जवान बहन की चुदाई का मज़ा--4
gataank se aage......
अपनी सगी बहन को रक्षा बंधन के दिन किसी दुसरे से चुदते देख कर मुझे जरा भी शर्म या गुस्सा नहीं आया, बल्कि खुशी ही हुई..हमारा नशा अब उतर चुका था. सब लोगों ने फिर से नहा लिया. हम अब काफी तारो ताज़ा लग रहे थे.
उधर रेखा आज सही मायनों में पहली बार चुदी थी, इसलिए अभी तक सोई हुई थी. कमल नें उसे जाकर जगाया. रेखा नंगी ही लेटी हुई थी. कमल के आने पर वो घबड़ा गयी और एक चादर अपने उपर ले कर सर झुका कर बोली, भय्या आप बाहर जाओ, मैं कपडे पहन कर आती हूँ. कमल का मन हुआ कि वो जी भर के अपनी सगी बहना की चूत चाटे और उसकी चुचियाँ दबा दे. पर दो तीन बार चुदाई करके और पूजा से मुहं में झड़वा के काफी थक चुका था. वैसे भी रात के आठ बज चुके थे, और हमारे घर वापस जाने का टाइम हो चला था. कमल चुपचाप बाहर आ गया. मैंने मजाक में पूछा, अपने बहन को नहीं चोदेगा? देख मैंने तो चोद लिया. साले तू भी रक्षा बंधन मनाले. कमल मुस्कुरा कर बोला, आज नहीं फिर कभी. रेखा को तो मैं हमारे घर में कभी भी चोद लूँगा. ये बात बाहर आती हुई रेखा ने सुन ली. कमल सकपका गया. पर रेखा मुस्कुरा दी. यानी उसे अपने भाई से दुबारा चुदने में कोई ऐतराज़ नहीं था. अब हम लोग अपने अपने अपने घर को लौट गए
कमल अब रोज मौका देखने लगा कि वो कब अपनी जवान बहन की चुदाई का मज़ा ले सके. घर पर सब लोग होने की वजह से उसे मौका नहीं मिल रहा था. कमल मुझे कई बार मेरे दोस्त के फ्लैट की चाबी के लिए मिन्नत कर चुका था. पर मेरा दोस्त मुंबई चला गया था और चाबी उसी के पास थी. कमल की इच्छा दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी. इस तरह से चार दिन बीत गए. हम दोस्त रोज शाम को मिलते और उस शाम की बात करते जब हम लोगों ने एक दूसरे के बहनों को चोदा था. कमल मुझे रोज कोसता, साले बहनचोद....तेरी वजह से मुझे चुदाई की आदत पड़ गयी और मैं अपनी ही सगी बहन को चोदने के बारे में सोचता रहता हूँ. अब रेखा नहीं मिल रही तो क्या तेरी बहन की चूत में लंड डालूं? मैं उसकी बेसब्री पर खूब हँसता और विश्वास दिलाता कि चिंता मत कर, कोई न कोई मौका जरुर मिल जाएगा.
कमल घर पर बहुत बेचैन रहने लगा. जब वो कोलेज से वापस आता तो रेखा को देखते ही उसका लंड खड़ा हो जाता. एक दिन जब उसकी मम्मी नहाने चली गई तो उसने झटके से रेखा को अपनी बाँहों में भर लिया, और उसके लिप्स पर किस करने लगा. रेखा छूटने की कोशिश करने लगी और बोली, भय्या.....मम्मी आ जायेगी.....प्लीज़.....रुको....उफ्फ्फ....पर कमल नहीं रुका और पागलों की तरह अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा. दोनों को पकडे जाने का डर था. इसलिए बड़ी मुश्किल से वो अलग हुए. कमल नें कई बार मम्मी की नज़रों से बच कर रेखा को अपना तन्नाया हुआ लौड़ा दिखाया और उसे हिलाते हुए अपनी तरफ आने के लिए इशारा किया. पर रेखा मजबूर थी. वो मुस्कुरा कर अपनी आँखें शर्म से नीचे कर लेती थी और पकडे जाने के डर से पास नहीं आती थी
रेखा और पूजा एक दूसरे से सारी बातें शेयर करते थे और पूजा मुझे उसकी सारी बातें बता देती थी. कमल तो मुझे सारी बात बताता ही था. इस तरह से मुझे दोनों के दिल का हाल मालूम था. असल में दोनों चुदाई चाहते थे.
एक बार कमल की मम्मी मार्केट गयी हुई थी. मम्मी बता कर गयी थी कि वो चार पांच घंटे बाद लौटेगी. घर पर कमल और रेखा दोनों अकेले रह गए. कमल नें मेन डोर बंद किया और सीधा किचन में गया जहाँ रेखा काम कर रही थी. उसने रेखा को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करते हुए पूछा, क्या कर रही है मेरी प्यारी बहना? रेखा सारा काम छोड़कर की अपने भय्या से लिपट गयी. रेखा भी कई दिन से नहीं चुदी थी और वो भी अपने भाई का प्यार पाना चाहती थी - उसी तरह से जैसे पूजा और उसके भाई नें.
कमल ने अपने होंठ अपनी बहन के लरजते होंठों पर रख दिए. कमल नें कस कर रेखा को अपने साथ चिपटा लिया. उसके बूब्स उसकी छाती से चिपके हुए थे. अब कमल रेखा को लिप्स किस करने लगा. रेखा बोली, भय्या....आयी लव यू..... कमल बोला, आयी... लव यु टू....कमल नें उसके बूब्स मसलते हुए कहा, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी जान....चल जल्दी से उतार अपने कपड़े....हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है. रेखा नें मचलते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर कहा, आप खुद ही उतार दो ना. कमल नें झट से कुर्ती उसके बदन से अलग कर दी और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा. कमल नें फुर्ती से अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा. उसके बूब्स देख कर कमल बोला, हाय मेरी जान....क्या सेक्सी बदन है तेरा...तुझे तो मैं रोज चोदना चाहूँगा...तेरे गोरे गोरे दूध...क्या मस्त हैं...हाय..इतनी चिकनी चूत...तेरे चूतड़ कितने गोल और प्यारे हैं.....इतना बोल के कमल नें अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और रेखा के सीने से लग गया. कमल अब रेखा बी चूत सहलाने लगा. रेखा उत्तेजित होने लगी. उसकी चूत गीली हो गयी. किचन में ही कमल ने अपनी बहन को नीचे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया. रेखा बोली...आह.....भय्या....आराम से करना....प्लीज़.....कमल बोला, मेरी जान.....तू अब तक कैसे बची रही मुझ से... मुझे तो पहले ही तुझे चोद देना चाहिए था....काश मैं पहला लड़का होता जो तुझे चोदता....
कमल उसकी चूत में उंगली करता हुआ सिसकारी भर के बोला....काश मेरी बहन पहले मुझ से चुदी होती....वो साला मेरा दोस्त ....राकेश...... सारे मज़े लूट के...मेरी बहन की सील तोड़ गया.....पर मेरी ही गलती थी.....घर पर इतना सेक्सी माल...और मैं अब तक कुछ न कर सका?
