Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
Posted: 20 Jan 2017 09:46
जब तक हम क्लास के अंदर नही पहुचे अरुण रॅगिंग के बारे मे बता-बता कर डराता रहा, लेकिन मैं ऐसे रिएक्ट कर रहा था ,जैसे कि मुझे कोई फरक ही ना पड़ता हो ,लेकिन असलियत ये थी कि ये सब सिर्फ़ एक दिखावा था, मैं खुद भी अंदर से बहुत ज़्यादा डरा हुआ था....
"वो देख उस चश्मे वाली को, देसी आम लग रही है, एक बार खाने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए..."
सरीफ़ तो मैं भी नही था, लेकिन इस तरह खुले मे सबके सामने ऐसी बाते करने से मैं परहेज करता था , जिससे सबको अक्सर यही भरम होता था कि मैं बहुत बड़ा सरीफ़ हूँ और अक्सर मेरे एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट इस बात पर मुहर लगा देते थे...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरा जितना भी अच्छा वक़्त था वो ख़तम हो चुका था और मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदने आया था.....
"फर्स्ट क्लास किसकी है...."मैने अरुण से पुछा,...
"अबे, मेरा भी आज पहला दिन है...और अभी से भेजा मत खा..."
फर्स्ट एअर मे सभी ब्रांच वालो का कोर्स सेम होता है, इसलिए दो-दो ब्रांच वालो को एक साथ अरेंज किया गया था, मेरी और अरुण की ब्रांच मेकॅनिकल थी , लेकिन हमारे साथ माइनिंग ब्रांच के भी स्टूडेंट्स थे, और मुझे जो एक बात मालूम चली वो ये थी कि ,मुझे सिर्फ़ अपने ब्रांच के सीनियर्स से डरने की ज़रूरत है और मैं हॉस्टिल मे रहता हूँ तो इसलिए मेरी रॅगिंग केवल हॉस्टिल के सीनियर्स ले सकते है, जो सीनियर लोकल है या फिर सिटी मे रहते है, वो यदि तुम्हारी रॅगिंग लें तो तुम उन्हे पेल सकते हो और यदि सिटी वाले कोई लफडा करे तो हॉस्टिल वाले साथ देते है, ऐसा रूल वहाँ चलता था.....
"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....
"अरमान, नोट अजय..."
"ले ना यार अब खा मत..."
"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बुद्बुदाया और फिर सामने देखने लगा....
"गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स..."अपने सीने से एक बुक चिपका कर एक मॅम अंदर आई, मॅम क्या वो तो पूरी माल थी माल , 5'8" लगभग हाइट , मॉडेल्स वाली कमर, गोरा रंग....उसे क्लास के अंदर आता देखकर सभी खड़े हो गये और कुछ लड़को का खड़ा भी हो गया ,
"साला ये कॉलेज है या गोआ का बीच, जिधर नज़र घूमाओ एक से बढ़कर एक दिखती है..."अरुण अपने ठर्कि अंदाज़ मे धीरे से बोला....
उसके बाद कुछ देर तक इंट्रोडक्षन चला, जिसमे हमे उस मॅम का नाम मालूम चला,...उस 5'8" हाइट वाली मॅम का नाम दीपिका था, और वो हमे कंप्यूटर साइन्स पढ़ने आई थी, साली जितनी ज़्यादा गोरी थी उतना ही काला उसका दिल था, क्लास मे आते ही उसने एक साथ 10 असाइनमेंट दे दिए और बोली कि हर 3 दिन मे वो एक असाइनमेंट चेक करेगी और तो और नेक्स्ट मंडे को टेस्ट का बोलकर उसने सबकी फाड़ के रख दी.....
"ये लौदी है कौन, इसकी माँ की..."अरुण रोने वाली स्टाइल मे बोला" बाहर मिले ये गान्ड मार लूँगा इसकी..."
"कंट्रोल भाई..."उसके कंधे को सहलकर उसे दिलासा देते हुए मैं बोला.....
"घंटा का कंट्रोल, इसे तो हवेली मे ले जाकर चोदुन्गा,..."
"हवेली...."
"तू बच्चा है अभी, राज कॉमिक्स पढ़, ये सब बड़े लोग करते है..."
अरुण क्या कहना चाहता था, ये तो मेरे सर के उपर से निकल गया, दीपिका मॅम ने आते ही सबकी फाड़ डाली थी, ये तो सच था, लेकिन सच ये भी था कि उस एक क्लास मे ही आधे से अधिक लड़के एक दूसरे को बोलने लगे थे कि "सीएस वाली मॅम तेरी भाभी है...."
