मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
मैंने डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। डोली भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वो शाँत होती गयी। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगाकर बाकी का लण्ड भी उनकी चूत में घुसा दिया।
वो चीख उठी और बोली- “पूरा घुस गया?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब जोर-जोर से चोदो। तुम तो गाँव में कुश्ती लड़ा करते थे न?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लड़ो। मेरी चूत को अपने लण्ड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लण्ड से खूब जोर-जोर से वार करो। फाड़ देना आज इसको…”
मैंने कहा- “अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा?”
वो बोली- “तुम इसका मतलब नहीं समझे। मैं सचमुच फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ…”
मैंने बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए डोली भाभी को चोदना शुरू कर दिया। डोली भाभी तो बहुत ही सेक्सी निकलीं। वो हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। पूरा बेड जोर-जोर से हिल रहा था। कमरे में धपधप की आवाज़ हो रही थी। उनकी चूत से से भी चप-चप की आवाज़ निकल रही थी। मैं भी पूरे जोश में था और वो भी। पाँच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं। मैं खूब जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई कर रहा था। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसल रही थी। थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। डोली भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड पर खून भी लगा हुआ था।
डोली भाभी ने कहा- “देख लिया तुमने अपने लण्ड की करतूत। इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया…” उन्होंने मेरे लण्ड को कपड़े से साफ कर दिया।
उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली- “देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊँ। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला…”
मैंने कहा- “भाभी। आप इतने नशे में हो। इसलिये इतनी तारीफ कर रही हो…”
भाभी बोलीं- “अरे मेरे बेवकूफ देवर जी, नशे में जरूर हूँ पर गलत नहीं कह रही। बल्कि नशे में तो मज़ा दोगुना हो गया…”
मैंने फिर कहा- “मैं मिन्नी का क्या करूँ?”
वो बोली- “मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था। फिर भी मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ हुई। मिन्नी अभी बहुत छोटी है। जरा सोचो की उसे कितनी तकलीफ होती होगी…”
मैंने कहा- “तब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। क्या मैं मिन्नी को छोड़कर केवल तुमहारी चुदाई करूँ?”
वो बोली- “मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ। अबकी बार जब तुम मिन्नी की चुदाई करना तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। वो चाहे कितनी भी चीखे या चिल्लाये। अपना पूरा का पूरा लण्ड अंदर घुसा देना। उसकी चीख मुझे सुनायी पड़ेगी। तुम इसकी परवाह मत करना…”
मैंने कहा- “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा…”
वो बोली- “थोड़ी देर आराम कर लो। उसके बाद मिन्नी के पास जाओ। अबकी बार हार नहीं मानना। पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाये। हो सके तो उसे भी थोड़ी सी शराब पिला दो। उसे तकलीफ कुछ कम होगी और बाद में मज़ा भी ज्यादा आयेगा…”
मैंने कहा- “मैं ऐसा ही करूँगा…”
सुबह के पाँच बजने वाले थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं मिन्नी के पास चला गया। मिन्नी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो उठ गयी। मैंने उससे कहा- “जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा दो…”
वो बोली- “मुझे शरम आती है…”
मैंने कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड पर तेल नहीं लगाओगी तो मैं ऐसे ही अपना लण्ड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा…”
वो बोली- “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ…” इतना कहकर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकालकर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डालकर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बनाकर एक ही साँस में पूरा गटक गयी।
वो चीख उठी और बोली- “पूरा घुस गया?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब जोर-जोर से चोदो। तुम तो गाँव में कुश्ती लड़ा करते थे न?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लड़ो। मेरी चूत को अपने लण्ड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लण्ड से खूब जोर-जोर से वार करो। फाड़ देना आज इसको…”
मैंने कहा- “अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा?”
