वही हॉल में बैठ के टीवी देख रही थी। सागर प्रभा से आँख नहीं मिला पा रहा था।
माधवी:- कहा थे भैया?? आप हमे लेने आने वाले थे। प्रियंका भी कितना गुस्सा कर रही थी।
सागर कुछ बोले उससे पहले प्रभा बोल पड़ती है...
प्रभा:-बहोत जरुरी काम कर रहा था वो...वो छोड़के नहीं आ सकता था...
प्रभा सागर की और गुस्से से देखते हुए बोली। सागर ने नजर उठा के एक बार देखा और वापस निचे देखने लग गया। प्रभा अभी भी उसे देख रही थी की वो कुछ बोले लेकिन सागर कुछ भी नहीं बोल रहा था। वो चुपचाप थोड़ी देर टीवी देखा और अपने कमरे में चला गया।
* *प्रभा के लिए ये थोडा अजीब था। माधवी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी। सागर अपने कमरे में जाके सोचने लगा की माँ से कैसे बात करू?? बहोत सोचने के बाद उसने निश्चय किया की वो अभी कुछ बात नहीं करेगा। नार्मल रहेगा जब माँ सामनेसे बात करेगी तब देखा जाएगा।
प्रभा भी यही सोच रही थी की अभी वो सागर से कुछ बात ना करे। पहेली बार है इसलिए उसे माफ़ कर देती हु।
रात को खाने के टाइम सब नार्मल हो चूका था। सागर ये देख के बहोत रिलैक्स फील कर रहा था की प्रभा नार्मल थी।*
सब अपने कमरे में जाके सोने लगे थे। लेकिन प्रभा का मूड आज कुछ और ही था। उसने अपने कमरे की लाइट बंद की और जसवंत के पास जाके लेट गयी।उसके कंधे के पास अपना सर रख के उसकी छाती पे हाथ घुमाने लगी।
जसवंत:- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझपे?
प्रभा:- मैं तो आपसे बहोत प्यार करती हु पर आप तो जैसे प्यार करना भूल ही गए हो।
जसवंत:- अरे नहीं मेरी रानी वो तो खेतो में बहोत थक जाता हु...
प्रभा:- बहाने बनाते रहो....मुझे तो लगता है आप वहा खेतो में किसी मजदुर औरत को पेलते होंगे इसलिए मुझे कई दिनों तक हाथ नहीं लगाते।
जसवंत:- पागल हो क्या?? सच में थक जाता हु।
प्रभा:- चलो ना आज मेरा बहोत मन कर रहा है।
जसवंत:- नहीं आज रहने दो...कल करते है।
प्रभा:- आप लेटे रहो जो करना है मैं ही करुँगी...
जसवंत:- मेरा मन नहीं है प्रभा...नहीं होगा कुछ।
लेकिन प्रभा ये नहीं सुनाती और *जसवंत का लंड बाहर निकाल के हिलाने लगती है। अभी थोडा तनाव आने लगता है फिर वो उसे मुह में लेके चूसने लगती है। बहोत कोशिश के बाद जसवंत का लंड खड़ा होता है। प्रभा उठती है और साड़ी ऊपर उठा के उसके लंड पे बैठना चाहती है लेकिन जब वो देखती है की जसवंत का लंड फिर से छोटा हो जाता है तो उसे बड़ी निराशा होती है।
प्रभा:- ह्म्म्म सच कहा आपने आज नहीं होगा....लेकिन कल जरूर करना...बहोत तड़प रही मेरी चूत
जसवंत:-ठीक है मेरी जान...अब सो जा।
जसवंत कपडे ठीक करके दूसरी तरफ करवट लेके सो जाता है। लेकिन प्रभा तो बहोत उत्तेजित हो चुकी थी। वो निचे लेट के छत की और देखने लगती है। आज का दिन बहोत अजीब था उसके लिए।उन घटनाओ के बारे में सोचती प्रभा उस पल में अटक जाती है जहा मिना सागर का लंड चूस रही थी। उसे वो पल याद आते ही अपनी चूत में चुलबुलाहट सी महसूस होती है।फिर मीना की वो बात...उसका हाथ अपने आप ही चूत के पास चला जाता है।
