मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet

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raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 19:30

16

गतान्क से आगे.....................

और हम दोनो बाहर आ गये…और एक ढाबे से खाना खाया…ढाबा धर्मशाला से 1 किमी दूर था…हम दोनो वहाँ पैदल चल कर गये थे…जैसे ही हम वापिस आने के लिए चले…अचानक से बहुत तेज बारिश शुरू हो गयी…शिमला मे वैसे भी बहुत ठंड होती है…बारिश से ठंड और बढ़ गयी थी..हम दोनो भीग चुके थे…जैसे ही हम धरामशाला के पास पहुचे…स्नोफॉल होने लगा…हम पहुच कर सीधा अपने रूम मे आ गये…ठंड के कारण हम दोनो के दाँत बजने लगे थे…हमारे कपड़े पूरी तराहा से गीले हो चुके थे…नीचे ज़मीन पर एक सिंगल बिस्तर लगा हुआ था….

कमला: (मुझे काँपते देख) बाबू जी…आप अपने कपड़े निकाल दो…

मेने रूम मे एक कोने मे जाकर अपने कपड़े उतार दिए…और सिर्फ़ अंडरवेर मे आकर बिस्तर मे घुस गया…कमला भी पूरी तराहा भीग चुकी थी…उसकी सारी उसके बदन से चिपकी हुई थी…वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी…मेने कमला की तरफ देखते हुए कहा…

मे: तुम क्यों खड़ी हो…जाओ तुम भी अपनी सारी निकाल दो…

कमला: पर बाबू जी…वो मेरे पास दूसरे कपड़े नही हैं…

मे: (एक दम मासूम सा बनते हुए) पर फिर क्या करोगी…इतनी ठंड मे गीले कपड़े पहन कर सोओ गी तो बीमार पड़ जाएगी…अच्छा मे अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेता हूँ…तूँ अपने कपड़े उतार के ये बेड शीट लेपेट ले…

कमला: नही बाबू जी मे ऐसे ही ठीक हूँ….

मे: क्या पर तू सोए गी कैसे…तेरे कपढ़ो से बिस्तर भी गीला हो जाएगा..

मेने खड़ा हो कर नीचे से बेड शीट निकाल कर कमला की तरफ बढ़ा डी…बेड शीट सिंगल बेड की थी…कमला ने मेरे हाथ से बेडशीट ली और उसी कोने मे जाकर अपनी सारी उतारने लगी…

मे चोर नज़रों से कमला को पीछे से देख रहा था…कमला ने अपनी सारी निकाल कर टाँग दी..मेरा तो लंड अंडरवेर मे झटके खाने लगा…कमला वाइट कलर ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी…कमला का पेटिकॉट गीला होने कारण उसके चुतड़ों पर चिपका हुआ था…उसकी गांद की दर्रार भी मुझे सॉफ -2 दिख रही थी…मेरा तो बुरा हाल हो चुका था…फिर कमला ने बेडशीट को अपने कंधों पर रख कर अपने ब्लाउस को खोलना चालू कर दिया…और ब्लाउस खोल कर टाँग दिया…मे कमला को देख-2 कर पागल हुआ जा रहा था…फिर कमला ने अपना पेटिकॉट को खोल कर टाँगों से निकाल कर टाँग दिया…और बेड शीट को अपनी चुचियो पर लप्पेट लिया…बेड शीट सिर्फ़ उसके घुटनो तक आ रही थी…बिस्तर पर सिर्फ़ एक ही कंबल था…वो मेरे पास आकर बैठ गयी..

कमला मुझसे नज़र नही मिला रही थी…मे महॉल को सहज करने के लिए उससे बात करने लगा…धीरे-2 वो भी सहज होने लगी….

मे: मुझे तो नींद आ रही है….जाओ लाइट बंद कर दो….

कमला ने उठ कर लाइट ऑफ कर दी…रूम मे अंधेरा छा गया…और थोड़ी देर बाद आकर वो मेरे पास लेट गयी….ठंड बहुत ज़्यादा थी…मे सर्दी के कारण काँप रहा था…कमला मेरी तरफ पीठ करके लेटी थी…जब उसे मेरे काँपने का महसूस हुआ…तो वो मेरी तरफ मूड गयी…और मेरे माथे पर हाथ लगा कर देखने लगी..

