मैं दोपहर का खाना बना कर अपने पति का इंतज़ार करती हूँ. उनका ऑफीस हमारे घर के पास ही है, इसलिए वो मेरे साथ गरम खाना खाने के लिए हर रोज़ घर आते हैं. उनका लंच टाइम 1.30 से 2.30 है. वो 1.40 तक घर पहुँच जातें हैं. हम साथ साथ खाना खतें हैं और कई बार खाना खाने के पहले या खाना खाने के बाद हमारे बीच एक फटाफट चुदाई हो जाती है.
उनके वापस ऑफीस जाने के बाद मैं कंप्यूटर पर बैठती हूँ और अपने चाहनेवालों की मैल का जवाब देती हूँ. अब मैं फालतू और मुझे चोद्ने की चाहत वाली मैल का जवाब नही देती. मैं करीब करीब शाम तक कंप्यूटर पर बैठती हूँ. मेरे पति शाम को ज़्यादातर 6.00 और 6.30 के बीच घर पर आ जातें हैं.
उन के घर आने के बाद हम चाइ पीतें है. हम साथ साथ बैठ कर कई विषयों पर बात करतें हैं, और कभी कभी हम कपड़े पहने हुए ही एक दूसरे की पकड़ा पकड़ी करतें हैं, कभी कभी कपड़े खोल कर पकड़ा पड़ी करतें है, कभी कभी चुदाई भी करतें है और कभी कभी खरीद दारी करने या घूमने के लिए बाहर जातें हैं. अगर हम को वापस आने मे देर होती है तो हम रात का खाना बाहर ही खा कर आते हैं.
रात मे, हमारे बेडरूम मे फिर से चुदाई का तूफान उठता है. अब तक, दिन मे रोजाना हम कम से कम दो बार या तीन बार ज़रूर चुदाई करतें हैं.
अब………….. मेरे अपने पति से रोजाना चुदवाने के सिवाय मैं आप को कुछ अलग तरीके की बातें बताने जा रही हूँ ताकि आप को भी मज़ा आए.
हम को हमारे घर के लिए नया फर्निचर, ज़रूरत और घर के नक्शे के अनुसार बनवाना था. मेरे पति के एक दोस्त ने कार्पंटर का बंदोबस्त किया था. वो 4/5 आदमी थे जो सुबह 9.30 बजे से शाम को 6.00/6.30 बजे तक काम करते थे. ज़्यादातर वो अपना दोपहर का खाना अपने साथ ले कर आते थे और कभी कभी, कोई कोई बाहर भी जाता था खाना खाने के लिए. मैं उनको दिन मे दो/तीन बार चाइ पिलाती थी.
घर मे काम चालू होने की वजह से मैं ज़्यादातर अपने बेडरूम मे या किचन मे ही रहती थी. उनमे ज़्यादातर काम करने वाले जवान लड़के थे. मैं उनके सामने पूरे कपड़े पहनती थी. आप कहेंगे कि ये तो सामान्य बात है, इसमे नया क्या है?
अब मैं आप को बता रही हूँ कि इसमे नया क्या है. मैं आप को बताना चाहती हूँ कि मेरी एक इंटरनेट दोस्त है जिस के साथ मैं अपनी हर बात शेर करती हूँ. ( मैं यहाँ उसका नाम नही बताने वाली पर पढ़कर वो समझ जाएगी कि मैं उसकी बात कर रही हूँ ) उस ने एक दिन मुझसे कहा कि मैं काम करने वालों को ध्यान से देखूं. उसने मुझ से कहा कि भले ही मैं पूरे कपड़े पहनूं, पर मैं इतनी सेक्सी हूँ कि ज़रूर काम करने वाले भी मुझे देख कर गरम हो जाते होंगे. उनके चुदाई के औज़ार, उनके लंड उनके कपड़ों के अंदर मुझे देख कर ज़रूर हलचल मचाते होंगे. दोस्तों, सही बात तो ये है कि मैने ऐसा सोचा भी नही था. इसका पूरा पूरा श्रेय मेरी दोस्त को जाता है जिसका इतना सुंदर आइडिया था. अब मैं उनको ध्यान से देखने लगी. हे भगवान………… हे भगवान…….. मेरी दोस्त कितनी सही थी. मैने उन लोगों के लौडो को उनके पयज़ामों के अंदर खड़े होते देखा. वो जब भी मुझे रसोई मे काम करते देखते, चलते देखते, उनके पयज़ामों मे हलचल होने लगती. मेरे लिए ये अनुभव बिल्कुल नया था. मैं जब भी कंप्यूटर पर बैठती, मैं उनपर नज़र रखती थी और उनको कंप्यूटर स्क्रीन पर देखती रहती थी. उन लोगों को ये पता नही था कि मैं उनपर नज़र रख रही हूँ. कभी कभी मुझे थोड़ा डर भी लगता था कि मैं घर मे अकेली हूँ, कहीं वो सब मिल कर मुझे चोद ना दे. पर शुक्र है भगवान का, ऐसा कुछ नही हुआ. मैने उनको अपने अपने लंड को कपड़ों के उपर से मसल्ते देखा और वो सोच रहे थे कि उनको कोई नही देख रहा.