प्रभा:-सच में सागर का लंड तो है बहोत दमदार...मीना ने तो आज मजे कर लिये।उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु। अपने बेटे के लंड के बारे में क्यू सोच रही हु।लेकिन ये क्या मेरी चूत तो गीली हो रही है। सच कहती है मिना चूत और लंड में कोई रिश्ता नहीं होता।साली रांड मेरे बेटे का लंड कितने मजे से चूस रही थी। और सागर भी क्या जोरदार तरीके से उसकी चूत मार रहा था....हाय रे उम्म्म्म काश मिना की जगह मैं होती.....उफ्फ्फ ये क्या हो गया है मुझे??सागर मेरी चूत चोदे ऐसा कैसे सोच सकती हु मैं...पागल हो गयी हु मैं...लेकिन जैसे ही मैंने ये सोचा मेरी चूत में त्यों जैसे आग लग गयी है। क्या ऐसा हो सकता है की सागर मुझे चोदे??उफ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अह्ह्ह लेकिन ये गलत है। फिर वो सरला कैसे चुदवाती है अपने बेटे से?? फिर भी ये गलत है।मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए।लेकिन मेरे दिमाग से सागर के लंड की तस्वीर हट ही नहीं रही है। अगर उसे पता चला की मैं उसके बारे में ये सब सोच रही हु तो क्या सोचेगा वो मेरे बारे में?? लेकिन वो भी तो विजय की चाची को मजे से चोद रहा था। अगर वो मेरे बारे में भी यही सोचता होगा तो??वो भी मुझे चोदना चाहता हो तो?? उस मिना से कही जादा सेक्सी हु मैं अगर वो मीना को चोद सकता है तो मुझे क्यू नहीं?? वो जवान है उसे चूत की जरुरत है अगर वो उसे घर में ही मिल जाती है तो वो बाहर मुह नहीं मरेगा और मुझे भी उसके तगड़े लंड से चुदने का मजा मिलता रहेगा।प्रभा क्या सोच रही है ये गलत है....बस बहोत हो गया सही गलत मुझे नहीं पता.... मुझे अपनी चूत की प्यास बुझानी है और वो सागर के लंड से अह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म हाय रे मेरी चूत से पानी की बाढ़ आ गयी है ये सोच के उम्म्म्म असल में जब चुदवाउंगी तो कितना मजा आयेगा स्सस्सस्स*
प्रभा अब अपनी चूत को रगड़ने लगी थी। उसे अब कुछ फरक नहीं पड़ रहा था की उसका पति बाजू में सोया है और वो अपने बेटे के बारे में सोच के चूत रगड़ रही है।
प्रभा:-उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना मजा आएगा जब उसका लंड मेरी चूत में घुसेगा अह्ह्ह्ह औऊऊऊच अह्ह्ह्ह मेरी चूत तो फट ही जायेगी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जब वो अपना लंड आगे पीछे करेगा मेरी चूत का कोना कोना रगड़ जाएगा उसके लंड से अह्ह्ह्ह्ह
प्रभा पागलो की तरह अपनी चूत सहला रही थी ....उंगली से चोद रही थी। वो इतनी उत्तेजित थी की कुछ ही मिनटो में वो अपनी मंजिल पे पहोंच गयी। उसे आज तक इतना मजा कभी नहीं आया था। वो जोर जोर। से साँसे लेते हुए वैसेही पड़ी रही।
इधर सागर को भी नींद नहीं आ रही थी।वो दिनभर हुए बातो के बारे में सोच रहा था। लेकिन उसकी बार बार प्रभा पे आ के रुक रही थी। वो सोच रहा था की क्यू प्रभा ने उसे कुछ पूछा नहीं या कुछ कहा नहीं?? आखिर वो क्या चाहती है??कही वो भी तो मेरे साथ कुछ करना *चाहती है?? नहीं वो भला ऐसा क्यू चाहेगी?? उनको और बाबा को देख के तो ऐसा नहीं लगता की उनमे कुछ प्रॉब्लम है। लेकिन फिर वो। दोपहर में क्यू अपनी चूत में उंगली कर रही थी??
