जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:43

मैं हवाई जहाज़ से देल्ही पहुँची. वो मुझे लेने आए थे. हम इतने पागल हो गये थे कि एरपोर्ट से घर जाते समय कार मे ही शुरू हो गये. उन्होने कई बार चलती कार मे मेरी चुचियाँ दबाई जो मुझे गरम होने के लिए काफ़ी था. मैने भी उनके तने हुए लौडे को उनकी पॅंट के उपर से ही पकड़ कर कई बार हिलाया. रात काफ़ी हो चुकी थी इसलिए सड़क पर भीड़ नही थी. जो भी संभव था, वो हम ने चलती कार मे घर जाते वक़्त किया. मौसम सर्दी का ज़रूर था पर हम दोनो तो चुदाई की गर्मी मे जल रहे थे.

मैं अपने पति के साथ मेरे नये घर पर पहुँची. हमारा घर एक बहुमंज़िली इमारत मे तीसरी मंज़िल पर है. हम ने मेरा समान घर मे रखा और मैं अपना नया घर देखने लगी. ये बहुत बड़ा घर है, दो बड़े बेड रूम बाथरूम के साथ, एक मेहमान बेडरूम बाथरूम के साथ, एक समान घर, बड़ी रसोई, बाहर का बड़ा कमरा और अलग से बाथरूम. दोनो बेडरूम के बाहर बड़ी बड़ी बाल्कनी भी है. कुल मिलकर एक बहुत बड़ा घर शहर के बीचों बीच.

हम दोनो तो एक दूसरे के बिना प्यासे थे . हम सीधा अपने बेडरूम मे गये जहाँ एक बहुत बड़ा पलंग हमारा इंतेज़ार कर रहा था. हम ने जल्दी जल्दी एक दूसरे के कपड़े खोले और एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे भर लिया. उन्होने मेरे इंतेज़ार करते गरम होठों को चूमा और मैं सेक्सी होने लगी. मेरी चूत तो पहले से हो गीली थी जब कार मे वो मेरी चुचियाँ दबा रहे थे और मैं उनके गरम लंड को पकड़ कर हिला रही थी. उनका लॉडा भी मेरे नंगे बदन को छू कर और भी कड़क हो गया. हमेशा की तरह, कमरे की रोशनी चालू थी और हम एक दूसरे के नंगे बदन को आराम से सॉफ देख रहे थे. हम करीब 15 दिन बाद मिल रहे थे और हम दोनो ही जल्दी से जल्दी चुदाई कर के अपनी चुदाई की गर्मी को शांत करना चाहते थे. वो मुझे बिस्तर मे ले गये जहाँ मैं अपनी पीठ के बल लेट गई. उन्होने फिर से मेरी चुचियाँ मसली और मैने चुदाई की चाह मे अपनी टांगे चौड़ी करली. वो मेरे चौड़े पैरों के बीच बैठे और मेरे पैर अपने कंधों पर रखे.

अब मेरी चिकनी, रसीली, सफाचट और प्यारी सी चूत उनके सामने थी और मेरी चूत के खुले होंठ उनको अंदर आने का निमंत्रण देने लगे. उन्होने भी ज़्यादा देर नही लगाई और अपने लंड का मूह मेरी गीली चूत के मूह पर रखा. मेरी चूत ने उनके लंड का स्वागत किया और उनके खड़े लौडे के एक जोरदार धक्के ने उनके लंड को करीब करीब आधा मेरी गीली चूत के अंदर पहुँचा दिया. उनके गरम लंड को अपनी चूत मे 15 दिन बाद ले कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. अपना लंड पूरी तरह मेरी चूत मे उतारने के लिए उन्होने अपने चुदाई के हथियार को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार धक्का लगाया. अब तो उनका पूरे का पूरा, लंबा, मोटा और गरम लंड मेरी रसीली चूत मे घुस चुका था. मेरे पैर उनके कंधों पर और उनके हाथ मेरी गंद के नीचे मुझे सहारा दे रहे थे. हम अपना चुदाई का सफ़र करने को तय्यार थे. मेरे पैर उनके कंधों पर होने के कारण उनका लंबा लंड मेरी रसीली फुद्दि मे गहराई तक घुस चुका था.


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:43

बिना देरी किए उन्होने अपना लॉडा मेरी चूत मे अंदर बाहर करना शुरू कर्दिया था. उनके लंड का मेरी चूत मे हर धक्का मुझे मज़े की अलग ही दुनिया मे ले जा रहा था और आनंद से मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी. मेरा प्यारा पति, मेरा चोदु, मेरा चुड़क्कड़ पति मुझे चोद्ने मे मगन था. उनको, उनके लंड को भी 15 दिन बाद मेरी चूत मिली थी इस लिए वो जल्दी जल्दी अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे और ज़ोर ज़ोर से लंड के धक्के लगा रहे थे, चोद रहे थे जिसकी वजह से वही चुदाई का मेरा पसंदीदा संगीत मेरे नये घर के नये बेडरूम मे गूंजने लगा. मैं उनके लंबे लंड के तेज और जोरदार झटकों, धक्कों का मेरी गीली चूत मे स्वागत करती जा रही थी.