रेखा से अब रहा नहीं गया. वो बोल उठी, भय्या...आप ने ही मुझ से पहली बार सेक्स किया था... राकेश भय्या नें नहीं....आप ही पहले लड़के हो जिसने मेरी चूत में अपना लंड डाला था. कमल चौंक पड़ा और बोला, नहीं....मैं माँ कसम खा के कहता हूँ कि मैंने तुझे कभी बुरी नज़र से नहीं देखा.....वो तो साले मेरे दोस्त राकेश नें मेरी मती मार दी और मैंने अपने हाथों से तुझे उसके साथ चुदने दिया...वो भी राखी के दिन.
रेखा बोली, पर पहले सेक्स आपने ही किया था. याद है वो मास्क वाली लड़की? रेखा मुस्कुराते हुए बोली...भय्या वो मैं ही थी...कमल हैरान रह गया. फिर रेखा नें उसे सारी कहानी बता दी. कमल बहुत खुश हुआ कि उसने ही अपनी सगी बहन से पहली बार सेक्स किया था.
वो बोला, कोई बात नहीं अगर तू बाद में राकेश से चुदी...मैं भी घाटे में नहीं रहा....पूजा को तो चोद चुका...तू पहले मुझ से अनजाने में चुदी थी... आज मैं तुझे...अपनी सगी बहना को भरपूर प्यार से चोदुंगा. इतना कह के कमल अपनी सुंदर बहना को गोदी में उठा कर बेडरूम में ले गया. उसने उसकी चूत को बड़े ध्यान से देखा. वहाँ पर एक तिल था. उसे याद आ गया कि ये वही चूत है जो वो मास्क वाली लड़की की थी. कमल नें अपनी बहना की गुलाबी चूत की दोनों फांकें अलग कर के अपनी जीभ उस में घुसा दी. रेखा की चूत की खुशबू उसे पागल बना दे रही थी. अपनी बहना की नमकीन चूत कमल बड़े प्यार से चाटने लगा. रेखा अपना सर मदहोशी में पटकने लगी और बडबडाने लगी, आह्ह.......भइया....क्या मज़ा आ रहा है......चूसो......मेरे राजा......आप बहुत अच्छा चूसते हो......हाय.....रेखा कमल का सर पकड़ कर अपनी चूत की और दबाने लगी.....कमल जोर जोर से अपनी बहन की चूत चाटता रहा......तब तक जब तक वो झड़ नहीं गयी. रेखा का सारा रस कमल चाट चाट के साफ़ कर गया. अब कमल बोला...मेरी प्यारी बहन आज दिखा दे अपने भाई को तू कितना प्यार करती है....चल ले मेरा लंड अपने मुहं में डाल ले. रेखा ने बड़ी अदा से कमल का लंड पकड़ा उसे सहलाने लगी. फिर उसे अपनी चुचिओं और निप्पल पर रगड़ा. बड़े प्यार से फिर रेखा नें अपने भय्या के लंड को अपने मुहं में डाल लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी. कमल वासना में डूबता जा रहा था. उसके मुहं से कामुक आवाजें निकल रही थीं. वही हाल रेखा का था. रेखा नें कमल का लंड तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो झड़ नहीं गया. रेखा कमल का सारा माल चाट कर साफ़ कर गयी. प्यार से अपने भाई का लंड सहलाते हुए रेखा ने पूछा, भैय्या.....अब तो पता चल गया कि मैं आपको कितना चाहती हूँ? कमल नें उसे बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया और बोला,
मेरी प्यारी बहन की चूत में जब मेरा लौड़ा जाएगा....तब असली प्यार का पता लगेगा....यह कह कर कमल नें अपनी सगी बहना की चूत में अपना लंड पेल दिया.....रेखा सिस्कारी भर के बोली...आह...भय्या ज़रा धीरे से...कमल नें एक जोर का धक्का लगाया और साथ में रेखा की चुचियाँ दबाने लगा. उसने एक एक करके दोनों निप्पल चूसने शुरू कर दिए और दना दन रेखा को चोदने लगा. रेखा चूतड़ उठा उठा कर कमल के साथ चुदाई में लय ताल दे रही थी. पूरा कमरा चुदाई के संगीत से गूँज उठा. कमल रेखा को लिप्स पर किस करने लगा. उसने अपनी पूरी जीभ अपनी बहना के मुहं में डाल दी. रेखा नें भी कमल के मुहं में अपनी जीभ डाल दी. इस तरह से दोनों भाई बहन डीप किसिंग करने लगे. कमल के हाथ अपनी बहना के निप्पल की घुंडियों को दबाने में लगे थे. नीचे कमल का लंड रेखा की चूत में पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. रेखा उछल उछल कर अपने भाई से चुदवा रही थी.
आज उसे बहुत मज़ा आ रहा था. वो सिसकारियाँ ले ले कर बोल रही थी.... हाय मेरे भाई...आज असली मज़ा आया है...अपना भाई अपना होता है....हाय भय्या.......चोदो मुझे...जी भर के...अपनी बहन की चूत फाड़ दो....जोर से करो...आह...मर गयी....मेरा निकल गया....ओह्ह्ह्ह्ह......कमल भी हाँफते हुए बोल रहा था....हाँ चुद मेरी प्यारी बहन....अपने सगे भाई से चुदाई करके तुझे जो मज़ा आएगा वो कहीं और नहीं आएगा....ले मेरा लंड ...(धक्का देकर)....और जोर से अंदर ले....काश तुझे बहुत पहले चोदा होता......तू तो मस्त माल है मेरी रानी...आह....मेरा निकलने वाला है......ओह्ह....इतना कह कर दोनों भाई बहन एक साथ झड़ गए. कमल नें अपना सारा वीर्य अपनी बहन की चूत में डाल दिया. फिर थक कर रेखा के उपर ही लेट गया. थोड़ी देर बाद उन दोनों ने उठकर एक साथ शोवर के नीचे स्नान किया..मम्मी के आने से पहले उन दोनों ने कपड़े पहने. दोनों भाई बहन तब तक चूमा चाटी करते रहे जब तक उनकी मम्मी नहीं आ गयी. हाँ एक बात मैं बताना भूल गया कि जब जब हमारी बहनें चुदीं, तब तब हम उनको आयी पिल खिलाना नहीं भूले.
END............
बदनाम रिश्ते
Re: बदनाम रिश्ते
माँ की ममता
प्रेषिका : सोनिया लाम्बा
मेरा नाम सोनिया लाम्बा है, मैं गृहिणी हूँ और दिल्ली में रहती हूँ। मैं आप से अपने बदन का जिक्र नहीं करुँगी क्योंकि आपको मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के बाद मेरे बदन का अंदाजा हो जायेगा। मैं 27 साल की युवती हूँ, मेरा 7 साल का बेटा मोनू मेरी शादी के 2 साल बाद हो गया था और उसके बाद हमने दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचा क्योंकि हम दूसरे बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते थे क्योकि हम मध्यम-वर्गीय परिवार से हैं। मेरे पति एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सुपरवाइजर हैं और उनका मासिक वेतन 12,000 रुपए ही है।
मेरी चुदाई की कहानी 2 साल पहले की है जब मोनू पाँचवी में पास हो चुका था, उसके अंक काफी अच्छे थे 72% ! हमने सोचा कि क्यों न मोनू का प्रवेश किसी बड़े स्कूल में करा दें जिससे उसकी आगे की जिंदगी सुधर जाये और आगे जाकर उसका अच्छा भविष्य बन जाये। मेरे पति के पास समय की कमी होने की वजह से मुझे उसके प्रवेश के लिए दिली पब्लिक स्कूल में जाना पड़ा। अप्रेल का महीना था, मैं एडमीशन इन्चार्ज़ के कमरे में चली गई। मैंने लाल रंग की साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज़ पहना हुआ था। अप्रेल के महीने की वजहे से मैं पूरी पसीने में भीग चुकी थी और मेरा ब्लाउज़ मेरे बदन से चिपक गया था जिसकी वजह से मेरा बदन कसा हुआ लग रहा था और मेरी चूचियों के बीच की घाटी साफ दिकाई दे रही थी जिसके दिखने की वजह से एडमीशन इंचर्ज़ की नजरे एक समय के लिए वहीं पर गड़ी की गड़ी रह गई। मुझे यह सब पता चल चुका था इसलिए मैंने अपनी साड़ी कुछ ऊपर को कर ली वो मुझे अपने होंठों पर मुस्कान लाते हुए देखने लगा। मैं भी उसके अध्यापक होने की वजह से मुस्कुरा दी, मैंने कहा- मैं अपने बेटे के एडमीशन के लिए आई हूँ !
