मौसी का गुलाम compleet

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raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 09:00

मौसी ने मेरी ओर देखा और आँखों आँखों में कुछ पूछा मैंने बड़ी बेचैनी से सिर दुलाकर हामी भरी, मैं जानता था कि अब क्या होने वाला है और उसकी कल्पना करके ही मैं वासना से सिहर उठा मेरी हाँ देखकर मौसी ने आँखों आँखों में मुझे शाबासी दी और डॉली से बोली "अरे रुक, बाथरूम क्यों जाती है, यहीं कर ले" डॉली चकरा गयी गुस्से से बोली "क्या दीदी, गंदी बात करती हो, तुम्हारा बिस्तर मैं क्यों खराब करूँ?"

मौसी उसकी चूची दबाती हुई बोली "बिस्तर पर मूतने को कौन कहा रहा है रानी, अरे अपना प्यारा पोर्टेबल टॉयलेट यहीं है, मुझे भी लगी है, देख पहले मैं करती हूँ, फिर तू कर लेना ऐसे ही" मेरे मुँह पर बैठते हुए फिर मौसी बोली "बेटे, मुँह खोल, सू सू लगी है"

मुझे जम के प्यास लगी थी और मैं खुश हो रहा था कि दो मस्त चुनमूनियाओ का मूत आज पीने मिलेगा मैंने मुँह खोल दिया और मौसी निशाना लगाकर मेरे मुँह में मूतने लगी मैं गटागट उस खारे शरबत को पीने लगा और मौसी डॉली के आश्चर्यचकित चेहरे की ओर देखकर हँसने लगी

डॉली को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था पर जब उसने देखा कि कितनी लालसा से मैं मौसी का मूत पी रहा हूँ तो वह भी उत्तेजित हो गयी जब मौसी आख़िर रुकी तो डॉली अपने ही क्लिट को रगड रगड कर अपनी चुनमूनियाँ में उंगली करते हुए सिसक रही थी

मौसी उठी, डॉली को बाँहों में कस कर उसे चुम्मा और उसका हौसला बढाती हुई बोली "अब तू भी आराम से इस नन्हे प्यारे टॉयलेट को इस्तेमाल कर और पिला दे अपना मूत इसे डर मत, इसपर कोई ज़बरदस्ती नहीं है, इसे सच में औरतों का और ख़ास कर सुंदर औरतों का मूत बहुत अच्छा लगता है"

डॉली लडखडाती हुए किसी तरह मेरे मुँह पर बैठी और फिर झुक कर मेरी आँखों में देखने लगी जब उसे वहाँ सिर्फ़ प्यार और वासना की चमक दिखी तो उसे विश्वास हो गया कि सच में मैं उसका मूत पीने को तैयार हूँ उसकी रही सही हिचक जाती रही और एक गहरी साँस लेकर उसने मेरे खुले मुँह में मूतना शुरू कर दिया

क्या मस्त खारा गरमा गरम मूत था! मैं मन लगा कर पी रहा था डॉली भी अब वासना से थरथराते हुए बिना रुके पूरे ज़ोर से मूत रही थी लगता था कि काफ़ी देर से मूती नहीं थी मुझे बड़ी जल्दी जल्दी उस अमृत को निगलना पड़ा मौसी भी थोड़ी घबराई कि इस जोरदार धार को मैं सह पाऊन्गा कि नहीं पर मैंने एक बूँद भी गिराए बिना पूरा मूत निगल लिया

आख़िर प्रेशर कम होने पर डॉली ने मूतने की गति धीमी कर दी मेरी आँखों में देखते हुए वह रुक रुक कर मूतने लगी कि मुझे उसका स्वाद लेने का मौका मिले वह तडप कर मौसी से बोली "दीदी, यह तो सच में मेरा मूत पी गया, और बड़े प्यार से पी रहा है जैसे शरबत हो"

मौसी ने उसकी चुचियाँ मसलते हुए और उसे चूमते हुए समझाया "मैंने कहा था ना रानी, मेरा गुलाम है और अब तेरा भी, इसके लिए तो यह चुनमूनियाँ का शरबत सचमुच के शरबत से बढकर है जब से इसने यह पीना सीखा है, मैंने बाथरूम जाना ही छोड़ दिया है"

क्रमशः……………………


raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 20:49

मौसी का गुलाम---25

गतान्क से आगे………………………….
मूतना समाप्त होने तक डॉली ऐसी फडक उठी कि सीधा मेरे मुँह पर बैठकर मेरे मुँह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया मुझे मेरी मेहनत का खूब फल भी मिला, उसकी चुनमूनियाँ के स्वादिष्ट रस के रूप में

उठकर उसने मौसी को बधाई दी कि मेरे जैसा प्यारा गुलाम उसे मिला डॉली अब मुझसे इतनी खुश थी कि मेरे तडपते लंड को चूसने में भी वह मौसी के साथ कदम से कदम मिला कर चली बारी बारी से उसने मौसी के साथ मेरा लौडा चूसा और जब मैं आख़िर झडा तो ज़रा भी ना झिझके उसने भी मेरा वीर्य अपने मुँह में लिया मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात थी कि डॉली जैसी पक्की लेस्बियन को भी मैं इतना खुश कर सका

