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गतान्क से आगे.....................
मेरे जांघे चूत सब अभी के वीर्ये और मेरे पेशाब से सनी हुई थी…मेने मुँह बनाते हुए अभी को कहा
मे: देखे ना बाबू जी आप ने क्या कर दिया….
और मे उठ कर नल को चला कर अपने चूत और जाँघो को सॉफ करने लगी…अभी मेरे पीछे खड़ा अपने लंड को हाथ मे थामें मूत रहा था…मे अपने आप को सॉफ करके बाहर आ गयी….थोड़ी देर बाद अभी भी अपने आप के बदन को सॉफ करके मेरी बगल मे आकर लेट गया….
मे: बाबू जी आज तो आप ने हद कर दी…
अभी: क्यों क्या हुआ….
मे: ऐसे भी कोई करता है….
अभी: क्यों नही करते…इससे चुदाई का मज़ा और बढ़ जाता है…
मे: पर मुझे तो मज़ा नही आया (जान बुझ कर अभी को चिड़ाते हुए)
अभी: तो फिर से तेरी भोसड़ी की ठुकाई करूँ…
मे: नही अभी नही….पहले ये बताओ कमला के बाद आप ने किस की चूत को चोदा…
अभी: किसी को बताओगि तो नही…..
मे: नही बताउन्गि…बताओ ना….
अभी: बता तो रहा हूँ ज़रा सबर करो…..
अभी ये तब की बात है…जब मे 12थ के एग्ज़ॅम देने के बाद अपने एंट्रेन्स एग्ज़ॅम के तैयारी कर रहा था…मेरे एंट्रेन्स एग्ज़ॅम का सेंटर अमृतसर मे आया था…मुझे वहाँ एग्ज़ॅम देने जाना था…मेरे तीन एग्ज़ॅम होने थे…इसलिए मुझे वहाँ 5 दिन रुकना था… और वहाँ पर मेरे मामा जी रहते थे.
पापा ने मोहन मामा जी से फोन पर बात करके बता दिया था…और मोहन मामा ने पापा से कहा…कि अभी हमारे घर पर रुक सकता हैं… मोहन मामा जी मेरे सगे मामा नही थे. वो मेरी मा के कज़िन थे. दूर की रिस्तेदारी मे. इसलिए मे पहली बार उनके घर जा रहा था. बस एक दो बार सिर्फ़ मोहन मामा जी को ही फॅमिली फंक्षन्स मे देखा था. ना तो उनकी वाइफ को मेने देखा था. और ना ही बच्चो को
दो दिन बाद मेरा पहला एग्ज़ॅम था…मे दोपहर को ट्रेन से अमृतसर पहुच गया…मोहन मामा बेसिकली कलकत्ता से थे..जब मे अमृतसर पहुचा…तो वो मुझे लेने स्टेशन पर आए हुए थे…मे उनको पहले भी देख चुका था…इसलिए उन्हे पहचानने मे कोई दिक्कत नही हुई…
मेने सबसे पहले उन्हे विश किया…और हम स्टेशन से बाहर आ गये…और मामा के स्कूटर पर उनके घर आ गये…मामा ने डोर बेल बजाई…थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी (मामी) नीलम ने डोर खोला…नीलम बिल्कुल टिपिकल बिंगाली औरत की तरहा थी…बड़ी-2 आँखें पतली कमर लंबे बाल. उसने येल्लो कलर के प्रिंटेड सारी पहनी हुई थी…नीलम तब 30 साल की थी…और दो बच्चो की मा थी…
मोहन: बेटा ये मेरी वाइफ है नीलम…अंदर आओ मे तुम्हें अपने बच्चो से मिलाता हूँ…
मे: नमस्ते मामी…
नीलम: नमस्ते…
मे मामा के साथ अंदर आ गया…उनके एक बेटा था…जो १२ का साल था…और एक बेटी जो१५साल की थी…दोनो स्कूल मे पढ़ते थे..
मामा: ये मेरा बेटा रवि और ये मेरे बेटी हेमा है…
मे: आप के बच्चे बहुत ही क्यूट हैं…
मोहन: नीलम ऊपेर वाला रूम सॉफ कर दिया ना…
नीलम: जी कर दिया है….
मोहन: आओ भी मेरे साथ आओ..तुम्हें तुम्हारा रूम दिखा दूं…
मे मामा के साथ ऊपेर आ गया…मामा ने रूम खोला, और हम दोनो रूम के अंदर आ गये…मामा ने मेरा बॅग बेड के पास रख दिया….
मामा: देखो बैठा ठीक है…किसी और चीज़ की ज़रूरत तो नही…
मेने रूम को देखा…रूम मे एक सिंगल बेड लगा हुआ था…और एक स्टडी टेबल भी था…रूम के साथ ही अटॅच्ड बाथरूम भी था…
मे: बिल्कुल पर्फेक्ट मामा…और किसी चीज़ की ज़रूरत नही…
मामा: तो ठीक है…चेंज करके फ्रेश हो जाओ…मे नीचे जाकर नीलम को खाना लगाने के लिए बोल देता हूँ…नीचे आकर खाना खा लेना…अब मे ऑफीस जा रहा हूँ.. रात को मिलेंगे
मे: ठीक है मामा जी…
और मामा के बाहर जाने के बाद मेने अपने बॅग्स से अपने लिए टीशर्ट और शॉर्ट निकाला..और बाथरूम मे घुस्स गया…और कपड़े उतार कर हाथ मुँह धोने लगा…मे कपड़े चेंज करके नीचे आ गया…
नीचे नीलम डिन्निंग टेबल पर खाना लगा रही थी…मुझे देखते ही बोली..
नीलम आओ बैठो … मे खाना ही परोस रही थी…
मे चेर पर बैठ गया…और खाना खाने लगा…इतने मे मामा का लड़का रवि मेरे पास आ गया…
रवि: भैया चलो वीडियो गेम खेलते हैं…मेरे पास बहुत सी हैं…
नीलम: (रवि को डाँटते हुए) क्या वीडियो गेम चलो जाकर होमवर्क करो…पहले भैया को खाना तो खाने दो…
मे: (रवि को उदास होते देख) क्यों डाँट रहे हैं आप.. आख़िर बच्चे हैं…
नीलम: नही ऐसी कोई बात नही…पहले आप खाना तो खा लो..
मे: ये आप मुझे आप -2 कह कर क्यों बात कर रही हैं…मे तो आप से बहुत छोटा हूँ…मेरा नाम अभी है, और आप मुझे अभी ही बुलाओ..
नीलम: ठीक है अभी…अब तो खाना शुरू करो…
मे खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे थोड़ी देर तक रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…रवि मुझ से थोड़े ही टाइम मे बहुत ही गुलमिल गया था…नीलम अपने घर के काम मे लगी हुई थी…थोड़ी देर बाद मे ऊपेर रूम मे आ गया..और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता ही नही चला…शाम के 6 बजे. नीलम मामी मुझे ऊपेर उठाने आई…जब मे उठा तो मुझे अपनी हालत का अंदाज़ा हुआ…मेरा लंड मेरे शॉर्ट मे एक दम तन कर तंबू बनाए हुए था…मे झेंप गया,और अपने सर को झुका लिया…मेने तिरछी नज़रों से नीलम मामी की ओर देखा…उसके होंटो पर हल्की सी मुस्कान थी…
नीलम: नीचे आ जाओ, चाइ बन गयी है,
मे: जी अभी आता हूँ….
मे बाथरूम मे घुस्स गया, और पेशाब करने लगा…पेशाब करने के बाद मेरा लंड सुस्त पढ़ गया…और मे हाथ धो कर नीचे आकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ट्रे मे कुछ स्नॅक्स और चाइ लेकर आई,और मेरे सामने टेबल पर रख दी…वो मुझसे नज़रें नही मिला रही थी…वो मूड कर वापिस जाने लगी..
मे: आप भी तो चाइ लो…
नीलम: जी मे चाइ नही पीती…
और नीलम वापिस किचन मे चली गयी…मेने चाइ पी, और फिर से रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…मेरा अच्छा टाइम पास हो रहा था…रात को 9 बजे मोहन मामा घर पर आ गये.हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे..
मामा: (खाना खाते हुए) नीलम तुम रोज सुबह अभी को 5 बजे उठा देना…ताकि वो सुबह उठ कर पढ़ाई कर सकें…और हां अगर किसी चीज़ के ज़रूरत हो तो बता देना..
नीलम: जी ठीक है….
मामा: और अभी तुम सुनो…तुम्हारा दिल तो लग गया यहाँ पर…
मे: जी मामा रवि के साथ कैसे टाइम पास हो गया…पता ही नही चला…
मामा: वो तो ठीक है…परसों तुम्हारा पहला एग्ज़ॅम है…अब एग्ज़ॅम की तैयारी शुरू कर देना…
मे: जी ठीक है मामा….