वहाँ दो बच्चों की माँएँ भी आई थी, वे दोनों माँएँ अमीर परिवारों से आई हुई लग रही थी। एडमीशन इन्चार्ज़ ने उन्हें स्कूल का प्रवेश का फ़ॉर्म दिया और मुझे भी !
उन दोनों महिलाओ से फ़ॉर्म लेने के बाद उन्हें एडमीशन फ़ीस की रसीद काट कर पकड़ा दी। उसमें एडमीशन फी 10 ,000 रुपए थी तो मैं उनकी फ़ीस की रसीद देख कर चौंक पड़ी, मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लग गई और मैं यह सोच तक नहीं पा रही थी कि एडमीशन-फ़ार्म दूँ या न दूँ !
थोड़ी ही देर के बाद एडमीशन इन्चार्ज़ ने मुझसे भी फॉर्म वापिस मांगा तो मैंने कहा- मैं आपसे कुछ अकेले में बात करना चाहती हूँ !
वे दोनों महिलायें मेरी तरफ शक भरी नजरों से देखने लगी, मैंने बात को घुमाते हुए कहा- मुझे थोड़ा स्कूल के बारे में जानना था इसीलिये आपसे कुछ अकेले में पूछना था !
वे मुझे उसी कमरे के साथ में बने रेस्ट-रूम में ले गए। मैंने उन्हें अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता दी तो उन्होंने कहा- आप अपना फॉर्म मुझे दे दो और उस पर अपना फ़ोन नम्बर लिख दो।
और कहा- मुझसे जो हो सकेगा, मैं जरूर करूँगा !
और उन्होंने बातों-बातों मेंअपना नाम राजेश बताया और मुझसे पूछा- क्या तुम रविवार को फ़ुरसत में रहती हो?
मैं थोड़ा बहुत उनका इशारा समझ चुकी थी और मैं भी उनकी इस बात पर थोड़ा मुस्कुरा दी और मैं अपने बेटे का हाथ पकड़ कर घर को आ गई !
फिर उसी रविवार को राजेश जी का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आ गया- अगर आपको फ़ुरसत हो तो दोपहर दो बजे स्कूल में मेरे कमरे में आ जाओ अकेले !
मैं थोड़ा-थोड़ा समझ चुकी थी, मैंने उनसे कहा- मेरे पति आज घर पर हैं, अगर मैं आपके पास बिना सोनू के अकेले आऊँगी तो सुरेश पूछेंगे कि सोनू का एडमीशन है और मैं अकेली ही स्कूल में जा रही हूँ?
रमेश- ठीक है तो सोनू को भी स्कूल ले आओ।
मैं बाथ्रूम में अपने पति का दाढ़ी बनाने वाला सामान लेकर नहाने चली गई। वहाँ पर मैंने अपनी झांटे तसल्ली से साफ कर ली और झाँटे साफ करके अपनी चूत खुशबू वाले शैम्पू से रगड़ कर साफ कर ली, एक चमचमाती साड़ी और गहरे गले का पीला ब्लाउज पहन कर और होंठों पर लाल लिपस्टिक लगा ली और मैं स्कूल पहुँच गई अपने बेटे के साथ।
उनकी नजर जब मुझ पर पड़ी तो वो मुझे ऊपर से नीचे तक देखते के देखते रह गए। मैंने उनका ध्यान हटाने के लिए उनसे पूछा- क्या मेरे बेटे का एडमीशन हो जायेगा सर?
उन्होंने अपना ध्यान मेरी चूचियों से हटाते हुए कहा- सोनू के एडमीशन के लिए ही तो आपको यहाँ बुलाया है !
मैंने कहा- तो रविवार को ही आपने क्यों बुलाया है हमें सर?
उन्होंने कहा- मैं अपने व्यक्तिगत काम रविवार को ही करता हूँ।
राजेश जी ने मेरे बेटे से कुछ सवाल पूछे और सोनू ने भी सभी सवालों के सही जवाब दे दिए।
फिर राजेश जी ने फीस मांगी, मैं घर से सिर्फ़ 6,000 रुपए लाई थी तो मैंने उन्हें 6,000 रुपए दे दिए।
उन्होंने चेहरे पर अजीब से भाव लाते हुए कहा- सोनिया लाम्बा जी, हमारे स्कूल की फीस 10,000 रुपए है और आप सिर्फ 6,000 ही दे रही हो?
मैंने उनसे कहा- मैंने आपको अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता चुकी हूँ और मैं इससे ज्यादा आपको नहीं दी सकती !
उन्होंने अकड़ते हुए कहा- नहीं सोनिया जी, आपके लड़के का एडमीशन इस स्कूल में नहीं हो सकता है, आप किसी और स्कूल में अपने बच्चे का एडमीशन करवा लीजिये।
मैं डर गई कि कहीं सोनू का एडमीशन न रुक जाये तो मैंने उनसे विनती करते हुए कहा- हमारे पास जितना था वो मैं आपको दे चुकी हूँ और मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है !
और मैंने यह भी कहा- सोनू आपके ही बच्चे की तरह ही है सर ! बाकी जो आपको ठीक लगे आप वैसा ही करिए !
तो उन्होंने कहा- देने के लिए रुपए ही नहीं कुछ और भी दे सकते हो आप !
और बातों ही बातों में उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर बच्चे के साथ माँ भी मेरी हो जाये तो मैं सोनू का एडमीशन आराम से कर लूँगा।
मैं उनका इशारा समझ गई और हल्के से मुस्कुरा दी।
मेरे मुस्कुराते ही उन्होंने मेरे पांव को अपने पांव से मेज के नीचे से रगड़ना शुरु कर दिया और मैंने भी उनका विरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा- अगर आप तैयार हों तो आप रेस्टरूम में जाकर मेरा इंतजार कर सकती हो !
मैंने सोचा- थोड़ी देर की ही तो बात है, अच्छे स्कूल में अगर सोनू का एडमीशन हो जाता है और वो भी कम फीस में तो बुरा ही क्या है !
तभी रमेश जी ने कहा- क्या सोच रही हो? ऐसा मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और आपके लड़के की पढ़ाई की जिम्मेवारी भी मुझ पर छोड़ देना।
फिर मैंने रमेश जी से कहा- क्या यह गलत नहीं होगा?
