रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 04 Nov 2014 14:38




मुझे दो मर्दों के बदन से खेलते देख जीवन के बदन मे और जोश भर गया. उसकी वैसे ही काफ़ी सालो से अपनी वाइफ को किसी अंजन आदमी से सेक्स करते हुए देखने की तमन्ना थी. जिस तमन्ना को मैने ही कोई लिफ्ट नही दे रही थी. ये अलग बात है की उनकी पीठ के पीछे मैं एक्सट्रामरिटल सेक्स के मज़े भी खूब ले रही थी. लेकिन मैं दूसरे से भरपूर मज़े लेते हुए भी उनको अंधेरे मे रख रही थी. वो कई बार मुझे स्वापिंग के लिए कुरेदते थे मगर मैं किसी पतिव्रता नारी की तरह उन्हे सॉफ मना कर देती थी. हां ये ज़रूर है कि हम सेक्स करते वक़्त अक्सर किसी और को भी शामिल कर लेते थे. चाहे वो मेरी कोई सहेली हो या उनका कोई दोस्त.


आज जो झीना सा परदा था शर्म का हमारे संबंध मे वो तार तार हुआ जा रहा था. कुच्छ ही हाथ दूर मैं किसी और मर्द के साथ सेक्स के खेल मे लिप्त थी तो वो किसी दूसरी औरत को अपने जिस्म की गर्मी से तृप्त कर रहा था.



काफ़ी देर से रंजन और दिवाकर मेरे बदन के एक एक अंग को सहला रहे थे. मसल रहे थे. मैं बुरी तरह उत्तेजित हो गयी थे. मैने रंजन और दिवाकर को अपनी ओर खींचा.

"बस अब मुझे रगड़ डालो" मैने अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा,” अब उत्तेजना सहन से बाहर होती जा रही है. उफफफफफफफफ्फ़…..क्य्ाआ करते हूऊऊ…म्‍म्म्मम…..जीईएवआन क्य्ाआ सोचईएगाआ? बस करूऊऊ…..बुसस्स्स करूऊऊ”

मैने दोनो को बाँह से पकड़ कर अपनी ओर खींचा. और अपने स्तनो को और अपनी जांघों को उनके बदन से रगड़ने लगी. लेकिन दोनो तो अभी सेक्स के खेल के लिए तयार ही नही थे.



"नही पहले तुम गुरुजी को भोग लगओगि. पहले तुम्हारे जिस्म को स्वामीजी ग्रहण करेंगे. उनके संतुष्ट होने के बाद ही हम तुम्हारे बदन को च्छुएँगे. बिना तुम्हारी योनि मे उनका अमृत गिरे हम नही छ्छू सकते. ये हमारे उसूलों के खिलाफ है." उन्हों ने कहा.

मैं उनका चेहरा देख रही थी.



“उठो और आगे बढ़ कर स्वामी जी से अपने जिस्म को तृप्त करने के लिए निवेदन करो. बिना माँगे तो इस दुनिया मे कुच्छ भी नही मिलता चाहे वो स्वामीजी का संबंध ही क्यों ना हो.” दिवाकर कह रहा था


मैं उठी और लड़खड़ाते कदमो से गुरुजी की तरफ बढ़ी. दिवाकर ने मुझे रोक कर मेरे बदन पर झूलता वो गाउन एक दम अलग कर दिया.



“हां अब तुम्हारा नाज़ुक फूल सा जिस्म तैयार है स्वामीजी का आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए.” उसने मेरे गाउन को रंजन को दिया जिसने उसे तह कर के एक कॅबिनेट मे रख दिया.

क्रमशः............


raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 15:48


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -32

गतान्क से आगे...