हम सब ने खाना खा लिया था…मे हाल मे बैठा टीवी देख रहा था…तभी मोहन मामा भी हाल मे आ गये..नीलम मामी किचन मे बर्तन सॉफ कर रही थी…
मोहन मामा मेरे पास आकर बैठ गये…वो एक बुक पढ़ रहे थी…उसका टाइटल था ब्रह्मचर्य…मे मामा के हाथ मे ऐसी बुक देख कर थोडा सा हैरान रह गया.. मे मामा के बारे मे बता दूं कि, उन्होने सीए किया था…वो अपने ऑफीस जाने से पहले रोज सुबह 5 से 9 बजे तक एक अकाउंट्स अक्द्ड़ेमी मे अकाउंट्स स्टूडेंट को कोचैंग भी देते थे…
मे सोफे पर बैठा मूवी देख रहा था…तभी नीलम मामी किचन से निकल कर अपने रूम मे गयी…और मामी ने मामा को रूम से आवाज़ दी…मामा बुक को सोफे पर रख कर रूम मे चले गये…मे उस बुक को देखने से अपने आप को रोक ना सका…और बुक उठा कर पढ़ने लगा…
उसमे ब्रह्मचर्य के बारे मे बताया गया था…उस बुक मे सेक्स को आदमी की सबसे बड़ी कमज़ोरी बताया गया था…तभी मुझे मामा के आने की आहट हुई..मेने जल्दी से बुक वापिस रख दी..और टीवी देखने लगा…
कुछ देर बैठने के बाद मुझे नींद आने लगी…और मे उठ कर अपने रूम मे आकर सो गया…
और मे उठ कर अपने रूम मे आकर सो गया…मामा ने मुझे ऊपेर जाने से पहले कहा था…कि ऊपेर जाकर 5 बजे का आलराम सेट कर लूँ…ताकि मे सुबह उठ कर पढ़ सकूँ…
पर मेने अलार्म नही लगाया..,.और ऐसे ही लेट गया…और मुझे नींद आ गयी…सुबह के 5 बजे मुझे नीलम मामी ने मेरे कंधे से हिला कर उठाया…
नीलम: उठो 5 बज गये हैं…उठ कर थोड़ा सा पढ़ लो…
मे अपनी आँखें माल्ता हुआ खड़ा हुआ…और बाथरूम मे घुस्स गया…मे जब फ्रेश हो कर बाहर आया, तो जो मेने देखा उसे देख कर मे एक दम से हैरान रह गया…नीलम मामी सामने मेरे बेड पर लेटी हुई थी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…उसकी बॉडी को देख मे पागल सा हो गया…उसकी वो पतली कमर ने मुझ पर नज़ाने के जादू सा कर दिया था..जो मे अपने होश को खो बैठा…
पीछे से उसकी गोरी नागिन सी बाल खाती हुई कमर को देख मेरा लंड एक दम से तन गया.. वो शायद नींद ना पूरी होने के कारण बेड पर लेटी सो गयी थी… मे एक बात और बता दूँ कि, मामा के सुबह 5 बजे कोचैंग सेंटर जाने से पहले नीलम मामी 4:30 बजे उठ कर उनके लिए चाइ बनाती थी…
ऐसे मे किसी की नींद कैसे पूरी हो सकती है…इसलिए वो यहीं सो गयी…शायदा कल रात से बहुत थक गई होंगी…मे ये सोच कर बेड पर आकर बैठ गया…और पीछे नीलम मामी के गदराए हुए मस्त बदन को देखने लगा
क्या मस्त और सेक्सी बदन था नीलम मामी का… 36 साइज़ की कसी हुई चुचिया…नीचे गतेला और स्लिम पेट और नागिन सी बाल खाती कमर उफ़फ्फ़ कूल्हे तो पूछो ही मत क्या गोल मटोल चूतड़ थे…मे अपने आपे से बाहर हो गया…नीलम को देख कर मेरा लंड एक दम से तन कर, मेरे शॉर्ट मे झटके खाने लगा…मेने विंडो से बाहर देखा…
बाहर अभी भी अंधेरा था…अब मेरे दिमाग़ मे वासना का तूफान उठ चुका था…मेने जल्दी से लाइट ऑफ की,और बेड के दूसरे साइड पर लेट गया…बेड सिंगल था. इसलिए मेरे और नीलम मामी के बीच सिर्फ़ 7-8 इंच का फासला था…
नीलम मामी के इतना करीब लेटे होने कारण…मेरा लंड मेरे अंडरवेर मे हलचल मचाए हुए था…अब मुझसे रहा नही जा रहा था…मे मामी के करीब खिसक गया..मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…मे डर रहा था..कि कही मामी जाग ना जाए… पर वासना के नशे मे आकर मे आगे खिसक गया…और नीलम मामी से एक दम सॅट गया…मेरा तना हुआ लंड अब नीलम मामी की सारी के ऊपेर से उसके चुतड़ों पर रगड़ खा रहा था…मे काफ़ी देर ऐसे ही लेटा रहा…जैसे मे नींद मे हूँ….
जब थोड़ी देर तक मामी नही हिली…तो मे हिम्मत करके और करीब खिसक गया…और मेरा लंड नीलम मामी की गांद से और सॅट गया…नीलम मामी ने सारी पहनी हुई थी..जिसके कारण मेरा लंड उनके चुतड़ों की दर्रार मे नही जा पा रहा था..पर वैसे ही लेटा-2 अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ कर नीलम मामी के गदराए हुए चुतड़ों पर रगड़ने लगा…
मे साथ मे मामी के ऊपेर नज़र जमाए हुए था…पर वो बिल्कुल शांत लेटी हुई थी..अब मेरा लंड बिकुल अकड़ चुका था…और मे झड़ने के बिकुल करीब था… मेने अपना एक हाथ नीलम मामी की चिकनी और मखमल जैसे गोरी कमर पर रख दिया…
इस बार नीलम मामी थोड़ा सा हिली..और फिर से शांत पड़ गयी…पर उसके हिलने से मेरा लंड नीलम की सारी को दबाता हुआ उसकी गांद की दर्रार मे थोड़ा सा धँस गया था.. मुझे ऐसे लगा. जैसे वो जान बुझ कर रही हैं…पर मे श्योर नही था… इसलिए मे वैसे ही लेटा रहा…
क्रमशः.................
मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet
Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी
-19
gataank se aage.....................
Mere jhangen choot sab abhi ke veerye aur mere peshab se sani hui thee…mee munh bante hue abhi ko kahan
Me: dekhe na babu jee aap ne kiya kar diya….
Aur me uth kar nal ko chala kar apne choot aur jaangho ko saaf karne lagee…abhi mere peeche khada apne lund ko hath me thamen moot raha tha…me apne aap ko saaf karke bahar aa gaye….thodi der baad abhi bhee apne aap ke badan ko saaf karke mere bagal me aakar let gaya….
Me: babu jee aaj to aap ne had kar dee…
Abhi: kyon kiya hua….
Me: aise bhee koi karta hai….
Abhi: kyon nahi karte…isse chudai ka majja aur badh jata hai…
Me: par mujhe to majja nahi aya (jaan buj kar abhi ko chidahate hue)
Abhi: to phir se teri bhosdi ke thukai karun…
Me: nahi abhee nahi….pehale ye baton kamla ke baat aap ne kisi ke choot ko choda…
Abhi: kisi ko batogee to nahi…..
Me: nahi batungee…bato na….
(Dosto me tusar ab agge jo likhane wala hun…wo kisi aur ka likha hua hai….ye incident mene kisi aur site par padha tha…aur mujhe padh kar bahut majja aya tha…aaj tak mene jo bhee stories padi hai…ye unme se sabse mast kar dene wali story hai…me baad me us story ko google par bahut search kiya….par wo mujhe nahi mili…shyad site walon ne hata dee thee…ab me aap ke samne wo story rakh raha hun abhi ke jubani)
Abhi: bata to raha hun jara sabar karo…..
Abhi ye tab ke baat hai…jab me 12th ke exam dene ke baad apne entrance exam ke taiyaari kar raha tha…mere entrance exam ka center amritsar me aya tha…mujhe wahan exam dene jana tha…mere teen exam hone thee…isliye mujhe wahan 5 din rukana tha… aur wahan par mere mama jee rehathe thee.
papa ne apne mohan mama jee se phone par baat karke bata diya tha…aur mohan mama ne papa se kaha…ki abhi humare ghar par ruk sakta hain… mohan mama jee mere sagge mama nahi thee. Wo mere maa ke cousin thee. Door ke ristedari me. Issliye me pehali baar unke ghar jaa raha tha. bus ek do baar sirf mohan mama jee ko hee family functions me dekha tha. na to unki wife ko mene dekha tha. aur na hee bachon ko
Do din baad mera pehla exam tha…me dophar ko train se amritsar phunch gaya…mohan mama basically culcutta se thee..jab me amritsar phuncha…to wo mujhe lene station par aye hue thee…me unko pehale bhee dekh chuka tha…isliye unhe pechane me koi dikkat nahi hui…
Mene sabse pehle unhe wish kiya…aur hum station se bahar aa gaye…aur mama ke scoter par unke ghar aa gaye…mama ne door bell bajai…thodi der baad unki patni (mami) neelam ne door khola…neelam bilkul typical Bengali aurat ke tarhan thee…badi-2 ankhen patli kamar lambe baal. Usne yellow color ke printed saree pehani hui thee…neelam tab 30 saal ke thee…aur do bachon ke maa thee…
Mohan: beta ye mere wife hai neelam…andar ao me tumhen apne bachon se milata hun…
Me: namste mami…
Neelam: namste…
Me mama ke sath andar aa gaya…unke ek beta tha…jo ** saal tha…aur ek beti jo ***saal ke thee…dono school me padhate thee..
Mama: ye mera beta ravi aur ye mere beti hema hai…
Me: aap ke bache bahut hee cute hain…
Mohan: neelam ooper wala room saaf kar diya na…
Neelam: jee kar diya hai….
Mohan: aao bhi mere sath ao..tumhen tumhara room dikha doon…
Me mama ke sath ooper aa gaya…mama ne room khola, aur hum dono room ke andar aa gaye…mama ne mera bag bed ke pass rakh diya….
Mama: dekho baitha theek hai…kisi aur cheez ki jaroorat to nahi…
Mee room ko dekha…room me ek single bed laga hua tha…aur ek study table bhee tha…room ke sath hee attached bathroom bhee tha…
Me: bilkul perfect mama…aur kisi ke cheez ke jaroorat nahi…
Mama: to theek hai…change karke fresh ho jao…me neeche jakar neelam ko khanna lagane ke liye bol deta hun…neeche aakar khanna kha lena…ab me office ja raha hun.. raat ko milnegee
Me: theek hai mama jee…
Aur mama ke bahar jane ke baad mee apne bags se apne liye tshirt aur short nikala..aur bathroom me ghuss gaya…aur kapde utar kar hath munh dhone laga…me kapde change karke neeche aa gaya…
Neeche neelam dinning table par khanna laga rahi thee…mujhe dekhate hee boli..