हालाँकि गरम और सेक्सी तो सब होते थे, पर खास कर के उनका लीडर, जो एक सरदार था, लगता था कि वो तो मुझपर बहुत ही मरता था. उस सरदार के लंड को उसके पयज़ामे के अंदर खड़ा देख कर लगता था कि उसका लॉडा काफ़ी लंबा है जिस को वो बार बार मसलता था. मैं हमेशा देखती थी कि मुझे कुछ देर देखने के बाद वो बाथरूम जाता था जहाँ वो काफ़ी समय लगाता था. वो ज़रूर बाथरूम मे जा कर खुद ही अपने लंबे लंड पर, मुझे याद करके मूठ मारा करता था.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
मैने अपनी दोस्त के कहने पर ये सब अपने पति को भी बताया. और………. और…….. मेरी दोस्त बिल्कुल सही कहती थी. सरदार के लंड को उसके पयज़ामे मे खड़ा होता हुआ देख कर मेरे पति का लंड भी झटके के साथ खड़ा हो गया था. उस के बाद बेडरूम अंदर से बंद करके हम ने जंगलियों की तरह चुदाई की और मैने पाया कि मेरे पति का लॉडा मुझे चोद्ते हुए और दिनों के मुक़ाबले ज़्यादा ही सख़्त है.
क्यों कि हमारी नई नई शादी हुई थी, मेरे पति के दोस्त हम को बारी बारी से खाने के लिए अपने घर बुलाने लगे थे. हर साप्ताह हमारा रात का खाना उनके किसी ना किसी दोस्त के घर पर होता था. मेरे पति और उनके सब दोस्त ये बड़े गर्व के साथ कहतें हैं कि उनकी औरतों मे मैं सब से खूबसूरत और सबसे सेक्सी औरत हूँ. मैने कई बार देखा है क़ी उनका हर दोस्त किसी ना किसी बहाने मेरे नज़दीक आने की कोशिश करता है, मुझे छुने की कोशिश करता है.
इसी तरह हँसी खुशी मे, चुदाई मे, मस्ती मे मेरे दिन बीतने लगे और एप्रिल के महीने मे हम फिर से गोआ आए क्यों कि मेरे ससुरजी का जनमदिन था. मेरे पति तो तीसरे ही दिन वापस देल्ही लौट गये और मेरी सासू मा के कहने पर मैं कुछ और दिनों के लिए उनके पास रुक गई.
मैं गोआ मे और मेरे पति देल्ही मे थे. दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले, चुदाई के चुड़क्कड़ जोड़ीदार एक दूसरे से अलग थे. देल्ही मे मेरे पति अपने हाथों से, अपने आप ही मूठ मार कर अपने लंड से पानी निकालते थे और मैं भी अपने आप ही, मेरी चूत मे उंगली करके चूत की खुजली मिटती थी. कभी कभी मैं चूत मे मोमबत्ती डाल कर भी खुद ही अपनी चूत को चोद देती थी.