दीपिका मॅम के मस्त लंबे-लंबे बाल थे,....सर के , और उसके बाल अक्सर उसके चेहरे पर आ जाते, जिन्हे किसी फिल्मी आक्ट्रेस की तरह अपने सामने आए बालो को वो पीछे करती, उस पीरियड मे हमारी क्लास की लड़कियो की फुल2 बेज़्जती होती थी, यूँ तो पूरा कॉलेज फुलझड़ियों से भरा पड़ा था ,लेकिन हमारे ब्रांच की लड़किया कॉमेडी सर्कस की भरती थी, सिवाय एक दो को छोड़ कर , उन्हे कोई नही देखने वाला था ,क्यूंकी जब हीरा सामने हो तो कोयले की चाह कौन करेगा....
"तुम्हारा नाम क्या है....""सुनाई नही देता क्या..."
"अबे तुझे बोल रही है ,खड़े हो..."अपनी कोहनी को अरुण ने मेरे पेट मे दे मारा और मैं जैसे अपने ख़यालो से बाहर आया...इस तरह मुझे खड़ा करने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, जिसके कारण कुछ स्टूडेंट्स हँसे भी थे.....
"येस मॅम..."मैं उठ खड़ा हुआ, मेरी हालत उस समय ठीक वैसी थी ,जैसे एक बकरे की हालत कसाई को देखकर होती है,
"पहले ही दिन, पहले ही क्लास मे बेज़्जती..."सच बताऊ, तो मेरी उस वक़्त पूरी तरह फटी हुई थी, ना जाने वो क्या बोल दे....
"तुम अपनी कॉपी लेकर इधर आओ..."दीपिका मॅम ने मुझे सामने बुलाया....
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी और यही ख़याल आता रहा कि दीपिका मॅम कहीं कुछ पुच्छ ना ले, क्यूंकी अभी तक ना तो मैने कुछ लिखा था और ना ही कुछ पढ़ा था, अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी पर था....
"यहाँ मैं कॉमेडी कर रही हूँ क्या...."
"नो मॅम..."अपना सर झुकाए मैं किसी बच्चे की तरह सामने खड़ा था, और उस समय का इंतज़ार कर रहा था ,जब वो गुस्से से चिल्लाती हुई मेरी कॉपी फेक दे और मैं फिर अपनी कॉपी उठाकर वापस अपनी जगह पर बैठ जाऊ.....
"नाम क्या है तुम्हारा..."
"अरमान...."
"क्या अरमान है तुम्हारे,...ज़रा सबको बताओ..."
"सॉरी मॅम, आगे से कुछ नही करूँगा...."ये तो मैने मॅम से कहा , लेकिन मैं उसे कुछ और भी बोल सकता था और वो ये था"मेरे अरमान ये है कि तुझे पटक-पटक कर चोदु, कभी आगे से तो कभी पीछे से...."
"सिट डाउन, और दोबारा मेरी क्लास मे कोई हरकत करने से पहले सोच लेना..."
अपना मूह लटकाए , मैं वापस अपनी जगह पर आया ,जहाँ अरुण बैठा मज़े ले रहा था....
"अब चुप हो जा..."खुन्नस मे मैने कहा और मेरी आवाज़ ज़रा तेज हो गयी ,जिससे वो 5'8" हाइट वाली फिर भड़की और मुझे एक बार फिर से खड़ा किया....
"वो मॅम उससे मैं कुछ पुछ रहा था..." दीपिका मॅम, मेरा गला दबाती उससे पहले ही मैने बोल दिया....
"तुम भी खड़े हो..."अबकी बार इशारा अरुण की तरफ था, और जब मॅम ने उसे खड़े होने के लिए कहा तो उसके चेहरे का रंग भी बदल गया,...
"क्या पुछ रहा था ये तुमसे..."
"वो मॅम, बाइनरी को ओकटल मे कॉनवर्ट करने की मेतड, पुछ रहा था..."झूठ बोलते हुए अरुण ने मेरी तरफ देखा और सारी क्लास ने हम दोनो की तरफ निगाहे डाली...
"गेट आउट...."
"क्या..."
"मेरी क्लास ने बाहर जाओ और आज का तुम्हारा अटेंडेन्स कट, और अगली क्लास मे आओ, तो ज़रा ध्यान से, क्यूंकी यदि नेक्स्ट क्लास मे तुमने कोई हरकत की तो असाइनमेंट डबल हो जाएगा.....इस आस मे कि मॅम का दिल थोड़ा दरियादिल हो और वो मुझे वापस नीचे बैठा दे , इसलिए मैं थोड़ी देर अपनी जगह पर खड़ा रहा,...लेकिन वो इस बीच हज़ारो बार मुझे बाहर जाने के लिए चिल्ला चुकी थी , और फिर उसने आख़िरी बार प्रिन्सिपल के पास ले जाने की धमकी दी...पूरी क्लास के सामने मेरी इज़्ज़त मे चार चाँद लग चुके थे, लेकिन जब दीपिका मॅम ने प्रिन्सिपल का नाम लिया तो मैं किसी भीगी बिल्ली की तरह क्लास से बाहर आया.......