कमला: क्या हुआ बाबू जी ठंड लग रही है…

मे: हां बहुत ज़यादा…

कमला मेरे पास खिसक आई…और मुझ से सॅट गये…उसकी चुचिया बेडशीट मे कसी हुई थी…जो आधी से ज़्यादा बाहर झलक रही थी…कमला की चुचियो की गर्माहट ने मुझे और पागल कर दिया…और मे भी कमला से सॅट गया…और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया…थोड़ी देर लेटे रहने के बाद मेने अपने होंटो को कमला की चुचियो के ऊपेर हिस्से पर लगा दिया…कमला थोडा कसमासाई….पर फिर वो वैसे ही लेटी रही…

मेरी हिम्मत अब बढ़ चुकी थी…नीचे मेरा लंड लोहे की रोड के तराहा तन कर उसके पेट के नीचले हिस्से पर चादर के ऊपेर से रगड़ खा रहा था…कमला अपने निचले हिस्से को मुझसे थोड़ा दूर रखने की कॉसिश कर रही थी….

पर अब मे चूत के लिए पागल सा हो गया था…मे हिम्मत करके अपने होंटो को उसकी चुचियो के ऊपेरी हिस्से पर रगड़ने लगा…कमला मे मुँह से आह निकल गयी…और वो अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर दूर करने लगी…पर मेने आगे की तरफ ज़ोर लगाते हुए उसकी चुचियो के ऊपेर हिस्से को अपने होंटो से रगड़ना चालू रखा….

कमला: (कांपती हुई आवाज़ मे) ये क्या कर रहे हो बाबू जीए…पीछो हटो…

पर मे कमला की बात पर ध्यान दिए बिना कमला की चुचियो की खाई मे अपने होंटो को रगड़ता रहा…वो अपने हाथों से मेरे सर को पीछे हटाने के कॉसिश कर रही थी….

कमला: आहह बाबू जीए पीछे हट जाओ…ये ठीक नही है…

बाहर के बल्ब से हल्की रोशनी अंदर आ रही थी…कमला मुझे पीछे धकेल कर पीठ के बल होकर खड़ी होने लगी…मे जल्दी से कमला के ऊपेर आ गया…और चादर को पकड़ कर नीचे खींच दिया..कमला के 40 साइज़ की बड़ी-2 चुचिया उछल कर बाहर आ गयी…

वो एक दम से चोंक गयी…और मेरे नीचे तिलमिलाने लगी…कमला ने अपने एक हाथ से अपनी चुचियो को ढक लिया, और दूसरे हाथ से मुझे अपने ऊपेर से हटाने के कॉसिश करने लगी…अब मे वासना मे इतना पागल हो चुका था…मुझ पर कमला की बात का असर नही हो रहा था…वो बाबू जी बाबू जी कर रही थी…

कमला: आह बाबू जी क्या कर रहे हो…हट जाओ नही तो मे शोर मचा दूँगी….

मेने कमला के हाथ को पकड़ कर नीचे उसके सर के पास बिस्तर पर सटा दिया…अब उसके काले मोटे निपल मेरी आँखों के सामने आ चुके थे…जो मुझे बाहर से आ रही हल्की रोशनी मे दिख रहे थे…उसके निपल बहुत ही मोटे थे…मेने अपना मुँह खोल कर उसके एक काले मॉट निपल्ले को मुँह मे भर लिया…जैसे ही मेरे होन्ट उसके निपल पर पड़े..उसका बदन एन्थ गया…और उसने अपने हाथों की उंगलयों को मेरे हाथ की उंगलयों मे कस लिया….

