गतान्क से आगे...
"मिस्टर.इंदर धमीजा,आप हलदन ग्लास मे पिच्छले 1 साल से मॅनेजर हैं,उस से
पहले भी आपने 1 आइरन फाउंड्री & फिर 1 और ग्लास फॅक्टरी.सभी जगह आपने
काफ़ी अच्छा काम किया है मगर आपको हमारे जैसे बिज़्नेस का कोई तजुर्बा
नही है,फिर क्या आपको यहा काम करने मे कोई तकलीफ़ नही होगी?",सुरेन जी ने
सारे सवाल कर लिए थे & अब उनका ये आख़िरी सवाल था.
"सर,ये सही है की सभी बिज़्नेसस की अपनी कुच्छ अलग ज़रूरते & ख़ासियत
होती हैं जिन्हे समझना ज़रूरी होता है मगर 2 चीज़े जो हर बिज़्नेस को
चलाने के काम आती हैं वो है मेहनत & लगन.मैं मानता हू की मेरे पास आपके
बिज़्नेस का तजुर्बा नही मगर मैं मेहनती हू & पूरी लगन से काम करता
हू,अगर आप मुझे अपने साथ काम करने का मौका देते हैं तो मैं आपको निराश
नही करूँगा.".नपे-तुले लॅफ्ज़ो मे कही गयी बात ने सहाय जी का मन खुश कर
दिया था मगर उन्होने अपने चेहरे पे अपने दिल की बात नही आने दी.
"मिस्टर.धमीजा,आपको 3 दीनो के अंदर हमारे फ़ैसले के बारे मे इत्तिला कर
दी जाएगी.इस दट फाइन विथ यू?"
"ये सर.थॅंक टू.",इंदर खड़ा हुआ & शहाय जी के दफ़्तर से बाहर निकल
गया.उसके निकलते ही सुरेन जी ने इंटरकम से दूसरे कॅबिन मे बैठे शिवा को
तलब किया.
"आपने बुलाया,सर?"
"शिवा,ये आदमी जो अभी-2 बाहर गया है मुझे मॅनेजर की पोस्ट के लिए पसंद आ
गया है मगर मैं चाहता हू कि तुम ज़रा इसके बारे मे थोड़ी छान-बीन कर
लो..ये रहा इसका बीओ-डेटा."
"ओके,सर.",शिवा ने बीओ-डाटा लिया & फ़ौरन वाहा से निकल गया.
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इंदर अपनी बाइक से आया था & एस्टेट से निकल उसने देखा की शिवा 1 जीप मे
उसका पीचछा कर रहा था.वो मन ही मन मुस्कुराया..ये लोग सोचते थे कि वो
उसके बारे मे पता लगाएँगे & उसे कुच्छ भी ना पता चलेगा!..हुंग..!वो पता
नही कितने दीनो से ये सब प्लान कर रहा था,सहाय एस्टेट के बारे मे वो
जितना जान गया था उतना तो शायद सुरेन सहाय को भी नही पता होगा!..आओ शिवा
आओ..मेरे पीछे आओ...करो मेरे बारे मे छान-बीन...तुम्हारा मालिक और
इंप्रेस होगा मुझ से & खुद मुझे अपने बुलाएगा एस्टेट के अंदर ताकि मैं
उसे नेस्तोनाबूद कर साकु!
उसके दिल मे 1 बार फिर से वोही आग भड़की & उसे शराब की तलब लगी मगर नही
अभी नही.आज उसे अपनी इच्छा-शक्ति से ही अपने उपर काबू रखना था.वो अब
दूसरी सीधी चढ़ने वाला था & यहा फिसल कर वो अपनी महीनो की मेहनत पे पानी
नही फेर सकता था.उसने आँखे बंद कर 1 बार उस इंसान का चेहरा याद किया
जिसके लिए वो ये सब कर रहा था & फिर पैरो से टॉप गियर लगा बाइक की स्पीड
बढ़ाई & फ़र्राटे से आगे बढ़ गया.