तो रमेश जी ने कहा- आज रविवार है, पूरे स्कूल में छुट्टी है और जो भी होगा वो इस चारदिवारी में ही होगा। किसको पता चलेगा और जब किसी को पता ही नहीं चलेगा तो क्या गलत और क्या सही? सोच लीजिये सोनिया जी, यह मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और फिर आपका डीपीएस स्कूल में आपने बच्चे को पढ़ाने का सपना सपना रह जायेगा !
मैंने थोड़ा सोच कर सहमति में सर हिला दिया और उनसे कहा- जब तक हम अंदर रहेंगे तब तक सोनू कहाँ रहेगा और क्या करेगा?
उन्होंने कहा- उसकी जिम्मेवारी आप मुझ पर छोड़ दो। मैं उसे चॉकोलेट और कुछ किताबे पढ़ने के लिए यहीं दे दूंगा ! आप कमरे में चले जाइये, मैं थोड़ी ही देर में आपके पास आता हूँ।
मैंने सोनू की तरफ उसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचते हुए उसे कहा- सोनू, मैं तुम्हारे नए सर के साथ अंदर कुछ जरूरी काम करके अभी 15 मिनट में आती हूँ, तुम यहाँ से कहीं मत जाना ! सर तुम्हें चॉकोलेट और कुछ किताबे देंगे, उन्हें पढ़ना !
और मैं अंदर चली गई।
अन्दर का नजारा काफी आलीशान था, ए सी चल रहा था एक सोफा एक मेज और एक बिस्तर लगाया हुआ था।
मैंने इतना देखा ही था कि अचानक पीछे से दो हाथ मेरी बगल से होते हुए मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं थोड़ा सा झिझकी और फिर मैंने अपने आप को दिलासा दिया कि सोनू के अच्छे भविष्य के लिए 10-15 मिनट की ही तो बात है, यह कौन सा मुझे खा जाएगा। थोड़ी देर इसके नीचे ही तो लेटना है। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरी चूचियों से खेलने के कारण पूरा जोश में आ चुका था, उसका लंड तन चुका था और वो अपनी पैंट के अंदर से ही मेरी साड़ी को चीरता हुआ मेरी गांड की दरार के बीच में फिट होना चाहता है।
उसने मेरी चूचियों को जोश में आने के कारण और जोर से निचोड़ना शुरु कर दिया जिसकी वजह से मेरे मुँह से उफ उफ उफ उफ उफ उफ की आवाजें आ रही थी। फिर उसने मुझे घुमा कर अपनी कठोर छाती से चिपका लिया और जानवरों की तरह मेरे होंठों पर टूट पड़ा।
मैंने जो लाल रंग की लिपिस्टिक अपने होंठों पर लगाई थी, वो रमेश जी अपने चुम्बनों में सारी की सारी चाट गए।
कहानी में अभी बाकी है क्या बताने को ?
प्रेषिका : सोनिया लाम्बा
मेरा नाम सोनिया लाम्बा है, मैं गृहिणी हूँ और दिल्ली में रहती हूँ। मैं आप से अपने बदन का जिक्र नहीं करुँगी क्योंकि आपको मेरी सच्ची कहानी पढ़ने के बाद मेरे बदन का अंदाजा हो जायेगा। मैं 27 साल की युवती हूँ, मेरा 7 साल का बेटा मोनू मेरी शादी के 2 साल बाद हो गया था और उसके बाद हमने दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचा क्योंकि हम दूसरे बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते थे क्योकि हम मध्यम-वर्गीय परिवार से हैं। मेरे पति एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सुपरवाइजर हैं और उनका मासिक वेतन 12,000 रुपए ही है।
मेरी चुदाई की कहानी 2 साल पहले की है जब मोनू पाँचवी में पास हो चुका था, उसके अंक काफी अच्छे थे 72% ! हमने सोचा कि क्यों न मोनू का प्रवेश किसी बड़े स्कूल में करा दें जिससे उसकी आगे की जिंदगी सुधर जाये और आगे जाकर उसका अच्छा भविष्य बन जाये। मेरे पति के पास समय की कमी होने की वजह से मुझे उसके प्रवेश के लिए दिली पब्लिक स्कूल में जाना पड़ा। अप्रेल का महीना था, मैं एडमीशन इन्चार्ज़ के कमरे में चली गई। मैंने लाल रंग की साड़ी और गहरे गले का ब्लाउज़ पहना हुआ था। अप्रेल के महीने की वजहे से मैं पूरी पसीने में भीग चुकी थी और मेरा ब्लाउज़ मेरे बदन से चिपक गया था जिसकी वजह से मेरा बदन कसा हुआ लग रहा था और मेरी चूचियों के बीच की घाटी साफ दिकाई दे रही थी जिसके दिखने की वजह से एडमीशन इंचर्ज़ की नजरे एक समय के लिए वहीं पर गड़ी की गड़ी रह गई। मुझे यह सब पता चल चुका था इसलिए मैंने अपनी साड़ी कुछ ऊपर को कर ली वो मुझे अपने होंठों पर मुस्कान लाते हुए देखने लगा। मैं भी उसके अध्यापक होने की वजह से मुस्कुरा दी, मैंने कहा- मैं अपने बेटे के एडमीशन के लिए आई हूँ !
वहाँ दो बच्चों की माँएँ भी आई थी, वे दोनों माँएँ अमीर परिवारों से आई हुई लग रही थी। एडमीशन इन्चार्ज़ ने उन्हें स्कूल का प्रवेश का फ़ॉर्म दिया और मुझे भी !
उन दोनों महिलाओ से फ़ॉर्म लेने के बाद उन्हें एडमीशन फ़ीस की रसीद काट कर पकड़ा दी। उसमें एडमीशन फी 10 ,000 रुपए थी तो मैं उनकी फ़ीस की रसीद देख कर चौंक पड़ी, मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लग गई और मैं यह सोच तक नहीं पा रही थी कि एडमीशन-फ़ार्म दूँ या न दूँ !
थोड़ी ही देर के बाद एडमीशन इन्चार्ज़ ने मुझसे भी फॉर्म वापिस मांगा तो मैंने कहा- मैं आपसे कुछ अकेले में बात करना चाहती हूँ !
वे दोनों महिलायें मेरी तरफ शक भरी नजरों से देखने लगी, मैंने बात को घुमाते हुए कहा- मुझे थोड़ा स्कूल के बारे में जानना था इसीलिये आपसे कुछ अकेले में पूछना था !
वे मुझे उसी कमरे के साथ में बने रेस्ट-रूम में ले गए। मैंने उन्हें अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता दी तो उन्होंने कहा- आप अपना फॉर्म मुझे दे दो और उस पर अपना फ़ोन नम्बर लिख दो।
और कहा- मुझसे जो हो सकेगा, मैं जरूर करूँगा !
और उन्होंने बातों-बातों मेंअपना नाम राजेश बताया और मुझसे पूछा- क्या तुम रविवार को फ़ुरसत में रहती हो?
मैं थोड़ा बहुत उनका इशारा समझ चुकी थी और मैं भी उनकी इस बात पर थोड़ा मुस्कुरा दी और मैं अपने बेटे का हाथ पकड़ कर घर को आ गई !
फिर उसी रविवार को राजेश जी का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आ गया- अगर आपको फ़ुरसत हो तो दोपहर दो बजे स्कूल में मेरे कमरे में आ जाओ अकेले !