एक सुबह, मुझे अंजू की याद आई. ( आप शायद भूले नही होंगे कि अंजू मेरे ससुराल के, पड़ोस मे रहने वाली, मेरे पति के दोस्त की पत्नी है जिसको की उसका पति चोद नही पाता था और वो मेरे पति से चुद्वाया करती थी. हम तीनो ने भी, मैने, मेरे पति ने और अंजू ने मेरी शादी के पहले एक बार सामूहिक संभोग भी किया था.) दोपहर का खाना खाने के बाद मैं उस से मिलने उस के घर गई. मेरी खुसकिस्मती थी कि उसके सास ससुर बाहर गये हुए थे, पति ऑफीस मे था और वो घर पर अकेली थी. वो मुझे देख कर बहुत आश्चर्यचकित और खुश हुई. पर मैने उदासी सॉफ सॉफ उसके चेहरे पर देखी.
मैं – हाई अंजू…….
अंजू – हाई जूली…….
मैं – क्या बात है ? सुस्त लग रही हो.
अंजू – हां यार. और तुम को पता है कि क्यों सुस्त हूँ.
मैं – हां. मुझे पता है. क्या अभी भी तुम्हारा पति वैसा ही है ?
अंजू – हां यार ! ये मेरी बदक़िस्मती है. वो हमेशा कोशिश करतें है और हमेशा ही अंदर डालने के पहले ही उनका पानी निकल जाता है. मुझे समझ मे नही आता कि क्या करूँ. लगता है मेरी किस्मत मे यही सब लिखा है.
मैं – फिर तुम संतुष्ट होने के लिए क्या करती हो ? क्या कोई दोस्त है चोद्ने वाला ?
अंजू – नहीं यार. कोई दोस्त नही है. मेरी सासू मा दिन भर घर मे रहती है और मुझे कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नही पड़ती. दोस्त कैसे बनेगा और बन भी गया तो बहुत मुश्किल है उस से चुद्वाना. मैं तो रात को बिस्तर मे अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करके ही अपनी जलन मिटाती हूँ.
मुझे उसकी बातें सुन कर बहुत दुख हुआ. एक सुंदर, जवान, शादीशुदा औरत, पर चुदाई के लिए तरसती है.
मैने उसको बाहों मे भर्लिया तो उसने भी मुझे जाकड़ लिया. मैं महसूस कर रही थी कि वो बहुत ही गरम है, सेक्सी है. मेरे दिमाग़ ने मुझसे कहा कि ये अच्छा मौका है दो सेक्सी औरतों के बीच मे चुदाई का खेल खेलने का.
मैं बोली – तुम्हारी सासू मा कब तक आएगी ?
अंजू – शायद शाम तक. सासू मा और ससुरजी, दोनो किसी सगे वाले के घर गये है.
समय हमारे साथ था. हम दोनो के अंदर चुदाई का शोला भड़कने लगा. दो सेक्सी औरतें भी आपस मे चुदाई का पूरा आनंद ले सकती है. अंजू मेरी तरफ देख कर मुस्कराई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद किया और हम दोनो उसके बेडरूम मे आ गई.
क्यों कि हमारी नई नई शादी हुई थी, मेरे पति के दोस्त हम को बारी बारी से खाने के लिए अपने घर बुलाने लगे थे. हर साप्ताह हमारा रात का खाना उनके किसी ना किसी दोस्त के घर पर होता था. मेरे पति और उनके सब दोस्त ये बड़े गर्व के साथ कहतें हैं कि उनकी औरतों मे मैं सब से खूबसूरत और सबसे सेक्सी औरत हूँ. मैने कई बार देखा है क़ी उनका हर दोस्त किसी ना किसी बहाने मेरे नज़दीक आने की कोशिश करता है, मुझे छुने की कोशिश करता है.
इसी तरह हँसी खुशी मे, चुदाई मे, मस्ती मे मेरे दिन बीतने लगे और एप्रिल के महीने मे हम फिर से गोआ आए क्यों कि मेरे ससुरजी का जनमदिन था. मेरे पति तो तीसरे ही दिन वापस देल्ही लौट गये और मेरी सासू मा के कहने पर मैं कुछ और दिनों के लिए उनके पास रुक गई.