कमला: ह बाबू जीई….मे आप के हाथ जोड़ती हूँ…मुझे छोड़ दूओ ह बाबू जीई मेरा पति मुझे जान से मार देगा…. अहह

मे किसे भूखे कुत्ते के तराहा उसके निपल को चूसने लगा…वो अह्ह आहह कर रही थी…और बार-2 रुआसी सी आवाज़ मे छोड़ देने के लिए कह रही थी…मे ज़ोर-2 से कमला के निपल को चूसने लगा….कमला के हाथ ने विरोध करना कम कर दिया था…मे अपना एक हाथ जल्दी से नीचे ले गया…और अपने अंडरवेर को घुटनो तक सरका दिया…और फिर एक झटके मे ढीली हो चुकी चादर को ऊपेर खींच दिया…और मेरा तना हुआ लंड कमला की चूत की फांकों पर रगड़ खा गया…कमला एक दम से सिहर गयी..और उसने अपनी जाँघो को भींच लिया…मेने अपने लंड को उसकी चूत मे बहुत घुसाने की कॉसिश की…पर वो अपनी जाँघो को पूरे ज़ोर से भींचे हुए थी…मे कमला के निपल को चूस्ता हुआ..अपने लंड के सुपाडे को कमला की चूत की फांकों पर रगड़ने लगा..कमला अहह ऑश नहियिइ बाबू जीए छोडर दो बाबू जीई अह्ह्ह्ह क्या कर रहीई हू कर रही थी….

मे इतना गरम हो चुका था…कि मे अपने आप को रोक ना सका, और कमला की चूत की फांकों पर अपने वीर्ये की बोचार कर दी…मे झाड़ कर हाँफने लगा…मे एक दम पस्त हो कर कमला के ऊपेर से लूड़क कर, नीचे बगल मे लेट गया…मे कमला की तरफ देख रहा था…उसने अपनी आँखों को सॉफ किया…शायद उसकी आँखों से आँसू आ गये थे…वो बिना कुछ बोले लेटी रही…काफ़ी देर लेटे रहने के बाद कमला उठ कर रूम के उसी कोने मे चली गयी…जहाँ हमने कपड़े उतारे थी…मे जागा हुआ था,और कमला को देख रहा था…उसने पानी की बॉटल उठाई…और कोने मे जाकर पंजों के बल बैठ गयी…और अपने हाथ पर पानी डाल कर अपनी चूत और जाँघो को सॉफ करने लगी…फिर कमला उठ कर वापिस आ गयी…और मेरी बगल मे ही लेट गयी…

.

क्रमशः.................

raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 19:31

16

gataank se aage.....................

Aur hum dono bahar aa gyee…aur ek dhabe se khanna khaya…dhaba dharmashala se 1 km door tha…hum dono wahan paidal chal kar gaye thee…jaise hee hum wapis aane ke liye chale…achank se bahut tej barish shuru ho gaye…shimla me waise bhee bahut thand hoti hai…barish se thand aur badh gaye thee..hum dono bheeg chuke thee…jaise hee hum dharamshala ke pass phunche…snowfall hone laga…hum phunch kar seedha apne room me aa gaye…thand ke karan hum dono ke daant bajne lagee thee…humer kapde poori tarahan se geele ho chuki thee…neeche jameen par ek single bistar laga hua tha….

Kamla: (mujhe kanpate dekh) babu jee…aap apen kapde nikal doo…

mene room me ek kone me jakar apne kapde utar daye…aur sirf underwear me aakar bistar me ghuss gaya…kamla bhee poori tarahan bheeg chuki thee…uski saree uske badan se chipki hui thee…wo bahut hee sexy lag rahi thee…mene kamla ke taraf dekhate hue kaha…

me: tum kyon khadi ho…jao tum bhee apni saree nikal doo…

kamla: par babu jee…wo mere pass doosre kapde nahi hain…

me: (ek dum masoom sa bante hue) par phir kiya karugee…itni thand me geele kapde pehan kar soye gee to bimar padh jayegee…achcha me apna munh doosri taraf kar leta hun…tun apne kapde utar ke ye bed sheet lepet lee…

kamla: nahi babu jee me aise hee theek hun….