Neelam aye baithe aap… me khanna hee paros rahi thee…
Me chair par baith gaya…aur khanna khane laga…itne me mama ka ladka ravi mere pass aa gaya…
Ravi: bhaya chalo video game khelte hain…mere pass bahut see hain…
Neelam: (ravi ko danate hue) kiya video game chalo jakar homework karo…pehale bhaya ko khanna to khane do…
Me: (ravi ko udass hote dekh) kyon daant rahi hain aap.. akhir bachen hain…
Neelam: nahi aise koi baat nahi…pehale aap khanna to kha lo..
Me: ye aap mujhe aap -2 keh kar kyon baat kar rahi hain…me to aap se bahut chota hun…mera naam abhi hai, aur aap mujhe abhi hee bulao..
Neelam: theek hai abhi…ab to khanna shuru karo…
Me khanna khane laga…khanna khane ke baad me thodi der tak ravi ke sath video game khelane laga…ravi muj se thode hee time me bahut hee gulmil gaya tha…neelam apne ghar ke kaam me lagi hui thee…thodi der baad me ooper room me aa gaya..aur bed par let gaya…mujhe kab neend aa gaye…mujhe pata hee nahi chala…shaam ke 6 baje. Neelam mami mujhe ooper uthane aye…jab me utha to mujhe apni halat ka andaza hua…mere lund mere short me ek dum tan kar tanbu banye hua tha…me jhenp gaya,aur apne sar ko jhuka liya…mene tirchi nazron se neelam mami ke aur dekha…uske honto par halki se muskan thee…
Neelam: neeche aa jao, chai ban gaye hai,
Me: jee abhi ata hun….
Me bathroom me ghuss gaya, aur pehsab karne laga…peshab karne ke baad mere lund sust padh gaya…aur me hath dho kar neeche aakar sofe par baith gaya…neelam mami try me kuch snacks aur chai lekar aaye,aur mere samne table par rakh dee…wo mujhe nazren nahi mila rahi thee…wo mud kar wapis jane lagee..
Me: aap bhee to chai lo…
Neelam: jee me chai nahi peeti…
Aur neelam wapis kitchen me chali gaye…mene chai pee, aur phir se ravi ke sath vide game khelane laga…mera achha time pass ho raha tha…raat ko 9 baje mohan mama ghar par aa gaye.hum sab sath baith kar khanna khane lagee..
Mama: (khanna khate hue) neelam tum roj subah abhi ko 5 baje utha dena…tanki wo subah uth kar padhai kar saken…aur haan agar kisi cheez ke jaroorat ho to bata dena..
Neelam: jee theek hai….
Mama: aur abhi tum suno…tumhara dil to lag gaya yahan par…
Me: jee mama ravi ke sath kaise time pass ho gaya…pata hee nahi chala…
Mama: wo ro theek hai…parson tumhara pehala exam hai…ab exam ke taiyaari shuru kar dena…
Me: jee theek hai mama….
Hum sab ne khanna kha liya tha…me haal me baitha tv dekh raha tha…tabhi mohan mama bhee haal me aa gaye..neelam mami kitchen me bartan saaf kar rahi thee…
Mohan mama mere pass aakar baith gaye…woe k book padh rahe thee…uska title the bharamcharya…me mama ke hath me aise book dekh kar thoda sa harian reh gaya.. me mama ke baare me bata dun ki, unhone ca kiya tha…wo apne office jane se pehale roj subah 5 se 9 baje tak ek accounts acddemy me accounts student ko coaching bhee dete thee…
Me sofe par baitha movie dekh raha tha…tabhi neelam mami kitchen se nikal kar apne room me gaye…aur mami ne mama ko room se awaz dee…mama book ko sofe par rakh kar room me chale gaye…me us book ko dekhane se apen aap ko rok na saka…aur book utha kar padhane laga…
Usme bharamcharye ke baare me batya gaya tha…us book me sex ko adami ke sabse badi kamjori batya gaya tha…tabhi mujhe mama ke aane kea hat hui..mene jaldi se book wapis rakh dee..aur tv dekhane laga…
Kuch der baithane ke baad mujhe neend aane lagee…aur me uth kar apne room me aakar so gaya…
aur me uth kar apne room me aakar so gaya…mama ne mujhe ooper jane se pehale kaha tha…ki ooper jakar 5 baje ka alaram set kar loon…tanki me subah uth kar padh sakun…
Par mene alarm nahi lagya..,.aur aise hee lete gaya…aur mujhe neend aa gaye…subah ke 5 baje mujhe neelam mami ne mere kandhe se hila kar uthaya…
Neelam: utho 5 baj gaye hain…uth kar thoda sa padh lo…
Me apni ankhen malta hua khada hua…aur bathroom me ghuss gaya…me jab fresh ho kar bahar aya, to jo mene dekh use dekh kar me ek dum se harian reh gaya…neelam mami samne mere bed par leti hui thee…uski peeth mere taraf thee…uski body curve ko dekh me pagal sa ho gaya…uski wo patli kamar ne muj par najane ke jadu sa kar diya tha..jo me apne hosh ko kho baitha…
Peeche se uski gore nagin se bal khati hui kamar ko dekh mera lund ek dum se tan gaya.. wo shayad neend na poori hone ke karan bed par leti so gaye thee… me ek baat aur bata doon ki, mama ke subah 5 baje coaching center jane se pahle neelam mami 4:30 baje uth kar unke liye chai banati thee…
Aise me kisi ke neend kaise poori ho sakti hai…issliye wo yahin so gaye…shayda kal raat se bahut thaki hongee…mene ye soch kar bed par aakar baith gaya…aur peeche neelam mami ke gadraye hue mast badan ko dekhane laga
Kiya mast aur sexy badan tha neelam mami ka… 36 size ke kasi hui chuchiya…neeche gathela aur slim pet aur nagin se bal khati kamar ufff khule to poochu hee mat kiya gol motal chutad thee…me apne appe se bahar ho gaya…neelam ko dekh kar mera lund ek dum se tak kar, mere short me jhatke khane laga…mene window se bahar dekha…
Bahar abhee bhee andhera tha…ab mere dimag me wasna ka tofan uth chuka tha…mene jaldi se light off ke,aur bed ke doosre side par let gaya…bed single tha. Isliye mere aur neelam mami ke beech sirf 7-8 inch ka fansla tha…
Neelam mami ke itna kareeb lete hone karan…mera lund mere underwear me halchal machaye hua tha…ab mujhe raha nahi jaa raha tha…me mami ke kareeb khisk gaya..mera dil joron se dhadkan laga…me dar raha tha..ki khani mami jaag na jaye… par wasna ke nashe me aakar me agge khisk gaya…aur neelam mami se ek dum sat gaya…mena tan hua lund ab neelam mami ke saree ke ooper se uski chutdon par ragar kha raha tha…me kafi der aise hee leta raha…jaise me neend me hun….
Jab thodi der tak mami nahi hilli…to mene himmat karke aur kareb khsiak gaya…aur mera lund neela mami ke gaand se aur sat gaya…neelam mami ne saree pehani hui thee..jiske karan mera lund unke chutdon ke darrar me nahi ja pa raha tha..par waise hee leta-2 apne lund ko shorts ke ooper se pakad kar neelam mami ke gadrai hue chutdon par ragadne laga…
Me sath me mami ke ooper nazar jamye hua tha…par wo bilkul shaant leti hui thee..ab mera lund bikul akad chuka tha…aur me jhaden ke bikul kareeb tha… mene apna ek hath neelam mami ke chikni aur makhmal jaise gori kamar par rakh diya…
Is baar neelam mami thoda sa hili..aur phir se shant padh gaye…par uske hilane se mera lund neelam ke saree ko dabat hua uski gaand ke darrar me thoda sa dhans gaya tha.. mujhe aise laga. Jaise wo jaan buj kar rahi hain…par me sure nahi tha… isliye me waise hee leta raha…
kramashah.................
gataank se aage.....................
Mere jhangen choot sab abhi ke veerye aur mere peshab se sani hui thee…mee munh bante hue abhi ko kahan
Me: dekhe na babu jee aap ne kiya kar diya….
Aur me uth kar nal ko chala kar apne choot aur jaangho ko saaf karne lagee…abhi mere peeche khada apne lund ko hath me thamen moot raha tha…me apne aap ko saaf karke bahar aa gaye….thodi der baad abhi bhee apne aap ke badan ko saaf karke mere bagal me aakar let gaya….
Me: babu jee aaj to aap ne had kar dee…
Abhi: kyon kiya hua….
Me: aise bhee koi karta hai….
Abhi: kyon nahi karte…isse chudai ka majja aur badh jata hai…
Me: par mujhe to majja nahi aya (jaan buj kar abhi ko chidahate hue)
Abhi: to phir se teri bhosdi ke thukai karun…
Me: nahi abhee nahi….pehale ye baton kamla ke baat aap ne kisi ke choot ko choda…
Abhi: kisi ko batogee to nahi…..
Me: nahi batungee…bato na….
(Dosto me tusar ab agge jo likhane wala hun…wo kisi aur ka likha hua hai….ye incident mene kisi aur site par padha tha…aur mujhe padh kar bahut majja aya tha…aaj tak mene jo bhee stories padi hai…ye unme se sabse mast kar dene wali story hai…me baad me us story ko google par bahut search kiya….par wo mujhe nahi mili…shyad site walon ne hata dee thee…ab me aap ke samne wo story rakh raha hun abhi ke jubani)
Abhi: bata to raha hun jara sabar karo…..