वो बोली- “तुम इसका मतलब नहीं समझे। मैं सचमुच फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ…”
मैंने बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए डोली भाभी को चोदना शुरू कर दिया। डोली भाभी तो बहुत ही सेक्सी निकलीं। वो हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। पूरा बेड जोर-जोर से हिल रहा था। कमरे में धपधप की आवाज़ हो रही थी। उनकी चूत से से भी चप-चप की आवाज़ निकल रही थी। मैं भी पूरे जोश में था और वो भी। पाँच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं। मैं खूब जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई कर रहा था। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसल रही थी। थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। डोली भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड पर खून भी लगा हुआ था।
डोली भाभी ने कहा- “देख लिया तुमने अपने लण्ड की करतूत। इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया…” उन्होंने मेरे लण्ड को कपड़े से साफ कर दिया।
उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली- “देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊँ। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला…”
मैंने कहा- “भाभी। आप इतने नशे में हो। इसलिये इतनी तारीफ कर रही हो…”
भाभी बोलीं- “अरे मेरे बेवकूफ देवर जी, नशे में जरूर हूँ पर गलत नहीं कह रही। बल्कि नशे में तो मज़ा दोगुना हो गया…”
मैंने फिर कहा- “मैं मिन्नी का क्या करूँ?”
वो बोली- “मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था। फिर भी मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ हुई। मिन्नी अभी बहुत छोटी है। जरा सोचो की उसे कितनी तकलीफ होती होगी…”
मैंने कहा- “तब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। क्या मैं मिन्नी को छोड़कर केवल तुमहारी चुदाई करूँ?”
वो बोली- “मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ। अबकी बार जब तुम मिन्नी की चुदाई करना तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। वो चाहे कितनी भी चीखे या चिल्लाये। अपना पूरा का पूरा लण्ड अंदर घुसा देना। उसकी चीख मुझे सुनायी पड़ेगी। तुम इसकी परवाह मत करना…”
मैंने कहा- “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा…”
वो बोली- “थोड़ी देर आराम कर लो। उसके बाद मिन्नी के पास जाओ। अबकी बार हार नहीं मानना। पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाये। हो सके तो उसे भी थोड़ी सी शराब पिला दो। उसे तकलीफ कुछ कम होगी और बाद में मज़ा भी ज्यादा आयेगा…”
मैंने कहा- “मैं ऐसा ही करूँगा…”
सुबह के पाँच बजने वाले थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं मिन्नी के पास चला गया। मिन्नी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो उठ गयी। मैंने उससे कहा- “जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा दो…”
वो बोली- “मुझे शरम आती है…”
मैंने कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड पर तेल नहीं लगाओगी तो मैं ऐसे ही अपना लण्ड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा…”
वो बोली- “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ…” इतना कहकर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकालकर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डालकर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बनाकर एक ही साँस में पूरा गटक गयी।
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
वो बोली- “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ…” इतना कहकर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकालकर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डालकर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बनाकर एक ही साँस में पूरा गटक गयी।
“ऊँ… मेरा सिर घूम रहा है…” वो बोली और वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली- “धीरे-धीरे घुसाना…”
मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डालकर उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो उसके मुँह हल्की सी चीख निकल गयी। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में तीन इंच तक घुस चुका था। मैंने थोड़ा सा जोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लण्ड चार इंच तक घुस गया। मैंने उसकी चीख पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया।
मैंने जोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और जोर-जोर से चीखने लगी- “दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं…”
अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड पाँच इंच तक घुस गया। मैंने फिर से बहुत ही जोर का एक धक्का और मारा तो वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही जोर-जोर से चिल्लाने लगी। अब तक मेरा लण्ड मिन्नी की गाण्ड में छः इंच तक घुस चुका था।
मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगी। लग रहा था कि जैसे वो मर जायेगी। मैं रुक गया और फिर अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच घुस चुका था। मैंने अपना लण्ड एक झटके से बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड बाहर आ गया। मैंने देखा की उसकी गाण्ड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लण्ड पर और उसकी गाण्ड पर लगा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठायी और उसकी गाण्ड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उसके बाद मैंने फिर से अपना लण्ड धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में घुसा दिया। जब मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच तक घुस गया तो मैंने पूरी ताकत के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये।
वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “दीदी, तुमने मुझे कहाँ फँसा दिया। मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मर डालेंगे…”
मैंने कहा- “अब चुप हो जाओ। मेरा पूरा लण्ड अब घुस चुका है…”
वो कुछ नहीं बोली, केवल सिसक-सिसक कर रोती रही। मैं अपना लण्ड उसकी गाण्ड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा। धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शाँत हो गयी।
तभी कमरे के बाहर से ही डोली भाभी ने पूछा- “काम हो गया?”