Me: kiya par tun soye gee kaise…tere kapdho se bistar bhee geela ho jayega..

me khada ho kar neeche se bed sheet nikal kar kamla ke taraf badha dee…bed sheet single bed ke thee…kamla ne mere hath se bedsheet lee aur usi kone me jakar apen saree uatrn lagee…

me chod nazron se kamla ko peeche se dekh raha tha…kamla ne apni saree nikal kar taang dee..mere to lund underwear me jhatke khane laga…kamla ka white colour blouse aur peticote me thee…kamla ka peticote geela hone karan uske chutdon par chipka hua tha…uski gaand ke darrar bhee mujhe saaf -2 dikh rahi thee…mere to bura haal ho chuka tha…phir kamla ne bedsheet ko apne kandhon par rakh kar apne blouse ko kholna chalu kar diya…aur blouse khol kar taang diya…me kamla ko dekh-2 kar pagal hue ja raha tha…phir kamla ne apna peticote ko khol kar tangon se nikal kar taang diya…aur bed sheet ko apni chuchiyo par lappet liya…bed sheet sirf uske ghutno tak aa rahi thee…bistar par sirf ek hee kambal tha…wo mere pass aakar baith gaye..

kamla mujhese nazar nahi mila rahi thee…mene mahol ko sahaj karne ke liye use baat karne laga…dheere-2 wo bhee sahaj hone lagee….

Me: mujhe to neend aa rahi hai….jao light band kar doo….

Kamla ne uth kar light off kar dee…room me andhera chaa gaya…aur thodi der baad aakar wo mere pass let gaye….thand bahut jyaada thee…me sardi ke karan kaanap raha tha…kamla mere taraf peeth karke leti thee…jab use mere kanpane ka mahsoos hua…to wo mere taraf mud gaye…aur mere mathe par hath laga kar dekhane lagee..

Kamla: kiya hua babu jee thand lag rahi hai…

Me: haan bahut jayada…

Kamla mere pass khisk aye…aur muj se sat gaye…uski chuchiya bedsheet me kasi hui thee…jo adhi se jyaada bahar jhalak rahi thee…kamla ke chuchiya ke garmahat ne mujhe aur pagal kar diya…aur me bhee kamla se sat gaya…aur apna ek hath uske kamar par rakh diya…thodi der lete rahen ke baad mene apne honto ko kamla ke chuchiyo ke ooper hisse par laga diya…kamla thoda kasmasi….par phir wo waise hee leti rahi…

par phir wo waise hee leti rahi…

Mere himmat ab badh chuki thee…neeche mere lund lohe ke rod ke tarahan tan kar uski pet ke neechle hisse par chadar ke ooper se ragar kha raha tha…kamla apne neechele hisse ko mujhe thoda door rakhen ke kosish kar rahi thee….

Par ab me choot ke liye pagal sa ho gaya tha…mene himmat karke apne honto ko uski chuchiyo ke ooperi hisse par ragadne laga…kamla me munh se aah nikal gayee…aur wo apne hathon se mere sar ko pakad kar door karne lagee…par me agge ke taraf jor lage hue uski chuchiyo ke ooper hisse ko apne honto se ragrana chlu rakha….

Kamla: (kanpati hui awaz me) ye kiya kar rahe ho babu jeee…peecho hato…

Par me kamla ke baat par dhyaan dye bina kamla ke chuchiyo ke khai me apne honto ko ragrta raha…wo apne hathon se mere sar ko peeche hatane ke kosish kar rahi thee….

Kamla: ahh babu jeee peeche hat jayee…ye theek nahi hai…

Bahar ke bulb se halki roshani andar aa rahi thee…kamla mujhe peeche dhakel kar peth ke bal hokar khadi hone lagee…me jaldi se kamla ke ooper aa gaya…aur chadar ko pakad kar neeche kheench diya..kamla ke 40 size ke badi-2 chuchiya uchal kar bahar aa gaye…

Wo ek dum se chonk gaye…aur mere neeche tilmilane lagee…kamla ne apne ek hath se apni chuchiyo ko dhak liya, aur doosre hath se mujhe apne ooper se hatane ke kosish karne lagee…ab me wasna me itna pagal ho chuka tha…muj par kamla ke baat ka asar nahi ho raha tha…wo babu jee babu jee kar rahi thee…

Kamla: ahhh babu jeee kiya kar rahe ho…hat jao nahi to me shor macha doongi….

Mene kamla ke hath ko pakad kar neeche uske sar ke pass bistar par sata diya…ab uske kale mote nipple mere ankhon ke samne aa chuke thee…jo mujhe bahar se aa rahi halki roshani me dekh rahe thee…uske nipple bahut hee mote thee…mene apna munh khol kar uske ek kale motte niplle ko munh me bhar liya…jaise hee mere hont uske nipple par padhe..uska badan enth gaya…aur usne apne hathon ke unglyon ko mere hath ke unglyon me kas liya….