Abhi ye tab ke baat hai…jab me 12th ke exam dene ke baad apne entrance exam ke taiyaari kar raha tha…mere entrance exam ka center amritsar me aya tha…mujhe wahan exam dene jana tha…mere teen exam hone thee…isliye mujhe wahan 5 din rukana tha… aur wahan par mere mama jee rehathe thee.
papa ne apne mohan mama jee se phone par baat karke bata diya tha…aur mohan mama ne papa se kaha…ki abhi humare ghar par ruk sakta hain… mohan mama jee mere sagge mama nahi thee. Wo mere maa ke cousin thee. Door ke ristedari me. Issliye me pehali baar unke ghar jaa raha tha. bus ek do baar sirf mohan mama jee ko hee family functions me dekha tha. na to unki wife ko mene dekha tha. aur na hee bachon ko
Do din baad mera pehla exam tha…me dophar ko train se amritsar phunch gaya…mohan mama basically culcutta se thee..jab me amritsar phuncha…to wo mujhe lene station par aye hue thee…me unko pehale bhee dekh chuka tha…isliye unhe pechane me koi dikkat nahi hui…
Mene sabse pehle unhe wish kiya…aur hum station se bahar aa gaye…aur mama ke scoter par unke ghar aa gaye…mama ne door bell bajai…thodi der baad unki patni (mami) neelam ne door khola…neelam bilkul typical Bengali aurat ke tarhan thee…badi-2 ankhen patli kamar lambe baal. Usne yellow color ke printed saree pehani hui thee…neelam tab 30 saal ke thee…aur do bachon ke maa thee…
Mohan: beta ye mere wife hai neelam…andar ao me tumhen apne bachon se milata hun…
Me: namste mami…
Neelam: namste…
Me mama ke sath andar aa gaya…unke ek beta tha…jo ** saal tha…aur ek beti jo ***saal ke thee…dono school me padhate thee..
Mama: ye mera beta ravi aur ye mere beti hema hai…
Me: aap ke bache bahut hee cute hain…
Mohan: neelam ooper wala room saaf kar diya na…
Neelam: jee kar diya hai….
Mohan: aao bhi mere sath ao..tumhen tumhara room dikha doon…
Me mama ke sath ooper aa gaya…mama ne room khola, aur hum dono room ke andar aa gaye…mama ne mera bag bed ke pass rakh diya….
Mama: dekho baitha theek hai…kisi aur cheez ki jaroorat to nahi…
Mee room ko dekha…room me ek single bed laga hua tha…aur ek study table bhee tha…room ke sath hee attached bathroom bhee tha…
Me: bilkul perfect mama…aur kisi ke cheez ke jaroorat nahi…
Mama: to theek hai…change karke fresh ho jao…me neeche jakar neelam ko khanna lagane ke liye bol deta hun…neeche aakar khanna kha lena…ab me office ja raha hun.. raat ko milnegee
Me: theek hai mama jee…
Aur mama ke bahar jane ke baad mee apne bags se apne liye tshirt aur short nikala..aur bathroom me ghuss gaya…aur kapde utar kar hath munh dhone laga…me kapde change karke neeche aa gaya…
Neeche neelam dinning table par khanna laga rahi thee…mujhe dekhate hee boli..
Neelam aye baithe aap… me khanna hee paros rahi thee…
Me chair par baith gaya…aur khanna khane laga…itne me mama ka ladka ravi mere pass aa gaya…
Ravi: bhaya chalo video game khelte hain…mere pass bahut see hain…
Neelam: (ravi ko danate hue) kiya video game chalo jakar homework karo…pehale bhaya ko khanna to khane do…
Me: (ravi ko udass hote dekh) kyon daant rahi hain aap.. akhir bachen hain…
Neelam: nahi aise koi baat nahi…pehale aap khanna to kha lo..
Me: ye aap mujhe aap -2 keh kar kyon baat kar rahi hain…me to aap se bahut chota hun…mera naam abhi hai, aur aap mujhe abhi hee bulao..
Neelam: theek hai abhi…ab to khanna shuru karo…
Me khanna khane laga…khanna khane ke baad me thodi der tak ravi ke sath video game khelane laga…ravi muj se thode hee time me bahut hee gulmil gaya tha…neelam apne ghar ke kaam me lagi hui thee…thodi der baad me ooper room me aa gaya..aur bed par let gaya…mujhe kab neend aa gaye…mujhe pata hee nahi chala…shaam ke 6 baje. Neelam mami mujhe ooper uthane aye…jab me utha to mujhe apni halat ka andaza hua…mere lund mere short me ek dum tan kar tanbu banye hua tha…me jhenp gaya,aur apne sar ko jhuka liya…mene tirchi nazron se neelam mami ke aur dekha…uske honto par halki se muskan thee…
Neelam: neeche aa jao, chai ban gaye hai,
Me: jee abhi ata hun….
Me bathroom me ghuss gaya, aur pehsab karne laga…peshab karne ke baad mere lund sust padh gaya…aur me hath dho kar neeche aakar sofe par baith gaya…neelam mami try me kuch snacks aur chai lekar aaye,aur mere samne table par rakh dee…wo mujhe nazren nahi mila rahi thee…wo mud kar wapis jane lagee..
Me: aap bhee to chai lo…
Neelam: jee me chai nahi peeti…
Aur neelam wapis kitchen me chali gaye…mene chai pee, aur phir se ravi ke sath vide game khelane laga…mera achha time pass ho raha tha…raat ko 9 baje mohan mama ghar par aa gaye.hum sab sath baith kar khanna khane lagee..
Mama: (khanna khate hue) neelam tum roj subah abhi ko 5 baje utha dena…tanki wo subah uth kar padhai kar saken…aur haan agar kisi cheez ke jaroorat ho to bata dena..
Neelam: jee theek hai….
Mama: aur abhi tum suno…tumhara dil to lag gaya yahan par…
Me: jee mama ravi ke sath kaise time pass ho gaya…pata hee nahi chala…
Mama: wo ro theek hai…parson tumhara pehala exam hai…ab exam ke taiyaari shuru kar dena…
Me: jee theek hai mama….
Hum sab ne khanna kha liya tha…me haal me baitha tv dekh raha tha…tabhi mohan mama bhee haal me aa gaye..neelam mami kitchen me bartan saaf kar rahi thee…
Mohan mama mere pass aakar baith gaye…woe k book padh rahe thee…uska title the bharamcharya…me mama ke hath me aise book dekh kar thoda sa harian reh gaya.. me mama ke baare me bata dun ki, unhone ca kiya tha…wo apne office jane se pehale roj subah 5 se 9 baje tak ek accounts acddemy me accounts student ko coaching bhee dete thee…
Me sofe par baitha movie dekh raha tha…tabhi neelam mami kitchen se nikal kar apne room me gaye…aur mami ne mama ko room se awaz dee…mama book ko sofe par rakh kar room me chale gaye…me us book ko dekhane se apen aap ko rok na saka…aur book utha kar padhane laga…
Usme bharamcharye ke baare me batya gaya tha…us book me sex ko adami ke sabse badi kamjori batya gaya tha…tabhi mujhe mama ke aane kea hat hui..mene jaldi se book wapis rakh dee..aur tv dekhane laga…
Kuch der baithane ke baad mujhe neend aane lagee…aur me uth kar apne room me aakar so gaya…
aur me uth kar apne room me aakar so gaya…mama ne mujhe ooper jane se pehale kaha tha…ki ooper jakar 5 baje ka alaram set kar loon…tanki me subah uth kar padh sakun…
Par mene alarm nahi lagya..,.aur aise hee lete gaya…aur mujhe neend aa gaye…subah ke 5 baje mujhe neelam mami ne mere kandhe se hila kar uthaya…
Neelam: utho 5 baj gaye hain…uth kar thoda sa padh lo…
Me apni ankhen malta hua khada hua…aur bathroom me ghuss gaya…me jab fresh ho kar bahar aya, to jo mene dekh use dekh kar me ek dum se harian reh gaya…neelam mami samne mere bed par leti hui thee…uski peeth mere taraf thee…uski body curve ko dekh me pagal sa ho gaya…uski wo patli kamar ne muj par najane ke jadu sa kar diya tha..jo me apne hosh ko kho baitha…
Peeche se uski gore nagin se bal khati hui kamar ko dekh mera lund ek dum se tan gaya.. wo shayad neend na poori hone ke karan bed par leti so gaye thee… me ek baat aur bata doon ki, mama ke subah 5 baje coaching center jane se pahle neelam mami 4:30 baje uth kar unke liye chai banati thee…
Aise me kisi ke neend kaise poori ho sakti hai…issliye wo yahin so gaye…shayda kal raat se bahut thaki hongee…mene ye soch kar bed par aakar baith gaya…aur peeche neelam mami ke gadraye hue mast badan ko dekhane laga
Kiya mast aur sexy badan tha neelam mami ka… 36 size ke kasi hui chuchiya…neeche gathela aur slim pet aur nagin se bal khati kamar ufff khule to poochu hee mat kiya gol motal chutad thee…me apne appe se bahar ho gaya…neelam ko dekh kar mera lund ek dum se tak kar, mere short me jhatke khane laga…mene window se bahar dekha…
Bahar abhee bhee andhera tha…ab mere dimag me wasna ka tofan uth chuka tha…mene jaldi se light off ke,aur bed ke doosre side par let gaya…bed single tha. Isliye mere aur neelam mami ke beech sirf 7-8 inch ka fansla tha…
Neelam mami ke itna kareeb lete hone karan…mera lund mere underwear me halchal machaye hua tha…ab mujhe raha nahi jaa raha tha…me mami ke kareeb khisk gaya..mera dil joron se dhadkan laga…me dar raha tha..ki khani mami jaag na jaye… par wasna ke nashe me aakar me agge khisk gaya…aur neelam mami se ek dum sat gaya…mena tan hua lund ab neelam mami ke saree ke ooper se uski chutdon par ragar kha raha tha…me kafi der aise hee leta raha…jaise me neend me hun….
Jab thodi der tak mami nahi hilli…to mene himmat karke aur kareb khsiak gaya…aur mera lund neela mami ke gaand se aur sat gaya…neelam mami ne saree pehani hui thee..jiske karan mera lund unke chutdon ke darrar me nahi ja pa raha tha..par waise hee leta-2 apne lund ko shorts ke ooper se pakad kar neelam mami ke gadrai hue chutdon par ragadne laga…
Me sath me mami ke ooper nazar jamye hua tha…par wo bilkul shaant leti hui thee..ab mera lund bikul akad chuka tha…aur me jhaden ke bikul kareeb tha… mene apna ek hath neelam mami ke chikni aur makhmal jaise gori kamar par rakh diya…
Is baar neelam mami thoda sa hili..aur phir se shant padh gaye…par uske hilane se mera lund neelam ke saree ko dabat hua uski gaand ke darrar me thoda sa dhans gaya tha.. mujhe aise laga. Jaise wo jaan buj kar rahi hain…par me sure nahi tha… isliye me waise hee leta raha…
kramashah.................
Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी
20
गतान्क से आगे.....................
सुबह के 6 बज चुके थे…मे अभी भी जागा हुआ था…अचानक नीलम मामी करवट लेकर सीधी हो गयी…और फिर उठ कर बैठ गयी…मे अपनी आँखों को बंद किए हुए था… पर थोड़ा सा आँख खोल कर देख रहा था…मे उसके फेस के रिक्षन को नोट करना चाहता था पर. उसके फेस पर तो कोई भी भाव नही थे…
नीलम मामी ने मेरे हाथ को अपने हाथ से हटा कर नीचे रख दिया…और उठ कर चली गयी…मामी की जाते ही मे भी उठ गया…और पढ़ने लगा…
मे 8 बजे तक पढ़ता रहा…तभी रवि रूम मे आया…
रवि: अभी भैया.. पापा नीचे बुला रहे हैं…
मुझे पता ही नही चला कि मोहन मामा कब घर पर आ गये…रवि और हेमा दोनो स्कूल जाने के लिए तैयार थे…जैसे ही मे नीचे आया..
मामा: बेटा मे अब बच्चो को स्कूल छोड़ कर ऑफीस जा रहा हूँ…तुम नाश्ता करके एक बार अपने एग्ज़ॅम सेंटर को देख आओ…ताकि एग्ज़ॅम के दिन ढूँढना ना पड़े…
और मोहन मामा बच्चो को लेकर चले गये…मे डिन्निंग टेबल पर बैठ गया…नीलम चाइ और नाश्ता प्लेट मे लगाने लगी…मे नीलम की आँखों को पढ़ने के कॉसिश कर रहा था…पर पूरा टाइम मेरी नज़रें उससे नही मिली…नाश्ते के बाद मे बाहर आ गया…और जिस कॉलेज मे मेरा एग्ज़ॅम होना था…उसे ढूँढने निकल पड़ा…जब मुझे एग्ज़ॅमिंटेशन सेंटर मिल गया…तो मे घर वापिस आ गया...मे थोड़ी देर हाल मे बैठ नीलम को घर का काम करते हुए देखता रहा…पर वो अपने काम मे व्यस्त थी…हां बीच-2 मे एक दो बार उसने ये ज़रूर पुछा कि भूक तो नही लगी…
मुझे सारा कुछ मिट्टी मे मिलता नज़र आ रहा था…आख़िर कार मेने अपने मन को समझा लिया..था कि वो सुबह शायद ज़्यादा थॅकी हुई थी..इसलिए उन्होने ने सोने से पहले ये नही देखा कि वो कहाँ सो रही हैं…
मे उठ कर अपने रूम मे आ गया…और पढ़ने लगा…दोपहर के 3 बज रहे थे..मे काफ़ी देर तक पढ़ता रहा, फिर मुझे नीचे से बच्चो का शोर सुनाई दिया.. मेने सोच चलो रवि आ गया है…नीचे जाकर उसके साथ वीडियो गेम खेलता हूँ. मे नीचे आकर बैठ गया. रवि और नेहा के साथ नीलम ने मुझे भी खाना दिया…खाना खने के बाद मे रवि के साथ गेम खेलने लगा…
पर मेरा ध्यान बार-2 नीलम मामी की तरफ जा रहा था…जो सोफे पर बैठी एक मॅगज़ीन पढ़ रही थी…पर अब मे कर भी क्या सकता था…मे अपने आप को रवि के साथ बिज़ी रखने की कॉसिश कर रहा था
खैर जैसे तैसे रात हुई…अगले दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था…इसलिए मे खाना खाने के बाद सीधा ऊपेर आ गया, और पढ़ने लगा… मे रात के 12 बजे तक पढ़ता रहा. फिर मुझे नींद आने लगी…और मे बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गये.मुझे पता नही चला…पर उस दिन सोने से पहले मे 5 बजे का अलार्म सेट कर दिया था…पर मे सुबह अलार्म बजने से पहले ही उठ गया था…
जैसे ही मे उठा…मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म ऑफ किया और.अपना शॉर्ट्स और टीशर्ट उतार कर रख दी…मे अब सिर्फ़ अंडरवेर मे था…और मे बेड पर लेट गया. मुझे नीचे से कुछ आवाज़ आ रही थी..शायद मोहन मामा जा रहे थे.
मे अपने दिल की धड़कनो संभालते हुए इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे ऊपेर चढ़ते कदमों की आवाज़ आई.मेने आँखों को हल्का सा बंद कर लिया…मे पीठ के बल लेटा हुआ था…और मेरा तना हुआ लंड मेरे अंडरवेर को आगे से ऊपेर उठाए हुए था..
तभी मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी…रूम मे 0 वाट का बल्ब जल रहा था…मे नीलम मामी को देख रहा था…वो अंदर आई और बेड के किनारे आकर खड़ी हो गयी…
उसने मुझे एक बाद देखा..मेरा फेस पर देखते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई…अभी अभी उठ जाओ 5 बज गये हैं…पर मे जान बुझ कर गहरी नींद मे सोने आक्टिंग करता रहा.
नीलम मामी ने मुझे दो बार और आवाज़ लगाई…पर मे टस से मस नही हुआ, और वैसे लेटा रहा…फिर वो थोड़ा सा झुक कर मुझे अपने हाथ से हिलाने लगी…पर मे ऐसे ही लेटा रहा,मुझे उठता ना देख, वो बेड के किनारे बैठ गयी…
और एक जम्हाई के साथ अंगड़ाई लेते हुए मेरी तरफ देखने लगी…
नीलम: अभी उठो ना.. देख कितना टाइम हो गया है….
पर मे जानबूझ कर थोड़ा सा कसमसा के फिर से वैसे ही लेट गया…नीलम ने मेरी ओर देखा…और फिर से जमहाई ली…उसे देख कर ऐसा लग रहा है था, कि उसे बहुत नींद आ रही थी..
फिर वो हुआ जिसकी मुझे ज़रा भी उम्मीद नही थी…वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी. मेरी दिल की धड़कन बढ़ गयी…लाखों सवाल मेरे मन मे उठने लगे… क्या वो जान बुझ कर ऐसे मेरे साथ लेटी है, अगर उसे नींद आ रही थी, तो वो नीचे जाकर भी सो सकती थी..शायद वो जान बुझ कर ही सोई है…नही -2 हो सकता है..वो ज़्यादा थॅकी हुई हों…मे करीब 5 मिनट तक यही सब सोचता रहा….
आख़िर मे मेने फैंसला कर लिया…चाहे वो जो भी सोच कर यहाँ लेटी हो…पर मे ऐसा मोको हाथ से नही जाने दूँगा…मी अपने आँखें खोल कर गोर से देखा…मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ..नीलम मामी आज सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी..
मेरा तो लंड एक ही पल मे खड़ा हो कर झटके खाने लगा…पीछे उसकी मस्त चिकने गोरे बदन को देख कर मुझसे रहा नही गया…और मे उसकी तरफ खिसक कर उससे सॅट गया…और धीरे -2 अपने और नीलम मामी के बीच के गॅप को कम करने लगा…और कुछ ही देर मे मैं नीलम मामी के बदन से पीछे से चिपक गया…इस बार मेरा तना हुआ लंड उसकी गांद की दर्रार मे धँस गया…
मामी थोड़ा सा कसमासाई…और अपने चुतड़ों को पीछे मेरे लंड पर दबा दिया…मेरा लंड नीलम मामी के पेटिकॉट को उसकी गांद की दर्रार मे आगे सरकता हुआ…उसके चुतड़ों की दर्रार मे धँस गया…पर वो ये सब ऐसे कर रही थी…जैसे वो बहुत ही गहरी नींद मे हो…इसलिए मे कुछ भी खुल कर नही कर सकता था…
मे धीरे-2 अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को उसकी गांद के दर्रार मे रगड़ने लगा.. वो बिना हीले दुले वैसे ही पड़ी हुई थी….नीलम मामी अब तेज़ी से साँसें ले रही थी. पर मे बिल्कुल सपस्ट नही था, कि वो जाग रही हैं…या सोई हुई हैं…
पर तब एक मेरे ऊपेर वासना के नशे का असर होने लगा था…मेने धड़केते दिल के साथ अपना एक हाथ उसकी नंगे पेट पर रख दिया…और कुछ देर लेटे रहने के बाद भी जब कोई हरकत ना हुई…तो मे धीरे-2 अपने हाथ को मामी की चुचियो की तरफ बढ़ाने लगा… और कुछ ही मिनिट मे मेरा हाथ मामी के ब्लाउस के ऊपेर उनकी चुचियो पर था..
जैसे ही मेरा हाथ नीलम मामी के ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचियो पर पड़ा… मे मस्ती मे एक दम पागल सा हो गया…उनकी नरम और गुदाज चुचिया उनके तेज़ी से साँस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी… मे उनके नाक से साँस लेने के आवाज़ को भी सॉफ-2 सुन पा रहा था…
फिर मे कोई 5 मिनट तक ऐसे ही अपना हाथ उनकी चुचि पर रखें अपने लंड को उनकी चुतड़ों के दर्रार मे आगे पीछे करता हुआ रगड़ता रहा…फिर मेने हिम्मत करके धीरे-2 नीलम मामी की चुचि को अपने हाथ से सहलाना चालू कर दिया…
मे अपना सर उठा कर नीलम मामी के फेस और आँखों पर नज़र जमाए हुए था…ताकि अगर वो उठ भी जाए तो, मे अपना हाथ पीछे खींच लूँ…पर मेरे अंदर वासना का तूफान बढ़ता ही जा रहा था…
और फिर मेने अपना आपा खो कर धीरे-2 नीलम मामी के चुचि को मसलना शुरू कर दिया…वो एक पल के लिए थोड़ा सा कसमासाई…और उनके मुँह से उंह की हलकी से आवाज़ निकल गयी…पर वो ऐसे निकली जैसे वो नींद मे हो….