मैंने कहा- “अभी तो मैंने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है…”
वो बोली- “ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ…”
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो मिन्नी फिर से चीखने लगी। वक्त गुजरता गया और वो धीरे-धीरे शाँत होती गयी। दस मिनट में वो एकदम शाँत हो गयी तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकल रही थी। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी। तेल लगा होने की वजह से मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मिन्नी को भी अब कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था।
मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेजी के साथ उसकी गाण्ड मार रहा था। दस मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया। लण्ड का सारा पानी उसकी गाण्ड में निकाल देने के बाद भी मैंने उसकी गाण्ड में ही अपना लण्ड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया।
“ऊँ… मेरा सिर घूम रहा है…” वो बोली और वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली- “धीरे-धीरे घुसाना…”
मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डालकर उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो उसके मुँह हल्की सी चीख निकल गयी। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में तीन इंच तक घुस चुका था। मैंने थोड़ा सा जोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लण्ड चार इंच तक घुस गया। मैंने उसकी चीख पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया।
मैंने जोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और जोर-जोर से चीखने लगी- “दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं…”
अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड पाँच इंच तक घुस गया। मैंने फिर से बहुत ही जोर का एक धक्का और मारा तो वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही जोर-जोर से चिल्लाने लगी। अब तक मेरा लण्ड मिन्नी की गाण्ड में छः इंच तक घुस चुका था।
मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगी। लग रहा था कि जैसे वो मर जायेगी। मैं रुक गया और फिर अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच घुस चुका था। मैंने अपना लण्ड एक झटके से बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड बाहर आ गया। मैंने देखा की उसकी गाण्ड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लण्ड पर और उसकी गाण्ड पर लगा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठायी और उसकी गाण्ड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उसके बाद मैंने फिर से अपना लण्ड धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में घुसा दिया। जब मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच तक घुस गया तो मैंने पूरी ताकत के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये।
वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “दीदी, तुमने मुझे कहाँ फँसा दिया। मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मर डालेंगे…”
मैंने कहा- “अब चुप हो जाओ। मेरा पूरा लण्ड अब घुस चुका है…”
वो कुछ नहीं बोली, केवल सिसक-सिसक कर रोती रही। मैं अपना लण्ड उसकी गाण्ड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा। धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शाँत हो गयी।
तभी कमरे के बाहर से ही डोली भाभी ने पूछा- “काम हो गया?”
मैंने कहा- “अभी तो मैंने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है…”
वो बोली- “ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ…”
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो मिन्नी फिर से चीखने लगी। वक्त गुजरता गया और वो धीरे-धीरे शाँत होती गयी। दस मिनट में वो एकदम शाँत हो गयी तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकल रही थी। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी। तेल लगा होने की वजह से मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मिन्नी को भी अब कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था।
मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेजी के साथ उसकी गाण्ड मार रहा था। दस मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया। लण्ड का सारा पानी उसकी गाण्ड में निकाल देने के बाद भी मैंने उसकी गाण्ड में ही अपना लण्ड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया।
Re: मेरी पत्नी मिन्नी और डोली भाभी
मैंने मिन्नी से पूछा- “कुछ मज़ा आया?”
वो बोली- “बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया…”
मैंने कहा- “मेरी कसम है तुम्हें, सच-सच बताओ। क्या तुम्हें जरा सा भी मज़ा नहीं आया?”
