गहरी चाल compleet

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rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 05 Nov 2014 22:47

"milord!gumshuda ki baramadgi shatrujeet singh ke farmhouse se hui hai,natthu ram bhi keh raha hai ki use agva karne vale inka naam le rahe the,is mamle ki teh tak jane ke liye police ko inse puchh-tachh karni hogi & iske liye main aapse darkhast karta hu ki shatrujeet singh ko police hirasat me lene ki ijazat di jaye.",sarkari vakil ne apni dalil pesh ki.

"milord!kewal baramadgi & kuchh anjan logo ke naam lene se ye kaha se sabit ho jata hai ki mere muwakkil hi doshi hain.natthu ram ne ye to nahi kaha ki khud shatrujeet singh ne use agva kiya tha,usne agva karne valo ke munh se unka naam suna tha.koi mere client ko phansane ki koshish kar raha hai varna aap hi batayen sir,kya koi mujrim itni badi galti kar sakta hai ki har jagah apna naam ka prachar karta chale.phir bhi,maine apne client ki agrim zamanat le li hai,ye hain uske kagzat.thank you,sir.",usne kagzat court peon ko thama diye.

"milord!mulzim natthu ram ko dhamkata aa raha tha-.."

"objection!milord..",kamini boli,"..vakil sahab mere muwakkil pe bebuniyad ilzam laga rahe hain.natthu ram ne 1 bar bhi apne kisi bayan me ye nahi kaha hai ki use shatrujeet singh ne dhamkaya hai."

"objection sustained."

"main mafi chahta hu,milord.mulzim ne natthu ram pe ghar bechne ke liye dabav dala tha.natthu ram ke inkar se baukhla kar use darane ki garaj se usne aisa kiya hai."

"milord!jab mere muwakkil ne aaj tak use kabhi bhi dhamki tak nahi dit o fir vo achanak use agva kyu karayega jab ki vo badi aasani se kanoon ke sahare uske magan ka kabza pa sakta tha.",apni-2 dalilen pesh karne ke baad dono vakil judge ke failse ka intezar karne lage.

"mujhe shatrujeet singh ki agrim zamanat ki arzi kharij karne ki koi mazboot vajah nazar nahi aati,is liye abhi police unhe hirasat me nahi le sakti,lekin adalat unhe ye hidayat deti hai ki vo police ki karvayi me pura sahyog de.police unse kabhi hi puchh-tachh kar sakti hai,magar iskel liye police ko unhe kam se kam 2 ghante pehle ittila deni hogi.is case ki agli sunwai tak mr.singh bina adalat ki ijazat ke shahar ke bahar nahi jayenge.caretaker ko police hirasat me rakh sakti hai.",judge ke faisle ko sun sab court se bahar aaye jaha reporters & tamashbeeno ka hujum umda hua tha.unke sawalo ko nazarandaz karte hue shatrujeet & baki log apni gadiyo me chadh kar vaha se nikal liye.

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kamini & puranik apne-2 office chale gaye the & pasha & shatrujeet 1 car me kahi ja rahe the,car pasha chala raha tha,"site pe hi chalna hai na bhai?"

"haan,beta.",dono case ke bare me baate karne lage & shayad isi vajah se unka dhayn us kali ford endeavour pe nahi gaya joki traffic ki bheed-bhad ka fayda utha ke unke kuchh peechhe chal rahi thi.

site pe bahut tezi se kaam chal raha tha,badi-2 machines & bahut sare mazdoor engineers ki dekh-rekh me us imarat pe kaam kar rahe the.1 badi si tower crane 1 taraf se cement ki boriya uthati & use ban rahi imarat ki dasvi manzil pe pahuncha rahi thi.site ke supwervisor se baat karne ke baad pasha bathroom chala gaya & shatrujeet akela hi ghumne laga.uske zehan me natthu ram ke case ki hi baat ghum rahi thi.vo apne khayalo me khoya hua tha ki tabhi use peechhe se kisi ne zor ka dhakka diya & vo ret ke dher pe gir pada,vo dhakka dene vala shakhs uske upar tha.shatrujeet kuchh samajhta thik usi waqt uske girte hi cement ki 5 boriya vahi pe giri jaha pe vo pehle khada tha.

uski samajh me sab aa gaya,is insan ne uski jaan bachayi thi.vo kapdo se dhool jhaadta utha & hath badha ke us anjan aadmi ko uthaya,tab tak vaha kaam karne vale & pasha uske paas bhagte hue aa chuke the.shatrujeet ne us aadmi ko sahara de ke khada kiya,"shukriya."

