छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:59

वो बड़ी बेशर्मी से हंसते हुवे बोला, घर तो क्या मैं तेरे अंदर भी घुस्सुंगा

मैने गुस्से में कहा बकवास बंद करो, ये कोई मज़ाक नही है. तुम मेरी जींदगी से मत खेलो.

वो थोडा सोच कर बोला, ठीक है यार मैं अब तेरे घर नही आउन्गा, तू बुलाएगी तो भी नही आउन्गा, अब खुस.

मैने कहा, ठीक है देखते है कितना वादा निभाते हो.

वो बोला, देख लेना फिर, और हाँ किसी बात की चिंता मत करना मैं सब कुछ संभाल लूँगा, तू बस खुस रह. ये कह कर उसने फोन रख दिया.

मैं उससे कुछ नही कह पाई.

मैने तुरंत संजय का फोन मिलाया और उन्हे बिल्लू की एलेक्ट्रिक शॉप का नंबर दे दिया. ना जाने क्यो मुझे बिल्लू पर यकीन था कि वो सब कुछ संभाल लेगा.

संजय ने कहा, ठीक है मैं आज ही उसे फोन कर के बुला लूँगा.

मैने कहा, ठीक है और फोन रख दिया.

ना जाने क्यो मुझे बार बार ये लग रहा था कि कही संजय को मुझ पर शक तो नही हो गया. मुझे लग रहा था कि उन्होने एलेक्ट्रीशियन का नंबर मुझ से ही क्यो माँगा, क्या उन्हे किसी एलेक्ट्रीशियन का नही पता ?

मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर बात क्या है. ऐसा लग रहा था कि मुझे मेरे किए की सज़ा मिलने वाली है.

शाम के कोई 6 बजे मैने बिल्लू की शॉप पर फोन किया, फोन बिल्लू ने ही उठाया.

मैने पूछा, मेरे पति का फोन आया था क्या ?

वो बोला, हां आया था, मैने राजू को वाहा भेज दिया था, तू चिंता मत कर वाहा सब ठीक है. राजू से मेरी बात हो गयी है. तेरे पति ने सिर्फ़ उस से इतना ही पूछा की “क्या तुम आज मेरे घर पर कुछ ठीक करने गये थे’. तो राजू ने बता दिया कि मुझे नही पता आपका घर कहा है, हां पर एक जगह वॉशिंग मेचीने का प्लग ठीक करने ज़रूर गया था.

मैने पूछा, क्या उन्होने एलेक्ट्रीशियन बस ये पूछने के लिए बुलाया था.

वो बोला, नही कुछ एलेक्ट्रिक वर्क तो था, वो राजू ने कर दिया है और अब क्लिनिक से आने ही वाला है.

ये सब सुन कर मेरी जान में जान आई. मैने बिल्लू से कहा चलो फिर मैं फोन रखती हूँ मुझे कुछ काम है.

वो बोला, यार थोड़ी देर रुक जाओ ना, मेरा तुझ से बात करने का मन कर रहा है.

मैने कहा, ठीक है बोलो क्या बोलना है.

वो बोला, तूने तब मेरी बात का जवाब नही दिया था.

मैने पूछा, किस बात की बात कर रहे हो

वो मुस्कुराते हुवे बोला, अरे वही बहुत अछा लगने वाली बात.

मैने कहा, तुम मुझे छोड़ कर अपनी चिंता किया करो, बार बार ऐसी बाते ठीक नही.

वो बोला, मुझे तो बहुत अछा लगा आज. कसम से तेरी चिकनी चूत में बड़े प्यार से फिसल रहा था मेरा लंड, बता दुबारा कब देगी.

मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है ये हमेशा चलता रहेगा.

वो बोला, जब तक तुम चाहोगी तब तक तो चलेगा ही.

मैने कहा, मैने कभी कुछ नही चाहा, जो भी हुवा, तुम्हारे कारण हुवा.

वो बोला, वो तो मैं भी जानता हूँ.

हम ये बाते कर रहे थे कि अचानक दरवाजे की घंटी बाजी. मुझे लगा शायद संजय आ गये है.

मैने तुरंत फोन रख दिया और दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे पर आ गयी.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:59

दवाजे पर संजय ही थे.

उन्होने अंदर आते हुवे कहा, अछा एलेक्ट्रीशियन था वो बड़ी जड़ी से काम करके चला गया.

मैने कहा, चलो अछा हुवा.

डिन्नर करने के बाद मैं किचन में आकर काम करने लगी.

अचानक संजय ने मेरे कान में आकर कहा, जल्दी काम निपटा कर आओ, आज बहुत मन है.

मैने हंसते हुवे कहा ठीक है मैं आती हूँ.

जब मैं बेडरूम में आई तो संजय, बिल्कुल नंगे हो कर मेरा इंतेज़ार कर रहे थे.

मेरे अंदर आते ही उन्होने मेरे कपड़े उतार कर एक तरफ फेंक दिए. अचानक मुझे लगा जैसे की मैं अभी भी बिल्लू के साथ हूँ.