उसने शरमाते हुए कहा- “पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा थोड़ा सा मज़ा आने लगा था कि तुम रुक गये…”
मैंने कहा- “अभी थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो जायेगा। उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा…”
वो बोली- “नहीं, अभी रहने दो…”
तभी डोली भाभी ने पूछा- “क्यों राज़, काम हो गया?”
मैंने कहा- “हाँ, मैंने अपना पानी इसके छेद में निकाल दिया है। अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ…”
डोली भाभी ने कहा- “ठीक है, जब दोबारा पानी निकाल देना तो बाहर आ जाना…”
मैंने कहा- “ठीक है…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की गाण्ड में ही रखा और उसकी चूचियों को मसलता रहा। 15 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की हल्की सी आह ही निकल रही थी। थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियां लेने लगी।
मैंने पूछा- “अब कैसा लग रहा है?”
वो बोली- “अब अच्छा लग रहा है…”
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो जोर की सिसकारियां भरने लगी। मुझे भी उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आ रहा था। बीस मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए पूछा- “कैसा लगा?”
वो बोली- “इस बार कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। अच्छा हुआ तुमने मुझे शराब पिला दी। कड़वी तो थी पर अब काफी अच्छा लग रहा है…”
मैंने कहा- “धीरे-धीरे तुम्हें ज्यादा मज़ा आने लगेगा। चाहो तो जब भी मैं तुम्हारे छेद में अपना औज़ार डालूँ, तुम थोड़ी शराब पी लिया करना। तुम्हें ज्यादा मज़ा आयेगा…” मैं मिन्नी के पास से उठकर बाहर चला आया।
डोली भाभी बाहर बैठी थी। नशे और पूरी रात ना सोने के कारण उनकी आँखें लाल और बुझी हुई सी थीं। उन्होंने मुझसे पूछा- “काम हो गया?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “मैं गरम पानी से उसकी चूत की सिकायी कर देती हूँ। इससे उसका दर्द कम हो जायेगा…”
मैं चुप रह गया क्योंकी मैंने तो मिन्नी की चूत को अभी तक छुआ ही नहीं था। मैंने तो उसकी गाण्ड मारी थी। मैं मिन्नी के पास चला गया।
डोली भाभी पानी गरम करके ले आयीं। वो बोली- “मैं पानी गरम करके लायी हूँ, अंदर आ जाऊँ…”
मैंने कहा- “आ जाओ…”
मिन्नी बोली- “मैं एकदम नंगी हूँ और तुम दीदी को यहाँ बुला रहे हो। क्या सोचेंगी वो… मैं नंगी और बिस्तर पे सैंडल पहने हुए…”
मैंने कहा- “तो क्या हुआ?”
वो कुछ नहीं बोली। डोली भाभी अंदर आ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा- “लाओ मैं तुम्हारे छेद की सिकायी कर दूँ। इससे तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा…”
मिन्नी ने करवट बदल ली तो डोली भाभी ने कहा- “तुमने करवट क्यों बदल ली। अब मैं कैसे तुम्हारे छेद की सिकायी करूँगी?”
उसने अपनी गाण्ड के छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा- “इसी में तो इन्होंने अपना औज़ार घुसाया था…”
डोली भाभी के मुँह से निकला- “क्या?”
