Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
वो मुझसे बोली- अगर तुम सच कह रहे हो कि तुम्हें मेरी चूत की खुश्बू पसंद है.. तो क्या तुम सच में मेरी चूत को भी ऐसे ही सूंघ कर दिखा सकते थे?तो मैंने तुरंत ही कहा- हाँ.. क्यों नहीं।वो बोली- चल झूठे.. ऐसा भी कोई करता है क्या?मैं समझ गया कि या तो यह इस खेल की नई खिलाड़ी है.. या तो ये खुद ही मेरे साथ खेल कर रही है.. ताकि मैं ही अपनी तरफ से पहल करूँ।तो मैंने भी कुछ सोचते हुए बोला- क्यों तुम्हें पहले किसी ने मना किया है क्या?बोली- नहीं.. ऐसा नहीं है.. मैं तो इसलिए बोली थी.. क्योंकि वहाँ से गंदी बदबू भी आती है ना.. इसलिए।तब जाकर मैं समझा कि यह अभी नई है और इसे इस खेल का कोई अनुभव नहीं है।मैंने बोला- अरे पगली तुम नहीं समझ सकती कि एक जवान लड़की की और एक जवान लड़के के लिंग में कितनी शक्ति होती है। दोनों में ही अपनी-अपनी अलग खुशबू होती है.. जो एक-दूसरे को दीवाना बना देती है।तो वो बोली- मैं कैसे मानूं?मैं बोला- अब ये तुम्हारे ऊपर है.. मानो या ना मानो.. सच तो बदलेगा नहीं..तो वो बोली- क्या तुम मुझे महसूस करा सकते हो?मैं तपाक से बोला- क्यों नहीं..तो वो झट से मेरे सामने अपना लोवर खोल कर मुझे अपनी चूत चाटने की दावत देने लगी.. शायद उस पर वासना का भूत सवार हो चुका था।मैं भी देरी ना करते हुए बिस्तर से उठा और फर्श पर अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी मुलायम चिकनी जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर खोल दिया.. ताकि उसकी चूत ठीक से देख सकूँ।मैंने जैसे ही उसकी चूत का दीदार किया तो मुझे तो ऐसा लगा.. जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ.. उसकी चूत बहुत ही प्यारी और कोमल सी दिख रही थी.. जिसमें ऊपर की तरफ छोटे-छोटे रेशमी मुलायम बाल थे जो कि उसकी गोरी चूत की सुंदरता पर चार चाँद लगा रहे थे।मेरी तो जैसे साँसें थम सी गई थीं.. क्योंकि ये मेरा पहला मौका था.. जब मैंने किसी कुँवारी लड़की की चूत को इतनी करीब से देखा था.. बल्कि ये कह लें कि इसके पहले देखा ही नहीं था।उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई थी.. कुछ फूली-फूली सी.. और उसके बीच में एक महीन सी दरार थी.. जो कि उसके छेद को काफ़ी संकरा किए हुए थी।इतनी प्यारी संरचना को देखकर मैं तो मंत्रमुग्ध हो गया था.. जिससे मुझे कुछ होश ही नहीं था कि मैं कहाँ हूँ.. कैसा हूँ।खैर.. जब मैं उसकी चूत को टकटकी लगाए कुछ देर यूँ ही देखता रहा.. तो उसने मेरे हाथ पर एक छोटी सी चिकोटी काटी.. जो कि उसकी जाँघ को मजबूती से कसे हुए था।तो मेरा ध्यान उसकी चूत से टूटा और मैंने ‘आउच..’ बोलते हुए उसकी ओर देखा.. उसकी नजरों में लाज के साथ-साथ एक अजीब सी चमक भी दिख रही थी।ऐसी नजरों को कुछ ज्ञानी बंधु.. वासना की लहर की संज्ञा भी देते हैं।वो अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हुए बोली- क्यों राहुल.. पक्का तुम यही सोच रहे होगे कि मैंने झूट क्यों बोला.. मैं कैसे किसी की गंदी जगह को सूंघ सकता हूँ.. अब फंस गए ना.. अभी तक मुझे बेवकूफ़ बना रहे थे.. चलो छोड़ो.. अगर दीदार पूरे हो गए हों तो। तुमको अगर यही देखना था.. तो पहले ही बोल देते.. मैं कमरे में घुसते ही दिखा देती। आख़िर तुम वो पहले इंसान हो जिससे मैंने प्यार किया.. तुम्हारे लिए मैं ये पहले ही कर सकती थी..पर तुमने झूट का सहारा लिया.. अब ऐसा दोबारा ना करना।तभी मैंने बोला- जान.. तुम नहीं जानती कि आज मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार चूत देखी है.. जिसे अक्सर ख़्वाबों में ही देखता था.. पर जब आज सच में सामने आई.. तो मैं देखता ही रह गया था.. क्या तुमने कभी हस्तमैथुन भी नहीं किया?‘क्या..?’ वो चौंक कर बोली- यह क्या होता है?