मैं थोड़ा-थोड़ा समझ चुकी थी, मैंने उनसे कहा- मेरे पति आज घर पर हैं, अगर मैं आपके पास बिना सोनू के अकेले आऊँगी तो सुरेश पूछेंगे कि सोनू का एडमीशन है और मैं अकेली ही स्कूल में जा रही हूँ?
रमेश- ठीक है तो सोनू को भी स्कूल ले आओ।
मैं बाथ्रूम में अपने पति का दाढ़ी बनाने वाला सामान लेकर नहाने चली गई। वहाँ पर मैंने अपनी झांटे तसल्ली से साफ कर ली और झाँटे साफ करके अपनी चूत खुशबू वाले शैम्पू से रगड़ कर साफ कर ली, एक चमचमाती साड़ी और गहरे गले का पीला ब्लाउज पहन कर और होंठों पर लाल लिपस्टिक लगा ली और मैं स्कूल पहुँच गई अपने बेटे के साथ।
उनकी नजर जब मुझ पर पड़ी तो वो मुझे ऊपर से नीचे तक देखते के देखते रह गए। मैंने उनका ध्यान हटाने के लिए उनसे पूछा- क्या मेरे बेटे का एडमीशन हो जायेगा सर?
उन्होंने अपना ध्यान मेरी चूचियों से हटाते हुए कहा- सोनू के एडमीशन के लिए ही तो आपको यहाँ बुलाया है !
मैंने कहा- तो रविवार को ही आपने क्यों बुलाया है हमें सर?
उन्होंने कहा- मैं अपने व्यक्तिगत काम रविवार को ही करता हूँ।
राजेश जी ने मेरे बेटे से कुछ सवाल पूछे और सोनू ने भी सभी सवालों के सही जवाब दे दिए।
फिर राजेश जी ने फीस मांगी, मैं घर से सिर्फ़ 6,000 रुपए लाई थी तो मैंने उन्हें 6,000 रुपए दे दिए।
उन्होंने चेहरे पर अजीब से भाव लाते हुए कहा- सोनिया लाम्बा जी, हमारे स्कूल की फीस 10,000 रुपए है और आप सिर्फ 6,000 ही दे रही हो?
मैंने उनसे कहा- मैंने आपको अपनी पारिवारिक परिस्थिति बता चुकी हूँ और मैं इससे ज्यादा आपको नहीं दी सकती !
उन्होंने अकड़ते हुए कहा- नहीं सोनिया जी, आपके लड़के का एडमीशन इस स्कूल में नहीं हो सकता है, आप किसी और स्कूल में अपने बच्चे का एडमीशन करवा लीजिये।
मैं डर गई कि कहीं सोनू का एडमीशन न रुक जाये तो मैंने उनसे विनती करते हुए कहा- हमारे पास जितना था वो मैं आपको दे चुकी हूँ और मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं है !
और मैंने यह भी कहा- सोनू आपके ही बच्चे की तरह ही है सर ! बाकी जो आपको ठीक लगे आप वैसा ही करिए !
तो उन्होंने कहा- देने के लिए रुपए ही नहीं कुछ और भी दे सकते हो आप !
और बातों ही बातों में उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर बच्चे के साथ माँ भी मेरी हो जाये तो मैं सोनू का एडमीशन आराम से कर लूँगा।
मैं उनका इशारा समझ गई और हल्के से मुस्कुरा दी।
मेरे मुस्कुराते ही उन्होंने मेरे पांव को अपने पांव से मेज के नीचे से रगड़ना शुरु कर दिया और मैंने भी उनका विरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा- अगर आप तैयार हों तो आप रेस्टरूम में जाकर मेरा इंतजार कर सकती हो !
मैंने सोचा- थोड़ी देर की ही तो बात है, अच्छे स्कूल में अगर सोनू का एडमीशन हो जाता है और वो भी कम फीस में तो बुरा ही क्या है !
तभी रमेश जी ने कहा- क्या सोच रही हो? ऐसा मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और आपके लड़के की पढ़ाई की जिम्मेवारी भी मुझ पर छोड़ देना।
फिर मैंने रमेश जी से कहा- क्या यह गलत नहीं होगा?
तो रमेश जी ने कहा- आज रविवार है, पूरे स्कूल में छुट्टी है और जो भी होगा वो इस चारदिवारी में ही होगा। किसको पता चलेगा और जब किसी को पता ही नहीं चलेगा तो क्या गलत और क्या सही? सोच लीजिये सोनिया जी, यह मौका आपको फिर कभी नहीं मिलेगा और फिर आपका डीपीएस स्कूल में आपने बच्चे को पढ़ाने का सपना सपना रह जायेगा !
मैंने थोड़ा सोच कर सहमति में सर हिला दिया और उनसे कहा- जब तक हम अंदर रहेंगे तब तक सोनू कहाँ रहेगा और क्या करेगा?
उन्होंने कहा- उसकी जिम्मेवारी आप मुझ पर छोड़ दो। मैं उसे चॉकोलेट और कुछ किताबे पढ़ने के लिए यहीं दे दूंगा ! आप कमरे में चले जाइये, मैं थोड़ी ही देर में आपके पास आता हूँ।
मैंने सोनू की तरफ उसके उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचते हुए उसे कहा- सोनू, मैं तुम्हारे नए सर के साथ अंदर कुछ जरूरी काम करके अभी 15 मिनट में आती हूँ, तुम यहाँ से कहीं मत जाना ! सर तुम्हें चॉकोलेट और कुछ किताबे देंगे, उन्हें पढ़ना !
और मैं अंदर चली गई।
अन्दर का नजारा काफी आलीशान था, ए सी चल रहा था एक सोफा एक मेज और एक बिस्तर लगाया हुआ था।
मैंने इतना देखा ही था कि अचानक पीछे से दो हाथ मेरी बगल से होते हुए मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं थोड़ा सा झिझकी और फिर मैंने अपने आप को दिलासा दिया कि सोनू के अच्छे भविष्य के लिए 10-15 मिनट की ही तो बात है, यह कौन सा मुझे खा जाएगा। थोड़ी देर इसके नीचे ही तो लेटना है। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरी चूचियों से खेलने के कारण पूरा जोश में आ चुका था, उसका लंड तन चुका था और वो अपनी पैंट के अंदर से ही मेरी साड़ी को चीरता हुआ मेरी गांड की दरार के बीच में फिट होना चाहता है।
उसने मेरी चूचियों को जोश में आने के कारण और जोर से निचोड़ना शुरु कर दिया जिसकी वजह से मेरे मुँह से उफ उफ उफ उफ उफ उफ की आवाजें आ रही थी। फिर उसने मुझे घुमा कर अपनी कठोर छाती से चिपका लिया और जानवरों की तरह मेरे होंठों पर टूट पड़ा।
मैंने जो लाल रंग की लिपिस्टिक अपने होंठों पर लगाई थी, वो रमेश जी अपने चुम्बनों में सारी की सारी चाट गए।
कहानी में अभी बाकी है क्या बताने को ?
Re: बदनाम रिश्ते
सौतेले बाप के साथ बिस्तर में
लेखिका : डौली
मेरा नाम डौली है, मैं पंजाब से अमृतसर की एक बेहद कमसिन हसीना हूँ, मैं भरे हुए यौवन की पिटारी हूँ जिसको हर मर्द अपने नीचे लिटाना चाहता है, पांच फ़ुट पांच इंच लंबी, जलेबी जैसा बदन, किसी को भी अपनी ओर खींचने वाला वक्ष, पतली सी कमर, मस्त गद्देदार गांड, गुलाबी होंठ, गोरा रंग !