मैं गोआ मे और मेरे पति देल्ही मे थे. दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले, चुदाई के चुड़क्कड़ जोड़ीदार एक दूसरे से अलग थे. देल्ही मे मेरे पति अपने हाथों से, अपने आप ही मूठ मार कर अपने लंड से पानी निकालते थे और मैं भी अपने आप ही, मेरी चूत मे उंगली करके चूत की खुजली मिटती थी. कभी कभी मैं चूत मे मोमबत्ती डाल कर भी खुद ही अपनी चूत को चोद देती थी.
एक सुबह, मुझे अंजू की याद आई. ( आप शायद भूले नही होंगे कि अंजू मेरे ससुराल के, पड़ोस मे रहने वाली, मेरे पति के दोस्त की पत्नी है जिसको की उसका पति चोद नही पाता था और वो मेरे पति से चुद्वाया करती थी. हम तीनो ने भी, मैने, मेरे पति ने और अंजू ने मेरी शादी के पहले एक बार सामूहिक संभोग भी किया था.) दोपहर का खाना खाने के बाद मैं उस से मिलने उस के घर गई. मेरी खुसकिस्मती थी कि उसके सास ससुर बाहर गये हुए थे, पति ऑफीस मे था और वो घर पर अकेली थी. वो मुझे देख कर बहुत आश्चर्यचकित और खुश हुई. पर मैने उदासी सॉफ सॉफ उसके चेहरे पर देखी.
मैं – हाई अंजू…….
अंजू – हाई जूली…….
मैं – क्या बात है ? सुस्त लग रही हो.
अंजू – हां यार. और तुम को पता है कि क्यों सुस्त हूँ.
मैं – हां. मुझे पता है. क्या अभी भी तुम्हारा पति वैसा ही है ?
अंजू – हां यार ! ये मेरी बदक़िस्मती है. वो हमेशा कोशिश करतें है और हमेशा ही अंदर डालने के पहले ही उनका पानी निकल जाता है. मुझे समझ मे नही आता कि क्या करूँ. लगता है मेरी किस्मत मे यही सब लिखा है.
मैं – फिर तुम संतुष्ट होने के लिए क्या करती हो ? क्या कोई दोस्त है चोद्ने वाला ?
अंजू – नहीं यार. कोई दोस्त नही है. मेरी सासू मा दिन भर घर मे रहती है और मुझे कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नही पड़ती. दोस्त कैसे बनेगा और बन भी गया तो बहुत मुश्किल है उस से चुद्वाना. मैं तो रात को बिस्तर मे अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करके ही अपनी जलन मिटाती हूँ.
मुझे उसकी बातें सुन कर बहुत दुख हुआ. एक सुंदर, जवान, शादीशुदा औरत, पर चुदाई के लिए तरसती है.
मैने उसको बाहों मे भर्लिया तो उसने भी मुझे जाकड़ लिया. मैं महसूस कर रही थी कि वो बहुत ही गरम है, सेक्सी है. मेरे दिमाग़ ने मुझसे कहा कि ये अच्छा मौका है दो सेक्सी औरतों के बीच मे चुदाई का खेल खेलने का.
मैं बोली – तुम्हारी सासू मा कब तक आएगी ?
अंजू – शायद शाम तक. सासू मा और ससुरजी, दोनो किसी सगे वाले के घर गये है.
समय हमारे साथ था. हम दोनो के अंदर चुदाई का शोला भड़कने लगा. दो सेक्सी औरतें भी आपस मे चुदाई का पूरा आनंद ले सकती है. अंजू मेरी तरफ देख कर मुस्कराई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद किया और हम दोनो उसके बेडरूम मे आ गई.
Re: जुली को मिल गई मूली
हम दोनो को अपने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा. मैने अपने कपड़े संभाल कर सोफा पर रख दिए क्यों कि मुझे वही कपड़े पहन कर चुदाई के बाद अपने घर जाना था. मैं नही चाहती थी कि मेरे कपड़े देख कर किसी को पता चले कि मैं चुद कर या चोद कर आ रही हूँ.