मे एक पल के लिए उनकी आवाज़ सुन कर अपने हाथ को वहीं रखे हुए थम गया… और जब थोड़े से इंतजार के बाद उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही हुआ…तो मे फिर से अपने हाथ से धीरे-2 नीलम मामी की मस्त चुचि को मसलने लगा…अब मेरे हाथ का दबाव उसकी चुचि पर बढ़ता जा रहा था….
मेरा तना हुआ लंड अब और ज़्यादा अकड़ चुका था…मेने अपने हाथ को नीलम मामी के चुचि से हटा कर, उनकी जाँघ पर रख दिया…और धीरे धीरे जाँघ को सहलाते हुए,नीचे आने लगा…जब मेरा हाथ उनके घुटने तक पहुचा…मेने मामी के पेटिकॉट को धीरे-2 ऊपेर उठाना चालू कर दिया…
मेरे हाथ पैर उतेजना के मारे काँप रहे थे…मे मामी के फेस की ओर सर उठा कर देखते हुए…मामी के पेटिकॉट को ऊपेर उठाने लगा…जैसे-2 उनका पेटिकॉट ऊपेर उठ रहा था,मेरे दिल की धड़कन और तेज होने लगी…धीरे-2 मेने उनके पेटिकॉट को उनकी जाँघो तक उठा दिया…और फिर एक बार मामी के फेस की ओर देखा… उनकी आँखें अब भी बंद थी…पर उनके फेस पर अजीब से भाव थे…मेने उनकी जाँघो को धीरे-2 सहलाना चालू कर दिया...
फिर मे थोड़ी देर के लिए रुका…और अपने लंड को पीछे करके, उनके पेटिकॉट को और ऊपेर उठाना चालू कर दिया…उनका पेटिकॉट अब उनकी जाँघो की जड़ो तक ऊपेर हो चुका था…और उनकी वाइट कलर के पॅंटी को देख मे और पागल हो गया…
मेने अपना सारा कुछ ताक पर रखते हुए…अपने शॉर्ट को नीचे सरका कर अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया…और उनकी पॅंटी के ऊपेर से अपने लंड को उनके चुतड़ों की दर्रार मे रगड़ने लगा…मे अब पूरी तरहा मस्त हो चुका था…
मेरा दिल कर रहा था, कि मे अभी मामी की पॅंटी को निकाल कर अपना लंड उनकी गांद के छेद मे पेल दूं…और खूब कस कस के मामी को चोदु… पर मेरी हिम्मत नही पड़ रही थी… और मामी भी कुछ सिग्नल नही दे रही थी…अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थी…
मेरा लंड अब अपना पानी छोड़ने वाला था…मे मामी के बदन से एक दम चिपक गया…मेरे लंड का सुपाड़ा मामी की पॅंटी को उनकी दरार मे पेलता हुआ…उसकी गांद के छेद मे पॅंटी के ऊपेर से सॅट गया….
इसबार फिर मामी के मुँह से उंह की आवाज़ निकल गयी…मेने अपने हाथ को आगे लेजा कर उनकी चुचि पर ब्लाउस के ऊपेर से रख दिया…और अपनी कमर को धीरे-2 हिलाने लगा.. अचानक मुझे अपने बदन का सारा खून अपने लंड की नसों मे इकट्ठा होता महसूस होने लगा….और मेरे लंड से वीर्ये की बोचार होने लगी…मेरा पूरा बदन काँप गया…
जब मुझे होश आया…तो मेरी डर के मारे गांद फटने लगी…मे जल्दी से पीछे हो गया…और बेड से उठ कर एक कपड़े को उठा कर बेड पर आ गया, और पहले अपने लंड और बेड पर गिरे वीर्ये को सॉफ किया…फिर मामी के जाँघो को बढ़े ध्यान से सॉफ किया.. मामी की पॅंटी तो मेने सॉफ कर दी..पर मेरे वीर्ये से कुछ गीली हो गयी थी…मेने हल्के हाथ से मामी के पेटिकॉट को नीचे कर दिया…और बेड पर लेट गया…
करीब 10 मिनट बाद नीचे से रवि की आवाज़ आई… ममा ममा कहाँ हो आप…. मे अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ था…और थोड़ी सी आँखें खोल कर नीलम मामी को देख रहा था…नीलम मामी बेड पर उठ कर बैठ गयी…मामी ने एक बार मेरी तरफ देखा.. उनके फेस पर कोई एक्सप्रेशन नही था…जिससे मुझे पता चल सकें कि.. वो सोई हुई थी..
या जाग रही थी….
फिर मामी उठ कर खड़ी हो गयी,और अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गयी…मेने राहत के साँस ली… उस दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था, और मामी के जाते ही, मे उठ कर खड़ा हो गया, और बाथरूम मे घुस गया….
जब मे फ्रेश होकर नीचे आया, तो मोहन मामा वापिस आ चुके थे…रवि और हेमा स्कूल जाने के लिए तैयार थे…और डिन्निंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे…
मामा: (मुझे देखते हुए) अर्रे आओ अभी…बैठो नाश्ता कर लो… नीलम अभी का नाश्ता भी ले आओ…
मे मामा के सामने वाली चेर पर बैठ गया….इतने मे नीलम मामी भी मेरा नाश्ता प्लेट मे डाल कर ले आई…
मामा: और सूनाओ अभी…एग्ज़ॅम के लिए तैयार हो ना…
मे: जी हां मामा…
मामा: गुड अब अच्छे से एग्ज़ॅम लिखना…
मे: जी मामा….
मामा और बच्चो ने नाश्ता कर लिया था…मेरा अभी बाकी था…मामा और बच्चे नाश्ते के बाद स्कूल के लिए निकल गये….
जब मेरा नाश्ता ख़तम हुआ, तो नीलम मेरी खाली प्लेट उठाने आई…मेने मामी की आँखों मे झाँकने की कॉसिश की…कहीं तो कोई हिंट मिल जाए..पर वो मेरी तरफ एक बार देख कर बोली और कुछ चाहिए….और मुझे उनकी आँखों मे कोई हिंट नही मिला…वो मुझसे ऐसे पेश आ रही थी, जैसे कुछ हुआ ही ना हो…
मे अपने सर को झटकते हुए खड़ा हुआ, और अपने एग्ज़ॅम के तैयारी कर घर से एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर की तरफ निकल पड़ा…मेरा एग्ज़ॅम अच्छे से हो गया… मे 12 बजे तक एग्ज़ॅम दे कर फ्री हो गया…और जल्दी से घर की तरफ चल पड़ा…
क्योंकि मुझे मालूम था, कि नीलम मामी इस समय घर पर अकेली होगी…शायद उनसे कुछ बात ही बन जाए…आधे घंटे मे घर के बाहर खड़ा था…मेने डोर बेल बजी. थोड़ी देर बाद नीलम मामी ने गेट खोला…
नीलम: (मुझे देखा कर) आ गये कैसा हुआ एग्ज़ॅम
मे: (घर के अंदर आते हुए)जी बहुत अच्छा हुआ…
नीलम: तुम बैठो मे तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ….
मे: नही मामी चाइ रहने दो…बस एक ग्लास पानी दे दो…
नीलम किचन मे चली गयी…और एक ग्लास पानी ले आई…मेने पानी पाया,और नीलम की आँखों मे झाँकते हुए, पानी का ग्लास नीलम मामी को पकड़ा दिया…
पर नीलम मामी ने मेरी तरफ देखा तो सही…पर मे जो उनकी आँखों मे ढूँढ रहा था…वो मुझे नही मिला…मे उदास सा होकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ग्लास रख कर वापिस आ गयी. उनके हाथ मे सब्जी थी…जिसे वो मेरे सामने सोफे पर बैठ कर काटने लगी…
हम दोनो इधर उधर के बातें करते रहें…पर मेरी ज़रा भी हिम्मत नही हुई, कि मे उनसे सुबह की बात कर सकूँ…मे हार कर ऊपेर आ गया…और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता नही चला…
दोपहर के 3 बजे रवि ने मुझे ऊपेर आकर उठाया…मे उठ कर बैठ गया…
अभी: भैया मम्मी नीचे खाने के लिए बुला रही हैं….
मे उठ कर रवि के साथ नीचे आ गया…और नीचे आकर खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…नीलम मामी कल की तराहा सोफे पर बैठ कर मॅगज़ीन पढ़ रही थी…
मे बार-2 नीलम मामी को देख रहा था…ताकि मेरी नज़रों से उनके नज़र मिले.. शायद कुछ बात बन जाए…पर कोई फ़ायदा नही..मे अपने ध्यान को वीडियो गेम पर लगाने लगा…
वीडियो गेम खेलते -2 करीब आधे घंटे के बाद मेने फिर से नीलम मामी की तरफ देखा…पर इसबार मेरे दिल मे कुछ हलचल से हुई…नीलम मामी मेरी तरफ देख रही थी. पर जैसे ही मेने उनकी तरफ देखा. वो मॅगज़ीन मे देखने लगी…
मेरे दिमाग़ के घोड़े एक बार फिर से दौड़ने लगी…हां-2 वो मेरे तरफ देख रही थी…पर इसमे ऐसे किया खास बात है…हो सकता है उनका ध्यान ऐसे ही मुझ पर पड़ गया हो. जाने फिर वो मुझे नही रवि को देख रही हो…
ये सब बातें सोच-2 कर दिमाग़ का कबाड़ा बन चुका था….आख़िर मे उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गया…और अगले दिन के एग्ज़ॅम के तैयारी करने लगा…और काफ़ी देर तक पढ़ता रहा…शाम कब ढल गयी..मुझे पता नही चला…
रात के 9 बजे मुझे नीचे से मोहन मामा की आवाज़ आई…मे रूम से बाहर आकर नीचे देखने लगा..