वो मुझे इतनी तेज़ी से, मेरी चूत के इतने अंदर तक मुझे चोद रहे थे कि जल्दी ही मैं अपने झड़ने की तरफ, चुदाई की मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. मेरा बदन ऐंठने लगा और ये देखकर उनकी चूत चुदाई की रफ़्तार और भी बढ़ गई. मेरे मूह से सेक्सी आवाज़ें निकलने लगी ” ओह डियर……. हां जानू…………. आइ लव यू जान………. ओह………………. आ…….आ…..ऊऊहह……….. आआअहह ……….. हां……… चोदो……

मेरे बदन का सारा खून मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा और मेरा बदन, झड़ने के पहले अकड़ने लगा और ऐंठने लगा. जल्दी ही, मैने अपने पैर उनकी गर्दन पर कस लिए क्यों कि मैं पहुँच चुकी थी, झाड़ चुकी थी, बहुत ज़ोर से झाड़ चुकी थी. आख़िरकार, 15 दिन बाद ही सही, मेरे पति ने चोद कर मुझे जोरदार तरीके से झड़ने का मज़ा दिया. मैं झाड़ गई ये जान कर उन्होने मुझे चोद्ना बंद किया, लंड के धक्के मेरी चूत मे रुक गये. उनका चुदाई का औज़ार, उनका लंबा और मोटा चुड़क्कड़ लंड अभी भी मेरी चूत मे अंदर तक फँसा हुआ था, घुसा हुआ था जो कि मुझे बहुत अच्छा एहसास दे रहा था. मैं अपनी चूत को उनके लंड पर भींच रही थी. मैं जानती थी कि हमेशा की तरह मेरे पति अभी भी अपनी चुदाई के बीच मे है, उनके लंड से प्रेम की बरसात होनी अभी बाकी है. मैने उनकी चुदाई से दुबारा झड़ने का सोचा ताकि तब तक उनके लंड रस को अपनी चूत मे भरलूँ.

मैने उनके कंधे से मेरे नंगे पैर नीचे किए. उनका लॉडा अभी भी मेरी चूत के अंदर इंतज़ार कर रहा था मुझे दोबारा चोद्ने के लिए. मैने अपने पैर बिस्तर पर चौड़े किए. वो मेरे उपर आए और मेरे चेहरे को हाथों मे लिया. मेरी गुलाबी निपल्स उनकी बालों बाहरी छाती मे दब रही थी. उन्होने अपने होठों से मेरे होठ पकड़ लिए और मेरी चूत मे अपना लंड आगे पीछे, अंदर बाहर करते हुए चुदाई की दूसरी पारी शुरू की.

हम गहरे चुंबन मे थे और उनकी गंद उपर नीचे हो रही थी और मेरी गोल गोल चुचियाँ उनकी छाती मे दब रही थी जब भी वे अपने कड़क लंड को मेरी गीली चूत मे अंदर बाहर करते थे.

मैं अपनी चुदाई की दूसरी पारी खेल रही थी और उनके लंड रस की बौछार अपनी रसीली चूत मे करवाने के मज़े की तरफ बढ़ रही थी. उन के लंड के मेरी चूत मे आने जाने से कमरे मे एक बार फिर से चुदाई का संगीत बिखरने लगा. मुझे लग रहा था जैसे उनका लंड मेरी चूत मे और भी गरम हो गया है, और भी सख़्त हो गया है.

हम दोनो ही अपनी चुदाई की मंज़िल के करीब थे. मैने भी अपनी गंद उपर नीचे करते हुए हर धक्के मे उनका साथ देना शुरू कर्दिया. वो और भी जोश मे आ गये और उन्होने मुझे चोद्ने की रफ़्तार बढ़ा दी. वो मुझे तेज़ी से चोद रहे थे और मैं तेज़ी से चुद्वाती हुई अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. मेरी दूसरी बार झड़ने की तय्यारी थी और मैं चाहती थी कि हम साथ साथ झदें.

मैं करीब करीब चिल्लाति हुई बोली ” ओह डार्लिंगगगगगगगगग. मैं तो गैिईईईई………. ओह आअहह…….. ऊऊओह”

वो बोले ” बस……….. मैं भी आया जुलीईई. तुम्हारे साथ ही आया”

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:44

वो बहुत ही ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी, मेरी चूत मे अपने लंड के धक्के लगा रहे थे और …… और………. एक जोरदार झटके के साथ हम दोनो साथ साथ अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच गये. मैं दूसरी बार झाड़ चुकी थी. उन्होने अपने लंड से गरम गरम लंड रस की बरसात मेरी चूत की गहराइयों मे की और उनका लंड नाच नाच कर पानी छ्चोड़े जा रहा था. हम दोनो ही चोद्ने और चुद्वाने के स्वर्ग मे थे.