वो भी चुदाई के लिए मेरी तरह प्यासी थी और उसने मुझे पकड़ कर मेरे नंगे बदन को बिस्तर पर खींच लिया. मैने अपने होंठ उसके रसीले, गरम होठों पर रख दिए और हम एक बहुत गहरे, गरम और लंबे चुंबन मे खो गयी. चुंबन के दौरान मैं उसकी, मेरे से ज़रा छ्होटी चुचियों से खेल रही थी और वो मेरी चुचयों और निपल्स को दबाने और मसल्ने लगी. मैने महसूस किया कि चुदाई हमारे दिमाग़ पर च्छा गई और उत्तर मे हम दोनो की चूत अपने ही रस से गीली होने लगी. हमारे प्यार की जगह, प्यार का रास्ता चुदाई की चाहत मे भीग कर गीला हो गया.
मेरी पहले से कड़क हो गई निपल को अंजू ने अपने मूह मे लिया और उसे किसी बच्चे की तरह चूसने लगी. मेरी दूसरी चुचि और निपल उस के हाथ मे खिलोना बन चुकी थी. मेरी चुचियाँ और मेरी निपल्स रोज ही मेरे पति द्वारा चूसी जाती है और मैं हमेशा ही अपनी चुचि चुसाइ का मज़ा लेती हूँ.
लेकिन, अब जब अंजू मेरी चुचि चूस रही थी और उनको दबा रही थी, मसल रही थी तो एक अलग प्रकार का आनंद आ रहा था. अंजू तो इतनी गरम हो चुकी थी और चुदाई की इतनी प्यासी थी कि उसने मेरी निपल पर अपने दाँतों से काट ही लिया. ऐसा लग रहा था कि वो मेरे बदन मे समा जाना चाहती है. कुछ देर तक वो मेरी चुचियाँ चुस्ती रही और फिर मैने भी उसकी चुचियाँ चूस कर उस को चुदाई के लिए एकदम गरम कार्डिया. अंजू ने अपनी प्यारी सी, कम चुदि, गीली, रसीली चूत मेरी चूत से रगड़नी शुरू कर दी.
हम दोनो की ही फुद्दियो से रस छलक रहा था और हमारी टाँगों के जोड़ पर दोनो चूत से निकला रस आपस मे मिल गया था.
मैने अपना हाथ उसकी प्यारी सी चूत की तरफ बढ़ाया और हल्के से उसकी मुलायम रसीली चूत को छुआ. मेरे हाथ से उसकी चूत छुते ही वो तो जैसे हवा मे उच्छल पड़ी. ऐसा शायद इसलिए हुआ था कि उसकी चूत को किसी और ने बहुत दिनों बाद हाथ लगाया था. उसका पति तो वैसे ही ना मर्द था, और वो खुद ही अपनी चूत मे उंगली करके शांत होती थी.
मुझे उस की चूत बिना देखे ही, सिर्फ़ छुने से ही पता चल चुका था कि उस की फूली हुई चूत सफाचट है, बिल्कुल मेरी जैसी.
हम दोनो ही अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नहीं सकी और हम बेताब थी अपना लेज़्बीयन खेल खेलने के लिए. हम अब लेज़्बीयन चुदाई की 69 पोज़िशन मे आ चुकी थी. 69 पोज़िशन एक उत्तम पोज़िशन है सब के लिए. अब अंजू की चूत मेरी आँखों के सामने और मेरी चूत अंजू की आँखों के सामने थी. यहाँ मैं ये ज़रूर लिखना चाहूँगी कि अंजू की चूत बहुत ही प्यारी, छ्होटी सी, बहुत मासूम और उसकी चूत के होंठ आपस मे पूरी तरह जुड़े हुए है. एक छ्होटी सी, बहुत ही कम चुदि चूत, जैसे अंजू की चूत है, से खेलने का अपना अलग ही मज़ा है. सबसे पहले मैने उसकी चूत पर एक प्यारा सा चुंबन दिया और उसकी चूत से निकलने वाले रस को चखा. अंजू भी लगातार मेरी रसीली गीली चूत को चूसे जा रही थी. मैने अपने होंठ उसकी चूत पर रखते हुए अपनी जीभ अंदर डाल कर उपर नीचे घुमाई और उसे जैसे बिजली का झटका लगा जब मैने उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छुआ. मैने तुरंत ही इसका असर देखा. वो काँपने लगी, पैरों को पटकने लगी और अपनी चूत को मेरे मूह पर और दबाने लगी. मैं उसकी सुडौल गंद पर, गंद की दरार पर, गंद की गोलाईयों पर हाथ घूमते हुए देखा कि उस की गंद का छेद बहुत ही छ्होटा सा, प्यारा सा और भूरे रंग का था. मैने अपनी बीच की उंगली अपने मूह मे ले कर गीली की और थोड़ा थूक उसकी गंद के छेद पर भी लगाया. मेरी उंगली की मौजूदगी अपनी गंद पर महसूस करते ही उसकी गंद का छेद अपने आप ही भींच गया. मैने अपनी उंगली उसकी चूत पर ले जा कर उसकी चूत से निकलते हुए रस को भी उसकी गंद के छेद पर लगाया ताकि उसकी गंद का छेद और चिकना हो जाए.