मैं अब पूरी तरह नग्न हो गयी थी. किसी शर्म ओर लिहाज से अब मैं काफ़ी दूर हो
गयी थी. अपने पति के सामने ही दूसरों के लिंगों पर एक भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी थी. जीवन भी बड़े ही नशीले अंदाज मे मुझे देखते हुए अपने अगाल बगल बैठी दोनो हूरों से खेल रहा था. उस वक़्त उसकी एक एक जाँघ पर दोनो बैठी हुई थी और जीवन अपने दोनो हाथो मे दोनो के एक एक स्तन को थाम कर उन्हे अपनी ओर खींच रहा था. दोनो उसके बदन से लिपटी हुई थी और उनके हाथ जीवन के जांघों के जोड़ पर फिर रहे थे. जीवन अपने चेहरे को झुका कर बारी बारी से दोनो के निपल्स चूसने लगा.

मैं आगे बढ़ कर गुरुजी के सामने खड़ी हुई. गुरुजी ने अपनी बाहें फैला कर मुझे अपनी आगोश मे आने का न्योता दिया. मैं मुस्कुराते हुए उनकी गोद मे बैठ गयी. गुरुजी मेरे बदन को धीरे से सहलाने लगे.



तभी शेखर उस जगह से कई ग्लासो मे मेरे स्तनो से निकाला हुआ दूध डाल कर ले आया. मैने ट्रे से एक ग्लास लेकर गुरुजी के होंठों से लगाया.



“तुम्हारे इन वक्ष युगल के दूध को पीकर ऐसा लगता है जैसे पूरे बदन मे एक नयी स्फूर्ति जाग उठी हो. “ गुरु जी ने अपने होंठों को एक दूसरे से अलग करते हुए कहा.



“मुझे भी तो अपना दूध से आपकी प्यास बुझाने मे मज़ा आता है.” मैने कहा



मेरा दूध सबसे पहले गुरु जी ने पिया. फिर जीवन को छ्चोड़ कर सबने एक एक घूँट मेरे दूध को पिया. अभी भी ग्लास मे आधा दूध बचा रह गया था. उसे रंजन ने अपने हाथों से एक ओर रख दिया.



जीवन का ग्लास तरुण लेकर खड़ा था. जीवन के ग्लास मे दूध नही था. उसके ग्लास मे वही कामोत्तेजक शरबत डाला हुआ था. जिसे रजनी ने अपने हाथों से जीवन को पिलाया.



अब रंजन ने दोनो बर्त के बीच परदा खींच दिया था इसलिए जीवन और दोनो हूरों के बीच हो रहे संभोग को मैं देख नही पा रही थी. बस बगल से आती सिसकारियों की आवाज़ और चूमा चॅटी की आवाज़ से अपने बगल चल रहे खेल का अंदाज लगा रही थी.



मैने अब जीवन की नज़रों से ओझल होते ही अपने अंदर के बचे खुचे झिझक को भी उतार फेंका. मैने उठ कर गुरु जी के होंठों और दाढ़ी पर लगे अपने दूध को अपने स्तनो से पोंच्छा. मैने अपने स्तन उनके चेहरे पर रगड़ दिए.



“लो चूस लो अपने होंठों से. जो कुच्छ दूध बचा है उसे अपने होंठों से खींच लो.” कह कर मैने अपने एक निपल उनके होंठों से सटाया और अपने हाथों से ही उसे मसल्ने लगी. लेकिन इतनी देर तक उन चारों मर्दो के द्वारा दुहे जाने से दोनो स्तन बुरी तरह दुख रहे थे.

"आआआअहह" मैं दर्द से कराह उठी. स्वामी जी ने मेरी नज़रों मे झाँका.



" उन चारों ने मेरे चूचियो की बड़ी दुर्गति की है. गुरुजी थोड़ा प्यार से……थोड़ा आहिस्ते मसलना इनको."

मैने गुरुजी के लबादे को सीने पर से हटा कर उनके घने बलों से भरे सीने को चूम लिया.मैने उनके लबादे को सामने से पूरी तरह खोल दिया. उन्हों ने मुझे
उठाकर मेरे दोनो पैरों को अपनी जांघों के दोनो ओर फैला कर अपनी गोद मे बिठा लिया.