"वो देख उस चश्मे वाली को, देसी आम लग रही है, एक बार खाने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए..."
सरीफ़ तो मैं भी नही था, लेकिन इस तरह खुले मे सबके सामने ऐसी बाते करने से मैं परहेज करता था , जिससे सबको अक्सर यही भरम होता था कि मैं बहुत बड़ा सरीफ़ हूँ और अक्सर मेरे एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट इस बात पर मुहर लगा देते थे...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरा जितना भी अच्छा वक़्त था वो ख़तम हो चुका था और मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदने आया था.....
"फर्स्ट क्लास किसकी है...."मैने अरुण से पुछा,...
"अबे, मेरा भी आज पहला दिन है...और अभी से भेजा मत खा..."
फर्स्ट एअर मे सभी ब्रांच वालो का कोर्स सेम होता है, इसलिए दो-दो ब्रांच वालो को एक साथ अरेंज किया गया था, मेरी और अरुण की ब्रांच मेकॅनिकल थी , लेकिन हमारे साथ माइनिंग ब्रांच के भी स्टूडेंट्स थे, और मुझे जो एक बात मालूम चली वो ये थी कि ,मुझे सिर्फ़ अपने ब्रांच के सीनियर्स से डरने की ज़रूरत है और मैं हॉस्टिल मे रहता हूँ तो इसलिए मेरी रॅगिंग केवल हॉस्टिल के सीनियर्स ले सकते है, जो सीनियर लोकल है या फिर सिटी मे रहते है, वो यदि तुम्हारी रॅगिंग लें तो तुम उन्हे पेल सकते हो और यदि सिटी वाले कोई लफडा करे तो हॉस्टिल वाले साथ देते है, ऐसा रूल वहाँ चलता था.....
"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....
"अरमान, नोट अजय..."
"ले ना यार अब खा मत..."
"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बुद्बुदाया और फिर सामने देखने लगा....
"गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स..."अपने सीने से एक बुक चिपका कर एक मॅम अंदर आई, मॅम क्या वो तो पूरी माल थी माल , 5'8" लगभग हाइट , मॉडेल्स वाली कमर, गोरा रंग....उसे क्लास के अंदर आता देखकर सभी खड़े हो गये और कुछ लड़को का खड़ा भी हो गया ,
"साला ये कॉलेज है या गोआ का बीच, जिधर नज़र घूमाओ एक से बढ़कर एक दिखती है..."अरुण अपने ठर्कि अंदाज़ मे धीरे से बोला....
उसके बाद कुछ देर तक इंट्रोडक्षन चला, जिसमे हमे उस मॅम का नाम मालूम चला,...उस 5'8" हाइट वाली मॅम का नाम दीपिका था, और वो हमे कंप्यूटर साइन्स पढ़ने आई थी, साली जितनी ज़्यादा गोरी थी उतना ही काला उसका दिल था, क्लास मे आते ही उसने एक साथ 10 असाइनमेंट दे दिए और बोली कि हर 3 दिन मे वो एक असाइनमेंट चेक करेगी और तो और नेक्स्ट मंडे को टेस्ट का बोलकर उसने सबकी फाड़ के रख दी.....
"ये लौदी है कौन, इसकी माँ की..."अरुण रोने वाली स्टाइल मे बोला" बाहर मिले ये गान्ड मार लूँगा इसकी..."
"कंट्रोल भाई..."उसके कंधे को सहलकर उसे दिलासा देते हुए मैं बोला.....
"घंटा का कंट्रोल, इसे तो हवेली मे ले जाकर चोदुन्गा,..."
"हवेली...."
"तू बच्चा है अभी, राज कॉमिक्स पढ़, ये सब बड़े लोग करते है..."
अरुण क्या कहना चाहता था, ये तो मेरे सर के उपर से निकल गया, दीपिका मॅम ने आते ही सबकी फाड़ डाली थी, ये तो सच था, लेकिन सच ये भी था कि उस एक क्लास मे ही आधे से अधिक लड़के एक दूसरे को बोलने लगे थे कि "सीएस वाली मॅम तेरी भाभी है...."
दीपिका मॅम के मस्त लंबे-लंबे बाल थे,....सर के , और उसके बाल अक्सर उसके चेहरे पर आ जाते, जिन्हे किसी फिल्मी आक्ट्रेस की तरह अपने सामने आए बालो को वो पीछे करती, उस पीरियड मे हमारी क्लास की लड़कियो की फुल2 बेज़्जती होती थी, यूँ तो पूरा कॉलेज फुलझड़ियों से भरा पड़ा था ,लेकिन हमारे ब्रांच की लड़किया कॉमेडी सर्कस की भरती थी, सिवाय एक दो को छोड़ कर , उन्हे कोई नही देखने वाला था ,क्यूंकी जब हीरा सामने हो तो कोयले की चाह कौन करेगा....