इसी बीच, वो तो जैसे मेरी फुददी को खा रही थी और उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल दी थी. अंजू ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद्ना भी शुरू कर्दिया. उस के हाथ मेरी गोल गोल गंद पर घूम रहे थे. मैने अपनी बीच की उंगली उसके भींचे हुए गंद के छेद पर रखकर दबाई तो मेरी उंगली थोड़ी सी उसकी गंद मे घुस गई और वो हवा मे उच्छल पड़ी. और इसके जवाब मे वो मेरी चूत को अपनी जीभ से और ज़ोर से, और तेज़ी से चोद्ने लगी. उस की गंद मे मेरी केवल थोड़ी सी ही उंगली गई थी क्यों कि उसकी गंद का छेद बहुत छ्होटा था. जब उसने अपनी गंद का छेद थोड़ा ढीला छ्चोड़ा तो मेरे लिए उसकी गंद मे उंगली डालना आसान हो गया. धीरे धीरे मैने करीब अपनी आधी उंगली उसकी गंद मे डाल दी. साथ ही साथ मैने भी अब उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल दी थी. अब मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से और उसकी गंद को अपनी उंगली डाल कर चोद्ने लगी.
वो भी चुदाई के लिए मेरी तरह प्यासी थी और उसने मुझे पकड़ कर मेरे नंगे बदन को बिस्तर पर खींच लिया. मैने अपने होंठ उसके रसीले, गरम होठों पर रख दिए और हम एक बहुत गहरे, गरम और लंबे चुंबन मे खो गयी. चुंबन के दौरान मैं उसकी, मेरे से ज़रा छ्होटी चुचियों से खेल रही थी और वो मेरी चुचयों और निपल्स को दबाने और मसल्ने लगी. मैने महसूस किया कि चुदाई हमारे दिमाग़ पर च्छा गई और उत्तर मे हम दोनो की चूत अपने ही रस से गीली होने लगी. हमारे प्यार की जगह, प्यार का रास्ता चुदाई की चाहत मे भीग कर गीला हो गया.
मेरी पहले से कड़क हो गई निपल को अंजू ने अपने मूह मे लिया और उसे किसी बच्चे की तरह चूसने लगी. मेरी दूसरी चुचि और निपल उस के हाथ मे खिलोना बन चुकी थी. मेरी चुचियाँ और मेरी निपल्स रोज ही मेरे पति द्वारा चूसी जाती है और मैं हमेशा ही अपनी चुचि चुसाइ का मज़ा लेती हूँ.
लेकिन, अब जब अंजू मेरी चुचि चूस रही थी और उनको दबा रही थी, मसल रही थी तो एक अलग प्रकार का आनंद आ रहा था. अंजू तो इतनी गरम हो चुकी थी और चुदाई की इतनी प्यासी थी कि उसने मेरी निपल पर अपने दाँतों से काट ही लिया. ऐसा लग रहा था कि वो मेरे बदन मे समा जाना चाहती है. कुछ देर तक वो मेरी चुचियाँ चुस्ती रही और फिर मैने भी उसकी चुचियाँ चूस कर उस को चुदाई के लिए एकदम गरम कार्डिया. अंजू ने अपनी प्यारी सी, कम चुदि, गीली, रसीली चूत मेरी चूत से रगड़नी शुरू कर दी.
हम दोनो की ही फुद्दियो से रस छलक रहा था और हमारी टाँगों के जोड़ पर दोनो चूत से निकला रस आपस मे मिल गया था.