vo aadmi bas haanfe ja raha tha,uske kapdo pe girne se dhool jam lag gayi thi magar fir bhi saaf zahir tha ki vo pehle se hi bade purane & maile hain.uski dadhi bhi badhi hui thi & vo kafi kamzor lag raha tha,"tum yaha kaam karte ho?,jawab me usne inkar me sar hilaya.shatrujeet apni jeb me hath dalta us se pehle hi pasha ne apni jeb se wallet nikal ke uske asre paise us aami ki or badhaye,"na...maine jo kiya insaniyat ke nate..main ye paise nahi loonga..",vo haanfta hua ghuma & 4 kadam chal ke chakkar kha ke gir gaya.sabhi daud ke uske kareeb pahunche,shatrujeet ne use uthaya,"pasha,ye bimar lagta hai..dekho behosh to nahi hua par fir bhi aankhe nahi khol pa raha hai.."

"haan,bhai.ise hospital le chalte hain."

"haan,chal."


rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 05 Nov 2014 22:49

गहरी चाल पार्ट--19

उस काली फ़ोर्ड एंडेवर मे बैठे माधो & जगबीर ठुकराल ने ये देखा & वाहा से निकल गये,"सब ठीक जा रहा है,माधो."

"हां,हुज़ूर."

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"मिस्टर.सिंग,इस आदमी ने 2 दीनो से कुच्छ नही खाया है,केवल पानी पिया है.इसकी हालत देखते हुए मुझे लगता है की उसके पहले भी इसने ठीक से खाया-पिया नही है.इसी वजह से ये बहुत कमज़ोर हो गया है & अभी इसे 3-4 दीनो तक तो यहा रहना ही होगा.",डॉक्टर शत्रुजीत सिंग & अब्दुल पाशा को उस अंजान शख्स की हालत से वाकिफ़ करा रहा था.

"आप जो ठीक समझे वो करे,डॉक्टर.इसके इलाज का पूरा खर्च मैं दूँगा.",उसने डॉक्टर से हाथ मिलाया & दोनो वाहा से निकल आए.

दूसरे दिन सुबह दोनो भाई फिर हॉस्पिटल पहुँचे तो देखा कि वो आदमी जगा हुआ था,"अब तबीयत कैसी है तुम्हारी?",शत्रुजीत ने उस से पुचछा.

"जी,अब पहले से बेहतर लग रहा है."

"मेरा नाम शत्रुजीत सिंग है & ये मेरा भाई अब्दुल पाशा.",उसने सर हिला के दोनो का अभिवादन किया.

"मेरा नाम टोनी है."

"टोनी,तुम क्या काम करते हो?"

"कुच्छ नही.",वो खिड़की से बाहर देखने लगा.दोनो भाइयो ने 1 दूसरे की तरफ देखा,शत्रुजीत ने बात आगे बढ़ाई,"तुम यही पंचमहल के हो?",उसने इनकार मे सर हिला दिया.शत्रुजीत & पाशा 1-1 कुर्सी खींच कर बैठ गये.

"टोनी,हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं.तुम्हारी इस हालत की वजह अगर तुम ना बताना चाहो तो भी हुमारे इरादे से हम नही डिगेंगे.फिर भी,अगर तुम अपने बारे मे हमे सब बता दो तो हमे तुम्हारी मदद करने मे शायद आसानी ही होगी."

"या शायद आप भी मुझे नीची नज़र से देखने लगेंगे.",टोनी के होंठो पे फीकी सी मुस्कान थी.

"नही,हम ऐसा नही करेंगे.तुम अपनी कहानी सूनाओ.",टोनी ने 1 लंबी सांस भरी & फिर शत्रुजीत की ओर देखने लगा.

"मेरा पूरा नाम अँतोनी डाइयास है & मैं गोआ का रहने वाला हू.स्कूल के दीनो से ही मुझे आक्टिंग का शौक रहा है & बड़ा होते-2 ये शौक जुनून बन गया.गोआ मे नाटको & 1-2 टीवी प्रोग्रॅम्स मे मेरी आक्टिंग की लोगो ने तारीफ की & मैं अपने बूढ़े मा-बाप को छ्चोड़ किस्मत आज़माने बोम्बे चला गया.वाहा बहुत दीनो तक आएडियाँ घिसने के बावजूद मुझे कोई कामयाबी हासिल नही हुई & मैं मायूस हो गया.मायूसी मुझे कब शराब & ड्रग्स की ओर ले गयी मुझे याद नही."