सागर को दोपहर का वो दृश्य याद आते ही उसके लंड में हरकत होने लगी थी।
सागर:- हा यार..शायद बाबा अब माँ को नहीं चोदते...इसीलिये तो अपनी आग अपनी उंगली से शांत कर रही थी। हा यार ....क्या मस्त नजारा था वो...कितनी सुन्दर चिकनी चूत थी उनकी...किसी 25 साल की लड़की की तरह....नहीं तो उस चाची की...छोड यार उसे..माँ पे कंसन्ट्रेट कर...उफ्फ्फ्फ़ जब वो उसे सहला रही थी...अंदर का गुलाबी रंग स्सस्सस्स उम्म्म्म यार बस एक बार चोदने मिल जाय अह्ह्ह्ह हाहा मजा आ जायेगा स्स्स्स। पागल हो गया है क्या?? ऐसे मत सोच उनके बारे में...माँ है वो तेरी...लेकिन चाची भी तो बता रही थी की इसमे कुछ गलत नहीं है...हा न इसमे क्या गलत है?? वो अगर मेरी माँ नहीं होती तो क्या औरत नहीं होती?? और। मैं उसे नहीं चोदता क्या??*
इसके आगे वो कुछ सोच पाता ...उसका मोबाइल बजने लगा..उसे लगता है की फ़ोन शायद विजय का होगा...लेकिन कोई नंबर था।
उसने फ़ोन उठाया...दो तिन बार हेलो हेलो बोलने पर पभी उधर से कोई जवाब नहीं दे रहा था। उसने फ़ोन कट कर दिया।
दो मिनट बाद फिर से फ़ोन बजा..लेकिन वो उठाय इससे पहले कट हो जाता है।
सागर गुस्से में आके वापस फ़ोन करता है। वो उसे डांटने वाला होता है की उधर से एक लड़की की आवाज आती है।
सागर:- कोण बात कर रहा है??
""मैं प्रियंका""
उधर से आवाज आती है।
सागर:- प्रियंका ??क्या हुआ??इस वक़्त क्यू फ़ोन किया??माधवी तो सो रही होगी...
प्रियंका:- मैंने तुमसे ही बात करने के लिए फ़ोन किया है।
सागर ये सुनके थोडा आश्चर्य होता है और थोड़ी ख़ुशी भी।
सागर:- मुझसे??क्या बात करनी है??
प्रियंका:- मुझे तुमपे बहोत गुस्सा आ रहा है...तुम हमे लेने क्यू नहीं आये??
सागर:- ओह्ह अरे वो मैं थोडा दोस्तों से बाते करने लगा और मेरे ध्यान से निकल गया। तुमने ये पूछने के लिए रात के 12 बजे फ़ोन किया है??
प्रियंका:- नहीं तो..
सागर:- फिर किस लिए??
प्रियंका:- ऐसेही..
सागर:- ऐसेही??सच में?? तो ठीक है फिर अभी मुझे नींद आ रही है कल बात करते है...
प्रियंका:- पागल हो तुम...एक लड़की रात को एक लड़के को फ़ोन करती है..और वो भी अपने बाबा का मोबाइल चुरा के...तो वो क्या ऐसेही??
सागर:- तुमने ही तो कहा...
प्रियंका:- तुम्हे समझ नहीं आता क्या बुद्धू..??
सागर:- क्या??
सागर सब समझ रहा था लेकिन जानबुज के उसकी खिंचाई कर रहा था।
प्रियंका:-समझो न यार...
सागर:- क्या समझू?कुछ बोलोगी तो समझूगा न...
प्रियंका:- भोले मत बनो...सब समझ आ रहा है फिर भी नाटक कर रहे हो।
सागर:-मैं कोई नाटक नहीं कर रहा हु...सच में...तुम कुछ बोल नही रही और मुझसे कहती हो की मैं भोला बन रहा हु...बुद्धू हु...
