बदनाम रिश्ते

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rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:48

भैया की नाकामी
प्रेषक : हर्ष मेहता
यह मेरी पहली कहानी है जो हकीकत है! मैं चंडीगढ़ मैं रहता हूँ अपने परिवार के साथ ! मैं पेशे से एक कंप्यूटर इंजिनियर हूँ और देखने मैं सामान्य लड़का हूँ !
यह बात आज से एक साल पहले की है। यह कहानी मेरी और मेरे चचेरे भाई की बीवी की है जो उत्तरप्रदेश में रहता है अपने परिवार के साथ !
मेरी भाभी के वक्ष काफी मनमोहक हैं, उनका आकार है 38-30-36 !
और सबसे ज्यादा अच्छे उसके होंठ है जो मुझे मदमस्त कर देते हैं।
बात यूँ शुरू हुई !!!
मैं अपनी चचेरी बहन की शादी में गया हुआ था तो वहाँ पर मेरी भाभी भी आई हुई थी। मेरी और उनकी सामान्य सी बात हुई लेकिन वो मुझे देख कर लगातार मुस्कुराए रही थी तो मैं भी प्रति-उत्तर में मुस्कुराता रहा।
धीरे-धीरे शादी की भीड़-भाड़ होने लगी तो सोने के लिए जगह कम पड़ने लगी।
तो मजबूरन सबको नीचे गद्दे बिछाकर सोना पड़ा। सोने से पहले ही चाचा जी ने कहा था कि कोई भी पति-पत्नी साथ-साथ नहीं सोयेंगे।
मैं तो एक कोने मैं पड़ा अपने लैपटॉप पर गाने सुन रहा था, इतने में मेरे साथ वाले बिस्तर पर हलचल हुई। मैंने मुड़ कर देखा तो मेरी वही भाभी मेरी बगल में लेटने की तैयारी में थी।
मैंने उनसे पूछा- यहाँ कैसे?
तो वो कहने लगी कि आज कोई मियां-बीवी साथ नहीं सोयेंगे ! इसलिए आपके साथ सोने आई हूँ !
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं आप सो जाइये !
तो वो सो गई !
रात करीब एक बजे जब सब सो चुके थे तब मुझे अपने बदन पर कोई चीज़ रेंगती सी लगी। जब मैंने मोबाइल की रोशनी से देखा तो मेरी भाभी मेरे बदन पर अपनी उंगली चला रही थी।
मैंने उनका हाथ पकड़ कर झटक दिया तो थोड़ी देर बाद वो फिर वही हरकत करने लगी। मैं चुपचाप सोया रहा।
इस बार तो उन्होंने हद ही पार कर दी और मेरे हथियार को पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने उनसे पूछा- यह क्या कर रही हो आप?
तो वो कहने लगी- वही जो आपके भैया मुझे करने नहीं देते !
मैंने पूछा- क्या आप उनसे संतुष्ट नहीं हो?
तो कहने लगी- वो तो साधारण सेक्स पसंद करते हैं और कहते हैं कि एक-दूसरे के गुप्तांगों को नहीं छूना चाहिए, यह गन्दी बात है!
और अपना लिंग मेरे में डाल कर 8-10 झटके मारे और सो गये। मुझसे कभी नहीं पूछा कि मैं फारग हुई या नहीं !
तो मैंने पूछा- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो कहा- जब तक आप यहाँ हैं, तब तक आपके साथ सेक्स कर के खुश रहना चाहती हूँ!
तो मैंने कहा- यहाँ कोई देख लेगा !
तो कहने लगी- आज कुछ नहीं करते ! कल रात से सबके सोने के बाद स्टोर में चलेंगे !
फिर वो और मैं सो गए। सुबह जब मैं उठा तो वो मेरे लिए चाए लेकर आई और देकर मुस्कुराने लगी।
मैं भी मुस्कुरा दिया।
अब वो और मैं हम दोनों रात होने का इंतज़ार करने लगे।
जब रात हुई तो वो मेरी बगल में लेट गई और जब सब सो गए तो मुझे कहा- पहले तुम चलो ! मैं बाद में आती हूँ।
मैं गया तो थोड़ी देर बाद भाभी आई और आते ही मुझे बेतहाशा चूमने लगी और काटने लगी। मैं भी उनका साथ देने लगा !