Kamla: ahhhh babu jeeee….me aap ke hath jorti hun…mujhe chodrrr dooo ahhhh babu jeeee mera pati mujhe jaan seee maar degaa…. Ahhhhhh

Me kise bhookhe kute ke tarahan uske nipple ko chuse laga…wo ahh ahh kar rhai thee…aur baar-2 runsi se awaz me chod dene ke liye keh rahi thee…me jor-2 se kamla ke nipple ko chusne laga….kamla ke hath ne virodh karna kam kar diya tha…me apna ek hath jaldi se neeche le gaya…aur apne underwear ko ghutno tak sarka diya…aur phir ek jhatke me dheele ho chuki chadar ko ooper kheench diya…aur mera tana hua lund kamla ke choot ke phankon par ragar kha gaya…kamla ek dum se sihar gaye..aur usne apni jaangho ko bheench liya…mene apen lund ko uski choot me bahut ghusane ke kosish kee…par wo apni jaangho ko poore jor se bheench hue thee…me kamla ke nipple ko chusta hua..apne lund ke supaaDe ko kamla ke choot ke phankon par ragadne laga..kamla ahh ohhh nahiiii babu jeee chodr doo babu jeeee ahhhh kiya kar raheeee hoo kar rahi thee….

Me itna garam ho chuka tha…ki me apne aap ko rok na saka, aur kamla ke choot ke phankon par apne veerye ke bochar kar dee…me jhad kar hanfane laga…me ek dum past ho kar kamal ke ooper se ludak kar, neeche bagal me let gaya…me kamla ke taraf dekh raha tha…usne apni ankhon ko saaf kiya…shayad uski ankhon se ansoon aa gaye thee…wo bina kuch bole leti rahi…kafi der lete rehane ke baad kamla uth kar room ke usi kone me chali gaye…yahan hame kapde utare thee…me jaaga hua tha,aur kamla ko dekh raha tha…usne pani ke bottle uthi…aur kone me jakar panjon ke bal beeth gaye…aur apne hath par pani daal kar apni choot aur jaangho ko saaf karne lagee…phir kamla uth kar wapis aa gaye…aur mere bagal me hee let gaye…

kramashah.................

raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 19:32

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गतान्क से आगे.....................

फिर कमला उठ कर वापिस आ गयी…और मेरी बगल मे ही लेट गयी…

मुझे अब नींद नही आ रही थी…जैसे ही वासना का भूत मेरे सर से उतरा, तो मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ…मे हाथ पैर डर के मारे कँपने लगे…मे ये सोच कर घबरा गया,की कहानी वो मम्मी पापा से मेरे शिकायत ना कर दे…मेरी तो फटी जा रही थी…फिर सोचा मे कमला से माफी माँग लूँ…और यहीं मामला सेट्ल कर लूँ…अगर पैसे देने से भी काम बन जाएगा..तो मे उसे पैसे भी दे दूँगा… पर अचानक मेरा ध्यान कमला की तरफ गया….

कमला का एक हाथ कंबल के अंदर उसकी चूत के ऊपेर से हिल रहा था…वो आँखें बंद किए…अपनी चूत को मसल रही थी…और अपने होंटो को अपने दाँतों से दबाए हुए थी…एक बार फिर मे सारा डर भूल गया…और ये सोच कर कि कमला अपनी चूत को अपनी उंगली से चोद रही है…मेरा लंड फिर से झटके खाने लगा….मेने थोड़ा सोचने के बाद फिर से अपने मन को कमला को चोदने के लिए पक्का कर लिया…

मेने अपनी हिम्मत जुटा कर अपने हाथ को कमला की चूत पर रख दिया…उसके हाथ की एक उंगली उसकी चूत मे थी…वो एक दम से चोंक पड़ी…और मेरी तरफ देखने लगी…

मे: अपने हाथ को क्यों तकलीफ़ दे रही हो…एक बार मुझे अपनी सेवा का मोका दे कर तो देखो…

कमला: (एक दम से उठ कर बैठ गयी) ये क्या कर रहे हो बाबू जी…

मे: मे तो तुम्हारी मदद कर रहा था…एक बार मुझे आज़मा के तो देख…तेरी तबीयत रंगीन कर दूँगा….