प्रियंका:- सच में टीमहे इतनी सिंपल सी बात समज नहीं आ रही??
सागर:- कोनसी??
प्रियंका:- यही की मुझे तुमसे प्यार हो गया है.....
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 8
सागर प्रियंका की बात सुनके बहोत खुश हो जाता है।इधर प्रियंका बहोत घबरा जाती है क्यू की हड़बड़ाहट में उसके मुह से ये बात निकल गयी थी। वो शरम के मारे कुछ बोल ही नहीं पाती।
सागर:- क्या??फिर से कहना...हेलो..प्रियंका...क्या कह रही थी तुम??
प्रियंका थोड़ी हिम्मत बटोर के आगे बोलती है....
प्रियंका:- कुछ नहीं ..कुछ नही....
सागर:- क्या कुछ नहीं....अभी तो तुमने कहा की तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है।
प्रियंका:- वो मैं..अ..हा..मेरा मतलब है नहीं...वो...
सागर:- रहने दो कुछ बोलने की जरुरत नहीं....ये प्यार व्यार के लिए तुम अभी बहोत छोटी हो...ये उम्र नहीं है तुम्हारी ये सब करने की....
सागर अभी भी उसे छेड़े जा रहा था।
प्रियंका:- क्या?? मैं अब बड़ी हो गयी हु...बच्ची नहीं रही मैं अब...और तुम्हे भी पता है ये बात..इसीलिए तो उस दिन बारिश में ....
सागर:- क्या?? बारिश में क्या??क्या हुआ था??
प्रियंका:- अब जादा नाटक मत करो...तुम्हे पता है मैं क्या बोल रही हु...
सागर:- नहीं सच में अभी भी तुम छोटी हो...वो बारिश में तुम्हारी उसको देख के मैं ये सोच रहा था की अभी इतनी बड़ी है आगे जाके और कितनी बड़ी होंगी..
प्रियंका:- हा क्या?? ठीक है अगर तुम्हे लगता है की मैं अभी प्यार के लिए छोटी हु तो..मैं किसी और को तलाश कर लेती हु जिसे लगे की मैं अभी जवान हो गयी हु।
सागर:- जान से मार डालूँगा तुझे अगर ऐसी बात की तो....
प्रियंका:- क्यू?? अभी तो तुम बोल रहे थे।
सागर:- वो तो मैं ऐसेही मजाक कर रहा था।...सच कहू तो मुझे भी तुम बहोत पसंद हो...
प्रियंका:- सच??ओह्ह्ह सागर...
सागर:- हा सच में...और जब से तुम्हे बारिश में भीगते हुए देखा है तबसे बस तुम्हारे ही खयालो में खोया रहता हु।
प्रियंका:-हा क्या??ऐसा क्या देख लिया तुमने??
सागर:- उम्म्म मत पूछो क्या देख लिया...तुम्हे नहीं पता की तुम बारिश में भीग के कितनी सेक्सी लग रही थी।
प्रियंका:- चुप करो..कुछ भी..
सागर:- अरे सच में...वो बारिश की बुँदे जब तुम्हारे चेहरे पे गिर के तुम्हारे गुलाबी होटो से होती हुई गर्दन से निचे तुम्हारी सीने की गहराई में खोते हुए जब मैंने देखा मेरी क्या हालत हो रही थी तुम्हे क्या पता।
प्रियंका:- मुझे पता है...मैं सब देख रही थी।और तुम्हे मुझे इसतरह देखते हुए देख के मेरी हालत भी तो ख़राब हो रही थी।
सागर:-अछा?? क्या हो रहा था तुम्हे??
प्रियंका:- नहीं बता सकती..मुझे शरम आ रही है..
सागर:- बताओ भी अब कैसी शरम??
प्रियंका:- नहीं पहले तुम बताओ...फिर मैं बताती हु।
सागर बेड पे लेट के अपने लंड पे हाथ घुमाने लगता है।मिना को चोदने के बाद वो काफी बेशर्म हो चूका था।
सागर:- क्या बताऊ मेरी हालात के बारे में...ऐसे फ़ोन पे बताऊंगा तो तुम्हे समझ नहीं आएगा..अकेले में मिलो फिर बताऊंगा...