मामा: (मुझे देखते हुए) अभी बेटा नीचे आकर खाना खा लो…फिर बाद मे पढ़ लेना…
क्रमशः.................
गतान्क से आगे.....................
सुबह के 6 बज चुके थे…मे अभी भी जागा हुआ था…अचानक नीलम मामी करवट लेकर सीधी हो गयी…और फिर उठ कर बैठ गयी…मे अपनी आँखों को बंद किए हुए था… पर थोड़ा सा आँख खोल कर देख रहा था…मे उसके फेस के रिक्षन को नोट करना चाहता था पर. उसके फेस पर तो कोई भी भाव नही थे…
नीलम मामी ने मेरे हाथ को अपने हाथ से हटा कर नीचे रख दिया…और उठ कर चली गयी…मामी की जाते ही मे भी उठ गया…और पढ़ने लगा…
मे 8 बजे तक पढ़ता रहा…तभी रवि रूम मे आया…
रवि: अभी भैया.. पापा नीचे बुला रहे हैं…
मुझे पता ही नही चला कि मोहन मामा कब घर पर आ गये…रवि और हेमा दोनो स्कूल जाने के लिए तैयार थे…जैसे ही मे नीचे आया..
मामा: बेटा मे अब बच्चो को स्कूल छोड़ कर ऑफीस जा रहा हूँ…तुम नाश्ता करके एक बार अपने एग्ज़ॅम सेंटर को देख आओ…ताकि एग्ज़ॅम के दिन ढूँढना ना पड़े…
और मोहन मामा बच्चो को लेकर चले गये…मे डिन्निंग टेबल पर बैठ गया…नीलम चाइ और नाश्ता प्लेट मे लगाने लगी…मे नीलम की आँखों को पढ़ने के कॉसिश कर रहा था…पर पूरा टाइम मेरी नज़रें उससे नही मिली…नाश्ते के बाद मे बाहर आ गया…और जिस कॉलेज मे मेरा एग्ज़ॅम होना था…उसे ढूँढने निकल पड़ा…जब मुझे एग्ज़ॅमिंटेशन सेंटर मिल गया…तो मे घर वापिस आ गया...मे थोड़ी देर हाल मे बैठ नीलम को घर का काम करते हुए देखता रहा…पर वो अपने काम मे व्यस्त थी…हां बीच-2 मे एक दो बार उसने ये ज़रूर पुछा कि भूक तो नही लगी…
मुझे सारा कुछ मिट्टी मे मिलता नज़र आ रहा था…आख़िर कार मेने अपने मन को समझा लिया..था कि वो सुबह शायद ज़्यादा थॅकी हुई थी..इसलिए उन्होने ने सोने से पहले ये नही देखा कि वो कहाँ सो रही हैं…
मे उठ कर अपने रूम मे आ गया…और पढ़ने लगा…दोपहर के 3 बज रहे थे..मे काफ़ी देर तक पढ़ता रहा, फिर मुझे नीचे से बच्चो का शोर सुनाई दिया.. मेने सोच चलो रवि आ गया है…नीचे जाकर उसके साथ वीडियो गेम खेलता हूँ. मे नीचे आकर बैठ गया. रवि और नेहा के साथ नीलम ने मुझे भी खाना दिया…खाना खने के बाद मे रवि के साथ गेम खेलने लगा…
पर मेरा ध्यान बार-2 नीलम मामी की तरफ जा रहा था…जो सोफे पर बैठी एक मॅगज़ीन पढ़ रही थी…पर अब मे कर भी क्या सकता था…मे अपने आप को रवि के साथ बिज़ी रखने की कॉसिश कर रहा था
खैर जैसे तैसे रात हुई…अगले दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था…इसलिए मे खाना खाने के बाद सीधा ऊपेर आ गया, और पढ़ने लगा… मे रात के 12 बजे तक पढ़ता रहा. फिर मुझे नींद आने लगी…और मे बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गये.मुझे पता नही चला…पर उस दिन सोने से पहले मे 5 बजे का अलार्म सेट कर दिया था…पर मे सुबह अलार्म बजने से पहले ही उठ गया था…
जैसे ही मे उठा…मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म ऑफ किया और.अपना शॉर्ट्स और टीशर्ट उतार कर रख दी…मे अब सिर्फ़ अंडरवेर मे था…और मे बेड पर लेट गया. मुझे नीचे से कुछ आवाज़ आ रही थी..शायद मोहन मामा जा रहे थे.
मे अपने दिल की धड़कनो संभालते हुए इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे ऊपेर चढ़ते कदमों की आवाज़ आई.मेने आँखों को हल्का सा बंद कर लिया…मे पीठ के बल लेटा हुआ था…और मेरा तना हुआ लंड मेरे अंडरवेर को आगे से ऊपेर उठाए हुए था..
तभी मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी…रूम मे 0 वाट का बल्ब जल रहा था…मे नीलम मामी को देख रहा था…वो अंदर आई और बेड के किनारे आकर खड़ी हो गयी…
उसने मुझे एक बाद देखा..मेरा फेस पर देखते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई…अभी अभी उठ जाओ 5 बज गये हैं…पर मे जान बुझ कर गहरी नींद मे सोने आक्टिंग करता रहा.
नीलम मामी ने मुझे दो बार और आवाज़ लगाई…पर मे टस से मस नही हुआ, और वैसे लेटा रहा…फिर वो थोड़ा सा झुक कर मुझे अपने हाथ से हिलाने लगी…पर मे ऐसे ही लेटा रहा,मुझे उठता ना देख, वो बेड के किनारे बैठ गयी…
और एक जम्हाई के साथ अंगड़ाई लेते हुए मेरी तरफ देखने लगी…
नीलम: अभी उठो ना.. देख कितना टाइम हो गया है….
पर मे जानबूझ कर थोड़ा सा कसमसा के फिर से वैसे ही लेट गया…नीलम ने मेरी ओर देखा…और फिर से जमहाई ली…उसे देख कर ऐसा लग रहा है था, कि उसे बहुत नींद आ रही थी..
फिर वो हुआ जिसकी मुझे ज़रा भी उम्मीद नही थी…वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी. मेरी दिल की धड़कन बढ़ गयी…लाखों सवाल मेरे मन मे उठने लगे… क्या वो जान बुझ कर ऐसे मेरे साथ लेटी है, अगर उसे नींद आ रही थी, तो वो नीचे जाकर भी सो सकती थी..शायद वो जान बुझ कर ही सोई है…नही -2 हो सकता है..वो ज़्यादा थॅकी हुई हों…मे करीब 5 मिनट तक यही सब सोचता रहा….
आख़िर मे मेने फैंसला कर लिया…चाहे वो जो भी सोच कर यहाँ लेटी हो…पर मे ऐसा मोको हाथ से नही जाने दूँगा…मी अपने आँखें खोल कर गोर से देखा…मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ..नीलम मामी आज सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी..
मेरा तो लंड एक ही पल मे खड़ा हो कर झटके खाने लगा…पीछे उसकी मस्त चिकने गोरे बदन को देख कर मुझसे रहा नही गया…और मे उसकी तरफ खिसक कर उससे सॅट गया…और धीरे -2 अपने और नीलम मामी के बीच के गॅप को कम करने लगा…और कुछ ही देर मे मैं नीलम मामी के बदन से पीछे से चिपक गया…इस बार मेरा तना हुआ लंड उसकी गांद की दर्रार मे धँस गया…
मामी थोड़ा सा कसमासाई…और अपने चुतड़ों को पीछे मेरे लंड पर दबा दिया…मेरा लंड नीलम मामी के पेटिकॉट को उसकी गांद की दर्रार मे आगे सरकता हुआ…उसके चुतड़ों की दर्रार मे धँस गया…पर वो ये सब ऐसे कर रही थी…जैसे वो बहुत ही गहरी नींद मे हो…इसलिए मे कुछ भी खुल कर नही कर सकता था…
मे धीरे-2 अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को उसकी गांद के दर्रार मे रगड़ने लगा.. वो बिना हीले दुले वैसे ही पड़ी हुई थी….नीलम मामी अब तेज़ी से साँसें ले रही थी. पर मे बिल्कुल सपस्ट नही था, कि वो जाग रही हैं…या सोई हुई हैं…
पर तब एक मेरे ऊपेर वासना के नशे का असर होने लगा था…मेने धड़केते दिल के साथ अपना एक हाथ उसकी नंगे पेट पर रख दिया…और कुछ देर लेटे रहने के बाद भी जब कोई हरकत ना हुई…तो मे धीरे-2 अपने हाथ को मामी की चुचियो की तरफ बढ़ाने लगा… और कुछ ही मिनिट मे मेरा हाथ मामी के ब्लाउस के ऊपेर उनकी चुचियो पर था..
जैसे ही मेरा हाथ नीलम मामी के ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचियो पर पड़ा… मे मस्ती मे एक दम पागल सा हो गया…उनकी नरम और गुदाज चुचिया उनके तेज़ी से साँस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी… मे उनके नाक से साँस लेने के आवाज़ को भी सॉफ-2 सुन पा रहा था…
फिर मे कोई 5 मिनट तक ऐसे ही अपना हाथ उनकी चुचि पर रखें अपने लंड को उनकी चुतड़ों के दर्रार मे आगे पीछे करता हुआ रगड़ता रहा…फिर मेने हिम्मत करके धीरे-2 नीलम मामी की चुचि को अपने हाथ से सहलाना चालू कर दिया…
मे अपना सर उठा कर नीलम मामी के फेस और आँखों पर नज़र जमाए हुए था…ताकि अगर वो उठ भी जाए तो, मे अपना हाथ पीछे खींच लूँ…पर मेरे अंदर वासना का तूफान बढ़ता ही जा रहा था…
और फिर मेने अपना आपा खो कर धीरे-2 नीलम मामी के चुचि को मसलना शुरू कर दिया…वो एक पल के लिए थोड़ा सा कसमासाई…और उनके मुँह से उंह की हलकी से आवाज़ निकल गयी…पर वो ऐसे निकली जैसे वो नींद मे हो….