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आज 3 केसस की सुनवाई थी & उन्हे निपटाने के बाद कामिनी 9 बजे तक अगले दिन
के केसस की तैय्यारि अपने असिस्टेंट मुकुल के साथ करती रही थी.काम ख़त्म
होने के बाद इस वक़्त वो क्लब की छत पे बैठी खाने का ऑर्डर दे रही थी जब
वीरेन सहाय उसकी मेज़ के पास आ खड़ा हुआ,"हेलो."
"हेलो.",कामिनी ने ठण्डेपन से कहा.
"मैं यहा बैठ सकता हू?"
"शुवर.",कामिनी का दिल तो नही था की वो यहा बैठे मगर क्या करती तमीज़ का
तक़ाज़ा था!अभी तो उसे खुद पे हैरत भी हो रही थी की षत्रुजीत सिंग से
चुदाने के वक़्त उसे इस इंसान से चुदने का ख़याल आया भी कैसे था.
"देखिए,कामिनी जी मुझे घुमा-फिरा के बात करना तो आता नही.मुझे आपसे 2
बाते करनी हैं,पहली ये की मेरे बड़े भाई सुरेन सहाय आपसे कुच्छ दिन पहले
मिले थे.."
"जी."
"..तो आपने उनसे कहा की वो 1 बार मेरे साथ आपसे मिले."
"हां,कहा था."
"देखिए,मेरा सच मे एस्टेट & पैसो मे कोई इंटेरेस्ट नही है मगर मेरी भाभी
ने 1 बात जो आपसे कही उसमे मुझे उस बारे मे आपसे बात करनी है.",कामिनी
समझ गयी थी कि वो प्रसून के बारे मे बात कर रह था मगर उसने ऐसा कहा नही.
"कौन सी बात,मिस्टर.सहाय?"
"मेरे भतीजे प्रसून की शादी की बात.पता नही कहा से भाभी को ये फितूर सूझा
है!आप ही बताए क्या ये उस बेचारे की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ नही
होगा?",पहली बार कामिनी ने हमेशा शांत से रहने वाले वीरेन को थोडा
उत्तेजित देखा.
"देखिए,देविका जी प्रसून की मा हैं & हम उन्हे उसके लिए कोई फ़ैसला लेने
से रोक तो सकते नही हैं मगर मैने उन्हे 1 उपाय सुझाया है."
"कैसा उपाय?"
"ये तो आपको अपने भाई-भाभी से ही पुच्छना पड़ेगा.वो मेरे क्लाइंट्स हैं &
मैं उनसे की गयी कोई भी बात बाहर नही कह सकती."
"ओके.कामिनी जी,मुझे यकीन है की आपने कोई बढ़िया तरकीब ही उन्हे सुझाई
होगी.",वीरेन ने दूसरी ओर गर्दन घुमाई,"..प्रसून पे कोई आँच आए ये मैं
बर्दाश्त नही कर सकता.",कामिनी ने उसे गौर से देखा..क्या ये केवल 1 शख्स
का अपने भतीजे के प्रति लगाव से पैदा हुई चिंता थी या फिर कुच्छ और?
"अच्छा,कामिनी जी 1 बात बताइए..",वीरेन ने अपनी बाहे बाँध के मेज़ पे
टिकाई & आगे झुक गया,"..अगर खुदा ना ख़स्ते मेरे भाई नही रहते हैं तो
क्या मैं प्रसून का गार्डियन बन सकता हू?"
"आप प्रसून के गार्डियन तभी बन सकते हैं जब आपके भाई-भाभी दोनो इस दुनिया
मे ना रहें या फिर वो खुद आपको उसे उसकी ज़िम्मेदारी सौंप दें."
हुन्न..",वीरेन पीछे हो फिर से अपनी कुर्सी की पीठ से टिक के बैठ
गया,अपने हाथ जोड़े अपनी नाक पे टिकाए ना जाने वो क्या सोच रहा था.