प्रियंका:-ठीक है कल मिलते है...कल स्कूल का हाफ डे होता है...
सागर:- लेकिन माधवी का क्या करे??
प्रियंका:- हा ये तो मैंने सोचा ही नहीं...
सागर:-तुम उसे पटा लेना कल स्कूल में...
प्रियंका:- अरे नहीं वो बहोत सीधी है..पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेगी...
सागर:- ठीक है सोचता हु कुछ....
प्रियंका:- ठीक है...अभी मैं रखती हु।
सागर:- ठीक है बाय....
दोनों फ़ोन रख देते है। सागर प्रियंका के खयालो में खो चूका था। उसे प्रभा वाली बात याद भी नहीं आ रही थी।
अगले दिन सुबह हमेशा की तरह ही माधवी स्कूल के लिए निकलती है। सागर उसे छोड़ने जाता है। प्रियंका के घर जब वो दोनों पहोचते है प्रियंका बाहर ही उनका इंतजार कर रही थी। वो दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है।
माधवी:- अरे क्या हुआ तुझे??कल तो बहोत गुस्सा कर रही थी भैया पे...कहा गया तेरा गुस्सा??
प्रियंका:-रात को चला गया...
माधवी:- क्या??ऐसा क्या हो गया रात में??
सागर:- अब जाने दे ना...तू क्या मुझे उससे पिटवाना चाहती है??
माधवी:- हा..प्रियंका दे दो चार...
सागर:- हो दो ...लेकिन दो चार नहीं 20 25 दो...सागर चुपके से उसे किस का इशारा करता है। प्रियंका ये देख के शरमा जाती है।...लेकिन अकेले में देना...यहाँ अच्छा नहीं लगेगा...
माधवी:- नहीं सबके सामने दे...
माधवी की बात सुन के दोनों हँसाने लगते है।
माधवी:- अरे क्या हुआ??क्यू हंस रहे हो??
प्रियंका:- कुछ नहीं पागल चल नहीं तो देर हो जायेगी।
सागर दोनों को स्कूल छोड़ के घर वापस आता है। घर में जैसेही उसकी नजर प्रभा पे पड़ती है उसे कल की बात याद आ जाती है। वो चुपके से अपने कमरे की और निकलने की कोशिश करता है। लेकिन प्रभा की नजर उसपे पड़ती है...
प्रभा :- सागर..यहाँ आओ जरा..
प्रभा की आवाज हमेशा की तरह ही थी। कोई गुस्सा नहीं कुछ नहीं...लेकिन सागर की फटी पड़ी थी।
वो प्रभा के पास जाता है..
सागर:- जी माँ...
प्रभा:- ये ले मैंने तेरे लिए खीर बनायी है..बता कैसी है??
सागर अभी भी अंदर से डरा हुआ था। वो खीर खाने लगता है। खाते खाते प्रभा के चेहरे के भाव पढने की कोशिश करता है...सोचता है कही ये बकरे को काटने से पहले उसे खाने पिलाने की विधि तो नहीं चल रही?? वो नजरे घुमा के देखता है कही बाबा तो घर नहीं है??
प्रभा:- क्या सोच रहा है??कैसी है??
सागर:- अच्छी है...
प्रभा:- खाले अच्छेसे आज कल बहोत मेहनत कर रहा है न तू...शहर में कॉलेज और यहाँ गाँव में....
प्रभा इतना बोल के रुक जाती है।सागर एकदम शॉक होक प्रभा को देखता है। उसे लगता है अब वो गया काम से...लेकिन वो बची खुची हिम्मत जोड़ के कहता है...
सागर:- वो माँ कल...वो ...मैं..माँ ...
प्रभा समझ जाती है की वो क्या कहना चाह रहा है..
प्रभा:- हा बोल..क्या वो ये कर रहा है...वैसे कल मैं मिना से मिली..बड़ी तारीफ कर रही थी तुम्हारी..
सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है।उसके गले से आवाज नहीं निकलती।
प्रभा:- मैंने उससे कहा हा मेरा बेटा है ही तारीफ के काबिल...लेकिन एक बात कहु तुमसे उससे थोडा दूर ही रहना...वो अच्छी औरत नहीं है।
सागर स्तब्ध खड़ा बस प्रभा की बाते सुनते रहता है।
प्रभा:-अब तुम बड़े हो गए हो..अच्छे बुरे का फर्क करना सीखो...मुझे पता है तुम्हारी भी कुछ जरूरते है..लेकिन किसी गलत संगत में पद के गलत रास्ते पे मत चले जाना..तुम्हे कुछ लगता है तो मैं हु ना..मेरा मतलब है की तुम मुझसे बात कर सकते हो खुल के...हम गाँव में रहते है लेकिन मैं पुराने खयालो की नहीं हु...क्या समझे??
सागर प्रभा की बाते सुनके रिलैक्स हो जाता है।वो।प्रभा की तरफ देखता है प्रभा मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
सागर:- ठीक है माँ...और सॉरी...दुबारा गलती नहीं करूँगा...
प्रभा:- ठीक है...आओ यहाँ बैठो मेरे पास...सागर खीर खत्म करके प्रभा के पास सोफे पे बैठ जाता है। प्रभा उससे कुछ जादा ही सट के बैठती है...
प्रभा:- देखो मैं तुमसे फिर से कह रही हु...तुम।मुझसे किसी भी बारे में खुल के बात कर सकते हो...मैं तुम्हारी मदद कर सकती हु...प्रभा अपना पूरा मूड बना चुकी थी की आज सागर को पटा के अपनी प्यास बुझा ले।
सागर:-हा माँ..जरूर...मैं समझ गया।
प्रभा:- ह्म्म्म अच्छी बात है...
लेकिन वो आगे कुछ बोल पाती या कर पाती...चंदू की आवाज आती है...वो जसवंत का टिफिन लेने आया था। प्रभा उसे टिफिन देती है। उतने में सागर अपने कमरे में चला जाता है।
सागर प्रियंका की बात सुनके बहोत खुश हो जाता है।इधर प्रियंका बहोत घबरा जाती है क्यू की हड़बड़ाहट में उसके मुह से ये बात निकल गयी थी। वो शरम के मारे कुछ बोल ही नहीं पाती।
सागर:- क्या??फिर से कहना...हेलो..प्रियंका...क्या कह रही थी तुम??
प्रियंका थोड़ी हिम्मत बटोर के आगे बोलती है....
प्रियंका:- कुछ नहीं ..कुछ नही....
सागर:- क्या कुछ नहीं....अभी तो तुमने कहा की तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है।
प्रियंका:- वो मैं..अ..हा..मेरा मतलब है नहीं...वो...
सागर:- रहने दो कुछ बोलने की जरुरत नहीं....ये प्यार व्यार के लिए तुम अभी बहोत छोटी हो...ये उम्र नहीं है तुम्हारी ये सब करने की....
सागर अभी भी उसे छेड़े जा रहा था।
प्रियंका:- क्या?? मैं अब बड़ी हो गयी हु...बच्ची नहीं रही मैं अब...और तुम्हे भी पता है ये बात..इसीलिए तो उस दिन बारिश में ....
सागर:- क्या?? बारिश में क्या??क्या हुआ था??
प्रियंका:- अब जादा नाटक मत करो...तुम्हे पता है मैं क्या बोल रही हु...
सागर:- नहीं सच में अभी भी तुम छोटी हो...वो बारिश में तुम्हारी उसको देख के मैं ये सोच रहा था की अभी इतनी बड़ी है आगे जाके और कितनी बड़ी होंगी..
प्रियंका:- हा क्या?? ठीक है अगर तुम्हे लगता है की मैं अभी प्यार के लिए छोटी हु तो..मैं किसी और को तलाश कर लेती हु जिसे लगे की मैं अभी जवान हो गयी हु।
सागर:- जान से मार डालूँगा तुझे अगर ऐसी बात की तो....