डोली भाभी की नज़र मिन्नी की गाण्ड पर पड़ी। उसकी गाण्ड खून से लथपथ थी। मैंने अभी तक अपना लण्ड साफ नहीं किया था। मेरा लण्ड भी खून से भीगा हुआ था। डोली भाभी आँखें फाड़े कभी मेरे लण्ड को और कभी मिन्नी की गाण्ड को और कभी मेरे चेहरे को देखने लगी। डोली भाभी ने गरम पानी से मिन्नी के गाण्ड की सिकायी की। उसके बाद उन्होंने मुश्कुराते हुए मिन्नी से कहा- “मिन्नी तुमने एक मैदन तो मार लिया है। अब दूसरा मैदन मारना और बाकी है…”
वो बोली- “दीदी, मैं समझी नहीं…”
डोली भाभी ने मिन्नी की चूत पर हाथ लगाते हुए कहा- “अभी तो तुम्हें इस छेद में भी इसका औज़ार अंदर लेना है…”
मिन्नी को बहुत दर्द हो रहा था। डोली भाभी की बात सुनकर वो गुस्से में आ गयी। उसने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- “एक छेद के अंदर इनका औज़ार लेने में ही मेरा इतना बुरा हाल हो गया और आप कह रही हो की अभी इस छेद में भी अंदर लेना है। मैं अब किसी छेद में इनका औज़ार अंदर नहीं लूँगी। मुझे बहुत दर्द होता है। आप खुद ही इनका औज़ार अपने छेद में ले लो…”
डोली भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा- “मेरे अंदर लेने से क्या होगा। आखिर तुम्हें भी तो इसका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेना ही पड़ेगा। जैसे एक बार तुमने दर्द को बर्दाश्त कर लिया है उसी तरह से एक बार और दर्द को बर्दाश्त कर लेना…”
मिन्नी ने डोली भाभी की चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- “पहले तुम इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेकर दिखाओ। उसके बाद ही मैं इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लूँगी…”
डोली भाभी मुझे देखने लगी और मैं उनको।
मिन्नी बोली- “क्यों अब क्या हुआ? आप मुझे फँसा रही थी लेकिन मैंने आपको ही फँसा दिया। दिखाओ इनका औज़ार अपने छेद के अंदर लेकर…”
डोली भाभी ने कहा- “अच्छा बाबा, अभी दिखा देती हूँ लेकिन उसके बाद तो तुम मना नहीं करोगी?”
वो बोली- “पहले आप दिखाओ। उसके बाद मैं इनका औज़ार अंदर ले लूँगी भले ही मुझे कितनी भी तकलीफ क्यों ना हो…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “देवर जी… मिन्नी ऐसे नहीं मानेगी। अब तुम अपना औज़ार मेरे अंदर डाल ही दो…”
मैंने कहा- “मिन्नी के सामने?”
डोली भाभी बोली- “तो क्या हुआ? जब ये मुझे तुम्हारा औज़ार अंदर लेते हुए देखेगी तब ही तो ये तुम्हारा औज़ार अंदर लेगी…” डोली भाभी ने अपने कपड़े उतार दिये और मिन्नी के बगल में लेट गयी। मैं डोली भाभी के पैरों के बीच आ गया तो डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम बैठ जाओ और देखो की कैसे मैं इसका औज़ार पूरा का पूरा अंदर लेती हूँ…”
मिन्नी डोली भाभी के बगल में बैठ गयी। मैंने डोली भाभी की चूत में अपना लण्ड घुसाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लण्ड डोली भाभी की चूत में समा गया। मिन्नी आँखें फाड़े देखती रही। उसके बाद मैंने डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मिन्नी मेरे लण्ड को डोली भाभी की चूत में सटासट अंदर-बाहर होते हुए देखती रही। पाँच मिनट की चुदाई एक बाद डोली भाभी झड़ गयी तो मिन्नी ने कहा- “दीदी, तुम्हारे छेद में से क्या निकल रहा है?”
डोली भाभी ने कहा- “ये मेरी चूत का पानी है। अभी ये कई बार निकलेगा। जब ये तुम्हारी चूत में भी अपना लण्ड घुसाकर तेजी से अंदर-बाहर करेगा तब तुम्हारी चूत में से भी ऐसा ही पानी निकलेगा। चूत से पानी निकलने पर बहुत मज़ा आता है। तुम खुद ही देख लो की मुझे कितना मज़ा आ रहा है…”
.
वो बोली- “बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया…”
मैंने कहा- “मेरी कसम है तुम्हें, सच-सच बताओ। क्या तुम्हें जरा सा भी मज़ा नहीं आया?”