"मिस्टर.सहाय.",कामिनी की आवाज़ से वो अपने ख़यालो से बाहर आया.
"जी..आइ'एम सॉरी..मैं ज़रा कुच्छ सोच रहा था."
"आप मुझसे 2 बाते करने आए थे.वो दूसरी बात कौन सी है?"
"हां..",वीरेन के चेहरे पे मुस्कान फैल गयी.कामिनी ने गौर किया की
मुस्कुराता वीरेन बहुत खूबसूरत लगता था & 1 बार फिर से उसके दिल मे वही
शत्रुजीत के साथ बिताई रात वाली बात आ गयी,"..आप जानती हैं कि मैं 1
पेंटर हू."
"जी.ये बात कौन नही जानता."
"तो क्या आप मुझे आपकी तस्वीर बनाने का मौका देंगी?"
"जी?!",कामिनी की काली-2 आँखे हैरत से फैल गयी.
"जी.",वीरेन के चेहरे पे अभी भी मुस्कान थी,"..मेरी आपसे गुज़ारिशा है
कामिनी जी की आप हां कर दें.ये समझिए की आपका ये एहसान होगा मेरे उपर."
"मैं...मगर....",कामिनी गहरे आश्चर्या मे थी.उसे उम्मीद नही थी की जिस
इंसान को वो बदतमीज़ & खाड़ुस समझती थी वोही उसकी तस्वीर बनाने को
कहेगा,"..मैं अभी क्या कहु मेरी कुच्छ समझ नही आ रहा."
"आप जितना वक़्त चाहे लें,कामिनी जी..",वीरेन उठ खड़ा हुआ,"..मैं तो यही
उम्मीद करता हू की आप ही कहेंगी.अच्छा,आप इजाज़त दीजिए."
"वीरेन जी..",कामिनी की आवाज़ से जाता हुआ वीरेन घुमा,"..आप मेरी ही
तस्वीर क्यू बनाना चाहते हैं?"
वीरेन के चेहरे पे फिर से वही दिलकश मुस्कान खेल उठी,"खुद को आईने मे देख
लीजिए,जवाब खुद बा खुद मिल जाएगा.",& वो वाहा से चला गया.
वेटर मेज़ पे कामिनी का खाना लगा रहा था मगर उसकी भूख तो वीरेन की बातो
से गायब हो गयी थी.किस अदा से उसने उसकीखूबसूरती की तारीफ कर दी
थी!..लेकिन वो क्या करे..क्या हां कर दे..या नही?....फिर उसे प्रसून के
बारे मे उसकी कही बाते याद आ गयी & वो और गहरी सोच मे पड़ गयी..वीरेन
क्या 1 कलाकार की हैसियत से उसकी तस्वीर बनाने की बात कर रहा था या फिर
उसका मक़सद कुच्छ और था..जैसे की अपने भाई-भाभी की वकील के करीब आना ताकि
वो उनकी बाते जान सके..लेकिन वो तो कहता है की उसे पैसो से कोई मतलब
नही...पर वो झूठ भी तो बोल सकता है..
"मॅ'म.",वेटर ने बोला तो उसकी सोच का सिलसिला टूटा,"..आइ होप एवेर्य्थिन्ग'स फाइन?"
"यस.थॅंक्स.",कामिनी ने खाना शुरू कर दिया.इस सहाय परिवार के बारे मे वो
बाद मे सोचेगी.आज के लिए दिमाग़ की इतनी कसरत काफ़ी थी.
Badla बदला compleet
Re: Badla बदला
सुरेन सहाय अपने बिस्तर पे टाँगे फैलाए नंगे बैठे थे & देविका उनकी दाई
तरफ उनकी टाँगो से सॅट के लेटी उनके सोए लंड को अपनी ज़ुबान से जगा रही
थी,"देविका..",सुरेन जी ने साइड-टेबल से वही नारंगी रंग की डिबिया उठा के
1 गोली अपने मुँह मे डाली.