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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
तो मैं उसकी चूत की कसावट को देखते हुए बोला- कोई बात
नहीं.. मैं सब सिखा दूँगा और रही बात सूंघने की.. तो मैं तो
सोच रहा हूँ.. इसे चाट कर सूँघूं या सूंघ कर चाटूं..।
तो वो बोली- जो भी करना.. जल्दी करो.. नहीं तो तुम्हें देर
हो जाएगी जाने में.. और प्लान भी बिगड़ सकता है।
मैंने तुरंत ही उसके नितंबों को पकड़ कर बिस्तर के आगे की ओर
खींचा ताकि उसकी चूत पर मुँह आराम से लगा सकूँ।
फिर मैंने बिना देर किए हुए उसे बिस्तर के किनारे लाया और
सीधा उसकी चूत पर मुँह लगा कर उसके दाने को अपनी जुबान
से छेड़ने लगा.. जिससे उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूट
पड़ीं- ओह्ह..शिइई..
मैंने जब उसकी ओर देखा तो वो अपने चेहरे को अपने दोनों
हाथों से ढके हुए थी.. पर जब उसने अपनी चूत पर मेरा मुँह नहीं
महसूस किया.. तो अपनी आँख खोल कर मुझसे बोली- राहुल..
यार फिर से कर न.. मुझे बहुत अच्छा लगा.. मुझे नहीं पता था
कि इसमें इतना मज़ा आता है।
तो मैं बोला- परेशान मत हो… अभी तो खेल शुरू हुआ है.. देखती
जाओ.. मैं क्या-क्या और कितना मजा देता हूँ।
वो बोली- एक बात पूछू.. मज़ाक तो नहीं बनाओगे मेरा?
तो मैं बोला- हाँ.. पूछो..
वो बोली- राहुल मैं चाहती हूँ.. कि जो मज़ा तुम मुझे दे रहे
हो.. वो मैं भी दूँ.. क्या ये एक साथ हो सकता है? मेरा मतलब
तुम मेरी वेजिना को मुँह से प्यार करो और मैं तुम्हारे पेनिस को
अपने मुँह से प्यार करूँ।
मैंने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कहा- हो सकता है..
तो वो चहकते हुए स्वर में बोली- राहुल सच..
मैंने बोला- हम्म..
तो वो बोली- पर कैसे?
मैं बोला- तुम सच में कुछ नहीं जानती..
तो वो बोली- तुम्हारी कसम.. ये मेरा पहला अनुभव है।
मैंने कहा- अच्छा चलो कोई बात नहीं.. मैं तुम्हें सिखा दूंगा सब
कुछ..
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो अपने आप ही मेरा
काम आसान हो गया।
मैंने तुरंत ही खड़े होकर अपने लोअर को नीचे खिसकाकर अपने
शरीर से अलग कर दिया.. जिससे मेरा पहले से ही खड़ा
‘सामान’ बाहर आ कर झूलने लगा।
मेरा लवड़ा देखकर रूचि बोली- यार ये बताओ.. तुम्हारा ये
पेनिस मेरे मुँह तक कैसे आएगा.. जब तुम नीचे बैठोगे तभी तो मैं
कुछ कर पाऊँगी
तो मैं बोला- पहले तो इसे पेनिस नहीं लण्ड बोलो.. और अपना
दिमाग न लगाओ.. जैसे मैं बोलूँ.. वैसे करो।
तो वो चहक कर बोली- ठीक है.. चलो अब जल्दी से अपना
ल..लण्ड मेरे मुँह में डालो और अपना मुँह मेरी च..चूत पर
लगाओ.. अब मुझसे और इंतज़ार नहीं हो सकता।
लण्ड-चूत कहने में वो कुछ हिचक रही थी.. बेचारी.. सच में
उसको कुछ नहीं मालूम था कि कैसे क्या करना है.. उसे तो बस
इतना ही मालूम था कि लण्ड चूत में जाता है जिससे माल
निकलता है.. और लण्ड का माल चूत में भर जाता है.. जिससे
बच्चा हो जाता है बस।
ये सब उसने मुझे बाद में बताया था..