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। मैं उनकी चूत और वो मेरा लण्ड चूसने लगी।
करीब 7 मिनट में ही वो झड़ गई और मेरे लंड को तेज-तेज चूसने लगी। उसके बाद4-5 मिनट में मैं भी झड़ गया।
उन्होंने कहा- पहले आगे वाले छेद में डालोगे या पीछे वाले छेद में डालोगे ?
मैंने कहा- आपकी मर्जी !
तो उन्होंने कहा- पहले चूत में डालो !
मैंने कहा- आप इसकी जगह पर इसे रखो !
तो उन्होंने रख लिया। मैंने एक ही धक्के में अंदर डाल दिया और धक्के देने लगा। वो भी गाण्ड उछाल-उछाल कर साथ देने लगी। तो करीब 15 मिनट में मैं झड़ गया और कुछ देर उन्हीं के ऊपर लेट गया।
जब मैं फिर तैयार हुआ तो उन्होंने कहा- कोई क्रीम लगा लो, नहीं तो दर्द होगा !
मैंने कहा- नहीं होगा !
और धीरे-धीरे उनकी गांड में डालने लगा और उनके मोमे मसलने लगा। इस बार मेरे झड़ने से पहले ही वो दो बार झड़ चुकी थी, फिर भी मेरा साथ दे रही थी और कह रही थी- आज तुमने मुझे खुश कर दिया ! अब जब तुम्हारा मन हो तब मेरे साथ सेक्स कर सकते हो ! मैं नहीं रोकूंगी !
मैंने उनको चूमा और चुपचाप आकर सो गया और फिर इसी तरह मैंने उनको दो दिन और चोदा !
मेरी तरफ से हिंदी सेक्सी कहानियाँ के निर्माताओं को बहुत-बहुत शुक्रिया कि हमारे जीवन को रंगीन बनाने के लिए इस साईट का निर्माण किया !
मुझे इस साईट के बारे में मेरे एक साथी ने बताया था और उसने कहा कि यह काफी रोचक साईट है। कोई मस्तियाँ नाम की चोर साइट हमारी इस प्रिय साईट की कहानियाँ चुरा कर अपनी साइट पर देती है।
आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करना ...

rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:49

मौसी हो तो ऐसी-1

मैं राज एक बार फिर अपने जीवन की एक सच्ची घटना को कुछ काल्पनिक पात्रों के साथ आपके सामने ले कर आया हूँ ! काल्पनिक पात्र इसलिए ताकि आप सबका ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन हो !
जैसा कि मैंने आपको बताया की घटना बिलकुल सच्ची है ! मेरी उम्र 22 साल की हो गई थी और घर वाले मेरी शादी के लिए लड़की देखने लगे थे ! मेरी माँ चाहती थी कि जल्दी से उसके घर बहू आ जाये ! दिल से तो मैं भी यही चाहता था पर अभी आगे पढ़ना भी चाहता था। पिताजी के पास आये दिन कोई ना कोई आ जाता था रिश्ता ले कर ! इसके दो कारण थे पहला तो यह कि मेरे पिताजी की इलाके में पूरी धाक थी हर कोई उनसे रिश्ता जोड़ना चाहता था दूसरे मैं भी तो एकदम बांका जवान था ! पूरे गाँव में मुझसे ज्यादा खूबसूरत और भरे-पूरे शरीर वाला कोई जवान लड़का नहीं था। गाँव की हर लड़की मरती थी मुझ पर, चाहे मेरा उससे कुछ भी रिश्ता हो ! अगर साफ़ शब्दों में लिखूँ तो मेरे ताऊ-चाचा की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरी खुद की बुआ तो लट्टू थी मेरे ऊपर ! हमेशा मेरी माँ से कहती थी कि मेरे लिए राज जैसा ही लड़का देखना, नहीं तो मैं शादी नहीं करवाऊंगी।