"ह्म्म...",देविका ने लंड को मज़बूती से पकड़ के उसके सूपदे को चूसा.
"तुम्हारे दिमाग़ मे प्रसून की शादी का ख़याल आख़िर आया कैसे",उन्होने
उसके बॉल सहलाए.
"बस ऐसे ही.",देविका अब उनकी टाँगो को और फैला उनके बीच लेट के लंड से खेल रही थी.
"तुम्हे पूरा यकीन है की ये बात ठीक होगी?"
"हां,आप क्यू पुच्छ रहे हैं?",देविका ने 1 पल को लंड मुँह से निकाला &
फिर वापस चूसने लगी.उसकी बड़ी-2 आँखे उपर हो अपने पति की ओर ही देख रही
थी.
"सबकी बातो से मुझे भी लगता है की पता नही ये ठीक होगा की
नही....ओह्ह्ह...!",देविका ने उनके अंडे पकड़ के खींचते हुए लंड के छेद
पे पानी जीभ चला दी थी & सुरेन जी अब पूरे जोश मे आ गये थे.देविका ने लंड
मुँह से निकाला & उठा के उनके दोनो तरफ अपने घुटने टीका के उनकी गोद मे
बैठ गयी.उसके जिस्म पे बस 1 लाल रंग का ब्रा था जिसके गले मे से उसकी
मस्ती के कारण और भी बड़ी हो गयी छातियो का क्लीवेज चमक रहा था.
"कामिनी शरण ने तो सब समझा दिया है ना..",देविका अपने घुटनो पे खड़ी हुई
& अपना दाया हाथ पीछे ले जाते हुए उनके खड़े लंड को पकड़ा & अपनी चूत के
नीचे लगा उसपे बैठने लगी.2 रातो से उसके पति ने उसे नही चोदा था &
पिच्छले 2 दीनो से शिवा को भी सवेरे-2 एस्टेट के राउंड पे निकलना था सो
वो भी सवेरे उसकी चुदाई नही कर पाया था.इस वजह से कामिनी बहुत प्यासी थी
& इस वक़्त उसे चुदाई के अलावा कुच्छ और नही सूझ रहा था.
"..आप बिल्कुल मत घबराईए.सब ठीक होगा.",देविका को अपनी गंद पे सुरेन जी
की झांते गुदगुदी करती महसूस हुई तो वो समझ गयी की लंड जड तक उसकी चूत मे
घुस चुका था.वो आगे झुकी & अपने पति को चूम लिया.सुरेन जी का दिल बहुत
ज़ोरो से धड़क रहा था....ये दवा बिल्कुल काम नही कर रही क्या?..इस ख़याल
ने उन्हे थोड़ा & परेशान कर दिया.
देविका ने पति को परेशान देखा तो समझा की बेटे की चिंता अभी भी उन्हे सता
रही है.उसने अपने ब्रा का बाया कप नीचे किया & अपनी चूची निकाल अपने पति
के मुँह मे भर दी & और उच्छल-2 कर उनसे चुदने लगी.सुरेन जी का दिल उन्हे
परेशान कर रहा था मगर जैसे ही देविका के गुलाबी,कड़े निपल का स्वाद
उन्होने चखा उनके दिल मे भी अपनी बीवी के जिस्म के साथ खेलने की चाह उनकी
बीमारी के उपर हावी हो गयी.
उन्होने उसकी बाई छाती चूस्ते हुए उसकी गंद को मसला & फिर दूसरा कप भी
नीचे किया.देविका अपने पति की हर्कतो से ये देख खुश हुई की उसने उनका
ध्यान उनकी परेशानियो से हटा दिया है.उसने उनके सर को अपने सीने पे और
दबा लिया & कमर हिला-2 के अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगी.
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क्रमशः.......
तरफ उनकी टाँगो से सॅट के लेटी उनके सोए लंड को अपनी ज़ुबान से जगा रही
थी,"देविका..",सुरेन जी ने साइड-टेबल से वही नारंगी रंग की डिबिया उठा के
1 गोली अपने मुँह मे डाली.
