गन्ने की मिठास compleet

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rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:49

गन्ने की मिठास--30

गतान्क से आगे......................

फिर हरिया ने सुधिया को

घोड़ी की तरह खड़ी होने को कहा और सुधिया जब अपनी मोटी गंद झुका कर खड़ी हुई तब हरिया ने उसकी कोमल

गुदा को सहलाते हुए उसमे उंगली से तेल भरने लगा, हरिया सुधिया की गुदा को खूब फैला फैला कर उसमे तेल

डाल रहा था फिर हरिया ने दो उंगलिया तेल मे डुबो कर सुधिया की कसी हुई गंद मे उतारना शुरू कर दिया और

सुधिया आह सीईईईईईईईईईई इईसीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ओह हरिया,

हरिया- उसकी गंद मे दोनो उंगलियो को अंदर बाहर करता हुआ कहने लगा क्यो भौजी अच्छा लग रहा है ना

सुधिया- आ सीईईईईईईईईई आह अचहचहा तो लग रहा है लेकिन तू मेरी चूत को भी सहलाता जा, देख मेरी चूत से फिर से

पानी बहने लगा है तू जितना मेरी गंद मे उंगली गहराई तक पेलता है मेरी चूत से उतना ही पानी आने लगता है यह

उपर वाला भी क्या है होंठो का कनेक्षन चूत से बोबो का कनेक्षन चूत से गंद के छेद का कनेक्षन

चूत से,

आह हर चीज़ का कनेक्षन ले देके चूत से कर दिया है,

हरिया- अरे भौजी औरत के हर अंग का कनेक्षन चूत से होता है तभी तो औरत के बदन के किसी भी हिस्से को

सहलाओ औरत की चूत से पानी आ जाता है,

सुधिया- अब कितनी देर तक मेरी गंद चिकनाएगा अब चल जल्दी से पेल दे अपना गन्ने जैसा मोटा लंड

उसकी बात सुन कर हरिया ने अच्छे से अपने लंड के टोपे को सुधिया की गुदा से सेट किया और फिर उसकी गुदाज मोटी

गंद को सहलाते हुए अपना एक हाथ झुकी हुई सुधिया के पेट की ओर लेजाकार उसका गुदाज उठा हुआ पेट दबोचते

हुए सुधिया की चूत को अपनी मुट्ठी मे भींच कर एक कस कर अपने लंड को सुधिया की गुदा मे जैसे ही दबाया

लंड का सूपड़ा फिसल कर सुधिया की चूत मे एक दम से उतार गया और सुधिया आह मार गई रे कुत्ते कहाँ

डालने का कहता है और कहा लंड डाल रहा है,

हरिया का लंड सात से सुधिया की चूत मे जड़ तक समा गया और

उसने अपने लंड को वापस बाहर निकाल लिया उसका लंड सुधिया की चूत के पानी से पूरा गीला हो गया था उसने दूसरी

बार फिर से सुधिया की गुदा को थोड़ा अपने हाथो से फैला कर उसकी गुदा मे अपने लंड के सूपदे को लगा कर इस

बार पहले धीरे से दबाया और जैसे ही उसके सूपदे ने सुधिया की गुदा को थोड़ा फैलाया,

हरिया ने अपने हाथ को

नीचे लेजाकार सुधिया की चूत को कस कर अपने हाथो मे दबोचते हुए एक कस कर धक्का उसकी गुदा मे मार

दिया और उसका आधे से ज़्यादा लंड सुधिया की गंद मे किसी डंडे की भाँति फस गया और सुधिया के मूह से हाय

मर गई रे आआआआहह ओह हरिया मातेरचोड़ फाड़ दी मेरी गंद आ ओह सीईईईई सी आह आह

हरिया बिना उसकी बातो मे ध्यान दिए हुए सुधिया की गंद को पकड़ कर एक दूसरा धक्का मार देता है और उसका

मोटा लंड सुधिया की गंद मे जड़ तक समा जाता है और सुधिया का बदन अकड़ जाता है, और वह ज़ोर से हाय मा

मर गई रे आह अहः आह आह सीई सिई ओह हरिया मार डाला रे तूने मुझे,

हरिया ने कहा बस भौजी अब तो पूरा घुस गया अब तो बस तुम्हे अपनी गंद मरवाने का मज़ा ही मज़ा मिलेगा और

फिर हरिया ने अपनी दो उंगली सुधिया की चूत मे डाल कर उसकी गंद मे अपने लंड को ठोकना शुरू कर दिया,

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:49

हरिया खूब तबीयत से सुधिया की गंद मार रहा था और सुधिया खूब ज़ोर ज़ोर से सीसीया रही थी और उसके मूह से खूब सिसीकिया छूट रही थी, हरिया उसकी गुदाज गंद को खूब ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा था और उसकी बुर की फांको को खूब सहला रहा था, उनकी चुदाई देख कर मैं समझ गया कि आज हरिया पूरा दिन खेत मे मस्ती मारने वाला है और उसे देख कर लग रहा था कि वह आज सुधिया को दिन भर चोदेगा,