कमला: नही बाबू जी ये ठीक नही है…आप अभी बहुत छोटे हो…और अगर किसी को पता चल गया, तो मे कहीं की नही रहूंगी.

मे: मे क्या तुम्हें बच्चा नज़र आता हूँ.एक बार मेरा लंड पकड़ कर के तो देख.

और मे खड़ा हो गया.और अपना अंडरवेर उतार कर निकाल दिया.फिर कमरे के लाइट ऑन कर दी…जैसे ही मे कमला की तरफ घुमा.कमला हैरानी भरी नज़रों से मेरे लंड को देख रही थी…मे कमला के पास जाकर खड़ा हो गया…मेरा लंड तन कर हवा मे झटके खा रहा था…और गुलाबी रंग का सुपाडे एक दम फूला हुआ था…

मे: देख मे क्या बच्चा नज़र आता हूँ…

कमला एक टक मेरे लंड को देख रही थी…फिर उसने अपने नज़रें झुका ली…

कमला: नही बाबू जी.ये ठीक नही है…मे बहुत ग़रीब हूँ…और मेरी इस इज़्ज़त के सिवा मेरे पास और कुछ नही..अगर किसी को पता चल गया तो मे कही की नही रहूंगी.

मे: (कमला के पास बैठ कर अपना हाथ उसकी चुचि पर रख दिया) कमला देख मेरा लंड कैसे आकड़ा हुआ है…प्लीज़ एक बार मुझे करने ना दो ना…मे वादा करता हूँ…मे किसी को नही बताउन्गा…प्लीज़ एक बार, ये बात हम दोनो के बीच मे ही रहेगी..

कमला सोच मे पड़ गयी…और मे मोके फ़ायदा उठाते हुए…धीरे-2 उसकी चुचियो को सहलाने लगा…वो एक दम से चूक गयी…

कमला: नही बाबू जी…ये ठीक नही है..हमारे बीच ऐसे संबंध ठीक नही है…

मे उठ कर खड़ा हो गया…और कमला के हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख कर..उसके हाथ को मुट्ठी बना कर अपने लंड पर कस दिया…कमला ने अपना हाथ वापिस नही खींचा…

मे: देख ना मेरा लंड कैसे तड़प रहा है…बस आज की रात की बात है…मे तुझसे वादा करता हूँ..कि मे फिर तुम्हें कभी तंग नही करूँगा…और किसी को आज के रात के बारे मे नही बताउन्गा…

मेने अपना हाथ कमला के हाथ के ऊपेर से हटा लिया…और कमला ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़े रखा…

मे: अहह कमला तेरे हाथों मे तो जादू है…देख कैसे इसकी नसें फूल गयी हैं..अब मान भी जा…

कमला ने मेरी तरफ देखा…उसके होंटो पर वासना से भरी हल्की मुस्कान आ गयी थी…

कमला: पक्का ना बाबू जी…आप किसी को बताओगे तो नही…

मे एक दम खुस हो गया….

मे: नही..बताउन्गा…पक्का….

कमला: अच्छा तो देखें तो सही…हमारे छोटे बाबू का लंड कैसा है…बाबू जी अब बड़े होगये हैं…

और कमला मेरे लंड को मुति मे भर कर आगे पीछे करने लगी…उसकी आँखों मे मेरे 7 इच के लंड को देख कर चमक आ गयी…मेने कमला के सर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाना चालू कर दिया….

कमला मेरे मन की बात को समझ गये…और अपने मुँह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड के गुलाबी सुपाडे को चाटने लगी…वो सुर्प-2 कर मेरे लंड के सुपाडे को चारो तरफ से अपनी जीभ से चाट रही थी…मे मस्ती मे पागल हुआ जा रहा था..

कमला की आँखों मे अब वासना के लाल डोर्रे तेर रहे थे…वो साथ-2 मेरे लंड की मूठ भी मार रही थी..और अपनी नशीले आँखों से मेरी तरफ देख रही थी…

फिर कमला ने अपने मुँह को खोल कर अपने होंटो को मेरे लंड के सुपाडे पर कस लिया…और धीरे -2 मेरे लंड के सुपाडे को मुँह के अंदर बाहर करके चूसने लगी.