"तुम्हारा नाम क्या है....""सुनाई नही देता क्या..."
"अबे तुझे बोल रही है ,खड़े हो..."अपनी कोहनी को अरुण ने मेरे पेट मे दे मारा और मैं जैसे अपने ख़यालो से बाहर आया...इस तरह मुझे खड़ा करने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, जिसके कारण कुछ स्टूडेंट्स हँसे भी थे.....
"येस मॅम..."मैं उठ खड़ा हुआ, मेरी हालत उस समय ठीक वैसी थी ,जैसे एक बकरे की हालत कसाई को देखकर होती है,
"पहले ही दिन, पहले ही क्लास मे बेज़्जती..."सच बताऊ, तो मेरी उस वक़्त पूरी तरह फटी हुई थी, ना जाने वो क्या बोल दे....
"तुम अपनी कॉपी लेकर इधर आओ..."दीपिका मॅम ने मुझे सामने बुलाया....
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी और यही ख़याल आता रहा कि दीपिका मॅम कहीं कुछ पुच्छ ना ले, क्यूंकी अभी तक ना तो मैने कुछ लिखा था और ना ही कुछ पढ़ा था, अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी पर था....
"यहाँ मैं कॉमेडी कर रही हूँ क्या...."
"नो मॅम..."अपना सर झुकाए मैं किसी बच्चे की तरह सामने खड़ा था, और उस समय का इंतज़ार कर रहा था ,जब वो गुस्से से चिल्लाती हुई मेरी कॉपी फेक दे और मैं फिर अपनी कॉपी उठाकर वापस अपनी जगह पर बैठ जाऊ.....
"नाम क्या है तुम्हारा..."
"अरमान...."
"क्या अरमान है तुम्हारे,...ज़रा सबको बताओ..."
"सॉरी मॅम, आगे से कुछ नही करूँगा...."ये तो मैने मॅम से कहा , लेकिन मैं उसे कुछ और भी बोल सकता था और वो ये था"मेरे अरमान ये है कि तुझे पटक-पटक कर चोदु, कभी आगे से तो कभी पीछे से...."
"सिट डाउन, और दोबारा मेरी क्लास मे कोई हरकत करने से पहले सोच लेना..."
अपना मूह लटकाए , मैं वापस अपनी जगह पर आया ,जहाँ अरुण बैठा मज़े ले रहा था....
"अब चुप हो जा..."खुन्नस मे मैने कहा और मेरी आवाज़ ज़रा तेज हो गयी ,जिससे वो 5'8" हाइट वाली फिर भड़की और मुझे एक बार फिर से खड़ा किया....
"वो मॅम उससे मैं कुछ पुछ रहा था..." दीपिका मॅम, मेरा गला दबाती उससे पहले ही मैने बोल दिया....
"तुम भी खड़े हो..."अबकी बार इशारा अरुण की तरफ था, और जब मॅम ने उसे खड़े होने के लिए कहा तो उसके चेहरे का रंग भी बदल गया,...
"क्या पुछ रहा था ये तुमसे..."
"वो मॅम, बाइनरी को ओकटल मे कॉनवर्ट करने की मेतड, पुछ रहा था..."झूठ बोलते हुए अरुण ने मेरी तरफ देखा और सारी क्लास ने हम दोनो की तरफ निगाहे डाली...
"गेट आउट...."
"क्या..."
"मेरी क्लास ने बाहर जाओ और आज का तुम्हारा अटेंडेन्स कट, और अगली क्लास मे आओ, तो ज़रा ध्यान से, क्यूंकी यदि नेक्स्ट क्लास मे तुमने कोई हरकत की तो असाइनमेंट डबल हो जाएगा.....इस आस मे कि मॅम का दिल थोड़ा दरियादिल हो और वो मुझे वापस नीचे बैठा दे , इसलिए मैं थोड़ी देर अपनी जगह पर खड़ा रहा,...लेकिन वो इस बीच हज़ारो बार मुझे बाहर जाने के लिए चिल्ला चुकी थी , और फिर उसने आख़िरी बार प्रिन्सिपल के पास ले जाने की धमकी दी...पूरी क्लास के सामने मेरी इज़्ज़त मे चार चाँद लग चुके थे, लेकिन जब दीपिका मॅम ने प्रिन्सिपल का नाम लिया तो मैं किसी भीगी बिल्ली की तरह क्लास से बाहर आया.......