जब आख़िर डॉली जाने लगी तो मेरा गाल चूमकर बोली कि आगे से मौसी मुझे भी अपने कामकर्म में शामिल करेगी, उसे बहुत अच्छा लगेगा जाते जाते मेरे आग्रह करने पर एक बार फिर डॉली ने मेरे मुँह का टॉयलेट जैसा इस्तेमाल किया मौसी को वह बोली कि अब हर हफ्ते कम से कम एक बार वह आया करेगी मुझे प्यार से चूम कर वह बोली"राज, तैयार रहना, अब जब भी आऊँगी तो खूब पानी पीकर आऊन्गि, दिन भर नहीं मुतुँगी, तेरे लिए इतना चुनमूनियाँ का शरबत लाऊंगी कि तू घंटों पीता रहेगा"

उसके जाने पर बतौर इनाम के मौसी ने सारे दिन और रात मुझे अपनी गान्ड मारने दी इसके बाद जब भी डॉली आती, हम तीनों धुँआधार कामुक रति करते बस एक बात का मुझे अफ़सोस है कि डॉली ने कभी मुझे उसे चोदने या गान्ड मारने नहीं दिया, हाँ, उसका अमृत जैसा चुनमूनियाँ का रस और शरबत जैसा मूत उसने मुझे खूब पिलाया

इस बार जब मौसाजी दौरे से वापस आए तो मौसी दो दिन के लिए एक शादी अटेंड करने के लिए बाहर गयी तब मैंने मौसाजी के साथ भी खूब मज़ा किया मौसाजी ने मौसी को कहा कि वह बेझिझक हो आए, वे उसके भांजे का पूरा ख़याल करेंगे मौसी हँसने लगी "मालूम है, तुम उसकी कैसी हिफ़ाज़त करोगे"

मौसाजी ने उन दो दिनों में इतना प्यार मेरे से किया कि वैसा कभी किसी ने नहीं किया होगा ओफिस से उन्होंने छुट्टियाँ ले ली कि पूरा समय मेरे साथ बिता सकें उन्होंने मुझे ऐसे भोगा कि जैसे मैं नयी नवेली दुल्हन हूँ और वे कामातूर दूल्हा वे मुझे खुद प्यार से बच्चे जैसा नहलाते, अपना लंड चुसवाते और फिर उपर से गिरते ठंडे शोवर के नीचे दीवाल से मुझे सटाकर खड़े खड़े मेरी गान्ड मारते

उन्होंने उन दो दिनों में मेरी इतनी गान्ड मारी कि मानों जैसे जनम भर की तृप्ति उन दो दिनों में ही पा लेना चाहते हों मेरी गान्ड मारते हुए मेरे सुख का भी वे पूरा ख़याल रखते थे डाइनिंग टेबल पर चोदने का एक बड़ा प्यारा आसन उन्होंने आजमाया जो बहुत ही मादक सिद्धा हुआ मैं टेबल पर अपने चुतड किनारे पर रख कर लेट गया मेरे सामने वे खड़े हो गये और मेरे पैर पकडकर अपने कंधे पर रख लिए अब मेरे नितंब थोड़े उठ गये थे और ठीक उनके लौडे के सामने थे

धीरे धीरे उन्होंने मेरी गान्ड में लंड उतारा और मुझसे चिपक कर खड़े हो गये मैंने उनके सिर को अपने पैरों के बीच पकड़ लिया और उन्होंने मेरी जांघें पकडकर खड़े खड़े ही आगे पीछे होकर मेरी मारना शुरू कर दी यह बहुत आराम का आसन था क्योंकि मेरे शरीर पर उनका ज़रा भी बोझ नहीं पड़ता था वे भी मुझसे बातें करते हुए, मेरे चिकने शरीर को सामने से नंगा देखने का मज़ा लेते हुए और मेरे लंड के साथ खेलते हुए बहुत देर मुझे चोद सकते थे

मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मुझे दूर से ही फ्लाइंग किस देते हुए और मेरे लंड को मुठियाते हुए वे गान्ड मार रहे थे बीच में प्यार से उन्होंने पूछा "राज बेटे, तू चुद तो रहा है ना ठीक से?" मैंने सुख की सिसकारियाँ भरते हुए कहा "हाँ अंकल, बहुत मज़ा आ रहा है ऐसे मरवाने में" खेल खेल में मैं अपने पैर उनके गालों और मुँह पर रगडने लगा उनकी शेव ना की हुई ज़रा सी बढ़ी दाढी के बाल मेरे तलवों को बड़ी प्यारी गुदगुदी कर रहे थे

