प्यास बुझती ही नही compleet

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007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:46

रश्मि: तुम यान्हा वन्हा मुँह मारते रहते हो.....इसी का नतीजा है कि तुम बेड पर पड़े हो...ये तो भगवान की कृपा है कि बच गये...वरना कातिल तुम्हे ही मार डालते.

राज: ऐसा तो हमे भी लगता है...पर क्या करू ...ये जो लंड है ना...कभी दिल ही नही भरता...हमेशा कुच्छ नया चाहता है.....चूत नयी नयी चाहता है.

रश्मि: तो क्या मन भर गया मेरे से..?

राज: नही डार्लिंग....ऐसा नही है...तुम्हारी चूत का तो दीवाना हू..मे...देखी कैसे लपला रहा है.....और वो ज़ोर से मूतने लगा.....एक तो लंड की मुटाई...और उसपर रश्मि के हाथ का जादू.....लंड यूरिन पॉट से बाहर आ गया और सीधे रश्मि के चेहरे पर गिरने लगा...पेशाब से वो नहा गयी.....कुच्छ बूंदे उसके मुँह मे भी चली गयी.....रश्मि को एक अनोखा आनंद मिल रहा था....तभी उसे ख़याल आया....कि अगर बिस्तेर पेशाब से गीला हो गया तो कोई भी शक कर सकता है...तभी उसने झुक कर राज को गले लगा लिया और बोली...डार्लिंग...ये पिचकारी अब बंद करो...वरना गोली चल जाएगी...और दोनो हस्ने लगे.

दोनो अब एक दूसरे के आगोस मे खो गये...तभी बाहर किसी की दस्तक हुई...दोनो अलग हो गये....रश्मि ने अपने आपको ठीक किया और फिर राज ने भी.....रश्मि ने दरवाजा खोला...सामने कमला थी.....वो बिना कोई सवाल किए अंदर आ गयी...और रश्मि को देखते हुए बोली....तुम्हारी बहन आई है (स्मृति).....जो घर पर है...मे नाश्ता करवा कर आई हू.....रश्मि जी कह कर चल दी............................

आज काफ़ी दिन बाद दोनो बहने मिल रही थी.....रश्मि चहकते हुए उनसे गले लग गयी....और स्मृति ने भी अपनी बाँहे फैला दी.......

स्मृति: कैसी हो??? सॉरी मे नही आ पाई...तुम पे तो पहाड़ टूट पड़ा होगा ना....

रश्मि: कोई बात नही....जो होना था हो गया.....अब रोकर के भी क्या कर सकते है.

पहले सिर्फ़ तुम थी....विडो...अब मे भी हो गयी...पर मुझे विडो होने का गम नही है...अच्छा हुआ मर गया....वरना मे एक दिन मार डालती.

स्मृति: छि.....अपने पति के लिए ऐसा नही बोलते.

रश्मि: पति??? कैसा पति..और किसका पति? वो तो सुरू से करप्ट था.

स्मृति: चाहे जो भी हो...हम औरत है..और हमे अपना मर्यादा नही भूलना चाहिए

रश्मि: छोड़ो इन बातो को...बताओ कैसी हो?

स्मृति: ठीक हू.....मेरी शादी तय कर दी गयी है.

रश्मि: वाउ.....ग्रेट....किससे....???

स्मरती: है एक टीचर.....देहरादून का ही है...उसी ने प्रपोज़ किया था...शादी के लिए...मा पापा का भी पसंद है.......में तुमसे फोन पर राई माँगना चाहती थी...पर तुम्हारा फोन आउट-ऑफ-रिचेबल था...

रश्मि: कोंग्रथस.......ये तो बहुत अच्छा हुआ......तुम्हारा घर बस जाए...यही तो मे भी चाहती थी..........

स्मृति: पर तुम्हरा घर उजड़ गया....ये सोच कर मे दुखी हू......अब तुम्हे भी शादी के लिए सोचना चाहिए.