अब मेरी योनि के उपर गुरुजी का लंड ठोकर मार रहा था.



मेरा मुँह गुरुजी की तरफ था. मैं अपने निपल्स गुरुजी के सीने पर रगड़ने लगी. गुरुजी कभी मेरे चेहरे को, कभी मेरे होंठों को तो कभी मेरे सीने को चूम रहे थे.
काफ़ी देर तक मेरे बदन के एक एक हिस्से को अपने होंठों से प्यार करने के बाद उन्होने मुझे उठाकर अपने सामने ज़मीन पर बिठा लिया.



मैने अपने हाथों से उनके लिंग को सम्हाल लिया और उसके लिंग को सहलाने लगी. फिर होंठ खोल कर उनके उस प्यारे से मोटे ताजे लिंग को मुँह के अंदर लेना चाहा तो उन्होने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर से हटा दिया. मैं उनकी इस हरकत को समझ नही पाई. मैने उनकी आँखों मे झाँका तो पाया कि वो शरारत से मुस्कुरा रहे थे.



वो मुझे परेशान करना चाहते थे. अपने लिंग से मेरे गालों पर ठोकर मारने लगे और मैने अपना मुँह पूरी तरह खोल कर उनके लिंग को अपने मुँह मे पकड़ने के लिया इधर उधर घुमाने लगी. मगर वो थे की मेरी पकड़ मे ही नही आ रहे थे हर बार अपने लिंग को मेरी पकड़ से बचा ले जा रहे थे.

"प्लीईईईईआसए मुझे मत सताओ. मैं तो आपकी गुलामी स्वीकार कर ही चुकी हूँ. कितने दिनो से इस मूसल सरीखे लिंग की भूखी हूँ. आज तो मुझे अपनी कर लेने दो."

गुरुजी मुस्कुरा दिए और अपने लिंग को इधर उधर हटाना छ्चोड़ कर मेरे होंठों पर फेरने लगे.

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 15:49


मैने लपक कर उनके लिंग को अपनी होंठो के बीच ले लिया और उसे किसी बरसों के भूखे की तरह चूसने लगी. काफ़ी देर तक यूँ ही चूसने के बाद उन्हों ने मुझे उठा
कर अपनी तरफ सिर करके बर्त पर पेट के बल लिटाया. कुच्छ इस तरह की मेरा सिर बर्त से नीचे झूल रहा था. फिर उन्हों ने मेरे सिर को पकड़ कर इस तरह उठाया कि मुँह गले की लाइन मे आ जाए. फिर मुझे उसी अवस्था मे थामे हुए धीरे धीरे अपने लिंग को मेरे मुँह मे डालने लगे. जैसे ही उनका लिंग मेरे मुँह से गले की ओर सरकने लगा मैं चोंक कर उनकी ओर देखी. वो मुस्कुरा कर मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरने लगे. मैने
अपने शरीर को ढीला छ्चोड़ दिया और उसे पूरी तरह अब गुरुजी के हवाले कर दिया.



उनका लिंग गले के काफ़ी अंदर तक सरकता जा रहा था. जब वो काफ़ी अंदर घुस गया तो मुझे अपनी साँस रोकनी पड़ी. जब उन्हों ने दोबारा लिंग को बाहर खीचा तब जाकर मैने सांस ली. उनका लिंग मेरे गले की दीवारो को मानो छ्चीलता हुआ बाहर निकला और अगले ही पल उन्होने ने उसे वापस अंदर घुसेड दिया . अब वो एक निस्चित अंतराल से लगातार अपने लिंग को मेरे गले तक पेलने लगे. कुच्छ ही देर मे मेरी साँसे उनके धक्कों के ले मे व्यवस्थित हो गयी और मुझे अब कोई परेशानी नही महसूस हो रही थी.