उन्होंने अचानक मेरे पैरों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया फिर मेरे पैर के अंगूठे और दूसरी उंगलियों को मुँह में लेकर चूसने लगे और मेरे तलवे चाटने लगे एक बड़ी मीठी अनुभूति से मैं सिहर उठा मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि तलवों को चटवाने से इतना मज़ा आता है

मैं उनसे और करने के लिए कहने लगा "हाय मौसाजी, बहुत अच्छा लग रहा है, आप मेरे तलवे चाटते हैं तो बहुत प्यारी गुदगुदी होती है" वे भी बोले "मेरे राजा, तेरे पैर कितने खूबसूरत हैं, बिलकुल गोरे गुलाबी और चिकने, मैं तो इन्हें हमेशा चाटता रहूं ऐसा लगता है" आख़िर वे मस्त ज़ोर से झडे और फिर मेरी गान्ड में से लंड निकालकर वहीं टेबल पर मुझे लिटाकर मेरा लंड चूस लिया

raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 20:50


उन दो दिनों में हमने इतनी ब्लू फिल्में देखीं कि मेरा पूरा सेक्स एजुकेशन हो गया हर तरह का संभोग उन्होंने मुझे दिखाया, होमो, लेस्बियन, ग्रुप, जानवरों के साथ रति इत्यादि ये फिल्में देखते हुए मैं अपनी गान्ड में उनका लंड लेकर उनकी गोद में बैठा रहता था और वी प्यार से मुझे चूमते हुए, मेरे निपल मसलते हुए, नीचे से हौले हौले मेरी गान्ड मारते हुए मुझे टीवी पर दिखाते सब कामकर्मों के बारे में बताते

इसी पॉज़ में हम गंदी गंदी किताबें भी पढ़ते और सचित्र मेग्ज़ीन देखकर खूब मज़ा लेते मौसाजी घंटों अपना लंड खड़ा रखते थे और मेरी मारते रहते थे मुझे भी नहीं झडने देते थे एक बार तो लगातार चार घंटे ना झडे हुए इस पॉज़ में हमने एक के बाद एक चार वीसीडी देखीं

मेरी गुदा का स्वाद अब उन्हें इतना अच्छा लगता था कि गान्ड मारने के पहले अक्सर बहुत देर वे उसे चाटा करते थे और जीभ अंदर डाल डाल कर मेरी गान्ड चूसते

एक दिन दोपहर की चुदाई के बाद आराम करने के बाद एक शाम को नहाकर हम घूमने जा रहे थे बाहर जाते समय अंकल को कुछ सूझा और वे मुझे किचन में ले गये

मेरी हाफपैंट और चड्डी उतारकर उन्होंने मुझे झुक कर टेबल को पकडकर खड़ा होने को कहा फिर एक केला छीला और धीरे धीरे बड़े प्यार से पूरा मेरी गुदा में घुसेड दिया बोले "ज़रा अपने नाश्ते का इंतजामा कर लूँ बेटे, वापस आकर भूख लगेगी तो तेरी गान्ड में से यह केला खाऊंगा"

मैंने निकर फिर पहन ली केला थोड़ा कच्चा था और काफ़ी ठोस था मुझे अपनी गान्ड भारी भारी लग रही थी और बहुत मज़ा आ रहा था जब मैंने कच्चेपन के बारे में अंकल से कहा तो बोले "तेरी तपती रसीली गान्ड में घंटे भर में पक जाएगा, शर्त लगा ले चाहे तो"

चलते समय मेरे चुतड केले को मस्त दबा दबा कर रगड रहे थे मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मेरा लंड खड़ा हो गया और उसे मैंने निकर के अंदर खड़ा कर के बेल्ट की नीचे बाँध लिया कि किसी को दिखे नहीं जब हम वापस लौटे तो अंकल को केला खाने की ऐसी जल्दी थी कि वहीं दीवानख़ाने में मेरी चड्डी उतार कर मेरा गुदा चूसने बैठ गये

इंच इंच करके केला वे चूस चूस कर बाहर निकालते जाते और सीधा मेरी गान्ड में से ही खाते जाते केला खतम करके बोले "वाह, क्या स्वाद है राज, तेरी गान्ड की भीनी खुशबू से यह और मस्त हो गया है" मेरा लंड खूब जम कर खड़ा हो गया था इसलिए मौसाजी भी कपड़े उतार कर वहीं कुर्सी को पकडकर झुक कर खड़े हो गये और मैंने खड़े खड़े ही उनकी गान्ड मार ली बहुत आनंद आया

मेरे झडते ही उन्होंने मुझे नीचे फर्श पर ओँधा पटक दिया और मेरी गान्ड में अपना मस्त तन्नाया लंड उतार दिया केले से चिकनी मेरी गान्ड में वह ऐसे गया जैसा मख्खन में छुरी मुझे ज़रा भी तकलीफ़ नहीं हुई फर्श पर पटक पटक कर मेरी उन्होंने ऐसी मारी कि हम दोनों उसे भुला नहीं सकते
क्रमशः……………………


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