घटना की शुरुआत तब हुई जब तीन साल पहले मेरे छोटे चाचा राजकिशोर की शादी थी। जैसा कि आप समझ ही गए होंगे कि मेरा और मेरे चाचा का नाम मिलता-जुलता था। घर में सब मुझे राज कहते थे और चाचा को किशोर ! पर चाचा का असल नाम राज किशोर ही था।
शादी की धूमधाम चारों तरफ थी। आखिर गाँव के मुखिया और इलाके के एक बड़े जमींदार के बेटे की शादी थी। मैं अपने दादा जी की बात कर रहा हूँ ! दूर से आने वाले रिश्तेदार घर पहुँचने लगे थे। मेरी मौसी जो मेरी माँ से सात साल छोटी थी, अपनी बड़ी बेटी पदमा के साथ आ चुकी थी। मुझे पता था कि मेरी मौसी मेरे पिताजी पर बहुत मरती थी क्योंकि मौसा जी एकदम दुबले-पतले थे और कमाई भी कम थी मौसा की, जिस कारण मौसी का हाथ हमेशा तंग रहता था। पिता जी आये दिन मौसी की जरूरत पूरी करते रहते थे। मेरी माँ को भी यह सब पता था। मौसी और मेरे पिताजी के बीच किसी तरह का कोई दूसरा सम्बन्ध था या नहीं, मुझे तब तक नहीं पता था जब तक मैंने खुद अपनी आँखों से मौसी को पिताजी गोदी में नंगी बैठे नहीं देख लिया था।
उस दिन मौसी हमारे घर आई हुई थी पर मेरी माँ अपने मायके गई हुई थी। तब रात को जब मैं पेशाब करने के लिए उठा तो पिताजी के कमरे की लाइट जल रही थी और कुछ हल्की-हल्की आवाजें भी आ रही थी। मैंने जब दरवाजे से झांक कर देखा तो मेरा कुँवारा लंड एकदम से मेरे कच्छे को फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो गया था ! मौसी पिता जी की गोद में बैठी हुई पिताजी का लंड जोकि लगभग दस इंच का था हाथ में पकड़ कर हिला रही थी ! हिलाते हिलाते मौसी उठी और उसने पिता जी का लंड मुँह में ले लिया !
पिता जी आहें भरने लगे और बोले- जानकी तू लंड बहुत अच्छा चूसती है, तभी तो मैं तुम पर मरता हूँ ! तेरा प्यार करने का तरीका तेरी बहन से लाख गुणा अच्छा है ! तू मस्त कर देती है और खुद भी मस्त हो कर चुदवाती है !
पांच मिनट लंड चूसने के बाद मौसी उठी और पिता जी लंड को अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठ गई और पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। उसके बाद तो कभी मौसी ऊपर कभी पिता जी ऊपर ! पूरा आधा घंटा चुदाई चली फिर दोनों पस्त हो कर लेट गए। तब तक तो मैं भी पस्त हो चुका था यानि मेरा लंड भी असली ब्लू फिल्म देख कर पानी छोड़ चुका था ! मेरा अंडरवियर खराब हो चुका था !
पेशाब लगी थी, मैंने पेशाब किया और जाकर अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी।
उस दिन से मेरी नजर मेरी मौसी के लिए बिल्कुल बदल गई थी। जब मौसी शादी में आई तो मेरी आँखों के सामने वही दृश्य घूम गया। मुझे मौसी की मस्त चूचियाँ नजर आने लगी जिन्हें मेरे पिताजी यानि मौसी के जीजाजी मसल रहे थे। मुझे मौसी के मस्त कूल्हे नजर आने लगे जिन्हें दबा दबा कर मेरे पिता जी यानि मौसी के जीजाजी चोद रहे थे।
इन्हीं सोच के बीच खड़ा मैं मौसी के मस्त शरीर को निहार रहा था कि मौसी पदमा के साथ मेरे पास आई और मुझे गले से लगाते हुए मेरे माथे को चूम लिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया !
तभी मेरी नजर पदमा पर पड़ी ! मैं पदमा को करीबन पाँच-छह साल के बाद देख रहा था तब वो ग्यारह साल की एक छोटी बच्ची थी, फ्रॉक पहनती थी ! पर आज पदमा मस्त जवान लड़की बन चुकी थी ! मस्त माँ की मस्त बेटी ! अपनी माँ की तरह बड़ी-बड़ी चूचियाँ ! मस्त गोल गोल कूल्हे ! सुन्दर हसीन चेहरा ! हाय मैं तो लुट गया था इस हसीना पर ! पर फिर ध्यान भंग हुआ जब माँ ने आकर कहा- बेटा अपनी बहन को कमरा दिखा आओ !
माँ ने बहन शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया था। शायद वो मेरे दिल की आवाज पहचान गई थी। मैं भी एकदम सपने से जगा, याद आया कि वो मेरी बहन है मौसेरी !
मौसी पिताजी से चुदवाती है क्योंकि वो जीजा-साली है, पर पदमा तो मेरी बहन है और जानकी मौसी यानि माँ जैसी ! मैंने पदमा को ऊपर मेरे साथ वाला कमरा दे दिया और जाकर नीचे काम करने लगा। काम काज में समय का पता ही नहीं चला। रात होने को आई थी, सब लोग खाना खाने के लिए हाल में इक्कठे हुए। चांस की बात थी कि पदमा की कुर्सी मेरी कुर्सी के साथ थी। हमारे घर में अकसर मेज़ के तरफ मर्द और दूसरी तरफ औरतें बैठती थी पर शायद पदमा को यह बात मालूम नहीं थी तभी तो वो मेरे पास आकर बैठ गई।
पदमा ने लम्बी स्कर्ट पहन रखी थी, ऊपर पीले रंग का टॉप था, कयामत लग रही थी यार ! पर तभी मुझे माँ की दिन वाली बात याद आई- पदमा तुम्हारी बहन है।
मैंने ध्यान पदमा पर से हटा लिया और खाना खाने लगा। खाना खाते खाते मेरी और पदमा की टाँगें कई बार आपस में टकराई ! हर बार मेरा दिल डोल गया ! पदमा का शरीर आग उगलता महसूस हो रहा था। मैं बेचैन हो रहा था। मैंने नजर उठा कर पदमा को देखा तो उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान खेल रही थी। मैंने पदमा को थोड़ा गौर से देखा ! अभी तक मैंने पदमा की चूचियों और कूल्हों को ही ध्यान से देखा था पर अब मैंने पदमा के खूबसूरत चेहरे पर भी नजर मारी तो मालूम हुआ यार क्या गजब माल थी पदमा ! रंग गोरा दूध जैसा, सुन्दर नाक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ गुलाबी गुलाबी !
मैं तो फ़िदा हो गया अपनी इस मस्त सेक्सी मौसेरी बहन पर !
अब मैंने जानबूझ कर अपनी टाँगें पदमा की टांगों से छूनी शुरू कर दी ! पदमा को भी इसका एहसास हो गया कि मैं जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ पर माँ का क्या करूँ, वो तो हर बात पर कह देती- बेटा, अपनी बहन को सब्जी दो, अपनी बहन को चावल दो, खीर दो !
मैं झुंझला जाता माँ की आवाज सुन कर ! क्या कर सकता था !
खाना खाकर हम लोग गप्पे मारने बैठ गए ! मौसी मेरे बिल्कुल पास बैठी थी मौसी से आगे माँ बैठी थी, आगे बुआ और मेरे बिल्कुल सामने पदमा !
मैंने पदमा को कई बार कहा अपने पास बैठने के लिए पर वो मुस्कुराती रही और गर्दन हिलाकर ना करती रही !
पर ये क्या-
अचानक मुझे एक झटका सा लगा जब मैंने मौसी का हाथ कम्बल के नीचे अपने लंड पर महसूस किया। मैं सिहर उठा ! क्योकि मुझे इसका अंदाजा भी नहीं था कि मौसी ऐसा कर सकती है ! वो तो मेरे बाप से चुदती थी ना, फिर वो मेरा लंड क्यों सहला रही थी !