नहीं.. मैं सब सिखा दूँगा और रही बात सूंघने की.. तो मैं तो
सोच रहा हूँ.. इसे चाट कर सूँघूं या सूंघ कर चाटूं..।
तो वो बोली- जो भी करना.. जल्दी करो.. नहीं तो तुम्हें देर
हो जाएगी जाने में.. और प्लान भी बिगड़ सकता है।
मैंने तुरंत ही उसके नितंबों को पकड़ कर बिस्तर के आगे की ओर
खींचा ताकि उसकी चूत पर मुँह आराम से लगा सकूँ।
फिर मैंने बिना देर किए हुए उसे बिस्तर के किनारे लाया और
सीधा उसकी चूत पर मुँह लगा कर उसके दाने को अपनी जुबान
से छेड़ने लगा.. जिससे उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूट
पड़ीं- ओह्ह..शिइई..
मैंने जब उसकी ओर देखा तो वो अपने चेहरे को अपने दोनों
हाथों से ढके हुए थी.. पर जब उसने अपनी चूत पर मेरा मुँह नहीं
महसूस किया.. तो अपनी आँख खोल कर मुझसे बोली- राहुल..
यार फिर से कर न.. मुझे बहुत अच्छा लगा.. मुझे नहीं पता था
कि इसमें इतना मज़ा आता है।
तो मैं बोला- परेशान मत हो… अभी तो खेल शुरू हुआ है.. देखती
जाओ.. मैं क्या-क्या और कितना मजा देता हूँ।
वो बोली- एक बात पूछू.. मज़ाक तो नहीं बनाओगे मेरा?
तो मैं बोला- हाँ.. पूछो..
वो बोली- राहुल मैं चाहती हूँ.. कि जो मज़ा तुम मुझे दे रहे
हो.. वो मैं भी दूँ.. क्या ये एक साथ हो सकता है? मेरा मतलब
तुम मेरी वेजिना को मुँह से प्यार करो और मैं तुम्हारे पेनिस को
अपने मुँह से प्यार करूँ।
मैंने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कहा- हो सकता है..
तो वो चहकते हुए स्वर में बोली- राहुल सच..
मैंने बोला- हम्म..
तो वो बोली- पर कैसे?
मैं बोला- तुम सच में कुछ नहीं जानती..
तो वो बोली- तुम्हारी कसम.. ये मेरा पहला अनुभव है।
मैंने कहा- अच्छा चलो कोई बात नहीं.. मैं तुम्हें सिखा दूंगा सब
कुछ..
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो अपने आप ही मेरा
काम आसान हो गया।
मैंने तुरंत ही खड़े होकर अपने लोअर को नीचे खिसकाकर अपने
शरीर से अलग कर दिया.. जिससे मेरा पहले से ही खड़ा
‘सामान’ बाहर आ कर झूलने लगा।
मेरा लवड़ा देखकर रूचि बोली- यार ये बताओ.. तुम्हारा ये
पेनिस मेरे मुँह तक कैसे आएगा.. जब तुम नीचे बैठोगे तभी तो मैं
कुछ कर पाऊँगी
तो मैं बोला- पहले तो इसे पेनिस नहीं लण्ड बोलो.. और अपना
दिमाग न लगाओ.. जैसे मैं बोलूँ.. वैसे करो।
तो वो चहक कर बोली- ठीक है.. चलो अब जल्दी से अपना
ल..लण्ड मेरे मुँह में डालो और अपना मुँह मेरी च..चूत पर
लगाओ.. अब मुझसे और इंतज़ार नहीं हो सकता।
लण्ड-चूत कहने में वो कुछ हिचक रही थी.. बेचारी.. सच में
उसको कुछ नहीं मालूम था कि कैसे क्या करना है.. उसे तो बस
इतना ही मालूम था कि लण्ड चूत में जाता है जिससे माल
निकलता है.. और लण्ड का माल चूत में भर जाता है.. जिससे
बच्चा हो जाता है बस।
ये सब उसने मुझे बाद में बताया था..
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
मैंने उसे बिस्तर पर सही से लिटाया और हम 69 अवस्था में
लेट गए। यह देख कर उसके दिमाग की बत्ती जल उठी और रूचि
खुश होते हुए बोली- यार वाकयी में तुम स्मार्ट के साथ-साथ
होशियार भी हो.. क्या जुगाड़ निकाला है..