अपने से बड़ी लड़कियों के साथ मेरा याराना है। मैंने इसी साल बारहवीं क्लास की है और नर्सिंग के तीन साल के कोर्स में मैंने दाखला लिया है। मेरी माँ की शादी सोलहवें साल में हो गई थी और बीस साल तक पहुंचते दो लड़कियो की माँ बन गई, सुन्दर औरत है, पांच बच्चे जन चुकी है लेकिन अभी भी कसा हुआ जिस्म है।
मेरी माँ के कई गैर मर्दों के साथ रिश्ते थे जिससे मेरा बाप माँ के साथ झगड़ा करता। पापा ने काफी जायदाद माँ के नाम से खरीदी थी। आखिर दोनों में तलाक हो गया, तीन बच्चे पापा ने रखे और हम दो माँ के साथ रहने लगीं।
माँ को जवान लड़कों का चस्का था, लड़कों हमारे पीछे बुलवा कर चुदवाती जिसका असर हम पर होने लगा। माँ के नक्शे कदम पर बड़ी बहन ने पैर रख दिए, मेरा भी एक लड़के के साथ चक्कर चल पड़ा और एक दिन मैं घर में अकेली थी। माँ दिल्ली किसी काम से गई हुईं थी। इसलिए दीदी ने उस रात अपने किसी बॉय-फ्रेंड के साथ चली गई क्यूंकि उनकी फ़ोन पर बात हो रही थी मैंने दूसरी तरफ से फ़ोन उठाया हुआ था। मैं और मेरा प्रेमी पम्मा भी चोरी छिपे सिनेमा और पार्कों में मिलते और बात चूमा चाटी तक ही रह जाती थी। ज्यादा से ज्यादा सिनेमा में में उसके लौड़े को सहलाती उसकी मुठ मारती, चूसती थी।
उस रात मैंने पम्मा को बुलवा लिया, करीब रात के दस बजे पम्मा आया ,मेरे कमरे में जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए। उससे ज्यादा मैं लिपट रही थी। उसने मेरा एक एक कपड़ा उतार दिया, मैंने उसका !आखिर में मैंने नीचे झुकते हुए उसके लौड़े को मुँह में ले लिया। उसने खूब मेरी चुचियाँ दबाई और चुचूक चूसे, ६९ में आकर चूत चाटी।
उसने अपना लौड़ा जब मेरी टांगों के बीच में बैठ चूत पर रखा- हाय डालो न राजा !
उसने कहा- ज़रा मुँह में लेकर गीला कर दे !
उसने फिर से रखा !
अब डालो भी !
उसने झटका दिया और मेरी चीख निकल गई- छोड़ो ऽऽ ! निकालोऽऽ !
उसने मुझ पर पहले से शिकंजा कसा था, उसने बिना कुछ कहे पूरा लौड़ा डाल दिया।
हाय मर गई ईईईईइ माँ ! फट गई !
कुछ पल बाद मैं खुद चुदवाने के लिए गांड उठा कर करवाने लगी। उसने अब पकड़ ढीली की।
हाय राजा मारते रहो !
करीब पन्दरह मिनट के बाद दोनों झड़ गए। उस रात मेरी सील टूटी, पूरी रात चुदवाती रही, मैं कली से फूल बन चुकी थी।
जब तक माँ नहीं आई हर रात वो मुझे चोद देता। एक रात उसने अपने एक दोस्त को साथ बुलाया और मिलकर मेरी चूत मारी।
जिस दिन माँ वापस आई, उसके साथ एक हट्टा कट्टा जवान लड़का था। माँ की मांग में सिंदूर था और नया मंगल सूत्र !
माँ ने हम दोनों बहनों को बुलाया और बताया कि माँ ने दूसरी शादी कर ली है।
उसकी उम्र पैन्तीस-छत्तीस साल के करीब होगी, माँ चवालीस साल !
दोनों रात होते कमरे में घुस जाते, फिर चुदाई समरोह चलता !
एक दिन मैंने दिन में ही माँ के कमरे का पर्दा सरका दिया। रात हुई, मैंने अन्दर देखा- माँ बिलकुल नंगी थी अकेली बिस्तर पर लेटी चूत मसल रही थी, अपने हाथ से अपना मम्मा दबा रही थी। माँ ने ऊँगली के इशारे से मेरे सौतेले बाप को पास बुलाया, नीचे की ओर चूत पर दबाव दिया और चूत चटवाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अपनी चूत में ऊँगली करते हुए सब देख रही थी।
माँ उसका मोटा लौड़ा मुँह में डाल कुतिया की तरह चाट रहीं थी- हाय मेरे राजा ! तेरे लौड़े को देखकर मैंने तुझे खसम बना लिया है।
वो सीधा लेट गया, माँ ने थूक लगाया और उस पर बैठ गई।
मैं वहां से आई और कमरे में जाकर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी।
कुछ दिनों में मेरा सौतेला बाप मेरे जवानी पे ध्यान देने लगा लेकिन मैं उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। जब वो सामने आता, मेरे आँखों में उसके लौड़े की तस्वीर घूमने लगती। रात को माँ को सिर्फ अपनी चुदाई से वास्ता था। यह नहीं सोचा कि दो जवान बेटियों पर क्या असर होगा। दीदी तो इस आजादी से खुश थी।
माँ का बहुत बड़े स्केल की बूटीक है, मेरे सौतेले बाप को पैसे देकर वर्कशॉप खोली और नई कार खरीद कर दी। हमें पैसे देते वक्त चिल्लाती- इतने पैसे का क्या करती हो ?
मैंने माँ को सबक सिखाने की सोची।
सौतेला बाप खाना खाने दोपहर घर आ जाता। मैं उसके साथ घुलमिल सी गई, पहले से ज्यादा बात करती ! वो भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूसने के लिए बेताब था।
एक दोपहर अपने कमरे के ए.सी की तार निकाल दी और उनके आने से पहले उनके कमरे का ए.सी चालू कर वहां लेट गई। मैंने एक जालीदार और पारदर्शी गाऊन, गुलाबी और काली कच्छी-ब्रा डाल उलटी तकिये से लिपट सोने का नाटक करने लगी।
आज तक मैं उसके सामने ऐसे नहीं आई थी। जब वो आये, मुझे मेरे कमरे में ना पाकर मायूस से होकर अपने ही कमरे में आये। मैंने थोड़ी से आंख खोल रखी थी, मुझे देख वो खुश हो गया, बाहर गया, सारे लॉक लगा वापस आया। दूसरे बेड पर बैठे हुए उसने अपना हाथ मेरी रेशम जैसे पोली-पोली गांड पर फेरा। मैं गर्म होने लगी, वहां से हाथ पेट तक गया, उसका मरदाना हाथ अपना पूरा रंग दिखा रहा था।
उसने मेरा गाऊन खिसका दिया। मैंने पलट कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया। वो पहले से ही सिर्फ कच्छे में था, आगे से फटने हो आया हुआ था।
उसने मुझे नंगी कर दिया, बोला- रानी ! क्या जवानी है तेरी ! तुम दोनों बहनें साली रंडियाँ हो ! तेरी माँ ने जब परिवार की तस्वीर दिखाई थी, उसे देख मैंने उससे शादी कर ली।
मैंने जिस दिन से आपका लौड़ा देखा है, चुदवाने को तैयार थी !
हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे चूमने लगे, तूफ़ान आ चुका था।
ओह मेरी जान !
मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और कुतिया की तर जुबान निकल निकाल चाटने लगी। वो भी मेरा साथ देने लगा, वो भी अपनी जुबान जब मेरे दाने पर फेरता तो मैं उछल उठती- अह अह करने लगती !
बहुत ज़बरदस्त मर्द खिलाड़ी था ! एक एक ढंग था उसके तरकश में लड़की चोदने के लिए !
साली कितनों से चुदी है?
काफी चुदी हूँ ! लेकिन मुझे अब तड़पाओ मत और मेरी चूत मारो !
आह मसल दे मुझे ! कमीने रगड़ दे ! मेरे जिस्म को पेल डाल अब बहन के लौड़े !
छिनाल, कुतिया, गली की रंडी ! तेरी माँ चोद दूंगा !
आज तेरी हूँ मैं तेरी ! जो आये करो !
आह !
उसने मेरे बालों को पकड़ मेरे मुँह में लौड़ा घुसा कर उसे निकलने नहीं दे रहा था। मैं खांसने लगी, मैंने टांगें खोल ली और वो बीच में आया, मैंने हाथ से पकड़ चूत पे टिकाया, उसने जोर से झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया। थोड़ी सी दर्द हुई लेकिन मैंने चिल्लाने का काफी नाटक किया। सांस खींच चूत कसी, उसके दूसरे झटके में पूरा लौड़ा उतर चुका था।
और आह फक मी ! चोद और चोद साले, दिखा दे दम !
ले कुत्ती कहीं की !
दस मिनट ऐसे चोदने के बाद बोला- कुतिया की तरह झुक जा !
वो मेरे पीछे आया, उसने लौड़े पर थूक लगाया और पेल दिया।
हाय मेरे राजा ! मेरे सांई !
उसने रफ्तार पकड़ ली। हाय, उसने मेरा बदन खड़का दिया। नीचे से मेरे कसे हुए बड़े बड़े मम्मों को इस तरह मसल रहा था जैसे कोई गाय का दूध निकाल रहा हो। मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मस्ती से चूत मार रहा था।मैंने कहा- मेरा काम तमाम हो गया !
तो उसने बिना कुछ कहे लौड़े खींचा, मेरी गांड पर रख झटका मारा। मैं तैयार नहीं थी उसके इस वार के लिए !
दर्द से कराह उठी मैं !
वो नहीं माना और पूरा लौड़ा घुसा के ही दम लिया और तेजी से मारने लगा। जैसे मुझे कुछ राहत मिली, मैं अपनी चूत के दाने को चुटकी से मसलने लगी। पांच मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर छोड़ दिया और बाहर निकाल मेरे होंठों से रगड़ दिया। मैंने जुबान निकाल सब कुछ साफ़ कर दिया।
शाम तक उसने मुझे दो बार चोदा। रोज़ दोपहर में मुझे चोदता।
मुझे सोने का सेट, पायल का जोड़ा, खुला खर्चा देता।
एक दिन उसने बताया कि वो दोस्तों के साथ घूमने शिमला जा रहा है। मेरे कहने पर उसने मुझे साथ लेकर जाने का फैसला किया। मैंने कॉलेज टूर का प्रोग्राम बताया। उसने अपनी वर्कशॉप के लिए दिल्ली से कुछ सामान !
उसके साथ उसके तीन दोस्त थे, मैं अकेली !
लेखिका : डौली
मेरा नाम डौली है, मैं पंजाब से अमृतसर की एक बेहद कमसिन हसीना हूँ, मैं भरे हुए यौवन की पिटारी हूँ जिसको हर मर्द अपने नीचे लिटाना चाहता है, पांच फ़ुट पांच इंच लंबी, जलेबी जैसा बदन, किसी को भी अपनी ओर खींचने वाला वक्ष, पतली सी कमर, मस्त गद्देदार गांड, गुलाबी होंठ, गोरा रंग !
अपने से बड़ी लड़कियों के साथ मेरा याराना है। मैंने इसी साल बारहवीं क्लास की है और नर्सिंग के तीन साल के कोर्स में मैंने दाखला लिया है। मेरी माँ की शादी सोलहवें साल में हो गई थी और बीस साल तक पहुंचते दो लड़कियो की माँ बन गई, सुन्दर औरत है, पांच बच्चे जन चुकी है लेकिन अभी भी कसा हुआ जिस्म है।
मेरी माँ के कई गैर मर्दों के साथ रिश्ते थे जिससे मेरा बाप माँ के साथ झगड़ा करता। पापा ने काफी जायदाद माँ के नाम से खरीदी थी। आखिर दोनों में तलाक हो गया, तीन बच्चे पापा ने रखे और हम दो माँ के साथ रहने लगीं।
माँ को जवान लड़कों का चस्का था, लड़कों हमारे पीछे बुलवा कर चुदवाती जिसका असर हम पर होने लगा। माँ के नक्शे कदम पर बड़ी बहन ने पैर रख दिए, मेरा भी एक लड़के के साथ चक्कर चल पड़ा और एक दिन मैं घर में अकेली थी। माँ दिल्ली किसी काम से गई हुईं थी। इसलिए दीदी ने उस रात अपने किसी बॉय-फ्रेंड के साथ चली गई क्यूंकि उनकी फ़ोन पर बात हो रही थी मैंने दूसरी तरफ से फ़ोन उठाया हुआ था। मैं और मेरा प्रेमी पम्मा भी चोरी छिपे सिनेमा और पार्कों में मिलते और बात चूमा चाटी तक ही रह जाती थी। ज्यादा से ज्यादा सिनेमा में में उसके लौड़े को सहलाती उसकी मुठ मारती, चूसती थी।
उस रात मैंने पम्मा को बुलवा लिया, करीब रात के दस बजे पम्मा आया ,मेरे कमरे में जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए। उससे ज्यादा मैं लिपट रही थी। उसने मेरा एक एक कपड़ा उतार दिया, मैंने उसका !आखिर में मैंने नीचे झुकते हुए उसके लौड़े को मुँह में ले लिया। उसने खूब मेरी चुचियाँ दबाई और चुचूक चूसे, ६९ में आकर चूत चाटी।
उसने अपना लौड़ा जब मेरी टांगों के बीच में बैठ चूत पर रखा- हाय डालो न राजा !
उसने कहा- ज़रा मुँह में लेकर गीला कर दे !
उसने फिर से रखा !
अब डालो भी !
उसने झटका दिया और मेरी चीख निकल गई- छोड़ो ऽऽ ! निकालोऽऽ !
उसने मुझ पर पहले से शिकंजा कसा था, उसने बिना कुछ कहे पूरा लौड़ा डाल दिया।
हाय मर गई ईईईईइ माँ ! फट गई !
कुछ पल बाद मैं खुद चुदवाने के लिए गांड उठा कर करवाने लगी। उसने अब पकड़ ढीली की।
हाय राजा मारते रहो !
करीब पन्दरह मिनट के बाद दोनों झड़ गए। उस रात मेरी सील टूटी, पूरी रात चुदवाती रही, मैं कली से फूल बन चुकी थी।
जब तक माँ नहीं आई हर रात वो मुझे चोद देता। एक रात उसने अपने एक दोस्त को साथ बुलाया और मिलकर मेरी चूत मारी।
जिस दिन माँ वापस आई, उसके साथ एक हट्टा कट्टा जवान लड़का था। माँ की मांग में सिंदूर था और नया मंगल सूत्र !