"ह्म्म...",देविका ने लंड को मज़बूती से पकड़ के उसके सूपदे को चूसा.
"तुम्हारे दिमाग़ मे प्रसून की शादी का ख़याल आख़िर आया कैसे",उन्होने
उसके बॉल सहलाए.
"बस ऐसे ही.",देविका अब उनकी टाँगो को और फैला उनके बीच लेट के लंड से खेल रही थी.
"तुम्हे पूरा यकीन है की ये बात ठीक होगी?"
"हां,आप क्यू पुच्छ रहे हैं?",देविका ने 1 पल को लंड मुँह से निकाला &
फिर वापस चूसने लगी.उसकी बड़ी-2 आँखे उपर हो अपने पति की ओर ही देख रही
थी.
"सबकी बातो से मुझे भी लगता है की पता नही ये ठीक होगा की
नही....ओह्ह्ह...!",देविका ने उनके अंडे पकड़ के खींचते हुए लंड के छेद
पे पानी जीभ चला दी थी & सुरेन जी अब पूरे जोश मे आ गये थे.देविका ने लंड
मुँह से निकाला & उठा के उनके दोनो तरफ अपने घुटने टीका के उनकी गोद मे
बैठ गयी.उसके जिस्म पे बस 1 लाल रंग का ब्रा था जिसके गले मे से उसकी
मस्ती के कारण और भी बड़ी हो गयी छातियो का क्लीवेज चमक रहा था.
"कामिनी शरण ने तो सब समझा दिया है ना..",देविका अपने घुटनो पे खड़ी हुई
& अपना दाया हाथ पीछे ले जाते हुए उनके खड़े लंड को पकड़ा & अपनी चूत के
नीचे लगा उसपे बैठने लगी.2 रातो से उसके पति ने उसे नही चोदा था &
पिच्छले 2 दीनो से शिवा को भी सवेरे-2 एस्टेट के राउंड पे निकलना था सो
वो भी सवेरे उसकी चुदाई नही कर पाया था.इस वजह से कामिनी बहुत प्यासी थी
& इस वक़्त उसे चुदाई के अलावा कुच्छ और नही सूझ रहा था.
"..आप बिल्कुल मत घबराईए.सब ठीक होगा.",देविका को अपनी गंद पे सुरेन जी
की झांते गुदगुदी करती महसूस हुई तो वो समझ गयी की लंड जड तक उसकी चूत मे
घुस चुका था.वो आगे झुकी & अपने पति को चूम लिया.सुरेन जी का दिल बहुत
ज़ोरो से धड़क रहा था....ये दवा बिल्कुल काम नही कर रही क्या?..इस ख़याल
ने उन्हे थोड़ा & परेशान कर दिया.
देविका ने पति को परेशान देखा तो समझा की बेटे की चिंता अभी भी उन्हे सता
रही है.उसने अपने ब्रा का बाया कप नीचे किया & अपनी चूची निकाल अपने पति
के मुँह मे भर दी & और उच्छल-2 कर उनसे चुदने लगी.सुरेन जी का दिल उन्हे
परेशान कर रहा था मगर जैसे ही देविका के गुलाबी,कड़े निपल का स्वाद
उन्होने चखा उनके दिल मे भी अपनी बीवी के जिस्म के साथ खेलने की चाह उनकी
बीमारी के उपर हावी हो गयी.
उन्होने उसकी बाई छाती चूस्ते हुए उसकी गंद को मसला & फिर दूसरा कप भी
नीचे किया.देविका अपने पति की हर्कतो से ये देख खुश हुई की उसने उनका
ध्यान उनकी परेशानियो से हटा दिया है.उसने उनके सर को अपने सीने पे और
दबा लिया & कमर हिला-2 के अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगी.
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क्रमशः.......
Re: Badla बदला
BADLA paart--12
gataank se aage...