मैंने उस समय नाईट सूट का खुला सा पजामा पहन रखा था और नीचे कच्छा भी नहीं पहना था ! मौसी के हाथ लगाते ही लंड खड़ा होना शुरू हो गया वैसे आधा तो वो पहले ही पदमा की मस्त जवानी देख कर खड़ा हो गया था ! मौसी पजामे के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी।
क्योंकि रिश्ते में मौसी यानि माँ जैसी थी इसलिए कोई शक भी नहीं कर रहा था और ना ही कर सकता था ! मौसी हँसी-मजाक की बातें कर रही थी और सब हँस रहे थे। तभी लाईट चली गई ! गाँव में यह आम बात थी। लाईट जाते ही सब तरफ अफरा-तफरी सी मच गई। कोई मोमबती तलाश रहा था तो कोई लालटेन ! पर मौसी तो कुछ और ही तलाश रही थी ! मौसी ने कम्बल में मुँह देकर लंड को पजामे के ऊपर से ही मुँह में ले लिया, मेरी सिसकारी निकल गई ! तभी मौसी ने पजामा थोड़ा नीचे कर के लंड बाहर निकाल लिया और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी !
मेरा बुरा हाल हो रहा था ! उत्तेजना इतनी ज्यादा हो गई कि मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी मौसी की मुँह में ! मौसी ने लंड पूरा चूस लिया !
तभी पिताजी की आवाज आई, वो मुझे आवाज दे रहे थे। मैं जल्दी से पजामा ऊपर करके पिताजी के पास भागा। मौसी मुझे पकड़ती रह गई !
लाईट काफी देर नहीं आई तो सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे ! मेरा ध्यान अब पदमा से ज्यादा मौसी पर केन्द्रित हो गया था। मैं मौसी के साथ सेक्स नहीं करना चाहता था पर मौसी ने लंड चूस कर मेरे अंदर आग सी लगा दी थी। मेरी हालत अब ऐसी थी कि अगर कोई कुतिया भी सामने आ जाती तो मैं उसे भी चोद देता !
सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !
सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?
मैं हैरान था !
मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !
तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई। माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया।

rajaarkey
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Re: बदनाम रिश्ते

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:50

मौसी हो तो ऐसी-2
प्रेषक : राज कार्तिक
सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !
सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?
मैं हैरान था !
मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !
तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई। माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। पदमा के कमरे का और मेरे कमरे का बाथरूम एक ही था जो दोनों कमरों में खुलता था। मैं भी अंदर गया कुछ देर के बाद ही मुझे बाथरूम में से कुछ गुनगुनाने के आवाज आई। यह पदमा की आवाज थी। मैं बाथरूम के पास गया और दरवाजा खोलने लगा पर दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने दरवाजा खटखटाया तो पदमा की आवाज आई- क्या है?
मैंने कहा- दरवाजा खोलो ! मुझे जोर से पेशाब लगी है ! जल्दी करो, मैं रोक नहीं सकता !
एक मिनट कोई आवाज नहीं हुई, फिर दरवाजा खुलने की आवाज आई !
पदमा ने जैसे ही दरवाजा खोला मैं उसे धकेलते हुए अंदर घुसा और लंड निकाल कर पेशाब करने लगा। मैं यह भी भूल गया कि पदमा अभी भी वहीं थी !
मुझे लंड निकालते देख वो चिल्लाई- भाई, यह क्या कर रहे हो ? कुछ तो शर्म कर !
मेरे मुँह से निकल गया- अरे पेशाब करने में शर्म कैसी ?
पदमा बोली- डियर ब्रदर ! बहन के सामने पेशाब करना शर्म की बात है, समझे !
पदमा मुझे उपदेश दे रही थी पर बाहर भी नहीं जा रही थी और मैं अपना सात आठ इंच का लंड हाथ में पकड़े पेशाब कर रहा था, लंड पेशाब के जोर से तन कर खड़ा था।
पदमा की नजर लंड पर तो नहीं थी वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी जो पेशाब निकलने के कारण हल्का महसूस कर रहा था। मेरी आँखें लगभग बंद थी।
पेशाब करने के बाद मैंने पदमा से पूछा- क्यों, अच्छा लगा ?
पदमा बोली- क्या अच्छा लगा?
मैंने नीचे की तरफ इशारा किया !