माँ ने हम दोनों बहनों को बुलाया और बताया कि माँ ने दूसरी शादी कर ली है।
उसकी उम्र पैन्तीस-छत्तीस साल के करीब होगी, माँ चवालीस साल !
दोनों रात होते कमरे में घुस जाते, फिर चुदाई समरोह चलता !
एक दिन मैंने दिन में ही माँ के कमरे का पर्दा सरका दिया। रात हुई, मैंने अन्दर देखा- माँ बिलकुल नंगी थी अकेली बिस्तर पर लेटी चूत मसल रही थी, अपने हाथ से अपना मम्मा दबा रही थी। माँ ने ऊँगली के इशारे से मेरे सौतेले बाप को पास बुलाया, नीचे की ओर चूत पर दबाव दिया और चूत चटवाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अपनी चूत में ऊँगली करते हुए सब देख रही थी।
माँ उसका मोटा लौड़ा मुँह में डाल कुतिया की तरह चाट रहीं थी- हाय मेरे राजा ! तेरे लौड़े को देखकर मैंने तुझे खसम बना लिया है।
वो सीधा लेट गया, माँ ने थूक लगाया और उस पर बैठ गई।
मैं वहां से आई और कमरे में जाकर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी।
कुछ दिनों में मेरा सौतेला बाप मेरे जवानी पे ध्यान देने लगा लेकिन मैं उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। जब वो सामने आता, मेरे आँखों में उसके लौड़े की तस्वीर घूमने लगती। रात को माँ को सिर्फ अपनी चुदाई से वास्ता था। यह नहीं सोचा कि दो जवान बेटियों पर क्या असर होगा। दीदी तो इस आजादी से खुश थी।
माँ का बहुत बड़े स्केल की बूटीक है, मेरे सौतेले बाप को पैसे देकर वर्कशॉप खोली और नई कार खरीद कर दी। हमें पैसे देते वक्त चिल्लाती- इतने पैसे का क्या करती हो ?
मैंने माँ को सबक सिखाने की सोची।
सौतेला बाप खाना खाने दोपहर घर आ जाता। मैं उसके साथ घुलमिल सी गई, पहले से ज्यादा बात करती ! वो भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूसने के लिए बेताब था।
एक दोपहर अपने कमरे के ए.सी की तार निकाल दी और उनके आने से पहले उनके कमरे का ए.सी चालू कर वहां लेट गई। मैंने एक जालीदार और पारदर्शी गाऊन, गुलाबी और काली कच्छी-ब्रा डाल उलटी तकिये से लिपट सोने का नाटक करने लगी।
आज तक मैं उसके सामने ऐसे नहीं आई थी। जब वो आये, मुझे मेरे कमरे में ना पाकर मायूस से होकर अपने ही कमरे में आये। मैंने थोड़ी से आंख खोल रखी थी, मुझे देख वो खुश हो गया, बाहर गया, सारे लॉक लगा वापस आया। दूसरे बेड पर बैठे हुए उसने अपना हाथ मेरी रेशम जैसे पोली-पोली गांड पर फेरा। मैं गर्म होने लगी, वहां से हाथ पेट तक गया, उसका मरदाना हाथ अपना पूरा रंग दिखा रहा था।
उसने मेरा गाऊन खिसका दिया। मैंने पलट कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया। वो पहले से ही सिर्फ कच्छे में था, आगे से फटने हो आया हुआ था।
उसने मुझे नंगी कर दिया, बोला- रानी ! क्या जवानी है तेरी ! तुम दोनों बहनें साली रंडियाँ हो ! तेरी माँ ने जब परिवार की तस्वीर दिखाई थी, उसे देख मैंने उससे शादी कर ली।
मैंने जिस दिन से आपका लौड़ा देखा है, चुदवाने को तैयार थी !
हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे चूमने लगे, तूफ़ान आ चुका था।
ओह मेरी जान !
मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और कुतिया की तर जुबान निकल निकाल चाटने लगी। वो भी मेरा साथ देने लगा, वो भी अपनी जुबान जब मेरे दाने पर फेरता तो मैं उछल उठती- अह अह करने लगती !
बहुत ज़बरदस्त मर्द खिलाड़ी था ! एक एक ढंग था उसके तरकश में लड़की चोदने के लिए !
साली कितनों से चुदी है?
काफी चुदी हूँ ! लेकिन मुझे अब तड़पाओ मत और मेरी चूत मारो !
आह मसल दे मुझे ! कमीने रगड़ दे ! मेरे जिस्म को पेल डाल अब बहन के लौड़े !
छिनाल, कुतिया, गली की रंडी ! तेरी माँ चोद दूंगा !
आज तेरी हूँ मैं तेरी ! जो आये करो !
आह !
उसने मेरे बालों को पकड़ मेरे मुँह में लौड़ा घुसा कर उसे निकलने नहीं दे रहा था। मैं खांसने लगी, मैंने टांगें खोल ली और वो बीच में आया, मैंने हाथ से पकड़ चूत पे टिकाया, उसने जोर से झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया। थोड़ी सी दर्द हुई लेकिन मैंने चिल्लाने का काफी नाटक किया। सांस खींच चूत कसी, उसके दूसरे झटके में पूरा लौड़ा उतर चुका था।
और आह फक मी ! चोद और चोद साले, दिखा दे दम !
ले कुत्ती कहीं की !
दस मिनट ऐसे चोदने के बाद बोला- कुतिया की तरह झुक जा !
वो मेरे पीछे आया, उसने लौड़े पर थूक लगाया और पेल दिया।
हाय मेरे राजा ! मेरे सांई !
उसने रफ्तार पकड़ ली। हाय, उसने मेरा बदन खड़का दिया। नीचे से मेरे कसे हुए बड़े बड़े मम्मों को इस तरह मसल रहा था जैसे कोई गाय का दूध निकाल रहा हो। मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मस्ती से चूत मार रहा था।मैंने कहा- मेरा काम तमाम हो गया !
तो उसने बिना कुछ कहे लौड़े खींचा, मेरी गांड पर रख झटका मारा। मैं तैयार नहीं थी उसके इस वार के लिए !
दर्द से कराह उठी मैं !
वो नहीं माना और पूरा लौड़ा घुसा के ही दम लिया और तेजी से मारने लगा। जैसे मुझे कुछ राहत मिली, मैं अपनी चूत के दाने को चुटकी से मसलने लगी। पांच मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर छोड़ दिया और बाहर निकाल मेरे होंठों से रगड़ दिया। मैंने जुबान निकाल सब कुछ साफ़ कर दिया।
शाम तक उसने मुझे दो बार चोदा। रोज़ दोपहर में मुझे चोदता।
मुझे सोने का सेट, पायल का जोड़ा, खुला खर्चा देता।
एक दिन उसने बताया कि वो दोस्तों के साथ घूमने शिमला जा रहा है। मेरे कहने पर उसने मुझे साथ लेकर जाने का फैसला किया। मैंने कॉलेज टूर का प्रोग्राम बताया। उसने अपनी वर्कशॉप के लिए दिल्ली से कुछ सामान !
उसके साथ उसके तीन दोस्त थे, मैं अकेली !