"Mr.Inder Dhamija,aap Haldan Glass me pichhle 1 saal se manager
hain,us se pehle bhi aapne 1 iron foundry & fir 1 aur glass
factory.sabhi jagah aapne kafi achha kaam kiya hai magar aapko humare
jaise business ka koi tajurba nahi hai,fir kya aapko yaha kaam karne
me koi taklif nahi hogi?",suren ji ne sare sawal kar liye the & ab
unka ye aakhiri sawal tha.
"sir,ye sahi hai ki sabhi businesses ki apni kuchh alag zaurate &
khasiyat hoti hain jinhe samajhna zaruri hota hai magar 2 chize jo har
business ko chalane ke kaam aati hain vo hai mehnat & lagan.main manta
hu ki mere paas aapke business ka tajurba nahi magar main mehnati hu &
puri lagan se kaam karta hu,agar aap mujhe apne sath kaam karne ka
mauka dete hain to main aapko nirash nahi karunga.".nape-tule lafzo me
kahi gayi baat ne sahay ji ka man khush kar diya tha magar unhone apne
chehre pe apne dil ki baat nahi aane di.
"mr.dhamija,aapko 3 dino ke andar humare faisle ke bare me ittila kar
di jayegi.is that fine with you?"
"ye sir.thank tou.",inder khada hua & shay ji ke daftar se bahar nikal
gaya.uske nikalte hi suren ji ne intercom se dusre cabin me baithe
Shiva ko talab kiya.
"aapne bulaya,sir?"
"shiva,ye aadmi jo abhi-2 bahar gaya hai mujhe manager ki post ke liye
pasand aa gaya hai magar main chahta hu ki tum zara iske bare me thodi
chhan-been kar lo..ye raha iska bio-data."
"ok,sir.",shiva ne bio-data liya & fauran vaha se nikal gaya.
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inder apni bike se aaya tha & estate se nikal usne dekha ki shiva 1
jeep me uska peechha kar raha tha.vo man hi man muskuraya..ye log
sochte the ki vo uske bare me pata lagayenge & use kuchh bhi na pata
chalega!..hunh..!vo pata nahi ktne dino se ye sab plan kar raha
tha,sahay estate ke bare me vo jitna jaan gaya tha utna to shayad
suren sahay ko bhi nahi pata hoga!..aao shiva aao..mere peechhe
aao...karo mere bare me chhan-been...tumhara malik aur impress hoga
mujh se & khud mujhe apne bulayega estate ke andar taki main use
nestonabud kar saku!
uske dil me 1 baar fir se vohi aag bhadki & use sharab ki talab lagi
magar nahi abhi nahi.aaj use apni ichha-shakti se hi apne upar kabu
rakhna tha.vo ab dusri seedhi chadhne vala tha & yaha fisal kar vo
apni mahino ki mehnat pe pani nahi fer sakta tha.usne aankhe band kar
1 baar us insan ka chehra yaad kiya jiske liye vo ye sab kar raha tha
& fir pairo se top gear laga bike ki speed badhayi & farrate se aage
badh gaya.
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aaj 3 cases ki sunwai thi & unhe niptane ke baad Kamini 9 baje tak
agle din ke cases ki taiyyari apne assistant Mukul ke sath karti rahi
thi.kaam khatm hone ke baad is waqt vo club ki chhat pe baithi khane
ka order de rahi thi jab Viren Shaya uski mez ke paas aa khada
hua,"hello."
"hello.",kamini ne thandepan se kaha.
"main yaha baith sakta hu?"
"sure.",kamini ka dil to nahi tha ki vo yaha baithe magar kya karti
tamiz ka takaza tha!abhi to use khud pe hairat bhi ho rahi thi ki
Shatrujeet Singh se chudne ke waqt use is insan se chudne ka khayal
aaya bhi kaise tha.
"dekhiye,kamini ji mujhe ghuma-fira ke baat karna to aata nahi.mujhe
aapse 2 baate karni hain,pehli ye ki mere bade bhai suren sahay aapse
kuchh din pehle mile the.."