तब पदमा ने नीचे की तरफ देखा और चोंकते हुए बोली- हाय राम इतना लम्बा !
मैं अपने लंड की तारीफ सुनकर खुश हो गया। तभी पदमा बोली- राज भाई, अपनी बहन को लंड दिखा रहे हो, कुछ तो शर्म करो !
पदमा के मुँह से लंड शब्द सुन लंड फुफ़कारने लगा था, मेरे भी मुँह से निकल गया- अगर बहन इतनी सुंदर और सेक्सी हो तो हर भाई लंड निकल कर उसके सामने खड़ा हो जाये।
पदमा हँस पड़ी मेरी बात सुन कर !
हँसी तो फंसी ! की कहावत बहुत मशहूर है, आप सब जानते ही होंगे।
मैंने आगे बढ़ कर पदमा के कंधों को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा। लंड अभी भी बाहर ही था।
पदमा की हँसी एकदम से रुक गई और बोली- भाई क्या कर रहे हो?
मैं कुछ नहीं बोला और मैंने अपने होंठ पदमा के गुलाबी होंठों पर रख दिए। पदमा एक बार तो कसमसाई पर फिर शांत हो कर खड़ी हो गई ! मैं लगातार पदमा के होंठ चूस रहा था। पदमा के हाथ मेरी पीठ पर आ चुके थे। अब पदमा भी चूमने में मेरा पूरा साथ दे रही थी। मस्ती बढ़ती जा रही थी। मैंने पदमा का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया पदमा ने मस्ती में उसे पकड़ कर मसल दिया।
जैसे ही मैंने पदमा के होंठ छोड़े, पदमा बोली- भाई, तुम्हारा तो एक दम लोहे की रॉड के तरह से है और गरम भी बहुत ज्यादा है।
मेरे मुँह से निकला- पदमा, मेरी जान, यह सब तुम्हारे कारण है ! तुम हो ही इतनी सेक्सी मेरी जान !
पदमा मेरा लंड मसल रही थी मेरे मुँह से मस्ती भरी आहें निकल रही थी- आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से मसल मेरी जान !
पदमा भी गर्म होने लगी थी, अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। एक बार तो मैं घबराया, फिर पदमा को उसके कमरे में भेज कर मैंने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मेरी अपनी माँ खड़ी थी।
मैंने पूछा- क्या बात है माँ?
तो माँ बोली- बस बेटा, मैं तो देखने आई थी कि तुम सो गए हो या नहीं।
माँ बस सो ही रहा था, मैंने कहा और कहा- अब तुम भी सो जाओ।
माँ ने एक बार कमरे में झांक कर देखा। मैं समझ गया कि माँ क्या देखना चाहती है।
खैर माँ चली गई। मैं लगभग दौड़ता हुआ बाथरूम की तरफ गया पर पदमा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। मैंने दरवाजा खटखटाया भी, पर पदमा ने दरवाजा नहीं खोला। शायद वो थोड़ा डर गई थी। मुझे मेरी माँ पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मेरे तो खड़े लंड पर धोखा हो गया था। अब मेरे पास मुठ मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मौसी को पिताजी ने पकड़ लिया था और पदमा माँ के कारण हाथ से निकल गई थी। लंड को सहलाते-सहलाते ना जाने कब नींद आ गई।
जब आँख खुली तो एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड से खेल रहा है। इन होंठो के स्पर्श को मैं पहचानता था। यह मौसी ही थी, वो मजे से मेरा लंड सहला रही थी और बीच बीच में चूम भी रही थी। लाईट आ चुकी थी। कमरे में पूरा उजाला था।
मैंने देखा- मौसी ने अपने ब्लाउज के हुक खोल रखे थे और उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ झूल रही थी। तभी मौसी ने अपने मुँह में मेरा पूरा लंड ले लिया और मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी आह से मौसी को पता चल गया कि मैं जाग चुका हूँ।
मौसी बोली- बेटा राज, अगर उठ ही चुके हो तो सही से मजे लो ना।
मैं कुछ नहीं बोला पर अब मौसी ने खुल कर लंड चूसना शुरू कर दिया। पहले वो थोड़ा डर कर चूस रही थी। लंड मौसी के होंठों की गर्मी से पूरा तन कर लोहे की रॉड की तरह हो चुका था। मौसी ने लंड मुँह में से निकाल दिया और ऊपर आ कर अपनी एक चूची मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मैं भी अब पूरा गर्म था, मैंने तुरंत मौसी की चूची मुँह में ले ली और जोर जोर से चूसने लगा। मौसी की हालत खराब होने लगी। मौसी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी और ये सिसकारियाँ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। अब मैं मौसी की चूचियाँ बदल बदल कर चूस रहा था। मौसी मस्त हो कर चूचियाँ चुसवा रही थी और एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को सहला रही थी।
कुछ देर बाद मौसी बोली- राज बेटा, अब बर्दाश्त नहीं होता ! जल्दी से अपना यह खम्बा मेरी चूत में घुसेड़ दे, पूरे बदन में आग लगी हुई है।
मैंने पूछा- ऐसी क्या बात हो गई?