प्रियंका:- क्यू?? अभी तो तुम बोल रहे थे।
सागर:- वो तो मैं ऐसेही मजाक कर रहा था।...सच कहू तो मुझे भी तुम बहोत पसंद हो...
प्रियंका:- सच??ओह्ह्ह सागर...
सागर:- हा सच में...और जब से तुम्हे बारिश में भीगते हुए देखा है तबसे बस तुम्हारे ही खयालो में खोया रहता हु।
प्रियंका:-हा क्या??ऐसा क्या देख लिया तुमने??
सागर:- उम्म्म मत पूछो क्या देख लिया...तुम्हे नहीं पता की तुम बारिश में भीग के कितनी सेक्सी लग रही थी।
प्रियंका:- चुप करो..कुछ भी..
सागर:- अरे सच में...वो बारिश की बुँदे जब तुम्हारे चेहरे पे गिर के तुम्हारे गुलाबी होटो से होती हुई गर्दन से निचे तुम्हारी सीने की गहराई में खोते हुए जब मैंने देखा मेरी क्या हालत हो रही थी तुम्हे क्या पता।
प्रियंका:- मुझे पता है...मैं सब देख रही थी।और तुम्हे मुझे इसतरह देखते हुए देख के मेरी हालत भी तो ख़राब हो रही थी।
सागर:-अछा?? क्या हो रहा था तुम्हे??
प्रियंका:- नहीं बता सकती..मुझे शरम आ रही है..
सागर:- बताओ भी अब कैसी शरम??
प्रियंका:- नहीं पहले तुम बताओ...फिर मैं बताती हु।
सागर बेड पे लेट के अपने लंड पे हाथ घुमाने लगता है।मिना को चोदने के बाद वो काफी बेशर्म हो चूका था।
सागर:- क्या बताऊ मेरी हालात के बारे में...ऐसे फ़ोन पे बताऊंगा तो तुम्हे समझ नहीं आएगा..अकेले में मिलो फिर बताऊंगा...
प्रियंका:-ठीक है कल मिलते है...कल स्कूल का हाफ डे होता है...
सागर:- लेकिन माधवी का क्या करे??
प्रियंका:- हा ये तो मैंने सोचा ही नहीं...
सागर:-तुम उसे पटा लेना कल स्कूल में...
प्रियंका:- अरे नहीं वो बहोत सीधी है..पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेगी...
सागर:- ठीक है सोचता हु कुछ....
प्रियंका:- ठीक है...अभी मैं रखती हु।
सागर:- ठीक है बाय....
दोनों फ़ोन रख देते है। सागर प्रियंका के खयालो में खो चूका था। उसे प्रभा वाली बात याद भी नहीं आ रही थी।
अगले दिन सुबह हमेशा की तरह ही माधवी स्कूल के लिए निकलती है। सागर उसे छोड़ने जाता है। प्रियंका के घर जब वो दोनों पहोचते है प्रियंका बाहर ही उनका इंतजार कर रही थी। वो दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कराते है।
माधवी:- अरे क्या हुआ तुझे??कल तो बहोत गुस्सा कर रही थी भैया पे...कहा गया तेरा गुस्सा??
प्रियंका:-रात को चला गया...
माधवी:- क्या??ऐसा क्या हो गया रात में??
सागर:- अब जाने दे ना...तू क्या मुझे उससे पिटवाना चाहती है??
माधवी:- हा..प्रियंका दे दो चार...
सागर:- हो दो ...लेकिन दो चार नहीं 20 25 दो...सागर चुपके से उसे किस का इशारा करता है। प्रियंका ये देख के शरमा जाती है।...लेकिन अकेले में देना...यहाँ अच्छा नहीं लगेगा...
माधवी:- नहीं सबके सामने दे...
माधवी की बात सुन के दोनों हँसाने लगते है।
माधवी:- अरे क्या हुआ??क्यू हंस रहे हो??