दिवाकर ने अचानक आगे बढ़ कर दोनो बर्त के बीच का परदा हटा दिया. मैने देखा कि जीवन मेरी तरफ देख रहा है. हम दोनो अगल बगल की बर्त मे लेटे दूसरों के साथ सेक्स के मज़े ले रहे थे.



वो तीनो भी पूरे रंग मे थे. जीवन बर्त पर लेटा हुआ था और रजनी अपने दोनो हाथों को उसके छाती पर रख कर उसके लिंग पर ऊपर नीचे हो रही थी. करिश्मा जीवन के चेहरे पर बैठ कर अपनी योनि उसके मुँह पर रख रखी थी. दोनो लड़कियाँ उत्तेजना मे कभी एक दूसरे के स्तनो को मसल रही थी तो कभी एक दूसरे के निपल्स को खींचती. रजनी के बॉल जो पहले मोटी छोटी मे गूँथे हुए थे अब खुल कर चेहरे पर बिखर गये थे. वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. जीवन का चेहरा करिश्मा के मोटे मोटे नितंबों के बीच छिपा हुया था. उसकी जीभ करिश्मा की योनि मे फिर रही थी. जीवन का लिंग रजनी की योनि को मठ रहा था. रजनी बीच बीच मे अपने हाथ नीचे ले जा कर जीवन के गेंदों को सहला देती.



दोनो उत्तेजना मे जीवन के हाथों को लेकर अपने स्तनो पर रख कर मसल कर उसे वैसा करने का इशारा कर रहे थे. जीवन कभी रजनी के स्तनो को कभी मसलता तो कभी करिश्मा के. दोनो खूब उत्तेजित लग रही थी और कामग्नी मे बुरी तरह च्चटपटा रही थी. तभी रजनी के मुँह से संट्तुष्टि की सिसकारियाँ फूटने लगी.



“म्‍म्म्ममम…….. ऊऊहह…….उईईईईईईई……..क्य्ाआअ……….जीईईवाआअँ मीईरीए साआअत एयाया जाआूओ……..माऐईइ…..आआआहह……म्‍म्

म्माइईईई झाआर रहीई हूऊंणन्न्……..ऊऊऊऊहह माआआअ…..” उसने अपने सिर को
एक ज़ोर का झटका दिया. उसके सिल्की बॉल उसके पूरे चेहरे को ढक लिए थे. उसकी उंगलियाँ जीवन की छाती मे गढ़ गयी थी. वो दो झटके खा कर करिश्मा के ऊपर निढाल होकर गिर गयी. तभी करिश्मा भी अपने निचले होंठ को दाँतों के भींच कर अपनी सिसकारियों को रोकने की असफल कोशिश करने लगी. लेकिन उस अवस्था मे अपने जज्बातों पर काबू रखना बड़े सख़्त दिल वाले के ही बस मे होता है.



“ऊऊऊऊऊऊओह…..राआज्न्‍न्न्नीईईईईई………बचाआ मुझीई” और इसके साथ ही उसकी आँखें उलट गयी. उसका बदन पीछे की ओर झुक गया. वो शायद गिर ही पड़ती अगर रजनी ने सम्हाल नही लिया होता.



जीवन ने खुद उठते हुए रजनी को उठने मे सहयता की. उसके उठते ही करिश्मा की चूत ने जीवन के लंड पर हमला बोल दिया. उसने जीवन को गिरा दिया. उसे ज़बरदस्ती बर्त पर लेटने को मजबूर कर दिया. करिश्मा अब जीवन के लिंग पर उपर नीचे होने लगी. रजनी उठ कर पास की एक सीट पर नंगी ही पसर गयी. करिश्मा अब जीवन के लिंग का सारा माल अपनी योनि मे चूस लेना चाहती थी.

इधर गुरुजी ने मुझे सीधा कर के लिटाया और मेरे पैरों को अपने कंधे पर रख लिया.
क्रमशः............


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