"ji."
"..to aapne unse kaha ki vo 1 baar mere sath aapse mile."
"haan,kaha tha."
"dekhiye,mera sach me estate & paiso me koi interest nahi hai magar
meri bhabhi ne 1 aat jo aapse kahi usme mujhe us bare me aapse baat
karni hai.",kamini samajh gayi thi ki vo Prasun ke bare me baat kar
rah tha magar usne aisa kaha nahi.
"kaun si baat,mr.sahay?"
"mere bhatije prasun ki shadi ki baat.pata nahi kaha se bhabhi ko ye
fitur sujha hai!aap hi bataye kya ye us bechare ki zindagi ke sath
khilwad nahi hoga?",pehli baar kamini ne humesha shant se rehne vale
viren ko thoda uttejit dekha.
"dekhiye,Devika ji prasun ki maa hain & hum unhe uske liye koi faisla
lene se rok to sakte nahi hain magar maine unhe 1 upay sujahya hai."
"kaisa upay?"
"ye to aapko apne bhai-bhabhi se hi puchhna padega.vo mere clients
hain & main unse ki gayi koi bhi baat bahar nahi keh sakti."
"ok.kamini ji,mujhe yakeen hai ki aapne koi badhiya tarkib hi unhe
sujhayi hogi.",viren ne dusri or gardan ghumayi,"..prasun pe koi aanch
aaye ye main bardasht nahi kar sakta.",kamini ne use gaur se
dekha..kya ye kewal 1 shakhs ka apne bhatije ke prati lagav se paida
hui chinta thi ya fir kuchh aur?
"achha,kamini ji 1 baat bataiye..",viren ne apni baahe bandh ke mez pe
tikayi & aage jhuk gaya,"..agar khuda na khaste mere bhai nahi rehte
hain to kya main prasun ka guardian ban sakta hu?"
"aap prasun ke guardian tabhi ban sakte hain jab aapke bhai-bhabhi
dono is duniya me na rahen ya fir vo khud aapko use uski zimmedari
saunp den."
hunn..",viren peechhe ho fir se apni kursi ki pith se tik ke baith
gaya,apne hath jode apni naak pe tikaye na jane vo kya soch raha tha.
"mr.sahay.",kamini ki aavaz se vo apne khayalo se bahar aaya.
"ji..i'm sorry..main zara kuchh soch raha tha."
"aap mujhse 2 baate karne aaye the.vo dusri baat kaun si hai?"
"haan..",viren ke chehre pe muskan fail gayi.kamini ne gaur kiya ki
muskurata viren bahut khubsurat lagta tha & 1 bar fir se uske dil me
vahi shatrujeet ke sath bitayi raat vali baat aa gayi,"..aap janti
hain ki main 1 painter hu."
"ji.ye baat kaun nahi janta."
"to kya aap mujhe aapki tasveer banane ka mauka dengi?"
"ji?!",kamini ki kali-2 aankhe hairat se fail gayi.
"ji.",viren ke chehre pe abhi bhi muskan thi,"..meri aapse guzarisha
hai kamini ji ki aap haan kar den.ye samajhiye ki aapka ye ehsan hoga
mere upar."
"main...magar....",kamini gehre aashcharya me thi.use ummeed nahi thi
ki jis insan ko vo badtamiz & khadus samajhti thi vohi uski tasvir
banane ko kahega,"..main abhi kya kahu meri kuchh samajh nahi aa
raha."
"aap jitna waqt chahe len,kamini ji..",viren uth khada hua,"..main to
yahi ummeed karta hu ki aap hi kahengi.achha,aap ijazat dijiye."
"viren ji..",kamini ki aavaz se jata hua viren ghuma,"..aap meri hi
tasveer kyu banana chahta hain?"
viren ke chehre pe fir se vahi dilkash muskan khel uthi,"khud ko aaine
me dekh lijiye,jawab khud ba khud mil jayega.",& vo vaha se chala
gaya.