मैने अपना हाथ उसकी प्यारी सी चूत की तरफ बढ़ाया और हल्के से उसकी मुलायम रसीली चूत को छुआ. मेरे हाथ से उसकी चूत छुते ही वो तो जैसे हवा मे उच्छल पड़ी. ऐसा शायद इसलिए हुआ था कि उसकी चूत को किसी और ने बहुत दिनों बाद हाथ लगाया था. उसका पति तो वैसे ही ना मर्द था, और वो खुद ही अपनी चूत मे उंगली करके शांत होती थी.
मुझे उस की चूत बिना देखे ही, सिर्फ़ छुने से ही पता चल चुका था कि उस की फूली हुई चूत सफाचट है, बिल्कुल मेरी जैसी.
हम दोनो ही अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नहीं सकी और हम बेताब थी अपना लेज़्बीयन खेल खेलने के लिए. हम अब लेज़्बीयन चुदाई की 69 पोज़िशन मे आ चुकी थी. 69 पोज़िशन एक उत्तम पोज़िशन है सब के लिए. अब अंजू की चूत मेरी आँखों के सामने और मेरी चूत अंजू की आँखों के सामने थी. यहाँ मैं ये ज़रूर लिखना चाहूँगी कि अंजू की चूत बहुत ही प्यारी, छ्होटी सी, बहुत मासूम और उसकी चूत के होंठ आपस मे पूरी तरह जुड़े हुए है. एक छ्होटी सी, बहुत ही कम चुदि चूत, जैसे अंजू की चूत है, से खेलने का अपना अलग ही मज़ा है. सबसे पहले मैने उसकी चूत पर एक प्यारा सा चुंबन दिया और उसकी चूत से निकलने वाले रस को चखा. अंजू भी लगातार मेरी रसीली गीली चूत को चूसे जा रही थी. मैने अपने होंठ उसकी चूत पर रखते हुए अपनी जीभ अंदर डाल कर उपर नीचे घुमाई और उसे जैसे बिजली का झटका लगा जब मैने उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छुआ. मैने तुरंत ही इसका असर देखा. वो काँपने लगी, पैरों को पटकने लगी और अपनी चूत को मेरे मूह पर और दबाने लगी. मैं उसकी सुडौल गंद पर, गंद की दरार पर, गंद की गोलाईयों पर हाथ घूमते हुए देखा कि उस की गंद का छेद बहुत ही छ्होटा सा, प्यारा सा और भूरे रंग का था. मैने अपनी बीच की उंगली अपने मूह मे ले कर गीली की और थोड़ा थूक उसकी गंद के छेद पर भी लगाया. मेरी उंगली की मौजूदगी अपनी गंद पर महसूस करते ही उसकी गंद का छेद अपने आप ही भींच गया. मैने अपनी उंगली उसकी चूत पर ले जा कर उसकी चूत से निकलते हुए रस को भी उसकी गंद के छेद पर लगाया ताकि उसकी गंद का छेद और चिकना हो जाए.
इसी बीच, वो तो जैसे मेरी फुददी को खा रही थी और उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल दी थी. अंजू ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद्ना भी शुरू कर्दिया. उस के हाथ मेरी गोल गोल गंद पर घूम रहे थे. मैने अपनी बीच की उंगली उसके भींचे हुए गंद के छेद पर रखकर दबाई तो मेरी उंगली थोड़ी सी उसकी गंद मे घुस गई और वो हवा मे उच्छल पड़ी. और इसके जवाब मे वो मेरी चूत को अपनी जीभ से और ज़ोर से, और तेज़ी से चोद्ने लगी. उस की गंद मे मेरी केवल थोड़ी सी ही उंगली गई थी क्यों कि उसकी गंद का छेद बहुत छ्होटा था. जब उसने अपनी गंद का छेद थोड़ा ढीला छ्चोड़ा तो मेरे लिए उसकी गंद मे उंगली डालना आसान हो गया. धीरे धीरे मैने करीब अपनी आधी उंगली उसकी गंद मे डाल दी. साथ ही साथ मैने भी अब उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल दी थी. अब मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से और उसकी गंद को अपनी उंगली डाल कर चोद्ने लगी.