रश्मि: हां शादी तो करूँगी...अपने जेठ से...पर अभी नही......अभी कुच्छ पोलीस का चक्कर है.....

स्मृति: अरे हां...पोलीस का क्या माजरा है...???मेने काफ़ी सुना है कि वो परेशान कर रही है.

रश्मि: पोलीस कहती है...इट्स ए मर्डर केस.

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स्मृति: क्या अपडेशन है अब तक का

रश्मि: मिस्टर. कुलकर्णी आए है...कोई प्राइवेट डेक्टटिवे है

वही केस को देख रहे है....अच्छा ये बताओ...जब तुम्हे छोड़ कर राजेश निकला था...तो क्या बात हुई थी उस दिन....क्योकि मे तो अपने जेठ जी की बाँहो मे थी..

स्मृति: कोई खास नही....वो जल्द ही बह गये थे....मे भी भिन्ना गयी थी और गुस्से मे उसे "हिजड़ा कहीं का" बोल दी थी.....बाद मे मुझे लगा कि मुझे ऐसा नही कहना चाहिए था...मे माफी भी माँगना चाहती थी..तब तक देर हो चुकी थी...वो घर छोड़ कर जा चुके थे..........और यही वजह थी कि मे तुमसे या तुम्हारे परिवार से नही मिल सकी....कही ना कही मे भी अपने आपको कसुरबार मानती थी......................

रश्मि:ह्म्‍म्म्म तो तुम्हे पहले क्यो नही बताया....मुझे बता देती...शायद मे कुच्छ कर सकती थी.....अब तो ये भी नही पता कि वो जीवित है या मर गया....

पर सबूत ये बताते है कि वो जीवित है......

स्मरीत:अगर ऐसा है तो वो तुमसे मिलने ज़रूर आएगा.

रश्मि: अभी तक तो मुझसे मिला नही......मे तो उससे मिलने को इक्चुक हू...कई सवाल पुच्छने है उससे. बेचारी अनिता का मर्डर हो गया....ये किसने किया कुच्छ पता नही चल पा रहा है......राज भी काफ़ी अपसॅट है...........

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007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:46

स्मृति: केस कौन हॉल्ड्ल कर रहा है...?

रश्मि: है एक जाँबाज ऑफीसर इनस्पेक्टर राजकुमार शर्मा

स्मृति: ने नोटीस किया कि उसे जाँबाज कहने मे रश्मि ने कुच्छ ज़्यादा ही इच्छा प्रकट की...वो मुस्कुरा दी....क्या बात है...? कुच्छ ज़्यादा ही भाव दे रही हो पोलीस वालो की

रश्मि: क्यो? पोलीस वाले इंसान नही होते क्या?

स्मृति: पोलीस वालो से ना ही दोस्ती अच्छी और ना ही दुस्मनि

रश्मि: वो ऐसा नही है....मेरे एक रिक्वेस्ट पर उसने पोलीस फोर्स भेज दिया...और खुद भी रात के 4 बजे आया......ये उसकी महानता है...वरना कोई और पोलीस वाले होते हैं ऐसे???

स्मृति: ह्म चलो ठीक है.....कुच्छ खिलाओगी नही?

रश्मि: अरे हां....मे तो भूल ही गयी...अभी लाई....बोलो क्या खओगि

स्मृति: पराठे बनाते है.....2 तुम्हारे लिए और 2 मेरे लिए....और उस पर चाय

कैसा रहेगा...

रश्मि : अभी बनाती हू...और दोनो किचन मे चली गयी....

करीब 2 घंटे मे नाश्ता बन कर तैयार हो गया....दोनो नाश्ता कर ही रही थी कि दरवाजे का कॉल वेल बजा.....रश्मि ने दरवाजा खोला......कमला के साथ इनस्पेक्टर शर्मा भी थे...जो कि रश्मि को देखते ही उसके चेहरे पर एक चमक देखी.

रश्मि: आइईए....बहुत अच्छे समय पर आए है.....नाश्ता कर रही थी..