मैने टाइम देखा और फिर मैने सोचा क्यो कबाब मे हड्डी बनू और मैं वापस तालाब के इधर आ गया और साइट पर मजदूरो को इन्स्ट्रक्षन देने लगा,

उस दिन हरिया से मुलाकात भी नही हुई और शाम को मैं घर चला गया,

जब घर पहुचा तो मुझे याद आया कल शनिवार है और मैने मम्मी को कह दिया कि हम लोग गाड़ी करके शिर्डी चलते है,

मम्मी और संगीता खुस हो गई और अगले दिन मैं यह कह कर साइट पर चला गया कि मैं शाम को 5 बजे तक आ जाउन्गा और फिर हम लोग 7 बजे तक यहाँ से चल देंगे तो सुबह सुबह वहाँ पहुच जाएगे,

मैं साइट पर पहुच गया और काम लगाना शुरू कर दिया तभी मुझे सामने से हरिया आता हुआ नज़र आया

राज- आओ हरिया क्या बात है एक दो दिन से नज़र नही आ रहे हो

हरिया- बाबूजी हम तो दिन रात आपको याद करते है और आपके एहसान तले दबे जा रहे है, बाबू जी अगर आप हमारी जिंदगी मे ना आते तो शायद हम सुधिया भौजी को कभी चोद ही नही पाते और ऐसे ही मर जाते

राज- अरे मरे तुम्हारे दुश्मन यह कोई एहसान नही था आख़िर तुम मेरे दोस्त हो और दोस्ती के लिए यह सब तो करना ही पड़ता है,

हरिया- बाबूजी कभी हमारी कही ज़रूरत हो तो बताओ हम भी अपनी दोस्ती निभायगे,

राज- मुस्कुराते हुए अरे हरिया जिस दिन तुम्हारी ज़रूरत हुई तुम्हे याद करूँगा और मुझे लगता है जल्दी ही तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी,

हरिया- क्या कुच्छ नई प्लानिंग है बाबू जी

राज- हाँ प्लॅनिंग तो है पर पहले घी सीधी उंगली से निकालेंगे और अगर नही निकला तो टेडी करेगे,

हरिया- साफ साफ बताइए बाबू जी क्या बात है

राज- हरिया अब तुमसे क्या छुपाऊ पर कल से मेरा मन अपनी बहन संगीता और मम्मी रति को चोदने का बहुत कर रहा है

हरिया- तो बाबू जी आपने क्या सोचा है

राज- हरिया अभी मैं एक दो दिन के लिए बाहर जा रहा हू उसके बाद मैं संगीता को लेकर यहा खेतो मे घुमाने लाउन्गा और मैं चाहता हू कि मैं संगीता को यही छ्चोड़ कर घूमने का बहाना करके चला जाउ और तुम संगीता के सामने जिसे भी चोद सको सुधिया को या चंदा को,

बस इतना करना है कि संगीता तुम्हे चोद्ते हुए देख ले उसके बाद मैं संगीता को यही गन्नो के बीच पूरी नंगी करके चोदना चाहता हू,

हरिया- बाबू जी आप बस इशारा कर देना बाकी मैं सब संभाल लूँगा,

राज- ठीक है और सूनाओ कल क्या किया तुमने दिन भर

हरिया- कल तो बाबूजी हमने जी भर कर सुधिया की चूत और गंद चोदि है कल तो रंडी को पूरी मस्त करके अपने साथ ही घर ले गये थे और तो और जब जाते वक़्त उसने हमसे कहा कि उसे फिर से पेशाब लगी है तो आप मनोगे नही बाबूजी हम रास्ते पर ही लेट गये और सुधिया को अपने मूह पर बैठा कर उससे खूब अपने मूह मे मुतवाया है खूब चूस चूस कर उसका मूत पिया है हमने बड़ा मज़ा आया बाबूजी,

राज- क्या बात है मतलब तुमने सुधिया को दिनभर चोद चोद कर उसका मूत पिया है

हरिया- अरे बाबूजी उसकी गंद भी हमने इस कदर चोदि है कि रंडी रात भर मेरे लंड के झटके अपनी गंद और चूत मे महसूस करती रही होगी इसलिए आज ना वह आई और ना ही रामू आया, दरअसल रामू की तबीयत खराब है पर कल शायद वह भी खेतो मे आए,

मैं हरिया से विदा लेकर घर चला गया और फिर एक स्कार्पीओ किराए से लेकर हम लोग शिर्डी की और रवाना हो गये, ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और मैं और संगीता और मम्मी तीनो पिछे की सीट पर बैठे थे, संगीता मेरे और मम्मी के बीच बैठी थी और गाड़ी अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी,

रत को 11 बजने को आ चुके थे और मम्मी सामने रोड पर देख रही थी और संगीता को मैं गौर से देख रहा था जो शायद नींद की वजह से झपकीया लेने लगी थी,

गाड़ी मे मधुर संगीत बज रहा था और मैने हमारी सीट के उपर की लाइट ऑफ कर दी और मम्मी ने भी अपने सर को सीट से टीका कर आँखे बंद कर ली, अब गाड़ी मे अंधेरा लगने लगा था और संगीता अपने सर को मेरे कंधे से टिकाए हुए सोने लगी थी,