"..इस दौरान मैं 1 बड़ी प्यारी लड़की से मिला,हम दोनो ने शादी भी कर ली पर वो मेरी बुरी आदते च्छुडा नही पाई.अब ज़िंदगी चलाने के लिए पैसे तो चाहिए थे ना,कभी कही छोटा-मोटा रोल मिल जाता तो कर लेता नही तो विदेशी सैलानियो को चरस,सस्ते होटेल रूम या फिर उनकी हवस मिटाने के लिए लड़के-लड़किया दिलवा देता.इस काम मे मेरी अछी अँग्रेज़ी & 1-2 और विदेशी ज़बानो का काम चलाऊ ज्ञान मेरी बहुत मदद करता.मगर यही काम मुझे क़ानून की नज़र मे मुजरिम बनाता था.",दोनो गौर से उसकी बात सुन रहे थे.

"..पोलीस लॉक-अप आना-जान तो मेरे लिए आम बात हो गयी.इस बीच मेरे मा-बाप भी गुज़र गये & 1 दिन मेरी हर्कतो से परेशान हो मेरी बीवी भी मेरे बेटे के साथ मुझे छ्चोड़ गयी.उस दिन मुझे एहसास हुआ की मैं कितनी ग़लत ज़िंदगी जी रहा था.अगर चाहता तो मैं शराफ़त से भी चार पैसे कमा सकता था,मगर नही मुझे तो नशा भी करना था ना!..& उसके लिए जो पैसे चाहिए थे वो शराफ़त की कमाई से तो नही मिलते.",उसका गला भर आया था & वो 1 बार फिर खिड़की के बाहर देखने लगा.

"..मैने अपने बीवी-बच्चे को बहुत ढूनदा पर वो नही मिले...इधर-उधर भटकता हुआ यहा पहुँचा & फिर आपसे मुलाकात हो गयी.",दोनो खामोशी से उसे देख रहे थे.

"टोनी,अब तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही.तुमने अपनी मुश्किल दास्तान सुनके मेरी नज़र मे और ऊँचे ही हो गये हो.1 इंसान जो 2 दिन से भूखा हो & फिर भी वो हज़ारो रुपये ठुकरा दे,वो इंसान ग़लत नही हो सकता...हां!तुम भटक गये थे मगर अब सही रास्ते पे हो.तुम्हे मैं कोई ना कोई काम दिलवा दूँगा लेकिन शर्त ये है की तुम नशे से दूर रहोगे."

"मुझे मंज़ूर है,साहब."

"तो ठीक है,अब तुम आराम करो.यहा से छुट्टी मिलते ही तुम हुमारे साथ काम करोगे.",दोनो वाहा से निकल गये.

"अब्दुल..",दोनो कार मे बैठ गये.

"हां,भाई.पता तो लगे ये सच बोल रहा है की नही."

"ठीक है,भाई.",उसने कार गियर मे डाली,"..मगर भाई.."

"हां.."

"काम क्या दोगे उसे?"

"ड्राइवर बना लूँगा."

"हैं?!"

"हां...आबे तू कब तक ड्राइवरी करता रहेगा....& फिर सोच ऐसा ड्राइवर कहा मिलेगा जो 24 घंटे बस हमारी खिदमत मे लगा रहेगा!",दोनो हंस पड़े.ये 1 ऐसा लम्हा था जो कभी-2 ही आता था-पाशा को हंसते शायद कभी ही किसी ने देखा हो.

rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 05 Nov 2014 22:49

सुबह चूत मे कुच्छ महसूस होने पे कामिनी की नींद खुली,उसने देखा कारण उसके पेट पे हाथ फेरते हुआ उसकी चूत चाट रहा है.कल रात को वो करण के साथ उसके घर आ गयी थी & उसके बाद दोनो ने पूरी रात जम कर चुदाई की थी.उसने प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा तो करण की जीभ उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगी,"..उउम्म्म्मम...!"

विवेक उसे कभी भी सुबह को नही चोद्ता था,दोनो को काम पे जाने की इतनी जल्दी होती थी कि वो उठ के बस तैय्यार हो कोर्ट पहुँचने की हड़बड़ाहट मे रहते थे.मगर उसके तीनो आशिक़ तो जैसे उसे बस दिन हो या रात अपने बिस्तर मे अपनी बाहो मे सुलाए रखना चाहते थे!

उसकी चूत गीली हो चुकी थी & उसमे वही मीठा तनाव बन चुका था जोकि उसे झड़ने के पहले महसूस होता था.उसने करण के बाल पकड़ कर हल्के से खींचा,करण उसका इशारा समझ गया.वो उसकी चूत से मुँह हटा उसके पेट को चूमते हुए उपर आने लगा.कामिनी ने टांगे फैलाते हुए उसे बाहो मे भर लिया.