उसने शरमाते हुए कहा- “पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा थोड़ा सा मज़ा आने लगा था कि तुम रुक गये…”
मैंने कहा- “अभी थोड़ी देर में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो जायेगा। उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा…”
वो बोली- “नहीं, अभी रहने दो…”
तभी डोली भाभी ने पूछा- “क्यों राज़, काम हो गया?”
मैंने कहा- “हाँ, मैंने अपना पानी इसके छेद में निकाल दिया है। अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ…”
डोली भाभी ने कहा- “ठीक है, जब दोबारा पानी निकाल देना तो बाहर आ जाना…”
मैंने कहा- “ठीक है…”
मैंने अपना लण्ड मिन्नी की गाण्ड में ही रखा और उसकी चूचियों को मसलता रहा। 15 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने उसकी गाण्ड मारनी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की हल्की सी आह ही निकल रही थी। थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियां लेने लगी।
मैंने पूछा- “अब कैसा लग रहा है?”
वो बोली- “अब अच्छा लग रहा है…”
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो जोर की सिसकारियां भरने लगी। मुझे भी उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आ रहा था। बीस मिनट तक मैंने उसकी गाण्ड मारी और फिर झड़ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया।
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए पूछा- “कैसा लगा?”
वो बोली- “इस बार कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। अच्छा हुआ तुमने मुझे शराब पिला दी। कड़वी तो थी पर अब काफी अच्छा लग रहा है…”
मैंने कहा- “धीरे-धीरे तुम्हें ज्यादा मज़ा आने लगेगा। चाहो तो जब भी मैं तुम्हारे छेद में अपना औज़ार डालूँ, तुम थोड़ी शराब पी लिया करना। तुम्हें ज्यादा मज़ा आयेगा…” मैं मिन्नी के पास से उठकर बाहर चला आया।
डोली भाभी बाहर बैठी थी। नशे और पूरी रात ना सोने के कारण उनकी आँखें लाल और बुझी हुई सी थीं। उन्होंने मुझसे पूछा- “काम हो गया?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “मैं गरम पानी से उसकी चूत की सिकायी कर देती हूँ। इससे उसका दर्द कम हो जायेगा…”
मैं चुप रह गया क्योंकी मैंने तो मिन्नी की चूत को अभी तक छुआ ही नहीं था। मैंने तो उसकी गाण्ड मारी थी। मैं मिन्नी के पास चला गया।
डोली भाभी पानी गरम करके ले आयीं। वो बोली- “मैं पानी गरम करके लायी हूँ, अंदर आ जाऊँ…”
मैंने कहा- “आ जाओ…”
मिन्नी बोली- “मैं एकदम नंगी हूँ और तुम दीदी को यहाँ बुला रहे हो। क्या सोचेंगी वो… मैं नंगी और बिस्तर पे सैंडल पहने हुए…”
मैंने कहा- “तो क्या हुआ?”
वो कुछ नहीं बोली। डोली भाभी अंदर आ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा- “लाओ मैं तुम्हारे छेद की सिकायी कर दूँ। इससे तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा…”
मिन्नी ने करवट बदल ली तो डोली भाभी ने कहा- “तुमने करवट क्यों बदल ली। अब मैं कैसे तुम्हारे छेद की सिकायी करूँगी?”
उसने अपनी गाण्ड के छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा- “इसी में तो इन्होंने अपना औज़ार घुसाया था…”
डोली भाभी के मुँह से निकला- “क्या?”