मे मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद किए मज़े से कमला से लंड को चुस्वा रहा था…और कमला पूरे ज़ोर से मेरे लंड के सुपाडे को चूस रही थी…

कमला ने 5 मिनट तक मेरे लंड के सुपाडे को चूस-2 कर अपने थूक से गीला कर दिया… मेरा लंड तन कर झटके खा रहा था….कमला ने अपने बदन पर पड़ी ढीली हो चुकी चादर को हटा कर एक साइड मे रख दिया…और पीठ के बल लेट कर अपनी जाँघो को फैला दिया…

मे कमला की जाँघो के बीच मे आ गया…और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर,लंड के सुपाडे को कमला की चूत के छेद पर लगा दिया…कमला के मुँह से सीईइ की आवाज़ निकल गयी…मे एक हल्का सा धक्का दिया…मेरे लंड का सुपाड़ा कमला की गरम और लबलबा रही चूत मे समा गया…कमला ने अपने हाथों से तकये को कस के पकड़ लिया…मेने फिर से एक और धक्का मारा, इस बार मेरा आधा लंड कमला की चूत मे समा गया…

मे कमला के ऊपेर झुक गया…और कमला की एक चुचि को मुँह मे ले लिया…और ज़ोर-2 से चूसने लगा…कमला मेरे होन्ट अपने चुचि पर पड़ते ही तड़प उठी..

कमला: अहह बबुऊउ जीए इन्हीईए नाअ चुस्स्सूऊ बहुत गुदगुडिई होती हाईईईई अहह ओह बाबू जीई आह बस करूऊओ नाअ

मे कमला की बात पर ध्यान दिए बिना पूरे जोश मे उसके निपल को चूस रहा था…उसका काला निपल और कड़ा हो कर मोटा और बढ़ चुका था…उसके निपल करीब आधे इंच के थे…मे कमला के निपल को अपने होंटो के बीच मे लेकर मसल्ने लगा…कमला एक दम से चुदास से भर गयी…और अपनी चूत को मेरे लंड पर ऊपेर की तरफ उछालने लगी…लंड फतच-2 की आवाज़ करता हुआ…अंदर बाहर जाने लगा…और मेरे लंड का सुपाड़ा कमला की बच्चेदानी से जा टकराया…

कमला: अहह बबुउुुुउउ जीए मेन्णन मॅर गइईए ओह्ह्ह ओह्ह्ह बाबू जीए आपका तो सच मे बहुत तगड़ा हाीइ हाईए माया…आह मोरी चूत्त्त्त्त फटी रीईई…..

मे कमला की चुचि को चूस्ते हुए धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…कमला भी अपनी गांद को उछाल-2 कर मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी..

और अपने हाथों से मेरे बालों को सहला रही थी…मे धना धन लगतार अपने लंड को कमला की चूत के अंदर बाहर कर रहा था…

कमला: आह बाबू जीई और जोर्र्र से चोदीए ह ह ओह फदद्ड़ दएजी मेरीई चूत ओह आपकीए लौडईए मे तो सच मे बहुत जान हाईईइ अहह आहह ओह्ह…

मैने कमला की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर कर दिया…और अपने लंड को उसकी चूत की गहराईयो तक ठोकने लगा…वो मेरे हर धक्के के साथ आह आह ह कर रही थी…और मुझे और ज़ोर से चोदने के लिए कह रही थी…मेने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला…और उसकी टाँगों को पकड़ कर उसे उल्टा कर दिया…अब वो मेरे सामने डॉगी स्टाइल मे थी…

मेने पीछे से उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को टिका दिया…और उसकी गांद को दोनो हाथों से फैला कर अपने पंजों मे कस लिया…और एक ज़बरदस्त धक्का मारा…लंड चूत की दीवारों से रगर्ता हुआ पूरा का पूरा एक ही बार मे कमला की चूत मे समा गया…

कमला: हइईए रीईए जालिमम्म्म बाबू किया कारर्र रहे हू फदद्ड़ डीईए ना मेरे ब्ौस्दी अहह मररा डल्ला….कुतिया समझ कार्ररर चोद्द्द्द्द रहे हू बबुऊउ…अपने गधे जैसी लुंदड़ से मेरी नाज़ुक बुर्र्रर को ऐसी क्यों चोद्द्द रहीई हूओ…आह