तो मौसी बोली- तेरे बाप ने गर्म तो कर दी पर आग नहीं बुझाई।
मैंने पूछा- क्यों ?
तो बोली- तेरी माँ ने आज मुझे चुदने ही नहीं दिया। दो बार लंड को तैयार किया पर दोनों बार तेरी माँ ने पहले अपनी चूत में फिर अपनी गांड में डलवा कर तेरे बाप का लंड झाड़ दिया और मैं प्यासी रह गई क्योंकि दो बार चोदने के बाद तेरा बाप थक गया और मेरी चूत की आग बुझाये बिना ही सो गया।
मैं बोला- तुम चिंता मत करो मौसी, तेरी चूत की सारी आग मैं अभी ठंडी कर दूँगा ! पहले अपने कपड़े तो उतार।
मौसी उठी और उसने अपने शरीर पर से सारे कपड़े उतार फेंके। मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी। मैंने मौसी के अंग-अंग को ध्यान से देखा। मौसी अब भी मस्त लग रही थी, बड़ी बड़ी चूचियाँ अब भी तन कर खड़ी थी, पेट की नाभि देख कर ही लंड खड़ा हो जाये ऐसी थी मौसी की नाभि। जब चूत पर नजर गई तो लंड फटने को हो गया। चूत पर एक भी बाल नहीं था। चिकनी चूत बिल्कुल फूली-फूली सी जैसे लंड को खाने के लिए मुँह खोले खड़ी थी।
लंड फुंफ़कारने लगा था। मौसी ने आगे बढ़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से चूसने लगी। एक हाथ से मौसी मेरा लंड मसल रही थी। मेरा एक हाथ मौसी की चूची को मसल रहा था तो दूसरा हाथ मौसी की चूत की पुतियाँ मसल रहा था जिस कारण मौसी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।
मौसी बोली- अब देर मत कर !
मैं भी जैसे इन्तजार ही कर रहा था। मैंने मौसी को बिस्तर पर पैर ऊपर करके लिटा दिया और अपना लंड मौसी की चूत के मुँह पर रगड़ने लगा।
मौसी गिड़गिड़ाने लगी थी- अब डाल भी दे बेटा ! मत तरसा ! तेरे बाप ने तो प्यासी छोड़ दी, तू तो मत तड़पा। डाल दे बेटा।
मैं जानबूझ कर देर कर रहा था। मौसी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। मौसी पूरी खेली खाई थी। उसे पता था कि उसे क्या करना है। मौसी ने अपनी टांगों में जकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा तो मौसी की गीली चूत में मेरा आठ इंच का लंड एकदम घुसता चला गया और आधे से ज्यादा लंड मौसी की चूत में समां गया।
मौसी चिहुंक उठी थी, बोली- बेटा कितना गर्म लंड है तेरा। लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का डण्डा घुसेड़ दिया हो चूत में। अब धक्के मार बेटा और फाड़ दे अपनी मौसी की चूत ! भोसड़ा बना दे इस चूत का। फाड़ दे बेटा !
मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए। लंड जड़ तक मौसी की चूत में जा रहा था। मेरे टट्टे मौसी की गांड पर थाप दे रहे थे। मैं जवान लड़का था यानि पिता जी से ज्यादा फुर्तीला। मेरे धक्कों की गति भी पिताजी के धक्कों से ज्यादा तेज थी।
तभी तो मौसी अपने आप को रोक नहीं पाई और दो मिनट में ही झड कर निढाल हो गई। ढेर सारा पानी छोड़ दिया था मौसी की चूत ने !
पर मैं तो अभी शुरू ही हुआ था, मैं लगातार धक्के लगता रहा। दस मिनट की चुदाई में मौसी तीन बार झड़ गई और बोली- बस बेटा ! मैं अब तुमसे और नहीं चुदवा सकती।
मौसी क्या कह रही हो? मेरा तो अभी हुआ ही नहीं।
मौसी बोली- मैं अपने आप कुछ करके झाड़ दूंगी पर बेटा अब मेरी चूत तेरा लंड नहीं सह पायेगी।
मैं भी जिद करते हुए बोला- नहीं मौसी, मुझे तो चूत में ही लंड झडना है।
तभी मौसी ने कहा- तुम कुछ देर मेरी गांड मार लो।
तो मैंने लंड चूत से निकाल कर गांड के मुँह पर रखा और धक्का लगा दिया। मौसी चिल्लाई पर पूरा लंड अपने गांड में ले गई। मौसी की गांड भी अच्छे से चुदी हुई थी। लंड अब मौसी की चिकनी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। मौसी मस्ती में आहें भर रही थी, मौसी की सिसकारियाँ कमरे के माहौल को महका रही थी। लंड की थप-थप एक सुरीला संगीत बजा रही थी। मौसी मस्त होकर गांड मरवा रही थी।
पूरे बीस मिनट मैंने मौसी की गांड मारी। मौसी गांड मरवाते मरवाते भी झड़ गई थी यानि मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया था।
मौसी की बस हो गई थी।
मैं शर्म की मारे कुछ बोल नहीं रहा था। पर मन ही मन मैं मौसी को गालियाँ दे रहा था : साली भोसड़ी की ! जब गांड और चूत में दम ही नहीं था तो क्यूँ चुदवाने के लिए मरी जा रही थी। अगर नहीं झेल सकती थी तो अपनी बेटी क्यों नहीं चुदवा ली मुझ से ? वो तो जवान थी पूरी मस्त हो कर चुदवाती !
पर मन में एक खुशी भी थी कि मैंने मौसी को चोद दिया था।
मैंने लंड गांड में से निकाल कर एक बार फिर मौसी की चूत में डाल दिया और चोदने लगा। अब मौसी सुस्त सी पड़ी धक्के खा रही थी और मेरी तारीफ़ करे जा रही थी। चोदते-चोदते मैं भी अब झड़ने के कगार पर पहुँच गया था। मैंने मौसी को कहा- मौसी, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! बोल कहाँ निकालूँ मैं अपना माल?
तो मौसी बोली- इस चूत ने तो लंड का बहुत पानी पी लिया है, मेरे मुँह में ही झड़ जा बेटा !
मैंने लंड मौसी की चूत से निकाला और मौसी के मुँह में ठूस दिया। मौसी अपनी चूत के पानी को चटखारे लेकर चाटने लगी तभी मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी। मौसी मेरे लंड से निकले वीर्य की एक एक बूंद चाट गई। पूरा लंड चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही मौसी ने लंड छोड़ा और बोली- वाह बेटा राज, इतना ज्यादा और मजेदार रस था तेरे लंड का, मजा आ गया ! सच कहती हूँ अगर चूत में डाल देता तो मैं तो सच में गर्भवती हो जाती। क्या मस्त माल निकला रे तेरे लंड से। मजा आ गया।
कह कर मौसी निढाल हो कर मेरे बिस्तर पर लेट गई और वहीं सो गई। पर मेरी तो नींद उड़ चुकी थी अपनी मौसी को चोद कर। वैसे मैं भी थक चुका था, पूरे चालीस मिनट तक चोदा था मौसी को। काफी देर तक देखता रहा मौसी की खूबसूरत और सेक्सी बदन को। फिर न जाने कब नींद आ गई।
पदमा की कहानी अगली बार !

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