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:50

संगीता की गरम सांसो की खुश्बू ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया था और मैने भी अपने सर को थोड़ा झुका कर संगीता के चेहरे के पास कर लिया था, संगीता जब सांस छ्चोड़ती तो उसकी साँसे सीधे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी मैने धीरे से अपना हाथ संगीता की मोटी गुदाज जाँघो के उपर रख लिया और हल्के हल्के उसकी मोटी मखमली जाँघो को दबाने लगा,

मम्मी जाग रही थी या सो रही थी पता नही पर मुझे उनकी आँखे नज़र नही आ रही थी मैं बहुत गरम हो चुका था और संगीता के बदन से सटा हुआ था,

संगीता की रेड कलर की टीशर्ट से उसके मोटे मोटे कसे हुए ठोस दूध का उभार मुझे पागल किए जा रहा था और मुझसे रहा नही गया और मैने अपने मूह से संगीता के गालो को चूमते हुए अपना एक हाथ संगीता के गले मे डाल कर जब मैने उसके एक मोटे बोबे को अपने हाथ मे भर कर हल्के से दबाया तो क्या बताऊ मैं तो मस्त हो गया,

मेरे द्वारा संगीता के बोबे दबाने से भी उसने कोई प्रतिक्रिया नही की तो मुझे लगा वह गहरी नींद मे सो चुकी है फिर मैने संगीता के पूरे दूध का जयजा लेते हुए उसकी मोटाई को महसूस किया उसके मोटे गुदाज भरे हुए दूध को मैने अपने हाथो मे पूरा समाते हुए उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया और अपने होंठो से कभी संगीता के गालो को चूमता कभी उसके रसीले होंठो को चूमने लगा,

दूसरे हाथ को जब मैने जाँघो पर फेरा तो घुटने के ज़रा सा उपर तक उसकी ब्लॅक कलर की स्कर्ट चढ़ि हुई थी मैने धीरे से संगीता की स्कर्ट को थोड़ा और उपर करके उसकी मोटी मसल जाँघो को अपने हाथो मे दबोच लिया और खूब गोरी गोरी जाँघो को सहलाने लगा,

एक हाथ से संगीता के मोटे-मोटे दूध उसकी पतली सी टीशर्ट के उपर से मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गुदाज जाँघो को सहला रहा था मेरा लंड पूरी ताक़त लगाए मेरे पेंट को फाड़ने की कोशिश कर रहा था, मैने धीरे से संगीता की जाँघो को थोड़ा सा खोल कर फैला दिया और फिर धीरे से उसकी मोटी जाँघो को सहलाते हुए उसकी फूली हुई पॅंटी मे कसी चूत तक ले जाने लगा,

मैने जैसे ही संगीता की पॅंटी के उपर से उसकी फूली हुई चूत को सहलाया मैं मस्त हो गया, संगीता ने लगता है दो तीन दिन पहले अपनी झांते बनाई थी जिसके कारण उसके बाल मुझे पॅंटी के उपर से भी हल्के हल्के चुभ रहे थे,

अब मैं संगीता की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबाते हुए उसके मोटे मोटे दूध को मसल रहा था, फिर मेरी उत्तेजना के साथ ही मेरे हाथ का दबाव भी संगीता के मोटे मोटे बोबो और उसकी फूली हुई चूत पर बढ़ने लगा था और अब मैं काफ़ी ताक़त से संगीता के बोबे और चूत मसल रहा था,

संगीता सो रही थी या नही यह तो मैं नही जानता लेकिन जब मैने संगीता की मोटी जाँघो को और भी फैला कर उसकी पूरी फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोचा तो मुझे उसकी पॅंटी मे गीले पन का एहसास हुआ और मुझे लगा शायद संगीता जाग रही है,

मैने संगीता के बोबे को खूब कस कस कर मसलना शुरू कर दिया मैं यह सोच कर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गया कि संगीता शायद जाग रही है अब मैं संगीता की चूत को पागलो की तरह खूब दबा दबा कर सहला रहा था और उसके दोनो दूध को बारी बारी से मसल रहा था तभी मथेर्चोद ड्राइवर ने गाड़ी एक ढाबे के पास जाकर रोक दी और मुझसे कहने लगा भैया जी चाइ पीना हो तो आ जाओ,

मैने मन मे कहा मथेर्चोद तू पी ले भोसड़ी वाले ने सारा मज़ा किरकिरा कर दिया, ड्राइवर की बात सुन कर मम्मी भी उठ गई और कहने लगी राज बेटे मेरे लिए भी एक चाइ ले आना, मैं उतार कर चाइ लेने चला गया पर संगीता अभी भी आँखे बंद किए हुए सो रही थी,

करीब 10 मिनिट बाद हम फिर चल दिए और मैने जब लाइट बंद करने का सोचा इससे पहले ही मम्मी ने लाइट ऑफ करने को कहा और फिर मैने लाइट ऑफ कर दी, अब मैने धीरे से फिर से संगीता के बोबो को जैसे ही च्छुआ संगीता के मूह से एक गहरी सांस निकल पड़ी,

क्रमशः........


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