मेने कमला की गांद को थामें हुए, तेज़ी से धक्के लगाने चालू कर दिए…लंड फतच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…मेरे लंड का सुपाड़ा बार उसकी बच्चेदानी से जा टकराता..और कमला आहह ओह्ह्ह्ह्ह उईइ माआ कर उठती…मे अपने लंड को पूरी ताक़त से कमला की चूत मे पेल रहा था…

पूरे कमरे मे आहह ओह्ह्ह फतच-2 की आवाज़ गूँज रही थी…अब हम दोनो मे से किसी को ठंड नही लग रही थी…कमला भी अपनी चूत को पीछे के तरफ पटकने लगी…

कमला: अहह बाबू जीए और्र जोर्र्र्र से चोदूओ अह्ह्ह्ह मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है…ह आह आह बाबू जीई….

मे कमला के चुतडो को थामे ज़ोर -2 अपने लंड को चूत मे पेल रहा था…पूरा ज़ोर लगने के कारण मेरे मुँह से हा हा हा की आवाज़ आ रही थी…

कमला : अहह बाबू जीए मेरीई चूत पानी छोड़ेंंणणन् वाली है…और ज़ोर से ठोको…और ज़ोर से तुखाई करो…..अहह अहह माइईई रीए चूत्त्त्त गय्ाआ मेरी पाणिीईई

और कमला की कमर झटके खाने लगी…कमला की चूत मे से पानी बह कर बाहर आने लगा…और मेरा लंड पूरी तराहा गीला हो गया..और कुछ झटकों के बाद मेने भी कमला की चूत मे अपना लावा उगलना चालू कर दिया…और मे कमला के ऊपेर लूड़क गया…कमला मेरे वजन के कारण पेट के बल लेट गयी..मे उसके ऊपेर लेटा हुआ तेज़ी से साँसें लेने लगा…और कुछ देर बाद मे उठ कर उसकी बगल मे लेट गया….

मे अभी की बातों को सुन कर एक दम से गरम हो चुकी थी…और अपनी चूत के क्लिट को मसल रही थी…

मे: वा बाबू जी..अपने तो बेचारी कमला की चूत को फाड़ ही दिया…फिर क्या हुआ…फिर आप ने उसको चोदा…

अभी: उस रात तो नही…क्योंकि मे दो बार झड़ने के कारण थक चुका था…और मेने कमला से वादा भी किया था.कि मे उसे दोबारा तंग नही करूँगा…जब अगले दिन हम घर आए तो..उसके बाद से वो मुझसे दूर -2 रहने लगी…मे उसको अकेले मे पकड़ कर उसकी चुचि को दबा देता…तो वो मुझे डाँट देती…और कहने लगती…बाबू जी अपनी हद मे रहो..आपने मुझसे क्या वादा किया था…अगर कही मेरे पति को पता चल गया..कि मे एक जवान लड़के के लंड से अपनी चूत की खुजली मिटा रही हूँ..तो वो मुझे जान से मार देगा…

फिर एक दिन मे अपने घर की छत पर टहल रहा था…कमला छत पर झाड़ू लगा रही थी…हमारे घर के पीछे की जगह खाली थी..उसमे बहुत ही झाड़िया उगी हुई थी…कमला ने झाड़ू लगा कर सारा कूड़ा करकट इकट्ठा किया…और उसे पीछे के खाली प्लॉट मे फेंकेन के लिए छत के पीछले हिस्से की तरफ गयी…कूड़ा करकट फेंकने के बाद वो नीचे देखने लगी…

अचानक मेरे ध्यान कमला पर पड़ा…मे सोच मे पढ़ गया…कि आख़िर कमला नीचे क्या देख रही है…कमला कुछ देर नीचे देखने के बाद मूडी..और उसकी नज़रें मुझ से मिली…और वो एक दम सी झेंप गयी…मे उसके पास जाकर देखने लगा…नीचे एक कुत्ता कुतिया को चोद रहा था…फिर मेने कमला की तरफ देखा...उसने सर को झुका लिया

और तेज़ी से नीचे चली गयी…

क्रमशः.................

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