इनस्प. शर्मा: अरे वाह....भाई भूक तो हमे भी लगी है.....और कुच्छ सवाल भी पुच्छना था....चलो नाश्ता करते करते पुच्छ लेंगे.....सुना है आपकी बहन आई है......देहरादून से....

रश्मि: जी....आइए भीतर ...मिलाती हू.

इनस्पेक्टर शर्मा और स्मृति के बीच इंटरॅक्षन हुआ.....इसी दरम्यान अभी ने नाश्ता किया.....कमला अपने कमरे मे चली गयी.....और स्मृति जब अपने कमरे मे जाने लगी तो इनस्पेक्टर शर्मा ने पुछा...

इनस्प. शर्मा: मे आपसे कुच्छ सवाल पुच्छना चाहता हू...आशा है आप सही सही जवाब देंगी.

स्मरती: जी पुछिये...मेरे पास जो भी इन्फो. होगी मे ज़रूर शेर करूँगी.

इनस्प. शर्मा: वेल.....तो स्मृति जी....आप की शादी के कितने साल हो गये है.

स्मृति: मेरी शादी 1998 मे हुई...और 3 साल बाद मेरे पति एक्सपाइर हो गये....फिर मेने जॉब कर ली.....

इनस्प. शर्मा: दूसरी शादी करने का इरादा????

स्मृति: मे उस हालत मे नही थी कि मे दूसरी शादी करने के लिए सोचु. पर अब मे करने जा रही हू......एक रिस्ता आया है.....

इनस्प. शर्मा: ग्रेट....कोंग्रथस...

स्मृति: थॅंक्स.....

इनस्प. शर्मा: स्मृति जी.....क्या आपका राजेश के साथ साड़ीरिक संबंध रहा है?

स्मृति: ये प्रसन पुछ्ते ही दोनो बहने भड़क गयी....

रश्मि: ये क्या मज़ाक है.....? क्या हम लोग ऐसे वैसे है??? आख़िर क्या पुच्छना चाहते है.....???

इनस्पेक्टर शर्मा: मेडम, मेरा मतलब किसी का दिल दुखाने का नही है...और ना ही मेरा इरादा है...पर जो सबूत पोलीस को मिला है.....उस बिहाफ पे तो पुच्छना ही होगा....

स्मृति: छोड़ो...पुच्हिए जो पुच्छना है...

इनस्प. शर्मा: हां तो बताइए.......क्या आपका संबंध.......................

स्मृति: जी....बिल्कुल...हमलोग करीब 7 डेज़ तक एक साथ इसी घर मे रहे, रश्मि भी भली भाँति जानती है.....पर यकीन कीजिए...इस मर्डर से मेरा कोई लेना देना नही है...मे तो मर्डर के 10 डेज़ पहले ही यान्हा से चली गयी थी....

007
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Re: प्यास बुझती ही नही

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:47

इनस्प. शर्मा: ने दूसरा बेहूदा सवाल पूछा....क्या आपकी चूत पे झाँत है.....लंबे लंबे.....

पर दोनो बहने भड़क गयी......परंतु स्मृति ने बोला...जी मे अपनी झाँते शेव्ड रखती हू.....शादी से पहले रखती थी...पर जब मेरे पति ने बताया कि उसे झाँत नही पसंद है...तो शेव्ड रखती हू....और जब वो डेत कर गये ...तब मे रखने लगी थी....और जब राजेश से सेक्स किया तो उन्ही के कहने पर मेने दुबारा झांट बनवा ली.....................

पर आप ये सवाल मुझसे क्यो पुच्छना चाह रहे है???

इनस्प. शर्मा : थॅंक्स स्मृति...दरशाल....इसी घर से एक पॅंटी मिली थी जिसपर किसी लड़की के लंबे लंबे झांतो के बाल थे.....ये झांट या तो आपके होंगे...आ अनिता के..जो की मर गयी है......................