मे एक पल के लिए उनकी आवाज़ सुन कर अपने हाथ को वहीं रखे हुए थम गया… और जब थोड़े से इंतजार के बाद उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही हुआ…तो मे फिर से अपने हाथ से धीरे-2 नीलम मामी की मस्त चुचि को मसलने लगा…अब मेरे हाथ का दबाव उसकी चुचि पर बढ़ता जा रहा था….
मेरा तना हुआ लंड अब और ज़्यादा अकड़ चुका था…मेने अपने हाथ को नीलम मामी के चुचि से हटा कर, उनकी जाँघ पर रख दिया…और धीरे धीरे जाँघ को सहलाते हुए,नीचे आने लगा…जब मेरा हाथ उनके घुटने तक पहुचा…मेने मामी के पेटिकॉट को धीरे-2 ऊपेर उठाना चालू कर दिया…
मेरे हाथ पैर उतेजना के मारे काँप रहे थे…मे मामी के फेस की ओर सर उठा कर देखते हुए…मामी के पेटिकॉट को ऊपेर उठाने लगा…जैसे-2 उनका पेटिकॉट ऊपेर उठ रहा था,मेरे दिल की धड़कन और तेज होने लगी…धीरे-2 मेने उनके पेटिकॉट को उनकी जाँघो तक उठा दिया…और फिर एक बार मामी के फेस की ओर देखा… उनकी आँखें अब भी बंद थी…पर उनके फेस पर अजीब से भाव थे…मेने उनकी जाँघो को धीरे-2 सहलाना चालू कर दिया...
फिर मे थोड़ी देर के लिए रुका…और अपने लंड को पीछे करके, उनके पेटिकॉट को और ऊपेर उठाना चालू कर दिया…उनका पेटिकॉट अब उनकी जाँघो की जड़ो तक ऊपेर हो चुका था…और उनकी वाइट कलर के पॅंटी को देख मे और पागल हो गया…
मेने अपना सारा कुछ ताक पर रखते हुए…अपने शॉर्ट को नीचे सरका कर अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया…और उनकी पॅंटी के ऊपेर से अपने लंड को उनके चुतड़ों की दर्रार मे रगड़ने लगा…मे अब पूरी तरहा मस्त हो चुका था…
मेरा दिल कर रहा था, कि मे अभी मामी की पॅंटी को निकाल कर अपना लंड उनकी गांद के छेद मे पेल दूं…और खूब कस कस के मामी को चोदु… पर मेरी हिम्मत नही पड़ रही थी… और मामी भी कुछ सिग्नल नही दे रही थी…अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थी…
मेरा लंड अब अपना पानी छोड़ने वाला था…मे मामी के बदन से एक दम चिपक गया…मेरे लंड का सुपाड़ा मामी की पॅंटी को उनकी दरार मे पेलता हुआ…उसकी गांद के छेद मे पॅंटी के ऊपेर से सॅट गया….
इसबार फिर मामी के मुँह से उंह की आवाज़ निकल गयी…मेने अपने हाथ को आगे लेजा कर उनकी चुचि पर ब्लाउस के ऊपेर से रख दिया…और अपनी कमर को धीरे-2 हिलाने लगा.. अचानक मुझे अपने बदन का सारा खून अपने लंड की नसों मे इकट्ठा होता महसूस होने लगा….और मेरे लंड से वीर्ये की बोचार होने लगी…मेरा पूरा बदन काँप गया…
जब मुझे होश आया…तो मेरी डर के मारे गांद फटने लगी…मे जल्दी से पीछे हो गया…और बेड से उठ कर एक कपड़े को उठा कर बेड पर आ गया, और पहले अपने लंड और बेड पर गिरे वीर्ये को सॉफ किया…फिर मामी के जाँघो को बढ़े ध्यान से सॉफ किया.. मामी की पॅंटी तो मेने सॉफ कर दी..पर मेरे वीर्ये से कुछ गीली हो गयी थी…मेने हल्के हाथ से मामी के पेटिकॉट को नीचे कर दिया…और बेड पर लेट गया…
करीब 10 मिनट बाद नीचे से रवि की आवाज़ आई… ममा ममा कहाँ हो आप…. मे अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ था…और थोड़ी सी आँखें खोल कर नीलम मामी को देख रहा था…नीलम मामी बेड पर उठ कर बैठ गयी…मामी ने एक बार मेरी तरफ देखा.. उनके फेस पर कोई एक्सप्रेशन नही था…जिससे मुझे पता चल सकें कि.. वो सोई हुई थी..
या जाग रही थी….
फिर मामी उठ कर खड़ी हो गयी,और अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गयी…मेने राहत के साँस ली… उस दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था, और मामी के जाते ही, मे उठ कर खड़ा हो गया, और बाथरूम मे घुस गया….
जब मे फ्रेश होकर नीचे आया, तो मोहन मामा वापिस आ चुके थे…रवि और हेमा स्कूल जाने के लिए तैयार थे…और डिन्निंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे…
मामा: (मुझे देखते हुए) अर्रे आओ अभी…बैठो नाश्ता कर लो… नीलम अभी का नाश्ता भी ले आओ…
मे मामा के सामने वाली चेर पर बैठ गया….इतने मे नीलम मामी भी मेरा नाश्ता प्लेट मे डाल कर ले आई…
मामा: और सूनाओ अभी…एग्ज़ॅम के लिए तैयार हो ना…
मे: जी हां मामा…
मामा: गुड अब अच्छे से एग्ज़ॅम लिखना…
मे: जी मामा….
मामा और बच्चो ने नाश्ता कर लिया था…मेरा अभी बाकी था…मामा और बच्चे नाश्ते के बाद स्कूल के लिए निकल गये….
जब मेरा नाश्ता ख़तम हुआ, तो नीलम मेरी खाली प्लेट उठाने आई…मेने मामी की आँखों मे झाँकने की कॉसिश की…कहीं तो कोई हिंट मिल जाए..पर वो मेरी तरफ एक बार देख कर बोली और कुछ चाहिए….और मुझे उनकी आँखों मे कोई हिंट नही मिला…वो मुझसे ऐसे पेश आ रही थी, जैसे कुछ हुआ ही ना हो…
मे अपने सर को झटकते हुए खड़ा हुआ, और अपने एग्ज़ॅम के तैयारी कर घर से एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर की तरफ निकल पड़ा…मेरा एग्ज़ॅम अच्छे से हो गया… मे 12 बजे तक एग्ज़ॅम दे कर फ्री हो गया…और जल्दी से घर की तरफ चल पड़ा…
क्योंकि मुझे मालूम था, कि नीलम मामी इस समय घर पर अकेली होगी…शायद उनसे कुछ बात ही बन जाए…आधे घंटे मे घर के बाहर खड़ा था…मेने डोर बेल बजी. थोड़ी देर बाद नीलम मामी ने गेट खोला…
नीलम: (मुझे देखा कर) आ गये कैसा हुआ एग्ज़ॅम
मे: (घर के अंदर आते हुए)जी बहुत अच्छा हुआ…
नीलम: तुम बैठो मे तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ….
मे: नही मामी चाइ रहने दो…बस एक ग्लास पानी दे दो…
नीलम किचन मे चली गयी…और एक ग्लास पानी ले आई…मेने पानी पाया,और नीलम की आँखों मे झाँकते हुए, पानी का ग्लास नीलम मामी को पकड़ा दिया…
पर नीलम मामी ने मेरी तरफ देखा तो सही…पर मे जो उनकी आँखों मे ढूँढ रहा था…वो मुझे नही मिला…मे उदास सा होकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ग्लास रख कर वापिस आ गयी. उनके हाथ मे सब्जी थी…जिसे वो मेरे सामने सोफे पर बैठ कर काटने लगी…
हम दोनो इधर उधर के बातें करते रहें…पर मेरी ज़रा भी हिम्मत नही हुई, कि मे उनसे सुबह की बात कर सकूँ…मे हार कर ऊपेर आ गया…और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता नही चला…
दोपहर के 3 बजे रवि ने मुझे ऊपेर आकर उठाया…मे उठ कर बैठ गया…
अभी: भैया मम्मी नीचे खाने के लिए बुला रही हैं….
मे उठ कर रवि के साथ नीचे आ गया…और नीचे आकर खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…नीलम मामी कल की तराहा सोफे पर बैठ कर मॅगज़ीन पढ़ रही थी…
मे बार-2 नीलम मामी को देख रहा था…ताकि मेरी नज़रों से उनके नज़र मिले.. शायद कुछ बात बन जाए…पर कोई फ़ायदा नही..मे अपने ध्यान को वीडियो गेम पर लगाने लगा…
वीडियो गेम खेलते -2 करीब आधे घंटे के बाद मेने फिर से नीलम मामी की तरफ देखा…पर इसबार मेरे दिल मे कुछ हलचल से हुई…नीलम मामी मेरी तरफ देख रही थी. पर जैसे ही मेने उनकी तरफ देखा. वो मॅगज़ीन मे देखने लगी…
मेरे दिमाग़ के घोड़े एक बार फिर से दौड़ने लगी…हां-2 वो मेरे तरफ देख रही थी…पर इसमे ऐसे किया खास बात है…हो सकता है उनका ध्यान ऐसे ही मुझ पर पड़ गया हो. जाने फिर वो मुझे नही रवि को देख रही हो…
ये सब बातें सोच-2 कर दिमाग़ का कबाड़ा बन चुका था….आख़िर मे उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गया…और अगले दिन के एग्ज़ॅम के तैयारी करने लगा…और काफ़ी देर तक पढ़ता रहा…शाम कब ढल गयी..मुझे पता नही चला…
रात के 9 बजे मुझे नीचे से मोहन मामा की आवाज़ आई…मे रूम से बाहर आकर नीचे देखने लगा..
मामा: (मुझे देखते हुए) अभी बेटा नीचे आकर खाना खा लो…फिर बाद मे पढ़ लेना…
क्रमशः.................