संजय ने मुझे बाहो में भर लिया और मेरे होंटो को बेतहासा चूमने लगे.

उन्होने कहा, नीचे बैठ जाओ, थोडा सा सक कर लो.

संजय अक्सर मुझे अपना लिंग सक करने को कहते थे, पर मुझे हमेशा झीजक होती थी.

संजय मेरे सामने खड़े रहे और मुझे नीचे बैठा दिया. मैं पंजो के बल बैठ गयी.

मैं थोड़ा झीजक रही थी, दरअसल मुझे ये सब करना बिल्कुल अछा नही लगता था, फिर भी संजय के कारण मुझे कभी कभी करना पड़ता था.

उन्होने मेरे होंटो पर अपना लिंग रगड़ना शुरू कर दिया, और बोले खोलो ना मूह ऋतु तुम हमेशा यू ही नाटक करती हो.

मैने मूह खोल कर संजय के लिंग को मूह में ले लिया, और उसे धीरे धीरे चूसने लगी.

ना जाने मुझे क्या सूझी मैने उनका लिंग मूह से निकाल कर कहा, आज तुम भी मेरी योनि सक करो ना.

उन्होने कहा, कैसी बात करती है, ये कोई अदला बदला है क्या.

मैने कहा, नही मेरा मन कर रहा है.

मेरे मन में वाकाई में ये इच्छा हो रही थी कि संजय मेरी योनि पर अपने होंठो को रख कर मुझे वाहा प्यार करे.

संजय ने थोडा सोच कर कहा, ऋतु मुझे वो करना नही आता, फिर कभी ट्राइ करेंगे ठीक है.

ये कह कर उन्होने मुझे बाहो में उठा लिया और बेड लेटा कर मेरे उपर आ गये.

उन्होने मेरी टाँगो को उपर उठाया और एक झटके में मुझ में शमा गये. मेरे मूह से आआहह निकल गयी.

उशके बाद में सब कुछ भूलती चली गयी.

संजय ने मेरी योनि को अंदर से रगड़ना शुरू कर दिया.

मेरी साँसे तेज होती चली गयी.

अचानक संजय ने पूछा, कैसा लग रहा है ?

मैने कहा, अछा, पर पूरा अंदर डालो ना.

संजय ने चोंक कर कहा, पूरा ही तो डाल रखा है.

अचानक मुझे लगा कि मुझे ये क्या हो गया है, मैं बिल्लू के अहसाश संजय के साथ क्यो दोहराना चाहती हूँ.

फिर मैं जैसे संजय कर रहे थे उशी में ध्यान लगा कर खो गयी, और मुझे धीरे धीरे मज़ा आने लगा.

संजय ने रफ़्तार तेज की तो मेरी सांसो की रफ़्तार भी तेज हो गयी और मैं अचानक ढेर हो गयी.

अचानक तभी संजय भी ढेर हो कर मुझ पर गिर गये.

उष दिन खूब थकने के कारण मुझे बहुत गहरी नींद आई.

सुबह उठ कर मैने खुद से ये सवाल पूछा कि मेरी मेरे पति के साथ सेक्स लाइफ तो अछी है फिर मैं क्यो बिल्लू के साथ अपनी जींदगी से खेल रही हूँ.

फिर मुझे ख्याल आया कि इश्का कारण सेक्स नही खुद बिल्लू ही है. वो ऐसी बाते करता है कि मैं ना चाहते हुवे भी बहक जाती हूँ.

मैं अब हर हाल में अपनी छोटी सी भूल को जींदगी से मिटा देना चाहती थी.

पर मैं ये भी जानती थी कि ये इतना आसान नही होगा.

कुछ दिन मेरे शांति से बीत गये. बिल्लू का ना तो कोई फोन आया और ना ही वो कभी घर आया.

एक दिन मैने संजय से कहा कि चलो कही घूमने चलते है थोडा चेंज हो जाएगा. उन्होने कहा ठीक है चलेंगे बस एक हफ़्ता रुक जाओ फिर आराम से चलेंगे, अभी क्लिनिक में काफ़ी काम है.

मैने पूछा, क्या शिमला ठीक रहेगा.

वो बोले, हां ठीक है.

मैं खुस थी की संजय ने मेरी बात मान ली थी.

दरअसल मैं अब सब कुछ भुला कर अपनी शादी शुदा जींदगी में खो जाना चाहती थी.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 22:00

सब कुछ ठीक चल रहा था. मैं अपनी जींदगी में खोने की कोशिस कर रही थी.

एक दिन अचानक कोई 10:30 पर फोन की घंटी बज उठी.

मुझे पूरा यकीन था कि ये बिल्लू का ही होगा. मैं फोन उठना तो नही चाहती थी पर फिर भी मैने फोन उठा ही लिया.

मैं सही सोच रही थी, फोन बिल्लू का ही था.