स्मृति: मेरा यकीन करो....मेरे राजेश के साथ सरिरिक संबंध ज़रूर थे पर मे किसी के मर्डर के बारे मे सोच भी नही सकती...

तभी इनस्पेक्टर शर्मा का फोन आ गया.....फोन किसी डॉक्टर का था...

डॉक्टर: इनस्पेक्टर शर्मा.....मिस. अनिता के पोस्टमोरटूम रिपोर्ट आ गयी है और वो पॅंटी पे लगे स्पर्म और बॉल का भी रिपोर्ट आ गया है

इनस्प. शर्मा : उत्सुकता पूर्वक....हां...हल्लो बोलिए डॉक्टर शहाब .....क्या रिपोर्ट है....

डॉक्टर: पॅंटी पे लगे झांट और अनिता के झांतो से मॅच कर गये है.....ये पॅंटी और उसपे झांतो के बाल अनिता के ही हैं......

और स्पर्म किसी मुर्द् का है....इसका भी रिपोर्ट शाम तक दे दूँगा...

इनस्प. शर्मा: थॅंक्स डॉक्टर...आपने बहुत बड़ी खबर सुनई है

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राज अब बिल्कुल ठीक हो गया था…उसे आज हॉस्पिटल से छुट्टी होने वाली थी….स्मृति, रश्मि और कमला उसे साथ लेने आए थे…….रश्मि डिसचार्ज स्लिप भर रही थी…और स्मृति बाहर ऑटो देख रही थी….कमला राज को सहारा दे कर उठा रही थी…तभी रूम मे एक साया गुजरा….आँखो पे हरी पट्टी और एक पैर पर प्लास्टर…..वो भटक भटक कर चल रहा था……एक हाथ से अपने कंबल और दूसरे हाथ मे एक मजबूत डंडा था……

कमला की नज़र जैसे ही उस शख्स पर पड़ी उसने उसे पहचान लिया……..

कमला: अरे ये तो……………………………………..और वो ज़ोर ज़ोर से हफने लगी…सुनो जी…ये तो अपना…..

राज: अपना क्या………….??? क्या कहना चाह रही हो…

कमला: अरे वो अपना राजेश है….वो देखो जा रहा है…..राजेश……राजेश…..ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी….इतनी ज़ोर ज़ोर से चिल्लने से वन्हा भीड़ इककट्ठि हो गयी……..वो शख्स बिना सुने….बिना पिछे देखे रूम से निकलने मे सफल हो गया……….जब तक रश्मि वन्हा आई वो बंदा जा चूक्का था….

राज: तुम्हे पूरा यकीन है कि वो राजेश ही था….

कमला: हां…भाई…मेने उसे 100% पहचाना है….उसके हाथ पर पट्टी लगी थी और पैर पर प्लास्टर…..और उसकी एक आँख पे हरी पट्टी……………में बहुत चिल्लाई पर उसने पिछे नही देखा

राज: कही वो कोई और हो…….अगर राजेश होता तो ज़रूर पिछे देखता …..ये तुम्हारा बहम होगा.

कमला: अब मे आपको कैसे यकीन दिलवाऊ…..

रश्मि: मे अभी आई..और वो रिसेप्षन पे चली गयी और जाकर पता किया कि एक आदमी जो ब्लंकेट ओढ़े हुए और पैर पर प्लास्टर और आँखो पे पट्टी लगी है….कौन था…..

रेसेप्तों: सॉरी मेडम,….ऐसा कोई इन्फर्मेशन मेरे पास नही है…ये हॉस्पिटल है और यान्हा इस तरह के पेशेंट आते है……………………..और अगर पता लगाना है तो एंक्वाइरी काउंटर पर जाए……

रश्मि ने एंक्वाइरी काउंटर पर भी बात करी…पर उसे कोई सही इन्फर्मेशन नही मिली….थक हार कर रश्मि ने इनस्पेक्टर शर्मा को फोन किया और सभी कुच्छ बता दिया…….

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