डोली भाभी की नज़र मिन्नी की गाण्ड पर पड़ी। उसकी गाण्ड खून से लथपथ थी। मैंने अभी तक अपना लण्ड साफ नहीं किया था। मेरा लण्ड भी खून से भीगा हुआ था। डोली भाभी आँखें फाड़े कभी मेरे लण्ड को और कभी मिन्नी की गाण्ड को और कभी मेरे चेहरे को देखने लगी। डोली भाभी ने गरम पानी से मिन्नी के गाण्ड की सिकायी की। उसके बाद उन्होंने मुश्कुराते हुए मिन्नी से कहा- “मिन्नी तुमने एक मैदन तो मार लिया है। अब दूसरा मैदन मारना और बाकी है…”
वो बोली- “दीदी, मैं समझी नहीं…”
डोली भाभी ने मिन्नी की चूत पर हाथ लगाते हुए कहा- “अभी तो तुम्हें इस छेद में भी इसका औज़ार अंदर लेना है…”
मिन्नी को बहुत दर्द हो रहा था। डोली भाभी की बात सुनकर वो गुस्से में आ गयी। उसने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- “एक छेद के अंदर इनका औज़ार लेने में ही मेरा इतना बुरा हाल हो गया और आप कह रही हो की अभी इस छेद में भी अंदर लेना है। मैं अब किसी छेद में इनका औज़ार अंदर नहीं लूँगी। मुझे बहुत दर्द होता है। आप खुद ही इनका औज़ार अपने छेद में ले लो…”
डोली भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा- “मेरे अंदर लेने से क्या होगा। आखिर तुम्हें भी तो इसका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेना ही पड़ेगा। जैसे एक बार तुमने दर्द को बर्दाश्त कर लिया है उसी तरह से एक बार और दर्द को बर्दाश्त कर लेना…”
मिन्नी ने डोली भाभी की चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- “पहले तुम इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेकर दिखाओ। उसके बाद ही मैं इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लूँगी…”
डोली भाभी मुझे देखने लगी और मैं उनको।
मिन्नी बोली- “क्यों अब क्या हुआ? आप मुझे फँसा रही थी लेकिन मैंने आपको ही फँसा दिया। दिखाओ इनका औज़ार अपने छेद के अंदर लेकर…”
डोली भाभी ने कहा- “अच्छा बाबा, अभी दिखा देती हूँ लेकिन उसके बाद तो तुम मना नहीं करोगी?”
वो बोली- “पहले आप दिखाओ। उसके बाद मैं इनका औज़ार अंदर ले लूँगी भले ही मुझे कितनी भी तकलीफ क्यों ना हो…”
डोली भाभी ने मुझसे कहा- “देवर जी… मिन्नी ऐसे नहीं मानेगी। अब तुम अपना औज़ार मेरे अंदर डाल ही दो…”
मैंने कहा- “मिन्नी के सामने?”
डोली भाभी बोली- “तो क्या हुआ? जब ये मुझे तुम्हारा औज़ार अंदर लेते हुए देखेगी तब ही तो ये तुम्हारा औज़ार अंदर लेगी…” डोली भाभी ने अपने कपड़े उतार दिये और मिन्नी के बगल में लेट गयी। मैं डोली भाभी के पैरों के बीच आ गया तो डोली भाभी ने मिन्नी से कहा- “अब तुम बैठ जाओ और देखो की कैसे मैं इसका औज़ार पूरा का पूरा अंदर लेती हूँ…”
मिन्नी डोली भाभी के बगल में बैठ गयी। मैंने डोली भाभी की चूत में अपना लण्ड घुसाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लण्ड डोली भाभी की चूत में समा गया। मिन्नी आँखें फाड़े देखती रही। उसके बाद मैंने डोली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मिन्नी मेरे लण्ड को डोली भाभी की चूत में सटासट अंदर-बाहर होते हुए देखती रही। पाँच मिनट की चुदाई एक बाद डोली भाभी झड़ गयी तो मिन्नी ने कहा- “दीदी, तुम्हारे छेद में से क्या निकल रहा है?”
डोली भाभी ने कहा- “ये मेरी चूत का पानी है। अभी ये कई बार निकलेगा। जब ये तुम्हारी चूत में भी अपना लण्ड घुसाकर तेजी से अंदर-बाहर करेगा तब तुम्हारी चूत में से भी ऐसा ही पानी निकलेगा। चूत से पानी निकलने पर बहुत मज़ा आता है। तुम खुद ही देख लो की मुझे कितना मज़ा आ रहा है…”
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