मैने फॉरन फोन रख दिया.

फोन की घंटी फिर बज उठी.

मैने फोन उठा कर गुस्से में पूछा क्या बात है ?

बिल्लू बोला, कुछ नही बस यू ही तेरी याद आ रही थी.

मैने पूछा, तो मैं क्या करूँ ? तुम यहा फोन मत किया करो.

वो बोला, पर मैं क्या करूँ मैं तेरे बिना तड़प रहा हूँ.

मैने बिना कुछ कहे फोन पटक दिया.

उष दिन उष्का कोई फोन नही आया. मुझे यकीन था कि शायद वो अब मेरे घर आने की कोशिश करेगा. पर वो घर भी नही आया.

बिल्लू के दिए अहसाश हर पल मेरे साथ थे पर मैं अपने मन को मजबूत बनाए हुवे थी कि अब बिल्लू को कोई मोका नही देना है.

दिन तो मेरा शांति से बीत गया पर रात बहुत भारी पड़ी.

संजय चैन से शो रहे थे और मैं बेचानी की हालत में करवटें बदल रही थी.

मैं बार बार यही सोच रही थी कि अब बिल्लू को मुझ से क्या चाहिए, वो मेरा सब कुछ तो ले चुका है.

मैने ये सोचा ही था कि मेरी योनि में अचानक बिल्लू के लिंग की रगड़ ताज़ा हो गयी. ऐसा लग रहा था मानो बिल्लू अभी अभी मेरी योनि में धक्के लगा कर गया हो.

मेरी योनि कब गीली हो गयी पता ही नही चला.

दिन में मैने बिल्लू से बात तो नही की थी पर फिर भी वो दूर बैठे बैठे मुझे सता रहा था.

मुझे कब नींद आई पता नही पर इतना ज़रूर था कि मेरी पूरी रात बेचानी में बीती थी.

अगले दिन फिर से ठीक 10:30 पर फोन की घंटी बज उठी.

मैने दौड़ कर फोन उठा लिया.

जैसा की मुझे यकीन था, फोन बिल्लू का ही था.

मैने पूछा, तुम मुझसे चाहते क्या हो, मुझे अकेला क्यो नही छोड़ देते.

वो बोला, छोड़ रहा हूँ, अब तुझे अकेला ही छोड़ रहा हूँ. मैं ये सहर छोड़ कर जा रहा हूँ.

एक पल को मैं समझ नही पाई की क्या कहूँ.

फिर मैने पूछा, कहा जा रहे हो ?

वो बोला, पता नही जहा किस्मत ले जाएगी चला जाउन्गा. वैसे भी यहा तेरे बिना रहने का क्या फ़ायडा.

मैने पूछा, ये क्या पागलपन है ?

वो बोला, अगर तू किसी की दीवानी होती ना तो तुझे पता चलता.

मैने कहा, अब तुम मुझसे क्या चाहते हो.

वो बोला, बस आखरी बार तुझ से मिलना चाहता हूँ.

मैने कहा, तुमसे मिलना मुझे हर बार भारी पड़ता है.

वो बोला, इस बार सबसे ज़्यादा भारी पड़ेगा.

मैने पूछा क्या मतलब ?

वो बोला, मतलब की मैं आखरी बार तेरी जी भर कर लेना चाहता हूँ. तुझसे भी ये रिक्वेस्ट है कि कम से कम आखरी बार मेरे साथ खुल कर एंजाय कर लो.

मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या कहूँ.

मैं रात की तरह फिर से बहकने लगी थी, फरक सिर्फ़ इतना था कि अब बिल्लू फोन पर था, जिसके कारण मेरी हालत रात से भी ज़्यादा खराब हो रही थी.

वो बोला बता, आओगी ना मुझ से आखरी बार मिलने, इस के बाद में कभी तुझे परेशान नही करूँगा.

मैने झीज़कते हुवे पूछा, पर हम कहा मिलेंगे ?

वो बोला, वही जहा से ये सब शुरू हुवा था, तेरे घर के पीछे. वही पर ये कहानी ख़तम करेंगे.

मैने कहा, पर वाहा ख़तरा रहेगा, कोई आ गया तो.

वो बोला, कोई नही आएगा, बड़ी बड़ी झाड़ियों से हमें कौन देखेगा. तू आस पास ध्यान से देख कर चुपचाप आजा मैं कोई 10 मिनूट में वाहा पहुँच रहा हूँ.

मैने चोन्कते हुवे कहा, अरे क्या आज ही मिलना है ?

वो बोला हाँ आज ही मिलना है, तू क्या आखरी बार देने के लिए मुझे महीनो तक तडपाएगी.

मैं फोन पर थी, फिर भी मैं ये सुन कर शर्मा उठी.

वो बोला, चल अब जल्दी तैयार हो कर आ जा, मैं यहा से निकल रहा हूँ. वाहा 10 मिनूट में पहुँच जाउन्गा.

ये कह कर उसने फोन रख दिया.


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