वो मेरे उपर लेटे हुए थे और मैने अपने पैर उनकी गंद पर जाकड़ लिए. काफ़ी देर तक हम बिस्तर पर यौं ही पड़े रहे. कुछ देर बाद मैने महसूस किया कि उनका कड़क लॉडा मेरी चूत मे अब नरम पड़ने लगा है. उनके लंड से मेरी चूत मे छ्चोड़ा गया पानी मेरी चूत के रस मे घुला मिला मेरी चूत से बाहर आने लगा.

वो मेरे उपर से नीचे उतरे तो मैने उनके गाल पर चुंबन लिया और बाद मे उनके नरम पड़ते लंड को चूम लिया. उनके लंड रस के साथ मैने अपना चूत रस भी चखा. हमेशा की तरह रस स्वदिस्त था. मैं अपने आप को सॉफ करने के लिए बाथरूम मे गई और जब वापस आई तो मेरे हाथ मे एक मुलायम, छ्होटा तौलिया था जिस से मैं अपनी गीली चूत साफ कर रही थी. वो भी बिस्तर से उठे और मुझे आलिंगन करने के बाद बाथरूम गये. बातरूम का दरवाजा खुला था और मैने उन्हे खड़े रह कर मूत ते साफ साफ देखा.

एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे भरे हम प्यार भरी बातें करने लगे की कैसे हम ने जुदाई के दिन निकाले थे. और इसी तरह बातें करते करते हुए हम ना जाने कब सो गये.

सुबह मैं उनसे पहले जाग गई और किचन मे चाइ बनाने आई. यहाँ सब कुछ मेरे लिए नया था पर मुझे चाइ बनाने का पूरा सामान आसानी से मिल गया. चाइ लेकर मैं फिर से बेडरूम मे उनको जगाने के लिए आई. मैने देखा कि वो अपनी पीठ के बल सोए हुए हैं और उनका लंड खड़ा हुआ था जैसे मुझे सलाम कर रहा था. मैं अपनी मुस्कराहट नही रोक सकी.

चाइ की ट्रे साइड टेबल पर रख कर मैने उनका खड़ा लंड पकड़ कर, उनके होठों पर चुंबन दिया. तुरंत ही उनकी आँख खुली. मैं भी अभी तक नंगी थी और हम दोनो ने अपनी सुबह की चाइ नंगे ही, साथ साथ पी. चाइ पीने के बाद उन्होने मुझे अपने उपर खींच लिया तो मैं समझ गई कि मेरी सुबह की चुदाई होने वाली है. मैं तो हमेशा ही चुद्वाने के लिए तय्यार रहती हूँ और एक बार फिर सुबह सुबह हमारे बीच चोद्ने और चुद्वाने का खेल होने वाला था.

ये एक फटाफट चुदाई थी. उन्होने मुझे चोद कर झाड़ दिया था और फिर हम साथ साथ बाथरूम गये जहाँ मैने उनके गरम, खड़े हुए लंड को अपने मूह मे ले कर, गरम पानी के फव्वारे के नीचे, उनका लंड रस निकाल कर पिया.

हमने साथ साथ स्नान किया और और बाथरूम से बाहर आए. उन्होने किचन मे नाश्ता बनाने मे मेरी सहयता की क्यों कि मुझे नही पता था कि कौन सा सामान कहाँ पड़ा है. हम ने साथ साथ नाश्ता किया और फिर वो बेड रूम मे ऑफीस जाने के लिए तय्यार होने चले गये.

बाहर का मौसम थोड़ा ठंडा था पर घर मे इतनी ठंड नही लग रही थी. मैं बिना बाहों का टॉप पहने थी जिसके अंदर ब्रा नही थी और छ्होटा स्कर्ट पहने थी जिसके नीचे चड्डी नही पहनी थी. घर का दरवाजा और सभी खिड़कियाँ बंद थी. मैने अपना सामान खोला और अपने कपड़े निकाल कर बेडरूम की आलमरी मे रखे. दूसरा सामान जो मैं साथ लाई थी, उस को भी सही जगह पर रखा.

फिर मैं एक कागज और पेन ले कर उन चीज़ों की लिस्ट बनाने लगी जिसकी मुझे मेरे नये घर मे ज़रूरत थी. दोपहर तक मेरी लिस्ट तय्यार हो गई. मुझे पता था कि आने वाले दिनों मे मैं अपना घर जमाने मे काफ़ी व्यस्त रहने वाली हूँ और मैं इसके लिए तय्यार थी.

अब…………… मैं आप को मेरी दिनचर्या के बारे मे बताना चाहती हूँ. हमारे दिन की शुरुआत ही चुदाई से होती है. सुबह सुबह उनसे चुद्वाना करीब करीब रोज़ सुबह का काम था, कभी बेडरूम मे, कभी बाथरूम मे और कभी किचन मे. हम हमेशा ही साथ साथ स्नान करतें है. मैं नाश्ता बनती हूँ और हम साथ साथ नाश्ता करतें हैं. इसके बाद वो करीब 9.30 बजे ऑफीस चले जातें हैं. पहले जब तक हमारे घर पर कोई कामवाली नही थी तब तक मैं पूरे घर का काम, सॉफ सफाई करती थी. अब उपर का काम करने के लिए हमारे घर पर कामवाली है.

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