मैं तुरंत ही उसकी चूत के दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा
और वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगी और थोड़ी ही देर में
उसने अपनी नरम जुबान मेरे लौड़े पर रखकर सुपाड़े को चाटने
लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी।
उसकी गीली जुबान की हरकत से मेरे अन्दर ऐसा वासना का
सैलाब उमड़ा.. जिसे मैं शब्द देने में असमर्थ हूँ.. फिर मैंने भी
प्रतिउत्तर में उसके दाने को अपने मुँह में भर-भर कर चूसना चालू
कर दिया.. जिससे उसके मुँह से ‘अह्ह्ह ह्ह.. हाआआह…
आआआ..’ की आवाज स्वतः ही निकलने लगी।
उसके शरीर में एक अजीब सा कम्पन हो रहा था.. जिसे मैं
महसूस करने लगा।
चूत चुसवाने के थोड़ी ही देर में वो अपनी टाँगें खुद ही फ़ैलाने
लगी और अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
अब मुझे एहसास हो गया कि रूचि को इस क्रिया में असीम
आनन्द की प्राप्ति हो रही है। फिर मैंने उसके जोश को और
बढ़ाने के लिए अपनी उँगलियों के माध्यम से उसकी चूत की
दरार को थोड़ा फैलाया और देखता ही रह गया.. चूत के अन्दर
का बिलकुल ऐसा नज़ारा था.. जैसे किसी ने तरबूज पर हल्का
सा चीरा लगा कर फैलाया हो.. उसकी चूत से रिस रहा
पानी उसकी और शोभा बढ़ा रहा था।
मैंने बिना कुछ सोचे अपनी जुबान उसकी दरार में डाल दी..
और उसे चाटने लगा।
जिससे उत्तेजित होकर रूचि ने भी मेरे लण्ड के शिश्न-मुण्ड को
और अन्दर ले कर चूसते हुए ‘ओह.. शिइ… इइइइ.. शीईईई..’ की
सीत्कार के साथ ‘अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह ह्ह..’ करने लगी।
तो मैंने वक्त की नज़ाकत देखते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत
के छेद में घुसेड़ दी.. जिससे उसकी एक और दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह
ह्ह..’ छूट गई और दर्द से तड़पते हुए बोली- यार.. लग रही है ये..
क्या कर दिया.. अब तो अन्दर जलन सी होने लगी है..
तो मैंने मन में सोचा शायद इसने अपनी चूत में ऊँगली भी नहीं
डाली है.. इसलिए इसे ऐसा लग रहा होगा।
मैंने बोला- जान बस थोड़ा रुको.. अभी सही किए देता हूँ।
लेट गए। यह देख कर उसके दिमाग की बत्ती जल उठी और रूचि
खुश होते हुए बोली- यार वाकयी में तुम स्मार्ट के साथ-साथ
होशियार भी हो.. क्या जुगाड़ निकाला है..
मैं तुरंत ही उसकी चूत के दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा
और वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगी और थोड़ी ही देर में
उसने अपनी नरम जुबान मेरे लौड़े पर रखकर सुपाड़े को चाटने
लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी।
उसकी गीली जुबान की हरकत से मेरे अन्दर ऐसा वासना का
सैलाब उमड़ा.. जिसे मैं शब्द देने में असमर्थ हूँ.. फिर मैंने भी
प्रतिउत्तर में उसके दाने को अपने मुँह में भर-भर कर चूसना चालू
कर दिया.. जिससे उसके मुँह से ‘अह्ह्ह ह्ह.. हाआआह…
आआआ..’ की आवाज स्वतः ही निकलने लगी।
उसके शरीर में एक अजीब सा कम्पन हो रहा था.. जिसे मैं
महसूस करने लगा।
चूत चुसवाने के थोड़ी ही देर में वो अपनी टाँगें खुद ही फ़ैलाने
लगी और अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
अब मुझे एहसास हो गया कि रूचि को इस क्रिया में असीम
आनन्द की प्राप्ति हो रही है। फिर मैंने उसके जोश को और
बढ़ाने के लिए अपनी उँगलियों के माध्यम से उसकी चूत की
दरार को थोड़ा फैलाया और देखता ही रह गया.. चूत के अन्दर
का बिलकुल ऐसा नज़ारा था.. जैसे किसी ने तरबूज पर हल्का
सा चीरा लगा कर फैलाया हो.. उसकी चूत से रिस रहा
पानी उसकी और शोभा बढ़ा रहा था।
मैंने बिना कुछ सोचे अपनी जुबान उसकी दरार में डाल दी..
और उसे चाटने लगा।
जिससे उत्तेजित होकर रूचि ने भी मेरे लण्ड के शिश्न-मुण्ड को
और अन्दर ले कर चूसते हुए ‘ओह.. शिइ… इइइइ.. शीईईई..’ की
सीत्कार के साथ ‘अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह ह्ह..’ करने लगी।
तो मैंने वक्त की नज़ाकत देखते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत
के छेद में घुसेड़ दी.. जिससे उसकी एक और दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह
ह्ह..’ छूट गई और दर्द से तड़पते हुए बोली- यार.. लग रही है ये..
क्या कर दिया.. अब तो अन्दर जलन सी होने लगी है..
तो मैंने मन में सोचा शायद इसने अपनी चूत में ऊँगली भी नहीं
डाली है.. इसलिए इसे ऐसा लग रहा होगा।
मैंने बोला- जान बस थोड़ा रुको.. अभी सही किए देता हूँ।