प्रियंका:- कुछ नहीं पागल चल नहीं तो देर हो जायेगी।
सागर दोनों को स्कूल छोड़ के घर वापस आता है। घर में जैसेही उसकी नजर प्रभा पे पड़ती है उसे कल की बात याद आ जाती है। वो चुपके से अपने कमरे की और निकलने की कोशिश करता है। लेकिन प्रभा की नजर उसपे पड़ती है...
प्रभा :- सागर..यहाँ आओ जरा..
प्रभा की आवाज हमेशा की तरह ही थी। कोई गुस्सा नहीं कुछ नहीं...लेकिन सागर की फटी पड़ी थी।
वो प्रभा के पास जाता है..
सागर:- जी माँ...
प्रभा:- ये ले मैंने तेरे लिए खीर बनायी है..बता कैसी है??
सागर अभी भी अंदर से डरा हुआ था। वो खीर खाने लगता है। खाते खाते प्रभा के चेहरे के भाव पढने की कोशिश करता है...सोचता है कही ये बकरे को काटने से पहले उसे खाने पिलाने की विधि तो नहीं चल रही?? वो नजरे घुमा के देखता है कही बाबा तो घर नहीं है??
प्रभा:- क्या सोच रहा है??कैसी है??
सागर:- अच्छी है...
प्रभा:- खाले अच्छेसे आज कल बहोत मेहनत कर रहा है न तू...शहर में कॉलेज और यहाँ गाँव में....
प्रभा इतना बोल के रुक जाती है।सागर एकदम शॉक होक प्रभा को देखता है। उसे लगता है अब वो गया काम से...लेकिन वो बची खुची हिम्मत जोड़ के कहता है...
सागर:- वो माँ कल...वो ...मैं..माँ ...
प्रभा समझ जाती है की वो क्या कहना चाह रहा है..
प्रभा:- हा बोल..क्या वो ये कर रहा है...वैसे कल मैं मिना से मिली..बड़ी तारीफ कर रही थी तुम्हारी..
सागर ये सुनके पसीना पसीना हो जाता है।उसके गले से आवाज नहीं निकलती।
प्रभा:- मैंने उससे कहा हा मेरा बेटा है ही तारीफ के काबिल...लेकिन एक बात कहु तुमसे उससे थोडा दूर ही रहना...वो अच्छी औरत नहीं है।
सागर स्तब्ध खड़ा बस प्रभा की बाते सुनते रहता है।
प्रभा:-अब तुम बड़े हो गए हो..अच्छे बुरे का फर्क करना सीखो...मुझे पता है तुम्हारी भी कुछ जरूरते है..लेकिन किसी गलत संगत में पद के गलत रास्ते पे मत चले जाना..तुम्हे कुछ लगता है तो मैं हु ना..मेरा मतलब है की तुम मुझसे बात कर सकते हो खुल के...हम गाँव में रहते है लेकिन मैं पुराने खयालो की नहीं हु...क्या समझे??
सागर प्रभा की बाते सुनके रिलैक्स हो जाता है।वो।प्रभा की तरफ देखता है प्रभा मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
सागर:- ठीक है माँ...और सॉरी...दुबारा गलती नहीं करूँगा...
प्रभा:- ठीक है...आओ यहाँ बैठो मेरे पास...सागर खीर खत्म करके प्रभा के पास सोफे पे बैठ जाता है। प्रभा उससे कुछ जादा ही सट के बैठती है...
प्रभा:- देखो मैं तुमसे फिर से कह रही हु...तुम।मुझसे किसी भी बारे में खुल के बात कर सकते हो...मैं तुम्हारी मदद कर सकती हु...प्रभा अपना पूरा मूड बना चुकी थी की आज सागर को पटा के अपनी प्यास बुझा ले।
सागर:-हा माँ..जरूर...मैं समझ गया।
प्रभा:- ह्म्म्म अच्छी बात है...
लेकिन वो आगे कुछ बोल पाती या कर पाती...चंदू की आवाज आती है...वो जसवंत का टिफिन लेने आया था। प्रभा उसे टिफिन देती है। उतने में सागर अपने कमरे में चला जाता है।