Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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The Romantic
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:38

अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली " "हाय ....सीईई...ई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ....चूस ले.....पूरा रस चूस.....मजा आ रहा है....तेरी दीदी को बहुत मजा आ रहा है भाई.....हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है....मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस....तू बहुत अच्छा चूसता है....हाय मजा आ गया भाई....पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा.....बूर नहीं देखेगा अपनी दीदी की चुत नहीं देखनी है तुझे.....हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी....जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है....हाय चल बहुत दूध पी लिया.....अब बाद में पीना" मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली "साले....हरामी....चूची...छोड़....कितना दूध पिएगा....हाय अब तुझे अपनी निचे की सहेली का रस पिलाती हु....चल हट माधरचोद....." गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला "हाय दीदी बूर का रस पिलाओगी...हाय जल्दी से खोलो ना..." दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली "हा राजा मेरे प्यारे भाई....अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा...ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर...देखना तुझे कैसा मजा आता है...." पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली "हाय...भाई ऐसे नहीं....ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे....दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ...फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं...घबरा मत भाई...मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और....उसकी चटनी भी चटाउगीं...चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली "हाय...भाई...आ जा तुझे मजे करवाती हूँ....अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ....देख भाई मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना....इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी....ठीक है भाई...आ जा....जल्दी कर....अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी...." मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी....काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली


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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:39

होली पर बीबी चुदी दीदी चुदी--5

गतांक से आगे ....................................................

कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली

ध्यान से देख ले....अच्छी तरह से अपनी दीदी की बूर को देख बेटा....चुत फैला के देखेगा तो तुझे....पानी जैसा नज़र आएगा....उसको चाट का अच्छी तरह से खाना....चुत की असली चटनी वही है...." दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा.
जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी और बोली "सीईई....बहुत अच्छा भाई...तुम्हे आता है...मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है....हाय….बूर चाटना आता है.... ऐसे ही..तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है....अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए.....मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस...देख मैं बताना भूल गई थी....चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना....उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा....तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा....फिर तू आराम से चाट कर चूसना....सीईईई.मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. दीदी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली बहुत अच्छा कर रहा है....राजा.....हाय......सीईई....बड़ा मजा आ रहा है....हाय मेरी चुत के कीड़े....मेरे सैयां.....ऊऊऊउ...सीईईइ.....खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है.... बहनचोद....जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना.....बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट....अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा....माधरचोद....ले ले.....ऊऊऊऊ......इस्स्स्स्स्स...घुसा चुत में जीभ....मथ....दे.......दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी "हाय....राजा...जीभ बाहर मत निकालो....हाय बहुत मजा आ रहा है...ऐसे ही.... बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो....हाय चोद....दे माधरचोद....अपनी जीभ से अपनी दीदी की बूर चोद दे....हाय सैयां....बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है....इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी....हाय हाय....अपनी दीदी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम.... तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी.... भोसड़ीवाले.....तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी....आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना....तुझे चोदने का मौका दूंगी....अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं....मेरे भाई.....मेरे सोना मोना....मन लगा कर दीदी की चुत चाट....मेरा पानी निकलेगा....तेरे मुंह में....हाय जल्दी जल्दी चाट....पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई.....". दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी "हाय मेरा निकल रहा है....हाय भाई...निकल रहा है मेरा पानी....पूरा जीभ घुसा दे....साले.....बहुत अच्छा....ऊऊऊऊऊ.....सीईईईईईइ....मजा आ गया राजा...मेरे चुत चाटू सैयां....मेरी चुत पानी छोर रही है...........इस्स्स्स्स्स्स्स्स......मजा आ गया....बहनचोद....पी ले अपनी दीदी के बूर का पानी....हाय चूस ले अपनी दीदी की जवानी का रस.....ऊऊऊऊ.......गांडू......" दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला "हट...माधरचोद....क्या कर रहा है....गांड मारेगा क्या....फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोलीबहुत मजा आया....अच्छा चूसता है...तू.... "मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने बहनोई को भी मात कर दिया....उस साले को चूसना नहीं आता था...खैर उसका क्या...उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था....तुने चाट कर अच्छा मजा दिया... इधर आ,……आ ना...वहां क्यों खड़ा है भाई.....आ यहाँ बिस्तर पर बैठ...."

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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:39

दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली "हूँ....खड़ा हो गया है....इधर आ तो पास में....देखू...." मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली "अब कभी हाथ से मत करना.....समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं.....मारते मारते गांड फुला दूंगी....समझा..मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली "हाय रे मेरा सोना....मेरे प्यारे भाई.... तुझे दीदी सबसे अच्छी लगती है....तुझे मेरी चुत चाहिए....मिलेगी मेरे प्यारे भाई मिलेगी....मेरे राजा....आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी दीदी की बूर का बाजा बजाना......अपने भैया राजा का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं......हाय राजा.....अपने मुसल से अपनी दीदी की ओखली को रात भर खूब कूटना.....अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी....तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है.....चल आ जा.....आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू....." फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली "जरा चाट के गीला कर... बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा...सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो.....” एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में दीदी को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या
बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर दीदी की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला "दीदी प्लीज़....ओह....सीईई अब नहीं रहा जा रहा है....जल्दी से अन्दर कर दो ना.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ......ओह दीदी....बहुत अच्छा लग रहा है....और तुम्हारी चु...चु....चु....चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है....ओह दीदी...जल्दी करो ना....क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है....." अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली "हाय...भाई जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो....देखते रहो....मैं कैसे करती हूँ....मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ....मजा नहीं आये तो अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ देना.....माधरचोद....अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी बूर में लेती हूँ.....लण्ड सारा पानी अपनी चुत से पी लुंगी...घबराओ मत.

फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो दीदी बोली "बस हो गया भाई...हो गया....एक तो तेरा लण्ड इंतना मोटा है.....मेरी चुत एक दम टाइट है....घुसाने में....ये ले बस दो तीन और....उईईईइ माँ.....सीईईईई....बहनचोद का....इतना मोटा.....हाय...य य य.....उफ्फ्फ्फ्फ़...." करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वो उईईई माँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई "उफ्फ्फ्फ्फ़....बहन के लौड़े....कैसा मुस्टंडा लौड़ा पाल रखा है....ईई....हाय....गांड फट गई मेरी तो.....हाय पहले जानती की....ऐसा बूर फारु लण्ड है तो....सीईईईइ.....भाई आज तुने....अपनी दीदी की फार दी....ओह सीईईई....लण्ड है की लोहे का राँड....उईईइ माँ.....गई मेरी चुत आज के बाद....साला किसी के काम की नहीं रहेगी....है....हाय बहुत दिन संभाल के रखा था....फट गई....रे मेरी तो हाय मरी...." इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी

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