करण उसकी चूचियो के कड़े हो चुके निपल्स को चूसने के बाद उसके चेहरे को हाथो मे ले चूमने लगा.कामिनी भी गर्मजोशी से उसकी किस का जवाब देने लगी.उसकी बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी,उसने अपना बाया हाथ करण की पीठ पे ही रखा & दाए को दोनो के जिस्मो के बीच ले जाके उसके लंड को पकड़ अपनी चूत का रास्ता दिखाया.

"..ऊओउउइई...!",करण ने 1 ही झटके मे पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत मे घुसा दिया.कामिनी के हाथ उसके सर से ले के उसकी गंद तक फिसलने लगे.करण कभी उसके चेहरे को चूमता तो कभी चूचियो को.उसके हाथ तो बदस्तूर उन बड़ी गोलैयो को दबाए जा रहे थे.

दोनो की ही मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी.कामिनी के नाख़ून करण की गंद पे निशान छ्चोड़ रहे थे तो करण के धक्के भी बड़े गहरे हो गये थे.कामिनी ने अपनी टांगे उसकी कमर पे कस दी & उसकी गंद मे नाख़ून धँसते हुए उठाते हुए करण के बाए कान मे पागलो की तरह जीभ फिराने लगी,उसकी चूत करण के लंड पे और कस गयी थी.करण समझ गया की उसकी प्रेमिका अपनी मंज़िल तक पहुँच गयी है,उसने उसी वक़्त अपने गाढ़े पानी को उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया & अपना सफ़र भी पूरा कर लिया.

झड़ने के बाद दोनो वैसे ही 1 दूसरे को बाहो मे कसे प्यार से 1 दूसरे के चेहरे को चूम रहे थे की कामिनी का मोबाइल बजा,"हेलो!",दूसरी तरफ षत्रुजीत सिंग था.

"कामिनी,क्या तुम कोर्ट जाने से पहले सिटी हॉस्पिटल आ सकती हो?"

"हॉस्पिटल!सब ठीक है ना?",करण अभी भी उसके उपर चढ़ा उसके बाए निपल पे जीभ फिरा रहा था.

"हां-2,घबराने की कोई बात नही है...शायद हमे अपने केस के लिए 1 बड़ा अहम गवाह मिल गया है."

"ओके.मैं आ जाऊंगी.",कामिनी ने मोबाइल किनारे रखा,"..चलो हटो अब...ऑफीस नही जाना?"

"दिल तो नही कर रहा.",करण ने मुँह हटाया तो हाथ को निपल पे लगा दिया.

"मगर फिर भी जाना तो पड़ेगा!".कामिनी ने मुस्कुरा के उसके हाथ को अपनी छाती से अलग किया & उसे अपने उपर से उतार बाथरूम मे चली गयी.

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"ये आदमी 14 तारीख को बहार गूँज के 1 होटेल मे था,मैने अपनी आँखो से देखा है,सर.",आंतनी डाइयास उर्फ टोनी हॅयास्पिटल बेड पे लेटा शत्रुजीत से मुखातिब था.कामिनी & अब्दुल पाशा गौर से उसकी बात सुन रहे थे.शत्रुजीत पाशा के साथ जब सवेरे उसे देखने आया तो वो टीवी पे न्यूज़ देख रहा था & उसी मे जब नत्थू राम वाली खबर मे नत्थू राम के चेहरा दिखाया गया तो वो चौंक पड़ा.

"..मैं रेलवे स्टेशन से निकल कर इधर-उधर भटक रहा था.अब बहार गूँज कैसा बदनाम इलाक़ा है ये तो आप सब मुझसे बेहतर जानते होंगे-आख़िर आप सब तो यही के हैं.14 तारीख को वही के 1 फूटपाथ के किनारे अख़बार बिच्छा के पड़ा हुआ था.उसी वक़्त ये आदमी सामने के होटेल से निकला & शराब की दुकान पे गया.1 बॉटल खरीद के उसने कुर्ते की जेब मे डाल ली & फिर बगल मे खड़े अंडे के ठेले से उबले अंडे खरीदने लगा.."

"..अंडे वाले को पैसे देने के लिए उसने जेब से पैसे निकाले तो 1 हवा का झोंका आया & नोट उसके हाथो से उड़ गये,1 50 का नोट मेरे पास भी आया.मैने वो उठा के उसे वापस किया तो वो बाकी पैसे भी सड़क से उठा अंडे वाले को उसकी कीमत चुकाने के बाद मुझे शुक्रिया अदा कर चला गया."

क्रमशः.........................


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